"Shri Narendra Modi addresses rallies in Uttar Pradesh"
"Modi is not merely your candidate. We have developed a very strong bond already: Shri Modi in Rohaniya"
"I have come to you with one agenda and that is development. Except development there is nothing on my agenda: Shri Modi"
"A film just showed you how the Sabarmati was transformed. We will do the same for the Ganga: Shri Modi"
"When the world saw India as a Vishwa Guru, Banaras was seeing as a Rashtra Guru. Can we not return this pride: Shri Modi in Varanasi"
"I want to make Kashi a centre of tourism. I want people of India and world to visit this spiritual capital of India: Shri Modi in Uttar Pradesh"
"I had more programmes also but those are facing defeat did such match fixing & that too what reasons have they given: Shri Modi in UP"
"They said that due to Modi's security we are not allowing Modi to speak. If I am safe here will I not be safe 12 km away from here: Shri Modi in UP"
"And in any case I am ready to die for the sake of Mother India why are you stopping me, I am don’t understand: Shri Modi"
"They stopped me from going to Maa Ganga also: Shri Modi in UP"
"Will the world stop if Modi does not speak? There is more power in my silence than even in my words: Shri Modi in UP"
"Please do not make fun of my caste. When I talk of development I expect you also to do same. Why are you dividing India: Shri Modi to Congress and its allies"

Watch: Shri Modi addressing a public meeting in Azamgarh, Uttar Pradesh

8 मई को उत्तर प्रदेश में अपनी रैलियों के दौरान श्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को काशी की आध्यात्मिक भूमि की सेवा करने और केंद्र में एक नीति संचालित सरकार के माध्यम से अपने लोगों को सशक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता का एक मजबूत आश्वासन दिया। आजमगढ़, लालगंज, चंदौली और रोहनिया में रैलियों को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने समावेशी विकास के अपने दृष्टिकोण को लोगों के साथ साझा किया तथा बताया कि कैसे इससे कृषि और हथकरघा जैसे विभिन्न क्षेत्रों की क्षमता का दोहन किया जा सकता है, और साथ ही यह भी वैश्विक मंच पर उनकी प्रसिद्धि को फैलाने में सक्षम होगा।

श्री मोदी इस धरती और यहाँ के लोंगों के साथ उनके गहरे संबंध की बात की और कहा कि उनका संबंध ‘एक सेवक' का है, और कहा कि उनका एकमात्र ध्यान 'उन्नति और विकास' पर है। " मोदी केवल आपका उम्मीदवार नहीं है। हम पहले से ही एक बहुत मजबूत बंधन विकसित किया है। अभी एक फिल्म में दिखाया गया है कि साबरमती को कैसे बदला गया। हम गंगा के लिए भी ऐसा ही करेंगे। मैं एक ही एजेंडे के साथ आपके पास आया हूँ और कि हमें विकास चाहिए। विकास को छोड़कर मेरे एजेंडे में कुछ भी नहीं है," श्री मोदी ने कहा, और आश्वासन दिया कि बनारस को राष्ट्र के 'राष्ट्र गुरु' के रूप वापस स्थापित करके इसके अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए सक्षम बनाया जाएगा।

भारत के पूर्वी राज्यों में आर्थिक गतिविधियों में विकास और ढिलाई की कमी पर अपनी गहरी चिंता को साझा करते हुए श्री मोदी ने प्रत्येक क्षेत्र को विकसित करने और अपने पश्चिमी समकक्षों की बराबरी तक पहुँचाने में उन्हें सक्षम बनाने के अपने दृढ़ संकल्प की बात की। उन्होंने कृषि, पर्यटन और हथकरघा उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए भाजपा के एकनिष्ठ ध्यान को रेखांकित किया। श्री मोदी ने यह भी बताया कि भाजपा कैसे लाल बहादुर शास्त्री जी के 'जय जवान, जय किसान' के मंत्र को सुदृढ़ करना चाहता था, जब उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए एक मानकीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना को भाजपा घोषणा पत्र में शामिल किए जाने को लोगों के साथ साझा किया। उन्होंने काशी क्षेत्र के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित करके, इस क्षेत्र को पर्यटकों के आकर्षण के एक केंद्र के रूप में उभारने के अपने ध्यान का आश्वासन दिया।

Shri Narendra Modi addresses rallies in Uttar Pradesh

गुजरात के पतंग निर्माताओं, जो मुख्य रूप से मुसलमान हैं, की सफलता की कहानी सुनाते हुए श्री मोदी कहा कि इन्हें इन पर केंद्रित योजना के माध्यम से सशक्त किया गया है, और कहा कि इस क्षेत्र के हथकरघा उद्योग में भी इस पहल को लागू किया जा सकता है, जिसमें गुणवत्ता वर्धन और उत्पादों की ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित करके इसे सशक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि सूरत में हथकरघा उद्योग वैश्विक मोर्चे पर अपनी पहचान बना सकता है, तो यहाँ के बुनकर समुदाय की कलात्मकता को सही प्रोत्साहन देकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया जा सकता है।

श्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार ने अपने लोगों की चिंता करना छोङ दिया है, और वे भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त हैं जिसने पूरे देश को लूट लिया है। अपने काम के लिए जवाबदेह नहीं होने और उनके अहंकार में चूर होने की निंदा की, और बताया कि उनका सारा ध्यान मोदी को बदनाम करने और उसे प्रधानमंत्री बनने से रोकने पर था।

