न्यू इंडिया की नई अर्थव्यवस्था में काफी अवसर हैं। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था युवाओं के लिए एम्प्लॉयमेंट और आन्त्रप्रेन्योशिप में अवसर पैदा कर रही है। कई रिपोर्ट और इंडिकेटर्स हैं जो हेल्दी जॉब क्रिएशन को दिखाते हैं।

रिसर्च रिपोर्ट

वर्ल्ड डेटा लैब के एक विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की संख्या अब 5 करोड़ से कम है। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए, उन्हें कुछ आर्थिक गतिविधियों में एन्गेज होना होगा।

मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट द्वारा "इंडिया लेबर मार्केट- ए न्यू एम्फसिस ऑन गेनफुल एम्प्लॉयमेंट" शीर्षक से एक अध्ययन में इस तथ्य को उजागर किया है कि सरकारी खर्च में वृद्धि, स्वतंत्र कार्य और उद्यमशीलता में वृद्धि के कारण 2014-17 के दौरान 20-26 मिलियन लोगों के लिए इंक्रिमेंटल जॉब्स में वृद्धि हुई है।

जनवरी 2018 में नैस्कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑटोमोटिव, आईटी-बीपीएम, रिटेल और टेक्सटाइल समेत चार मुख्य क्षेत्रों में 2014-17 के बीच लगभग 1.4 करोड़ नई नौकरियां पैदा हुई हैं। इनमें से लगभग 65 लाख नौकरियां अकेले रिटेल सेक्टर में क्रिएट हुईं।


वाहन बिक्री से रोजगार सृजन के संकेत

वित्त वर्ष 2018 में भारत में लगभग 7.5 लाख वाहन बेचे गए थे। 25% की रिप्लेसमेंट रेट को ध्यान में रखते हुए, इसका मतलब यह है कि परिवहन क्षेत्र में 5.6 लाख नए कमर्शियल व्हीक्लस शामिल हुए। प्रत्येक कमर्शियल व्हीक्ल के लिए 2 की रोजगार की क्षमता को मानते हुए हम अनुमान लगा सकते हैं कि अकेले इस क्षेत्र में वार्षिक 11 लाख नौकरियां पैदा हुईं। अगर कारों, 3 पहिया और ट्रैक्टरों की बिक्री को अलावा जोड़ा जाए तो अकेले इस क्षेत्र के द्वारा 30 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुई हैं।


मैन्युफैक्चरिंग एंड और इंवेस्टमेंट ड्राइविंग एम्प्लॉयमेंट

2014 में मोबाइल और पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की संख्या 2 से बढ़कर 2018 में 268 हो गई। इन इकाइयों ने लाखों युवाओं के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के नए रास्ते खोल दिए हैं। इस तरह के बड़े पैमाने पर विस्तार से अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन पर भी असर पड़ता है।

भारत में बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ। एफडीआई इनफ्लो 2013-14 में 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2017-18 में 61.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। पिछले 20 सालों में पहली बार 2018 में भारत में चीन से ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ। इस तरह के बड़े निवेश से ग्रोथ और जॉब्स को बढ़ावा मिलता है।

टूरिज्म

टूरिज्म सेक्टर को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पैदा करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। पिछले 4 वर्षों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई और पर्यटन से विदेशी मुद्रा की कमाई 18 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 27 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गई। आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि ने हॉस्पिलिटी और टूरिज्म सेक्टर में अधिक रोजगार पैदा किया है।

पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र ने पिछले चार वर्षों के दौरान देश में 14.62 मिलियन (1.46 करोड़) रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।

2018 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 120 मिलियन को पार गया। जैसा कि 'उड़ान' ने भारत के एविएशन मैप में 30 से अधिक ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स को जोड़ा है। इन हवाई अड्डों ने टायर II और टायर III शहरों में नौकरियों और आजीविका के अवसरों का भी सृजन किया।

केपीएमजी (KPMG) के अनुसार ट्रावेल और टूरिज्म सेक्टर में प्रति वर्ष 16% की दर से वृद्धि हुई और हर साल 30-40 लाख नौकरियां पैदा हो रही हैं।

सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट

'मुद्रा' योजना का लक्ष्य उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के अन-कलैटरलाइज लोन उपलब्ध करना है। 7 लाख करोड़ से अधिक के 15 करोड़ से अधिक मुद्रा लोन छोटे उद्यमियों को वितरित किए गए हैं। 4 करोड़ से अधिक फर्स्ट टाइम उधारकर्ताओं ने इस क्रेडिट का उपयोग करके अपना व्यवसाय शुरू किया है। उन्होंने न केवल अपने लिए रोजगार पाया, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा किया।

सीआईआई के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि एमएसएमई सेक्टर ने पिछले चार वर्षों में हर साल लगभग 1.49 करोड़ नौकरियां जोड़ी हैं। इसका मतलब है कि एमएसएमई सेक्टर में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग 6 करोड़ नौकरियां जोड़ी गईं।

फॉर्मल जॉब्स

आयकर विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार आकलन वर्ष (AY) 2014-15 और AY 2017-18 के बीच सालाना औसतन 1.5 लाख टैक्स भुगतान करने वाले प्रोफेशनल्स को जोड़ा गया है। इन प्रोफेशनल्स में से कुछ को कम से कम कुछ सहायक कर्मचारी नियुक्त करते हैं, इन पेशेवरों द्वारा सालाना लाखों नए रोजगार सृजित किए जाते हैं।

सितंबर 2017 और नवंबर 2018 के बीच कर्मचारियों के भविष्य निधि संगठन डेटाबेस से कुल 73.50 लाख नए ग्राहक जोड़े गए। इसी तरह, सितंबर 2017 और नवंबर 2018 के बीच हर महीने लगभग 10 लाख ग्राहक कर्मचारी राज्य बीमा निगम डेटाबेस में जोड़े गए। अगर हम ईपीएफओ डेटा के साथ 50% ओवरलैप मानते हैं, तो भी इससे लगभग 10 लाख श्रमिकों को प्रति माह औपचारिक कार्यबल में जोड़ा जा सकता है, यानि प्रति वर्ष 1.2 करोड़। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों ने नौकरियों की संख्या के दावे किए हैं, जिसमें कर्नाटक भी शामिल है जिसने 2013-18 के दौरान 53 लाख नौकरियां पैदा करने का दावा किया है। पश्चिम बंगाल ने 2012-16 के दौरान 68 लाख और 2017 में 9 लाख नौकरियां पैदा करने का दावा किया था। क्या यह संभव है कि विभिन्न राज्यों में रोजगार सृजन हो रहा है, लेकिन देश में नहीं?

सड़कों, रेलवे और बिजली संयंत्रों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के रूप में ग्रामीण सड़कों, रेलवे लाइनों और राजमार्गों के निर्माण की गति लगभग सभी दोगुनी हो गई है, ऐसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अधिक लोगों को रोजगार मिला होगा।

भारत स्टार्ट-अप के टॉप हब में से एक के रूप में उभरा है और मोबाइल ऐप्स और एग्रीगेटर्स का एक इकोसिस्टम है जो फूड, लॉजिस्टिक, रिटेल आदि जैसे क्षेत्रों में बनाया गया है। इसने रोजगार सृजन को प्रेरित किया है।

यह स्पष्ट है कि सभी क्षेत्रों में मोदी सरकार के कार्यकाल में सस्टेनेबल बेसिस पर ह्यूमन कैपिटल को एन्गेज करने के लिए कई नए रास्ते का प्रसार देखा गया है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।