भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की उपस्थिति में 19 नवंबर 2024 को रियो डी जनेरियो में ग्रुप ऑफ 20 (जी20) शिखर सम्मेलन के मौके पर दूसरा भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया। 2025 में भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ से पहले दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा और अनुसंधान, कौशल, गतिशीलता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की और बहुपक्षीय सहयोग, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों और लोगों से लोगों के संबंधों सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के साझा हितों पर विचार किया और इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों से दोनों देशों और व्यापक क्षेत्र को लाभ हुआ है। उन्होंने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच निरंतर उच्च स्तरीय संपर्कों और मंत्रिस्तरीय व्यस्तताओं का जिक्र किया। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सहयोग को स्थायी करने की प्रतिबद्धता जताई और आपसी लाभ के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने और तेजी लाने के साथ-साथ क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए पहलों की घोषणा की।
अर्थव्यवस्था, व्यापार और निवेश
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) के तहत शामिल वस्तुओं और सेवाओं के लिए बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार, व्यापार जुड़ाव और बाजार पहुंच पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता का अहसास करने के लिए महत्वाकांक्षी, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) की दिशा में आगे काम करने का स्वागत किया।
दोनों देशों के नेताओं ने कहा कि 'मेक इन इंडिया' और 'फ्यूचर मेड इन ऑस्ट्रेलिया' में पूरकता और सहयोगात्मक क्षमता है और ये नई नौकरियां सृजित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में और बदलती दुनिया में हमारी भविष्य की समृद्धि को सुरक्षित करने में मदद कर सकते हैं। दोनों लीडर्स ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी को प्रतिबिंबित करते हुए अधिक से अधिक दो तरफा निवेश का आह्वान किया और अधिकारियों को दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच अधिक से अधिक तालमेल बैठाने और दोनों में पारस्परिक रूप से लाभकारी निवेश को बढ़ावा देने के तरीकों का पता लगाने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्रियों ने जुलाई 2024 से अगले चार वर्षों के लिए ऑस्ट्रेलिया-भारत बिजनेस एक्सचेंज (एआईबीएक्स) कार्यक्रम के विस्तार का स्वागत किया। एआईबीएक्स पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को जोड़ने और विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय व्यवसायों के विश्वास और क्षमताओं को बढ़ावा देना जारी रखता है।
ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आगे बढ़ने, साथ मिलकर काम करने और जलवायु अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरक क्षमताओं को उपयोग करने की साझा महत्वाकांक्षाएं साझा कीं। प्रधानमंत्रियों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी (आरईपी) के शुभारंभ का स्वागत किया जो सौर पीवी, हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और संबद्ध क्षेत्रों में दो-तरफा निवेश जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करेगा। साथ ही भविष्य के नवीकरणीय कार्य बल के लिए उन्नत कौशल प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्रियों ने व्यापार संबंधों को बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण के हितों को आगे बढ़ाने के अवसर के रूप में भारत के खनिज बिदेश लिमिटेड (केएबीआईएल) और ऑस्ट्रेलिया के क्रिटिकल मिनरल्स कार्यालय के बीच समझौता ज्ञापन के तहत प्रगति की सराहना की। दोनों देशों के नेताओं ने वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के समर्थन में प्रमुख खनिज क्षेत्र को विकसित करने के लिए स्थायी दृष्टिकोण में एक-दूसरे के सम्मेलनों में भागीदारी सहित अनुसंधान और नवाचार, कौशल विकास और पेशेवर आदान-प्रदान की भूमिका पर जोर दिया। इसमें बैटरी और छत पर सौर ऊर्जा जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
प्रधानमंत्रियों ने अंतरिक्ष एजेंसी और अंतरिक्ष उद्योग दोनों स्तरों पर दोनों देशों के बीच बढ़ती अंतरिक्ष साझेदारी का स्वागत किया। गगनयान मिशनों का समर्थन करने के लिए सहयोग, 2026 में एक भारतीय प्रक्षेपण वाहन पर ऑस्ट्रेलियाई उपग्रहों का नियोजित प्रक्षेपण और हमारे संबंधित अंतरिक्ष उद्योगों के बीच संयुक्त परियोजनाएं इस स्थायी सहयोग का उदाहरण हैं।
रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग
दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रक्षा और सुरक्षा स्तंभ के तहत सतत प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने 2025 में रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा को नवीनीकृत और मजबूत करने का इरादा जताया, जिससे दोनों देशों के बीच उच्च रक्षा और सुरक्षा साझेदारी और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने दोनों देशों के बीच सामूहिक शक्ति बढ़ाने, दोनों देशों की सुरक्षा में योगदान करने और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आशा व्यक्त की।
दोनों देशों के नेताओं ने रक्षा अभ्यासों और आदान-प्रदानों की बढ़ती आवृत्ति और जटिलता व पारस्परिक रसद सहायता व्यवस्था के कार्यान्वयन के माध्यम से बढ़ती अंतरसंचालनीयता की सराहना की। प्रधानमंत्रियों ने समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और परिचालन रक्षा सहयोग को स्थायी करने, साझा चिंताओं व चुनौतियों का समाधान करने के साथ ही खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत की दिशा में काम करने के लिए पारस्परिक रक्षा सूचना-साझाकरण बढ़ाने की व्यवस्थाओं का स्वागत किया। वे एक संयुक्त समुद्री सुरक्षा सहयोग रोड मैप विकसित करने पर सहमत हुए। प्रधानमंत्रियों ने परिचालन संबंधी जानकारी देने के लिए एक-दूसरे के क्षेत्रों से विमानों की तैनाती जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
प्रधानमंत्रियों ने समुद्री उद्योग सहित रक्षा उद्योग, अनुसंधान और सामग्री सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और पर्थ में हिंद महासागर रक्षा और सुरक्षा 2024 सम्मेलन और मेलबर्न में भूमि बल प्रदर्शनी में भारतीय रक्षा उद्योगों की पहली बार भागीदारी का उल्लेख किया। उन्होंने भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई रक्षा औद्योगिक प्रतिष्ठानों और रक्षा स्टार्ट-अप के बीच संबंधों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसमें एक-दूसरे की प्रमुख रक्षा व्यापार प्रदर्शनी में भागीदारी के अवसर शामिल हैं। उन्होंने भागीदारी के अवसरों की आवश्यकता पर जोर देते हुए रचनात्मक बातचीत को आगे बढ़ाने और आगे के कदमों को स्पष्ट करने के लिए निकट भविष्य में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा उद्योग प्रतिनिधिमंडल के दौरे की भी प्रतिबद्धता जताई।
संसदीय सहयोग
प्रधानमंत्रियों ने दोहराया कि अंतर-संसदीय सहयोग व्यापक रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है और वे निरंतर आदान-प्रदान के लिए तत्पर हैं।
शिक्षा, खेल और लोगों से लोगों के बीच संबंध
द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने वाली लोगों से लोगों के बीच बातचीत की शक्ति को पहचानते हुए दोनों नेताओं ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के लोगों के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक सहयोग का स्वागत किया और इस आपसी बंधन को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्रियों ने बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के नए वाणिज्य दूतावास और ब्रिस्बेन में भारत के नए वाणिज्य दूतावास के शुरू होने का स्वागत किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इससे व्यापार और निवेश संबंध और मजबूत होंगे तथा सांस्कृतिक संबंध गहरे होंगे।
प्रधानमंत्रियों ने माना कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच गतिशीलता के अवसर आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण चालक हैं। उन्होंने अक्टूबर 2024 में भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया के वर्किंग हॉलिडे मेकर वीजा कार्यक्रम के शुभारंभ का स्वागत किया और ऑस्ट्रेलिया की मोबिलिटी अरेंजमेंट फॉर टैलेंटेड अर्ली प्रोफेशनल्स स्कीम (एमएटीईएस) के शुभारंभ की प्रतीक्षा की, जो शुरुआती पेशेवरों की गतिशीलता को बढ़ावा देगी और ऑस्ट्रेलियाई उद्योग को भारत के कुछ सबसे प्रतिभाशाली एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातकों तक ऑस्ट्रेलियाई उद्योग की पहुंच प्रदान करना है। एक मजबूत और बढ़ती शैक्षिक साझेदारी के मूल्य को पहचानते हुए प्रधानमंत्रियों ने ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों द्वारा भारत में अपने परिसर स्थापित करने पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्रियों ने कहा कि अक्टूबर 2024 में आयोजित दूसरी ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा और कौशल परिषद की बैठक ने शैक्षिक और कौशल सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद की।
प्रधानमंत्रियों ने इस पर बात पर जोेर दिया कि खेल द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने, लोगों से लोगों के बीच संबंधों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। वे क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और कार्य बल विकास, खेल विज्ञान और चिकित्सा और प्रमुख खेल आयोजन प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमत हुए।
क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने एक खुले, समावेशी, स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत का समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जहां संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप सभी समुद्रों और महासागरों में नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सहित अधिकारों और स्वतंत्रता का प्रयोग करने में सक्षम होने के महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्रियों ने वैश्विक भलाई के लिए एक शक्ति के रूप में क्वॉड के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो हिंद-प्रशांत के लिए वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी प्रभाव डालती है, ताकि एक ऐसे क्षेत्र के लिए उनके साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जा सके जो स्वतंत्र, खुला, समावेशी और सुदृढ़ हो। उन्होंने महामारी और बीमारी से निपटने में भागीदारों की मदद करने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए क्वॉड के चल रहे प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करना; समुद्री क्षेत्र में जागरूकता और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना; उच्च मानक भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे को जुटाना और निर्माण करना; महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश करना और उनसे लाभ उठाना; जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करना; साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देना और प्रौद्योगिकी लीडर्स की अगली पीढ़ी को विकसित करना शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी 2025 में भारत में क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी करने के लिए उत्सुक हैं।
दोनों राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस), आसियान क्षेत्रीय मंच और आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक सहित आसियान के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय ढांचे और आसियान केंद्रीयता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इंडो-पैसिफिक (एओआईपी) पर आसियान आउटलुक के व्यावहारिक कार्यान्वयन के लिए निरंतर समर्थन देने की बात कही।
उन्होंने हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के तहत चल रहे द्विपक्षीय सहयोग का उल्लेख किया और समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण, समुद्री प्रदूषण के प्रभाव को कम करने, समुद्री संसाधनों के स्थायी उपयोग को सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्रियों ने पर्थ में ऑस्ट्रेलिया और भारत द्वारा सह-आयोजित 2024 हिंद महासागर सम्मेलन की सफलता पर चर्चा की। उन्होंने क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के प्रमुख मंच के रूप में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के लिए अपने मजबूत समर्थन को दोहराया और 2025 में भारत के आईओआरए अध्यक्ष बनने पर मिलकर काम करने की उम्मीद जताई।
प्रधानमंत्रियों ने प्रशांत द्वीप देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिए प्रशांत क्षेत्र में मजबूत सहयोग के महत्व पर सहमति व्यक्त की। इसके साथ ही जलवायु अभियान, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित प्रशांत प्राथमिकताओं का समर्थन करने के लिए दोनों देशों की निरंतर प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने में प्रशांत द्वीप मंच द्वारा निभाई गई केंद्रीय भूमिका और ब्लू पैसिफिक महाद्वीप के लिए इसकी 2050 रणनीति को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री अल्बनीज ने फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (एफआईपीआईसी) फ्रेमवर्क सहित प्रशांत द्वीप देशों में विकास साझेदारी बढ़ाने में भारत की भूमिका को स्वीकार किया। दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र में विकास गतिविधियों का समर्थन करने के लिए भी तत्पर हैं।
प्रधानमंत्रियों ने समसामयिक क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से चल रहे संघर्षों के समाधान के आह्वान को रेखांकित किया। उन्होंने आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने वाले सभी देशों के महत्व पर भी जोर दिया, जिसमें वित्तीय कार्रवाई कार्य बल में सहयोग को मजबूत करना और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए अन्य पहलों की खोज करना शामिल है। दोनों नेताओं ने आतंकवाद और उसके सभी रूपों में हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के बारे में अपने सकारात्मक मूल्यांकन को साझा किया और आपसी लाभ एंव क्षेत्र के हित के लिए संबंधों को आगे बढ़ाने और स्थायी करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। व्यापक रणनीतिक साझेदारी की पांचवीं वर्षगांठ के महत्व को स्वीकार करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2025 में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को उचित तरीके से मनाने के अवसरों का स्वागत किया। 2025 में होने वाले भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन की दोनों देशों को प्रतीक्षा है।