श्री मोदी ने बताया कि उनका सारा ध्यान 'सबका साथ, सबका विकास ' पर है और जातिवादी राजनीति उनके लिए तुच्छ है। उन्होंने उन लोगों से जो इस तरह की राजनीति करते हैं, श्री मोदी के खिलाफ झूठे आरोपों न लगाने का आग्रह किया। "मैं जिस जाति से हूँ उस जाति की राजनीति मैंने कभी नहीं की। मैं ‘सबका साथ, सबका विकास’ में विश्वास करता हूँ। मेरी मेरे अतीत चाय विक्रेता होने के लिए मेरे पीछे पङे थे, मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं किस जाति का हूँ। मैं उन्हें बता दूँगा- मैं झूठ बोलने के बजाय मर जाना पसंद करूँगा। कृपया मेरी जाति का मजाक न बनाएं। जब मैं विकास की बात करता हूँ तो मैं आशा करता हूँ कि आप भी ऐसा ही करेंगें। आप भारत को क्यों विभाजित कर रहे हैं, " श्री मोदी ने कहा।

Watch: Shri Modi addressing a public meeting in Rohaniya, Uttar Pradesh

उन्होंने वाराणसी में अपनी रैली के लिए निर्वाचन आयोग के इनकार करने का करारा जवाब देते हुए 'सुरक्षा चिंताओं' जैसे बेतुके कारण देने को बहुत ही दु:खद बताया। "यहाँ के मेरे कार्यक्रम की योजना एक लंबे समय पहले ही बन गई थी, लेकिन जो पहले ही पराजित हो चुके हैं, वे मोदी को उभरते हुए नहीं देखना चाहते हैं।मेरे इस क्षेत्र में इससे भी अधिक और कार्यक्रम थे, लेकिन जो लोग जबर्दश्त हार का सामना कर रहे उन लोगों ने ऐसी मैच फिक्सिंग की है कि कोई क्या ही कहे, और जो कारण वे गिना रहे हैं वे बहुत ही ज्यादा बेतुके हैं। मैं माओवादी क्षेत्र के बीचों-बीच चला गया और कश्मीर में भी जाकर मैंने अपने विचारों को व्यक्त किया है। लेकिन केवल बनारस में मैं असुरक्षित हूँ? क्या यह सरकार एक मनुष्य की रक्षा नहीं कर सकती है? और चाहे जो हो मैं भारत माता के लिए मरने के लिए तैयार हूँ, तब मुझे समझ में नहीं आता है कि आप मुझे क्यों रोक रहे हैं? उन्होंने मुझे गंगा माता के पास जाने से भी रोक दिया है। मैं देश के कानून से कर्तव्यनिष्ठ ढंग से बंधा हूँ। मैं आपके द्वारा किए जा रहे मेरे अपमान को झेल रहा हूँ, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि भारत के लोग इसे माफ नहीं करेंगे," श्री मोदी ने कहा। इसके अलावा श्री मोदी ने पिछले 14 वर्षों से उन्हें बदनाम करने के लिए संस्थानों का दुरूपयोग करके श्री मोदी को परेशान करने के केंद्र सरकार के दृष्टिकोण की निंदा की, लेकिन इसके बावजूद भी वे लोगों के दिलों में रहते हैं।

पिछले 3 चरणों में हेराफेरी की खबरों पर चिंता का हवाला देते हुए श्री मोदी ने चुनाव आयोग से पक्षपात रोकने और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

केवल झूठ फैलाने में विश्वास करने वालों और राष्ट्र के विकास की क्षमता को बर्बाद करने वालों की निंदा करते हुए श्री मोदी ने लोगों से उन्हें खारिज करके और भाजपा की विकासोन्मुखी शासन के लिए अपना समर्थन दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों से 12 मई को मतदान के अंतिम दिन - श्री सोन लाल पटेल की बेटी और क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार- अनुप्रिया पटेल को वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा कि चुनाव लोगों के लिए आशा की एक किरण लेकर आया है और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके सहयोग से केंद्र में बनी एक मजबूत सरकार, एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करेगा।

रैली से चंद मिनट पहले श्री मोदी ने आजाद हिंद फौज के स्वतंत्रता सेनानी कर्नल निजामुद्दीन से मुलाकात की, और श्री मोदी को आशीर्वाद देने के लिए उन्हें सम्मानित किया और उनका आभार व्यक्त किया। सुभाष चंद्र बोस के योगदान को याद करते हुए, जिनके साथ कर्नल निजामुद्दीन ने काम किया था, श्री मोदी ने कहा “हमारे बीच आज वो हैं जिन्होंने सुभाष बाबू के साथ काम किया था, जिन्होंने कहा था ‘ तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूँगा।’ आज मैं कहता हूँ कि मैं आपको एक मजबूत सरकार दूँगा, मैं आपको एक मजबूत भारत दूँगा।"

एक दृश्य–श्रव्य (आडियो-विजुअल) प्रस्तुति के माध्यम से अहमदाबाद में साबरमती नदी में लाए गए एक प्रेरक परिवर्तन को दर्शाया गया, जो पहले एक उपेक्षित जल संसाधन से एक उत्साहजनक विकास मॉडल बन गया और आज यह कई लोगों की आजीविका सुनिश्चित करता है और एक पर्यटन स्थल बन गया है।

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!