Quoteजद(यू)-राजद-कांग्रेस, महागठबंधन नहीं, ‘महास्वार्थबंधन’ है: प्रधानमंत्री मोदी #परिवर्तनरैली
Quoteआगामी बिहार चुनाव जंगलराज और विकासराज के बीच की लड़ाई है: प्रधानमंत्री
Quoteअब पूरे विश्व में एक विश्वास बना है कि यह समय हिन्दुस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का समय है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteबिहार के नौजवानों में ऐसी ताकत है, ऐसा दम है कि अगर उनको अवसर मिल जाए तो वो बिहार को चार चांद लगा दें: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteबिहार को बचाना भी है, बिहार को बनाना भी है और बिहार को बढ़ाना भी है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteदेश को आगे ले जाने में एकता, भाईचारा, सद्भाव, शांति का सबसे महत्वपूर्ण योगदान: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteजातिवाद, संप्रदायवाद और वोट बैंक की राजनीति बिहार की बर्बादी का कारण: प्रधानमंत्री मोदी #परिवर्तनरैली

भारत माता की जय। अपने सबके हम प्रणाम करईये। मंच पर विराजमान यहां के सांसद और सरकार में मेरे मंत्री साथी श्रीमान गिरिराज सिंह, पार्टी के प्रभारी श्रीमान पाटिल जी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता डॉक्टर अरुण कुमार जी, विधायक एवं पूर्व मंत्री श्रीमान प्रेम कुमार जी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नवादा विधानसभा के उम्मीदवार श्रीमान इंद्र कुमार जी, भाजपा से गोविंदपुर विधानसभी की उम्मीदवार श्रीमती फूलादेवी जी, भाजपा से वारसालीगंज विधानसभा से उम्मीदवार श्रीमती अरुणा देवी जी, भाजपा से ईसुआ विधानसभा के उम्मीदवार श्री अनिल सिंह, भाजपा से रजौरी विधानसभा के उम्मीदवार श्री अर्जुन राम, मंच पर विराजमान श्री अरविंद शर्मा, श्री विष्णुनाथ भगत, श्री केदार सिंह, श्री विजय कुमार सिंह, श्री नरेंद्र सिंह, श्री राजेन्द्र सिंह और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाईयों और बहनों.

अब आज मुझे नवादा से शिकायत करनी है। करूं, आप बुरा तो नहीं मानोगे। करूं शिकायत। पक्का बुरा नहीं मानोगे। देखिए मैं पिछले वर्ष अप्रैल महीने में आया था। इसी मैदान में आया था। मैं खुद चुनाव लड़ रहा था लोकसभा का। सरकार बनाने के लिए मैं आपका आशीर्वाद लेने आया था, लेकिन उस सभा में इससे एक चौथाई लोग भी नहीं आए थे। और आज मैं देख रहा हूं कि कोई छत खाली नहीं है जहां पर लोग न हो। मुझे कभी चिंता होती है कि ये तीन मंजिला, पांच मंजिला सभा हो रही है। अगर नवादा पिछली बार आया उससे चार गुना बड़ी सभा आज मेरे सामने है, ये साफ साफ दिखा रहा है कि हवा का रुख क्या है। भाईयों बहनों आखिरकार बिहार की जनता को इतना गुस्सा क्यों है। बिहार के हर कोने में, हर वर्ग में, हर समाज में, हर उम्र के लोगों में, पुरुष हो, स्त्री हो, युवा हो, बुजुर्ग हो, सब ओर ये गुस्सा क्यों है। भाईयों बहनों अब बिहार ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता। भईयों बहनों विकास के लिए 60 साल कम समय नहीं होता है। और ये जो बिहार में महास्वार्थबंधन हुआ है, ये महास्वार्थबंधन के सभी हिस्सेदारों को जनते हो। ये महागठबंधन नहीं है, महास्वार्थबंधन है। इस महास्वार्थबंधन में तीन खिलाड़ी है। एक है कांग्रेस, जिसने 35 साल तक बिहार पर राज किया। दूसरे हैं बड़े भाई, उन्होंने 15 साल राज किया। तीसरे हैं छोटे भाई, उन्होंने 10 साल राज किया। यानी ये तीन वो लोग हैं, जो आज इक्ट्ठे आए हैं, इन्होंने 60 साल तक बिहार पर राज किया है। 60 साल तक आपने उन्हें चुनकर भेजा है। आप बताइये आपको क्या मिला। बिहार का भला हुआ, सड़कें बनीं, बच्चो को शिक्षा मिली, बुजुर्गों को दवाई मिली, नौजवान को रोजगार मिला।

ये 60 साल तक राज करने वाले लोग आज आपसे वोट मांगने आए हैं। लेकिन वोट मांग रहे हैं डिक्शनरी में जितने भी भद्दे शब्द हो, जितने भी गंदे शब्द हो, रोज डिक्शनरी खोलकर बैठते हैं कि आज मोदी को कौन सी गाली दी जाए। आज मोदी को कैसे बदनाम किया जाए। अरे महास्वार्थबंधन के नेतागण आप कम से कम बिहार की जनता को अपने 60 साल के कारोबार का हिसाब दो। क्या किया, क्यों किया, कैसे किया, कब किया, किसने लिए किया, किसके हवाले किया। जवाब दो। इन तीनों लोगों को जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। आज जो मुख्यमंत्री हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए। उन्हें अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। उनके पहले जो 15 साल मुख्यमंत्री रहे, जिसकी सरकार रही उन लालू जी को जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। 35 साल जिस कांग्रेस ने शासन किया, मैडम सोनिया जी आपको जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। जवाब दे रहे हैं क्या। दे रहे हैं क्या मुझे बताइए। क्या काम किया बता रहे हैं। नहीं बता रहे हैं क्योंकि जब कुछ काम किया ही नहीं है तो क्यों बताएंगे। क्या बताएंगे। और मैं ये पूछना चाहता हूं कि लालू जी अनाप-सनाप इतना बोल रहे हो, तो बिहार की जनता को ये तो बताओ कि इस चुनाव से आप क्यों बाहर हो। ऐसा क्या कानून है कि चुनाव लड़ने से आप पर रोक लगी हुई है। आपने ऐसा क्या किया कि इस देश का संविधान, इस देश का कानून आपको बिहार की जनता की सेवा करने से भी मना कर रहा है, ऐसा क्या काम किया है, जरा बिहार की जनता को बताओ।

