रूस के साथ भारत के अटूट संबंध: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
भारत और रूस जल, जमीन और आकाश, सभी माध्यमों से जुड़े हुए हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
दुनिया उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में जानती है। वे जल्द निर्णय लेने वालों में से हैं: प्रधानमंत्री मोदी
पुतिन जो सोचते हैं, उसे वे स्पष्ट शब्दों में कहते हैं। आप इसे पसंद करें या न करें, वह इसके बारे में इतना नहीं सोचते: प्रधानमंत्री मोदी
भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक एवं मजबूत संबंध: प्रधानमंत्री मोदी
1947 में भारत की आजादी के बाद से भारत और रूस के बीच घनिष्ठ सामरिक साझेदारी: प्रधानमंत्री मोदी
भारत और रूस के बीच विशिष्ट, बहु-स्तरीय एवं बहु-आयामी संबंध: प्रधानमंत्री मोदी
परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में रूस के साथ हमारा सहयोग हमारी सामरिक भागीदारी का एक आधार: प्रधानमंत्री मोदी
मेरा प्रयास है, ‘मेक इन इंडिया’ - विनिर्माण केंद्र का निर्माण करना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
भारत में तेज़ी से विकास हो रहा है और इसे पूरी दुनिया ने माना है: प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। जो मानवता में विश्वास करते हैं, उन सभी ताकतों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
धर्म का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है, सभी को इसके बारे में स्पष्ट शब्दों में बताया जाना चाहिए: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
बहुध्रुवीकरण वैश्विक सच्चाई है। भारत और रूस बहुध्रुवीय दुनिया के दो पक्षों को दिखाते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
योग की उत्पत्ति भारत में हुई है लेकिन यह पूरे विश्व की विरासत है। यह संपूर्ण मानवता और विश्व की दौलत है: प्रधानमंत्री
हमारे देश के भविष्य के लिए अगर कोई शक्ति है तो ये मेरे 1.25 अरब देशवासी हैं और इसलिए मैं उन्हें अपनी शक्ति मानता हूँ: प्रधानमंत्री मोदी

-प्रधानमंत्री महोदय, रूस की अपनी यात्रा से पहले आपने हमें आपसे मिलने का मौका दिया, इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। प्रधानमंत्री के रूप में रूस के लिए यह आपकी पहली आधिकारिक यात्रा है लेकिन आप पहले भी वहाँ गए हुए हैं। इस यात्रा के बारे में आप अभी कैसा महसूस कर रहे हैं? इस यात्रा से आपकी क्या उम्मीदें हैं?

सबसे पहले मैं रूसी नागरिकों को दिल से नमस्कार करता हूँ क्योंकि रूस भारत का अटूट दोस्त है। रूसी नागरिकों ने भी भारत के साथ अटूट संबंध बनाए रखा। और राजनीति से हटकर देखें तो रूसी नागरिकों ने भारतीय परंपराओं और भारत की संस्कृति में काफ़ी रुचि दिखाई है। यह हमारे संबंधों को मजबूत बनाता है। यह मेरी पहली आधिकारिक यात्रा है लेकिन राष्ट्रपति पुतिन से मेरी कई बार मुलाकात हुई है। एक तरह से मेरी और राष्ट्रपति पुतिन की राजनीतिक यात्रा एक समान रही है। उन्होंने 2000 में पदभार संभाला और मैंने 2001 में। 2001 में मैंने एक मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर वहां का दौरा किया। वह मेरी पहली बैठक थी। अब जब मैं रूस जा रहा हूँ तो मेरे मन में एक विचार आता है कि मैंने इस यात्रा में थोड़ी देरी कर दी है। दूसरा, मैं थोड़ा हिचक रहा हूँ। लेकिन मैं उत्साहित भी हूँ क्योंकि मैं एक दोस्त के घर जा रहा हूँ। और एक दोस्त से मिलना, एकता की भावना, भावनाओं का दौर, मैं इसे महसूस कर रहा हूँ। जल, जमीन और आकाश, भारत और रूस सभी माध्यमों से जुड़े हुए हैं। हमारा रक्षा स्रोत, रक्षा बल इन सभी में रूस कई वर्षों से हमसे जुड़ा हुआ है। इसी तरह विश्व में और संकट के समय में, जब आपको एक दोस्त की जरूरत होती है, रूस ने हमेशा हमारा साथ दिया है। हमें कभी यह जानने की जरुरत नहीं पड़ी कि रूस हमारे साथ क्या करेगा। हम आश्वस्त रहते हैं कि हम यह कर रहे हैं और रूस भी हमारे साथ इसे करेगा। तो इस तरह दोनों देशों के बीच विश्वास का माहौल जारी है। और इस अर्थ में हमारे रिश्ते एक तरह से सामरिक भागीदारी के एक नए स्तर पर हैं और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री महोदय, दोनों देशों संबंधों के बारे में आपने हमें काफ़ी विस्तार से बताया। हमारे बीच वर्षों से ऐतिहासिक संबंध हैं। आज के समय में आप इस संबंध की क्रियाशीलता के बारे में क्या सोचते हैं? आपने राष्ट्रपति पुतिन से कई बार मुलाकात की है। आपके उनके साथ व्यक्तिगत संबंध कैसे हैं?

