हम 35 वर्ष से कम उम्र की हमारी जनसंख्या के 65 प्रतिशत के साथ सबसे युवा देश हैं. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और हमारे पास पालने के लिए एक विशाल घरेलू बाजार है. किसी भी देश के पास भारत की तरह मानव पूंजी और प्रचुर प्राकृतिक संसाधन के साथ रोजगार पैदा करने के ऐसे अवसर नहीं है!

- नरेंद्र मोदी

आज भारत एक नाजुक परन्तु निर्णायक स्तर पर खड़ा है समय के इस मोड़ पर किये गए उपायों का असर भविष्य पर पड़ेगा. हालाँकि जनसांख्यिकीय लाभांश, जो किसी भी देश के लिए एक वरदान हो सकता है, वर्तमान यूपीए सरकार के द्वारा उसके साथ एक बोझ के रूप में व्यवहार किया गया है. यदि हमारे देश को प्रगति करनी है और यदि हम अपने युवाओं की महत्वकांक्षाओं को पंख देना चाहते हैं तो हमें कार्यबल में शामिल होने के लिए हर एक नौजवान को रोजगार के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर या नौकरियों का सृजन करने की आवश्यकता है.

इस मोर्चे पर यूपीए सरकार के निराशाजनक प्रदर्शन का एहसास करने के लिए अटलजी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की तुलना में यूपीए सरकार रोजगार सृजन के मामले मेंकैसेकाम करती है, इस पर एक नजर डालना ही पर्याप्त है. जहां एनडीए सरकार ने अपने 5 साल के शासनकाल में 6.07 करोड़ रोजगार का सृजन किया वहीं यूपीए सरकार अपने 10 साल शासनकाल में मात्र 1.54 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने में सक्षम थी.

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इस प्रकार, एनडीए सरकार ने प्रति वर्ष औसतन 1.2 करोड़ रोजगार का सृजन किया जबकि यूपीए सरकार हर साल सिर्फ 15 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने में ही सफल रही है. (नीचे दी गई छवि को औसत प्रति वर्ष आंकड़ों के साथ दोहराने की जरूरत है)

India needs a Jobs revolution

भारत और विश्व भर में विशेषज्ञों और विचारकों ने उस बड़े पैमाने और गति पर बार-बार बल दिया है जिस पर हमें रोजगार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता है. यहाँ तक कि सैम पित्रोदा जो कि प्रधान मंत्री के सलाहकार हैं कहते हैं कि हमें सालाना 1.5 करोड़ रोजगार सृजन की आवश्यकता है. परन्तु बड़े अफ़सोस की बात है कि यूपीए सरकार ने इस प्रसंग को बुरी तरह गंदा किया है.

इस मोर्चे पर एक चिंताजनक पहलू है, भारत में विनिर्माण क्षेत्र में निराशाजनक विकास.राष्ट्रीयप्राकृतिक संसाधनों और अत्यंत कुशल और मेहनती कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या होने के बाद भी यूपीए सरकार की दोषपूर्ण नीतियों ने निर्माण के काम में ठहराव (अवरोध) ला दिया है. कृषि के प्रति उदासीनता के साथ जुड़ी हुई यूपीए सरकार की इस तरह की नीतियों ने भारत के युवाओं की रोजगार की संभावनाओं को गंभीर रूप से पंगु बना दिया है.

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रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में यूपीए सरकार के लापरवाहपूर्ण रवैये का एक और गवाह है, कौशल विकास की दिशा में किसी भी तरह की पहल की कमी.

जुलाई 2008 में उन्होंने कौशल विकास पर प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय परिषद + राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय बोर्ड का गठन किया था जिसके अंतर्गत ढ़ाई साल तक कोई काम नहीं किया गया.2011 में प्रधानमंत्री के लिए कौशल विकास के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया गया. एक बार फिर ढ़ाई साल तक कोई काम नहीं किया गया. अंत में,2013 में प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (NSDA) का गठन कर बकवास पारित कर दिया जो पहले तीन कार्यालय नियमों के अंतर्गत होगी.

जबकि श्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने कौशल विकास की पहलों को मिशन के रूप में लिया, इसी मुद्दे पर यूपीए के आंकड़े कुछ भी कहने के लिए बड़े दयनीय हैं.

कौशल विकास के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी का दृष्टिकोण देखिये:

वहीं दूसरी ओर, श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार, रोजगार के अवसरों के निर्माण और रोजगार उपलब्ध कराने के क्षेत्र में बार-बार उदाहरण प्रस्तुत कर चुकी है. हाल ही की गोल्डमैन सेक्स की एक रिपोर्ट भी ध्यान देने योग्य है कि यदि भारत गुजरात मॉडल का पालन करता है तो यह बड़ी संख्या में नौकरियों (रोजगार) का निर्माण करेगा.

यह एक ज्ञात वास्तविकता है कि गुजरात में काफी कम बेरोजगारी है, और एजेंसियों की एक बड़ी संख्या ने इसकी पुष्टि की है. जून 2013 में प्रकाशित, भारत में, रोजगार और बेरोजगारी पर एनएसएस के 68 वें गोल अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार: पूरे देश में गुजरात में बेरोजगारी की दर सबसे कम है.

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यहां तक कि चंडीगढ़ में श्रम ब्यूरो द्वारा प्रकाशित‘‘द्वितीय वार्षिक रोजगार एवं बेरोजगारी सर्वेक्षण (2011-12) पर रिपोर्ट’’ ने उल्लेख किया है कि:अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 38 (प्रति 1000 व्यक्तियों पर) होने का अनुमान है जबकि गुजरात में बेरोजगारी की दर 10 (प्रति 1000 व्यक्तियों पर) होने का अनुमान है, जो कि पूरे देश में सबसे कम है..

अब जब हम रोजगार के मोर्चे पर संकट का सामना कर रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम सही विकल्प चुनें ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके, वे सपने बुन सकें और दर्द में भटकते रहने के बजाय उन सपनों को पूरा कर सकें.

हमारे सामने विकल्प स्पष्ट हैं, एक वो जो हमारे युवाओं के लिए बिना किसी नौकरी के साथ हमें एक सर्वनाश तक ले जाता है. दूसरा विकल्प, जो कौशल विकास और युवाओं के लिए रोजगार के महत्व को समझता है और जो इस मोर्चे पर प्रदर्शन के साबित किये हुए ट्रैक रिकॉर्ड को रखता है.यह विकल्प है नरेंद्र मोदी.

तो अबकी बार, मोदी सरकार.

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।