प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर, फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति श्री इमेनुअल मैक्रों 10 से 12 मार्च 2018 तक भारत की राजकीय यात्रा पर आए थे। दोनों नेताओं ने 11 मार्च 2018 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के संस्थापक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। नेताओं ने व्यापक और रचनात्मक चर्चाओं का आयोजन किया और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच बढ़ते अभिसरण को रेखांकित किया।
भारत और फ्रांस के बीच सामरिक साझेदारी की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर, दोनों नेताओं ने इसे आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया और भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति ने द्विवार्षिक बैठकों का आयोजन करने की सहमति देकर इसे नए स्तर तक ले जाने का फैसला किया। दोनों नेताओं ने लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन और मानव अधिकारों के सम्मान के साझा सिद्धांतों और मूल्यों के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को गहरा और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय और फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा किए गए वीरतापूर्ण बलिदानों को स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने 11 नवंबर, 2018 को पेरिस में आयोजित किये जाने वाले प्रथम विश्व युद्ध शताब्दी समारोह के समापन समारोह में भारत के हिस्सा लेने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर पेरिस शांति मंच के गठन का भी स्वागत किया। राष्ट्रपति मैक्रों इस पहल का समर्थन करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया।
I.सामरिक भागीदारी
नेताओं ने भारत और फ्रांस के बीच वर्गीकृत या संरक्षित सूचना के विनिमय और पारस्परिक संरक्षण के संबंध में "भारत गणराज्य सरकार और फ्रांस गणराज्य सरकार के बीच समझौते" पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच कि उच्च स्तर के सामरिक विश्वास को प्रतिबिंबित करता है। दोनों पक्ष मंत्रिस्तरीय स्तर पर एक वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित करने पर भी सहमत हुए।
नेताओं ने हिंद महासागर क्षेत्र में उन्नत सहयोग के लिए समुद्री क्षेत्र पर बातचीत को गहन करने की सराहना की। इस संदर्भ में, उन्होंने ऐसी साझेदारी के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ के रूप में "हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण" का स्वागत किया। नेताओं ने दोहराया कि यह सहयोग समुद्री आतंकवाद और चोरी की रोकथाम, समुद्री क्षेत्र के बारे में जागरूकता निर्माण, क्षमता निर्माण और क्षेत्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मंचों में अधिक समन्वय तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
दोनों नेताओं ने "भारत गणराज्य की सरकार और फ्रांसिसी गणराज्य की सरकार के बीच सशस्त्र सेनाओं के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन के प्रावधान के लिए" समझौते पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य भारतीय और फ्रेंच सशस्त्र बलों के लिए संबंधित सुविधाओं के लिए पारस्परिक उपयोग के लिए समर्थन सहायता का विस्तार करना है। यह समझौता भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में सामरिक गहराई और परिपक्वता का प्रतीक है।
नेताओं ने नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अप्रैल 2017 में फ्रांस में आयोजित वरुण नौसैनिक अभ्यास और जनवरी 2018 में फ्रांस में आयोजित किए गए सेना के अभ्यास शक्ति के सफल आयोजन का स्वागत किया। दोनों पक्ष आने वाले हफ्तों में भारत में अगले वरुण नौसैनिक अभ्यास और अगले वर्ष 2019 में फ्रांस में अगले गरुड़ वायुसेना अभ्यास आयोजित किए जाने के लिए तत्पर हैं। दोनों पक्षों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास के स्तर को बढ़ाने और भविष्य में इन अभ्यासों के संचालन गुणवत्ता स्तर को बनाए रखने के अपने इरादे की पुष्टि की।
