प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर स्किल रिवोल्यूशन का नेतृत्व करने की, भारत की क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा, "भारत में, दुनिया में स्किल्ड वर्कफोर्स के सबसे बड़े प्रोवाइडर्स में से एक बनने की क्षमता है।"

कामकाजी आयु वर्ग के 65% से अधिक युवाओं के साथ, भारत दुनिया के किसी भी अन्य देश के विपरीत एक उभरते हुए डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाता है। हालांकि, इस लाभ को पूरी तरह से तभी अर्जित किया जा सकता है जब युवा; आधुनिक, अत्याधुनिक जॉब्स की डिमांड को पूरा करने के लिए सही प्रकार के आवश्यक स्किल से लैस हों। इसलिए, भारत को दुनिया की स्किल कैपिटल बनाने में इनोवेशन, एजुकेशन और टैलेंट के पोषण पर फोकस करना महत्वपूर्ण होगा।

पीएम मोदी की सरकार इस क्षमता के प्रति सचेत रही है, और एक मजबूत वर्कफोर्स को आकार देने के लिए भारत में स्किल गैप को पाटने के लिए कई पहल की हैं। इस प्रतिबद्धता का एक उदाहरण 2014 में स्किल डेवलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए एक समर्पित मंत्रालय का गठन है। आजादी के बाद यह पहली बार था कि कि युवाओं की उत्पादकता और रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए, बदलते हुए जॉब मार्केट की जरूरतों को पूरा करने में उनकी मदद करने के उद्देश्य से एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया।

इस विजन को मजबूत करते हुए, मोदी सरकार ने शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग पर फोकस करने के लिए 2015 में स्किल इंडिया मिशन शुरू किया। मिशन, पूरे भारत में लगभग 40 सेक्टर्स में कोर्सेज प्रदान करता है। ये कोर्सेज विशेष रूप से किसी व्यक्ति को उसकी जॉब के लिए आवश्यक जरूरी ज्ञान और प्रैक्टिकल स्किल से लैस करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि एक बार जॉब में आने के बाद, एम्प्लॉयर को उसकी ट्रेनिंग और कैपेसिटी डेवलपमेंट में और इंवेस्ट करने की आवश्यकता न हो। मिशन यह सुनिश्चित करता है कि ये कोर्सेज, नेशनल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत पब्लिक और प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों द्वारा स्वीकृत स्टैंडर्ड्स के अनुरूप हैं। स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को एक समान दिशा में ले जाने के लिए, सरकार ने सभी कार्यक्रमों के लिए कॉमन नॉर्म्स बनाए हैं।

मिशन अपने दायरे में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान, नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स के माध्यम से क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम जैसी अनूठी पहलों को समाहित करता है।

एक फ्लैगशिप स्कीम, पीएम-कौशल विकास योजना (PMKVY) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों सहित युवाओं को शॉर्ट-टर्म स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन प्रदान करना है। दोहरे ट्रेनिंग कंपोनेंट्स के साथ, जैसे कि शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग और प्रायर-लर्निंग की मान्यता, PMKVY पीएम-कौशल केंद्रों के रूप में स्किल डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करता है। PMKVY के तहत, पीएम-कौशल केंद्रों सहित लगभग 2,640 ट्रेनिंग सेंटर्स हैं, जो टेक्नोलॉजी के उपयोग से समर्थित लेटेस्ट शिक्षण विधियों की पेशकश करते हैं। अक्टूबर 2023 तक, इन केंद्रों ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के साथ 1.40 करोड़ से अधिक कैंडिडेट्स को प्रशिक्षित किया है।

PMKVY के तहत मान्यता प्राप्त प्रायर-लर्निंग ने असंगठित से संगठित क्षेत्र में कदम रखने को काफी आसान बना दिया है। यह कार्यक्रम अनौपचारिक तरीकों से अर्जित किसी व्यक्ति के कौशल का आकलन और मान्यता देता है। अब तक 50 लाख से अधिक व्यक्तियों को इस कंपोनेंट के तहत सर्टिफिकेशन प्राप्त हो चुका है, जिससे न केवल उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था में अधिक संगठित और स्किल्ड वर्कफोर्स का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

