भारत-किर्गिस्तान ने छह अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए और आगे भी बहुआयामी सहयोग को जारी रखने पर सहमति जताई
भारत-किर्गिस्तान आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक सहयोग और दोनों देशों की जनता के बीच आपसी संबंध मजबूत करने पर सहमत हुए
भारत ने द्वितीय योग दिवस उत्सव का पूर्ण समर्थन करने के लिए किर्गिज पक्ष के प्रति अपना आभार व्यक्त किया
भारत-किर्गिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को बेहतर बनाने को महत्व दिया है

किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम श्री अलमाजबेक अतामबायेव ने 18-21 दिसंबर 2016 तक भारत की राजकीय यात्रा की। सरकारी कार्यक्रम में राष्ट्रपति भवन में समारोहपूर्वक स्वागत, राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के साथ बैठक, उप राष्ट्रपति श्री एम हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ बैठक; राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा भोज का आयोजन; और भारत और किर्गिज गणराज्य व्यापार मंच में भागीदारी शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अलमाजबेक अतामबायेव ने एक मैत्रीपूर्ण एवं सदभावनापूर्ण माहौल में उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया और मैत्रीपूर्ण सहयोग, द्विपक्षीय संबंधं और क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कवर करने वाले मुद्दों की सम्पूर्ण श्रृंखला पर चर्चा की। 

नेताओं ने 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की किर्गिस्तान यात्रा के बाद दोनों देशों किए समझौतों की स्थिति की समीक्षा की, द्विपक्षीय संबंधों के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त किया और आगे बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए अपनी तत्परता की पुष्टि की।

किर्गिज़-भारत संबंधों के स्तर में सुधार लाने की समान इच्छा से प्रेरित होकर, दोनों पक्षों ने इस बात को दोहराया कि भारत और किर्गिज गणराज्य ऐसे लोकतांत्रिक देश और ऐसे भागीदार हैं जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून प्रशासन जैसे समान मौलिक मूल्यों को साझा कर रहे हैं।

द्विपक्षीय संबंध
राजनीतिक सहयोग

नेताओं ने इस बात को भी दोहराया कि भारत गणराज्य और किर्गिज गणराज्य के लोग प्राचीन काल से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों में बंधे हैं और 25 वर्ष पूर्व दोनों देशों के बीच के राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से इन संबंधों को विस्तृत बनाने में वृद्धि की प्रवृत्ति पर संतोष व्यक्त किया।

आपसी सम्मान के आधार पर जीवन के सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, दोनों पक्षों में शांति और जन समृद्धि के लिए मिलकर काम करने के लिए सहमति जताई। भारतीय पक्ष ने अक्टूबर 2015 को किर्गिज गणराज्य में बायोमेट्रिक डेटा के उपयोग के साथ हुए संसदीय चुनावों के सफल और पारदर्शी आचरण की सराहना की।

भारत और किर्गिस्तान ने संसदीय विनिमयन के मूल्य को रेखांकित किया। भारतीय पक्ष ने किर्गिज गणराज्य की संसद के सदस्यों एवं कर्मचारियों के लिए व्यवस्थित किए जाने वाले विशेष कोर्स के दौरान अपने अनुभव को साझा करने की पेशकस की। किर्गिज पक्ष ने भारतीय पक्ष के इस विशेष भाव की सराहना की।

दोनों पक्षों के किर्गिज गणराज्य में चुनाव एवं मत संग्रह के केंद्रीय आयोग और भारत निर्वाचन आयोग के बीच चुनावी मामलों पर सहयोग पर समझौता ज्ञापन, जिसपर जुलाई 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे, के प्रभावी कार्यान्वयन पर संतोष व्यक्त किया।

किर्गिज पक्ष ने विकास में एक भागीदार के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की। दोनों पक्षों ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन, कृषि, जैव चिकित्सा अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, शिक्षा और संस्कृति सहित कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाओं के साथ साथ विविध क्षेत्रों की पाइपलाइन परियोजनाओं का उल्लेख किया।

दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ का जश्न मनाने के लिए, दोनों नेताओं ने इस अवसर पर इवेंट्स की एक श्रृंखला आयोजित करने पर सहमति जताई।

