1. आज जर्मनी के संघीय गणराज्य एवं भारत गणराज्य की सरकारों ने संघीय चांसलर श्री ओलाफ स्कोल्ज और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सह-अध्यक्षता में, अंतर-सरकारी परामर्श के छठे दौर का आयोजन किया। दोनों नेताओं के अलावा, दोनों प्रतिनिधिमंडलों में अनुबंध में उल्लिखित मंत्रालयों के मंत्री और अन्य उच्च स्तर के प्रतिनिधि शामिल थे।

2. आज जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, जर्मनी और भारत के बीच संबंध दृढ़ता के साथ परस्पर विश्वास, दोनों देशों के लोगों की सेवा से जुड़े आपसी हितों एवं लोकतंत्र के साझा मूल्यों, कानून के शासन एवं मानवाधिकारों और वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ बहुपक्षीय प्रतिक्रियाओं में निहित हैं।

3. दोनों सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र के साथ एक प्रभावी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व और सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान सहित, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित अंतरराष्ट्रीय कानून के मूलभूत सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करने व उसमें सुधार करने, विश्व स्तर पर शांति एवं स्थिरता की रक्षा करने, अंतरराष्ट्रीय कानून को मजबूत करने और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान तथा विभिन्न देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए अपनी सरकारों के दृढ़ संकल्प की पुष्टि की।

4. दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को उबारने की ऐसी प्रक्रिया के प्रति अपनी वचनबद्धता को रेखांकित किया जो इस धरती की सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री के ऊपर सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने एवं नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में एक उपयुक्त बदलाव को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अर्थव्यवस्था को उबारने की प्रक्रिया को पेरिस समझौते के तहत दोनों देशों द्वारा सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप सभी के लिए एक अपेक्षाकृत अधिक लचीला, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ, जलवायु के अनुकूल और समावेशी भविष्य का निर्माण करना चाहिए।

साझे मूल्यों और क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय हितों की साझेदारी

5. संयुक्त राष्ट्र को केन्द्र में रखकर एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान के महत्व के बारे में पूरी तरह आश्वस्त, जर्मनी और भारत ने एक कारगर और संशोधित बहुपक्षवाद के महत्व को रेखांकित किया। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, गरीबी, वैश्विक खाद्य सुरक्षा, भ्रामक सूचना, अंतरराष्ट्रीय संघर्ष एवं संकट और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसे लोकतंत्र के लिए खतरे जैसी वैश्विक चुनौतियों के आलोक में बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार के अपने आह्वान को दोहराया। “चार देशों के समूह” के पुराने सदस्य के रूप में, दोनों सरकारें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बहुप्रतीक्षित सुधार के लिए अपने प्रयासों को तेज करने के प्रति समर्पित हैं ताकि इसे इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त और समकालीन वास्तविकताओं के अनुरूप बनाया जा सके। दोनों सरकारों ने इसके लिए प्रासंगिक चुनावों में एक दूसरे का समर्थन करने के लिए जरूरत को रेखांकित किया। जर्मनी ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के शीघ्र प्रवेश के लिए अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया।

 

6. दोनों पक्षों ने आसियान की केंद्रीयता को पहचानते हुए एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर बल दिया। दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए जर्मन संघीय सरकार के नीतिगत दिशानिर्देशों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की रणनीति और भारत द्वारा प्रतिपादित इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव को स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित सभी समुद्री क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) 1982 के अनुसार निर्बाध वाणिज्य और आवागमन की आजादी के महत्व को रेखांकित किया। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जर्मनी की बढ़ती संलग्नता में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में, दोनों पक्षों ने जनवरी 2022 में जर्मन नौसेना के जहाज ‘बायर्न’ द्वारा मुंबई बंदरगाह पहुंचने का स्वागत किया। जर्मनी भी एक दोस्ताना यात्रा के क्रम में भारतीय नौसेना के एक जहाज का अगले साल जर्मन बंदरगाह पर स्वागत करने के लिए सहमत हुआ।

7. भारत और जर्मनी विशेष रूप से मई 2021 में पोर्टो में भारत तथा यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के बाद से भारत एवं यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने का स्वागत करते हैं। दोनों देश इस सहयोग को और अधिक मजबूत करने पर सहमत हुए। दोनों देश भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी के कार्यान्वयन के लिए तत्पर हैं। दोनों पक्षों ने भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के शुभारंभ पर संतोष व्यक्त किया। यह परिषद व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देगा।

8. दोनों पक्षों ने बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) जैसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ-साथ जी20 जैसे बहुपक्षीय मंचों के साथ सहयोग पर जोर दिया। इस संबंध में, भारत और जर्मनी विशेष रूप से 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान घनिष्ठ सहयोग के लिए तत्पर हैं। जर्मनी ने भारत की जी20 संबंधी प्राथमिकताओं की प्रस्तुति का स्वागत किया और साझी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए मजबूत जी20 कार्रवाई पर मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