भाईयों बहनों उनको लगता है कि 90 के दशक में उठ-पटांग बातें करके भोले-भाले लोगों की आंखों में धूल झोंक दी गई। लालू जी ये 1990 नहीं 2015 है। वक्त बदल चुका है। अब वो आपकी ड्रामेबाजी नहीं चलेगी। नौजवान के सपने काम करने वाले हैं।

क्या करके रख दिया है बिहार का। और मैं बताऊं भाईयों बहनों, हमारे देश में आगे बढ़ने की इतनी ताकत है। अब दुनिया की कोई भी ताकत इस देश को आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती। आज पूरे विश्व में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है या नहीं। आप मुझे बताइए। जापान में भारत का डंका बजा कि नहीं बजा। भूटान में भारत का डंका बजा कि नहीं बजा। भाईयों बहनों अमेरिका में हिन्दुस्तान का जयजयकार हो रहा है या नहीं हो रहा है। चीन में हो रहा है कि नहीं हो रहा है। रसिया में हो रहा है कि नहीं हो रहा है। क्यों हो रहा है। क्या कारण है कि दुनिया में हिन्दुस्तान की वाहवाही हो रही है। मोदी के कारण नहीं हो रही है मेरे दोस्तों। ये दुनिया में जो हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है वो सवा सौ करोड़ देशवासियों के कारण बज रहा है। आपको कारण बज रहा है। और इसलिए बज रहा है क्योंकि आपने दिल्ली में 30 साल के बाद पूर्ण वाली सरकार को चुनकर बैठाया है और इसलिए पूरे विश्व में भी एक विश्वास बना है कि अब हिन्दुस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं। भाईयों बहनों अगर दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनकर बैठती है तो पूरा विश्व हिन्दुस्तान की ताकत को स्वीकार करता है। वैसे ही पटना में दो-तिहाई बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बैठेगी, सारा हिन्दुस्तान बिहार को स्वीकार करेगा। ये दिल्ली को भी बिहार में दौड़ कर आना पड़ेगा। अब बिहार वालों को कभी दिल्ली जाना नहीं पड़ेगा। दिल्ली वालों को बिहार आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

ये लोकतंत्र की ताकत होती है और इसलिए इस चुनाव में बिहार में दो-तिहाई बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी एनडीए की सरकार बनाइए और आप देखिए कि हिन्दुस्तान बिहार का लोहा मानने लगता है कि नहीं लगता है। देश और दुनिया में बिहार का डंका बजाता है कि नहीं बजता है, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये होकर रहने वाला है।

भाईयों बहनों आप मुझे बताइए, सारी दुनिया में बिहार जैसा प्रदेश जहां इतने तेजस्वी लोग हों, आज की इतिहास और परंपरा हर हिन्दुस्तानी के लिए गौरवगान हो, इस बिहार की बर्बादी किसने की। इस बिहार को तबाह किसने किया। और इस चुनाव में ऐसे लोगों को सजा देने के लिए चुनाव है। बटन दबाकर सजा देनी है। ताकी इन्हें तो छोड़ों भविष्य में भी कोई बिहार को बर्बाद करने की सोच न सके। ऐसा चुनाव में परिणाम लाना है। जनता की ताकत का परिचय करवाना है।

आप मुझे बताइए, ये हमारे बिहार को विकास चाहिए कि नहीं चाहिए। विकास जरूरी है। नौजवान को रोजगार चाहिए। गांव को सड़क चाहिए। वृद्धि लोगों को दवा की जरूरत हो तो दवा मिलनी चाहिए। मां-बहनों को सम्मान मिलना चाहिए। गरीबों लोगों को रहने के लिए घर मिलना चाहिए। गरीब के बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए। गांव में बिजली होनी चाहिए कि नहीं। 2010 में आपके मुख्यमंत्री ने आपसे वादा किया था। 2010 के विधानसभा चुनाव में आपके मुख्यमंत्री ने गांव-गांव जाकर कहा था कि मुझे वोट दो। अगर मुझे वोट दोगे, तो मैं पांच साल के भीतर भीतर आपके घर में बिजली पहुंचा दूंगा। ऐसा वादा किया था। बिजली पहुंचाने का वादा किया था। और उन्होंने ये भी कहा था कि अगर मैं 2015 तक बिजली नहीं पहुंचा पाता हूं तो मैं वोट मांगने के लिए नहीं आऊंगा। ऐसा कहा था। वोट नहीं मांगूंगा। ये वादा किया था। मुझे बताइए कि वादा निभाया। गांव के गरीब के घर में बिजली पहुंची कि नहीं पहुंची। फिर वो आए वोट मांगने के लिए। क्या उन पर भरोसा करोगे।

ये तीन लोग ऐसे हैं- कांग्रेस, लालू जी, नीतीश जी, पिछले 60 साल का इतिहास उठाकर देखिए, इन तीनों को जब मौका मिला है, इन्होंने एक दूसरे का पैर काटने का काम किया है, एक दूसरे से लड़े हैं। ऐसा क्या हुआ भाई कि ये तीनों दुश्मन एक हो गए। क्या कारण है। बिहार के लिए कभी इक्ट्ठे नहीं हुए। बिहार के लिए कुछ मांगने के लिए कभी साथ मिलकर दिल्ली नहीं आए। लेकिन कुर्सी पाने के लिए ऐसे इक्ट्ठे आए हैं, भाईयों बहनों ऐसे स्वार्थबंधन पर भरोसा कर सकते हैं क्या।

इन्होंने कभी सोचा नहीं था, कि दिल्ली में आई मोदी सरकार वादा निभाने की पक्की है। मैंने लोकसभा चुनाव में कहा था कि बिहार मुझे जो प्यार दे रहा है मैं ब्याज समेत विकास करके लौटाऊंगा। और आज एक लाख 65 हजार करोड़ रुपये का विकास का पैकेज आपको मिला कि नहीं मिला। रास्ते बनेंगे कि नहीं बनेंगे। रेल आएगी कि नहीं आएगी। गांव में स्कूल लगेंगे कि नहीं लगेंगे। अस्पताल बनेंगे कि नहीं बनेंगे। उद्योग आएंगे कि नहीं आएंगे। नौजवान को रोजगार मिलेगा कि नहीं मिलेगा।