आपने मेरा अभिवादन करते हुए कहा था, “आप तब रूस आ रहे हैं जब वहां काफ़ी ठंड है, दिल्ली में वहां से कम ठंड है; आपको गर्म कपड़ों के साथ आना चाहिए।” अपने मुझे यह सुझाव दिया था। और मैंने सहजता से कहा था कि रूस के लोगों के प्यार में गर्मी है, शून्य डिग्री तापमान में इससे बहुत गर्मी मिलेगी, हमारे बीच ऐसे रिश्ते हैं।

यह सच है कि राष्ट्रपति पुतिन के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं। दुनिया उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में जानती है। वे एक निर्णायक व्यक्ति हैं। और सबसे अच्छी बात यह है कि वे संबंधों को बनाए रखना जानते हैं। संबंधों के लिए बलिदान देने की उनमें विशिष्ट क्षमता है। बहुत कम लोगों में यह चीज़ होती है। इस वजह से किसी भी देश या नेता के साथ तुरंत विश्वास का माहौल बन जाता है। मेरे और राष्ट्रपति पुतिन के बीच विश्वास और आत्मविश्वास एक बहुत बड़ी शक्ति है। दूसरी बात है, खुलापन। बहुत लोग होते हैं जो सोचते कुछ हैं और बोलते कुछ हैं। राष्ट्रपति पुतिन के साथ मैंने ऐसा महसूस नहीं किया है। वे जो सोचते हैं, उसे वे स्पष्ट शब्दों में कहते हैं। आप इसे पसंद करें या न करें, वह इसके बारे में इतना नहीं सोचते। वे एकता की भावना के साथ और दोस्ताना तरीके से अपनी पूरी बात बताते हैं। यह सच है कि उन्होंने वर्षों से रूस को उत्कृष्ट नेतृत्व प्रदान किया है। उन्होंने रूस का नेतृत्व किया, देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और विभाजन के बाद रूस को ताकत दी। जब भी दुनिया में कोई संकट आता है, रूस अपने अर्थपूर्ण विचारों के साथ आगे आता है। यह सब राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व का परिणाम है। भारत रूस को हमेशा से एक दोस्त के रूप में याद करता है। लेकिन राष्ट्रपति पुतिन ने इस संबंध में नई ऊर्जा और नया उत्साह भर दिया है और मैं उन्हें एक मित्र के रूप में देखता हूँ।

 

-रूस और भारत के संबंध अति प्राचीन और घनिष्ठ हैं। हमारे देशों के बीच संबंधों पर युद्ध या संघर्ष का कभी कोई असर नहीं पड़ा। आप हमारे देशों के बीच संबंधों की क्रियाशीलता को कैसे देखते हैं?

दरअसल हमारे संबंध काफ़ी पहले से अत्यंत मज़बूत रहे हैं। रूस के व्यापारी अफ़ानासी निकितिन ने 1469 में भारत का दौरा किया था; 1615 के बाद से गुजरात से भारतीय व्यापारी अस्त्रख़ान (मॉस्को) आये, व्यापार संबंध बनाए और एक जीवंत भारतीय समुदाय की स्थापना की; 1646 में ही ज़ार एलेक्सी मिखैलोविच ने भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए भारत के तत्कालीन सम्राट शाहजहां के पास दूत भेजे थे।

रूस उन यूरोपीय देशों में से शायद पहला था जिसने भारतीय विद्या की पढ़ाई अपने यहाँ शुरू की। सदियों से दोनों देशों के लोगों के बीच गहरे संबंध रहे हैं। भारतीय फिल्मों को रूस में काफ़ी लोकप्रियता मिली है; रूसी साहित्य को भारत में काफ़ी पसंद किया गया। इसलिए हमारे संबंध अत्यंत प्राचीन एवं घनिष्ठ हैं।