9. दोनों पक्षों ने वर्तमान में जर्मनी द्वारा जी7 की अध्यक्षता के दौरान ऊर्जा संबंधी उपयुक्त बदलाव सहित विभिन्न मामलों में जी7 और भारत के बीच घनिष्ठ सहयोग को रेखांकित किया। दोनों देशों ने जलवायु के अनुरूप ऊर्जा नीतियों, नवीकरणीय ऊर्जा की तेजी से तैनाती और स्थायी ऊर्जा तक पहुंच से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर गौर करने के लिए संयुक्त रूप से काम करने के उद्देश्य से जर्मनी द्वारा जी7 की अध्यक्षता के तहत और अन्य सरकारों के साथ एक संवाद स्थापित करने पर सहमत हुए। इसमें विशेष रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने संबंधी अनुकूलन को भी शामिल किया जा सकता है।

10. जर्मनी ने यूक्रेन पर रूसी सेनाओं के गैर-कानूनी और अकारण आक्रमण की अपनी कड़ी निंदा को दोहराया।

जर्मनी और भारत ने यूक्रेन में जारी मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की। दोनों देशों ने यूक्रेन में नागरिकों की मौत की स्पष्ट शब्दों में निंदा की। दोनों देशों ने शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की जरूरत को दोहराया। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान एवं राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है। दोनों देशों ने यूक्रेन में संघर्ष के विनाशकारी नतीजों और इसके व्यापक क्षेत्रीय एवं वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर घनिष्ठ रूप से जुड़े रहने पर सहमत हुए।

11. अफगानिस्तान के मामले में, दोनों पक्षों ने मानवीय स्थिति, लक्षित आतंकवादी हमलों सहित हिंसा के दोबारा उभार, मानवाधिकारों एवं मौलिक स्वतंत्रता के नियमित उल्लंघन और लड़कियों एवं महिलाओं की शिक्षा में आ रही बाधाओं के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। दोनों देशों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के प्रति अपने मजबूत समर्थन को दोहराया और अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखने की पुष्टि की।

12. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) के महत्व की फिर से पुष्टि की, जो अन्य बातों के साथ-साथ स्पष्ट रूप से यह मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय प्रदान करने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। वे अफगानिस्तान की स्थिति पर आपस में परामर्श जारी रखने पर भी सहमत हुए।

 

 

13. दोनों नेताओं ने परोक्ष रूप से चलाए जाने वाले आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद सहित सभी किस्म के आतंकवाद की कड़ी निंदा की। उन्होंने सभी देशों से आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों एवं उनके बुनियादी ढांचे को खत्म करने, आतंकवादियों के नेटवर्क एवं वित्तपोषण पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून सहित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार रोक लगाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने आतंकवादी समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधों एवं हिदायतों, कट्टरपंथ का मुकाबला करने, और आतंकवादियों के इंटरनेट के उपयोग व आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही के बारे में सूचनाओं के निरंतर आदान-प्रदान के लिए भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

14. दोनों नेताओं ने एफएटीएफ सहित सभी देशों द्वारा धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) विरोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया, जो वैश्विक सहयोग के ढांचे को आगे बढ़ाएगा व मजबूत करेगा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सुदृढ़ करेगा।

15. दोनों सरकारों ने संयुक्त व्यापक कार्य योजना से जुड़ी वार्ता के पूरा होने, उसकी बहाली और पूर्ण कार्यान्वयन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। जर्मनी और भारत ने इस संदर्भ में आईएईए की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना भी की।

16. सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की दृष्टि से, दोनों पक्ष वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान से जुड़े एक समझौते पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का संयुक्त रूप से समाधान करने के लिए रणनीतिक साझेदार के रूप में द्विपक्षीय सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने की जरूरत को स्वीकार किया। दोनों पक्ष सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों से संबंधित द्विपक्षीय आदान-प्रदान को तेज करने पर सहमत हुए। इसके अलावा, दोनों पक्ष सक्रिय रूप से यूरोपीय संघ के तहत और अन्य भागीदारों के साथ अनुसंधान, सह-विकास और सह-उत्पादन की गतिविधियों को द्विपक्षीय आधार पर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में, दोनों पक्ष नियमित रूप से द्विपक्षीय साइबर परामर्श जारी रखने और रक्षा प्रौद्योगिकी उप-समूह (डीटीएसजी) की बैठक को फिर से आयोजित करने पर सहमत हुए। दोनों सरकारों ने दोनों देशों के बीच रक्षा सामानों सहित उच्च-तकनीक के व्यापार को बढ़ाने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