दोनों नेताओं ने 2016 में हस्ताक्षरित राफेल विमान समझौते सहित अधिग्रहण संबंधी समझौतों के कार्यान्वयन में अनुसूचित प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने फ्रांसीसी जहाज निर्माता, नवल ग्रुप के सहयोग से माज़गॉन डॉक शिपबिल्टर्स लिमिटेड द्वारा भारत में बनाई गई, आईएएनएस कलवारी नामक पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी के प्रवर्तन का भी उल्लेख किया।
वे रक्षा विनिर्माण में चल रही साझेदारी को बढ़ाने और गहरा करने के लिए अपनी चर्चा जारी रखने पर तत्पर हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि मेक-इन-इंडिया पहल भारत और फ्रांसीसी रक्षा उद्यमों के लिए भारत में रक्षा उपकरणों के सह-विकास और सह-उत्पादन की व्यवस्था में प्रवेश करने के लिए एक मौलिक अवसर प्रदान करती है, जिसमें सभी दलों के लाभ के लिए पारस्परिक रूप से जानकारियों और प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण भी शामिल है। इस संदर्भ में, नेताओं ने भारतीय और फ्रांसीसी कंपनियों के बीच विभिन्न संयुक्त उद्यमों का स्वागत किया और नए उद्यमों की स्थापना के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
नेताओं ने युद्ध विमान इंजन पर डीआरडीओ और सेफ्रान के बीच चल रही चर्चाओं का उल्लेख किया और शीघ्र निष्कर्ष की सुविधा के लिए आवश्यक उपाय और आगे की तलाश के तरीकों को प्रोत्साहित किया।
दोनों नेताओं ने फ्रांस और भारत में आतंकवाद और आतंक से संबंधित घटनाओं सहित इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की कठोर निंदा को दोहराया। दोनों नेताओं ने यह भी पुष्टि की कि आतंकवाद किसी भी आधार पर न्यायसंगत नहीं हो सकता है और यह किसी धर्म, पंथ, राष्ट्रीयता और जातीयता से जुड़ा नहीं होना चाहिए। जनवरी 2016 में दोनों देशों द्वारा अपनाए गए आतंकवाद पर संयुक्त बयान को याद करते हुए, दोनों नेताओं ने हर जगह आतंकवाद को खत्म करने के अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया। उन्होंने सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अधिक प्रयास किया जाना चाहिए और आतंकवाद से लड़ने वाले तथा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने पर फ्रांसीसी सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में पेरिस में आयोजित किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का स्वागत किया।
उन्होंने सभी देशों से आतंकियों के सुरक्षित आश्रयों और बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्क और उनके वित्तपोषण चैनलों में बाधा डालने और अल कायदा, दास/आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तायबा और उनके सहयोगियों और साथ ही दक्षिण एशिया और साहेल क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे आतंकवादियों की सीमापार गतिविधियों को रोकने के लिए काम करने के लिए कहा।
दोनों नेताओं ने हस्तक्षेप बलों (एनएसजी-जीएनआईडी) और दोनों देशों की जांच एजेंसियों के बीच उत्कृष्ट सहयोग कोकायम रखने के साथ-साथ, भारतीय और फ्रांसीसी आतंकवाद विरोधी एजेंसियों के बीच परिचालन सहयोग बढ़ाने और विशेष रूप से कट्टरपंथियों की ऑनलाइन गतिविधियों को रोकने और लड़ने के लिए, एक नया सहयोग प्रयास शुरू करने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र, जीसीटीएफ, एफएटीएफ और जी20 जैसे बहुपक्षीय मंचों में आतंकवाद विरोध को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 1267 और नामित आतंकवादी संस्थाओं के लिए अन्य प्रासंगिक प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया। नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद (सीसीआईटी) पर व्यापक समझौते कोजल्दी अपनाने के लिएमिल काम करने पर भी सहमति व्यक्त की।
उन्होंने आतंकवादी वित्तपोषण के विघटन सहित नारकोटिक्स के पारस्परिक अवैध व्यापार को रोकने और प्रभावी संस्थागत संवाद करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच नारकोटिक ड्रग्स, मनोचिकित्सा पदार्थों और रासायनिक प्रेरणोके अवैध आवागमन, अवैध सेवन पर किए गए एक समझौते का स्वागत किया।
दोनों नेताओं ने भारत और फ्रांस के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के विकास पर 2008 के समझौते के साथ-साथ सहयोग के लिए जनवरी 2016 के समझौता के अनुसार, एनपीसीआईएल और ईडीएफ के बीच जैतापुर, महाराष्ट्र, भारत में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर इकाइयों का कार्यान्वयन के लिए आगेके औद्योगिक मार्ग समझौते के संपन्नहोने पर संतोष व्यक्त किया।