व्यक्तिगत स्तर पर गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मेरा पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता मॉस्को के साथ था।

1947 में भारत की आजादी के बाद से भारत और रूस ने घनिष्ठ सामरिक साझेदारी बनाई है जो अतुल आपसी विश्वास, आत्मविश्वास और एकजुटता पर आधारित है। रूस की सहायता से अंतरिक्ष सहित कई क्षेत्रों में भारत के औद्योगीकरण और प्रगति में मदद मिली है।

रूस ने भारत को रक्षा उपकरण प्रदान किये और उस समय में भारत को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग दिया जब बहुत कम देश हमारा साथ देने के लिए तैयार थे। भारत के लोग रूस के सहयोग को कभी भूल नहीं सकते जिसने हमारी मदद तब की जब हमें मदद की सबसे ज्यादा जरुरत थी।

शीत युद्ध और सोवियत संघ के विघटन के बाद से विश्व में भारी राजनीतिक आर्थिक और प्रौद्योगिकीय परिवर्तन हुआ है।

हालांकि ऐसे अशांत समय में भी हमारे संबंध धीरे-धीरे प्रगाढ़ होते रहे। इसका काफ़ी श्रेय राष्ट्रपति पुतिन और पिछले दो दशकों के भारतीय नेताओं को जाता है।

मैं अभी के हमारे रिश्ते को देखकर खुश हूँ। रूस पहला देश था जिसके साथ हमने सामरिक साझेदारी पर एक औपचारिक समझौता किया। यह ‘विशिष्ट एवं विशेषाधिकृत’ सामरिक भागीदारी हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों का द्योतक है। मैं दोनों देशों के संपूरकताओं को आगे के विकास के लिए सकारात्मक संकेत देखता हूँ। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सैन्य प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा आदि के क्षेत्र में रूस की ताकत भारत के बड़े बाजार, इसकी विस्तृत अर्थव्यवस्था और युवा आबादी की जरूरतों के पूरक हैं। यह हमें विश्वास दिलाता है कि हम हमारी क्रियाशील साझेदारी को और आगे ले जा सकते हैं।

 

-द्विपक्षीय संबंधों में क्रियाशील प्रगति से दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी और व्यापक हुई है। रूस और भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने में ठोस प्रगति की है। हमारे द्विपक्षीय सहयोग के किस क्षेत्र में अधिकतम प्रगति हुई है और कौन से क्षेत्र ऐसे हैं जिनकी संभावित क्षमताओं का उपयोग नहीं हुआ है?

रूस के साथ हमारे संबंध विशिष्ट हैं और लगभग सभी क्षेत्रों में हमारे संबंध हैं। राजनीतिक स्तर पर दोनों देशों के अच्छे संबंध हैं। रक्षा, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं अन्य क्षेत्रों में हमारी भागीदारी मजबूत है। रूस भारत के लिए सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है और आगे भी रहेगा।

ऊर्जा के क्षेत्र में हम अभी भी बहुत कुछ कर सकते हैं। रूस दुनिया के हाइड्रोकार्बन संसाधनों के शीर्ष स्रोतों में से एक है और भारत दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। इस क्षेत्र में हमने काफ़ी निवेश किया है। हमारी हाइड्रोकार्बन कंपनियां सखालिन में निवेश के माध्यम से पिछले दो दशकों से रूसी बाजार में हैं और इस समय वंकोर, तासयुर्याख और एलएनजी परियोजनाओं में हिस्सेदारी प्राप्त कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और रूस की साझेदारी फ़िर से शुरू हुई है। ऊर्जा सुरक्षा भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है और रूस इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है। परमाणु ऊर्जा हमारी ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। रूस वर्तमान में हमारा प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय भागीदार है। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में रूस के साथ हमारा सहयोग हमारी सामरिक भागीदारी का एक आधार है। मुझे ख़ुशी है कि कुडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना शुरू हो गई है और इसका विस्तार भी किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा सहयोग आगे और बढ़ेगा। कुडनकुलम के बाद हम भारत में रूसी डिजाइन वाले रिएक्टरों के लिए एक दूसरी साइट सुनिश्चित कर रहे हैं। हमने परमाणु ऊर्जा और कम से कम 12 रिएक्टरों के निर्माण के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है जो दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षा मानकों वाला होगा। दोनों देशों के पास उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी हैं, हम इस सहयोग को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में आगे ले जाने का कार्य करेंगे।