हरित और सतत विकास के लिए साझेदारी

17. दोनों सरकारों ने इस धरती की सुरक्षा और किसी को भी पीछे छोड़े बिना साझा, सतत एवं समावेशी विकास के प्रति अपनी संयुक्त जिम्मेदारी को स्वीकार किया। दोनों नेताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सतत विकास और जलवायु कार्रवाई के संबंध में भारत-जर्मन सहयोग वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से ऊपर 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ऊपर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों सहित पेरिस समझौते और एसडीजी के तहत भारत व जर्मनी की प्रतिबद्धताओं द्वारा निर्देशित है। दोनों देश इन प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए तत्पर हैं और इस संबंध में, हरित और सतत विकास के लिए भारत-जर्मन साझेदारी की स्थापना के इरादे की संयुक्त घोषणा का स्वागत किया। इस साझेदारी का उद्देश्य द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग को तेज करने और इसे पेरिस समझौते तथा एसडीजी के कार्यान्वयन पर दोनों पक्षों की मजबूत प्रतिबद्धता से जोड़ना होगा। यह देखते हुए कि एसडीजी की प्राप्ति और भारत और जर्मनी द्वारा ग्लासगो में कॉप26 के दौरान घोषित जलवायु से संबंधित कुछ लक्ष्यों की समय-सीमा 2030 में समाप्त हो रही है, दोनों देश एक-दूसरे से सीखने और अपने संबंधित उद्देश्यों की पूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे। जर्मनी इस साझेदारी के तहत 2030 तक कम से कम 10 बिलियन यूरो की नई और अतिरिक्त प्रतिबद्धताओं के दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ भारत को अपने वित्तीय और तकनीकी सहयोग व अन्य सहायता को सुदृढ़ करने का इरादा रखता है। यह अन्य बातों के साथ-साथ जलवायु कार्रवाई और सतत विकास के क्षेत्र में दोनों देशों के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की पूर्ति में सहायता प्रदान करेगा, जर्मन-भारतीय अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को और बढ़ावा देगा, निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगा और इस प्रकार आगे के वित्त पोषण को सुगम बनाने का लक्ष्य रखेगा। भारत और जर्मनी ने मौजूदा और भविष्य की प्रतिबद्धताओं के तेजी से कार्यान्वयन के महत्व पर बल दिया।

18. दोनों पक्ष अंतर सरकारी परामर्श (आईजीसी) के ढांचे के भीतर एक द्विवार्षिक मंत्रिस्तरीय तंत्र बनाने पर सहमत हुए जो इस साझेदारी को उच्चस्तरीय राजनीतिक दिशा प्रदान करेगा। जलवायु कार्रवाई, सतत विकास, ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव, विकास संबंधी सहयोग और त्रिपक्षीय सहयोग के क्षेत्र में सभी मौजूदा द्विपक्षीय प्रारूपों व पहल से साझेदारी में योगदान होगा और मंत्रालय स्तरीय तंत्र की प्रगति के बारे में जानकारी मिलेगी।

19. दोनों पक्ष ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव, नवीकरणीय ऊर्जा, सतत शहरी विकास, हरित गतिशीलता, चक्रीय अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने संबंधी कार्रवाई, जलवायु संबंधी लचीलापन एवं अनुकूलन, कृषि-इकोलॉजिकल परिवर्तन, जैव विविधता के संरक्षण एवं सतत उपयोग, पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मानकों को चिन्हित करने की दिशा में काम करेंगे और नियमित आधार पर साझेदारी के उद्देश्यों से संबंधित प्रगति का जायजा लेंगे।

20. हरित और सतत विकास के लिए भारत-जर्मन साझेदारी के प्रदेय के रूप में, दोनों पक्ष निम्नलिखित बातों पर सहमत हुए:

i. इंडो-जर्मन एनर्जी फोरम (आईजीईएफ) द्वारा समर्थित इंडो-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स के इनपुट के आधार पर एक इंडो-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप विकसित करना।

ii. एक न्यायसंगत ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव को सुगम बनाने के लिए बिजली ग्रिड, भंडारण और बाजार के उद्देश्यों एवं उससे संबंधित चुनौतियों सहित नवीन सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक इंडो-जर्मन अक्षय ऊर्जा साझेदारी स्थापित करना। यह साझेदारी सौर प्रौद्योगिकियों के लिए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण में भी सहयोग करेगी। जर्मनी ने उच्च गुणवत्ता वाली परियोजना की तैयारी और धन की उपलब्धता के आधार पर 2020 से लेकर 2025 के दौरान एक बिलियन यूरो तक के रियायती ऋण सहित वित्तीय और तकनीकी सहयोग प्रदान करने का इरादा व्यक्त किया।

iii. आय, खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन, बेहतर मिट्टी, जैव विविधता, वनों को पुनर्जीवित करने और पानी की उपलब्धता के मामले में भारत में ग्रामीण आबादी और छोटे स्तर के किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से “कृषि इकोलॉजी और प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन” विषय पर एक दूरगामी सहयोग स्थापित करना और वैश्विक स्तर पर भारतीय अनुभव को बढ़ावा देना। जर्मनी ने उच्च गुणवत्ता वाली परियोजना की तैयारी और धन की उपलब्धता के आधार पर 2025 तक 300 मिलियन यूरो तक के रियायती ऋण सहित वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करने का इरादा व्यक्त किया।

iv. लेह-हरियाणा ट्रांसमिशन लाइन जैसे हरित ऊर्जा गलियारों और कार्बन न्यूट्रल लद्दाख की परियोजना के मामले में और आगे सहयोग की संभावनाओं का पता लगाना।