भाईयों बहनों बिहार के नौजवानों में ऐसी ताकत है, बिहार की जवानी में ऐसा दम है कि अगर उनको अवसर मिल जाए तो वो बिहार को चार चांद लगा दें, ऐसी ताकत बिहार में है और इसलिए हमने अपना पूरा ध्यान विकास पर केंद्रित किया है और ये बिहार का चुनाव, एक तरफ जंगलराज की बात, दूसरी तरफ विकास राज की बात। मैं आपके पास विकासराज की बात लेकर आया हूं। जंगलराज अब कभी बिहार की धरती पर वापस आना नहीं चाहिए। तीन तीन पीढ़ी बर्बाद हो गई है। अब बिहार ज्यादा नुकसान नहीं झेल सकता है। बिहार को बचाना भी है, बिहार को बनाना भी है और बिहार को बढ़ाना भी है। और बिहार बढ़ेगा तभी हिन्दुस्तान भी बढ़ेगा। वर्ना हिस्दुस्तान भी आगे नहीं बढ़ेगा।

भाईयों बहनों मैं हैरान हूं कि आजकल चुनाव का फायदा उठाकर कैसे कैसे खेल खेले जाते हैं। भाईयों बहनों मेरा जन्म उस राज्य में हुआ था, जहां स्वयं भगवान कृष्ण आकर बसे थे। वो परंपरा आज भी सारा गोपालक समुदाय श्वेत क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। दूध की डेयरी अमूल की चर्चा सारे देश और दुनिया में हो रही है। ये परंपरा खड़ी करने वाले लोग, मेरा गोपालक समुदाय, मेरा यदुवंशी समुदाय, इन्होंने ये काम करके दिखाया है।

लेकिन यहां लालू जी ने यदुवंशियों का कैसा अपमान किया। मुझे ये बताइए कि लालू जी कह रहे हैं कि ये खाते हैं, वो खाते हैं, ये यदुवंशी लोगों का अपमान है कि नहीं है। ये बिहार का अपमान है कि नहीं है। ये देश का अपमान है कि नहीं है। और जब इतना भद्दा बोल गए तो तूफान खड़ा हो गया। यदुवंशियों के सारे नेता पहुंच गए। उन्होंने कहा कि लालू जी इतने सालों तक तो हम आपके साथ रहे और आपने हमें ऐसी गाली दी। अरे गाय के लिए तो हमने अपने सर कटवा दिए हैं और आप हमें ऐसी गाली दे रहे हो।

लालू जी डर गए। घबरा गए और टीवी के सामने जाकर बयान दिया कि मेरे अंदर कोई शैतान प्रवेश कर गया है। शैतान पहुंच गया है। मेरे नवादा के भाईयों बहनों दुनिया में अरबों-खबरों की जनसंख्या है, हिन्दुस्तान में अरबों की जनसंख्या है, बिहार में कोटि-कोटि लोगों की जनसंख्या है। इतने सारे लोगों में शैतान को यही एड्रेस मिला क्या। यही ठिकाना मिला क्या। इन्हीं शरीर उसे पसंद आया क्या। ये शैतान उन्हीं के पास गया क्या। और भाईयों बहनों जिनके शरीर में शैतान प्रवेशता है क्या ऐसे लोगों को बिहार दिया जा सकता है। बिहार ऐसे लोगों के हाथ में नहीं दिया जा सकता। और इसलिए भाईयों बहनों मैं आपसे प्रार्थना करने आया हूं कि विकास के लिए वोट कीजिए। नौजवान को रोजगार मिले, ऐसे बिहार के विकास की रूपरेखा बनाकर आगे चलना पड़ेगा। एक लाख 65 हजार करोड़ रुपये का ये पैकेज विकास की एक नई दिशा खोलने वाला है। ये विश्वास मैं आपको दिलाने आया हूं।

