भारत के राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्‍द के निमंत्रण पर वियतनाम के राष्‍ट्रपति महामहिम श्री त्रान दाई क्‍वांग और उनकी पत्‍नी 2 से 4 मार्च के बीच तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आए। राष्ट्रपति क्वांग के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी आया जिसमें वहां के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री फाम बिन मिन्ह के अलावा कई मंत्री भी शामिल थे। इनके साथ एक कारोबारी शिष्टमंडल भी आया।

 भारत पहुंचने पर राष्‍ट्रपति कोविंद ने श्री क्‍वांग की अगवानी की और राष्‍ट्रपति भवन में उनका रस्‍मी स्‍वागत किया गया।  श्री क्‍वांग ने राजघाट जाकर राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की समाधि पर श्रदा सुमन अर्पित  किए। वह इसके बाद श्री कोविंद की ओर से आयोजित सरकारी भोज मे शामिल हुए और फिर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता की। उन्‍होंने बाद में लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज सहित कयी और नेताओं से भी मुलाकात की। श्री क्‍वांग ने वियतनाम-भारत बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया और इस दौरान भारत के कई प्रमुख कारोबारी नेताओं से चर्चा की। इससे पहले वे बोधगया भी देखने गए।

वियतनाम और भारत के बीच शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्‍न हुई। इस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की 2016 में वियतनाम यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों और इसके आधार पर विकसित हुई रणनीतिक साझेदारी की झलक देखने को मिली।

वियतनाम के राष्‍ट्रपति श्री क्‍वांग ने सामाजिक, आर्थिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल उपलब्‍धियों के जरिए लोगों का जीवन स्‍तर सुधारने के भारत के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही उन्‍होंने क्षेत्रीय व अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत की प्रभावी भूमिका को अपनी ओर से पूरा समर्थन देने की बात भी कही। राष्‍ट्रपति कोविन्‍द और प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम को सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ ही विदेश नीति में हासिल सफलताओं के लिए बधाई दी। दोनों नेताओं ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि वियतनाम जल्‍द ही औद्योगिक रूप से विकसित देश बनेगा और क्षेत्रीय ही नहीं बल्‍कि पूरे विश्‍व में उसकी प्रभावी भूमिका होगी।

दोनों पक्षों ने राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी और वियतनाम के राष्‍ट्रपिता हो ची मिन्‍ह द्वारा रखी गई नींव पर तैयार हुए अपने दीर्घाकालीन मैत्रीपूर्ण संबंधों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने परस्‍पर मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर संतोष जताया और दोनों देशों की मित्रता की स्‍मृति में 2017 में आयोजित किए गए विभिन्‍न कार्यक्रमों पर खुशी जाहिर की। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2017 को मित्रता के वर्ष के रूप में मनाया गया। श्री क्‍वांग ने इस उपलक्ष्‍य में भारत में वियतनाम दिवस मनाए जाने का स्‍वागत किया।

अपने वर्तमान मजबूत संबंधों के आधार पर दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच केवल सरकारी ही नहीं बल्‍कि संस्‍थागत स्‍तर पर भी नियमित रूप से आदान-प्रदान जारी रखा जाएगा। दोनों देशों के लोगों तथा राजनीतिक दलों के बीच भी लगातार संबंध बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के यहां आने-जाने की गतिविधियां जारी रखी जाएंगी। दोनों नेता  2017-20 की अवधि में वृहत रणनीतिक साझेदारी की कार्य योजना को लागू करने तथा सहयोग के क्षेत्रों की समीक्षा के लिए 2018 में विदेश मंत्रियों के नेतृत्‍व में अगली संयुक्‍त बैठक पर भी सहमत हुए।

रक्षा और सुरक्षा

दोनों पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को व्‍यापक रणनीतिक साझेदारी का महत्‍वपूर्ण और प्रभावी आधार स्‍तंभ स्‍वीकार करते हुए इस क्षेत्र में हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने दोनों देशों के बीच शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ताओं और विचार विमर्श की प्रक्रिया तथा सशस्‍त्र सेनाओं के बीच मजबूत सहयेाग के साथ ही  साइबर सुरक्षा,आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद के सभी रूपों ,अंतरराष्‍ट्रीय अपराधों और मानव तथा मादक पदार्थों की तस्‍करी से निबटने और सामुद्रिक सुरक्षा,खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में परस्‍पर बढते सहयोग का भी स्‍वागत किया।

