मन की बात ने मुझे देश के हर कोने में रहने वाले आम जन से जोड़ा है: प्रधानमंत्री मोदी
हमारे जंगलों की रक्षा और जल संरक्षण हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए: मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी
11 सूखाग्रस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की...सूखे और पानी की कमी की समस्या को हल करने हेतु राज्यों के प्रयास सराहनीय: पीएम
आईए, हम पानी की हर बूंद संरक्षित करने का प्रण लें: मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी
हमें ‘जल सिंचन’ के साथ-साथ 'जल संचय' के लिए प्रयास करने चाहिए: मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के फलस्वरूप आज पूरा विश्व नकदरहित (कैशलेस) समाज की ओर बढ़ रहा है: मन की बात में प्रधानमंत्री
जेएएम (जन-धन, आधार, मोबाइल) के माध्यम से हम नकदरहित (कैशलेस) समाज बनने की दिशा में बढ़ सकते हैं: मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी
जीत या हार सब कुछ नहीं है...खेल भावना और सही माहौल तैयार करना महत्वपूर्ण: मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री
हमें एथलीटों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने की जरूरत: मन की बात में प्रधानमंत्री
भारत में फुटबॉल की बढ़ती लोकप्रियता देखकर काफ़ी खुशी हुई... 'नरेंद्र मोदी ऐप' पर लोगों के बहुमूल्य सुझाव मिले: मन की बात में पीएम मोदी
#मन_की_बात: प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा परिणाम के लिए छात्रों को बधाई दी, छात्राओं की उत्कृष्ट सफ़लता पर ख़ुशी जताई
विश्व 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनायेगा...मैं चंडीगढ़ से आप लोगों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होऊंगा: मन की बात में पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की #मन_की_बात अब किसी भी भाषा में, कहीं भी और कभी भी सुनें! सुनने के लिए 1922 पर एक मिस्ड कॉल दें 

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। फिर एक बार मुझे ‘मन की बात’ करने का अवसर मिला है। मेरे लिए ‘मन की बात’ ये कर्मकाण्ड नहीं है। मैं स्वयं भी आपसे बातचीत करने के लिए बहुत ही उत्सुक रहता हूँ और मुझे खुशी है कि हिन्दुस्तान के हर कोने में मन की बातों के माध्यम से देश के सामान्यजनों से मैं जुड़ पाता हूँ। मैं आकाशवाणी का भी इसलिए भी आभारी हूँ कि उन्होंने इस ‘मन की बात’ को शाम को 8.00 बजे प्रादेशिक भाषाओं में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। और मुझे इस बात की भी खुशी है कि जो लोग मुझे सुनते हैं, वे बाद में पत्र के द्वारा, टेलीफोन के द्वारा, MyGov website के द्वारा, Narendra Modi App के द्वारा अपनी भावनाओं को मेरे तक पहुंचाते हैं। बहुत सी आपकी बातें मुझे सरकार के काम में मदद करती हैं। जनहित की दृष्टि से सरकार कितनी सक्रिय होनी चाहिए, जनहित के काम कितने प्राथमिक होने चाहिए, इन बातों के लिए आपके साथ का मेरा ये सम्वाद, ये नाता बहुत काम आता है। मैं आशा करता हूँ कि आप और अधिक सक्रिय हो करके लोक-भागीदारी से लोकतंत्र कैसे चले, इसको जरूर बल देंगे।