भाईयों बहनों दो साल पहले अक्टूबर महीने में गांधी में मैं आया था। भारतीय जनता पार्टी की विशाल रैली थी। 27 अक्टूबर न मैं कभी भूल सकता हूं, न भाजपा का कोई कार्यकर्ता भूल सकता है, न बिहार का कोई नागरिक भूल सकता है। न हिन्दुस्तान का कोई नागरिक भूल सकता है। जनसभा थी, लोकतंत्र में अपनी बात बताने का हर किसी को हक होता है। सुनना न सुनना आपकी मर्जी है। मैं बिहार आया था, पटना के गांधी मैदान में मुझे जनसभा को संबोधित करना था। लेकिन में अभी पटना के एयरपोर्ट पर उतर ही था कि एक के बाद एक खबरें आने लगीं। बम धमाके होने लगे। निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है। लोग सभा छोड़कर चले जाएं। लोगों के पैरों तले लोग मारे जाएं, एक ऐसा विनाश हो जाए कि मोदी कभी मुंह दिखाने लायक न रहे। ऐसा षडयंत्र हुआ। एक के बाद एक लोग मारे गए। और उस जनसभा में मैंने विस्तार से नागरिकों से बात की। और मैंने उन्हें जरा भी ऐसी भनक नहीं लगने दी कि उनका गुस्सा फैल उठे और मेरा बिहार तबाह हो जाए। पूरे भाषण में मैं देख रहा था कि बिहार के लाल मर रहे हैं, धमाके हो रहे हैं, धरती रक्त-रंजित हो रही है, लेकिन हमने धैर्य नहीं खोया। हमने शांति बनाए रखने के लिए जितना प्रयास हो सकता है, पूरा किया। और ऐसे माहौल में जब पता था कि मौत के खेल खेले जा रहे हैं, हमने राजनीति नहीं होने दी। बिहार और देश को तबाह नहीं होने दिया। और मैंने उस सभा में कहा था, मैं आज देश को याद दिलाना चाहता हूं, मैंने कहा था कि हम तय कर लें कि क्या हिंदुओं को मुसलमान के खिलाफ लड़ना है या गरीबी के खिलाफ लड़ना है। मुसलमान तय कर ले कि उसे हिंदुओं के खिलाफ लड़ना है या गरीबी के खिलाफ लड़ना है। और मैंने बम धमाकों के बीच रक्त रंजित गांधी मैदान के बीच कहा था कि हमारे देश का भला तब होगा जब हिंदू और मुसलमान एक होकर के हम गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ें। हम गरीबी को परास्त करें। हम ये विचार और संस्कार लेकर निकले हुए लोग हैं। और मैंने सभा के बाद भी सबको हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि आप शांति से अपने गांव घर पहुंचिए और कोई भी प्रतिक्रिया न होने से हमने बिहार को बचाया था और तब यहां के अहंकारी नेता पटना छोड़कर कहीं और बैठे और सभा पूरी होने के बाद मेरे भाषण का मखौल बना रहे थे, उन्हें लोगों की चिंता नहीं थी। बिहार के वो मुख्यमंत्री थे, कानून व्यवस्था की चिंता नहीं थी। अपने पटना की चिंता नहीं थी, वो मजाक कर रहे थे। अहंकार कितना सातवें आसमान पर पहुंचा था, राजनीति ऐसे नहीं होती है। देश को एक रहना है। एकता, भाईचारा, सद्भाव, शांति यही देश को आगे ले जाएगा। और इसलिए मेरे भाईयों बहनों में देशवासियों को कहना चाहता हूं कि ये राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए उट-पटांग बयानबाजी में लगे रहते हैं। मैं देशवासियों को कहता हूं कि इन राजनेताओं की बयानबाजी पर ध्यान न दीजिए। खुद नरेंद्र मोदी कहता है अगर, तो उसकी बात भी न सुनिये। अगर सुनना है तो कल हमारे देश के राष्ट्रपति श्रद्धेय प्रणव मुखर्जी दादा ने जो भाषण किया है और देश को जो संदेश दिया है, उससे बड़ा कोई मार्गदर्शन नहीं हो सकता है। हम सभी देशवासी सवा सौ करोड़ देशवासी, भारत का सबसे बड़ा मुखिया, भारत के राष्ट्रपति ने जो कहा है उससे बड़ा कोई विचार नहीं हो सकता, उससे बड़ी कोई दिशा नहीं हो सकती, उससे बड़ी कोई प्रेरणा नहीं हो सकती। मैं देशवासियों से यही कहना चाहता हूं कि राजनीति का स्वार्थसिद्ध करने के रास्ते बंद होने चाहिए। राष्ट्रपति महोदय ने हमें रास्ता दिखाया है, हम सबको मिलकर उस रास्ते पर चलना होगा और तभी जाकर विश्व हिन्दुस्तान से जो अपेक्षाएं कर रहा है, हम उन्हें पूरा कर पाएंगे।

इसलिए भाईयों बहनों आज नवादा की धरती पर मैं जो जनसैलाब देख रहा हूं, ये जनसैलाब बिहार को बदलने की एक आंधी है। और मैं रहा हूं कि बिहार बदलेगा। सरकार भी बदलेगी। बिहार भी बदलेगा, यहां का भाग्य भी बदलेगा। और यहां का भाग्य कौन बदलेगा। मैं कभी कभी सोचता हूं कि बिहार के पास और कुछ कोई कर सके या न कर सके, बिहार का पानी और बिहार की जवानी, ये बिहार की ऐसा ताकत है, जिसकी तरफ किसी ने देखा नहीं। पानी का विपुल भंडार कभी गांवों को तबाह करके चला जाता है और समुंद्र में बह जाता है। यहां की जवानी बूढ़े मां-बाप को छोडकर रोजी-रोटी कमाने के लिए हिंदुस्तान के किसी दूसरी भाग में चली जाती है। भाईयों बहनों अगर ये जवानी और ये पानी बिहार के काम लाया जाए तो हिंदुस्तान को बदलने के लिए बिहार से बड़ी कोई ताकत नहीं होगी।

मैं बिहार की शक्ति को भलीभांती समझ पार रहा हूं और इसलिए मैं आज बिहार से विशेष अनुरोध करने आया हूं कि आप इस बार भाजपा और एनडीए के गठबंधन को दो-तिहाई से ज्यादा सीटें देकर विजयी बनाइए। आपके सपने पूरे करने की जिम्मेदारी मैं लेता हूं। हर वादा निभाए। भाईयों बहनों पिछले 30 साल में कोई ऐसी सरकार दिल्ली में नहीं बनी तो खुद बिहार के पास आए। अब आपने बिहार में एक ऐसी सरकार बिठाई है जो खुद बिहार के पास आती है, अब बिहार को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं। और इसलिए ये जातिवाद हो, ये जहर घोलने की बातें, गुमराह करने के तरीके हो, इन चीजों ने बिहार का भला नहीं किया है। अगर बिहार का भला करना है तो वो विकासवाद से होगा। हमारे सब दुखों की एक दवाई है और वो दवाई है विकास। एक मात्र जड़ीबूटी है- विकास। विकास का राह ही हमें प्रगति की नई ऊचाइयों पर ले जाएगा। हमारे दुखों को दूर करेगा। हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य निर्धारित करेगा। और इसलिए भाईयों-बहनों मैं आज नवादा के नागरिकों का आभारी हूं। विशेषकर नौजवानों का आभारी हूं। मैं भूल नहीं सकता हूं इस सभा को। क्या प्यार दिखाया आपने। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इस प्यार को ब्याज समेत विकास करके लौटाऊंगा। बिहार की शक्लो-सूरत बदलेगी। बिहार चमकेगा, इसी एक विश्वास के साथ मेरे साथ मुट्ठी बंद करके बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय।

बहुत बहुत धन्यवाद मेरे भाईयों और बहनों बहुत बहुत धन्यवाद।

 

 

 

