प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर स्किल रिवोल्यूशन का नेतृत्व करने की, भारत की क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा, "भारत में, दुनिया में स्किल्ड वर्कफोर्स के सबसे बड़े प्रोवाइडर्स में से एक बनने की क्षमता है।"
कामकाजी आयु वर्ग के 65% से अधिक युवाओं के साथ, भारत दुनिया के किसी भी अन्य देश के विपरीत एक उभरते हुए डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाता है। हालांकि, इस लाभ को पूरी तरह से तभी अर्जित किया जा सकता है जब युवा; आधुनिक, अत्याधुनिक जॉब्स की डिमांड को पूरा करने के लिए सही प्रकार के आवश्यक स्किल से लैस हों। इसलिए, भारत को दुनिया की स्किल कैपिटल बनाने में इनोवेशन, एजुकेशन और टैलेंट के पोषण पर फोकस करना महत्वपूर्ण होगा।
पीएम मोदी की सरकार इस क्षमता के प्रति सचेत रही है, और एक मजबूत वर्कफोर्स को आकार देने के लिए भारत में स्किल गैप को पाटने के लिए कई पहल की हैं। इस प्रतिबद्धता का एक उदाहरण 2014 में स्किल डेवलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए एक समर्पित मंत्रालय का गठन है। आजादी के बाद यह पहली बार था कि कि युवाओं की उत्पादकता और रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए, बदलते हुए जॉब मार्केट की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मदद करने के उद्देश्य से एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया।
इस विजन को मजबूत करते हुए, मोदी सरकार ने शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग पर फोकस करने के लिए 2015 में स्किल इंडिया मिशन शुरू किया। मिशन, पूरे भारत में लगभग 40 सेक्टर्स में कोर्सेज प्रदान करता है। ये कोर्सेज विशेष रूप से किसी व्यक्ति को उसकी जॉब के लिए आवश्यक जरूरी ज्ञान और प्रैक्टिकल स्किल से लैस करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि एक बार जॉब में आने के बाद, एम्प्लॉयर को उसकी ट्रेनिंग और कैपेसिटी डेवलपमेंट में और इंवेस्ट करने की आवश्यकता न हो। मिशन यह सुनिश्चित करता है कि ये कोर्सेज, नेशनल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत पब्लिक और प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों द्वारा स्वीकृत स्टैंडर्ड्स के अनुरूप हैं। स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को एक समान दिशा में ले जाने के लिए, सरकार ने सभी कार्यक्रमों के लिए कॉमन नॉर्म्स बनाए हैं।
मिशन अपने दायरे में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान, नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स के माध्यम से क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम जैसी अनूठी पहलों को समाहित करता है।
एक फ्लैगशिप स्कीम, पीएम-कौशल विकास योजना (PMKVY) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों सहित युवाओं को शॉर्ट-टर्म स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन प्रदान करना है। दोहरे ट्रेनिंग कंपोनेंट्स के साथ, जैसे कि शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग और प्रायर-लर्निंग की मान्यता, PMKVY पीएम-कौशल केंद्रों के रूप में स्किल डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करता है। PMKVY के तहत, पीएम-कौशल केंद्रों सहित लगभग 2,640 ट्रेनिंग सेंटर्स हैं, जो टेक्नोलॉजी के उपयोग से समर्थित लेटेस्ट शिक्षण विधियों की पेशकश करते हैं। अक्टूबर 2023 तक, इन केंद्रों ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के साथ 1.40 करोड़ से अधिक कैंडिडेट्स को प्रशिक्षित किया है।
PMKVY के तहत मान्यता प्राप्त प्रायर-लर्निंग ने असंगठित से संगठित क्षेत्र में कदम रखने को काफी आसान बना दिया है। यह कार्यक्रम अनौपचारिक तरीकों से अर्जित किसी व्यक्ति के कौशल का आकलन और मान्यता देता है। अब तक 50 लाख से अधिक व्यक्तियों को इस कंपोनेंट के तहत सर्टिफिकेशन प्राप्त हो चुका है, जिससे न केवल उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था में अधिक संगठित और स्किल्ड वर्कफोर्स का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