दोनों नेताओं ने 2018 के अंत तक जैतापुर स्थल पर काम शुरू करने के लक्ष्य को दोहरायाऔर एनपीसीआईएल और ईडीएफ को इस संबंध में अनुबंध संबंधी चर्चाओं में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित किया। स्थापित होने पर, जैतापुर परियोजना दुनिया में सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा, जिसमें कुल 9.6 गीगावॉट की क्षमता होगी। यह भारत के 2030 तक 40% गैर-जीवाश्म ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अक्षय ऊर्जा में अतिरिक्त योगदान देगा।
इस संदर्भ में उन्होंने लागत प्रभावी बिजली उत्पन्न करने की परियोजना की आवश्यकता; फ्रांसीसी पक्ष से आर्थिक और प्रतिस्पर्धी वित्तपोषण पैकेज; जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के जीवनकाल के लिए गारंटीकृत ईंधन आपूर्ति का विश्वसनीय, निर्बाध और निरंतर उपयोगऔर प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और भारत में विनिर्माण के लागत प्रभावी स्थानीयकरण प्रयासों पर सहयोगपर बल दिया। इसमें पारस्परिक सहमतिसे प्रौद्योगिकी पर अधिकारों के हस्तांतरण शामिल हैं।
उन्होंने जैतापुर परियोजना के लिए लागू परमाणु क्षति के नागरिक दायित्व पर भारत के नियमों और विनियमों को लागू करने पर दोनों पक्षों द्वारा साझा की गई समझ का स्वागत किया।यह समझ परमाणु क्षति अधिनियम 2010 के नागरिक दायित्व, परमाणु क्षति नियम 2011 के नागरिक दायित्व और परमाणु क्षति पर, आईएईए द्वाराअनुमोदित और अधिसूचित अनुपूरक मुआवजे के साथ भारत के नियमों और विनियमों के अनुपालन पर आधारित है।
नेताओं ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और सहयोग से संबंधित परस्पर लाभकारी वैज्ञानिक और प्रशिक्षण गतिविधियों में अपने परमाणु ऊर्जा संगठनों और उनके बढ़ते सहयोग तथाविशेष रूप से सीईए/आईएनएसटीएन और डीएई/जीसीएनईपी के बीच नियमित संपर्क का स्वागत किया। उन्होंने परमाणु नियामक प्राधिकरणों- भारत के परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआर) और फ्रांस की आटोराइटी डे साउरेनेट न्यूक्लेयर (एएसएन) के बीच दीर्घकालिक संबंधों और सतत बातचीत की सराहना की - जिससे परमाणु सुरक्षा से संबंधित बहुमूल्य अनुभव, सर्वोत्तम अभ्यास और विकास तथा विनियामक मुद्दोंको साझा करने में मदद की है।
अंतरिक्ष सहयोग
नागरिक अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऐतिहासिक और दुर्जेय संबंधों का निर्माण करने के लिए, नेताओं ने "भारत-फ्रांस के संयुक्त सहयोग के लिए अंतरिक्ष सहयोग" का स्वागत किया जिसमें इस क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के ठोस क्षेत्रों का उल्लेख किया गया। उन्होंने विशेष रूप से, पारिस्थितिकी तंत्र तनाव और जल उपयोग की निगरानी के उद्देश्य से तीसरे संयुक्त उपग्रह मिशन - तृष्णातथा भारत के ओसेनसैट -3 उपग्रह पर फ्रांसीसी उपकरणों कोस्थान देनेके लिए उनकी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच चल रहे सहयोग कोभी स्वीकार किया।
II. आर्थिक, शैक्षिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक और लोगों का परस्पर सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने दोनों देशों के बीच, विशेष रूप से आर्थिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और पर्यटन क्षेत्रों मेंसंबंधों की गहराई पर संतोष व्यक्त किया।
उन्होंने प्रवास और गतिशीलता पर एक द्विपक्षीय साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया, जो दोनों देशों में प्रवेश और दीर्घकालतक रहने की शर्तों को सरल बनाने के द्वारा फ्रांस और भारत के बीच छात्र और पेशेवरों की गतिशीलता की सुविधा प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रोंने दोनों देशों के बीच लोगों के निरंतर आपसी आदान-प्रदान की भूमिका की सराहना की और एक दूसरे की संस्कृतियों को समझने के लिए अधिक युवा विनिमय कार्यक्रमों की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने इस संबंध में एक फ्रांसीसी पहल "फ़्रांस-इंडिया प्रोग्राम फॉर द फ्यूचर" आरंभ की गई, जिसका उद्देश्य युवा विनिमयों को बढ़ावा देना है, जो भारत-फ्रांस के संबंधों के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आर्थिक आदान-प्रदान
नेताओं ने भारत में कई नई और चल रही विनिर्माण साझेदारी परियोजनाओं में फ्रांसीसी कंपनियों की भागीदारी पर संतोष व्यक्त किया। वे भारत में इन कंपनियों द्वारा किए गए शोध और विकास के विस्तार से खुश थे। उन्होंने भारतीय निवेशकों के लिए फ्रांस के आकर्षण पर समान रूप से प्रकाश डाला।
दोनों पक्षों ने हाल की अवधि में द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया और इच्छा व्यक्त की कि 2022 तक माल में व्यापार को 15 अरब यूरो तकबढ़ाने के उद्देश्य से यह गति कायम रहेगी। उन्होंने एसएमई और मिड कैप कंपनियों को दोनों देशों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक विनिमयों में अधिक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण की सुविधा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए नेताओं ने: क. भारत-फ्रांस संयुक्त समिति के माध्यम से नियमित और निरंतर आर्थिक सहयोग की बातचीत के महत्व को रेखांकित किया, ख. मार्च 2018 में दिल्ली में सीईओ फोरम के सह-अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत नई सिफारिशों का स्वागत किया।
दोनों नेताओं ने आर्थिक और वित्तीय क्षेत्रों में सहयोग को गहन करने के लिए प्रतिवर्ष मंत्री स्तर पर वार्ता आयोजित करने के महत्व पर जोर दिया।
शैक्षिक और विज्ञान एवंप्रौद्योगिकी में सहयोग
नेताओं ने सरकारी ढांचे के भीतर और विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक जीवंत शैक्षिक सहयोग को स्वीकार किया और 2020 तक 10,000 छात्रों तक पहुंचने के उद्देश्य से छात्र विनिमयों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस संबंध में उन्होंने डिग्री की पारस्परिक मान्यता के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो फ्रांस के छात्रों को भारत में और भारतीय छात्रों को फ्रांस में उच्च शिक्षा प्राप्त करने और अपनी रोजगार योग्यता बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने 10 और 11 मार्च 2018 को नई दिल्ली में अनुसंधान और उच्च शिक्षा पर पहला भारत-फ्रेंच सम्मेलन, ज्ञान सम्मेलन आयोजित करने का स्वागत किया।
कौशल विकास को दोनों देशों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता स्वीकार करते हुए, दोनों नेताओं ने भारत में फ्रांसीसी कंपनियों द्वारा भारतीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण और कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का स्वागत किया और उन्हें इस क्षेत्र मेंऔर अधिक सक्रिय रूप से संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया। दोनों पक्ष दोनों देशों के कौशल विकास संस्थानों और एजेंसियों के बीच संबंध और औपचारिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर थे।
नेताओं ने उन्नत अनुसंधान केप्रोत्साहन के लिए भारत-फ़्रांसीसी केंद्र (सीईईपीआईपीआरए) द्वारा निभाई गई भूमिका कोसंतोष के साथ मान्यता दीऔर 2017 मेंभारत में मनाईगई इसकी 30वीं वर्षगांठ पर बधाई दी। उन्होंने सीईएफआईपीआर को मौलिक अनुसंधान और उनके तकनीकी अनुप्रयोगों से खोजों को जोड़कर अनुसंधान, बाजार और सामाजिक आवश्यकताओं के बीच इंटरैक्टिव सातत्य के माध्यम से अपनी भूमिका का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीनता में द्विपक्षीय सहयोग की गुंजाइश और सामग्री का विस्तार करने के लिए, नेताओं ने 2018 में विज्ञान एवंप्रौद्योगिकी में संयुक्त समिति की बैठक बुलाई जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
दोनों नेताओं ने फ्रांस में भारतीय सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने के लिए फ्रांस के 41 शहरों में 83 कार्यक्रमों को प्रदर्शित करनेमें'नमस्ते फ्रांस' उत्सव की सफलताऔर 'बंजूर इंडिया' के तीसरे संस्करण द्वारा भारत के 33 शहरों मेंसफलता पूर्वक 300परियोजनाएं करने की सराहना की। नेताओं ने फ्रांस में भारत द्वारा आयोजित होने वाले साल भर के'भारत @ 70' समारोह का स्वागत किया।
दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में साहित्य के महत्व को ध्यान में रखते हुए नेताओं ने वर्ष 2020 में 'सैलोन डु लिवर डे पेरिस' (फ्रांसीसी पुस्तक मेले) के 42 वें संस्करण में सम्मानितअतिथि के रूप में भारत की भागीदारी का स्वागत किया। पारस्परिक रूप से, फ्रांस 2022 में नई दिल्ली विश्व बुक मेले में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रोंने दोनों देशों के बीच पर्यटक आदान-प्रदानों (2014 से फ्रांस में भारतीय पर्यटकों की 69% वृद्धि) मजबूत वृद्धिपर संतोष व्यक्त किया। दोनों देशों ने 2020 तक फ्रांस में दस लाख भारतीय पर्यटकों और भारत में 335,000 फ्रांसीसी पर्यटकों का लक्ष्य रखा है।
III. ग्रह के लिए भागीदारी
दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन के सिद्धांतों के आधार पर, जलवायु परिवर्तनशीलता और निम्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास को बढ़ावा देने, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत पूरी मानवता के लाभ के लिए जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में एक अपरिवर्तनीय वैश्विक प्रक्रिया के एक भाग के रूप में, सीओपी 24 में पेरिस समझौते को पूरी तरह कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने 12 दिसंबर 2017 को पेरिस में एक ग्रह शिखर सम्मेलन के सकारात्मक योगदान पर जोर दिया।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने पर्यावरण के लिए वैश्विक संधि पर काम करने की पहल में भारत के समर्थन के लिए भारतीय प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन(आईएसए) के संरचनागतअनुबंध के प्रभावी होने का स्वागत किया और नई दिल्ली में 11 मार्च 2018 को आईएसए संस्थापनसम्मेलन के सह-आयोजन की उम्मीद की। नेताओं ने बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परिनियोजन के लिए किफायती वित्तपोषण जुटाने के लिए आईएसए के तत्वावधान में ठोस परियोजनाओं और कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने और गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
अक्षय ऊर्जा
दोनों नेताओं ने पुष्टि की कि अक्षय ऊर्जा पर भारत-फ्रांसीसी तकनीकी सहयोग को मजबूत करना सभी क्षेत्रों में उभरना और नवीनता के प्रसार को प्रोत्साहित करना एक साझा प्राथमिकता है। उन्होंने सौर ऊर्जा के विकास के समर्थन के लिए सार्वजनिक और निजी कोष जुटाने के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के भीतर चेम्बर्स ऑफ इंडस्ट्री की एक अंतरराष्ट्रीय समिति केगठन और एमईडीईएफ, एसईआर, फिक्की और सीआईआई की इसमें शामिल होने की इच्छा का स्वागत किया।
सतत गतिशीलता
नेताओं ने कहा कि भारत और फ्रांस के सतत विकास और आर्थिक विकास के लिए कम जीएचजी उत्सर्जन के साथ परिवहन के कुशल तरीके एक अनिवार्य शर्त हैं।उन्होंने विद्युत गतिशीलता के विकास के संबंध में दोनों देशों की मजबूत महत्वाकांक्षाओं को दोहराया। इस संबंध में, उन्होंने पारिस्थितिक और समावेशी संक्रमण के फ्रांसीसी मंत्रालय और नीति आयोग के बीच आशय का एक वक्तव्य का स्वागत किया, जिसे फ्रांसीसी विकास एजेंसी (एएफडी) द्वारा प्रदान की गई फ्रांसीसी तकनीकी सहायता द्वारा समर्थित किया जाएगा।
नेताओं ने अपने रेलवे सहयोग को मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और दिल्ली-चंडीगढ़ खंड की अर्ध-उच्च गति उन्नयन और अंबाला और लुधियाना स्टेशनों के स्टेशन विकास अध्ययन के लिए व्यवहार्यता अध्ययन को पूरा करने पर संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि दिल्ली-चंडीगढ़ क्षेत्र की गति के उन्नयन पर भावी तकनीकी चर्चाओं में इस खंड पर यात्रियों और माल ढुलाई के भार को ध्यान में रखा जाएगा और इसमें जटिलताएं भी शामिल होंगी। नेताओं ने दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग के लिए एक स्थायी भारत-फ्रांसीसी रेलवे फोरम की स्थापना का स्वागत किया, जिसमेंएक पक्षफ्रांसिसी पर्यावरण और समावेशी संक्रमणमंत्रालयऔर एसएनसीएफ (फ्रेंच रेलवे) और दूसरा पक्ष भारतीय रेल मंत्रालय है।
स्मार्ट शहर
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रोंने टिकाऊ शहरों और स्मार्ट शहरों के बारे में उत्कृष्ट भारत-फ्रेंच सहयोग पर संतुष्टिव्यक्त की, जिसमें फ्रांसीसी और भारतीय हितधारकों के बीच नवीनता साझा करने और उपयोगी सहयोग के कई मामलों को चिह्नित किया गया, उन्होंने चंडीगढ़, नागपुर और पुडुचेरी के तीन स्मार्ट शहरों में अनुकरणीय सहयोग कार्यक्रम और इस मिशन के ढांचे के अंतर्गत एएफडी के तकनीकी सहायता कार्यक्रम का विस्तारका स्वागत किया। उन्होंने स्मार्ट सिटीज मिशन के समर्थन में एएफडी और भारत सरकार के बीच 100 मिलियन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
IV. वैश्विक सामरिक सम्मिलन का विस्तार करना
सामरिक भागीदार के रूप में, दोनों देश प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों काअभिसरण करते हैं और समान हित के मामलों पर एक-दूसरे से मिलकर परामर्श और समन्वय करते रहते हैं।
फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की। फ्रांस और भारत सामूहिक विनाश के हथियारों के अप्रसार के क्षेत्र में साझा चिंता और उद्देश्य रखते हैं।
फ़्रांस जून 2016 में एमटीसीआर, दिसंबर 2017 में वासेनार व्यवस्था और जनवरी 2018 में ऑस्ट्रेलिया समूह में भारत के प्रवेश का स्वागत करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को वासीनार व्यवस्था की सदस्यता प्राप्त होने में फ्रांस के नेतृत्व के लिए राष्ट्रपति मैक्रोंका आभार व्यक्त किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई समूह की भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए फ्रांस का भी आभार व्यक्त किया। वैश्विक गैर-प्रसार को और अधिक मजबूत करने के लिए, फ्रांस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर सरकारों के सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने के अपने मजबूत और सक्रिय समर्थन की पुष्टि की, जिससे यह मान्यता हो कि भारत का अधिग्रहण इन शासनों के उद्देश्यों और लक्ष्यों मे मूल्य वर्द्धनकरेगा।
नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि डीपीआरके ने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों का लगातार अनुसरणकिया है और डीपीआरके द्वारा समर्थन दिए जाने के कारण इसके प्रसार से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है और कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण, निरीक्षण करने योग्य, अपरिवर्तनीय अप्रतिबंधिकता का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने डीपीआरके के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का समर्थन करने या समर्थन करने वालों को जवाबदेह बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने इस चुनौती को संबोधित करने में और यह सुनिश्चित करने के लिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी प्रतिबंध पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा पूरी तरह कार्यान्वित किए गए हैं, इसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एकता के महत्व पर बल दिया,ताकि बातचीत के माध्यम से एक शांतिपूर्ण और व्यापक समाधान प्राप्त करने के लिए अधिकतम दबाव बनाया जा सके।
भारत और फ्रांस ने ईरान और ई3+3 के बीच हस्ताक्षरित संयुक्त व्यापक योजना (जेसीपीओए) के निरंतर पूर्ण कार्यान्वयन के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा पुष्टि की है कि ईरान अपनी परमाणु संबंधित जेसीपीओए प्रतिबद्धताओं का पालन कर रहा है। दोनों देशों ने समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन काआह्वान किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा समर्थन प्रदान किया गया है और यह गैर-प्रसार ढांचे और अंतर्राष्ट्रीय शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंनेसभी पक्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2231 को लागू करने का आग्रह किया।
दोनों नेताओं ने सीरिया के लोगों की वैध आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सीरिया के नेतृत्व वाली राजनीतिक प्रक्रियाओं के जरिए सीरिया के संघर्ष के व्यापक और शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई वाली जिनेवा प्रक्रिया की प्रधानता की पुष्टि की। नागरिकों के संरक्षण और मानवतावादी सहायता के लिए उपयोग संघर्ष कर रहे सभी पक्षों और उनके समर्थकों के लिए मौलिक है और उनसे उनकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की उम्मीद की जाती है। दोनों नेताओं ने पुष्टि की कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता और सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने ओपीसीडब्ल्यू के महत्व पर जोर दिया और कहा कि किसी भी परिस्थिति में रासायनिक हथियारों का कोई उपयोग नहीं होना चाहिए।
नेताओं ने साझा सिद्धांतों और मूल्यों के आधार पर यूरोपीय संघ और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय आदेश के प्रति प्रतिबद्धता के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने सहमति व्यक्त की कि भारत और ईयू को बहुपक्षीय और सुरक्षा मुद्दों केसाथ-साथ आर्थिक, व्यापार और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अपने सहयोग को गहरा करना चाहिए और 6 अक्टूबर 2017 को नई दिल्ली में आयोजित 14वें ईयू-भारत शिखर सम्मेलन के परिणाम का स्वागत किया। उन्होंने व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभान्वित यूरोपीय संघ-भारत ब्रॉड-आधारित व्यापार और निवेश समझौते (बीटीआईए) के लिए वार्ता को समय-समय पर पुन: आरंभ करने की दिशा में सक्रिय रूप से पुन: संलग्न होने के लिए दोनों पक्षों के प्रयासों का समर्थन किया।
भारत और फ्रांस ने आज की वैश्वीकृत दुनिया में कनेक्टिविटी के महत्व को स्वीकार किया उन्होंने रेखांकित किया कि कनेक्टिविटी की पहल अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून व्यवस्था, खुलेपन, पारदर्शिता के प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए; सामाजिक और पर्यावरण मानकों का पालन किया जाना चाहिए, वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांत, जवाबदेह ऋण-वित्तपोषण प्रथाओंऔर उस तरीके को अपनाया जाना चाहिए जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है
भारत और फ्रांस जी-20 के फैसले को लागू करने और मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास हासिल करने के लिए अन्य जी-20 सदस्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नेताओं ने नियमों पर आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका और सतत विकास और प्रगति को प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले व्यापार को बढ़ाने के महत्व की पुष्टि की। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, जिससे नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की केंद्रीयता और खुले और समावेशी वैश्विक व्यापार के लिए इसके महत्व की पुष्टि होगी।
भारत और फ्रांस वैश्विक आर्थिक और वित्तीय प्रशासन वास्तुकला में सुधार, अत्यधिक वैश्विक असंतुलन को कम करने, समावेशी और परस्परर-जुड़े विकास को बढ़ावा देने और आतंकवाद, गरीबी, भूख, रोजगार सृजन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा सहितलैंगिक असमानता और असमानता की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिएस्थायी विकास के लिए आधार के रूप मेंमिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।
अफ्रीका की स्थिरता और समृद्धि के लिए सहयोग और समर्थन करने के लिए भारत और फ्रांस का एक समान साझा हित है, जिसमें क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और संयुक्त परियोजनाओं जैसी विकास उन्मुख पहलें भी शामिल हैं। पेरिस में जून 2017 में अफ्रीका पर अपनी पहली बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने जमीन पर आम परियोजनाओं को लागू करने की अपनी इच्छा दोहराई। नेताओं ने जी5साहेलसंयुक्त फोर्स की स्थापना का स्वागत किया, जो अफ्रीकी राष्ट्रों की आतंकवाद के खतरे से निपटने और अपनी सुरक्षा कीइच्छा के साथ इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध द्वारा सामने आने वाली गंभीर चुनौतियों का सामना करने का प्रावधान करता है।
नेताओं ने हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) और उनको बढ़ावा देने वाले मूल्यों के प्रति अपना समर्थन दोहराया।उन्होंने आईओआरए की प्राथमिकताओं के लिए लगातार योगदान करने की अपनी प्रतिबद्धता साझा की।
इस तरह के विचारों के अभिसरण के कैनवास को व्यापक बनाने के उद्देश्य से, पूर्व एशिया के साथ - साथ मध्य पूर्व से नियमित विशेषज्ञ स्तर के आधिकारिक संवाद आरंभ करने के लिए सहमतिहुई। दोनों विदेश मंत्रालयों के बीच एक वार्षिक नीति और योजना संवाद भी स्थापित किया गया था।
राष्ट्रपति मैक्रोंने अपने और अपने प्रतिनिधिमंडल के आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार को धन्यवाद दिया और फ्रांस में उनका स्वागत करने की उम्मीद की।