v. गरीबी उन्मूलन, जैव विविधता को संरक्षित एवं बहाल करने और जलवायु परिवर्तन को रोकने एवं कम करने के एक महत्वपूर्ण उपाय के तौर पर बॉन चैलेंज के तहत वन परिदृश्य को पुनर्जीवित करने में सहयोग को मजबूत करना और गहरी राजनीतिक साझेदारी एवं संवाद तथा स्वस्थ इकोसिस्टम के क्षेत्र को बढ़ाने और उनके नुकसान, विखंडन एवं गिरावट को समाप्त करने के लिए त्वरित कार्रवाई की एक रूपरेखा के रूप में इकोसिस्टम के पुनर्जीवन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) को भी स्वीकार करना।

vi. वायु प्रदूषण को कम करने के मामले में हरित प्रौद्योगिकियों के सफल एवं सतत उपयोग के लिए उपयुक्त परिस्थितियों के निर्माण में सहयोग को मजबूत करना।

vii. विकास संबंधी सहयोग के लिए व्यक्तिगत सामर्थ्य और अनुभवों के आधार पर त्रिपक्षीय सहयोग के लिए मिलकर काम करना और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तथा जलवायु संबंधी लक्ष्यों की पूर्ति में सहयोग करने के लिए तीसरे देशों में टिकाऊ, व्यावहारिक और समावेशी परियोजनाओं की पेशकश करना।

21. इसके अलावा और हरित एवं सतत विकास के लिए भारत-जर्मन साझेदारी के संदर्भ में, दोनों पक्षों ने मौजूदा पहल की प्रगति का स्वागत किया जिनमें शामिल हैं:

i. इंडो-जर्मन एनर्जी फोरम की शुरुआत 2006 में हुई थी और इस साझेदारी के तहत प्रमुख सहयोग कार्यक्रम शुरू किए गए थे। दोनों देश इसके सामरिक आयाम एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी को और बढ़ाने पर सहमत हुए।

ii. भारत-जर्मन पर्यावरण मंच (आईजीईएनवीएफ), जिसकी अंतिम बैठक फरवरी 2019 में दिल्ली में हुई थी, के तहत सहयोग। दोनों देशों ने अपने संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए प्रांतीय और नगरपालिका प्राधिकरणों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास करेंगे।

iii. जैव विविधता पर संयुक्त कार्य समूह की पिछली बैठक फरवरी 2021 में हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने सीबीडी कॉप15 में घोषित मजबूत लक्ष्यों के साथ 2020 के बाद के वैश्विक जैव विविधता संबंधी ढांचे को अपनाने के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित किया था और मूर्त सहयोग की स्थापना की दिशा में काम करने का इरादा व्यक्त किया था।

iv. अपशिष्ट और चक्रीय अर्थव्यवस्था से संबंधित संयुक्त कार्य समूह द्वारा विशेष रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग एवं अनुभवों के आदान-प्रदान को और तेज करने के लिए अच्छे अवसर निर्मित किए गए हैं। दोनों देश एसडीजी लक्ष्य 14.1 में निर्धारित समुद्री पर्यावरण में अपशिष्ट, विशेष रूप से प्लास्टिक, को रोकने और विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 8.2 (तकनीकी उन्नयन एवं नवाचार), 11.6 (नगरपालिका एवं अन्य अपशिष्ट प्रबंधन) और 12.5 (पुनर्चक्रण और कचरे में कमी) के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्यों व नीतियों के प्रभावी एवं कुशल कार्यान्वयन का समर्थन करके भारत-जर्मन पर्यावरण सहयोग को जारी रखने और उसे तेज करने पर सहमत हुए। भारत और जर्मनी प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित वैश्विक स्तर पर कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते की स्थापना के लिए यूएनईए में निकट सहयोग करने पर सहमत हुए।

v. ग्रीन अर्बन मोबिलिटी से संबंधित इंडो-जर्मन पार्टनरशिप का शुभारंभ 2019 में किया गया और तदनुसार मौलिक विकास सहयोग पोर्टफोलियो विकसित किया गया है। मेट्रो, लाइट मेट्रो, कम उत्सर्जन वाले ईंधन और इलेक्ट्रिक बस प्रणाली, गैर-मोटर चालित परिवहन जैसे परिवहन के स्थायी साधनों के एकीकरण का समर्थन करने के लिए त्वरित कार्रवाई और सहयोग की परिकल्पना की गई है, और 2031 तक साझेदारी के तहत संयुक्त कार्य के लिए ठोस लक्ष्यों पर काम करने को ध्यान में रखकर सभी के लिए भरोसेमंद आवागमन के लिए प्रारंभिक एकीकृत योजना की सुविधा प्रदान की गई है।

vi. देश के पहले एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड (2021-22) को विकसित करने में नीति आयोग और बीएमजेड के बीच सहयोग का उद्देश्य शहर के स्तर पर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के स्थानीयकरण को मजबूत करना व डेटा-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ राज्य और जिला स्तर पर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के आगे के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न योजनाओं को बढ़ावा देना है।

22. दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय स्मार्ट सिटी नेटवर्क के तहत शहरी विकास से संबंधित अपने सफल सहयोग को जारी रखने के इरादे को दोहराया। स्मार्ट सिटी के विषय में बहुपक्षीय अनुभव साझा करने और सीखने को बढ़ावा देने के लिए, दोनों पक्ष 2022 में एक पारस्परिक स्मार्ट सिटी ऑनलाइन-संगोष्ठी के आयोजन पर सहमत हुए।