गर्मी बढ़ती ही चली जा रही है। आशा करते थे, कुछ कमी आयेगी, लेकिन अनुभव आया कि गर्मी बढ़ती ही जा रही है। बीच में ये भी ख़बर आ गयी कि शायद मानसून एक सप्ताह विलम्ब कर जाएगा, तो चिंता और बढ़ गयी। क़रीब-क़रीब देश का अधिकतम हिस्सा गर्मी की भीषण आग का अनुभव कर रहा है। पारा आसमान को छू रहा है। पशु हो, पक्षी हो, इंसान हो, हर कोई परेशान है। पर्यावरण के कारण ही तो ये समस्याएँ बढ़ती चली जा रही हैं। जंगल कम होते गए, पेड़ कटते गए और एक प्रकार से मानवजाति ने ही प्रकृति का विनाश करके स्वयं के विनाश का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है। पूरे विश्व में पर्यावरण के लिए चर्चाएँ होती हैं, चिंता होती है। इस बार United Nations ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘Zero Tolerance for illegal Wildlife Trade’ इसको विषय रखा है। इसकी तो चर्चा होगी ही होगी, लेकिन हमें तो पेड़-पौधों की भी चर्चा करनी है, पानी की भी चर्चा करनी है, हमारे जंगल कैसे बढ़ें। क्योंकि आपने देखा होगा, पिछले दिनों उत्तराखण्ड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर - हिमालय की गोद में, जंगलों में जो आग लगी; आग का मूल कारण ये ही था कि सूखे पत्ते और कहीं थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाए, तो बहुत बड़ी आग में फैल जाती है और इसलिए जंगलों को बचाना, पानी को बचाना - ये हम सबका दायित्व बन जाता है। पिछले दिनों मुझे जिन राज्यों में अधिक सूखे की स्थिति है, ऐसे 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विस्तार से बातचीत करने का अवसर मिला। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा - वैसे तो सरकार की जैसे परम्परा रही है, मैं सभी सूखा प्रभावित राज्यों की एक meeting कर सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने हर राज्य के साथ अलग meeting की। एक-एक राज्य के साथ क़रीब-क़रीब दो-दो, ढाई-ढाई घंटे बिताए। राज्यों को क्या कहना है, उनको बारीकी से सुना। आम तौर पर सरकार में, भारत सरकार से कितने पैसे गए और कितनों का खर्च हुआ - इससे ज्यादा बारीकी से बात नहीं होती है। हमारे भारत सरकार के भी अधिकारियों के लिए भी आश्चर्य था कि कई राज्यों ने बहुत ही उत्तम प्रयास किये हैं, पानी के संबंध में, पर्यावरण के संबंध में, सूखे की स्थिति को निपटने के लिये, पशुओं के लिये, असरग्रस्त मानवों के लिये और एक प्रकार से पूरे देश के हर कोने में, किसी भी दल की सरकार क्यों न हो, ये अनुभव आया कि इस समस्या की, लम्बी अवधि की परिस्थिति से, निपटने के लिए permanent solutions क्या हों, कायमी उपचार क्या हो, उस पर भी ध्यान था। एक प्रकार से मेरे लिए वो learning experience भी था और मैंने तो मेरे नीति आयोग को कहा है कि जो best practices हैं, उनको सभी राज्यों में कैसे लिया जाए, उस पर भी कोई काम होना चाहिए। कुछ राज्यों ने, खास करके आन्ध्र ने, गुजरात ने technology का भरपूर उपयोग किया है। मैं चाहूँगा कि आगे नीति आयोग के द्वारा राज्यों के जो विशेष सफल प्रयास हैं, उसको हम और राज्यों में भी पहुँचाएँ। ऐसी समस्याओं के समाधान में जन-भागीदारी एक बहुत बड़ा सफलता का आधार होती है। और उसमें अगर perfect planning हो, उचित technology का उपयोग हो और समय-सीमा में व्यवस्थाओं को पूर्ण करने का प्रयास किया जाए; उत्तम परिणाम मिल सकते हैं, ऐसा मेरा विश्वास है। Drought Management को ले करके, water conservation को ले करके, बूँद-बूँद पानी बचाने के लिये, क्योंकि मैं हमेशा मानता हूँ, पानी - ये परमात्मा का प्रसाद है। जैसे हम मंदिर में जाते हैं, कोई प्रसाद दे और थोड़ा सा भी प्रसाद गिर जाता है, तो मन में क्षोभ होता है। उसको उठा लेते हैं और पाँच बार परमात्मा से माफी माँगते हैं। ये पानी भी परमात्मा का प्रसाद है। एक बूँद भी बर्बाद हो, तो हमें पीड़ा होनी चाहिए। और इसलिए जल-संचय का भी उतना ही महत्व है, जल-संरक्षण का भी उतना ही महत्व है, जल-सिंचन का भी उतना ही महत्व है और इसीलिये तो per drop-more crop, micro-irrigation, कम-से-कम पानी से होने वाली फसल। अब तो खुशी की बात है कि कई राज्यों में हमारे गन्ने के किसान भी micro-irrigation का उपयोग कर रहे हैं, कोई drip-irrigation का उपयोग कर रहा है, कोई sprinkler का कर रहा है। मैं राज्यों के साथ बैठा, तो कुछ राज्यों ने paddy के लिए भी, rice की जो खेती करते हैं, उन्होंने भी सफलतापूर्वक drip-irrigation का प्रयोग किया है और उसके कारण उनकी पैदावार भी ज्यादा हुई, पानी भी बचा और मजदूरी भी कम हुई। इन राज्यों से मैंने जब सुना, तो बहुत से राज्य ऐसे हैं कि जिन्होंने बहुत बड़े-बड़े target लिए हैं, खास करके महाराष्ट्र, आन्ध्र और गुजरात। तीन राज्यों ने drip-irrigation में बहुत बड़ा काम किया है और उनकी तो कोशिश है कि हर वर्ष दो-दो, तीन-तीन लाख हेक्टेयर micro-irrigation में जुड़ते जाएँ! ये अभियान अगर सभी राज्यों में चल पड़ा, तो खेती को भी बहुत लाभ होगा, पानी का भी संचय होगा। हमारे तेलंगाना के भाइयों ने ‘मिशन भागीरथी’ के द्वारा गोदावरी और कृष्णा नदी के पानी का बहुत ही उत्तम उपयोग करने का प्रयास किया है। आन्ध्र प्रदेश ने ‘नीरू प्रगति मिशन’ उसमें भी technology का उपयोग, ground water recharging का प्रयास। महाराष्ट्र ने जो जन-आंदोलन खड़ा किया है, उसमें लोग पसीना भी बहा रहे हैं, पैसे भी दे रहे हैं। ‘जलयुक्त शिविर अभियान’ - सचमुच में ये आन्दोलन महाराष्ट्र को भविष्य के संकट से बचाने के लिए बहुत काम आएगा, ऐसा मैं अनुभव करता हूँ। छत्तीसगढ़ ने ‘लोकसुराज - जलसुराज अभियान’ चलाया है। मध्य प्रदेश ने ‘बलराम तालाब योजना’ - क़रीब-क़रीब 22 हज़ार तालाब! ये छोटे आँकड़े नही हैं! इस पर काम चल रहा है। उनका ‘कपिलधारा कूप योजना’। उत्तर प्रदेश से ‘मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान’। कर्नाटक में ‘कल्याणी योजना’ के रूप में कुओं को फिर से जीवित करने की दिशा में काम आरम्भ किया है। राजस्थान और गुजरात जहाँ अधिक पुराने जमाने की बावड़ियाँ हैं, उनको जलमंदिर के रूप में पुनर्जीवित करने का एक बड़ा अभियान चलाया है। राजस्थान ने ‘मुख्यमंत्री जल-स्वावलंबन अभियान’ चलाया है। झारखंड वैसे तो जंगली इलाका है, लेकिन कुछ इलाके हैं, जहाँ पानी की दिक्कत है। उन्होंने ‘Check Dam’ का बहुत बड़ा अभियान चलाया है। उन्होंने पानी रोकने की दिशा में प्रयास चलाया है। कुछ राज्यों ने नदियों में ही छोटे-छोटे बाँध बना करके दस-दस, बीस-बीस किलोमीटर पानी रोकने की दिशा में अभियान चलाया है। ये बहुत ही सुखद अनुभव है। मैं देशवासियों को भी कहता हूँ कि ये जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर - हम तय करें, पानी की एक बूँद भी बर्बाद नहीं होने देंगे। अभी से प्रबंध करें, पानी बचाने की जगह क्या हो सकती है, पानी रोकने की जगह क्या हो सकती है। ईश्वर तो हमारी ज़रूरत के हिसाब से पानी देता ही है, प्रकृति हमारी आवश्यकता की पूर्ति करती ही है, लेकिन हम अगर बहुत पानी देख करके बेपरवाह हो जाएँ और जब पानी का मौसम समाप्त हो जाए, तो बिना पानी परेशान रहें, ये कैसे चल सकता है? और ये कोई पानी मतलब सिर्फ किसानों का विषय नहीं है जी! ये गाँव, ग़रीब, मजदूर, किसान, शहरी, ग्रामीण, अमीर-ग़रीब - हर किसी से जुड़ा हुआ विषय है और इसलिए बारिश का मौसम आ रहा है, तो पानी ये हमारी प्राथमिकता रहे और इस बार जब हम दीवाली मनाएँ, तो इस बात का आनंद भी लें कि हमने कितना पानी बचाया, कितना पानी रोका। आप देखिये, हमारी खुशियाँ अनेक गुना बढ़ जाएँगी। पानी में वो ताक़त है, हम कितने ही थक करके आए हों, मुँह पर थोड़ा-सा भी पानी छिड़कते हैं, तो कितने fresh हो जाते हैं। हम कितने ही थक गए हों, लेकिन विशाल सरोवर देखें या सागर का पानी देखें, तो कैसी विराटता का अनुभव होता है। ये कैसा अनमोल खजाना है परमात्मा का दिया हुआ! जरा मन से उसके साथ जुड़ जाएँ, उसका संरक्षण करें, पानी का संवर्द्धन करें, जल-संचय भी करें, जल-सिंचन को भी आधुनिक बनाएँ। इस बात को मैं आज बड़े आग्रह से कह रहा हूँ। ये मौसम जाने नहीं देना है। आने वाले चार महीने बूँद-बूँद पानी के लिए ‘जल बचाओ अभियान’ के रूप में परिवर्तित करना है और ये सिर्फ सरकारों का नहीं, राजनेताओं का नहीं, ये जन-सामान्य का काम है। media ने पिछले दिनों पानी की मुसीबत का विस्तार से वृत्तांत दिया। मैं आशा करता हूँ कि media पानी बचाने की दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करे, अभियान चलाए और पानी के संकट से हमेशा की मुक्ति के लिए media भी भागीदार बने, मैं उनको भी निमंत्रित करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमें आधुनिक भारत बनाना है। हमें transparent भारत बनाना है। हमें बहुत सी व्यवस्थाओं को भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक समान रूप से पहुँचाना है, तो हमारी पुरानी आदतों को भी थोड़ा बदलना पड़ेगा। आज मैं एक ऐसे विषय पर स्पर्श करना चाहता हूँ, जिस पर अगर आप मेरी मदद करें, तो हम उस दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ सकते हैं। हम सबको मालूम है, हमें स्कूल में पढ़ाया जाता था कि एक ज़माना था, जब सिक्के भी नहीं थे, नोट भी नहीं थे, barter system हुआ करता था कि आपको अगर सब्जी चाहिए, तो बदले में इतने गेहूँ दे दो। आपको नमक चाहिए, तो बदले में इतनी सब्जी दे दो। barter system से ही कारोबार चलता था। धीरे-धीरे करके मुद्रा आने लगी। coin आने लगे, सिक्के आने लगे, नोट आने लगे। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। पूरी दुनिया cashless society की तरफ़ आगे बढ़ रही है। electronic technological व्यवस्था के द्वारा हम रुपये पा भी सकते हैं, रुपये दे भी सकते हैं। चीज़ खरीद भी सकते हैं, बिल चुकता भी कर सकते हैं। और इससे ज़ेब में से कभी बटुए की चोरी होने का तो सवाल ही नहीं उठेगा। हिसाब रखने की भी चिंता नहीं रहेगी, automatic हिसाब रहेगा। शुरुआत थोड़ी कठिन लगेगी, लेकिन एक बार आदत लगेगी, तो ये व्यवस्था सरल हो जायेगी। और ये संभावना इसलिए है कि हमने इन दिनों जो ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ का अभियान चलाया, देश के क़रीब-क़रीब सभी परिवारों के बैंक खाते खुल गए। दूसरी तरफ आधार नंबर भी मिल गया और मोबाइल तो क़रीब-क़रीब हिन्दुस्तान के हर हिन्दुस्तानी के हाथ में पहुँच गया है। तो ‘जन-धन’, ‘आधार’ और ‘मोबाइल’ – (JAM), ‘J.A.M.’ इसका तालमेल करते हुए हम इस cashless society की तरफ़ आगे बढ़ सकते हैं। आपने देखा होगा कि Jan-Dhan account के साथ RuPay Card दिया गया है। आने वाले दिनों में ये कार्ड credit और debit - दोनों की दृष्टि से काम आने वाला है। और आजकल तो एक बहुत छोटा सा Instrument भी आ गया है, जिसको कहते हैं point of sale - P.O.S. – ‘POS’. उसकी मदद से आप, अपना आधार नंबर हो, RuPay Card हो, आप किसी को भी पैसा चुकता करना है, तो उससे दे सकते हैं। ज़ेब में से रुपये निकालने की, गिनने की, जरूरत ही नहीं है। साथ ले करके घूमने की जरुरत ही नहीं है। भारत सरकार ने जो कुछ initiative लिए हैं, उसमें एक ‘POS’ के द्वारा payment कैसे हो, पैसे कैसे लिए जाएँ। दूसरा काम हमने शुरू किया है ‘Bank on Mobile’ - Universal Payment interface banking transaction - ‘UPI’. तरीक़े को बदल कर रख देगा। आपके मोबाइल फोन के द्वारा money transaction करना बहुत ही आसान हो जाएगा और ख़ुशी की बात है कि N.P.C.I. और बैंक इस platform को mobile app के ज़रिये launch करने के लिए काम कर रहे हैं और अगर ये हुआ, तो शायद आपको RuPay Card को साथ रखने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगीI देश में क़रीब-क़रीब सवा-लाख banking correspondents के रूप में नौजवानों को भर्ती किया गया है। एक प्रकार से बैंक आपके द्वार पर - उस दिशा में काम किया है। Post Office को भी बैंकिंग सेवाओं के लिए सजग कर दिया गया है। इन व्यवस्थाओं का अगर हम उपयोग करना सीख लेंगे और आदत डालेंगे, तो फिर हमें ये currency की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, नोटों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, पैसों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, कारोबार अपने-आप चलेगा और उसके कारण एक transparency आएगी। दो-नंबरी कारोबार बंद हो जाएँगे। काले धन का तो प्रभाव ही कम होता जाएगा, तो मैं देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि हम शुरू तो करें। देखिए, एक बार शुरू करेंगे, तो बहुत सरलता से हम आगे बढ़ेंगे। आज से बीस साल पहले किसने सोचा था कि इतने सारे मोबाइल हमारे हर हाथ में होंगे। धीरे-धीरे आदत हो गई, अब तो उसके बिना रह नहीं सकते। हो सकता है ये cashless society भी वैसा ही रूप धारण कर ले, लेकिन कम समय में होगा तो ज्यादा अच्छा होगा।

