भारत को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए सोशियल मीडिया का महत्तम उपयोग किस तरह किया जा सकता है, इस दिशा में भाजपा प्रयास कर रही है, इसका मुझे आनंद है
सोशियल मीडिया एकसमान लोगों का माध्यम है, मतलब कि कोई एक व्यक्ति या संस्था इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते और ना ही अपने स्वार्थ के लिए इसका मनचाहा उपयोग कर सकते हैं
घर, ऑफिस और स्कूलों में हमारा व्यवहार अन्य लोगों का मान सम्मान बरकरार रखने संबंधी कई स्वीकृत नीति- नियमों पर आधारित है । यही बात सोशियल मीडिया पर भी लागु होनी चाहिए
सोशियल मीडिया पर सच्ची भावनाएं हैं, सच्चे दिल के भाव हैं और कुछ करके दिखाने और परिवर्तन लाने की बिल्कुल वाजिब आकांक्षाएं हैं। हमें भी इन भावनाओं को सुनना चाहिए, इसे सराहना चाहिए
एशियन न्यूज इंटरनेशनल के साथ एक खास साक्षात्कार में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मतदाताओं में जागृति लाने के लिए सोशियल मीडिया की खासियत साझा की।सवाल: मोदी जी, आजकल आपके और भाजपा के द्वारा सोशियल मीडिया के उपयोग पर बहुत सारी बातें चल रही हैं, आपके मत से इस प्रचार में सोशियल मीडिया की भूमिका क्या है?
श्री नरेन्द्र मोदी: अगर कोई मेरे हाल ही के भाषणों पर नजर डाले तो पता चलेगा कि मैं कहता हूं कि यह जमाना ज्ञान और जानकारी का है। ज्ञान रखने और उसके प्रसार पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का एकाधिकार नहीं हो सकता। इस डिजिटल युग में जो कुछ भी कहा जाए उसे सुन- जानकार सीखने की अत्यंत जरूरत है। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय नेता के लिए यह जरूरी है कि वह लोगों के साथ, खास तौर पर युवाओं के साथ टू वे कम्युनिकेशन (पारस्परिक संवाद) स्थापित करे। मेरे मत से ऐसा करने के लिए सोशियल मीडिया सबसे शक्तिशाली माध्यम है। कुछ समय पूर्व मैं पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ था। मैने मेरे भाषण के बारे में उनसे सुझाव मांगे थे तो उन्होंने सोशियल मीडिया द्वारा मुझे प्रतिभाव दिये। भारत को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए सोशियल मीडिया का अधिकतम् उपयोग किस तरह किया जा सकता है उस दिशा में भाजपा प्रयास कर रही है, इसका मुझे आनंद है।
सवाल: मोदी जी, आपको सोशियल मीडिया की शक्ति का सबसे ज्यादा अनुभव हुआ हो, ऐसी कोई घटना बताएंगे?
श्री नरेन्द्र मोदी: सोशियल मीडिया में किसका समावेश किया जाना चाहिए, इस बारे में अपनी व्याख्या को जरा वृहद बनाया जाए यह जरूरी है। सिर्फ ट्वीटर या फेसबुक ही पर्याप्त नहीं है। जैसे कि, इंटरनेट पर वीडियो शेरिंग द्वारा ज्ञान प्राप्त करने के लिए यु-ट्युब का लोगों द्वारा जिस प्रकार उपयोग किया जा रहा है इसे देखकर मुझे ताज्जुब होता है। या फिर जब व्यक्ति वोट्सएप जैसी उपयोग में अत्यंत सरल एप्लिकेशन देखता है तो फिर इस माध्यम की शक्ति की सराहना किए बिना नहीं रह सकते। ऐसा कई बार होता है कि कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने या कोई आपदा आने के समाचार सबसे पहले सोशियल मीडिया पर ही नजर आते हैं। आपदा के इन क्षणों में मुझे सोशियल मीडिया की सच्ची शक्ति दिखाई देती है। हाल ही में उत्तराखंड की आपदा के समय गुम हुए लोगों की खबरें उनके स्वजनों तक पहुंचाने में सोशियल मीडिया ने जो योगदान दिया है, उसे देखकर मुझे आश्चर्य हुआ था।
सवाल: मोदी जी, आपके बहुत सारे आलोचकों का आरोप है कि आपके पास एक बड़ा प्रचारतंत्र है जो सोशियल मीडिया पर आपकी मौजूदगी को बनाए रखता है और आपका प्रचार करता रहता है। इन लोगों को आप क्या कहना चाहते हैं?