23. दोनों पक्ष पेरिस समझौते और एजेंडा 2030 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए टिकाऊ एवं अनुकूल शहरों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, सतत शहरी विकास से संबंधित संयुक्त भारत-जर्मन कार्य समूह की बैठक को नियमित रूप से जारी रखने पर सहमत हुए।

24. दोनों पक्षों ने कृषि, खाद्य उद्योग एवं उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित संयुक्त कार्य समूह, जिसकी अंतिम बैठक मार्च 2021 में हुई थी, की रचनात्मक भूमिका की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने अब तक प्राप्त परिणामों के बारे में संतोष व्यक्त किया और टिकाऊ कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा, कृषिगत प्रशिक्षण एवं कौशल, कटाई के बाद के प्रबंधन व कृषि से जुड़ी लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में मौजूदा समझौता ज्ञापनों के आधार पर निरंतर सहयोग की इच्छा व्यक्त की।

25. दोनों सरकारों ने टिकाऊ कृषि उत्पादन के लिए एक बुनियादी आधार के रूप में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों तक किसानों की पहुंच को बढ़ावा देने में योगदान देने के लिए भारतीय बीज क्षेत्र में सफल प्रमुख परियोजना के अंतिम चरण की सराहना की। दोनों देशों ने अगस्त 2021 में शुरू की गई द्वितीय द्विपक्षीय सहयोग परियोजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य भारत के कृषि बाजार के विकास को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए चल रहे सुधार के प्रयासों का समर्थन करना है।

26. दोनों पक्षों ने मौजूदा सहयोग समझौतों के आधार पर खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग की गतिविधियों को विकसित करने की इच्छा व्यक्त की।

27. दोनों पक्षों ने जर्मन कृषि व्यवसाय गठबंधन (जीएए) और भारतीय कृषि कौशल परिषद (एएससीआई) के बीच हस्ताक्षर किए गए “कृषि में भारत-जर्मन उत्कृष्टता केंद्र” की स्थापना से संबंधित समझौता ज्ञापन को स्वीकार किया, जिसका उद्देश्य किसानों और श्रमिकों के बीच के अंतर को पाटते हुए और उनके कौशल का उन्नयन करते हुए भारत में कृषि के क्षेत्र में व्यावहारिक कौशल विकास को बढ़ावा देना है।

28. दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि खाद्य एवं कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और ज्ञान का हस्तांतरण अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ खाद्य प्रणालियों की कुंजी है और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में "बुंडेसिंस्टिट्यूट फर रिसिकोबेवर्टुंग" (बीएफआर) और एफएसएसएआई के बीच अनुसंधान परियोजनाओं के बारे में लक्षित सहयोग पर विचार किया जा सकता है।

29. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए): दोनों पक्ष सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारतीय और जर्मन के बीच रणनीतिक प्राथमिकताओं एवं संबद्ध वैश्विक सहयोग के प्रयासों पर तालमेल करके पारस्परिक सहयोग एवं समर्थन को और अधिक मजबूत करने पर सहमत हुए।

30. इंसुरेजिलिएंस ग्लोबल पार्टनरशिप एंड कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर: दोनों पक्ष जलवायु एवं आपदा संबंधी खतरों के खिलाफ जोखिम से जुड़े वित्त एवं बीमा समाधानों के साथ-साथ आपदा संबंधी जोखिम के प्रबंधन की वैश्विक पहल के माध्यम से क्षमता निर्माण में सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। जर्मनी ने इंसुरेजिलिएंस ग्लोबल पार्टनरशिप का सदस्‍य बनने की भारत की घोषणा का स्‍वागत किया।

31. दोनों पक्षों ने निजी क्षेत्र को संगठित करने के लिए विशेष रूप से डेवलोपीपीपी और संरचित वित्त पोषण प्रणाली के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और जलवायु संबंधी लक्ष्यों में नवाचार एवं निवेश के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के संदर्भ में भारतीय और जर्मन निजी क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

32. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन की तैयारियों की सराहना की और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 एवं अन्य जल संबंधी लक्ष्यों व सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के लक्ष्यों के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित किया।

व्यापार, निवेश और डिजिटल रूपांतरण के लिए साझेदारी

33. जर्मनी और भारत ने नियम-आधारित, खुले, समावेशी, मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के निरंतर अनुपालन तथा उसके महत्व को रेखांकित करते हुए बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के केंद्र के रूप में और विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार प्रणाली के तौर पर एकीकृत करने के केंद्रीय स्तंभ के रूप में विश्व व्यापार संगठन के महत्व पर प्रकाश डाला। दोनों सरकारें विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों एवं कार्यों, विशेष रूप से अपीलीय निकाय की स्वायत्तता के साथ-साथ दो स्तरीय अपीलीय निकाय को संरक्षित करने, को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से इसमें सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

34. जर्मनी और भारत व्यापार एवं निवेश के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदार हैं। दोनों पक्षों ने एक मुक्त व्यापार समझौते, एक निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतों संबंधी एक समझौते पर यूरोपीय संघ और भारत के बीच आगामी वार्ता के प्रति अपना मजबूत समर्थन व्यक्त किया तथा द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश के विस्तार के लिए ऐसे समझौतों की व्यापक क्षमता को रेखांकित किया।