वोकेशनल एजुकेशन और ट्रेनिंग भी मोदी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। ये न केवल छात्रों को स्पेसिफिक ट्रेड्स और टेक्निकल करियर के लिए आवश्यक प्रैक्टिकल स्किल और अनुभव से लैस करते हैं, बल्कि उन्हें करियर के लिए तैयार और रोजगार योग्य भी बनाते हैं।

इस दिशा में, जन शिक्षण संस्थान (JSS) योजना गैर-साक्षर, नव-साक्षर, स्कूल छोड़ने वाले और दिव्यांगजनों सहित अल्पविकसित शिक्षा वाले व्यक्तियों को व्यापक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक वोकेशनल स्किल्स से लैस करना है, जिससे उनकी आजीविका के अवसरों तक पहुंच में सुधार हो सके। यहां SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। 2018-19 से, 22.58 लाख से अधिक व्यक्तियों को JSS के तहत प्रशिक्षित किया गया है।

इसे क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम योजना द्वारा और मजबूत किया गया है जो इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स (ITI) के नेटवर्क के माध्यम से लॉन्ग-टर्म ट्रेनिंग प्रदान करती है। पिछले 9 वर्षों में देश में 5000 नए ITI की स्थापना हुई है, जिसके परिणामस्वरूप 4 लाख से अधिक नई ITI सीट्स बढ़ी हैं। ITI विभिन्न इकोनॉमिक सेक्टर्स में स्किल ट्रेनिंग और वोकेशनल कोर्सेज का एक स्पेक्ट्रम प्रदान करते हैं, जिससे इंडस्ट्री को स्किल्ड वर्कफोर्स के साथ-साथ स्व-रोज़गार के अवसरों तक पहुंच की सुविधा मिलती है। आज पूरे भारत में लगभग 15,000 केंद्र कार्यरत हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2018 से 65 लाख से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 (NEP) में वोकेशनल एजुकेशन को भी उचित महत्व दिया गया है। वोकेशनल एजुकेशन को अकादमिक एजुकेशन के साथ एकीकृत करते हुए, पॉलिसी विषयों के बीच कठोर अलगाव से छुटकारा दिलाती है, और छात्रों को विशेष स्किल हासिल करने के लिए विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज में से चयन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में रिसर्च के माहौल को फिर से मजबूत करने और इंडस्ट्री-अकादमिक लिंक को बढ़ावा देने के लिए NEP के प्रावधानों के माध्यम से इस जोर को नए सिरे से बढ़ावा मिला है।

इंडस्ट्री-अकादमिक लिंक के विचार पर आधारित, सरकार ने नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम शुरू की। यह स्कीम उन इंडस्ट्रियल प्रतिष्ठानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जो अप्रेंटिसशिप एक्ट, 1961 के तहत अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम संचालित करते हैं। यह अप्रेंटिसेज की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करती है और सैद्धांतिक शिक्षा और प्रैक्टिकल स्किल के बीच अंतर को पाटते हुए अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देती है। इस योजना ने लगभग 50,000 प्रतिष्ठानों की भागीदारी के साथ प्रभावशाली लोकप्रियता हासिल की है। उल्लेखनीय रूप से, 2018-19 से 28.22 लाख से अधिक व्यक्तियों ने कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

सरकार ने इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स को नियंत्रित करने में निजी क्षेत्र को अधिकतम लाभ प्रदान करते हुए अप्रेंटिसेज एक्ट, 1961 में भी संशोधन किया है। यह सुनिश्चित करता है कि ये स्टैंडर्ड्स हमेशा गतिशील बाज़ार जरूरतों के अनुरूप बने रहें।

इसके अलावा, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्किल्स (IIS) की परिकल्पना मौजूदा कार्यक्रमों से परे ट्रेनिंग स्टैंडर्ड्स को बढ़ाने के लिए की गई है, जो इंडस्ट्री के सहयोग से विशेष क्षेत्रों में अप्रेंटिसेज को 'हैण्ड ऑन स्किल्स' ट्रेनिंग प्रदान करता है। सरकार ने तीन स्थानों-कानपुर, मुंबई और अहमदाबाद में IIS की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।

