1. भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेंद्र मोदी इस समय चीन के प्रधानमंत्री महामहिम श्री ली क्यांग के निमंत्रण पर वहां के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री ने इस दौरे में चीन के राष्ट्रपति महामहिम श्री शी जिनपिंग से मुलाकात की और प्रधानमंत्री श्री ली क्यांग से वार्ता की। वह चीन के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष महामहिम श्री झांग देजियांग से भी मिले। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग की ओर से इस यात्रा के दौरान दिखाए गए विशेष रुख की काफी प्रशंसा की और गर्मजोशी से स्वागत करने पर चीन की जनता को धन्यवाद दिया।
  2. दोनों देशों के नेताओं ने दिपक्षीय रिश्तों में हुई प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने माना की राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सितंबर, 2014 की भारत दौरा द्विपक्षीय रिश्तों के विकास में अहम मील का पत्थर था। दोनों नेताओं का मानना था कि आपसी रिश्तों को मजबूत करना एक ऐतिहासिक अनिवार्यता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे पर हुए समझौतों पर नजदीकी सहयोग को और बढ़ाना बातचीत का अहम हिस्सा रहा।
  3. दोनों नेताओं ने माना कि भारत और चीन का इस क्षेत्र में बड़ी ताकतों के तौर पर उदय हुआ है और दुनिया में एशियाई सदी का अहसास कराने का यह बिल्कुल सही समय है। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि 21वीं सदी के एशिया और दुनिया में भारत और चीन के रिश्ते बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि अपने-अपने देश के विकास लक्ष्यों और सुरक्षा हितों को मजबूत करने के लक्ष्य की तरफ बढ़ने में दोनों एक दूसरे की मदद करें। दोनों एक दूसरी की चिंताओं, हितों और आकांक्षाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें और संवेदनशील रहें। दो सबसे बड़े विकासशील देशों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक ढांचे के दो महत्वपूर्ण ध्रुवों के बीच रिश्तों का यह रचनात्मक मॉडल आपसी रिश्तों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने का नया आधार है।

 