मेरे प्यारे देशवासियों, जब भी Olympic के खेल आते हैं और जब खेल शुरू हो जाते हैं, तो फिर हम सर पटक के बैठते हैं, हम Gold Medal में कितने पीछे रह गए, Silver मिला के नहीं मिला, Bronze से चलाए – न चलाए, ये रहता है। ये बात सही है कि खेल-कूद में हमारे सामने चुनौतियाँ बहुत हैं, लेकिन देश में एक माहौल बनना चाहिए। Rio Olympic के लिए जाने वाले हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का, उनका हौसला बुलंद करने का, हर किसी ने अपने-अपने तरीक़े से। कोई गीत लिखे, कोई cartoon बनाए, कोई शुभकामनायें सन्देश दे, कोई किसी game को प्रोत्साहित करे, लेकिन पूरे देश को हमारे इन खिलाड़ियों के प्रति एक बड़ा ही सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। परिणाम जो आएगा - आएगा। खेल है - खेल है, जीत भी होती है, हार भी होती है, medal आते भी हैं, नहीं भी आते हैं, लेकिन हौसला बुलंद होना चाहिए और ये जब मैं बात करता हूँ, तब मैं हमारे खेल मंत्री श्रीमान सर्बानन्द सोनोवाल को भी एक काम के लिए मुझे मन को छू गया, तो मैं आपको कहना चाहता हूँ। हम सब लोग गत सप्ताह चुनाव के नतीजे क्या आएँगे, असम में क्या पत्र परिणाम आएँगे, उसी में लगे थे और श्रीमान सर्बानन्द जी तो स्वयं असम के चुनाव का नेतृत्व कर रहे थे, मुख्यमंत्री के उम्मीदवार थे, लेकिन वो भारत सरकार के मंत्री भी थे और मुझे ये जब जानकारी मिली, तो बड़ी ख़ुशी हुई कि वो असम चुनाव के result के पहले किसी को बताए बिना पटियाला पहुँच गए, पंजाब। आप सब को मालूम होगा Netaji Subhash National Institute of Sports (NIS), जहाँ पर Olympic में जाने वाले हमारे खिलाड़ियों की training होती है, वो सब वही हैं। वे अचानक वहां पहुँच गए, खिलाड़ियों के लिए भी surprise था और खेल जगत के लिए भी surprise था कि कोई मंत्री इस प्रकार से इतनी चिंता करे। खिलाड़ियों की क्या व्यवस्था है, खाने की व्यवस्था क्या है, आवश्यकता के अनुसार nutrition food मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है, उनकी body के लिए जो आवश्यक trainer हैं, वो trainer हैं कि नहीं हैं। Training के सारे machines ठीक चल रहे हैं कि नहीं चल रहे हैं। सारी बातें उन्होंने बारीकी से देखीं। एक-एक खिलाड़ी के कमरे को जाकर के देखा। खिलाड़ियों से विस्तार से बातचीत की, management से बात की, trainer से बात की, खुद ने सब खिलाड़ियों के साथ खाना भी खाया। चुनाव नतीजे आने वाले हों, मुख्यमंत्री के नाते नये दायित्व की संभावना हो, लेकिन फिर भी अगर मेरा एक साथी खेल मंत्री के रूप में इस काम की इतनी चिंता करे, तो मुझे आनंद होता है। और मुझे विश्वास है, हम सब इसी प्रकार से खेल के महत्व को समझें। खेल जगत के लोगों को प्रोत्साहित करें, हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करें। ये अपने-आप में बहुत बड़ी ताक़त बन जाती है जी, जब खिलाड़ी को लगता है कि सवा-सौ करोड़ देशवासी उसके साथ खड़े हैं, तो उसका हौसला बुलंद हो जाता है।

