म्यांमार संघीय गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति यू हतिन क्याव के आमंत्रण पर भारत गणतंत्र के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी दिनांक 5 से 7 सितंबर, 2017 के दौरान म्‍यांमार संघीय गणतंत्र की अपनी पहली द्विपक्षीय राजकीय यात्रा पर हैं। यह यात्रा दोनों देशों के नेताओं के बीच निरंतर उच्‍च स्‍तरीय बातचीत का हिस्‍सा है और यह पिछले वर्ष भारत में म्‍यांमार के महामहिम यू हतिन क्याव और महामहिम स्‍टेट काउंसलर डाव आंग सान सू की क्रमागत राजकीय दौरों के अनुक्रम में है।

प्रधानमंत्री मोदी का दिनांक 5 सितंबर, 2017 को नाई पाई टौ में राष्‍ट्रपति भवन में राजकीय स्‍वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने म्‍यांमार के राष्‍ट्रपति से शिष्‍टाचारिक भेंट की, जिन्‍होंने प्रधानमंत्री मोदी के सम्‍मान में एक स्‍टेट बेंकुएट की मेज़बानी की। 6 सितम्‍बर, 2017 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने म्‍यांमार की स्‍टेट काउंसिलर डाव आंग सान सू की, की अगुवाई में म्‍यांमार प्रतिनिधिमंडल से द्विपक्षीय बातचीत की। बातचीत अच्‍छे, सौहार्द और सकारात्‍मक वातावरण में हुई, जैसा कि दोनों देशों के बीच घनिष्‍ठ और मित्रतापूर्ण संबंध हैं। उसके बाद, स्‍टेट काउंसिलर और भारत के प्रधानमंत्री ने स्‍वास्‍थ्‍य, संस्‍कृति, क्षमता विकास, समुद्री सुरक्षा तथा प्रमुख संस्‍थाओं के बीच सहयोग के क्षेत्र में विभिन्‍न दस्‍तावेजों पर हस्‍ताक्षर कर उनका आदान-प्रदान किया, और तत्‍पश्‍चात एक संयुक्‍त प्रेस वार्ता आयोजित की गई।

नाई पाई टौ में अपनी आधिकारिक गतिविधियों के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी बागान और यांगून में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता वाले स्थानों पर जाएंगे। बागान में, वह पवित्र और ऐतिहासिक आनंद मंदिर का दौरा करेंगे, जहां भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के तहत भारतीय और म्यांमार के पुरातत्वविदों द्वारा पुनर्स्थापना कार्य किया जा रहा है। यांगून में, वह शहीदों के मोसोलियम में जनरल आंग सैन की स्मृति में श्रंद्धाजलि अर्पित करेंगे और बोग्योक आंग सैन संग्रहालय के साथ-साथ अन्य प्रमुख स्थलों का भी दौरा करेंगे। वह यांगून में अपनी यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों तथा प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत करेंगे।

वार्ता के दौरान, दोनों नेताओं ने क्रमशः अगस्त और अक्टूबर 2016 में भारत में म्यांमार के राष्ट्रपति और स्‍टेट काउंसिलर की अति सफल यात्राओं के बाद की नई स्थितियों की समीक्षा की। उन्होंने वर्तमान में आधिकारिक आदान-प्रदान, आर्थिक, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों की समीक्षा के साथ-साथ जन-जन के बीच आदान-प्रदानों की समीक्षा की, जो म्यांमार की स्वतंत्र, सक्रिय और तटस्‍थ विदेश नीति और भारत की ‘प्रेगमेटिक एक्‍ट ईस्‍ट एंड नेबरहुड फर्स्‍ट पॉलीसीज़’ के बीच सामंजस्य को दर्शाती है। उन्होंने दोनों देशों के लोगों के आपसी हित में द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक गहरा एवं व्यापक बनाने के लिए नए अवसरों की खोज करने की कटिबद्धता व्‍यक्‍त की। उन्होंने क्षेत्र की शांति, सामूहिक समृद्धि और इनसे भी आगे विकास के लिए अपनी आम आकांक्षाओं पर पुन: जोर दिया।