 राजनीतिक वार्ता और सामरिक संवाद को मजबूती

  1. द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ाने की जरूरत, भारत-चीन की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका और आपसी रणनीतिक भरोसा कायम करने की अनिवार्यता को देखते हुए दोनों नेता एक दूसरे से संवाद बढ़ाने पर राजी हुए। उनका मानना था कि वार्ता की मौजूदा व्यवस्था का पूरा इस्तेमाल करते हुए संवाद बढ़ाया जाए।
  2. दोनों देशों के बीच शासनाध्यक्षों/राष्ट्राध्यक्षों के नियमित दौरों पर रजामंदी हुई। दोनों देशों के नेताओं की विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मौजूदगी के अवसर का भी इस दिशा में इस्तेमाल करने पर सहमति हुई। दोनों नेताओं का मानना था कि इन मंचों का इस्तेमाल आपसी रिश्तों, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बातचीत के लिए किया जाए।
  3. बातचीत में इस बात पर गौर किया गया किया गया कि भारतीय राज्यों और चीनी प्रांतों ने आपसी संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए दोनों के बीच एक राज्य या प्रांतीय नेताओं के फोरम के गठन पर सहमति बनी। इस फोरम की पहली बैठक 15 मई, 2015 को बीजिंग में हुई।
  4. बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ाने में भारत के विदेश मंत्रालय और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के अंतरराष्ट्रीय विभाग के तत्वाधान में आयोजित वार्ताओं की भूमिका को स्वीकार किया गया और दोनों पक्षों की ओर से इस व्यवस्था को संस्थागत रूप देने और इसे विस्तार देने पर रजामंदी हुई।
  5. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक संबंधों को मजबूत करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से एक दूसरे के यहां एक अतिरिक्त महावाणिज्य दूतावास खोला जाए। भारत अपना महावाणिज्य दूतावास चेंगदू में खोलेगा। जबकि चीन का महावाणिज्य दूतावास चेन्नई में खोला जाएगा।
  6. दोनों देशों ने माना कि सैन्य समझौतों को बढ़ावा देने से आपसी विश्वास और भरोसा मजबूत होगा। भारतीय पक्ष ने चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष के भारत दौरे का स्वागत किया। चीन ने इस साल भारतीय रक्षा मंत्री और दूसरे सैन्य नेताओं को अपने यहां आने का न्यौता दिया। दोनों देशों की सेनाओं के पांचवें संयुक्त आंतकवाद रोधी प्रशिक्षण को 2015 में चीन में आयोजित करने पर भी सहमति बनी। दोनों ओर से एक दूसरे के नौसेना पोतों की आवाजाही पैसेक्स और सार अभ्यास करने पर भी सहमति बनी।
  7. दोनों देशों ने सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए अब तक के समझौते और प्रोटोकोल की सकारात्मक भूमिकाओं को स्वीकार किया। सीमा पर सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर दोनों पक्षों की ओर से वार्षिक दौरे करने, सेना मुख्यालयों और पड़ोसी कमान के बीच बातचीत करने पर राजी हुए। इसके साथ ही दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन के  परिचालन के प्रयास, सीमा कमांडरों के बीच आदान-प्रदान और भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों में व्यक्तिगत मुलाकातों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  8. दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सीमा के सवाल को जल्दी सुलझाना दोनों देशों के बुनियादी हितों में होगा और इस ओर दोनों देशों के सामरिक उद्देश्यों को देखते हुए कदम बढ़ाया जाना चाहिए। दोनों देशों के व्यापक रिश्तों और दूरगामी हितों के मद्देनजर दोनों पक्ष सीमा के सवाल के राजनीतिक हल के प्रति प्रतिबद्ध दिखे। विशेष प्रतिनिधियों के जरिये इस दिशा में हुई अहम प्रगति का सकारात्मक आकलन किया गया। सीमा के सवाल को हल करने के लिए तीन चरणों की प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई। साथ ही सीमा के मामले को सुलझाने के लिए एक ढांचा तय करने के लिए लगातार कोशिश करने पर भी सहमति जताई गई। यह ढांचा अब तक के नतीजों और विकसित हुई आपसी समझदारी पर आधारित होगा। सीमा के सवाल को सुलझाने के लिए एक उचित, पारदर्शी और दोनों ओर स्वीकार्य हल की ओर जल्द से जल्द बढ़ने पर जोर दिया गया।  
  9. दोनों देश सीमा के सवाल के साथ दूसरे अनसुलझे मतभेदों को सक्रिय तौर पर दूर करने की कोशिश करेंगे। दोनों पक्षों ने माना इन मतभेदों को आपसी रिश्तों में नई सक्रियता के रास्ते में नहीं आने देना चाहिए। भारत-चीन सीमा पर शांति को दोनों देशों के रिश्तों की  बेहतरी का गारंटी माना गया। दोनों पक्षों ने सीमा के सवाल को सुलझाने के लिए मौजूदा समझौतों को लागू करने और सीमा पर शांति कायम करने की प्रतिबद्धता जताई।

 

नजदीकी विकासात्‍मक साझेदारी में अगला कदम

13    दोनों पक्षों ने नजदीकी विकासात्‍मक साझेदारी को और मजबूत बनाने का संकल्‍प लिया क्‍योंकि इससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी और दोनों देशों के साथ-साथ सम्‍बद्ध क्षेत्रों और विश्‍व में समृद्धि आयेगी।