व्यापार और निवेश में हमारे संबंध आगे और मजबूत होंगे। हमारा द्विपक्षीय व्यापार, जो हालांकि बढ़ रहा है, अभी भी पूर्णतः विकसित नहीं हुआ है। हम 2025 तक इसे 30 अरब तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रकार हम 2025 तक अपने सभी निवेश को 15 अरब तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हमारे व्यापार और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को एक साथ लाने के अलावा हम यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता शुरू करने की प्रक्रिया में भी हैं। हम इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांजिट कॉरिडोर के माध्यम से व्यापार के लिए डायरेक्ट रूट बना रहे हैं जिससे भारत और रूस के बीच सामान लाने ले जाने में कम समय लगेगा और उसकी लागत भी कम होगी। और हमने हाल ही में भारत में हीरा व्यापार केंद्र की अधिसूचना जारी की है जिससे रूस के बिना कटे हुए हीरे प्रसंस्करण के लिए अन्य देशों के माध्यम से आने के बजाय सीधे भारत लाए जा सकेंगे।

 

-पिछले 50 वर्षों से ज्यादा से रूस और भारत के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग पर काम चल रहा है और इसका पैमाना भी परंपरागत रूप से विस्तृत है। इसके परिणामों और इसकी रूपरेखा पर आपकी क्या सोच है?

रूस दशकों से रक्षा के क्षेत्र में भारत का प्रमुख भागीदार रहा है और हमारे ज्यादातर रक्षा उपकरण रूस से ख़रीदे हुए हैं। रूस ने भारत की तब मदद की थी जब बहुत कम देश हमारा साथ देने के लिए तैयार थे। यहां तक कि मौजूदा माहौल में, विश्व बाजार में भारत के अच्छी स्थिति के बावजूद रूस हमारा प्रमुख भागीदार है। विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’, सुखोई लड़ाकू जेट विमान और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल हमारे रक्षा सहयोग के प्रतीक हैं।

यह अटूट आपसी विश्वास और भरोसे का परिणाम है और हमारी सामरिक भागीदारी की शक्ति को दर्शाता है।

हमारे रक्षा संबंध क्रेता-विक्रेता के संबंधों से बढ़कर एक ऐसे रिश्ते में बदल गए हैं जिसके अंतर्गत भारत में ब्रह्मोस मिसाइल जैसी उन्नत प्रणालियों के निर्माण, विकास और संयुक्त शोध और भारत में सुखोई-30 एमकेआई विमान और टी-90 टैंकों के लाइसेंस सहित निर्माण शामिल हैं। विस्तृत सैन्य सहयोग के तौर पर दोनों देशों के सशस्त्र बलों द्वारा नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं। हम मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में रक्षा उपकरणों और यंत्रों के संयुक्त विनिर्माण के लिए एक साथ काम कर रहे हैं।

 

-प्रधानमंत्री महोदय, एक साल से भारत में आपकी सरकार है। आपने बेहतरीन काम किया है एवं आप और बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुधार के लिए आपने अब तक कई पहल की है और आगे के लिए भी आप योजना तैयार कर रहे हैं। आप भारत का कैसा भविष्य देखते हैं? आपके मुख्य लक्ष्य क्या-क्या हैं? आप और क्या-क्या करना चाहते हैं?

मैं पहला प्रधानमंत्री हूँ जिसके पास मुख्यमंत्री के रूप में 14 साल का अनुभव है। और यही कारण है कि मैं भारत के राज्यों की उपयोगिता, उनके महत्व, संघीय ढांचे की ताकत को अच्छी तरह से समझता हूँ। शासन को लेकर मेरा पहला विचार यह है कि यह देश एक स्तंभ पर खड़ा नहीं हो सकता। प्रत्येक राज्य अपने आप में एक मजबूत स्तंभ है और यही देश की सबसे बड़ी ताकत है। और इसलिए मैंने ‘टीम इंडिया’ के सिद्धांत पर जोर दिया। हमने सहकारी संघवाद, सहकारी प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद पर काफ़ी जोर दिया जिससे निकट भविष्य में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। दूसरा, सभी देशों का यह लक्ष्य होता है कि उसके देशवासी खुश हों, संतुष्ट हों। हर देश यह सोचता है कि अपने देशवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव कैसे लाया जाए, उनके जीवन को और बेहतर कैसे किया जाए? हर किसी को शिक्षा मिले, उच्च स्तर की शिक्षा मिले। प्रगतिशील शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन आना चाहिए। सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ मिलनी चाहिए, हालाँकि उनमें भी गुणात्मक परिवर्तन आवश्यक हैं। सभी को उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलनी चाहिए। सभी की सामान्य मानवीय आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए। सभी नागरिकों के अपने सपने होते हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिए और यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। तब नागरिक अपने दम पर आगे बढ़ना शुरू करता है।