पिछली बार मैंने FIFA Under-17 World Cup के लिए बातें की थी और मुझे जो सुझाव आये देश भर से, और इन दिनों मैंने देखा है कि Football का एक माहौल पूरे देश में नज़र आने लगा है। कई लोग initiative लेकर अपनी-अपनी टीमें बना रहे हैं। Narendra Modi Mobile App पर मुझे हज़ारों सुझाव मिले हैं। हो सकता है, बहुत लोग खेलते नहीं होंगे, लेकिन देश के हज़ारों-लाखों नौजवानों की खेल में इतनी रूचि है, ये अपने-आप में मेरे लिए सुखद अनुभव था। क्रिकेट और भारत का लगाव तो हम जानते हैं, लेकिन मैंने देखा Football में भी इतना लगाव। ये अपने-आप में बड़ा ही एक सुखद भविष्य का संकेत देता है। तो Rio Olympic के लिए पसंदगी के पात्र हमारे सभी खिलाड़ियों के प्रति हम लोग एक उमंग और उत्साह का माहौल बनाएँ आने वाले दिनों में। हर चीज़ को जीत और हार की कसौटी से न कसा जाये। sportsman spirit के साथ भारत दुनिया में अपनी पहचान बनाए। मैं देशवासियों से अपील करता हूँ कि हमारे खेल जगत से जुड़े साथियों के प्रति उत्साह और उमंग का माहौल बनाने में हम भी कुछ करें।