14    पिछले कुछ वर्षों में दोतरफा व्‍यापार और निवेश के प्रवाह में बढ़ोतरी को ध्‍यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सकारात्‍मक योगदान देने और एक दूसरे की वृद्धि और विकास की प्रक्रिया में सहयोग देने का निश्‍चय किया। इस संबंध में इस बात पर सहमति हुई कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्‍यापार और निवेश में आने वाली बाधाओं को समाप्‍त करने के लिए आवश्‍यक उपाय करेंगे, एक-दूसरे की अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए बाजार की पहुंच बढ़ायेंगे, और भारतीय फॉर्मास्‍यूटिकल, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, पर्यटन, वस्‍त्र और कृषि उत्‍पादों में व्‍यापार और निवेश आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए दोनों देशों की स्‍थानीय सरकारों को सहयोग देंगे ताकि पांच वर्ष की व्‍यापार और आर्थिक विकास योजना में पहचाने गए क्षेत्रों में वर्तमान और संभावित स्थितियों का अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके। इस पर सितम्‍बर 2014 में हस्‍ताक्षर किए गए थे।

15    दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्‍यापार को आसान बनाने के लिए संयुक्‍त उपाय करने का संकल्‍प किया ताकि इसकी निरंतरता बनी रहे। इस दिशा में किए जाने वाले उपायों में पंजीकरण सहित फॉर्मास्‍यूटिकल प्रबंध, दोतरफा व्‍यापार के लिए कृषि उत्‍पादों के बारे में पौधों में होने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए बातचीत, भारतीय आईटी कंपनियों और चीनी उद्य‍मों के बीच नजदीकी संपर्क और पर्यटन, फिल्‍मों, स्वास्थ्य, आईटी और उपकरणों में सेवा व्‍यापार बढ़ाना शामिल है। दोनों पक्ष इस दिशा में कार्य करने के लिए भारत-चीन संयुक्‍त आर्थिक समूह का पूरा इस्‍तेमाल करेंगे। दोनों नेताओं ने एशिया प्रशांत व्‍यापार समझौते के ढांचे के भीतर प्रमुख भारतीय उत्‍पादों में शुल्‍क कटौती से जुड़े मुद्दों में आपसी सहयोग और आदान-प्रदान की भावना से बातचीत में तेजी लाने के फैसले का स्‍वागत किया।

16    दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के नये क्षेत्रों का पता लगाने के लिए रणनीतिक आर्थिक बातचीत एक महत्‍वपूर्ण तंत्र है। भारत के नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष और चीन के एनडीआरसी के अध्‍यक्ष की सह-अध्‍यक्षता में दोनों देशों के बीच रणनीतिक आर्थिक बातचीत भारत में इस वर्ष की दूसरी छमाही में होगी।

17    दोनों नेताओं ने निवेश परियोजनाओं में सकारात्‍मक गति की सराहना की क्‍योंकि चीनी कंपनियों ने 'मेक इन इंडिया' के लिए आमंत्रण पर प्रतिक्रिया दी है और भारतीय कंपनियों ने चीन में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है।

18    दोनों नेताओं ने रेलवे के क्षेत्र में उठाये गए कदमों और इस क्षेत्र में  हासिल प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया। इस क्षेत्र में किए गए सहयोग में वर्तमान चेन्‍नई-बंगलुरू-मैसूर लाइन पर स्‍पीड बढ़ाने, दिल्‍ली-नागपुर सेक्‍शन पर हाईस्‍पीड रेल संपर्क के लिए प्रस्‍तावित संभावना का अध्‍ययन, भुवनेश्‍वर बईयप्‍पनहली स्‍टेशन दोबारा विकसित करने की योजना, परिवहन प्रशिक्षण और रेलवे विश्‍ववि़द्यालय स्‍थापित करने की परियोजना शामिल हैं। दोनों नेताओं ने इस प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र में साझेदारी के लिए आगे कदम उठाने की कार्य योजना का स्‍वागत किया।

19    दोनों नेताओं ने भारत के नीति आयोग और चीन के डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के बीच बातचीत शुरू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया।

20  दोनों पक्षों ने दोनों देशों के वित्तीय नियामकों और उद्यमों के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की ताकि नज़दीकी विकासात्मक साझेदारी विकसित हो सके।

संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क

21  प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ली ने 15 मई, 2015 को बीजिंग में योग-ताईशी देखा। दोनों पक्ष 21 जून, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हो गये। दोनों नेताओं ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और यूनान नेशनल यूनिवर्सिटी के बीच सहयोग का स्वागत किया।

22  दोनों नेताओं ने महसूस किया कि दोनों देशों के शिक्षण संस्थानों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाकर दोनों पक्ष सामाजिक-आर्थिक विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने विस्तारित, शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर हस्‍ताक्षर करने का स्‍वागत किया।

23  दोनों पक्षों ने भारत-चीन सांस्कृतिक आदान-प्रदान पहल में हासिल प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्ष इस वर्ष की दूसरी छमाही से 200-200 युवाओं का वार्षिक आदान-प्रदान करेंगे।

24  कर्नाटक और सीचुआन के बीच प्रांतीय साझेदारी और औरंगाबाद-दूनहुआंग, चेन्नई-चोंगकिंग तथा हैदराबाद-शिंगदाओ के बीच नजदीकी संबंध स्थापित करने संबंधी समझौतों का स्वागत किया गया।

25  नज़दीकी बातचीत और आपसी समझ बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों ने ''भारत-चीन विचारक मंच'' स्थापित करने का फैसला किया, जिसकी हर वर्ष भारत और चीन में बारी-बारी से बैठक होगी। दोनों नेताओं ने 'उच्च स्तरीय मीडिया मंच' बनाने पर सहमति व्यक्त की और भारत के विदेश मंत्रालय तथा चीन के सूचना कार्यालय को वार्षिक आधार पर बारी-बारी से भारत और चीन में इसकी बैठक बुलाने की जिम्मेदारी सौंपी। दोनों नेताओं ने फूदान यूनिवर्सिटी, शंघाई में गांधीवादी और भारतीय अध्ययन केन्द्र की स्थापना का स्वागत किया।

सहयोग के नए क्षेत्र

26  दोनों नेताओं ने भारत-चीन के बीच नज़दीकी विकासात्मक साझेदारी के नए क्षेत्रों में विस्तार के साथ सहयोग को लगातार बढ़ाने का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग शुरू करने और विस्तार का स्वागत किया और सम्बद्ध एजेंसियों को यह काम सौंपा कि वह उद्देश्यपूर्ण तरीके से परियोजनाओं को लागू करें :

  1. गुजरात में गांधी नगर/अहमदाबाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता संस्थान की स्थापना के लिए कार्य योजना पर हस्ताक्षर सहित व्यावसायिक परीक्षण कौशल विकास में सहयोग बढ़ाना;
  2. संयुक्त निरूपण परियोजनाओं के लिए पथ प्रदर्शक स्मार्ट शहरों के रूप में भारत में गिफ्ट सिटी और चीन में शेनचेन की पहचान के साथ स्मार्ट शहरों के विकास में सहयोग शुरू करना;

          iii.       बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग;

  1. सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परंपरागत दवाओं के क्षेत्र में;
  2. दोनों पक्षों ने भारत और चीन के अंतरिक्ष प्राधिकरणों के बीच अंतरिक्ष सहयोग तंत्र की स्थापना तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और चायना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के बीच 2015-2020 अंतरिक्ष सहयोग पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उपग्रह दूरसंवेदी सेंसिंग, अंतरिक्ष आधारित मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, चन्द्र संबंधी और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण, उपग्रह नौवहन, अंतरिक्ष घटकों, महत्वपूर्ण प्रक्षेपण सेवाओं और शिक्षा तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाए।
  3. हाल में चीन के न्याय मंत्री की भारत यात्रा को ध्यान में रखते हुए दोनों देश कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को मज़बूत बनाने पर सहमत हो गए। इनमें जेल में बंद दोनों पक्षों के नागरिकों के कल्याण के लिए उपाय शामिल हैं। दोनों पक्षों ने अपराधियों के स्थानांतरण के लिए एक समझौते पर विचार-विमर्श शुरू करने का स्वागत किया।