रक्षा के क्षेत्र में सहयोग

दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग के विकास पर संतोष व्यक्त किया, जो दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास के उच्च स्तर को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में भारत द्वारा तीन आईटी केंद्रों को किर्गिज़ सैन्य संस्थानों में स्थापित किया गया है, और एक आईटी केंद्र इस समय अपग्रेड किया जा रहा है।

भारत-किर्गिज़स्तान सैन्य अभ्यास की ‘‘खंजर’’ श्रृंखला एक वार्षिक आयोजन बन गया है। ‘‘खंजर-II" अभ्यास का आयोजन मार्च 2015 को किर्गिजस्तान में किया गया था, ‘‘खंजर III’’ का आयोजन ग्वालियर, भारत में मार्च-अप्रैल 2016 में किया गया था। ‘‘खंजर - IV" अभ्यास का आयोजन फरवरी-मार्च 2017 में किर्गिस्तान में निर्धारित किया गया है।

तीसरे संयुक्त भारत किर्गीज़ सेना पर्वतारोहण अभियान का आयोजन अगस्त-सितंबर 2016 में किया गया था। 19 अधिकारियों और सैनिकों की एक संयुक्त टीम ने भारत में मध्य हिमालय में समुद्र तल से 6113 मीटर की ऊंचाई पर जोगिन-III चोटी पर चढ़ाई की। इससे पहले अभियान लद्दाख (सितम्बर 2011) में स्टॉक कांगड़ी की चोटी पर और किर्गिस्तान (3-25 अगस्त 2013) में लेनिन पीक के शिखर पर पहुंचा था।

भारत और किर्गिस्तान ने संयुक्त रूप से किर्गिज़स्तान के इसिक कुल जिले के बालीक्ची शहर में किर्गीज़ इंडिया माउंटेन प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण किया है। यह केंद्र किर्गिज गणराज्य के सशस्त्र बलों के कर्मियों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ साथ किर्गीज़ इंडियन ज्वाइंट माउेंन ट्रेनिंग अभ्यास का आयोजन भी करेगा।

किर्गिज़ पक्ष ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए किर्गिज़ सैन्य क्षेत्र द्वितीय स्तरीय अस्पताल को लैस करने में समर्थन एवं सहायता करने के लिए भारत का धन्यवाद किया और प्रशिक्षण में सहायता के प्रस्ताव का स्वागत किया।

आर्थिक सहयोग

दोनों पक्षों ने कहा कि भारत और किर्गिस्तान के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों का वर्तमान स्तर उपलब्ध क्षमता से नीचे है और दोनों देशों के मंत्रालयों एवं विभागों को पांच वर्ष की समय सीमा के लिए इस क्षेत्र में एक व्यापक रोडमैप विकसित करने का निर्देश दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए नए तंत्र का अन्वेषण करने पर सहमति जताई।

उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि द्विपक्षीय निवेश संधि को 20 दिसंबर, 2016 की सुबह से पहले आद्यक्षर किया गया था।

दोनों पक्षों ने 27-28 नवंबर 2016 को बिशकेक में आयोजित व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक सहयोग पर किर्गिज़ भारतीय अंतर सरकारी आयोग की 8वीं बैठक की सफलता का उल्लेख किया। नेताओं ने आईजीसी को क्षेत्रीय मुद्दों पर विभिन्न संयुक्त कार्य समूह के ढांचे में नियमित बैठकों का आयोजन करने के साथ साथ द्विपक्षीय समझौतों के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए निर्देशित किया।

दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति, विश्वविद्यालय से विश्वविद्यालय तक सहयोग; ड्रिप सिंचाई के लिए एक प्रदर्शन इकाई की स्थापना; और किर्गिज से भारत को सूखे मेवे, शहद और अखरोट के निर्यात को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। किर्गिज़ पक्ष ने जैविक खेती के क्षेत्र में खुशबूदार उद्योग और परामर्श स्थापित करने में भारतीय पक्ष की सहायता का स्वागत किया।