पिछले आठ-दस दिन से कहीं-न-कहीं से नये-नये result आ रहे हैंI मैं चुनाव के result की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं उन विद्यार्थियों की बात कर रहा हूँ, जिन्होंने साल भर कड़ी मेहनत की, exam दी, 10th के, 12th के, एक के बाद एक result आना शुरू हुआ है। ये तो साफ़ हो गया है कि हमारी बेटियाँ पराक्रम दिखा रही हैं। ख़ुशी की बात है। इन परिणामों में जो सफल हुए हैं, उनको मेरी शुभकामना है, बधाई है। जो सफल नहीं हो पाए हैं, उनको मैं फिर से एक बार कहना चाहूँगा कि ज़िंदगी में करने के लिए बहुत-कुछ होता है। अगर हमारी इच्छा के मुताबिक परिणाम नहीं आया है, तो कोई ज़िंदगी अटक नहीं जाती है। विश्वास से जीना चाहिए, विश्वास से आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन एक बड़े नए प्रकार का मेरे सामने प्रश्न आया है और मैंने वैसे इस विषय में कभी सोचा नहीं था। लेकिन मेरे MyGov पर एक e-mail आया, तो मेरा ध्यान गया। मध्य प्रदेश के कोई Mr. गौरव हैं, गौरव पटेल - उन्होंने एक बड़ी अपनी कठिनाई मेरे सामने प्रस्तुत की है। गौरव पटेल कह रहे हैं कि M.P. के board exam में मुझे 89.33 percent मिले हैं। तो ये पढ़ के मुझे तो लगा, वाह, क्या ख़ुशी की बात है, लेकिन आगे वो अपने दुःख की कथा कह रहे हैं। गौरव पटेल कह रहे हैं कि साहब, 89.33 percent marks लेकर जब मैं घर पहुँचा, तो मैं सोच रहा था कि चारों तरफ़ से मुझे बधाइयाँ मिलेंगी, अभिनन्दन होगा; लेकिन मैं हैरान था, घर में हर किसी ने मुझे यही कहा, अरे यार, चार marks ज्यादा आते, तेरा 90 percent हो जाता। यानि, मेरे परिवार और मेरे मित्र, मेरे teacher - कोई भी मेरे 89.33 percent marks से प्रसन्न नहीं था। हर कोई मुझे कह रहा था, यार, चार marks के लिए तुम्हारा 90 percent रह गया। अब मैं इस बात को समझ नहीं पा रहा हूँ कि ऐसी स्थिति को कैसे मैं handle करूँ। क्या ज़िंदगी में यही सब कुछ है क्या? क्या मैंने जो किया, वो अच्छा नहीं था क्या? क्या मैं भी कुछ कम पड़ गया क्या? पता नहीं, मेरे मन पर एक बोझ सा अनुभव होता है।

गौरव, आपकी चिट्ठी को मैंने बहुत ध्यान से पढ़ा है और मुझे लगता है, शायद ये वेदना आपकी ही नहीं, आपके जैसे लाखों-करोड़ो विद्यार्थियों की होगी, क्योंकि एक ऐसा माहौल बन गया है कि जो हुआ है, उसके प्रति संतोष के बजाय उसमें से असंतोष खोजना, ये नकारात्मकता का दूसरा रूप है। हर चीज़ में से असंतोष खोजने से समाज को संतोष की दिशा में हम कभी नहीं ले जा सकते हैं। अच्छा होता, आपके परिजनों ने, आपके साथियों ने, मित्रों ने आपके 89.33 percent को सराहा होता, तो आपको अपने-आप ही ज्यादा कुछ करने का मन कर जाता। मैं अभिभावकों से, आसपास के लोगों से ये आग्रह करता हूँ कि आपके बच्चे जो result लेकर आए हैं, उसको स्वीकार कीजिए, स्वागत कीजिए, संतोष व्यक्त कीजिए और उसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए, वरना हो सकता है, वो दिन ये भी आएगा कि आपको 100 percent आने के बाद आप कहें कि भई 100 आया, लेकिन फिर भी तुम कुछ ऐसा करते तो अच्छा होते, तो हर चीज़ की कुछ तो मर्यादा रहनी ही चाहिए।

