2014 में, जब नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री का पदभार संभाला, तो उनकी सबसे बड़ी चुनौती न केवल संघर्षरत अर्थव्यवस्था थी, बल्कि राष्ट्र को व्यापक रूप से एकजुट करने का अनिवार्य कार्य भी था। देश भर में सार्वजनिक सेवाओं, सब्सिडी और स्वास्थ्य सेवा को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से दशकों की योजनाओं के बावजूद, सप्लाई चेन को लगातार महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान के कारण लीकेज का सामना करना पड़ा, जिससे आबादी का एक बड़ा अपने हक से वंचित रह गया।

सरकारी खजाने से, गरीबों तक हर रुपये से केवल 15 पैसे पहुंचने का पुराना राजनीतिक कटाक्ष भारत में सभी कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए बड़ी बाधा था। लाभार्थी लापता, बोगस या अस्तित्वहीन थे, और इस प्रकार, बिचौलियों ने गरीबों के लिए लाभ और संसाधनों का लाभ उठाया।

भारत असमानता से जूझ रहा था, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों ने तेजी से डिजिटलीकरण को अपनाया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के पिछड़ने का खतरा था। जबकि शहरों ने संचार, बैंकिंग, वित्त और चिकित्सा में नवीनतम तकनीकों को अपनाया, ग्रामीण आबादी को वित्तीय बहिष्कार का सामना करना पड़ा, सप्लाई चेन लीकेज से जूझना पड़ा, और अक्सर सत्यापन योग्य पहचान का अभाव था।

140 करोड़ लोगों को जोड़ने की चुनौती का हल करने के लिए एक सूजबूझ भरी शुरुआत की जरूरत थी। 1999 में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने एक 'बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान पत्र' का प्रस्ताव रखा, जिसे बाद में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) द्वारा 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) में स्वीकार किया गया। हालांकि, इस विचार को रणनीतिक कार्यान्वयन की आवश्यकता थी।

आधार (Aadhaar) JAM) त्रिवेणी का एक महत्वपूर्ण घटक बनकर उभरा। दिसंबर 2014 तक, 72 करोड़ से अधिक लोगों ने आधार कार्ड के लिए नामांकन कर लिया था, और अप्रैल 2018 तक, लगभग 120 करोड़ भारतीयों को आधार से जोड़ा जा चुका था, कई राज्यों ने आधार कार्ड धारकों की संख्या अपने कुल जनसंख्या से भी अधिक दर्ज कर ली थी।

आधार ने जन धन खातों को खोलने की सुविधा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे 800 मिलियन से अधिक ग्रामीण निवासियों को वित्तीय प्रणाली से बाहर रखे जाने के दीर्घकालिक मुद्दे को दूर किया गया। दिसंबर 2014 तक, सौ करोड़ से अधिक बैंक खाते आधार से जुड़ चुके थे, जिससे सब्सिडी ट्रांसफर में लीकेज को रोका गया और लाभार्थियों को सशक्त बनाया गया। आधार और जन धन खातों का संयोजन सफल साबित हुआ, वित्त वर्ष 2015 में प्रतिदिन 3 लाख नए जन धन खाते और 5 लाख आधार कार्ड नामांकन देखने को मिले। आज, जन धन खातों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के तहत ही आधार एक आधारभूत पहचान के रूप में उभरा। कांग्रेस सरकार के विपरीत, मोदी सरकार आधार की संभावनाओं और इससे जुड़े सभी लाभों को लेकर काफी उत्साहित थी। उदाहरण के लिए, जबकि कांग्रेस ने जनवरी 2014 में चुनावी नतीजों के डर से LPG डीबीटी को बंद कर दिया था, मोदी सरकार ने जन धन योजना कार्यक्रम के माध्यम से सभी के लिए बैंकिंग पहुंच सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया।

सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से जन धन योजना, मोदी सरकार की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक रही है। इसने न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेश सुनिश्चित किया बल्कि उन महिलाओं को भी सशक्त बनाया जो पहले नकदी पर निर्भर थीं या जिनके पास वित्तीय स्वतंत्रता नहीं थी। 2023 के अंत तक, जन धन खातों में जमा राशि 2.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई, जिसने सभी विरोधियों को गलत साबित कर दिया।

मोबाइल फोन, जो तीसरा कंपोनेंट है, ने जन धन और आधार कार्यक्रमों की व्यापकता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा दिया है। देश में 600 मिलियन यूनिक मोबाइल फोन यूजर्स के साथ, खाता संख्याओं को आधार और जन धन खातों से जोड़ने से व्यापकता, पहुंच और स्थायित्व सुव्यवस्थित हुआ।

JAM त्रिवेणी, जो अब भारत में डिजिटल गवर्नेंस की आधारशिला है, आवास, स्वास्थ्य सेवा, रियायती ईंधन, बैंकिंग और DBT सहित कई सरकारी सेवाओं का समर्थन करती है। एलपीजी सब्सिडी और यूरिया वितरण के लिए ‘Pahal’ जैसे प्रयासों ने सप्लाई चेन के लीकेज को कम करने में सफलतापूर्वक काम किया है।

मोदी सरकार के दस वर्षों में, उल्लेखनीय उपलब्धियां देखी गई हैं जो JAM त्रिवेणी का परिणाम रही हैं। सबसे पहले, सिस्टम से 10 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को हटा दिया गया है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से, सैकड़ों कल्याण कार्यक्रमों में 100 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को ₹34 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। इन डीबीटी ने रूरल माइक्रो इकोसिस्टम के व्यापक विकास को सुनिश्चित किया है।

JAM त्रिवेणी के महत्व को महामारी के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। महिलाओं को कैश ट्रांसफर से लेकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत खाद्यान्न आवंटन तक, इनमें से कुछ भी JAM त्रिवेणी के बिना संभव नहीं होता।

JAM त्रिवेणी ने डेटा साइंस के क्षेत्र में भी एक और अवसर पैदा किया है। नीतिगत दृष्टिकोण से, सरकार गैर-व्यक्तिगत डेटा सेट की उपयोगिता के साथ प्रयोग करने के लिए उत्सुक रही है जिसका लाभ युवा उद्यमियों और अन्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को मिल सकता है।

इसके अलावा, जैसा कि कई मंत्रालय विभिन्न कार्यक्रमों से डेटा एकत्र करते हैं, नीति निर्माण को क्षेत्र और आवश्यकताओं के अनुसार बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए, जैसा कि 2020 के दशक में आयुष्मान भारत कार्यक्रम से डेटा तेजी से बढ़ता है, स्थानीय निकाय और सरकारें प्रतिक्रियात्मक मॉडल से निवारक मॉडल की ओर जा सकते हैं।

भारत में डिजिटल गवर्नेंस के फलने-फूलने के लिए, एक मजबूत नींव आवश्यक थी, और JAM त्रिवेणी ने यही भूमिका अदा की। जैसा कि पीएम मोदी ने 2014 में वादा किया था - 'अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार' लीकेज और बिचौलिया रहित सिस्टम के बारे में है। जहां 15 पैसे नहीं बल्कि पूरा रुपया लाभार्थी तक पहुंचता है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।