भारत के प्रधानमंत्री ने म्यांमार सरकार द्वारा शांति और राष्ट्रीय सुलह के लिए किए गए उपायों की सराहना की और म्यांमार सरकार की मौजूदा शांति प्रक्रिया की सराहना की। उन्होंने कहा कि म्यांमार में शांति और स्थिरता भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और उन्‍होंने म्यांमार में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने तथा लोकतांत्रिक संघीय गणराज्य के उद्भव के लिए म्यांमार सरकार को भारत के लगातार समर्थन की बात दोहराई।

दोनों नेताओं ने अपनी सीमाओं पर मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की और आतंकवाद एवं उग्रवाद जनित विभिन्न घटनाओं पर, जो दोनों देशों के संबंधित सीमाओं में घटी हैं, अपनी चिंता व्यक्त की। इस बात को स्‍वीकार करते हुए कि आतंकवाद इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है, दोनों पक्षों ने आंतकवाद की उसके समस्‍त रूपों व स्‍वरूपों की दृष्टि से निंदा की और यह सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई ने केवल आतंकवादियों, आतंकवादी संगठनों और उनके नेटवर्कों पर ही लक्षित होनी चाहिए, बल्कि उनकी पहचान कर उन्‍हें दंड दिया जाना चाहिए तथा उन देशों एवं इकाइयों के खिलाफ सख्‍त कदम उठाए जाने चाहिए, जो आतंकवाद को प्रोत्साहित करते हैं, उन्‍हें अपना समर्थन देते हैं या आतंकवाद को वित्त प्रदान करते हैं, आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को पनाह देते हैं, और उनके दोषों को झूठ बोलकर छिपाते हुए उन्‍हें आश्रय प्रदान करते हैं। म्यांमार ने भारत में अमरनाथ यात्रा के दौरान हाल ही में बर्बर आतंकवादी हमलों तथा सीमाओं से आतंकवादियों द्वारा चलाई गई विभिन्न आतंकी गतिविधियों की भी निंदा की। भारत ने उत्तरी राखीन राज्य में हाल के आतंकवादी हमलों की निंदा की, जिसमें म्यांमार सुरक्षा बलों के कई सदस्यों ने अपनी जान गंवा दी थी। दोनों पक्षों ने यह स्‍वीकार किया कि आतंकवाद मानव अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसलिए, आतंकवादियों को शहीद मानने जैसी सोच का घोर विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए चयनात्मक और आंशिक दृष्टिकोण को समाप्त करने तथा इस संबंध में, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर अतिशीघ्र व्यापक शिखरवार्ता को अंतिम रूप देने और उसे अपनाने के लिए संयुक्त रूप से आग्रह किया।

यह स्‍वीकार करते हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कॉमन सीमा पर सुरक्षा और स्थिरता को कायम रखना बहुत जरूरी है, म्यांमार ने भारत की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता के प्रति अपने समर्थन को दोहराया, और दृढ़तापूर्वक कहा कि वह भारत सरकार के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कृत्य करने के लिए किसी भी विद्रोही समूह को म्यांमार की धरती का इस्तेमाल नहीं करने की अपनी नीति को समर्थन देता रहेगा। भारत सरकार की समान सोच के लिए म्यांमार ने उसकी सराहना की।

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच पहले से सीमांकित सीमा का सम्‍मान करने की बात दोहराई और मौजूदा द्विपक्षीय कार्यप्रणालियों एवं परामर्शों के माध्यम से शेष सीमा संबंधी मुद्दों को हल करने की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने अपने करीबी पड़ोस में सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा की और समुद्री सुरक्षा में गहन द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की विशेष आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्‍होंने दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी और गहरे रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति जताई, और इस संदर्भ में, भारत में म्यांमार के रक्षा बलों के कमांडर-इन-चीफ की हालिया सफल यात्रा से संतुष्टि व्‍यक्‍त की। नियमित समन्वित गश्त पहलों के माध्यम से संस्थागत सहयोग के अलावा, दोनों पक्षों ने गैर-पारंपरिक सुरक्षा क्षेत्रों, जैसे कि मानवीय सहायता और आपदा राहत में द्विपक्षीय समुद्री सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमति जतार्ह, जो कि वैश्विक धरोहरों के रूप में बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