वोकेशनल एजुकेशन और ट्रेनिंग भी मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। ये न केवल छात्रों को स्पेसिफिक ट्रेड्स और टेक्निकल करियर के लिए आवश्यक प्रैक्टिकल स्किल और अनुभव से लैस करते हैं, बल्कि उन्हें करियर के लिए तैयार और रोजगार योग्य भी बनाते हैं।
इस दिशा में, जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना गैर-साक्षर, नव-साक्षर, स्कूल छोड़ने वाले और दिव्यांगजनों सहित अल्पविकसित शिक्षा वाले व्यक्तियों को व्यापक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक वोकेशनल स्किल्स से लैस करना है, जिससे उनकी आजीविका के अवसरों तक पहुंच में सुधार हो सके। यहां SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। 2018-19 से, 22.58 लाख से अधिक व्यक्तियों को JSS के तहत प्रशिक्षित किया गया है।
इसे क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम योजना द्वारा और मजबूत किया गया है जो इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स (ITI) के नेटवर्क के माध्यम से लॉन्ग-टर्म ट्रेनिंग प्रदान करती है। पिछले 9 वर्षों में देश में 5000 नए ITI की स्थापना हुई है, जिसके परिणामस्वरूप 4 लाख से अधिक नई ITI सीट्स बढ़ी हैं। ITI विभिन्न इकोनॉमिक सेक्टर्स में स्किल ट्रेनिंग और वोकेशनल कोर्सेज का एक स्पेक्ट्रम प्रदान करते हैं, जिससे इंडस्ट्री को स्किल्ड वर्कफोर्स के साथ-साथ स्व-रोज़गार के अवसरों तक पहुंच की सुविधा मिलती है। आज पूरे भारत में लगभग 15,000 केंद्र कार्यरत हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2018 से 65 लाख से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 (NEP) में वोकेशनल एजुकेशन को भी उचित महत्व दिया गया है। वोकेशनल एजुकेशन को अकादमिक एजुकेशन के साथ एकीकृत करते हुए, पॉलिसी विषयों के बीच कठोर अलगाव से छुटकारा दिलाती है, और छात्रों को विशेष स्किल हासिल करने के लिए विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज में से चयन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में रिसर्च के माहौल को फिर से मजबूत करने और इंडस्ट्री-अकादमिक लिंक को बढ़ावा देने के लिए NEP के प्रावधानों के माध्यम से इस जोर को नए सिरे से बढ़ावा मिला है।
इंडस्ट्री-अकादमिक लिंक के विचार पर आधारित, सरकार ने नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम शुरू की। यह स्कीम उन इंडस्ट्रियल प्रतिष्ठानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जो अप्रेंटिसशिप एक्ट, 1961 के तहत अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम संचालित करते हैं। यह अप्रेंटिसेज की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करती है और सैद्धांतिक शिक्षा और प्रैक्टिकल स्किल के बीच अंतर को पाटते हुए अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देती है। इस योजना ने लगभग 50,000 प्रतिष्ठानों की भागीदारी के साथ प्रभावशाली लोकप्रियता हासिल की है। उल्लेखनीय रूप से, 2018-19 से 28.22 लाख से अधिक व्यक्तियों ने कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
सरकार ने इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स को नियंत्रित करने में निजी क्षेत्र को अधिकतम लाभ प्रदान करते हुए अप्रेंटिसेज एक्ट, 1961 में भी संशोधन किया है। यह सुनिश्चित करता है कि ये स्टैंडर्ड्स हमेशा गतिशील बाज़ार जरूरतों के अनुरूप बने रहें।