इसलिए हमारा लक्ष्य उन्हें अवसर प्रदान करना होना चाहिए। कौशल विकास और मानव संसाधन विकास के मेरे मुख्य लक्ष्य हैं। मेरा प्रयास ‘मेक इन इंडिया’ - विनिर्माण केंद्र का निर्माण करना है। कौशल विकास से हमारे युवाओं को अवसर मिलेंगे ताकि प्रत्येक नागरिक अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा बन सके। इससे अर्थव्यवस्था को एक नए रूप में प्रोत्साहन मिलेगा। मैं इस दिशा में प्रयास कर रहा हूँ। हमें बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करना होगा और इसमें सिर्फ़ सड़कें या राजमार्ग ही नहीं बल्कि आई-वे का निर्माण करना होगा जहाँ हम सूचनाओं के साथ आगे बढ़ सकें। मैं केवल वाटर ग्रिड की दिशा में ही नहीं बल्कि गैस ग्रिड, डिजिटल नेटवर्क और डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहा हूँ। और मैं अपने पिछले डेढ़ साल के अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि भारत ने अच्छी तरह से इसे हासिल किया है। इन दिनों आपने देखा होगा कि विश्व में भारत को एक आर्थिक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। आज भारत को विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है और यह सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों ने माना है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है। भारत में तेज़ी से विकास हो रहा है। यह पूरी दुनिया ने माना है। अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो भारत का दायित्व और बढ़ जाता है। एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत की जिम्मेदारी अधिक है और हम इसे अच्छी तरह से जानते हैं। एक लोकतांत्रिक देश और मानव मूल्यों के रूप में हमारा विकास, इन दोनों को जोड़कर हम विश्व में अपनी भूमिका कैसे निभा सकते हैं? हमारी ताक़त इसमें निहित है कि हम जानते हैं कि मानवता और लोकतंत्र के लिए, सबसे गरीब देशों की मदद के लिए एक मूक दर्शक के रूप में नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर कैसे काम किया जाए।

 

-प्रधानमंत्री जी, जैसा कि आपको पता है रूस, भारत और पूरा विश्व आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित है। हर जगह यही स्थिति है। इस्लामिक स्टेट ने पूरे सीरिया को अपने नियंत्रण में कर लिया है। कई देश इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। भारत ने भी आतंकी हमलों में अपने नागरिकों को खोया है और अपने तरीके से आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। दुनिया को इसके खिलाफ कैसे लड़ना चाहिए, इस पर आपकी क्या राय है? रूस और भारत को आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक साथ क्या-क्या प्रयास करने चाहिए?

सबसे पहले मैं हाल ही में मिस्र में एक विमान पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष रूसी नागरिकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। भारत पिछले चालीस साल से आतंकवाद का शिकार है। हमने आतंकवाद का भयंकर रूप देखा है और यह निर्दोष नागरिकों के लिए हमेशा एक खतरा होता है। अब यह धीरे-धीरे दुनिया भर में फैल रहा है।

जब हम आतंकवाद से पीड़ित थे तब हम दुनिया से कहते थे कि इसकी कोई सीमा नहीं है। अगर आज आतंकवाद यहाँ है तो कल कहीं भी हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से दुनिया हमारी बात को मानने को तैयार नहीं थी। वे सोचते थे कि यह भारत की समस्या है। लेकिन हमें दुःख है कि हम जो कह रहे थे वा आज सच हो गया। यह काफ़ी दुखद है।

आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। जो मानवता में विश्वास करते हैं, उन सभी शक्तियों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। मानवता राजनीतिक सीमाओं के भीतर ही सीमित नहीं है। राजनीतिक सोच मानवता पर भारी नहीं पद सकती। मानवता को मानवता के ही पैमाने पर तौला जाना चाहिए। और जो सब मानवता में विश्वास रखते हैं, चाहे किसी भी राजनीतिक सोच का समर्थन करते हों, को एक साथ आना चाहिए और तभी आतंकवाद से लड़ा जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना दो विश्व युद्धों के बाद हुई थी। वहाँ कोई युद्ध नहीं हो रहा था, आतंकवाद की क्रूरतापूर्वक गतिविधियों से निर्दोष लोग मारे जा रहे थे। सैनिकों के बीच सीमाओं पर युद्ध लड़े जा रहे थे। आतंकवाद के रूप में सशस्त्र लोग निर्दोष नागरिकों को मार रहे थे। यह विश्व युद्धों से ज्यादा भयावह है। लेकिन यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम सब एक साथ संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की व्याख्या नहीं कर पा रहे हैं। हम आतंकवाद को परिभाषित नहीं कर पाए हैं। कौन आतंकवादी है और किसे आतंकवादियों का समर्थक कहा जाएगा। आतंकवाद को सहायता देने वाले की पहचान कैसे की जाएगी? ऐसे देशों के साथ क्या किया जाएगा? संयुक्त राष्ट्र इस पर चर्चा करने देने का भी साहस नहीं दिखा पा रहा है। क्योंकि कहीं न कहीं दुनिया के कुछ देश इसमें शामिल हैं और इसमें बाधा डाल रहे हैं। दुनिया को यह समझना होगा।

जहाँ तक सीरिया और पूरे पश्चिम एशिया का सवाल है तो पश्चिम एशिया समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन हम देख रहे हैं कि समृद्धि से संतोष और खुशी नहीं मिलती है। केवल धन, पैसा, संपत्ति और अधिकार शांति और खुशी प्रदान करते हैं, ये सच नहीं है। पश्चिम एशिया यह देख रहा है। इसलिए मानव जाति को अपने विकास के लिए इसे एक सबक के रूप में सीखना चाहिए कि हम केवल धन और संवर्धन के माध्यम से अपने समाज को खुश नहीं रख सकते। इसके लिए कुछ और चीज़ों की जरुरत होती हैं, जिन्हें हम ‘मूल्य’ कहते हैं।

दूसरी बात जो आज हम देख रहे हैं कि हर कोई कहता है, आतंकवाद समाप्त होना चाहिए। लेकिन हर किसी की प्राथमिकता अलग है, हर किसी की इच्छा अलग है। इससे आतंकवादियों को बल मिलता है। दूसरा, आतंकवादी समूहों के पास हथियारों के निर्माण के लिए ख़ुद के कारखाने हैं। इसका मतलब है कि कुछ देशों के पास हथियार हैं और वो उन्हें हथियार उपलब्ध कराते हैं। वो कौन सा रास्ता है? ऐसे रास्ते को बंद क्यों नहीं किया जा रहा है? आतंकवादियों के पास कोई पैसा छापने वाली मशीन नहीं है। फ़िर इसके लिए पूरे विश्व भर में पैसा कैसे आ रहा है? इस तरह की बुरी शक्तियों को कहाँ से मदद मिल रही है? चाहे फंडिंग हो या संचार प्रौद्योगिकी हो, दुनिया भर के देशों की सरकारें ये भूमिका निभा सकती हैं। लेकिन इसका परिणाम तभी आएगा जब दुनिया के सभी लोग साथ मिलकर एक समन्वित प्रयास करेंगे। छिटपुट घटनाओं में जीत हासिल करने से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। मानवीय शक्तियों का भी यही कहना है।

दूसरी बात कि कुछ लोगों ने धर्म के आधार पर भावनात्मक ब्लैकमेल करने का तरीका ढूंढ लिया है। धर्म से आतंकवाद को अलग करने के लिए दुनिया के सभी लोगों, सभी समाजों, सभी समुदायों और सभी धार्मिक नेताओं को एक साथ मिलकर आवाज उठानी होगी। धर्म का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है, इसे स्पष्ट शब्दों में बताया जाना चाहिए ताकि जो लोग धर्म के आधार पर भावनात्मक ब्लैकमेल करते हैं और जो बच्चे भावनात्मक कारणों से भटक जाते हैं, उन्हें रोका जा सके। एक बात और – आज कल कुछ बच्चों को सोशल मीडिया के माध्यम से गुमराह किया जा रहा है, समाज को उन्हें समझाना चाहिए। ऐसे बच्चों को वो लोग समझाएं जिन पर बच्चे भरोसा करते हैं और जिनसे उनका लगाव है। अगर हम उन्हें उपदेश देंगे तो वो हमें नहीं सुनेंगे और इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा। इसलिए वो लोग उनसे बात करें जिनसे बच्चों को लगाव हो। ऐसे लोगों को ढूँढना पड़ेगा जो उन्हें अच्छी संगत में रख सकें। केवल तभी हम हमारी भावी पीढ़ी को विनाशकारी संकट से बचा सकेंगे।

 

-मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत और रूस के लगभग एक समान विचार हैं। उदाहरण के लिए हमारे देश विश्व में विकेन्द्रीकरण के समर्थक हैं जहाँ सभी देशों और लोगों के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखा जाता है। इस मुद्दे पर हमारे सहयोग के बारे में आपकी क्या राय है?

एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी हमारे संबंधों की पहचान रही है। दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर रूस के समर्थन को भारत काफ़ी अहम मानता है। आज हमारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ा है। हम ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (जहाँ इस साल भारत की पूर्ण सदस्यता के निर्णय में रूस के समर्थन से मदद मिली), जी-20 और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन सहित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक साथ काम करते हैं।

ब्रिक्स, जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति पुतिन ने की थी, अंतर्राष्ट्रीय पूँजी और व्यापार, विकास पूँजी, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और सतत विकास में प्रमुख योगदान दे रहा है। ब्रिक्स अधिक न्यायसंगत और समावेशी वैश्विक व्यवस्था को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शंघाई सहयोग संगठन और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन, दोनों में हम विश्व के दो प्रमुख क्षेत्रों में शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने में एक साथ काम कर सकते हैं।

विकेन्द्रीकरण एक वैश्विक सच है। भारत और रूस बहुध्रुवीय दुनिया के दो पक्षों को दिखाते हैं। हम रूस के साथ सिर्फ़ अपने द्विपक्षीय हितों के लिए ही नहीं बल्कि एक शांतिपूर्ण, स्थिर और सतत विश्व के लिए काम करना चाहते हैं।

 

-प्रधानमंत्री महोदय, जहाँ तक मुझे पता है, सितंबर में आपने अपने 65 वर्ष पूरे कर लिए लेकिन आप इतने उम्रदराज़ नहीं लगते। क्या ये योग का असर है जो धीरे-धीरे काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है? आप योग का अभ्यास करने वाले रूस के लोगों को क्या सलाह देना चाहते हैं? रूस में योग को बढ़ावा देने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए? और मैंने यह भी सुना है कि योग के बारे में जब आपने राष्ट्रपति पुतिन को बताया तो अब वे भी योग में रुचि ले रहे हैं।

आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। सबसे पहले आप के माध्यम से मैं संयुक्त राष्ट्र, दुनिया के सभी देशों और सभी नागरिकों का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ कि संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव देने के 100 दिनों के भीतर दुनिया के लगभग सभी देशों ने इसका समर्थन किया और लगभग 192 देशों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया और मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है कि रूस में 200 से अधिक स्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया और उनका कहना है कि 45,000 से अधिक लोगों ने इसमें सार्वजनिक रूप से भाग लिया। यह अपने आप में काफ़ी महत्वपूर्ण है। यह सच है कि योग की उत्पत्ति भारत में हुई है, इसलिए मैं कह सकता था कि योग सिर्फ़ भारत की संपत्ति है लेकिन ऐसा नहीं है, यह पूरे विश्व की विरासत है, संपूर्ण मानवता की दौलत है। दुनिया में हरेक समाज ने अपने-अपने तरीके से इसमें योगदान दिया है और इसलिए योग का वर्तमान स्वरूप काफ़ी बदल गया है, यह अत्यंत व्यापक हो गया है और सभी इसमें योगदान दे रहे हैं। इसलिए मैं भी आप सभी का आभारी हूं। योग के लोकप्रिय होने का कारण क्या है, इसका महत्व क्यों बढ़ रहा है; वो इसलिए क्योंकि जब हम स्वास्थ्य की बात करते हैं तो सबसे बड़ी गलती जो हम करते हैं, वो यह कि हम बीमारी की चर्चा करते हैं, हम स्वास्थ्य को सिर्फ़ बीमारी से जोड़ते हैं। स्वास्थ्य कल्याण के बारे में भी बात करना जरुरी है। बीमारी या स्वास्थ्य कल्याण? योग स्वास्थ्य कल्याण की ओर ले जाता है। आज दुनिया समग्र स्वास्थ्य कल्याण की दिशा में आगे बढ़ रही है और योग इसके लिए संपूर्ण विज्ञान है। तीसरा, मानव जीवन भी हिस्सों में बंटा हुआ है। इंसान का मन सोचता कुछ है और उसका शरीर करता कुछ है; बुद्धि से हम इन्हें और तरीके से देखते हैं। शरीर, मन और बुद्धि, सब अलग-अलग चलते हैं और हमें यह पता भी नहीं चलता। मन, बुद्धि और शरीर, सभी का एक साथ काम करना आवश्यक है और इस अवस्था को योग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। योग आपको आंतरिक शक्ति देता है। योग एक शारीरिक व्यायाम नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि शरीर को मोड़ना और झुकाना योग है। सर्कस में काम कर रहे लोग भी शरीर को झुकाते हैं, मोड़ते हैं और वे यह काम बहुत अच्छी तरीके से करते हैं और सर्कस में तो रूस विश्व में अग्रणी है लेकिन यह योग नहीं है। योग मन, बुद्धि और आत्मा से जुड़ा हुआ है और योग के इस रूप को जानना काफ़ी फायदेमंद है। मैंने यह भी सुना है कि इन दिनों राष्ट्रपति पुतिन भी योग में अपनी रुचि दिखा रहे हैं और मैं दुनिया में जहाँ भी जाता हूँ, मैं विश्व के नेताओं के साथ योग पर काफ़ी चर्चा करता हूँ। आपने सही कहा, मैं ख़ुद भी योग करता हूँ और अगर मैं अपने लिए समय निकालता हूँ तो वो समय योग को देता हूँ और इससे मुझे लाभ भी मिला है।

