प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और संयुक्त अरब अमीरात कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत, महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
- महामहिम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद बिन अल नाहयान के निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 16 और 17 अगस्त, 2015 को संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया।
- अनेक बदलावों तथा बदलते अवसरों एवं चुनौतियों से भारी इस दुनिया में 34 साल बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक नई एवं व्यापक सामरिक साझेदारी की शुरूआत है।
- हाल के दशकों में, संयुक्त अरब अमीरात की आर्थिक प्रगति वैश्विक स्तर पर सफलता की गाथाओं में से एक है, जिससे यह देश अग्रणी क्षेत्र के रूप में उभरा है तथा अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बनता जा रहा है जो पूरी दुनिया से लोगों और कारोबार को आकर्षित कर रहा है। भारत विश्व की प्रमुख शक्तियों में से एक के रूप में उभरा है तथा वैश्विक शांति एवं स्थिरता को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहा है। भारत के प्रतिभावान मानव संसाधनों तथा विशाल बाजारों के साथ भारत की तेजी से प्रगति एवं आधुनिकीकरण की वजह से यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी बन गया है। दोनों देशों की गतिशीलता तेजी से बढ़ती आर्थिक साझेदारी में परिवर्तित हुई है जिसके फलस्वरूप भारत संयुक्त अरब अमीरात का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बन गया है और संयुक्त अरब अमीरात न केवल भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है अपितु इस क्षेत्र के लिए तथा इससे आगे के क्षेत्र के लिए भारत का गेटवे भी बन गया है।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच वाणिज्य, संस्कृति और भाई-चारे के सदियों पुराने रिश्ते हैं। आज 2.5 मिलियन से अधिक भारतीय समुदाय संयुक्त अरब अमीरात के जीवंत समाज एवं आर्थिक सफलता का एक प्रमुख हिस्सा है। भारत में उनका महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान है तथा दोनों देशों के बीच मैत्री के अमिट मानव संबंध में भी उनका योगदान है।
- आर्थिक, रक्षा, सुरक्षा, कानून प्रवर्तन, संस्कृति, कांसुलर तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क सहित करारों की व्यापक रूपरेखा हमारे संबंध के पूर्ण स्पेक्ट्रम में द्विपक्षीय सहयोग को ऊपर उठाने के लिए ठोस नींव का निर्माण करते हैं।
- आज जब भारत ने अपने आर्थिक सुधारों की गति तेज कर दी है तथा निवेश एवं कारोबार के अपने माहौल में सुधार कर रहा है तथा संयुक्त अरब अमीरात उत्तरोत्तर उन्नत एवं विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था बन गया है, दोनों देशों में न केवल अपने दोनों देशों की स्थाई समृद्धि के लिए अपितु इस क्षेत्र में प्रगति को आगे बढ़ाने और एशियाई शताब्दी के विजन को साकार करने के लिए भी एक परिवर्तनकारी आर्थिक साझेदारी का निर्माण करने की क्षमता है।
- इसके बावजूद समृद्धि एवं प्रगति के उनके साझे विजन के समक्ष इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए अनेक साझे खतरों की वजह से चुनौतियां मौजूद हैं। साझे आदर्शों एवं आपस में जुड़े हितों के आधार पर इन चुनौतियों से निपटने के लिए मिला-जुला प्रयास दोनों देशों तथा उनके क्षेत्र के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- संयुक्त अरब अमीरात खाड़ी तथा पश्चिम एशिया क्षेत्र तथा इसके प्रमुख आर्थिक केंद्र के मर्म में स्थित है। खाड़ी क्षेत्र में सात मिलियन भारतीय नागरिकों की मौजूदगी की वजह से भारत के इस क्षेत्र में प्रमुख ऊर्जा, व्यापार और निवेश हित हैं। दोनों राष्ट्र खुलेपन, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा सामाजिक सामंजस्य के लिए भी प्रतिबद्ध हैं जो उनकी सांस्कृतिक परंपराओं, आध्यात्मिक मूल्यों तथा साझी विरासत पर आधारित हैं। संयुक्त अरब अमीरात बहु-सांस्कृतिक समाज का एक जीवंत उदाहरण है। भारत अद्वितीय विविधता, धार्मिक बहुलवाद और संयुक्त संस्कृति का देश है।