35. जर्मनी और भारत ने व्यापार एवं मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों और बहुराष्ट्रीय उद्यमों के लिए ओईसीडी दिशानिर्देशों को एक स्थायी एवं समावेशी आर्थिक सुधार के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में लागू करने के महत्व पर बल दिया। दोनों सरकारों का लक्ष्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला, विविधतापूर्ण, जिम्मेदार और टिकाऊ बनाना है। दोनों सरकारों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण, श्रम तथा सामाजिक मानकों को बनाए रखते हुए आर्थिक लाभ प्रदान करना जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत को रेखांकित किया।

36. दशकों में वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी नौकरियों और सामाजिक संकटों में से एक की पृष्ठभूमि में, दोनों पक्षों ने स्थायी श्रम बाजारों का निर्माण करने और एक लचीला, समावेशी, लैंगिक समानता एवं संसाधन की दृष्टि से कुशल रिकवरी की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से मिलकर काम करने के महत्व को स्वीकार किया। इसका लक्ष्य एक स्थायी भविष्य के निर्माण में योगदान देते हुए रोजगार एवं गरिमापूर्ण कार्य को बढ़ावा देना, कामकाजी उम्र के सभी लोगों को आने वाले कल के कार्यों को करने में सक्षम बनाने वाली कौशल संबंधी नीतियों और गरीबी से लड़ सकने तथा असमानताओं को कम करने वाली उत्तरदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की शुरुआत करना है।

37. जर्मनी ने 2017 में भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के करार 138 और 182 की पुष्टि का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 8.7 के अनुरूप बाल एवं जबरिया श्रम के खिलाफ लड़ने के महत्व को रेखांकित किया और इन क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करने का इरादा व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने प्लेटफॉर्म इकोनॉमी जैसे कार्य के नए स्वरूपों में गरिमापूर्ण कार्य तथा पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय नीतियों के संबंध में विचारों का और आगे आदान-प्रदान का स्वागत किया।

38. दोनों पक्षों ने तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के एक प्रमुख प्रेरक के रूप में डिजिटल रूपांतरण के महत्व को स्वीकार किया। इंडो-जर्मन डिजिटल डायलॉग इंटरनेट गवर्नेंस, उभरती प्रौद्योगिकियों और डिजिटल बिजनेस मॉडल जैसे डिजिटल विषयों पर सुविधाजनक सहयोग का एक महत्वपूर्ण साधन है। साथ ही, दोनों पक्षों ने उद्योग आधारित भारत-जर्मन डिजिटल विशेषज्ञ समूह जैसी अन्य मौजूदा पहल के साथ तालमेल से लाभ उठाने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

39. कराधान के क्षेत्र में, दोनों पक्षों ने 8 अक्टूबर 2021 को ओईसीडी समावेशी फ्रेमवर्क ऑन बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) में दो-स्तंभ-समाधान के संबंध में हुए समझौते का स्वागत किया। दोनों सरकारों ने अपनी साझा राय व्यक्त की कि यह समाधान सरल होना चाहिए, प्रक्रिया समावेशी होगी और सभी व्यवसायों के लिए एक निष्पक्ष व्यवस्था की स्थापना करके अंतरराष्ट्रीय कर प्रणालियों के स्थिरीकरण में योगदान देगी जोकि जमीनी स्तर पर नुकसान पहुंचाने वाली होड़ पर रोक लगाएगी, आक्रामक कर योजना को समाप्त करेगी और इस बात की गारंटी देगी कि बहुराष्ट्रीय उद्यम अंततः करों के अपने उचित हिस्से का भुगतान करेंगे। जर्मनी और भारत ने दोनों स्तंभों के त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की। भारत और जर्मनी ने दोहरे कर परिहार समझौते में संशोधन करने वाले प्रोटोकॉल को शीघ्रता से पूरा करने के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की।

40. द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश के क्षेत्र में, दोनों पक्षों ने इंडो-जर्मन फास्ट ट्रैक मैकेनिज्म, जो वर्तमान और भविष्य के निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ साबित हुआ है, के सफल प्रारूप को जारी रखने के लिए अपनी तत्परता को रेखांकित किया। फास्ट ट्रैक मैकेनिज्म की अर्ध-वार्षिक बैठकों के अलावा, दोनों पक्ष व्यापार करने में आसानी के संबंध में दोनों पक्षों की कंपनियों और निवेशकों के क्षेत्र विशेष से संबंधित सामान्य समस्याओं पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से एक-दूसरे के साथ जुड़ेंगे।

41. दोनों पक्षों ने कॉरपोरेट प्रबंधकों (“प्रबंधक कार्यक्रम") के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू करके द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना जारी रखने के प्रति अपनी तत्परता की पुष्टि की। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने एक संयुक्त आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया जिसके द्वारा उन्होंने उद्योग के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू करने में लगातार मिलकर काम करने की व्यवस्था की। दोनों पक्षों ने संतोष के साथ इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस सहयोग ने द्विपक्षीय वाणिज्य एवं व्यापार के विकास, व्यावसायिक अधिकारियों के बीच व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक संपर्कों को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच आपसी समझ को गहरा करने की दिशा में ठोस परिणाम प्राप्त करने में योगदान दिया है।