मुझे जोधपुर से संतोष गिरि गोस्वामी – उन्होंने भी लिखा है, करीब-करीब इसी प्रकार से लिखा है। वे कहते हैं कि मेरे आस-पास के लोग हमारे परिणाम को स्वीकार ही नही कर रहे हैं। वो तो कहते हैं कि कुछ और अच्छा कर लेते, कुछ और अच्छा कर लेते। मुझे कविता पूरी याद नहीं है, लेकिन बहुत पहले मैंने पढी थी, किसी कवि ने लिखी थी कि ज़िन्दगी के Canvas पर मैंने वेदना का चित्र बनाया। और जब उसकी प्रदर्शनी थी, लोग आए, हर किसी ने कहा, touch-up की ज़रूरत है, कोई कहता था कि नीले की बजाए पीला होता, तो अच्छा होता; कोई कहता था, ये रेखा यहाँ के बजाये उधर होती, तो अच्छा होता। काश, मेरी इस वेदना के चित्र पर किसी एकाध दर्शक ने भी तो आंसू बहाए होते। ये कविता के शब्द यही थे, ऐसा मुझे अब याद नहीं रहा, लेकिन बहुत पहले की कविता है तो, लेकिन भाव यही था। उस चित्र में से कोई वेदना नहीं समझ पाया, हर कोई touch-up की बात कर रहा था। संतोष गिरि जी, आप की चिंता भी वैसी है, जैसी गौरव की है और आप जैसे करोड़ों विद्यार्थियों की होगी। लोगों की अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए आप पर बोझ बनता है। मैं तो आप से इतना ही कहूँगा कि ऐसी स्थिति में आप अपना संतुलन मत खोइए। हर कोई अपेक्षायें व्यक्त करता है, सुनते रहिये, लेकिन अपनी बात पर डटे रहिये और कुछ अधिक अच्छा करने का प्रयास भी करते रहिये। लेकिन जो मिला है, उस पर संतोष नहीं करोगे, तो फिर नयी इमारत कभी नहीं बना पाओगेI सफलता की मजबूत नींव ही बड़ी सफलता का आधार बनती है। सफलता में से भी पैदा हुआ असंतोष सफलता की सीढ़ी नही बना पाता, वो असफलता की guarantee बन जाता है। और इसलिए मैं आप से आग्रह करूँगा कि जितनी सफलता मिली है, उस सफलता को गुनगुनाओ, उसी में से नयी सफलता की संभावनायें पैदा होंगी। लेकिन ये बात मैं अड़ोस-पड़ोस और माँ-बाप और साथियों से ज्यादा कहना चाहता हूँ कि आप अपने बच्चों के साथ कृपा करके आपकी अपेक्षायें उन पर मत थोपिए। और दोस्तो, क्या कभी-कभी ज़िन्दगी में असफल हुए, तो क्या वो ज़िन्दगी ठहर जाती है क्या? जो कभी exam में अच्छे marks नहीं ला सकता, वो sports में बहुत आगे निकल जाता है, संगीत में आगे निकल जाता है, कलाकारीगरी में आगे निकल जाता है, व्यापार में आगे निकल जाता है। ईश्वर ने हर किसी को कोई-ना-कोई तो अद्भुत विधा दी ही होती है। बस, आप के अपने भीतर की शक्ति को पहचानिए, उस पर बल दीजिए, आप आगे निकल जाएँगे। और ये जीवन में हर जगह पर होता है। आप ने संतूर नाम के वाद्य को सुना होगा। एक ज़माना था, संतूर वाद्य कश्मीर की घाटी मे folk music के साथ जुड़ा हुआ था। लेकिन एक पंडित शिव कुमार थे, जिन्होंने उसको हाथ लगाया और आज दुनिया का एक महत्वपूर्ण वाद्य बना दिया। शहनाई - शहनाई हमारे संगीत के पूरे क्षेत्र में सीमित जगह पर था। ज्यादातर राजा-महाराजाओं के जो दरबार हुआ करते थे, उसके gate पर उसका स्थान रहता था। लेकिन जब उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने जब शहनाई को हाथ लगाया, तो आज विश्व का उत्तम सा वाद्य बन गया, उसकी एक पहचान बन गई है। और इसलिए आप के पास क्या है, कैसा है, इसकी चिंता छोड़िए, उस पर आप जुट जाइए, जुट जाइए। परिणाम मिलेगा ही मिलेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, कभी-कभी मैं देखता हूँ कि हमारे ग़रीब परिवारों का भी आरोग्य को लेकर के जो खर्च होता है, वो जिन्दगी की पटरी को असंतुलित कर देता है। और ये सही है कि बीमार न होने का खर्चा बहुत कम होता है, लेकिन बीमार होने के बाद स्वस्थ होने का खर्चा बहुत ज्यादा होता है। हम ऐसी जिन्दगी क्यों न जियें, ताकि बीमारी आये ही नहीं, परिवार पर आर्थिक बोझ हो ही नहीं। एक तो स्वच्छता बीमारी से बचाने का सबसे बड़ा आधार है। ग़रीब की सबसे बड़ी सेवा अगर कोई कर सकता है, तो स्वच्छता कर सकती है। और दूसरा जिसके लिए मैं लगातार आग्रह करता हूँ, वो है योग। कुछ लोग उसको ‘योगा’ भी कहते हैं। 21 जून अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस है। पूरे विश्व मे योग के प्रति एक आकर्षण भी है, श्रद्धा भी है और विश्व ने इसको स्वीकार किया है। हमारे पूर्वजों की हमें दी हुई एक अनमोल भेंट है, जो हमने विश्व को दी है। तनाव से ग्रस्त विश्व को संतुलित जीवन जीने की ताकत योग देता है। “Prevention is better than cure”. योग से जुड़े हुये व्यक्ति के जीवन में स्वस्थ रहना, संतुलित रहना, मज़बूत इच्छा-शक्ति के धनी होना, अप्रतिम आत्मविश्वास से भरा जीवन होना, हर काम में एकाग्रता का होना - ये सहज उपलब्धियां होती हैं। 21 जून - योग दिवस, ये सिर्फ एक event नहीं है, इसका व्याप बढ़े, हर व्यक्ति के जीवन में उसका स्थान बने, हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में 20 मिनट, 25 मिनट, 30 मिनट योग के लिए खपाए। और इसके लिए 21 जून योग दिवस हमें प्रेरणा देता है। और कभी-कभी सामूहिक वातावरण व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का कारण बनता है। मैं आशा करता हूँ, 21 जून आप जहाँ भी रहते हों, आपके initiative के लिए अभी एक महीना है। आप भारत सरकार की website पर जाओगे, तो योग का जो इस बार का syllabus है, कौन-कौन से आसन करने हैं, किस प्रकार से करने हैं, इसका पूरा वर्णन है उसमें; उसको देखिये, आपके गाँव में करवाइए, आपके मोहल्ले में करवाइए, आपके शहर में करवाइए, आपके स्कूल में, institution में, even offices में भी। अभी से एक महीना शुरू कर दीजिये, देखिये, आप 21 जून को भागीदार बन जाएँगे। मैंने कई बार पढ़ा है कि कई offices में regularly सुबह मिलते ही योग और प्राणायाम सामूहिक होता है, तो पूरे office की efficiency इतनी बढ़ जाती है, पूरे office का culture बदल जाता है, environment बदल जाता है। क्या 21 जून का उपयोग हम अपने जीवन में योग लाने के लिए कर सकते हैं, अपने समाज जीवन में योग लाने के लिए कर सकते हैं, अपने आस-पास के परिसर में योग लाने के लिए कर सकते हैं? मैं इस बार चंडीगढ़ के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए जाने वाला हूँ, 21 जून को चंडीगढ़ के लोगों के साथ मैं योग करने वाला हूँ। आप भी उस दिन अवश्य जुडें, पूरा विश्व योग करने वाला है। आप कहीं पीछे न रह जाएँ, ये मेरा आग्रह है। आप का स्वस्थ रहना भारत को स्वस्थ बनाने के लिए बहुत आवश्यक है।