दोनों पक्षों ने यह प्रतिबद्धता की कि म्यांमार और भारत दोनों देशों के बीच पहले से हासिल की गई पारस्परिक समझ और बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखेंगे और वे दोनों देशों के लोगों एवं क्षेत्र के हित में आगामी वर्षों में एक अच्छे और भरोसेमंद पड़ोसियों के रूप में एक दूसरे के साथ खड़े रहेंगे।

दोनों पक्षों ने निरंतर उच्च स्तरीय आदान-प्रदान दौरों पर संतोष व्यक्त किया जिनके कारण शेष द्विपक्षीय मुद्दों की बेहतर पारस्परिक समझ को बढ़ावा मिला। उन्‍होने उच्चतम राजनीतिक स्तरों पर किए गए निर्णयों की प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई के लिए सुरक्षा और रक्षा, व्यापार और वाणिज्य, बिजली और ऊर्जा, सीमा प्रबंधन और कनेक्टिविटी आदि क्षेत्रों में क्षेत्रीय विशिष्ट संस्थागत कार्यप्रणालियों को निरंतर रूप से कायम रखने की सराहना की। उन्होंने भारत और म्यांमार के सांसदों के बीच उत्कृष्ट आदान-प्रदानों पर भी संतोष प्रकट किया और उन्‍हें इस तरह की बातचीत को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

म्यांमार पक्ष ने भारत द्वारा उसके सामाजिक-आर्थिक विकास के प्रयास में समर्थन हेतु दी गई समस्‍त सहायता के लिए भारत सरकार की सराहना की। दोनों पक्षों ने मौजूदा सहयोग परियोजनाओं की समीक्षा की, जो भारत सरकार की तकनीकी और वित्तीय सहायता से चल रही हैं, और इस बात पर गौर किया कि ये परियोजनाएं सीधे म्यांमार के लोगों के लाभ से जुड़ी हैं। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि इन्हें तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार को बुनियादी ढांचा बनाने और मानव संसाधन क्षमता विकसित करने के प्रयासों के लिए भारत की आबद्ध प्रतिबद्धता दोहराई। पाकोकु और मिंगयान में भारतीय सहायता से स्थापित औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों के सकारात्मक अनुभव की ओर संकेत देते हुए, म्यांमार ने क्रमश: मॉनीवा और थेटॉन में दो और केंद्र विकसित करने तथा आईटीसी, मिंगयान के लिए एक परिपूर्ण पंचवर्षीय रखरखाव के लिए वर्तमान में दी जा रही सहायता के लिए भारत का धन्यवाद किया। म्‍यांमार ने म्यांमार-भारत उद्यमशीलता विकास केंद्र और यांगून में अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण केंद्र का उन्नयन करने के लिए भारत द्वारा दी गई सहायता की भी प्रशंसा की। दोनों पक्षों ने म्यांमार में उपयुक्त स्थान पर एक तारामंडल की स्थापना की दिशा में भी चर्चा जारी रखने पर सहमति व्‍यक्‍त की और यह स्‍वीकार किया कि यह एक मूल्यवान संस्था होगी जो म्यांमार युवाओं के बीच एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करेगी।

दोनों पक्षों ने इस विचार को साझा किया कि राखीनी राज्य में विकास और सुरक्षा में कार्य करने हेतु अनेक आयाम उपलब्‍ध हैं। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और संबद्ध गतिविधियों, कृषि प्रसंस्करण, सामुदायिक विकास, छोटे पुलों का निर्माण, सड़कों का उन्नयन, छोटी बिजली परियोजनाएं, आजीविका गतिविधि, प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, घरेलू शिल्प को बढ़ावा देने, पर्यावरण संरक्षण तथा सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्रों में दो प्रकार की परियोजनाओं, अर्थात बुनियादी ढांचा और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं को आरंभ कर राज्य में समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास लाने पर सहमति प्रकट की। म्यांमार ने राखीनी राज्य विकास कार्यक्रम के अंतर्गत भारत की सहायता की पेशकश का स्वागत किया और दोनों पक्ष अगले कुछ महीनों के भीतर कार्यान्वयन संबंधी तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को देखकर, विशेष रूप से, येजि़न कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित उन्नत कृषि अनुसंधान और शिक्षा केंद्र की स्थापना में तथा कृषि अनुसंधान विभाग में स्‍थापित राइस बायो पार्क की स्थापना में तेजी से हुई प्रगति के लिए संतुष्टि व्‍यक्‍त की। म्यांमार ने उसके देश के उम्मीदवारों के लिए कृषि विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट की शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत द्वारा दी गई सहायता की भी प्रशंसा की।