सीमा-पार से सहयोग

27  भारतीय पक्ष ने बाढ़ के मौसम में जलविज्ञान आंकड़े प्रदान करने और आपात प्रबंधन में सहायता के लिए चीन की सराहना की। दोनों पक्ष जल विज्ञान आंकड़े और आपात प्रबंधन के प्रावधान के बारे में विशेषज्ञ स्तर के तंत्र के जरिए सहयोग और मज़बूत बनाएंगे तथा आपसी हित के अन्य मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। 

28  दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सीमा व्यापार, दोनों देशों के लोगों द्वारा तीर्थयात्रा और अन्य आदान-प्रदान से आपसी विश्वास को बढ़ाया जा सकता है और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि सीमा को सहयोग और आदान-प्रदान के सेतू में बदला जा सके। दोनों पक्ष व्यापार वाली वस्तुओं की सूची बढ़ाने तथा नाथूला, शियांगला/लिपू-लेख दर्रे और शिपकी ला पर सीमा व्यापार बढाने के बारे में समझौता वार्ता करने पर सहमत हो गए।

29  भारतीय पक्ष ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय और चीन गणराज्य के तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र की स्थानीय सरकार द्वारा सहयोग और सहायता करने की सराहना की। दोनों देशों के बीच धार्मिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारतीय तीर्थ यात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए चीनी पक्ष 2015 में नाथूला दर्रे के रास्ते यात्रा का मार्ग शुरू करेगा।

क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा की स्थापना

30  उभरती हुई विश्व व्यवस्था में दो प्रमुख शक्तियों के रूप में भारत और चीन के बीच वचनबद्धता द्विपक्षीय आयामों को आगे ले जा सकती है और इसका क्षेत्रीय, बहुउद्देश्यीय और वैश्विक मुद्दों से महत्वपूर्ण संबंध है। दोनों पक्ष न केवल अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और विकास को प्रभावित करने वाली घटनाओं के बारे में विचार-विमर्श बढ़ाने पर सहमत हुए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा और परिणामों को स्थापित करने के लिए मिलकर कार्य करने पर सहमत हो गए। उन्होंने आरआईसी, ब्रिक्स और जी-20 सहित बहुउद्देश्यीय मंचों में समन्वय और सहयोग को और मजबूत बनाने, विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने तथा एक बेहतर विश्व के निर्माण पर सहमति व्यक्त की। भारत 2016 में जी-20 शिखर बैठक की मेजबानी में चीन को सहयोग देगा।

31  दोनों नेताओं ने डब्ल्यूटीओ संबंधी मुद्दों पर एक द्विपक्षीय सलाहकार तंत्र शुरू करने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे वैश्विक व्यापार बातचीत के संदर्भ में सहयोग बढ़ाने के लिए एक सकारात्मक कदम बताया।

  1. दोनों पक्षों ने सभी रूपों में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की और इसका विरोध किया तथा आतंकवाद से निपटने में सहयोग करने की वचनबद्धता को दोहराया। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और सभी देशों के आग्रह किया कि वे आतंकवादी नेटवर्क और उन्हें वित्तीय मदद देने वालों को समाप्त करने के लिए गंभीरता से कार्य करें और संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रासांगिक सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुसार सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों को रोकें। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते के बारे में बातचीत को जल्द समाप्त करने का आह्वान किया।
  2. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के मामलों और शासन के ढांचे में विकासशील देशों की बढ़ी हुई भागीदारी को मान्यता देने सहित संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सुधार का समर्थन किया। एक विशाल विकासशील देश के रुप में अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत की स्थिति  के लिए चीन अत्यधिक महत्व रखता है और सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में वृहद भूमिका निभाने की भारत की आकांक्षा का समर्थन करता है।
  3. दोनों पक्ष शंघाई सहयोग संगठन के दायरे के अंतर्गत सहयोग जारी रखने के लिए तैयार हैं। चीन ने शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया।
  4. दोनों पक्ष क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एशियाई बुनियादी ढांचा विकास बैंक की स्थापना की तैयारी बढ़ाने के लिए संबद्ध पक्षों के साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए।
  5. दोनों पक्षों ने बीसीआईएम (बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार) आर्थिक गलियारे की रूपरेखा के अंतर्गत सहयोग के बढ़ाने के क्षेत्र में हुई प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने बीसीआईएम आर्थिक गलियारे के संयुक्त अध्ययन समूह की दूसरी बैठक को याद किया और इस बात पर सहमति व्यक्त की बैठक में हुई सहमति को लागू करने के प्रयासों को जारी रखा जाए।
  6. दोनों पक्ष सार्क में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो गए।