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मेरे प्यारे देशवासियो,

नमस्कार | ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है, अभिनंदन है | आप सब इस समय योग की ऊर्जा और ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की स्मृतियों से भरे होंगे | इस बार भी 21 जून को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ में हिस्सा लिया | आपको याद है, 10 साल पहले इसका प्रारंभ हुआ | अब 10 साल में ये सिलसिला हर साल पहले से भी ज्यादा भव्य बनता जा रहा है | ये इस बात का भी संकेत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं | हमने इस बार ‘योग दिवस’ की कितनी ही आकर्षक तस्वीरें देखी हैं | विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया | विशाखापत्तनम से ही एक और अद्भुत दृश्य सामने आया, दो हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए | सोचिए, कितना अनुशासन, कितना समर्पण रहा होगा | हमारे नौसेना के जहाजों पर भी योग की भव्य झलक दिखी | तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांग साथियों ने एक साथ योग शिविर में भाग लिया | उन्होंने दिखाया कि योग किस तरह सशक्तिकरण का माध्यम भी है | दिल्ली के लोगों ने योग को स्वच्छ यमुना के संकल्प से जोड़ा और यमुना तट पर जाकर योग किया | जम्मू-कश्मीर में चिनाब ब्रिज, जो दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज है, वहाँ भी लोगों ने योग किया | हिमालय की बर्फीली चोटियाँ और ITBP के जवान, वहाँ भी योग दिखा, साहस और साधना साथ-साथ चले | गुजरात के लोगों ने भी एक नया इतिहास रचा | वडनगर में 2121 (इक्कीस सौ इक्कीस) लोगों ने एक साथ भुजंगासन किया और नया रिकॉर्ड बना दिया | न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस, दुनिया के हर बड़े शहर से योग की तस्वीरें आई और हर तस्वीर में एक बात खास रही, शांति, स्थिरता और संतुलन | इस बार की theme भी बहुत विशेष थी, ‘Yoga for One Earth, One Health, यानि, ‘एक पृथ्वी - एक स्वास्थ्य’ | ये सिर्फ एक नारा नहीं है, ये एक दिशा है जो हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का अहसास कराती है | मुझे विश्वास है, इस बार के योग दिवस की भव्यता ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग को अपनाने के लिए जरूर प्रेरित करेगी |

मेरे प्यारे देशवासियो,

जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है, तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, “चलो, बुलावा आया है” | यही भाव हमारे धार्मिक यात्राओं की आत्मा है | ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का, प्रभु से जुड़ने का माध्यम है | इनके अलावा, इन यात्राओं का एक और बड़ा पक्ष होता है | ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महाअनुष्ठान भी होती है | जब कोई भी यात्रा होती है तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं उससे ज्यादा लोग तीर्थयात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं | जगह-जगह भंडारे और लंगर लगते हैं | लोग सड़कों के किनारे प्याऊ लगवाते हैं | सेवा-भाव से ही Medical Camp और सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है | कितने ही लोग अपने खर्च से तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं की, और, रहने की व्यवस्था करते हैं |

साथियो,

लंबे समय के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुभारंभ हुआ है | कैलाश मानसरोवर यानी भगवान शिव का धाम | हिन्दू, बौद्ध, जैन, हर परंपरा में कैलाश को श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना गया है | साथियो, 3 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है और सावन का पवित्र महीना भी कुछ ही दिन दूर है | अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है | ओडिशा हो, गुजरात हो, या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं | उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव का प्रतिबिंब है | जब हम श्रद्धा भाव से, पूरे समर्पण से और पूरे अनुशासन से अपनी धार्मिक यात्रा सम्पन्न करते हैं तो उसका फल भी मिलता है | मैं यात्राओं पर जा रहे सभी सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ | जो लोग सेवा भावना से इन यात्राओं को सफल और सुरक्षित बनाने में जुटे हैं, उन्हें भी साधुवाद देता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो,

अब मैं आपको देश की दो ऐसी उपलब्धियों के बारे में बताना चाहता हूँ, जो आपको गर्व से भर देंगी | इन उपलब्धियों की चर्चा वैश्विक संस्थाएं कर रही हैं | WHO यानी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ और ILO यानी International Labour Organization ने देश की इन उपलब्धियों की भरपूर सराहना की है | पहली उपलब्धि तो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी है | आप में से बहुत से लोगों ने आँखों की एक बीमारी के बारे में सुना होगा – Trachoma | ये बीमारी Bacteria से फैलती है | एक समय था जब ये बीमारी देश के कई हिस्सों में आम थी | ध्यान नहीं दिया जाए, तो इस बीमारी से धीरे-धीरे आँखों की रोशनी तक चली जाती थी | हमने संकल्प लिया कि Trachoma को जड़ से खत्म करेंगे | और मुझे आपको ये बताते हुए बहुत खुशी है कि – ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ यानी WHO ने भारत को Trachoma free घोषित कर दिया है | अब भारत Trachoma मुक्त देश बन चुका है | ये उन लाखों लोगों की मेहनत का फल है, जिन्होंने बिना थके, बिना रुके, इस बीमारी से लड़ाई लड़ी | ये सफलता हमारे health workers की है | ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से भी इसे मिटाने में बड़ी मदद मिली | ‘जल जीवन Mission’ का भी इस सफलता में बड़ा योगदान रहा | आज जब घर-घर नल से साफ पानी पहुँच रहा है, तो ऐसी बीमारियों का खतरा कम हो गया है | ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ WHO ने भी इस बात की सराहना की है कि भारत ने बीमारी से निपटने के साथ-साथ उसके मूल कारणों को भी दूर किया है |

साथियो,

आज भारत में ज्यादातर आबादी किसी-ना-किसी social Protection benefit का फायदा उठा रही है और अभी हाल ही में International Labour Organization – ILO की बड़ी अहम Report आई है | इस Report में कहा गया है कि भारत की 64% (sixty four percent) से ज्यादा आबादी को अब कोई-ना-कोई Social Protection Benefit जरूर मिल रहा है | सामाजिक सुरक्षा - ये दुनिया की सबसे बड़ी coverage में से एक है | आज देश के लगभग 95 करोड़ (ninety-five crore) लोग किसी-न-किसी social security योजना का लाभ पा रहे हैं, जबकि, 2015 तक 25 करोड़ से भी कम लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुँच पाती थी |

साथियो,

भारत में स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक, हर क्षेत्र में देश saturation की भावना से आगे बढ़ रहा है | ये सामाजिक न्याय की भी उत्तम तस्वीर है | इन सफलताओं ने एक विश्वास जगाया है, कि आने वाला समय और बेहतर होगा, हर कदम पर भारत और भी सशक्त होगा |