- दोनों राष्ट्र अतिवाद तथा धर्म एवं आतंकवाद के बीच किसी संबंध को अस्वीकार करते हैं। वे दूसरे देशों के विरूद्ध आतंकवाद को उचित ठहराने, समर्थन करने और प्रायोजित करने के लिए राज्यों सहित धर्म के प्रयोग संबंधी प्रयासों की निंदा करते हैं। वे पश्चिम एवं दक्षिण एशिया सहित किसी भी क्षेत्र में राजनीतिक मुद्दों एवं विवादों को धार्मिक एवं अलगाववादी रंग देने के लिए देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी निंदा करते हैं तथा अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आतंकवाद के प्रयोग की भर्त्सना करते हैं।
- लोगों के बीच नजदीकी, इतिहास, सांस्कृतिक बंधुत्व, मजबूत संबंध, प्राकृतिक मेल-जोल, साझी आकांक्षाएं तथा साझी चुनौतियां भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच प्राकृतिक सामरिक साझेदारी की असीम संभावना का सृजन करती हैं। इसके बावजूद, अतीत में, दोनों देशों की सरकारों के बीच संबंध उनके लोगों के बीच संबंधों में घातांकी वृद्धि या इस साझेदारी के वायदों के अनुरूप नहीं रहे हैं। तथापि, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच घनिष्ठ सामरिक साझेदारी की आवश्यकता इससे पहले कभी इतनी प्रबल या अधिक अत्यावश्यक नहीं रही है।
- आज आबू धाबी में महामहिम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक क्षण का लाभ उठाने के लिए सहमत हुए तथा 21वीं शताब्दी के लिए अपनी साझेदारी में एक नए पथ का निर्माण करने की जिम्मेदारी को साझा किया। दोनों नेता निम्नलिखित पर सहमत हुए :
- भारत - संयुक्त अरब अमीरात साझेदारी को व्यापक सामरिक साझेदारी के रूप में स्तरोन्नत करना।
- नफरत फैलाने, आतंकवाद फैलाने एवं उसे उचित ठहराने या राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समूहों एवं देशों द्वारा धर्म के दुरूपयोग तथा कट्टरवाद की खिलाफत करने वाले प्रयासों का समन्वय करना। दोनों पक्ष शांति, सहिष्णुता, समावेशीपन और कल्याण, जो सभी धर्मों में अंतर्निहित है, के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक विद्वानों एवं बुद्धिजीवियों के नियमित आदान – प्रदान को सुगम बनाएंगे तथा सम्मेलनों एवं सेमिनारों का आयोजन करेंगे।
- सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद की निंदा करते हैं और विरोध करते हैं, जहां कहीं भी और जिस किसी द्वारा भी किया गया हो, सभी देशों से दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद के प्रयोग का त्याग करने एवं अस्वीकार करने का आह्वान करते हैं, आतंकवाद की अवसंरचनाओं को नष्ट करने का आह्वान करते हैं, जहां कहीं भी वे मौजूद हों, और आतंकवाद के दोषियों को दंडित करने का आह्वान करते हैं।
- आतंकवाद की खिलाफत से जुड़ी कार्यवाहियों, आसूचना की हिस्सेदारी तथा क्षमता निर्माण में सहयोग में वृद्धि करना।
- संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर भारत के प्रस्तावित व्यापक अभिसमय को अपनाने के लिए साथ मिलकर काम करना।
- ऐसी निधियों के प्रवाह को नियंत्रित करने, विनियमित करने और सूचना को साझा करने के लिए साथ मिलकर काम करना जिनका संबंध कट्टरवाद की गतिविधियों से हो सकता है तथा अवैध प्रवाह को रोकने में सहयोग करना तथा संबंधित व्यक्तियों एवं संगठनों के विरूद्ध कार्रवाई करना।
- कानून प्रवर्तन, धन शोधनरोधी प्रयासों, दवाओं की तस्करी तथा अन्य राष्ट्रपारीय अपराधों, जबरन वसूली की व्यवस्थाओं तथा पुलिस प्रशिक्षण में सहयोग को सुदृढ़ करना।
- आतंकवाद, कट्टरवाद तथा सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए साइबर के उपयोग पर रोकथाम सहित साइबर सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा देना।
- अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच वार्ता स्थापित करना। दोनों देशों से सुरक्षा के लिए अन्य उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की हर छह महीने में बैठक होगी। दोनों पक्ष प्रचालन संबंधी सहयोग में और सुधार के लिए अपनी – अपनी सुरक्षा एजेंसियों के बीच संपर्क बिंदु भी स्थापित करेंगे।
- खाड़ी तथा हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए सहयोग करना जो दोनों देशों की सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- प्राकृतिक आपदाओं तथा संघर्ष की स्थितियों में मानवीय सहायता तथा रिक्तीकरण के लिए सहयोग एवं परस्पर प्रचालनीयता को बढ़ावा देना।
- नौसेना, वायु सेना, थल सेना एवं विशेष बलों के नियमित अभ्यास एवं प्रशिक्षण के माध्यम से रक्षा संबंधों एवं तटीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना। भारत ने फरवरी, 2016 में भारत में अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा सुरक्षा में भाग लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के निर्णय का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
- भारत में रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में सहयोग करना।
- वृहद दक्षिण एशिया, खाड़ी एवं पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सामंजस्य, स्थिरता, समावेशीपन तथा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर काम करना।
- संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयासों का समर्थन करना तथा राष्ट्रों के बीच संबंधों के संचालन तथा विवादों के समाधान में संप्रभुता तथा दखल न देने के सिद्धांतों का अनुपालन को बढ़ावा देना।
- सभी देशों से हिंसा एवं आतंकवाद का सहारा लिए बगैर द्विपक्षीय एवं शांतिपूर्ण ढंग से विवादों का समाधान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से सम्मान करने और निष्ठापूर्वक लागू करने का आह्वान करना।
- दोनों देशों की सरकारों के बीच एक सामरिक सुरक्षा वार्ता स्थापित करना।
- यह स्वीकार करते हुए कि भारत निवेश के अवसरों के नए फ्रंटीयर के रूप में उभर रहा है, विशेष रूप से व्यापार एवं निवेश को सुगम बनाने, भारत में अपना निवेश बढ़ाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की निवेश करने वाली संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा नई पहलों देखते हुए, जिसमें भारत - संयुक्त अरब अमीरात अवसंरचना निवेश निधि के माध्यम से निवेश शामिल है, विशेष रूप से रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डा, और औद्योगिक कोरिडोर एवं पार्कों में अगली पीढ़ी की अवसंरचना के तेजी से विस्तार के लिए भारत की योजनाओं में निवेश का समर्थन करने के लिए 75 बिलियन अमरीकी डालर के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से।
- संयुक्त अरब अमीरात में अवसंरचना विकास में भारत की कंपनियों की भागीदारी को सुगम बनाना।
- ऊर्जा क्षेत्र में सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देना जिसमें सामरिक पेट्रालियम भंडार के विकास, अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम पेट्रोलियम क्षेत्रों में भारत में संयुक्त अरब अमीरात की भागीदारी तथा तीसरे देशों में साझेदारियां शामिल हैं।
- दोनों देशों के बीच व्यापार को और बढ़ावा देना तथा इस क्षेत्र में तथा इससे परे व्यापार के विस्तार के लिए अपने – अपने स्थानों एवं अवसंरचना का प्रयोग करना और अगले पांच वर्षों में व्यापार में 60 प्रतिशत वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- संयुक्त अरब अमीरात में एक जीवंत औद्योगिक आधार का सृजन करने के लिए मध्यम और छोटे उद्यमों में भारत की विशेषज्ञता का उपयोग करना, जिससे भारत के उद्यमियों को भी लाभ हो सकता है।