श्री नरेन्द्र मोदी : मेरा सभी से आग्रह है कि आम आदमी को, देश के युवाओं को, जिनको इस माध्यम के रूप में उनकी आवाज व्यक्त करने का अवसर मिला है, उसका अपमान ना किया जाए, उनको भ्रमित ना किया जाए। आवश्यक है कि हम इस माध्यम के स्वरूप को समझें। यह एकसमान लोगों का माध्यम है। मतलब कि, कोई एक व्यक्ति या संस्था इस पर नियंत्रण लगा नहीं सकते ना ही इसका अपने स्वार्थ के लिए मनचाहा उपयोग कर सकते हैं। और सोशियल मीडिया के इस मूलभूत स्वरूप का हमें आदर करना चाहिए। मैं यहां मुम्बई के एक रेस्टोरेंट का उदाहरन दूंगा जिसे हाल ही में कांग्रेस की असहिष्णुता का शिकार बनना पड़ा है। किसी जागरूक नागरिक ने इस रेस्टोरेंट की रसीद को सोशियल मीडिया पर शेयर किया। कुछ समय में तो यह सब जगह फैल गई। किसी अखबार के ध्यान में आया और उसने इस पर खबर छाप दी। इस घटना को लेकर अपनी निराशा व्यक्त करने वाले लोगों के साथ मैने भी सोशियल मीडिया के सहारे मेरा सुर मिलाया और हमदर्दी जताई। यह ताकत है इस माध्यम की। दूसरों को सुनो, अपनी बात शेयर करो और लोगों के साथ बातचीत करो। सोशियल मीडिया में मूलभूत रूप से यही होता है।
सवाल: मोदी जी, सोशियल मीडिया के खिलाफ अगर कोई सबसे बड़ी शिकायत है तो वह है, जिसे लोग ट्रॉलिंग कहते हैं। अर्थात कि उत्तेजनात्मक या झूठी खबरें फैलाना। लोगों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करना। यह सोशियल मीडिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। कुछ समय पूर्व ही जानेमाने लोगों और उनके परिवार पर सोशियल मीडिया पर व्यक्तिगत हमला किया गया था। इस जोखिम को कैसे खत्म किया जा सकता है और इस पर आपके क्या सुझाव हैं?
