वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) चीनी-नियंत्रित क्षेत्र को भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करती है और आम तौर पर तीन क्षेत्रों में विभाजित होती है: ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न। ईस्टर्न सेक्टर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों तक फैला है, मिडिल सेक्टर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों तक फैला है, और वेस्टर्न सेक्टर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तक फैला है। ऐतिहासिक रूप से, LAC की लंबाई को लेकर दोनों देशों की राय अलग-अलग रही है। परिणामस्वरूप, तीनों क्षेत्रों में विवाद हैं।

चीन पिछले एक दशक से ज्यादा समय से "सलामी स्लाइसिंग" स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल कर रहा है, जो ''बड़े युद्ध की छाया में अंतरराष्ट्रीय विस्तार को पूरा करता है।” पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का निरंतर लक्ष्य भारत-चीन सीमा पर अप्रत्याशित नए क्षेत्रों में आगे बढ़ना है और फिर लंबी बातचीत के बाद आधे रास्ते में वापस आना है, कुछ हथियाए गए हिस्सों को अपने लिए बनाए रखते हुए। 2013 के डेपसांग गतिरोध ने चीनी सलामी-स्लाइसिंग तरकीब का प्रदर्शन किया, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने विवादित अक्साई चिन क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दौलत बेग ओल्डी से 30 किमी दक्षिण में डेपसांग बुलगे क्षेत्र में घुसपैठ की थी।

डोकलाम गतिरोध के दौरान भारत का अडिग रुख, गलवान में पीछे हटने से इनकार और बाद में सैनिकों की तैनाती से यह साबित हो गया है कि भारत मुकाबला करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने जरूरत के अनुसार सभी मंचों पर चीन को जवाब दिया है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने पड़ोसी को "सार्वभौमिक भाईचारे" की अवधारणा में प्राचीन भारतीय विश्वास के बारे में याद दिलाया, लेकिन जब उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की बात आती है तो भारत की "प्रतिबद्धता और ताकत" की पुष्टि की। चीन ने यह कहते हुए गतिरोध को द्विपक्षीय संबंधों से अलग करने की मांग की थी कि सीमा पर स्थिति "स्थिर" है। इस मामले पर भारत का रुख अपरिवर्तित रहा: जब तक सीमा विवाद का समाधान नहीं होता, संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

इसके बाद चीन को "चोट पहुंचाने की रणनीति" के माध्यम से यथास्थिति में लौटने के लिए मजबूर करने के लिए भारत की आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य शक्ति का उपयोग करने का एक ठोस प्रयास किया गया। इस रणनीति ने बीजिंग को एक सीधा संदेश दिया: चीन को अपने सैनिकों को हटा लेना चाहिए, अन्यथा भारत को आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य कीमत चुकानी पड़ेगी।

पीएम नरेन्द्र मोदी की पहली कार्रवाई, देश में सक्रिय चीनी कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना था। जैसे ही सीमा संकट बढ़ा, भारत ने PUBG और टिकटॉक सहित कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया और चीनी कंपनियों को भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने से रोक दिया। इसके बाद आर्थिक विघटन का खतरा पैदा हो गया, जिसमें भारत के 5G इंफ्रास्ट्रक्चर से Huawei पर प्रतिबंध भी शामिल था।

सैन्य रूप से, भारत ने चीनी गतिविधियों को रोकने के लिए बलों और सामग्रियों की प्रचुरता का निर्माण किया। भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ सैन्य-संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत किया, मिसाइलों और विमानों को सीमा पर पहुंचाया और अधिक सैनिकों को तैनात किया। 2021 में, मोदी सरकार ने LAC पर गश्त के लिए अतिरिक्त 50,000 सैनिकों को तैनात किया। यह प्रयास भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी लामबंदी को चिह्नित करता है। सेना ने पूर्वी लद्दाख में लगभग तीन डिवीजनों को तैनात किया, जिनमें एक आर्मर्ड डिवीजन भी शामिल था। भारत ने LAC पर गेम-चेंजर S-400 वायु एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि PLA सीमा समझौता वार्ता का सम्मान करे और उसका पालन करे। वायु सेना ने मिग-29, सुखोई-30 और मिराज 2000 सहित अपने प्रमुख एसेट्स को भी इस क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया। नौसेना के P-8I पोसीडॉन विमान ने हाई हिमालय पर टोही और निगरानी मिशन भी चलाए।

मोदी सरकार द्वारा की गई सैनिकों की अभूतपूर्व तैनाती, साथ में उनके लिए डेडिकेटेड आर्टिलरी और एयर सपोर्ट, ने अंततः बीजिंग को यथास्थिति बहाल करने पर सहमत होने के लिए मजबूर कर दिया। अगस्त 2023 में जोहान्सबर्ग में BRICS समिट के दौरान अलग से बैठक करते हुए, पीएम मोदी और शी जिनपिंग लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ‘सैनिकों के तैनाती और तनाव’ को कम करने के प्रयासों को तेज करने पर सहमत हुए।

पीएम मोदी के नेतृत्व में, भारत बड़े पैमाने पर बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दे रहा है। मोदी सरकार ने एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है, जिसका प्रमाण, हाल ही में पीएम मोदी द्वारा अरुणाचल प्रदेश में उद्घाटित सेला टनल है। सेला, दर्रा तवांग जिले और शेष अरुणाचल प्रदेश के बीच प्राथमिक लिंक है, जो भारतीय सेना की स्ट्रेटेजिक और ऑपरेशन क्षमताओं को बढ़ाता है। यह टनल LAC के पूर्वी क्षेत्र के रिमोट और स्ट्रेटेजिक रूप से महत्वपूर्ण जिले तवांग को "हर मौसम में" कनेक्टिविटी प्रदान करती है।

2014 से पहले, LAC पर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर चीन के पक्ष में था। पिछली कांग्रेस सरकारें कहती थीं कि LAC के पास इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने को लेकर सुरक्षा चिंता है। यूपीए काल के रक्षा मंत्री ए.के. एंथोनी ने संसद में स्वीकार किया कि "भारत की तुलना में, इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के क्षेत्र में, चीन बहुत आगे है। उनका [चीन] इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट [LAC पर] भारत से बेहतर है।" रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि 'गलती' नहीं है सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास एक 'विरासत' है, जो पुराने दिनों से चली आ रही है। पिछली सरकारें चीनी आक्रामकता के डर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सड़क संपर्क को मजबूत करने से सावधान थीं, क्योंकि इन सरकारों की यह धारणा थी कि "सबसे अच्छा बचाव बॉर्डर को अविकसित रखना है।"

हालांकि, मोदी सरकार में दशकों पुरानी इस नीति में आमूलचूल बदलाव आया है। सरकार ने रोड और एयर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में तेजी लाने और LAC पर पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत अब चीन के दबदबे को तोड़ने के लिए तैयार है और हिमालय की चोटियों एवं घाटियों में चीन के वर्चस्व को चुनौती दे दी है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।