 

-प्रधानमंत्री महोदय, हमारे कार्यक्रम का शीर्षक है – “सत्ता का सूत्र” (फ़ॉर्मूला ऑफ़ पावर) और इस सूत्र को सबसे सही तरीके से बताने के लिए आपसे बेहतर कौन होगा? आपके लिए “सत्ता का सूत्र” क्या है? आप इसे कैसे देखते हैं?

हमारे देश की एक आध्यात्मिक सोच थी। हमारे देश में भगवान को माना जाता है। मैं हमेशा जनता जनार्दन को भगवान के रूप में देखता हूँ और इसलिए मैं जन शक्ति को अपना भगवान मानता हूँ। मैं मानव जाति को ही अपनी शक्ति मानता हूँ। मैं लोगों को अपने देश की ताकत के रूप में देखता हूँ और इसलिए मेरे लिए हमारे 1.25 अरब देशवासी ही मेरे भगवान हैं। हमारे देश के भविष्य के लिए अगर कोई शक्ति है तो ये मेरे 1.25 अरब देशवासी हैं और इसलिए मैं उन्हें अपनी शक्ति मानता हूँ। और जितना ज्यादा मैं उनके लिए करूंगा, उतना ज्यादा वे देश के लिए करेंगे और यही मेरी असली ताक़त है। भारत में सत्ता का अर्थ नकारात्मक रूप में देखा जाता है, इसलिए मैं इसका सावधानी से प्रयोग कर रहा हूँ। लेकिन मैं अपनी जनता जनार्दन, 1.25 अरब देशवासियों की शक्ति और 2.5 अरब हाथों को अपनी शक्ति मानता हूँ। अगर भारत में लाखों समस्या है तो हमारे पास इनके करोड़ों समाधान हैं। मेरे लिए यह सबसे महत्वपूर्ण है।

 

-प्रधानमंत्री महोदय, नए साल आने में अब बस कुछ दिन ही रह गए हैं। रूस में इसे पूरे उत्साह के साथ व्यापक स्तर पर मनाया जाता है और इसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। नए साल पर आप रूस के लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

मैं रूस के नागरिकों को नव वर्ष की ढ़ेरों शुभकामनाएं देता हूं। जब यह बंदर के रूप में आता है तो आपके लिए इसका एक विशेष महत्व होता है, इसे मैं भी समझता हूँ। यह अत्यंत शुभ होता है। मेरा मानना है कि विश्व में रूस अहम भूमिका निभा रहा है और वह यह भूमिका आगे भी निभाता रहेगा। रूस की ताक़त और उसकी शक्ति विश्व शांति के लिए उपयोगी होगी - यह मेरा विश्वास है - और रूस के लोगों का भारत के साथ एक अटूट संबंध बना रहेगा। नए साल में, हम यह संकल्प लें कि हम एक ऐसी दुनिया बनाएंगे जो आतंकवाद से मुक्त हो, हम प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करेंगे; हम मानवता के अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे। मैं रूस के नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से नव वर्ष की शुभकामनाएं दूंगा लेकिन आज मैं मीडिया के माध्यम से तहे दिल से आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं देता हूं।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।