42. भारत ने रेलवे के क्षेत्र में जर्मन कंपनियों की तकनीकी विशेषज्ञता को स्वीकार किया। रेलवे के क्षेत्र में भविष्य के सहयोग पर संघीय आर्थिक मामलों एवं ऊर्जा मंत्रालय और भारतीय रेल मंत्रालय के बीच 2019 में हस्ताक्षरित संयुक्त आशय की घोषणा से आगे बढ़ते हुए, दोनों पक्षों ने 2030 तक नेट जीरो में बदलने की भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षा के समर्थन में उच्च गति एवं ऊर्जा के मामले में दक्ष प्रौद्योगिकियों में सहयोग को निरंतर जारी रखने के प्रति अपनी रुचि को रेखांकित किया।

43. जर्मनी और भारत ने मानकीकरण, मान्यता, अनुरूपता मूल्यांकन और बाजार निगरानी के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के अपने निरंतर प्रयासों के लिए ग्लोबल प्रोजेक्ट क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर (जीपीक्यूआई) के तहत भारत-जर्मन कार्य समूह की सराहना की। दोनों पक्षों ने इस कार्य समूह की 8वीं वार्षिक बैठक के दौरान हस्ताक्षरित 2022 के लिए कार्य योजना को रेखांकित किया जो डिजिटलीकरण, स्मार्ट एवं टिकाऊ खेती/कृषि और चक्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में सहयोग की नई संभावनाओं की पहचान करता है।

44. दोनों सरकारों ने स्टार्ट-अप के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की और इस संदर्भ में स्टार्ट-अप इंडिया और जर्मन एक्सेलेरेटर (जीए) के बीच चल रहे सहयोग की सराहना की। दोनों पक्षों ने 2023 से इंडिया मार्केट एक्सेस प्रोग्राम की पेशकश करके अपने समर्थन को और बढ़ाने के जीए के इरादे का स्वागत किया और दोनों स्टार्ट-अप समुदायों के लिए बढ़ाए हुए समर्थन के लिए जीए के साथ साझेदारी में जुड़ाव का एक साझा मॉडल विकसित करने के स्टार्ट-अप इंडिया के प्रस्ताव का स्वागत किया।

राजनीतिक एवं शैक्षणिक आदान-प्रदान, वैज्ञानिक सहयोग, कामगारों और लोगों की आवाजाही के लिए साझेदारी

45. दोनों सरकारों ने छात्रों, शिक्षाविदों और पेशेवर कामगारों सहित दोनों देशों के लोगों के बीच सक्रिय पारस्परिक आदान-प्रदान का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने अपनी उच्च शिक्षा प्रणालियों के अंतरराष्ट्रीयकरण का विस्तार करने, दोनों देशों के नवाचार एवं अनुसंधान संबंधी परिदृश्य को आपस में और आगे जोड़ने तथा व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की दोहरी संरचनाओं को मजबूत करने के एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की।

46. जर्मनी और भारत ने शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ते आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया और इस दिशा में आगे सहयोग करने का इरादा व्यक्त किया। दोनों सरकारों ने जर्मन विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम में चयनित भारतीय छात्रों को सक्षम बनाने के लिए डिजिटल प्रारंभिक पाठ्यक्रम (स्टूडिएनकोलेग) स्थापित करने के कदम की सराहना की। भारत सरकार स्टडी इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के तहत छात्रों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगी और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में जर्मन छात्रों को प्रवेश की सुविधा प्रदान करेगी। दोनों सरकारों ने संयुक्त डिग्री एवं दोहरी डिग्री के रूप में भारतीय और जर्मन विश्वविद्यालयों के बीच आपसी सहयोग का पता लगाने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का भी स्वागत किया।

47. इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि भारत-जर्मन रणनीतिक अनुसंधान और विकास साझेदारी को उत्प्रेरित करने की दिशा में अकादमिक-उद्योग सहयोग महत्वपूर्ण है, दोनों पक्षों ने भारत-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) द्वारा जर्मन औद्योगिक इकोसिस्टम में युवा भारतीय शोधकर्ताओं को औद्योगिक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से औद्योगिक फेलोशिप का समर्थन करने, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जारी परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं के लेटरल एंट्री की सुविधा के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान में महिला भागीदारी (वाइजर) कार्यक्रम में महिलाओं की संलग्नता बढ़ाने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत-जर्मन सहयोग के लिए एक समावेशी इकोसिस्टम का निर्माण करते हुए प्रारंभिक करियर फेलोशिप को जोड़ने की हालिया पहल का स्वागत किया।

48. दोनों देशों ने द्विपक्षीय विज्ञान सहयोग की आधारशिलाओं में से एक के रूप में डार्मस्टाट में एंटीप्रोटॉन एवं आयन अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सुविधा (फेयर) की पूर्ति के प्रति विशेष रूप से अपना समर्थन व्यक्त किया।