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ के द्वारा आपसे मैं लगातार जुड़ता हूँ। मैंने बहुत पहले आप को एक mobile number दिया था। उस पर missed call करके आप ‘मन की बात’ सुन सकते थे, लेकिन अब उसको बहुत आसान कर दिया है। अब ‘मन की बात’ सुनने के लिए अब सिर्फ 4 ही अंक - उसके द्वारा missed call करके ‘मन की बात’ सुन सकते हैं। वो चार आँकड़ों का number है- ‘उन्नीस सौ बाईस-1922-1922’ - इस number पर missed call करने से आप जब चाहें, जहाँ चाहें, जिस भाषा में चाहें, ‘मन की बात’ सुन सकते हैं।

प्यारे देशवासियो, आप सब को फिर से नमस्कार। मेरी पानी की बात मत भूलना। याद रहेगी न? ठीक है। धन्यवाद। नमस्ते।

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Text of PM Modi's address to the Indian Community in Guyana
November 22, 2024
The Indian diaspora in Guyana has made an impact across many sectors and contributed to Guyana’s development: PM
You can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian: PM
Three things, in particular, connect India and Guyana deeply,Culture, cuisine and cricket: PM
India's journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability: PM
India’s growth has not only been inspirational but also inclusive: PM
I always call our diaspora the Rashtradoots,They are Ambassadors of Indian culture and values: PM

Your Excellency President Irfan Ali,
Prime Minister Mark Philips,
Vice President Bharrat Jagdeo,
Former President Donald Ramotar,
Members of the Guyanese Cabinet,
Members of the Indo-Guyanese Community,

Ladies and Gentlemen,

Namaskar!

Seetaram !

I am delighted to be with all of you today.First of all, I want to thank President Irfan Ali for joining us.I am deeply touched by the love and affection given to me since my arrival.I thank President Ali for opening the doors of his home to me.

I thank his family for their warmth and kindness. The spirit of hospitality is at the heart of our culture. I could feel that, over the last two days. With President Ali and his grandmother, we also planted a tree. It is part of our initiative, "Ek Ped Maa Ke Naam", that is, "a tree for mother”. It was an emotional moment that I will always remember.

Friends,

I was deeply honoured to receive the ‘Order of Excellence’, the highest national award of Guyana. I thank the people of Guyana for this gesture. This is an honour of 1.4 billion Indians. It is the recognition of the 3 lakh strong Indo-Guyanese community and their contributions to the development of Guyana.

Friends,

I have great memories of visiting your wonderful country over two decades ago. At that time, I held no official position. I came to Guyana as a traveller, full of curiosity. Now, I have returned to this land of many rivers as the Prime Minister of India. A lot of things have changed between then and now. But the love and affection of my Guyanese brothers and sisters remains the same! My experience has reaffirmed - you can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian.

Friends,

Today, I visited the India Arrival Monument. It brings to life, the long and difficult journey of your ancestors nearly two centuries ago. They came from different parts of India. They brought with them different cultures, languages and traditions. Over time, they made this new land their home. Today, these languages, stories and traditions are part of the rich culture of Guyana.

I salute the spirit of the Indo-Guyanese community. You fought for freedom and democracy. You have worked to make Guyana one of the fastest growing economies. From humble beginnings you have risen to the top. Shri Cheddi Jagan used to say: "It matters not what a person is born, but who they choose to be.”He also lived these words. The son of a family of labourers, he went on to become a leader of global stature.

President Irfan Ali, Vice President Bharrat Jagdeo, former President Donald Ramotar, they are all Ambassadors of the Indo Guyanese community. Joseph Ruhomon, one of the earliest Indo-Guyanese intellectuals, Ramcharitar Lalla, one of the first Indo-Guyanese poets, Shana Yardan, the renowned woman poet, Many such Indo-Guyanese made an impact on academics and arts, music and medicine.