दो पक्षों ने नई दिल्ली और बिशकेक के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स की ओपनिंग और प्रभावी वीजा सुविधा की दिशा में काम करने के संकल्प के बाद दोनों देशों के बीच पर्यटन के बढ़ते प्रवाह पर संतोष व्यक्त किया।

यूरेशियन अंतरिक्ष में एकीकरण की प्रक्रिया पर विचार विमर्श के हिस्से के रूप में, किर्गिज़ पक्ष ने यूरेशियन इकोनोमिक यूनियन (ईएईयू) में शामिल होने के परिणामस्वरूप भारतीय उद्यमियों के लिए उपलब्ध अवसरों पर प्रकाश डाला। दोनों पक्षों ने उस संयुक्त अध्ययन समूह के कार्य में प्रगति का उल्लेख किया जो भारत और यूरेशियन इकोनोमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की व्यवहार्यता पर विचार कर रही है।

दोनों पक्षों ने उल्लेख किया कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) पर माल की आवाजाही रसद मुद्दों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और भारत-किर्गिज़स्तान व्यापार संबंधों को बढ़ावा देगा। आईएनएसटीसी के सदस्य के रूप में, दोनों पक्षों ने आईएनएसटीसी पर मार्ग की आवाजाही को संचालित करने की दिशा में संयुक्त रूप से काम करने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि ईरान में चाहबहार बंदरगाह किर्गिज़स्तान को भारत तक लघुतम कनेक्टिविटी प्रदान करता है।

वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक सहयोग के साथ-साथ लोगों के बीच संपर्क

भारत पक्ष ने किर्गिज़ इंडिया माउंटेन बायो मेडिकल रिसर्च सेंटर के लिए किर्गिज गणराज्य द्वारा दिए गए सहयोग की सराहना की। दोनों पक्षों ने स्यूक उच्च दर्रे पर द्वितीयक चरण प्रयोगशाला के सफल समापन और इस वर्ष नवंबर व दिसंबर में परीक्षण के आयोजन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में सहयोग जारी रखने और अनुसंधान के दायरे का विस्तार करने पर सहमति जताई।

राष्ट्रपति अलमाजबेक अतामबायेव ने किर्गिस्तान में टेलीमेडिसिन नेटवर्क की स्थापना और किर्गिस्तान के बाकी क्षेत्रों में इसके विकास में भारत के योगदान की प्रशंसा की। दोनों पक्षों ने भारत के विशेषीकृत अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा किर्गिज़स्तान के नियमित दौरों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी अस्पतालों के बीच बढ़ते लिंक पर संतोष व्यक्त किया।

दोनों पक्षों ने उल्लेख किया कि चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए किर्गिस्तान एक लोकप्रिय गंतव्य बना हुआ है।

दोनों पक्षों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किर्गिस्तान राज्य संरचनाओं में काम कर रहे 1,100 से अधिक पेशेवरों ने भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया था। किर्गिज़ पक्ष ने आईटीईसी ढांचे में किर्गिज़स्तान के विशेषज्ञों का सतत रूप से समर्थन करने के भारत सरकार के निर्णय का स्वागत किया।

भारतीय पक्ष ने दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के जश्न के लिए दिए गए पूर्ण समर्थन के लिए किर्गिज़ पक्ष का आभार व्यक्त किया। किर्गिज़ पक्ष ने इस बात की सराहना की कि भारत ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में परामर्श और शिक्षा की पेशकश करने लिए किर्गिज गणराज्य में आयुष केंद्र (आयुर्वेद केंद्र, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) का गठन किया है और पूरे किर्गिज़स्तान के प्रशिक्षकों के लिए योग शिविरों की व्यवस्था की है।

दोनों नेताओं ने संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग और दोनों देशों के बीच संस्कृतिक आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इतिहास एवं संस्कृति वर्ष, और किर्गिस्तान में द्वितीयक विश्व घुमंतू खेलों के सफल समापन पर राष्ट्रपति जी को बधाई दी। राष्ट्रपति अतामबायेव जी ने विश्व घुमंतू खेलों सहित किर्गिस्तान के सांस्कृतिक जीवन में भारत द्वारा पूरे मन से भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

