अंतरिक्ष में भारत की नयी उड़ान

Published By : Admin | February 15, 2024 | 18:13 IST

अपनी स्थापना के बाद से, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक शक्तिशाली ताकत के रूप में विकसित हुआ है, जिसने वैज्ञानिक प्रगति, टेक इनोवेशन और राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हाल के वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने और भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अभूतपूर्व उपलब्धियों में सबसे आगे है।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रगति को मापने का एक महत्वपूर्ण तरीका है सैटेलाइट लॉन्चिंग की रफ्तार और उनकी क्षमता। वर्ष 2014 से ISRO उल्लेखनीय दर से सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है, जिससे कम्युनिकेशन, नेविगेशन, मौसम पूर्वानुमान और सर्विलांस कैपेसिटी को बढ़ावा मिला है। पिछले दशक में 33 विदेशी और 31 घरेलू सैटेलाइट लॉन्चिंग की तुलना में, 2014 और 2023 के बीच ISRO ने 396 विदेशी और 70 घरेलू सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं। यह आंकड़ा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में हुई महत्वपूर्ण प्रगति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

भारत ने स्वदेशी सैटेलाइट विकसित करने में भी उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे विदेशी तकनीक और विशेषज्ञता पर उसकी निर्भरता कम हो गई है। ISRO की सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग क्षमता तेजी से बढ़ी है, जिसका फोकस पूरी तरह से स्वदेश में ही सैटेलाइट को डिजाइन, बिल्डिंग और लॉन्चिंग करने पर है। यह स्वदेशी अप्रोच न केवल अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बीच इनोवेशन और विशेषज्ञता को भी बढ़ावा देता है। नेविगेशन सैटेलाइट जैसे IRNSS (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) से लेकर कम्युनिकेशन सैटेलाइट जैसे GSAT सीरीज तक, भारत का स्वदेशी सैटेलाइट बेड़ा लगातार विस्तार कर रहा है, जिससे कई प्रकार की राष्ट्रीय जरूरतें पूरी होती हैं।

प्रोपल्शन सिस्टम, सैटेलाइट के मिनिएचराइजेशन, रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन जैसे क्षेत्रों में प्रगति ने भारत को अंतरिक्ष खोज में एक अग्रणी के रूप में स्थापित किया है। GSLV Mk III लॉन्च व्हीकल, चंद्रयान, मंगल मिशन, आदित्य-L1, XPoSAT और आगामी गगनयान ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम जैसी पहलें अंतरिक्ष खोज की सीमाओं को लांघने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बल देती हैं।

वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता को समझते हुए, सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा देने को भी प्राथमिकता दी है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी भागीदारों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों की घोषणा की गई, जिससे उन्हें स्वतंत्र अंतरिक्ष गतिविधियों को करने में सक्षम बनाया गया। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) जैसी पहलें निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने और अंतरिक्ष स्टार्टअप और कंपनियों के लिए अनुकूल पॉलिसी एनवायर्नमेंट बनाने के लिए शुरू की गई हैं।

सुधारों का एक और महत्वपूर्ण पहलू ISRO के इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटीज को निजी क्षेत्र के लिए खोलना है। इस कदम का उद्देश्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाना है, जिसमें टेस्टिंग फैसिलिटीज, लॉन्च पैड्स और लैब्स शामिल हैं, ताकि निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम बनाया जा सके। सरकार इन्हें बिजनेस-फ्रेंडली मैकेनिज्म के माध्यम से फैसिलिटीज उपलब्ध कराकर निजी कंपनियों को वैल्यू चेन में वृद्धि करने और पूर्ण अंतरिक्ष मिशन चलाने में सक्षम बनाना चाहती है।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने कमर्शियल एक्टिविटीज और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। ISRO की कमर्शियल शाखा, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन, विभिन्न देशों और संगठनों के लिए सैटेलाइट के कमर्शियल लॉन्च की सुविधा प्रदान करती है, जिससे रेवेन्यू उत्पन्न होता है और वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा मिलता है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों के साथ सहयोग ने भारत को पारस्परिक लाभ के लिए विशेषज्ञता, रिसोर्सेज और टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने में सक्षम बनाया है। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मंचों और संगठनों में भारत की भागीदारी ने एक जिम्मेदार अंतरिक्ष क्षमताओं वाले राष्ट्र के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत किया है।

इन सुधारों ने भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की एक लहर पैदा कर दी है, जिससे कई स्टार्टअप और कंपनियां अंतरिक्ष खोज के लिए अनोखे समाधान पेश कर रही हैं। भारत में 2014 में केवल एक ही स्पेस स्टार्टअप था, जो बढ़कर 2023 में 189 हो गए हैं। उल्लेखनीय उदाहरणों में चेन्नई स्थित स्टार्टअप Agnikul कॉसमॉस शामिल है, जिसे अपने लॉन्च व्हीकल के महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स के डेवलपमेंट के लिए अंतरिक्ष विभाग से समर्थन प्राप्त हुआ। इसी तरह, प्रोपल्शन सिस्टम डेवलपमेंट में लगी बेलेट्रिक्स एयरोस्पेस को भी अंतरिक्ष विभाग से प्रोत्साहन मिला है। श्रीहरिकोटा में ISRO परिसर में Agnikul कॉसमॉस द्वारा भारत के पहले निजी लॉन्च पैड और मिशन कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन भी भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

हाल के वर्षों में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जो अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और खोज में देश की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है। विशेष रूप से, अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग ISRO के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। यह मिशन, भारत की पहली सोलर ऑब्जर्वेटरी (आदित्य-L1) के लॉन्च और क्रू एस्केप सिस्टम (CES) की डेवलपमेंट फ्लाइट के साथ मिलकर, अंतरिक्ष खोज को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, IN-SPACe की पहल, जैसे स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विक्रम-एस रॉकेट का पहला सब-ऑर्बिटल लॉन्च, भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की बढ़ती क्षमताओं को उजागर करता है।

सरकार के समर्थन, निजी क्षेत्र की भागीदारी और टेक एडवांसमेंट के साझा बल से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निरंतर ग्रोथ और इनोवेशन की ओर अग्रसर है। आगामी मिशनों जैसे कि NASA-ISRO SAR (NISAR) और स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SPADEX) के साथ, भारत अंतरिक्ष खोज और शोध में और प्रगति करने के लिए तैयार है, जो वैज्ञानिक ज्ञान और राष्ट्रीय विकास में योगदान देगा।

2014 के बाद से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति वैज्ञानिक उत्कृष्टता, टेक इनोवेशन और राष्ट्रीय विकास के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सैटेलाइट को अभूतपूर्व दर से लॉन्च करने से लेकर चंद्रमा और मंगल के खोज अभियानों तक, भारत की अंतरिक्ष यात्रा ने वैश्विक मंच पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। जबकि राष्ट्र और भी अधिक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों पर निकल रहा है, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का भविष्य उज्ज्वल दिखता है, जो अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और खोजकर्ताओं को सितारों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
In young children, mother tongue is the key to learning

Media Coverage

In young children, mother tongue is the key to learning
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।