 दोनों पक्षों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र के नेतृत्‍व में एक खुले,स्‍वतंत्र,स्‍थायी,सुरक्षित और सुगम साइबर स्‍पेस के प्रति अपनी प्रतबद्धता व्‍यक्‍त करते हुए  दोनों के बीच साइबर सुरक्षा पर हुए समझौतों के प्रभावी क्रियान्‍वयन के लिए लोगों सें व्‍यापक सहयोग  का आह्वान किया। उन्‍होंने भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और वियतनाम के लोक सुरक्षा मंत्रालय के बीच किए गए करार को लागू करने तथा पारंपरिक और गैर पारंपरिक सुरक्षा मुद्दों पर भविष्‍य में मंत्रिस्‍तरीय वार्ता शुरू करने और प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सहमति व्‍यक्‍त की। भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाते हुए उसके क्षमता विकास में मदद करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। दोनों पक्ष वियतनाम की समुद्री सीमाओं को ज्‍यादा सुरक्षित बनाने के लिए तीव्र गति वाली गश्‍ती नौकाओं के निर्माण के लिए 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण देने तथा रक्षा उद्योग के वास्‍ते 500 मिलियन डॉलर का ऋण देने की प्रक्रिया तेज करने पर सहमत हुए।

दोनों पक्ष समुद्री क्षेत्र में सहयोग मजबूत बनाने के लिए समुद्री डाकुओं से समुद्री मार्गों की सुरक्षा और नौवहन क्षेत्र में सूचनाओं के आदान प्रदान पर भी सहमत हुए।

भारत और वियतनाम ने एक स्‍वर में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों और इसके प्रकार की निंदा की। वियतनाम ने आतंकवाद को विश्‍व शांति, स्‍थायित्‍व और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानने की भारत की चिंताओं को साझा किया। दोनों पक्षों ने यह माना कि आतंकवाद को किसी भी रूप में न्‍याय संगत नहीं ठहराया जा सकता और इसे किसी धर्म, राष्‍ट्र, सभ्‍यता या किसी समूह के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्‍होंने आतंकवाद के सभी रूपों से निपटने के लिए विश्‍व समुदाय से एक व्‍यापक रणनीति तैयार करने का आह्वान किया। दोनों पक्ष अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद पर एक व्‍यापक संधि की रूप-रेखा तय करने के लिए व्‍यापक स्‍तर पर सहयोग के लिए भी सहमत हुए।

आर्थिक संबंध

    दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि सुदृढ़ व्‍यापारिक एवं आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना एक रणनीतिक उद्देश्‍य है एवं व्‍यापक रणनीतिक साझेदारी का मुख्‍य अवयव है और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दृष्टि से यह अत्‍यंत आवश्‍यक है। दोनों ही राजनेताओं ने पिछले दो वर्षों के दौरान कुल व्‍यापार में हुई उल्‍लेखनीय वृद्धि पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए इसकी सराहना की। कुल व्‍यापार में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ इसकी संरचना में विविधता लाने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने दोनों पक्षों के संबंधित मंत्रालयों एवं एजेंसियों से वर्ष 2020 तक 15 अरब अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार लक्ष्‍य को पाने के लिए व्‍यापक एवं व्‍यावहारिक कदम उठाने की संभावनाएं तलाशने का अनुरोध किया। पहले से स्‍थापित व्‍यवस्‍थाओं का उपयोग करना, व्‍यापार प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को और मजबूत करना, दोनों पक्षों के कारोबारियों के बीच संपर्कों को बढ़ावा देना और व्‍यापार मेलों एवं कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन करना भी इन कदमों में शामिल हैं। दोनों पक्षों ने व्‍यापार पर गठित संयुक्‍त उप-आयोग की अगली बैठक वर्ष 2018 में जल्‍द से जल्‍द ‘हा नोई’ में आयोजित करने पर सहमति जताई।