मेरे प्यारे देशवासियो,

जन-भागीदारी की शक्ति से, बड़े-बड़े संकटों का मुकाबला किया जा सकता है | मैं आपको एक audio सुनाता हूँ, इस audio में आपको उस संकट की भयावहता का अंदाजा लगेगा | वो संकट कितना बड़ा था, पहले वो सुनिए, समझिए |
Audio…. मोरारजी भाई देसाई

[आखिर ये जो ज़ुल्म हुआ दो साल तक, जुल्म तो 5-7 साल से शुरू हो गया था | मगर वो शिखर पर पहुँच गया है दो साल में, जब emergency लोगों पर थोप दी और अमानुषीय बर्ताव लोगों के साथ किया गया | लोगों के स्वतंत्रता के हक छीन लिए गए, अखबारों को कोई स्वतंत्रता न रही | न्यायालय बिल्कुल निर्बल बना दिए गए | और जिस ढंग से एक लाख से ज्यादा लोगों को jail में बंद कर दिये, और फिर अपने मनमानी राज की ओर से होती रही | उसकी मिसाल दुनिया के इतिहास में भी मिलना मुश्किल है ]

साथियो,

ये आवाज देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान मोरारजी भाई देसाई की है | उन्होंने संक्षेप में, लेकिन बहुत ही स्पष्ट तरीके से Emergency के बारे में बताया | आप कल्पना कर सकते हैं, वो दौर कैसा था! Emergency लगाने वालों ने ना सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने का था | इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था | इसके ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता | George Fernandez साहब को जंजीरों में बांधा गया था | अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गई | ‘मीसा’ (MISA) के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार कर लिया जाता था | Students को भी परेशान किया गया | अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंट दिया गया |

साथियो,

उस दौर में जो हजारों लोग गिरफ्तार किए गए, उन पर ऐसे ही अमानवीय अत्याचार हुए | लेकिन ये भारत की जनता का सामर्थ्य है, वो झुकी नहीं, टूटी नहीं और लोकतंत्र के साथ कोई समझौता उसने स्वीकार नहीं किया | आखिरकार, जनता-जनार्दन की जीत हुई – आपातकाल हटा लिया गया और आपातकाल थोपने वाले हार गए | बाबू जगजीवन राम जी ने इस बारे में बहुत ही सशक्त तरीके से अपनी बातें रखी थी |

बहनों और भाइयो,

पिछला चुनाव, चुनाव नहीं था | भारत की जनता का एक महान अभियान था | उस समय की परिस्थितियों को बदल देने का तानाशाही की धारा को मोड़ देने का और भारत में प्रजातंत्र के बुनियाद को मजबूत कर देने का]
अटल जी ने भी तब अपने ही अंदाज में जो कुछ कहा था, वो भी हमें जरूर सुनना चाहिए –

[बहनों और भाइयो,

देश में जो कुछ हुआ, उसे केवल चुनाव नहीं कह सकते | एक शांतिपूर्ण क्रांति हुई है | लोकशक्ति की लहर ने लोकतंत्र की हत्या करने वालों को इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया है]

साथियो,

देश पर Emergency थोपे जाने के 50 वर्ष कुछ दिन पहले ही पूरे हुए हैं | हम देशवासियों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया है | हमें हमेशा उन सभी लोगों को याद करना चाहिए, जिन्होंने Emergency का डटकर मुकाबला किया था | इससे हमें अपने संविधान को सशक्त बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप एक तस्वीर की कल्पना कीजिए | सुबह की धूप पहाड़ियों को छू रही है, धीरे-धीरे उजाला मैदानों की ओर बढ़ रहा है, और उसी रौशनी के साथ बढ़ रही है फुटबॉल प्रेमियों की टोली | सीटी बजती है और कुछ ही पलों में मैदान तालियों और नारों से गूंज उठता है | हर Pass, हर Goal के साथ लोगों का उत्साह बढ़ रहा है | आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी खूबसूरत दुनिया है? साथियो, ये तस्वीर असम के एक प्रमुख क्षेत्र बोडोलैंड की वास्तविकता है | बोडोलैंड आज अपने एक नए रूप के साथ देश के सामने खड़ा है | यहां के युवाओं में जो ऊर्जा है, जो आत्मविश्वास है, वो फुटबॉल के मैदान में सबसे ज्यादा दिखता है | बोडो Territorial Area में, बोडोलैंड CEM Cup का आयोजन हो रहा है | ये सिर्फ एक Tournament नहीं है, ये एकता और उम्मीद का उत्सव बन गया है | 3 हज़ार 700 से ज़्यादा टीमें, करीब 70 हज़ार खिलाड़ी, और उनमें भी बड़ी संख्या में हमारी बेटियों की भागीदारी | ये आँकड़े बोडोलैंड में बड़े बदलाव की गाथा सुना रहे हैं | बोडोलैंड अब देश के खेल नक्शे पर, Sports के map पर, अपनी चमक और बढ़ा रहा है|

साथियो,

एक समय था जब संघर्ष ही यहाँ की पहचान थी | तब यहाँ के युवाओं के लिए रास्ते सीमित थे | लेकिन आज उनकी आँखों में नए सपने हैं और दिलों में आत्मनिर्भरता का हौंसला है | यहाँ से निकले फुटबॉल खिलाड़ी अब बड़े स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं | हालीचरण नारजारी, दुर्गा बोरो, अपूर्वा नारजारी, मनबीर बसुमतारी - ये सिर्फ फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम नहीं हैं - ये उस नई पीढ़ी की पहचान है जिन्होंने बोडोलैंड को मैदान से राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया | इनमें से कई ने सीमित संसाधनों में अभ्यास किया, कई ने कठिन परिस्थितियों में अपने रास्ते बनाए, और आज इनका नाम लेकर देश के कितने ही नन्हें बच्चे अपने सपनों की शुरुआत करते हैं |

साथियो,

अगर हमें अपने सामर्थ्य का विस्तार करना है तो सबसे पहले हमें अपनी Fitness और Wellbeing पर ध्यान देना होगा | वैसे साथियो, Fitness के लिए, Obesity कम करने के लिए मेरा एक सुझाव आपको याद है ना ! खाने में 10% तेल कम करो, मोटापा घटाओ | जब आप Fit होंगे, तो जीवन में और ज्यादा Super Hit होंगे |