- संयुक्त अरब अमीरात की उत्तरोत्तर परिष्कृत शैक्षिक संस्थाओं तथा भारत के विश्वविद्यालयों तथा उच्च अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोग को सुदृढ़ करना। नवीकरणीय ऊर्जा, संपोषणीय विकास, मरूस्थलीय कृषि, मरूस्थल पारिस्थितिकी तथा शहरी विकास तथा उन्नत स्वास्थ्य देखरेख के क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- अंतरिक्ष में सहयोग को बढ़ावा देना जिसमें उपग्रहों का संयुक्त विकास एवं प्रक्षेपण, जमीनी अवसंरचना तथा अंतरिक्ष का अनुप्रयोग शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में मंगल मिशन शुरू करने के लिए अल बिन में पश्चिम एशिया के पहले अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र को स्थापित करने संबंधी संयुक्त अरब अमीरात की योजना का स्वागत किया।
- परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोगों में सहयोग करना जिसमें सुरक्षा, स्वास्थ्य, कृषि तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा का प्रयोग शामिल है।
- संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ संयुक्त राष्ट्र के जल्दी सुधारों पर दबाव बनाने के लिए एक अच्छा अवसर है, और यह कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अंतर्सरकारी वार्ता को जल्दी से पूरा किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के लिए संयुक्त अरब अमीरात के समर्थन के लिए उनका धन्यवाद किया।
- प्रमुख उद्देश्य के रूप में 2030 तक गरीबी उन्मूलन के साथ 2015 पश्चात विकास एजेंडा का अंतिम रूप दिया जाना एक स्वागत योग्य घटना है।
- दिसंबर, 2015 में पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से एक कारगर करार उत्पन्न होना चाहिए जिसमें स्वच्छ ऊर्जा में संक्रमण के लिए विकासशील देशों को साधनों एवं प्रौद्योगिकियों का प्रावधान शामिल हो।
- अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए वैश्विक स्तर पर अत्यधिक समर्थन विश्व के लिए शांतिपूर्ण, अधिक संतुलित, स्वस्थ और संपोषणीय भविष्य की तलाश में साथ मिलकर काम करने की वैश्विक समुदाय की सामर्थ्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए संयुक्त अरब अमीरात के प्रबल समर्थन के लिए उनका धन्यवाद किया।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात खुले एवं बहु-सांस्कृतिक समाजों के ज्वलंत उदाहरण हैं, जिनको शांतिपूर्ण एवं समावेशी वैश्विक समुदाय के लिए इन मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक दूसरे के देशों में सांस्कृतिक एवं खेल संबंधी आदान – प्रदान में भी वृद्धि करेंगे।
- लोगों के बीच आपसी संपर्क भारत - संयुक्त अरब अमीरात संबंधों के केंद्र में है तथा दोनों देशों की सरकारें इन संबंधों को और मजबूत करने तथा एक–दूसरे के देश में अपने नागरिकों, विशेष रूप से मजदूरों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए काम करना जारी रखेंगी और मानव दुर्व्यापार को रोकने के लिए भी साथ मिलकर काम करेंगी।
- भारत - संयुक्त अरब अमीरात साझेदारी को व्यापक सामरिक साझेदारी के रूप में स्तरोन्नत करना।
- प्रधानमंत्री मोदी ने आबू धाबी में मंदिर के निर्माण के लिए जमीन आवंटित करने के लिए महामहिम क्राउन प्रिंस के निर्णय के लिए उनका धन्यवाद किया।
- महामहिम क्राउन प्रिंस तथा प्रधानमंत्री ने मजबूत व्यापक सामरिक साझेदारी के अपने विजन को साकार करने के लिए नियमित रूप से शिखर बैठकों का आयोजन करने, द्विपक्षीय तंत्रों उच्च स्तरीय एवं मंत्री स्तरीय वार्ता एवं बैठकों के लिए संकल्प व्यक्त किया। उनको पूरा यकीन है कि यह उनके लोगों के लिए स्थाई समृद्धि के भविष्य को सुरक्षित करने तथा उनके क्षेत्र के पथ को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगी और शांतिपूर्ण, स्थिर, संपोषणीय एवं खुशहाल एशिया एवं विश्व में भी योगदान देगी।