    दोनों पक्षों ने दोनों ही देशों के व्‍यापार एवं उद्योग जगत की हस्तियों से सहयोग के प्राथमिकता वाले चिन्हित क्षेत्रों में नये व्‍यापार एवं निवेश अवसरों की तलाश करने का अनुरोध किया। इनमें हाइड्रोकार्बन, विद्युत उत्‍पादन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण, बुनियादी ढांचा, वस्‍त्र, फुटवियर, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, मशीन के कलपुर्जे, कृषि एवं संबंधित उत्‍पाद, पर्यटन, रसायन, आईसीटी और सेवा क्षेत्र से जुड़े अन्‍य उद्योग शामिल हैं। दोनों पक्षों ने कृषि उत्‍पादों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अंश बढ़ाने के साथ-साथ उत्‍पादकता में वृद्धि करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई।

    दोनों पक्षों ने वियतनाम एवं भारत के बीच और ज्‍यादा दोतरफा निवेश को बढ़ावा दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में अनूकूल निवेश माहौल से लाभ उठाने के लिए वियतनाम की कंपनियों का स्‍वागत किया। राष्‍ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने वियतनाम में निवेश के लिए भारतीय कंपनियों का स्‍वागत किया और वियतनाम के कानूनों के अनुसार भारतीय निवेश के लिए अनुकूल एवं सुविधाजनक माहौल बनाने संबंधी वियतनाम की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्‍होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के उन प्रयासों की सराहना की जिनकी बदौलत ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग बेहतर हो गई है।

विकास सहयोग

    राष्‍ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने वियतनाम के लिए लम्‍बे समय से निरंतर दिए जा रहे अनुदानों और ऋणों के लिए भारत की काफी सराहना की। उन्‍होंने विशेषकर भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम और मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) फ्रेमवर्क के साथ-साथ त्‍वरित असर वाली परियोजनाओं (क्‍यूआईपी) के वित्‍त पोषण वाली परियोजनाओं, इत्‍यादि के जरिए वियतनाम के विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं, अकादमिक प्रोफेशनलों और सरकारी पदाधिकारियों हेतु छात्रवृत्तियां बढ़ाने के लिए भारत का धन्‍यवाद किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वियतनाम को आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए आपसी हित वाले क्षेत्रों में विशेष पाठ्यक्रमों को उपलब्‍ध कराने की पेशकश की। राष्‍ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने जनवरी, 2018 में आयोजित आसियान-भारत स्‍मारक शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा की गई उस घोषणा की सराहना की, जिसमें ‘सीएलएमवी’ देशों में ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए एक पायलट परियोजना शुरू करने की बात कही गई है, जिससे डिजिटल गांवों का सृजन होगा। राष्‍ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने जनवरी, 2018 में आयोजित आसियान-भारत स्‍मारक शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा की गई उस घोषणा की भी सराहना की, जिसमें उन्‍होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों में एकीकृत पीएचडी अध्‍ययन कार्यक्रमों के लिए आसियान के सदस्‍य देशों के विद्यार्थियों और अनुसंधानकर्ताओं को 1,000 छात्रवृत्तियों की पेशकश की है।

ऊर्जा सहयोग

दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि तेल व गैस उत्खनन, ताप व जल विद्युत तथा नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। राष्ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने भारतीय उद्योगपतियों से कहा कि तेल व गैस उत्खनन में उनका स्वागत है। वे भूमि तथा समुद्र (विशिष्ट आर्थिक जोन, ईईजेड) दोनों ही स्थानों पर उत्खनन की गतिविधियां प्रारंभ कर सकते हैं। इसके लिए भारतीय कंपनियों को वियतनाम द्वारा प्रस्तावित ब्लाकों के संदर्भ में ठोस प्रस्ताव देने होंगे। दोनों ही देशों ने किसी तीसरे देश में तेल व गैस उत्खनन के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए समझौते पत्र पर हस्ताक्षर के लिए सहमति जताई। वियतनामी पक्ष ने भारतीय तेल व गैस कंपनियों को वियतनाम के मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया।

राष्ट्रपति त्रान दाई क्‍वांग ने वियतनाम के नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण परियोजनाओं में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। राष्ट्रपति महोदय ने भारत को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत के सहयोग से वियतनाम परमाणु ऊर्जा के शांति पूर्ण उपयोग के लिए एक शोध रिएक्टर स्थापित करने में सफल हुआ है।