38   दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने में एपेक की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों पक्षों ने बीजिंग एपेक बैठक की सफलता का स्वागत किया। चीन ने स्वीकार किया कि वैश्विक आर्थिक विकास को प्रबल करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, एपेक के खुलेपन का समर्थन किया और एपेक के साथ अपने संपर्क को मजबूत बनाने की भारत की इच्छा का स्वागत किया।

39  दोनों पक्षों ने 17 अप्रैल, 2015 को बीजिंग में हथियार नियंत्रण और अप्रसार के बारे में भारत-चीन वार्ता का स्वागत किया। दोनों देशों ने वैश्विक हथियार नियंत्रण और अप्रसार के प्रति उनके दृष्टिकोण में समानता की चर्चा करते हुए इस विषय में द्विपक्षीय और बहुउद्देश्यीय मंचों पर सहयोग जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। चीनी पक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अप्रसार के प्रयासों को मजबूत करने के लिए एनएसजी का सदस्य बनने की भारत की आकांक्षाओं पर गौर किया।

40  दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आज की दुनिया और आने वाली पीढ़ियों के खातिर जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने इस वर्ष के अंत में पेरिस में होने वाले सीओपी 21 से यूएनएफसीसीसी में महत्वकांक्षी, व्यापक, सार्वभौमिक, संतुलित और समान जलवायु समझौते की समाप्ति के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर बल दिया। इससे इस साझा वैश्विक चुनौती से निपटने में उचित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुकूलन और किफायत तथा वित्तीय सहयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। दोनों पक्षों ने यात्रा के दौरान भारत और चीन की सरकार के बीच जलवायु परिवर्तन के बारे में संयुक्त वक्तव्य जारी किया।

41  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री ली क्यांग को भारत यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री ली ने उनके निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

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List of Outcomes: Visit of Prime Minister to Kuwait (December 21-22, 2024)
December 22, 2024
Sr. No.MoU/AgreementObjective

1

MoU between India and Kuwait on Cooperation in the field of Defence.

This MoU will institutionalize bilateral cooperation in the area of defence. Key areas of cooperation include training, exchange of personnel and experts, joint exercises, cooperation in defence industry, supply of defence equipment, and collaboration in research and development, among others.

2.

Cultural Exchange Programme (CEP) between India and Kuwait for the years 2025-2029.

The CEP will facilitate greater cultural exchanges in art, music, dance, literature and theatre, cooperation in preservation of cultural heritage, research and development in the area of culture and organizing of festivals.

3.

Executive Programme (EP) for Cooperation in the Field of Sports
(2025-2028)

The Executive Programme will strengthen bilateral cooperation in the field of sports between India and Kuwait by promoting exchange of visits of sports leaders for experience sharing, participation in programs and projects in the field of sports, exchange of expertise in sports medicine, sports management, sports media, sports science, among others.

4.

Kuwait’s membership of International Solar Alliance (ISA).

 

The International Solar Alliance collectively covers the deployment of solar energy and addresses key common challenges to the scaling up of use of solar energy to help member countries develop low-carbon growth trajectories.