आतंकवाद प्रमुख वैश्विक चुनौती है: प्रधानमंत्री मोदी
पूरे विश्व को बिना किसी राजनीतिक विचार के आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर में बोलते हुए एकजुट होकर कार्रवाई करनी: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवादी समूहों और राज्यों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
हमें आतंकवाद का समर्थन करने वालों को अलग-थलग करना होगा और उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा जो मानवता के हमारे मूल्यों को साझा करते हैं: पीएम
हमें आतंकवाद की नई-नई चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे का पुनर्गठन करने की जरूरत है: प्रधानमंत्री मोदी
हमें बिना किसी देरी के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक समझौते को अपनाना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
खुफिया जानकारी और आतंकवाद के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
हमें आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति, उनकी गतिविधियों तथा उनके वित्तीय पोषण पर अंकुश लगाने के हमारे प्रयासों में मजबूती लानी चाहिए: पीएम
हम साइबर स्पेस की सुरक्षा में एक-दूसरे की मदद करें और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इंटरनेट व सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करें: पीएम
हमें आतंक को धर्म से अलग करना होगा और कट्टरता का मुकाबला करने के लिए एक साथ काम करना होगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

महामहिम ,

आतंकवाद प्रमुख वैश्विक चुनौती है। संर्घष झेल रहे क्षेत्रों से लेकर दूरदराज की सड़कों तक आतंकवाद भयावह कीमत उगाहता है।

आतंकवाद का पुराना ढांचा बचा हुआ है। कुछ ऐसे देश हैं जो अभी भी राज्य नीति के औजार के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

लेकिन , हम आतंकवाद के बदलते स्वरूप को भी देखते हैः वैश्विक संपर्क , मताधिकार संबंध, घर में पनपा आतंकवाद और भर्ती तथा प्रचार के लिए साइबर स्पेस का इस्तेमाल।

बहुलवादी और मुक्त समाजों को नए स्तर का खतरा है। भर्ती का भूम-भाग और आक्रमण का लक्ष्य समान समाज है।

हमारी सुरक्षा का वैश्विक ढांचा दूसरे युग और अन्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए परिभाषित है। और हम अपने औजारों के इस्तेमाल में चुनिंदा होना चाहते हैं।

महामहिम , हम जिसका सामना कर रहे हैं उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे खतरों का जवाब देते हैं।

पूरे विश्व का स्वर एक होना चाहिए और बिना किसी राजनीतिक विचार के आतंकवाद के खिलाफ हमें एकजुट कार्रवाई करनी चाहिए।

आतंकवादी समूहों और राज्यों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

हमें उन्हें अलग-थलग करना होगा जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं , आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं ।और हमें उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा जो मानवता के हमारे मूल्यों को साझा करते हैं।

आतंकवाद की अनूठी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें अतंर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को नया रूप देना होगा।

हमें विलंब किए बिना अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को अपनाना चाहिए।

गुप्तचर और आतंकवाद के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि की जानी चाहिए। आतंकवादियों को हथियारों की सप्लाई , उनकी गतिविधियों को बाधित करने तथा आतंकवाद के वित्तीय पोषण पर अंकुश लगाने और उसे अपराध घोषित करने में हमें अपने प्रयासों में मजबूती लानी चाहिए।

हमें साइबर स्पेस की सुरक्षा में एक दूसरे की मदद करनी होगी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कम करना चाहिए।

हमें चरमपंथ के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन के लिए धार्मिक नेताओं , चिंतकों और राय बनाने वाले लोगों को शामिल करने की आवश्यकता है, विशेषकर युवाओं को संबोधित करने की आवश्यकता है। यह उन देशों में अत्यधिक आवश्यक है जहां आतंकवाद विकट रूप में है।

हमें आतंक और धर्म को एक दूसरे से अलग करने तथा उग्रवाद से मुकाबला करने में एक साथ आने की आवश्यकता है ।

पश्चिम एशिया और अफ्रीका में सीमा पर शांति और स्थायित्व को प्रोत्साहित करना समान रूप से महत्वपूर्ण है।

यह वर्तमान शरणार्थी संकट से निपटने के लिए भी आवश्यक है।

महामहिम ,

आज पूरे विश्व में लगभग 60 मीलियन लोगों को सुरक्षा की आवश्कता है।

पश्चिम एशिया संकट ने गंभीर मानवीय चुनौती पर विश्व का ध्यान केंद्रित किया है। इसका व्यापक प्रभाव संकट का सामना कर रहे देशों पर भी है।

हम सीमाओं को खोलने वाले तथा शरण देने वाले देशों को धन्यवाद देते हैं । पूर विश्व में हमारी सबसे बड़ी मानवीय चुनौती से निपटने में हमें संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण को दीर्घकालिक बनाने और उसकी भूमिका को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।