 

संस्कृति, शिक्षा और दोनों देशों के बीच जनसंपर्क

दोनों पक्षों ने संस्कृति, पर्यटन और परस्पर जनसंपर्क के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। पुरातत्व, संरक्षण और म्यूजियम को फिर से मजबूत बनाते हुए तथा दोनों देशों के मध्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जोड़ते हुए दोनों देश आपसी सांस्कृति और ऐतिहासिक संबंधों को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। भारत ने वियतनाम सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के वियतनाम द्वारा दिए गए प्रस्ताव के प्रति गहरी प्रसन्नता व्यक्त की।

दोनों ही राजनेताओं ने वियतनाम के क्वांग नाम राज्य में स्थित विरासत स्थल माई सन के संरक्षण परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन की प्रशंसा की। माई सन यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल है। भारत ने हुआ लाई टावर और पो क्लांगगराई चाम टावर के पुनर्द्धार व संरक्षण के लिए लाइन ऑफ क्रेडिट की सुविधा दी है। भारत ने निन्ह थुआन राज्य के चाम समुदाय के लिए सहायता राशि प्रदान की है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस) 500 वियतनामी लोगों के लिए जयपुर फुट प्रदान करेंगे। इससे फूथाओ, विन्ह फुक और अन्य राज्यों में रहने वाले विकलांग लोगों के पुनर्वास में मदद मिलेगी।

 

कनेक्टिविटी

     दोनों की पक्षों ने वियतनाम और भारत तथा आसियान और भारत के मध्य मजबूत कनेक्टिविटी के महत्व पर सहमति जताई। भारतीय पक्ष ने वियतनाम से भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए एक बिलियन डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट के  उपयोग करने का आग्रह किया। दोनों नेताओं ने भारत-म्यांमार-थाइलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के महत्व को रेखांकित किया। दोनों पक्षों ने इस राजमार्ग को थाइलैंड से आगे बढ़ाकर वियतनाम (कम्बोडिया और लाओ पीडीआर होकर) तक ले जाने की संभावनाओं का अध्ययन करने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने आसियान भारत समुद्री परिवहन सहयोग समझौता पर जल्द हस्ताक्षर के महत्व पर बल दिया। भारत और वियतनाम के बंदरगाहों के मध्य समुद्री रास्तों की स्थापना की जरूरत पर बल दिया। दोनों पक्षों ने नई दिल्ली और हो चि मिन सिटी के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू होने का स्वागत किया। 

 

क्षेत्रीय सहयोग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति श्री त्रान दाई क्‍वांग ने एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति समेत विभिन्न द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर विचारों में समानता व्यक्त की। उन्होंने भारत प्रशांत क्षेत्र के शांति तथा समृद्धि प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत प्रशांत क्षेत्र में संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय कानून, परिवहन की स्वतंत्रता, सतत विकास, खुला व्यापार तथा निवेश प्रणाली का सम्मान किया जाना चाहिए। 

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List of Outcomes: Visit of Prime Minister to Kuwait (December 21-22, 2024)
December 22, 2024
Sr. No.MoU/AgreementObjective

1

MoU between India and Kuwait on Cooperation in the field of Defence.

This MoU will institutionalize bilateral cooperation in the area of defence. Key areas of cooperation include training, exchange of personnel and experts, joint exercises, cooperation in defence industry, supply of defence equipment, and collaboration in research and development, among others.

2.

Cultural Exchange Programme (CEP) between India and Kuwait for the years 2025-2029.

The CEP will facilitate greater cultural exchanges in art, music, dance, literature and theatre, cooperation in preservation of cultural heritage, research and development in the area of culture and organizing of festivals.

3.

Executive Programme (EP) for Cooperation in the Field of Sports
(2025-2028)

The Executive Programme will strengthen bilateral cooperation in the field of sports between India and Kuwait by promoting exchange of visits of sports leaders for experience sharing, participation in programs and projects in the field of sports, exchange of expertise in sports medicine, sports management, sports media, sports science, among others.

4.

Kuwait’s membership of International Solar Alliance (ISA).

 

The International Solar Alliance collectively covers the deployment of solar energy and addresses key common challenges to the scaling up of use of solar energy to help member countries develop low-carbon growth trajectories.