दोनों पक्षों ने म्यांमार के न्यायिक अधिकारियों, सैन्य कर्मियों और पुलिस बल के लिए चल रहे क्षमता विकास कार्यक्रमों पर संतोष व्यक्त किया। म्यांमार ने म्यांमार इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी और भारत-म्यांमार सेंटर फॉर एन्हांसमेंट ऑफ आईटी स्किल्स के लिए भारत द्वारा विस्तारित अवधि तक सहायता देने के लिए उसका धन्यवाद किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि भारत फॉरिन सर्विस इंस्‍टीट्यूट, नई दिल्‍ली में म्यांमार के राजनयिकों को नियमित रूप से प्रशिक्षण प्रदान करेगा। म्यांमार ने केन्द्रीय हिंदी संस्थान में प्रशिक्षण के लिए प्रत्‍येक वर्ष दो म्यांमार राजनयिकों के नामांकन के लिए भारत की पेशकश का स्वागत किया, जबकि 150 म्यांमार सिविल सेवक पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रत्‍येक वर्ष भारतीय प्रशिक्षण संस्थानों में अंग्रेजी भाषा में प्रशिक्षण प्राप्‍त करेंगे।

म्यांमार पुलिस के प्रशिक्षण संबंधी बुनियादी ढांचे और क्षमता विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, दोनों नेताओं ने भारत सरकार की तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ म्यांमार में यामेथिन में महिला पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र के उन्नयन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की। म्यांमार ने यंगून में पुलिस अधिकारियों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए भारत की पेशकश का स्वागत किया और यह निर्णय लिया गया कि इस संबंध में तौर-तरीकों को संयुक्त रूप से रूपरेखा दी जाएगी।

म्यांमार ने अपने देश में विभिन्न परियोजनाओं को सपोर्ट करने के लिए भारत का धन्यवाद किया, जिसके फलस्‍वरूप कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट तथा अन्य सड़क और पुल निर्माण परियोजनाओं जैसी द्विपक्षीय और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को पूर्ण रूप से वित्तपोषित अनुदान सहायता परियोजनाओं के रूप में बढ़ावा मिलता है। म्यांमार ने स्टिवी बंदरगाह और पलेटवा अंतर्देशीय जल परिवहन टर्मिनल पर निमार्ण कार्य पूरा हो जाने और म्यामांर पत्तन प्राधिकरण एवं अंतर्देशीय जल परिवहन को छह कार्गो बार्जिज़ को सौंपने के साथ कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट पर किए गए पर्याप्त निमार्ण कार्य की प्रगति की सराहना की। दोनों पक्ष एक बंदरगाह ऑपरेटर की नियुक्ति पर समझौता ज्ञापन करने पर सहमत हुए, जिसमें म्यांमार के अन्य अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों में अपनाई गई प्रैक्टिस के अनुसार बंदरगाह के संचालन और रखरखाव के लिए दोनों देशों की जिम्मेदारी तय की जा सकती है। इससे पोर्ट और आईडब्ल्यूटी बुनियादी ढांचे को व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकेगा और आस-पास के क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा मिलेगा, भले ही परियोजना के अंतिम घटक के रूप में, पलेटवा से ज़ोरिनपुई की सड़क निर्माणाधीन है। दोनों पक्षों ने संतोष व्यक्त किया कि सड़क पर काम पहले से ही चल रहा है और ज़ोरिनपूई और पलेटवा के जरिए परियोजना कर्मियों, निर्माण सामग्री तथा पूरी सीमा पर उपकरणों के परिवहन में सुविधा देने पर सहमत जताई। उन्होंने यह भी कहा कि तमू-काईगोन-कलेवा रोड पर और ट्राईलेटरल हाईवे के कलवा-यार्गी क्षेत्र पर पुल का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा। दोनों पक्ष रिह-टेडिम सड़क के एलाइमेंट और डीपीआर निर्माण पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने कहा कि उपलब्ध एलओसी के अंतर्गत पुटाओ-मिटकीना और एलेथेक्‍या-अहंगमौ सड़कों के निर्माण पर अगले कदम म्यामांर द्वारा डीपीआर उपलब्ध कराये जाने के बाद उठाए जाएंगे। म्यांमार के अनुरोध के जवाब में, भारत ने रिहखवादर-जौखाथर पुल और बवेनू पुल के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए अपनी सहमति व्‍यक्‍त की।

दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में परियोजनाओं की समीक्षा की और यांगून चिल्ड्रन अस्पताल और सिट्वे जनरल अस्पताल के उन्नयन पर तथा मोनीवा जनरल अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर अपनी संतुष्टि व्‍यक्‍त की। दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से निर्णय किए जाने वाले तौर-तरीकों के आधार पर, एक प्रमुख भारतीय अस्पताल समूह के सहयोग से नाई पाई टौ में एक अत्याधुनिक अस्पताल को स्थापित व चालू करने हेतु परामर्श शुरू करने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने 2012 में म्यांमार को भारत द्वारा दिए गए 500 मिलियन अमेरिकी डॉनर के रियायती ऋण के उपयोग की प्रगति पर विचार-विमर्श किया। इस बात पर गौर करते हुए कि लाइन ऑफ क्रेडिट के अंतर्गत आरंभ की जाने वाली परियोजनाओं से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भौतिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में तथा कृषि और परिवहन में क्षमता बढ़ाने में सहायता मिलेगी,दोनों पक्षों ने आपस में सहमत परियोजनाओं का तेजी से कार्यान्‍वयन करने का संकल्प लिया।

दोनों पक्षों ने व्यक्त किया कि इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए, कनेक्टिविटी से संबंधित संस्थागत व्यवस्थाओं को प्राथमिकता के आधार पर स्‍थापित किए जाने की आवश्यकता है। इस संबंध में, उन्होंने एक द्विपक्षीय समझौता किए जाने की महत्ता को स्‍वीकार किया, जिससे मोटर वाहन यातायात, यात्री और कार्गो दोनों को सीमा पार करने में सहजता प्राप्‍त होगी।

दोनों पक्षों ने भारत और म्यांमार के बीच बिजली और ऊर्जा आपूर्ति नेटवर्कों का अधिक से अधिक एकीकरण करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। म्यांमार ने अपने ऊर्जा क्षेत्र में अन्वेषण और उत्पादन दोनों के आधार पर भारत की भागीदारी का स्वागत किया और भारतीय कंपनियों को पेट्रोकेमिकल्स एवं पेट्रोलियम उत्पादों, विपणन ढांचे तथा एलपीजी टर्मिनलों की स्थापना के लिए निविदाओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। भारत ने बताया कि अग्रणी तेल और गैस कंपनियां म्यांमार में अपने कार्यालय खोलने की प्रक्रिया में हैं। दोनों पक्षों ने भू-सीमा पर म्यामांमार को डीज़ल की आपूर्ति पर नुमालीगड़ रिफाइनरी ऑफ इंडिया और परामी एनर्जी ग्रुप ऑफ म्‍यांमार द्वारा किए गए समझौते की सराहना करते हुए कहा कि इससे उत्तर म्यांमार के लोगों को पेट्रोलियम उत्पाद सस्ती कीमतों पर और अधिक सुलभता के साथ मिलेंगे, और म्यांमार में पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण और खुदरा मार्केटिंग में सहयोग करने के लिए दोनों पक्षों को प्रोत्साहन मिलेगा। हाई स्‍पीड डीजल का पहला कन्‍साइन्‍मेंट 4 सितंबर 2017 को म्यांमार पहुंचा।