Friends,

Our commonalities provide a strong foundation to our friendship. Three things, in particular, connect India and Guyana deeply. Culture, cuisine and cricket! Just a couple of weeks ago, I am sure you all celebrated Diwali. And in a few months, when India celebrates Holi, Guyana will celebrate Phagwa.

This year, the Diwali was special as Ram Lalla returned to Ayodhya after 500 years. People in India remember that the holy water and shilas from Guyana were also sent to build the Ram Mandir in Ayodhya. Despite being oceans apart, your cultural connection with Mother India is strong.

I could feel this when I visited the Arya Samaj Monument and Saraswati Vidya Niketan School earlier today. Both India and Guyana are proud of our rich and diverse culture. We see diversity as something to be celebrated, not just accommodated. Our countries are showing how cultural diversity is our strength.

Friends,

Wherever people of India go, they take one important thing along with them. The food! The Indo-Guyanese community also has a unique food tradition which has both Indian and Guyanese elements. I am aware that Dhal Puri is popular here! The seven-curry meal that I had at President Ali’s home was delicious. It will remain a fond memory for me.

Friends,

The love for cricket also binds our nations strongly. It is not just a sport. It is a way of life, deeply embedded in our national identity. The Providence National Cricket Stadium in Guyana stands as a symbol of our friendship.

Kanhai, Kalicharan, Chanderpaul are all well-known names in India. Clive Lloyd and his team have been a favourite of many generations. Young players from this region also have a huge fan base in India. Some of these great cricketers are here with us today. Many of our cricket fans enjoyed the T-20 World Cup that you hosted this year.

Your cheers for the ‘Team in Blue’ at their match in Guyana could be heard even back home in India!

Friends,

This morning, I had the honour of addressing the Guyanese Parliament. Coming from the Mother of Democracy, I felt the spiritual connect with one of the most vibrant democracies in the Caribbean region. We have a shared history that binds us together. Common struggle against colonial rule, love for democratic values, And, respect for diversity.

We have a shared future that we want to create. Aspirations for growth and development, Commitment towards economy and ecology, And, belief in a just and inclusive world order.

Friends,

I know the people of Guyana are well-wishers of India. You would be closely watching the progress being made in India. India’s journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability.

In just 10 years, India has grown from the tenth largest economy to the fifth largest. And, soon, we will become the third-largest. Our youth have made us the third largest start-up ecosystem in the world. India is a global hub for e-commerce, AI, fintech, agriculture, technology and more.

We have reached Mars and the Moon. From highways to i-ways, airways to railways, we are building state of art infrastructure. We have a strong service sector. Now, we are also becoming stronger in manufacturing. India has become the second largest mobile manufacturer in the world.

Friends,

India’s growth has not only been inspirational but also inclusive. Our digital public infrastructure is empowering the poor. We opened over 500 million bank accounts for the people. We connected these bank accounts with digital identity and mobiles. Due to this, people receive assistance directly in their bank accounts. Ayushman Bharat is the world’s largest free health insurance scheme. It is benefiting over 500 million people.

We have built over 30 million homes for those in need. In just one decade, we have lifted 250 million people out of poverty. Even among the poor, our initiatives have benefited women the most. Millions of women are becoming grassroots entrepreneurs, generating jobs and opportunities.

Friends,

While all this massive growth was happening, we also focused on sustainability. In just a decade, our solar energy capacity grew 30-fold ! Can you imagine ?We have moved towards green mobility, with 20 percent ethanol blending in petrol.

At the international level too, we have played a central role in many initiatives to combat climate change. The International Solar Alliance, The Global Biofuels Alliance, The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Many of these initiatives have a special focus on empowering the Global South.

We have also championed the International Big Cat Alliance. Guyana, with its majestic Jaguars, also stands to benefit from this.

Friends,

Last year, we had hosted President Irfaan Ali as the Chief Guest of the Pravasi Bhartiya Divas. We also received Prime Minister Mark Phillips and Vice President Bharrat Jagdeo in India. Together, we have worked to strengthen bilateral cooperation in many areas.

Today, we have agreed to widen the scope of our collaboration -from energy to enterprise,Ayurveda to agriculture, infrastructure to innovation, healthcare to human resources, anddata to development. Our partnership also holds significant value for the wider region. The second India-CARICOM summit held yesterday is testament to the same.

As members of the United Nations, we both believe in reformed multilateralism. As developing countries, we understand the power of the Global South. We seek strategic autonomy and support inclusive development. We prioritize sustainable development and climate justice. And, we continue to call for dialogue and diplomacy to address global crises.

Friends,

I always call our diaspora the Rashtradoots. An Ambassador is a Rajdoot, but for me you are all Rashtradoots. They are Ambassadors of Indian culture and values. It is said that no worldly pleasure can compare to the comfort of a mother’s lap.

You, the Indo-Guyanese community, are doubly blessed. You have Guyana as your motherland and Bharat Mata as your ancestral land. Today, when India is a land of opportunities, each one of you can play a bigger role in connecting our two countries.

Friends,

Bharat Ko Janiye Quiz has been launched. I call upon you to participate. Also encourage your friends from Guyana. It will be a good opportunity to understand India, its values, culture and diversity.

Friends,

Next year, from 13 January to 26 February, Maha Kumbh will be held at Prayagraj. I invite you to attend this gathering with families and friends. You can travel to Basti or Gonda, from where many of you came. You can also visit the Ram Temple at Ayodhya. There is another invite.

It is for the Pravasi Bharatiya Divas that will be held in Bhubaneshwar in January. If you come, you can also take the blessings of Mahaprabhu Jagannath in Puri. Now with so many events and invitations, I hope to see many of you in India soon. Once again, thank you all for the love and affection you have shown me.

Thank you.
Thank you very much.

And special thanks to my friend Ali. Thanks a lot.