श्री नरेन्द्र मोदी: हमारी संस्कृति में पहले से ही बड़ों और विद्वानों का आदर करने की परम्परा है। इसी तरह हम नारी के सामर्थ्य को शक्ति की तरह पूजते हैं। सोशियल मीडिया पर अपना अभिप्राय रखने का यह मतलब नहीं है कि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को खो चुके हैं। घर, ऑफिस और स्कूलों में हमारा व्यवहार अन्य लोगों का मान- सम्मान बरकरार रखने संबंधी कई नीति नियमों पर आधारित है। यही बात सोशियल मीडिया पर भी लागु होनी चाहिए। आज मैं कहता हूं कि पश्चिमीकरण बगैर आधुनिकीकरण। हमें आधुनिक टेक्नोलॉजी अपनाकर उसकी शक्ति का महत्तम उपयोग करना ही चाहिए। मगर यह सब हमारे परम्परागत मूल्यों को भूलकर नहीं होना चाहिए। आपके द्वारा अभी कहा गया शब्द कहो..हां,,ट्रोलिंग। इस पर से मुझे याद आया कि युद्धों के दौरान इस पद्धति का उपयोग करके और झूठी बातें फैलाकर देश एक दूसरे का किस तरह नुकसान किया करते हैं। कई स्वार्थी लोग ऐसे प्रयासों से सोशियल मीडिया की शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी की डिजिटल इमेज को दुर्भावना से मोर्फ करके सोशियल मीडिया में फैलाए जाने की एक घटना मुझे हाल ही में जानने को मिली। टेक्नॉलॉजी से ऐसा करना आसान बन जाता है। हालांकि, नकली साइट्स और बनावटी अकाउंट द्वारा फैलाई जाने वाली झूठी जानकारियों से हमें बचना चाहिए। जैसे हम वास्तविक जीवन में सच्ची खबर और अफवाह के बीच की भेदरेखा को समझ सकते हैं वैसे ही सोशियल मीडिया पर भी हमें किसका विश्वास करना है और किसका नहीं, इसका खयाल रखना चाहिए।
सवाल: मोदी जी, सोशियल मीडिया काफी हद तक भारत की वास्तविक छवि पेश करता है, इस बारे में आजकल काफी चर्चा हो रही है। सोशियल मीडिया को कितना गम्भीरता से लिया जाए ? सोशियल मीडिया के इनमें से कितने लोग वास्तव में वोट करेंगे?
श्री नरेन्द्र मोदी : मेरे हाल ही के संबोधनों में आप पाएंगे कि मैं ऑनलाइन वोटिंग और उम्मीदवार को नापसन्द करने जैसे चुनाव सुधारों की आवश्यकता पर कई बार बोला हूं। हमारे युवा लोकतांत्रिक परम्परा से जुड़े रहें यह हमें सुनिश्चित करना चाहिए। वह जिन माध्यमों का उपयोग करते हैं उनके द्वारा ही हमें उन्हें लोकतांत्रिक प्रणालियों में शामिल होने का अवसर देना चाहिए। मेरी नजर में सोशियल मीडिया ऐसा ही एक माध्यम है।
मैं कहूंगा कि सोशियल मीडिया मीडिया पर ऐसे कई लोग हैं जो वास्तव में अपनी, अपनी आवाज लोगों के समक्ष रखना चाहते हैं। जैसे कि, हमारी शिक्षा व्यवस्था की समस्याओं के बारे में जब लोगों के सुझाव मंगवाए तो सोशियल मीडिया पर मुझे काफी गम्भीर और विचार करने योग्य प्रतिभाव मिले। इसी तरह हैदराबाद में मेरे आगामी भाषण पर मैने आइडियाज मांगे तो अर्थव्यवस्था, रोजगार और आंध्रप्रदेश के लिए रोडमेप सहित कई विषयों पर मुझे प्रतिसाद मिला।
सोशियल मीडिया पर सच्ची भावनाएं हैं, सच्चे दिल के भाव हैं और कुछ करके दिखाने और परिवर्तन लाने की बिल्कुल वाजिब आकांक्षाएं हैं। हमें भी इन भावनाओं को सुनना चाहिए, इसे सराहना चाहिए। इनका आदर करना चाहिए। आज बहुत सारे भारतीयों के पास मोबाइल फोन है। एसएमएस के मल्टिपल शेरिंग
द्वारा एक छोटा सा विचार मिनटों में दूर- दूर तक पहुंच सकता है। इन तमाम संभावनाओं का अधिकतम उपयोग हमें करना चाहिए। चुनाव और प्रचार तो आएंगे, जाएंगे। लेकिन हमारे लोकतंत्र को ज्यादा मजबूत और कारगर बनाने के उद्देश्य में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। हमारे लोकतांत्रिक देश में आज जिनका बड़ा हिस्सा है, उन युवाओं की भावनाओं और आकांक्षाओं का खयाल रखा जाना चाहिए।