देश में उद्यमशीलता ऊर्जा को दिशा देने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री युवा योजना भी शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रारंभिक स्टेज और संभावित उद्यमियों को शिक्षित, प्रशिक्षित और समर्थन करना है। पहल के हिस्से के रूप में, उम्मीदवारों को प्रारंभिक फंडिंग जरूरतों के लिए MUDRA योजना से जोड़ा गया है। यह इंटीग्रेटेड अप्रोच न केवल व्यक्तिगत उद्यमशीलता आकांक्षाओं का पोषण करता है बल्कि नए उद्यमों के विकास और सफलता के लिए अनुकूल एक कॉम्प्रिहेंसिव इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाएं देश में उद्यमशीलता संस्कृति के निर्माण की दिशा में सरकार के इरादों और प्रयासों को मुख्यधारा में लाती हैं।

भारत को ग्लोबल स्किल कैपिटल में बदलने और स्किल वर्कफोर्स की ग्लोबल मोबिलिटी को सुविधाजनक बनाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए, सरकार ने नेशनल स्किल डेवलपमेंट कोऑपरेशन इंटरनेशनल की स्थापना की है। इस पहल के तहत, इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स को पूरा करने वाले डाइवर्स स्किल को विकसित करने और निखारने तथा स्किल्ड कैंडिडेट्स और ग्लोबल एम्प्लॉयर्स के बीच एक प्रभावी लिंकेज प्रदान करने के लिए पूरे भारत में संस्थानों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।

सरकार ने विभिन्न देशों में मांग के अनुसार स्किल्ड वर्कफोर्स की मोबिलिटी की सुविधा के लिए देश भर में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर्स स्थापित करने की भी कल्पना की है। इसके अलावा, स्किल डेवलपमेंट और वोकेशनल ट्रेनिंग के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी सहित लगभग 11 देशों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इसके अलावा, स्किल डेवलपमेंट और आंत्रप्रेन्योरशिप मंत्रालय के अतिरिक्त, 20 से अधिक केंद्रीय मंत्रालय कई योजनाओं के माध्यम से स्किलिंग और अपस्किलिंग कार्यक्रम चला रहे हैं, जैसे ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन आदि।

स्किल इंडिया डिजिटल के लॉन्च जैसे हालिया डेवलपमेंट, भारत में स्किल परिदृश्य के प्रति मोदी सरकार के अप्रोच के सूचक हैं। स्किल इंडिया डिजिटल, देश में समग्र स्किलिंग, शिक्षा, रोजगार और आंत्रप्रेन्योरशिप इकोसिस्टम के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। डिजिटल टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री 4.0 स्किल पर ध्यान देने के साथ, यह प्लेटफॉर्म सभी स्किल पहलों को एक साथ लाएगा, सीखने, प्रशिक्षण और प्रतिभा को आसानी से काम पर रखने की सुविधा प्रदान करेगा। यह स्किल और आंत्रप्रेन्योरशिप से संबंधित सभी सरकारी पहलों के लिए एक कम्पलीट इंफॉर्मेशन गेट-वे के रूप में भी कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी का आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने का लक्ष्य सिर्फ नारेबाजी नहीं है। इस कदम की शुरुआत, देश के दूर-दराज इलाकों तक बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने के लिए पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बदलाव से हुई थी। इसका अगला कदम शिक्षा नीति में सुधार था, जो सांस्कृतिक मूल्यों को बचाते हुए युवाओं को फ्यूचर स्किल से लैस करता है। यह यात्रा, हालांकि जीवन भर की है, पर ये नई तकनीकों और हर किसी को आगे बढ़ाने वाली बेहतरीन पहलों के चलते अपनी मंजिल के करीब आ रही है। प्रधानमंत्री का हालिया "ड्रोन दीदी" कार्यक्रम इसका जीता जागता उदाहरण है।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Making Digital India safe, secure and inclusive

Media Coverage

Making Digital India safe, secure and inclusive
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।