इसके अलावा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्किल्स (IIS) की परिकल्पना मौजूदा कार्यक्रमों से परे ट्रेनिंग स्टैंडर्ड्स को बढ़ाने के लिए की गई है, जो इंडस्ट्री के सहयोग से विशेष क्षेत्रों में अप्रेंटिसेज को 'हैण्ड ऑन स्किल्स' ट्रेनिंग प्रदान करता है। सरकार ने तीन स्थानों-कानपुर, मुंबई और अहमदाबाद में IIS की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
देश में उद्यमशीलता ऊर्जा को दिशा देने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री युवा योजना भी शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रारंभिक स्टेज और संभावित उद्यमियों को शिक्षित, प्रशिक्षित और समर्थन करना है। पहल के हिस्से के रूप में, उम्मीदवारों को प्रारंभिक फंडिंग जरूरतों के लिए MUDRA योजना से जोड़ा गया है। यह इंटीग्रेटेड अप्रोच न केवल व्यक्तिगत उद्यमशीलता आकांक्षाओं का पोषण करता है बल्कि नए उद्यमों के विकास और सफलता के लिए अनुकूल एक कॉम्प्रिहेंसिव इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाएं देश में उद्यमशीलता संस्कृति के निर्माण की दिशा में सरकार के इरादों और प्रयासों को मुख्यधारा में लाती हैं।
भारत को ग्लोबल स्किल कैपिटल में बदलने और स्किल वर्कफोर्स की ग्लोबल मोबिलिटी को सुविधाजनक बनाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए, सरकार ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कोऑपरेशन इंटरनेशनल की स्थापना की है। इस पहल के तहत, इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स को पूरा करने वाले डाइवर्स स्किल को विकसित करने और निखारने तथा स्किल्ड कैंडिडेट्स और ग्लोबल एम्प्लॉयर्स के बीच एक प्रभावी लिंकेज प्रदान करने के लिए पूरे भारत में संस्थानों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
सरकार ने विभिन्न देशों में मांग के अनुसार स्किल्ड वर्कफोर्स की मोबिलिटी की सुविधा के लिए देश भर में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर्स स्थापित करने की भी कल्पना की है। इसके अलावा, स्किल डेवलपमेंट और वोकेशनल ट्रेनिंग के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी सहित लगभग 11 देशों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इसके अलावा, स्किल डेवलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप मंत्रालय के अतिरिक्त, 20 से अधिक केंद्रीय मंत्रालय कई योजनाओं के माध्यम से स्किलिंग और अपस्किलिंग कार्यक्रम चला रहे हैं, जैसे ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन आदि।
स्किल इंडिया डिजिटल के लॉन्च जैसे हालिया डेवलपमेंट, भारत में स्किल परिदृश्य के प्रति मोदी सरकार के अप्रोच के सूचक हैं। स्किल इंडिया डिजिटल, देश में समग्र स्किलिंग, शिक्षा, रोजगार और आंत्रप्रेन्योरशिप इकोसिस्टम के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। डिजिटल टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री 4.0 स्किल पर ध्यान देने के साथ, यह प्लेटफॉर्म सभी स्किल पहलों को एक साथ लाएगा, सीखने, प्रशिक्षण और प्रतिभा को आसानी से काम पर रखने की सुविधा प्रदान करेगा। यह स्किल और आंत्रप्रेन्योरशिप से संबंधित सभी सरकारी पहलों के लिए एक कम्पलीट इंफॉर्मेशन गेट-वे के रूप में भी कार्य करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी का आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने का लक्ष्य सिर्फ नारेबाजी नहीं है। इस कदम की शुरुआत, देश के दूर-दराज इलाकों तक बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने के लिए पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बदलाव से हुई थी। इसका अगला कदम शिक्षा नीति में सुधार था, जो सांस्कृतिक मूल्यों को बचाते हुए युवाओं को फ्यूचर स्किल से लैस करता है। यह यात्रा, हालांकि जीवन भर की है, पर ये नई तकनीकों और हर किसी को आगे बढ़ाने वाली बेहतरीन पहलों के चलते अपनी मंजिल के करीब आ रही है। प्रधानमंत्री का हालिया "ड्रोन दीदी" कार्यक्रम इसका जीता जागता उदाहरण है।