मेरे प्यारे देशवासियो,

हमारा भारत जिस तरह अपनी क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है उसी तरह, कला, शिल्प और कौशल की विविधता भी हमारे देश की एक बड़ी खूबी है | आप जिस क्षेत्र में जाएंगे, वहाँ की कुछ-न-कुछ खास और local चीज के बारे में आपको पता चलेगा । हम अक्सर ‘मन की बात’ में देश के ऐसे unique products के बारे में बात करते हैं | ऐसा ही एक product है मेघालय का एरी सिल्क (Eri Silk) | इसे कुछ दिन पहले ही GI Tag मिला है | एरी सिल्क(Eri Silk) मेघालय के लिए एक धरोहर की तरह है | यहाँ की जनजातियों ने, खासकर ख़ासी (Khasi) समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा भी है, और अपने कौशल से समृद्ध भी किया है | इस सिल्क की कई ऐसी खूबियाँ हैं, जो इसे बाकी fabric से अलग बनाती हैं | इसकी सबसे खास बात है इसे बनाने का तरीका, इस सिल्क को जो रेशम के कीड़े बनाते हैं, उसे हासिल करने के लिए कीड़ों को मारा नहीं जाता है, इसलिए इसे, अहिंसा सिल्क भी कहते हैं | आजकल दुनिया में ऐसे products की demand तेजी से बढ़ रही है, जिनमें हिंसा न हो, और प्रकृति पर उनका कोई दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए, मेघालय का एरी सिल्क (Eri Silk) global market के लिए एक perfect product है | इसकी एक और खास बात है, ये सिल्क (Silk) सर्दी में गरम करता है, और गर्मियों में ठंडक देता है | इसकी ये खूबी इसे ज़्यादातर जगहों के लिए अनुकूल बना देती है | मेघालय की महिलाएं अब Self Help Group के जरिए अपनी इस धरोहर को और बड़े scale पर आगे बढ़ा रही हैं | मैं मेघालय के लोगों को एरी सिल्क (Eri Silk) को G। Tag मिलने पर बधाई देता हूँ | मैं आप सबसे भी appeal करूंगा, आप भी एरी सिल्क(Eri Silk) से बने कपड़ों को जरूर try करें और हाँ - खादी, handloom handicraft, Vocal for Local, इन्हें भी आपको हमेशा याद रखना है | ग्राहक भारत में बने product ही खरीदें, और व्यापारी भारत में बने product ही बेचें तो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को नई ऊर्जा मिलेगी |

मेरे प्यारे देशवासियो,

Women Led Development का मंत्र भारत का नया भविष्य गढ़ने के लिए तैयार है | हमारी माताएं, बहनें, बेटियां आज सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए नई दिशा बना रही हैं | आप तेलंगाना के भद्राचलम की महिलाओं की सफलता के बारे में जानेंगे तो आपको भी अच्छा लगेगा | ये महिलाएं कभी खेतों में मजदूरी करती थीं | रोज़ी रोटी के लिए दिन-भर मेहनत करती थीं | आज वही महिलाएं, millets, श्रीअन्न से biscuit बना रही हैं | 'भद्राद्री मिलेट मैजिक' नाम से ये बिस्किट हैदराबाद से लंदन तक जा रहे हैं | भद्राचलम की इन महिलाओं ने Self Help Group से जुड़कर ट्रेनिंग ली |

साथियो,

इन महिलाओं ने एक और सराहनीय काम किया है। इन्होंने 'गिरी सैनिटरी पैड्स' बनाना शुरू किया | सिर्फ तीन महीने में 40,000 पैड्स तैयार किए और उन्हें स्कूलों और आसपास के ऑफिसों में पहुँचाया - वो भी बहुत ही सस्ती कीमत पर |

साथियो,

कर्नाटका के कलबुर्गी की महिलाओं की उपलब्धि भी बेहतरीन है | इन्होंने ज्वार की रोटी को एक ब्रांड बना दिया है | इन्होंने जो कॉपरेटिव बनाई है, उसमें हर रोज तीन हजार से ज्यादा रोटियाँ बन रही हैं | इन रोटियों की खुशबू अब सिर्फ गाँव तक सीमित नहीं है | बेंगलुरु में Special Counter खुल चुका है | Online Food Platforms पर order आ रहे हैं | कलबुर्गी की रोटी अब बड़े शहरों के किचन तक पहुँच रही है | इसका बहुत शानदार असर इन महिलाओं पर पड़ा है, उनकी आय बढ़ रही है |

साथियो,

अलग-अलग राज्यों की इन गाथाओं में अलग-अलग चेहरे हैं। लेकिन उनकी चमक एक जैसी है | ये चमक है आत्मविश्वास की, आत्मनिर्भरता की | ऐसा ही एक चेहरा है, मध्यप्रदेश की सुमा उइके, सुमा जी का प्रयास बहुत सराहनीय है | उन्होंने बालाघाट ज़िले के कटंगी ब्लॉक में, Self Help Group से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की training ली | इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिल गई | सुमा उइके की आय बढ़ी तो उन्होंने अपने काम का विस्तार भी किया | छोटे से प्रयास से शुरू हुआ ये सफर अब 'दीदी कैंटीन' और 'Thermal Therapy Centre' तक पहुँच चुका है | देश के कोने-कोने में ऐसी ही अनगिनत महिलाएं, अपना और देश का भाग्य बदल रही हैं |

मेरे प्यारे देशवासियो,

पिछले दिनों मुझे वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन्न माध्यमों से अपने संदेश भेजे | इन संदेशों की हर पंक्ति में श्रद्धा थी, आत्मीयता थी | उनकी भावनाएं मन को छूने वाली थीं | वो लोग भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों ‘Relics’ के दर्शन कराने के लिए भारत के प्रति अपना आभार प्रकट कर रहे थे | उनके शब्दों में जो भाव थे, वो किसी औपचारिक धन्यवाद से बढ़कर थे |

साथियो,

मूल रूप से भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों की खोज आंध्र प्रदेश में पालनाडू जिले के नागार्जुनकोंडा में हुई थी | इस जगह का बौद्ध धर्म से गहरा नाता रहा है | कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्रीलंका और चीन सहित दूर–दूर के लोग आते थे |