भारत ने परंपरागत एवं नवीकरणीय ऊर्जा आधारित ऊर्जा विकास परियोजनाओं और म्यांमार सरकार द्वारा चिन्हित की गई परियोजनाओं के लिए तकनीकी और परियोजना-विशिष्‍ट सहायता देने के लिए भी अपनी इच्‍छा जताई। म्यांमार में सौर पार्क के विकास के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करने की पूर्ववर्ती पेशकश के अतिरिक्त, भारत ने म्यांमार में सौर विकिरण संसाधन के आकलन करने की भी पेशकश की। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग करने की कार्यप्रणालियों पर चर्चा की। म्यांमार ने प्रमुख नगरों में तथा म्‍यांमार द्वारा नाई पई टौ, बागो क्षेत्र और राखीन राज्य में चिन्हित भवनों में एलईडी-आधारित ऊर्जा लाइटिंग शुरू करने के लिए एनर्जी एफिसियेंसी सर्विसिस लिमि. ऑफ इंडिया के जरिए आरंभ की जा रही परियोजनाओं के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए भारत का धन्‍यवाद किया। भारत ने बिजली व्यापार में अपने अनुभवों को साझा किया और म्यांमार के साथ इस क्षेत्र में संभावित सहयोग की समीक्षा करने की रुचि व्यक्त की। यह सहमति की गई कि इन मुद्दों तथा अन्य प्रासंगिक मुद्दों पर ज्‍वाइंट स्‍टीरिंग कमेटी ऑन पावर एंड अदर फोरम्‍स की शीघ्र होने वाली बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा। सहभागी देशों को प्राप्त होने वाले असीम लाभों को ध्यान में रखते हुए, म्यांमार ने अंतर्राष्ट्रीय सोलर एलायंस की स्थापना के लिए फ्रेमवर्क समझौते में शामिल होने हेतु भारत के सुझाव पर सावधानीपूर्वक विचार करने का वचन दिया।

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के वर्तमान स्तर की समीक्षा की और यह सहमति व्यक्त की कि द्विपक्षीय निवेश और व्‍यापार में ग्रोथ की संभावना है। इस संबंध में, उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार को और अधिक सुगम बनाने के लिए सभी व्यापार अवरोधों को दूर कर, बाजार पहुंच को बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जून 2017 में भारत में नई दिल्ली में आयोजित म्यांमार-भारत संयुक्त व्यापार समिति की 6वीं बैठक में निष्कर्षों पर सहमति व्यक्त की और सीमा व्यापार समिति तथा सीमा हाट समिति पर बैठकों को जारी रखने के लिए सहमति जताई।

भारत ने मानकीकरण, निरीक्षण और गुणवत्ता की सिफारिशों, अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन विकास तथा क्षमता विकास जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए म्यांमार के कपड़ा क्षेत्र को विकसित करने के लिए उसके द्वारा मांगे गए सहयोग की अभिरूचि का स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए दालों के महत्व तथा म्यांमार के किसानों और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए इस व्‍यापार के निहितार्थों को स्‍वीकार किया। इस संदर्भ में, म्‍यांमार की स्‍टेट काउंसलर ने भारत द्वारा जारी की गई हाल की अधिसूचना पर गहरी चिंता जताई, जिसमें विभिन्न श्रेणियों की दालों पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाए गए थे, और उन्‍होंने भारत के प्रधानमंत्री से म्यांमार से दोस्ती की प्रतिबद्धताओं एवं दोनो देशों के लोगों व राष्‍ट्रों के दीर्घकालिक हितों को ध्‍यान में रखते हुए म्‍यांमार से आयातों पर सभी प्रतिबंधों को हटाए का अनुरोध किया। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संबंध में दीर्घकालिक व्यवस्थाएं करना महत्वपूर्ण है जिससे भविष्य में दोनों देशों के लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।

दोनों पक्षों ने सीमा पार करने संबंधी समझौते की सफल वार्ता और उसे अंतिम रूप देने का स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच आम भू-सीमा पर लोगों की आवाजाही को विनियमन और सुसंगत बनाने में मदद करेगा, और इस तरह द्विपक्षीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और दोनों पक्षों ने इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के लिए औपचारिकताओं को शीघ्रता से पूरा करने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया। दोनों देशों के नेताओं ने भारत के इम्फाल से म्यांमार में मंडाले तक दोनों देशों के बीच एक समन्वित बस सेवा शुरू करने के लिए शीघ्र बातचीत करने तथा समझौता करने के लिए सहमति जताई।

उन्होंने इस विचार को साझा किया कि दोनों देशों के बीच बढ़ते हवाई संपर्क से जन-जन के संपर्कों को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ पर्यटन, व्यापार और निवेश प्रवाह को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के नेताओं ने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि भारत की वित्तीय और तकनीकी सहायता के साथ पाकोक्‍कु हवाई अड्डे या कालई हवाई अड्डे के विकास के लिए म्यांमार के नागरिक उड्डयन विभाग (डीसीए) के साथ घनिष्ठ सहयोग के माध्यम से भारत के नागर विमानन प्राधिकरण द्वारा एक डीपीआर तैयार किया जाएगा। उन्होंने भारत में म्यांमार के वायु यातायात नियंत्रकों के लिए विशिष्‍ट प्रशिक्षण और क्षमता विकास कार्यक्रमों के संबंध में भारत सरकार की पेशकश का स्वागत किया। दोनों देशों के नेताओं ने म्यांमार में तमू और मंडाले के बीच रेल संपर्क के निर्माण की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए भी अपने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया। यह सहमति हुई कि भारत की एक टीम को तमु और मंडाले के बीच रेल लिंक के अध्ययन और डीपीआर तैयार करने के लिए भेजा जाएगा।

दोनों पक्षों ने मानव तस्करी के पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास के लिए पारस्परिक रूप से सहमत प्रक्रियाओं की स्थापना की महत्ता को स्‍वीकार किया। इस संदर्भ में, उन्होंने मानवीय तस्करी की रोकथाम के लिए सहयोग पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने का स्वागत किया और जल्द से जल्द इसे संपन्‍न करने की इच्‍छा प्रकट की।

दोनों नेताओं ने भारत और म्यांमार के लोगों के बीच घनिष्‍ठ संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने में संस्कृति की आवश्‍यकता पर जोर दिया और 2017-20 की अवधि के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ संतोष व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सीईपी से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और म्यांमार के सीमावर्ती इलाकों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। भारत ने यह भी पुष्टि की कि म्यांमार के पुरातत्वविदों के लिए भारतीय पुरातत्व संस्थान, नई दिल्ली में उच्‍च अध्ययन हेतु वार्षिक रूप से 2 स्लॉट्स उपलब्ध कराए जाएंगे।

भारतीय पक्ष ने बताया कि भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बोधगया में किंग मिन्‍डॉन और म्यांमार के राजा बग्याइडाव के मंदिरों एवं पत्थर की शिलालेखों को परिरक्षित और संरक्षित करने के लिए चालू की गई यह परियोजना अपनी पूर्णता के अग्रिम चरण पर है और यह दिसंबर 2017 तक पूरी हो जाएगी। म्यांमार पक्ष ने इस सूचना का स्वागत करते हुए कहा कि ये मंदिर भारत-म्यांमार सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं।

म्यांमार ने बागान की विरासत को परिरक्षित और संरक्षित करते हुए उसके सामाजिक-आर्थिक विकास में भारत की सहायता का स्वागत किया। बागान की प्रमुख विरासतों में भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण के माध्यम से बागान में 92 प्राचीन पैगोडा एवं संरचनाओं को पुनर्स्थापित और संरक्षित करने की परियोजना है। इस संबंध में दोनों पक्षों ने एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप देने का स्वागत किया। भारत-म्यांमार सहयोग परियोजनाओं के रूप में आरंभ की जाने वाली अन्य परियोजनाओं में म्यांमार शिल्प, खाद्य एवं सांस्कृतिक गतिविधियों, एलईडी-आधारित स्‍ट्रीट लाइटिंग, टिकाऊ जल प्रबंधन के लिए वर्षा जल संचयन, बागान के लोगों के लिए वैकल्पिक आय सृजन हेतु प्रशिक्षण तथा चिन्हित विद्यालयों के उन्‍नयन के लिए एक हब के रूप में "बागान हाट" की स्थापना करने से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं।

म्यांमार ने ई-वीज़ा को छोड़कर, म्यांमार के नागरिकों को सभी श्रेणियों में नि:शुल्‍क वीजा देने के लिए भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णय की काफी प्रशंसा की।

म्यांमार सरकार ने भारत में विभिन्न अपराधों के लिए वर्तमान में कारावास की सजा काट रहे 40 म्यांमार नागरिकों को विशेष माफ़ी देने के फैसले के लिए भारत का धन्यवाद दिया। इस भावाभिव्‍यक्ति को म्यांमार सरकार और उनके लोगों दोनों द्वारा, विशेष रूप से उन लोगों के परिवार वालों ने जिन्‍हें भारतीय जेलों से रिहा किया जाएगा, की जमकर तारीफ की।

लोकतंत्र को बढ़ावा और समर्थन देने में मीडिया द्वारा निभाई भूमिका के महत्व को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्षों ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और म्यांमार प्रेस काउंसिल के बीच सहयोग पर समझौता ज्ञापन संपन्‍न किए जाने का स्वागत किया। इस समझौते के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यकलापों से पत्रकारों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिलेगा और भारत तथा म्यांमार में राजनीतिक और आर्थिक विकास की समझ को बेहतर रूप से बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।

दोनों पक्षों ने पारस्परिक हितों को अधिकतम करने तथा व्यापार, परिवहन और ऊर्जा सहित सभी क्षेत्रों में पारस्परिक लाभ का न्यायसंगत रूप से बराबरी का हिस्सा सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को और अधिक गहरा बनाने हेतु अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने दोनों देशों के सभी लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय/उप-क्षेत्रीय सहयोगी पहलों की महत्ता को स्वीकार किया।

भारत और म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य बहुपक्षीय संगठनों में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने आम हित के बहुपक्षीय मुद्दों पर अपनी-अपनी ओर से समन्वय की महत्ता को रेखांकित किया। दोनों पक्षों ने मजबूत संयुक्त राष्ट्र की महत्ता पर जोर देते हुए सुरक्षा परिषद के यथाशीघ्र सुदृढ़ीकरण की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्होंने सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधारों के लिए अंतर-सरकारी वार्ताओं को सपोर्ट करने हेतु अपनी प्रतिबद्धता का पुन: उल्‍लेख किया। भारत द्वारा विस्तारित एवं सुदृढ़ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने हेतु किए जा रहे प्रयासों में म्यांमार ने अपने समर्थन को दोहराया। दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साथ काम करने, विशेष रूप से कार्यान्‍वयन के संबंध में, जैसा कि एसडीजी 2030 में निहित किया गया है, के आयामों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र और उसकी ओर से कार्य करने वाली विशेष एजेंसियों की निष्पक्षता एवं तटस्‍था के महत्व पर जोर दिया।

दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों को सुदृढ़ और सबल बनाने तथा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में विकासशील देशों की आवाज़ और भागीदारी को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

भारत और म्यांमार ने इस क्षेत्र में अच्छे पड़ोसी होने का एक उदाहरण स्थापित करने हेतु एक दृढ़ वचनबद्धता व्यक्त की। उन्होंने जोर दिया कि दोनों देश प्रगति करते हुए एक साथ आगे बढ़े। इसलिए, उन्‍होंने दोनों देशों के लोगों के साझा हितों को बढ़ावा देने के लिए सहमति व्‍यक्‍त की ताकि दोनों देशों के लोग आपसी हितकारी अंतर-आश्रित वातावरण में एक साथ सौहार्द से रह सकें।

प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार में अपने प्रवास के दौरान उन्‍हें और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी और विनीत मेज़बानी करने के लिए म्यांमार के राष्ट्रपति का धन्यवाद किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्‍टेट काउंसलर डाव आंग सान सू की को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक समय पर भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया। म्यांमार की स्‍टेट काउंसलर ने इस निमंत्रण की गहन रूप से प्रशंसा की।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।