49. दोनों सरकारों ने व्यापक प्रवासन और आवाजाही संबंधी साझेदारी पर जर्मनी और भारत के बीच द्विपक्षीय समझौते पर वार्ता को अंतिम रूप देने का स्वागत किया, जैसा कि आज के अंग्रेजी भाषा में मसौदा समझौते के आरंभ द्वारा प्रलेखित है। दोनों पक्षों ने तेजी से इस समझौते पर हस्ताक्षर करने और इसे लागू करने के लिए कार्रवाई करने पर सहमत हुए। उन्होंने छात्रों, पेशेवरों और शोधकर्ताओं की दो-तरफा आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ अवैध प्रवास की चुनौतियों का समाधान करने में इस समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला।

50. दोनों सरकारों ने कुशल स्वास्थ्य एवं देखभाल से जुड़े कर्मियों के प्रवास के संबंध में जर्मन संघीय रोजगार एजेंसी (बीए) और केरल राज्य द्वारा प्लेसमेंट समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। एक समग्र "ट्रिपल-विन अप्रोच" को लागू करके, इस समझौते का उद्देश्य मूल देश और मेजबान देश के साथ-साथ प्रवासियों को भी व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंचाना है। जर्मनी और भारत के श्रम बाजारों के साथ-साथ स्वयं प्रवासियों के हितों के बारे में उचित विचार करते हुए, दोनों देशों ने केरल राज्य के साथ प्लेसमेंट समझौते से परे जाकर भारत के अन्य राज्यों के साथ विभिन्न व्यावसायिक समूहों के बीच अपने सहयोग के विस्तार के लक्ष्य का स्वागत किया।

51. दोनों सरकारों ने काम पर सुरक्षा और स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में जर्मन सामाजिक दुर्घटना बीमा (डीजीयूवी) और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का भी स्वागत किया, जो काम से संबंधित दुर्घटनाओं एवं बीमारियों में कमी लाना और पेशेगत सुरक्षा तथा स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिए जर्मन सामाजिक दुर्घटना बीमा (डीजीयूवी) और भारत के कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशालय (डीजीएफएएसएलआई) द्वारा समझौता ज्ञापन को संभव बनाएगा।

 

52. दोनों सरकारों ने जर्मनी और भारत के बीच व्यापक सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं शैक्षिक सहयोग तथा गोएथे-इंस्टीट्यूट, जर्मन शैक्षणिक विनिमय सेवा (डीएएडी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और इस संबंध में अन्य संबद्ध संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की। दोनों देशों ने शैक्षिक और संवाद प्रारूपों के माध्यम से ऐसे संपर्कों को सुविधाजनक बनाने में जर्मन राजनीतिक प्रतिष्ठानों की भूमिका को स्वीकार किया।

वैश्विक स्वास्थ्य के लिए साझेदारी

53. इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि कोविड-19 महामारी खुले समाज और बहुपक्षीय सहयोग के लचीलेपन को परखने के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर रही है और इसके लिए बहुपक्षीय प्रतिक्रिया की जरूरत है, दोनों सरकारें एक-स्वास्थ्य-दृष्टिकोण अपनाते हुए चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति के लिए वैश्विक तैयारियों को मजबूत करने और भविष्य के जूनोटिक खतरों को कम करने के लिए आपस में सहयोग करने पर सहमत हुईं। दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्य और भविष्य की महामारियों के खिलाफ प्रतिक्रिया देने की क्षमता के मामले में निर्देश देने वाले एवं समन्वय करने वाले प्राधिकरण के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में सुधार एवं उसकी मजबूती के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। दोनों देशों ने आर्थिक रूप उबरने की प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए व्यापार एवं पर्यटन के प्रयोजन से लोगों की मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के महत्व को स्वीकार किया और कोविड-19 टीकों व टीकाकरण प्रमाणपत्रों को पारस्परिक मान्यता प्रदान करने के मामले में आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

54. दोनों पक्षों ने अत्यधिक रोगजनक जीवों के परीक्षण के लिए बांदा, उत्तर प्रदेश में जैव सुरक्षा स्तर IV प्रयोगशाला (बीएसएल-4) की स्थापना के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए भारत के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और जर्मनी के रॉबर्ट-कोच-संस्थान (आरकेआई) के बीच सहयोग का स्वागत किया।

55. दोनों सरकारों ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत गणराज्य की सरकार और जर्मनी के संघीय गणराज्य (बीएफएआरएम) के ड्रग्स एवं चिकित्सा उपकरणों के लिए संघीय संस्थान और संघीय गणराज्य जर्मनी (पीईआई) के पॉल-एर्लिच-इंस्टीट्यूट के बीच एक संयुक्त आशय की घोषणा पर हस्ताक्षर के जरिए चिकित्सीय उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करने का इरादा व्यक्त किया।

56. दोनों नेताओं ने छठे आईजीसी में हुए विचार-विमर्श पर संतोष व्यक्त किया और भारत-जर्मन रणनीतिक साझेदारी को और विस्तार देने तथा मजबूत करने के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चांसलर स्कोल्ज को उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य और छठे आईजीसी के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया। भारत अगले आईजीसी की मेजबानी के लिए उत्सुक है। 

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।