नेताओं ने किर्गिज़ राष्ट्रीय नाटक रंगमंच पर किर्गिज़ भाषा में महाकाव्य ‘‘महाभारत’’ पर आधारित नाटक मंचन; किर्गिजस्तान में भारत उत्सव; हस्तशिल्प मेले ’’ओईमो’’ में भारतीय कलाकारों की भागीदारी; किर्गिज भाषा में महात्मा गांधी की आत्मकथा के प्रकाशन सहित दोनों देशों में आयोजित उल्लेखनीय सांस्कृतिक महाकाव्य "महाभारत" पर आधारित नाटक का मंचन सहित दोनों देशों में आयोजित संस्कृतिक महोत्सवों के महत्व पर संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने थिएटर से थिएटर सहयोग को को मजबूत बनाने की पहल का स्वागत किया। इस यात्रा के दौरान, किर्गिज़ लोगों के वीर महाकाव्य ‘‘मानस-समेते-सेतक’’ की पहली प्रति राष्ट्रपति अतामबायेव द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को दी गई। किर्गिज़ भाषा में भारतीय कविताओं के संग्रह ‘‘जीवन के रंग’’ की पहली प्रति प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रपति अतामबायेव को प्रस्तुत की गई।

दोनों नेताओं ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, व्यापार और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ शिक्षा और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए सबसे अनुकूल स्थिति पैदा करने के लिए वीजा प्रक्रिया को उदार बनाने पर कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।

क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सहयोग

कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों की समान स्थिति का जिक्र करते हुए, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के ढांचे सहित अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत और किर्गिस्तान के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के महत्व पर बल दिया और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को मजबूत करने की आवश्यकता व्यक्त की।

दुनिया में शांति बनाए रखने में भारत के योगदान का जिक्र करते हुए, किर्गिज़ पक्ष ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के सही दावे का समर्थन किया। भारतीय पक्ष ने इस समर्थन की सतत पुनरावृत्ति के लिए किर्गिज़ पक्ष को धन्यवाद दिया।

किर्गिज़ पक्ष ने 2016-2018 अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चुनावों में किर्गिज गणराज्य को सक्रिय सहयोग देने के लिए भारतीय पक्ष का आभार व्यक्त किया।

किर्गिज़ पक्ष ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत के आसन्न पूर्ण सदस्यता का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने एससीओ के एक सदस्य के रूप में भारत की स्वीकृति पर राष्ट्रीय प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए किर्गिज़ की सराहना की।

दोनों नेताओं ने विश्व के साथ एशियाई महाद्वीप में आतंकवाद और उग्रवाद से उत्पन्न चुनौतियों का उल्लेख किया और शांतिपूर्ण आर्थिक विकास के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। इस संदर्भ में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मसौदा व्यापक अभिसमय के अंगीकरण करने का आह्वान किया।

दोनों नेताओं ने भारत सहित विभिन्न देशों द्वारा यूएनएफसीसीसी के पेरिस समझौते के अनुसमर्थन का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने जोर देकर कहा कि समझौते का निर्देशन जलवायु परिवर्तन पर यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के सिद्धांतों, विशेष रूप से आम लेकिन विविध जिम्मेदारी सिद्धांत (सीबीडीआर) द्वारा किया जाएगा। उन्होंने अनुबंध II देशों की पूर्व-2020 दायित्वों को पूरा करने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करने महत्व को रेखांकित किया।

कमजोर और नाजुक पारिस्थितिकी प्रणालियों और दुर्लभ एवं गायब हो रही प्रजातियों की सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, किर्गिज़ पक्ष ने भारतीय पक्ष को सुचित किया कि बर्फ तेंदुओं के संरक्षण पर एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किर्गिज़स्तान में सितंबर 2017 में किया गया है और शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया गया है।

निष्कर्ष

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच नियमित उच्च स्तरीय संपर्कों पर संतोष व्यक्त किया जो प्रगतिशील वृद्धि और सहयोग के पूरे स्पेक्ट्रम को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

राष्ट्रपति अतामबायेव ने राजकीय यात्रा के दौरान उनके एवं उनके प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी से हुए स्वागत की सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को किर्गिज गणराज्य की यात्रा के लिए आमंत्रित किया जिसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने आभार के साथ स्वीकार किया है।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!