साथियो,

पिछले महीने भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को भारत से वियतनाम ले जाया गया था | वहाँ के 9 अलग–अलग स्थानों पर इन्हें जनता के दर्शन के लिए रखा गया | भारत की ये पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रीय उत्सव बन गई | आप कल्पना कर सकते हैं, करीब 10 करोड़ लोगों की आबादी वाले वियतनाम में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए | social media पर जो तस्वीरें और video मैंने देखे, उन्होंने ये एहसास कराया कि श्रद्धा की कोई सीमा नहीं होती | बारिश हो, तेज धूप हो, लोग घंटों कतारों में खड़े रहे | बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांगजन सभी भाव-विभोर थे | वियतनाम के राष्ट्रपति, उप-प्रधानमंत्री, वरिष्ठ मंत्री, हर कोई नत-मस्तक था | इस यात्रा के प्रति वहाँ के लोगों में सम्मान का भाव इतना गहरा था कि वियतनाम सरकार ने इसे 12 दिन के लिए और आगे बढ़ाने का आग्रह किया था और इसे भारत ने सहर्ष स्वीकार कर लिया |

साथियो,

भगवान बुद्ध के विचारों में वो शक्ति है, जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है | इससे पहले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष थाईलैंड और मंगोलिया ले जाए गए थे, और वहाँ भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया | मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें | ये एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक सुंदर अवसर भी बनेगा |

मेरे प्यारे देशवासियो,

इस महीने हम सबने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया | मुझे आपके हजारों संदेश मिले | कई लोगों ने अपने आस-पास के उन साथियों के बारे में बताया जो अकेले ही पर्यावरण बचाने के लिए निकल पड़े थे और फिर उनके साथ पूरा समाज जुड़ गया | सबका यही योगदान, हमारी धरती के लिए बड़ी ताकत बन रहा है | पुणे के श्री रमेश खरमाले जी, उनके कार्यों को जानकर, आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी | जब हफ्ते के अंत में लोग आराम करते हैं, तो रमेश जी और उनका परिवार कुदाल और फावड़ा लेकर निकल पड़ते हैं | जानते हैं कहाँ ? जुन्नर की पहाड़ियों की ओर | धूप हो या ऊंची चढ़ाई, उनके कदम रुकते नहीं | वो झाड़ियाँ साफ करते हैं, पानी रोकने के लिए trench खोदते हैं और बीज बोते हैं | उन्होंने सिर्फ दो महीनों में 70 trench बना डाले | रमेश जी ने कई सारे छोटे तालाब बनाए हैं, सैकड़ों पेड़ लगाए हैं | वो एक Oxygen Park भी बनवा रहे हैं | नतीजा ये हुआ कि यहाँ अब पक्षी लौटने लगे हैं, वन्य जीवन को नई सांसें मिल रही हैं |

साथियो,

पर्यावरण के लिए एक और सुंदर पहल देखने को मिली है, गुजरात के अहमदाबाद शहर में | यहाँ नगर निगम ने ‘Mission for Million Trees’ अभियान शुरू किया है | लक्ष्य है - लाखों पेड़ लगाना | इस अभियान की एक खास बात है ‘सिंदूर वन’ | यह वन Operation Sindoor के वीरों को समर्पित है | सिंदूर के पौधे उन बहादुरों की याद में लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया | यहाँ एक और अभियान को नई गति दी जा रही है ‘एक पेड़ माँ के नाम’ इस अभियान के तहत देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं | आप भी अपने आपके गाँव या शहर में चल रहे ऐसे अभियान में जरूर हिस्सा लीजिए | पेड़ लगाइए, पानी बचाइए, धरती की सेवा कीजिए, क्योंकि जब हम प्रकृति को बचाते हैं, तो असल में हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित करते हैं |

साथियो,

महाराष्ट्र के एक गाँव ने भी बड़ी शानदार मिसाल पेश की है | छत्रपति संभाजी नगर ज़िले की ग्राम पंचायत है ‘पाटोदा’ | ये Carbon Neutral गाँव पंचायत है | इस गाँव में कोई अपने घर के बाहर कचरा नहीं फेंकता | हर घर से कचरा इकट्ठा करने की पूरी व्यवस्था है | यहाँ गंदे पानी का Treatment भी होता है | बिना साफ किए कोई पानी नदी में नहीं जाता | यहाँ उपलों से अंतिम संस्कार होता है और उस राख से दिवंगत के नाम पर पौधा लगाया जाता है | इस गाँव में साफ-सफाई भी देखते ही बनती है | छोटी-छोटी आदतें जब सामूहिक संकल्प बन जाती हैं, तो बड़ा बदलाव तय हो जाता है |

मेरे प्यारे साथियो,

इस समय सबकी निगाहें International Space Centre पर भी है | भारत ने एक नया इतिहास रचा है | मेरी कल Group Captain शुभांशु शुक्ला से बात भी हुई है | आपने भी शुभांशु से मेरी बातचीत को जरूर सुना होगा | अभी, शुभांशु को कुछ और दिन International Space Centre रहना है | हम इस Mission के बारे में और बातें करेंगे, लेकिन, ‘मन की बात’ के अगले Episode में |अब समय है, इस Episode में आपसे विदा लेने का | लेकिन साथियो, जाते-जाते मैं आपको एक खास दिन की याद दिलाना चाहता हूँ | 1 जुलाई, परसों यानि 1 जुलाई को हम दो बेहद महत्वपूर्ण Professions का सम्मान करते हैं, Doctors और CA | ये दोनों ही समाज के ऐसे स्तम्भ हैं, जो हमारी जिंदगी को बेहतर बनाते हैं | Doctor हमारे स्वास्थ्य के रक्षक हैं और CA (Chartered Accountant) आर्थिक जीवन के मार्गदर्शक हैं | मेरी सभी Doctors और Chartered Accountants को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं |

साथियो,

आपके सुझावों का मुझे हमेशा इंतज़ार रहता है | ‘मन की बात’ का अगला Episode आपके इन्हीं सुझावों से और समृद्ध होगा | फिर मुलाकात होगी, नई बातों के साथ, नई प्रेरणाओं के साथ, देशवासियों की नई उपलब्धियों के साथ | बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार|