“भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है; यह लोकतंत्र की जननी है।”
-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

लोकप्रभुसत्ता एक ऐसी अवधारणा है जो लोगों को सभी राजनीतिक वैधता का स्रोत बनाती है। और लोकतंत्र वह आवश्यक शर्त है जो लोकप्रभुसत्ता को बनाए रखता है। सरल शब्दों में कहें तो लोकतंत्र वह व्यवस्था है जहां सरकारें प्रतिस्पर्धात्मक चुनावों के माध्यम से चुनी जाती हैं।

भारत में, लोकतांत्रिक परंपराएं वैदिक युग से चली आ रही हैं, जहां सभा, समिति और संसद जैसी प्रतिनिधि संस्थाओं का उल्लेख ऋग्वेद और अथर्ववेद जैसे ग्रंथों में मिलता है। रामायण और महाभारत दोनों में सन्निहित धर्म की अवधारणा लोगों के कल्याण के लिए शासन का प्रतीक है। बुद्ध के युग में वज्जि लोग शामिल थे जो अपनी गणतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए जाने जाते थे।

भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए, प्रधानमंत्री ने खुद चोल राजा परांतक प्रथम के शासनकाल की 1100 साल पुरानी तमिल शिलालेख का संदर्भ दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "वहां पाया गया शिलालेख ग्राम सभा के लिए एक स्थानीय संविधान की तरह है। यह बताता है कि सभा कैसे चलाई जानी चाहिए, सदस्यों की योग्यता क्या होनी चाहिए, सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए और किसी सदस्य को कैसे अयोग्य घोषित किया जाएगा।"

ये कहने की आवश्यकता नहीं कि लोकतंत्र पूरे देश के इतिहास और भूगोल में एक लचीली और टिकाऊ परंपरा के रूप में फला-फूला है। स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान ने इस परंपरा को मजबूत किया, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर आधारित संसदीय लोकतंत्र के रूप में अपना विश्वास व्यक्त किया - एक ऐसा अधिकार जो उस समय पश्चिम के कई देशों में मौजूद नहीं था। संविधान स्वयं सरकार की तीसरी श्रेणी - पंचायती राज - का प्रावधान करता है, जो जमीनी स्तर पर सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करता है। आज स्थानीय स्वशासन की ये संस्थाएं नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण को जगा रही हैं, स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रही हैं, खासकर महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान आवाज देकर।

1951 में हुए पहले आम चुनावों से ही, जहां 80% से अधिक भारतीय आबादी निरक्षर थी से आज तक, जहां हमारे पास लगभग 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, जो पूरे यूरोपियन यूनियन (40 करोड़) से दोगुने से भी अधिक है - भारत लगातार दुनिया को चौंकाता रहता है।

मतदान के संदर्भ में, 2019 के आम चुनावों में 67% से अधिक की वोटिंग गई - जो कि भारत के चुनावी इतिहास में सबसे बड़ी है और साथ ही महिला मतदाताओं का अब तक का सबसे अधिक मतदान है। दिलचस्प बात यह है कि यह आंकड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में हुए मतदान प्रतिशत से भी अधिक है, जो आमतौर पर 60% के आसपास रहता है।

स्वतंत्र, निष्पक्ष, नियमित बहुदलीय चुनाव, महिलाओं, किसानों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों जैसे हाशिए वाले वर्गों के नेताओं का उदय, क्षेत्रीय दलों की बढ़ती पकड़ और गठबंधन सरकारों का गठन, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जैसे प्रगतिशील सुधार और एक बेहद स्वतंत्र चुनाव आयोग- ये सभी भारतीय लोकतंत्र की मजबूत साख को बढ़ाते हैं।

फिर भी पिछले दस वर्षों में जहां लोगों ने (2014) और फिर से (2019) मोदी सरकार को सत्ता में चुना है, देश के भीतर और बाहर दोनों जगह भारत विरोधी बयानबाजी से हारने वाले पक्षों ने अनुचित रूप से रोना रोया है। वे लोगों के इस निर्णायक जनादेश को 'लोकतंत्र की मृत्यु' और 'तानाशाही के उदय' के रूप में पेश करने की हद तक चले गए हैं।

इस तरह के नैरेटिव प्रचारित किए जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों और रैंकिंग के माध्यम से संदिग्ध वैधता प्रदान की जाती हैं।

अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस की ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2024 रिपोर्ट’ ने भारत को 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' कहा है। वी-डेम इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि भारत सबसे बदतर निरंकुश देशों में से एक के रूप में उभर रहा है। स्वीडन स्थित संस्थान ने 2018 में भारत को 'चुनावी निरंकुशता' के रूप में नामित किया था। दूसरी ओर, इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने अपने डेमोक्रेसी इंडेक्स 2022 में भारत को 'त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र' के रूप में लेबल किया था।

हालांकि ग्लोबल स्टैंडर्ड्स को स्थापित करने और वैश्विक शांति और सुरक्षा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए, इनमें से कई इंटरनेशनल रिपोर्ट और इंडेक्स अक्सर विकृत मैट्रिक्स पर आधारित होते हैं, जो पश्चिम में तथाकथित उदार लोकतंत्रों के पक्ष में अंतर्निहित पूर्वाग्रह प्रदर्शित करते हैं। ये भारत जैसे देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अद्वितीय चरित्र और जटिलताओं को नजरअंदाज करते हैं।

लोकतंत्र से संबंधित कई संस्थाएं अक्सर मानवाधिकारों और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अपने स्वयं के मानदंडों के माध्यम से प्रचार करती हैं जो कि निहित स्वार्थों के अनुरूप प्रतीत होते हैं। धार्मिक ध्रुवीकरण, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में भी विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी और बहुसंख्यकवाद पर गुमराह करने वाली बहस अक्सर उनके मुख्य मुद्दे होते हैं।

पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में अल्पसंख्यक, भारत के विकास में समान हितधारक हैं और सरकारी पहल के समान लाभार्थी हैं। एक अध्ययन के अनुसार, गरीबों और अल्पसंख्यकों द्वारा अमेरिका की तुलना में भारत में मतदान करने की अधिक संभावना है, जो कि अपने पश्चिमी समकक्षों के मुकाबले भारतीय लोकतंत्र की समावेशिता का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके अलावा, नरेन्द्र मोदी और द्रौपदी मुर्मू का चुनाव भारत के लोकतंत्र की गतिशीलता को प्रदर्शित करता है, जहां साधारण पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को भी देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंचने के लिए समान अवसर दिए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भी विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी को भारत को बदनाम करने के लिए नैरेटिव के तौर पर पेश किया जाता है। इस तथ्य के बावजूद कि कानून के मुताबिक ऐसी गिरफ्तारियां न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं। यदि हम इन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के समान लॉजिक को लागू करते हैं, तो अमेरिका दो-पक्षीय प्रणाली के तहत काम करता है, और विपक्षी नेता डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ कई कानूनी मामलों को देखते हुए, कोई यह तर्क दे सकता है कि अमेरिका भी चुनावी निरंकुशता की ओर झुक रहा है।

इसलिए, ऐसे आरोप कमजोर बुनियाद पर खड़े हैं। ये भारतीय मतदाताओं की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाने और भारतीय चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता और व्यापकता की उपेक्षा करने के बारीक प्रयास मात्र हैं।

इनमें से कोई भी संस्थान या सूचकांक उस ठोस प्रगति को ध्यान में नहीं रखता है जो भारत ने पिछले दस वर्षों में हेल्थकेयर, आवास, शौचालय, पेयजल, बिजली या खाना पकाने के साफ ईंधन तक पहुंच के मामले में अनुभव की है।

वे इनोवेशन और उद्यम में भारत की जबरदस्त छलांग को नजरअंदाज करते हैं। देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 उतारा है; यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है; इसके तीसरी सबसे बड़ी ग्लोबल इकोनॉमी बनने की उम्मीद है; और यह डिजिटल इनोवेशन और करप्शन-फ्री, रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस के लिए एक ग्लोबल मॉडल के रूप में खड़ा है।

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रक्रियाओं के प्रति बढ़ती वैश्विक असुरक्षा और संदेह के बीच, दुनिया ने वैश्विक सहमति हासिल करने की भारत की क्षमता अनुभव की, जिसका उदाहरण G20 की नई दिल्ली डिक्लेरेशन है।

फिर भी वे अक्सर भारत को अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों की श्रेणी में रखते हैं, जिनमें से एक पर इस्लामी कट्टरपंथी समूह तालिबान का शासन है तो दूसरा सैन्य शासन के अधीन है - दोनों नागरिक संघर्ष, अस्थिरता और शीत युद्ध के बाद के युग में सबसे खराब मानवीय संकट के उपयुक्त प्रतीक हैं। भारत की लोकतांत्रिक विश्वसनीयता को कमतर करने के ऐसे प्रयास मनमाने, निराधार हैं और इनमें विश्वसनीयता की कमी है।

हालांकि, भारतीय लोकतंत्र अपने लोगों से अपनी विश्वसनीयता प्राप्त करता है। पीएम मोदी के भारत में, जनता जनार्दन सर्वोपरि है, क्योंकि फैसला उसी का होता है।

और यह विश्वसनीयता प्रधानमंत्री मोदी की विकास के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता पर टिकी हुई है, जिसमें विभाजन और बहिष्कार नहीं है। विकास का यह नया मॉडल जनभागीदारी, जन हिस्दारी और जन जिम्मेदारी सुनिश्चित करता है।

तुष्टिकरण और एजेंडे की राजनीति के खिलाफ विकास की राजनीति में अपने विश्वास के साथ, भारत ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से अपना डेमोक्रेसी रेटिंग इंडेक्स बनाने का फैसला किया है। यह इंडेक्स भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ भ्रामक धारणाओं और व्यापक नैरेटिव के लिए एक तर्कसंगत काउंटर के रूप में काम करेगा।

यह इंडेक्स भारत जैसे विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ के अन्य देशों को पश्चिम के बराबर की स्थिति में ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने के लिए सशक्त बनाएगा।

यह इंडेक्स लोकतंत्र की विविध परंपराओं और जटिलताओं को प्रदर्शित करने में भी प्रभावी साबित होगा, जिससे लोकतंत्र पर वैश्विक संवाद में समावेशिता के लिए जगह बनेगी।

कहते हैं कि, देश लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं बनते हैं; बल्कि, वे लोकतंत्र के माध्यम से उपयुक्त हो जाते हैं। इसी निष्कर्ष पर, भारतीय लोकतंत्र दुनिया में चुनाव कराने के लिए अब भी मतदाताओं और संसाधनों के हिसाब से सबसे बड़ा अभियान है। ये लगातार विकसित हो रहा है, अपनी सभ्यता के मूल्यों को बनाए रखते हुए, साथ ही साथ पूरी दुनिया में इसकी स्वीकार्यता भी बढ़ रही है।

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."