बिहार का भाग्य बदलने के लिए मेरा छह सूत्री कार्यक्रम- परिवारों के लिए पढ़ाई, कमाई व दवाई और प्रदेश के लिए बिजली, पानी व सड़क: प्रधानमंत्री
मेरी सरकार गरीबों के प्रति समर्पित है और मेरा एक ही मूल मंत्र है - बिहार का विकास: प्रधानमंत्री मोदी #परिवर्तनरैली
जंगलराज और जंतर-मंतर राज को कभी इकट्ठा मत होने दीजिए, दोनों मिलकर बिहार को बर्बाद कर देंगे: नरेन्द्र मोदी #परिवर्तनरैली
नीतीश सरकार से जनता परेशान हो चुकी है, बिहार की जनता इस चुनाव में उन्हें ऐसे भगाएगी कि जिंदगीभर उन्हें स्वीकार नहीं करेगी: प्रधानमंत्री
बिहार की बदहाली के लिए नीतीश, लालू व सोनिया जी जिम्मेदार: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी #परिवर्तनरैली
जिन लोगों की लोकतंत्र में श्रद्धा नहीं है, जिनके ऊपर जनता का प्यार और आशीर्वाद नहीं है, वही जंतर-मंतर का सहारा ले रहे हैं: प्रधानमंत्री
मैं बिहार की जनता को इस बात का विश्वास दिलाता हूँ कि मैं उनकी तपस्या को बेकार नहीं जाने दूंगा: प्रधानमंत्री मोदी #परिवर्तनरैली
बिहार का पानी और बिहार की जवानी ही बिहार का भाग्य बदलेगी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी #परिवर्तनरैली

सामाजिक न्याय के प्रणेता, गरीब, पिछड़ों के मसीहा और बिहार के गौरव बाबू विन्देश्वर प्रसाद मंडल जी के धरती के कोटि-कोटि नमन करै छी। अहाँ सब के पावन स्नेह देखकर मन भाव-विभोर भे गिल। मंच पर विराजमान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और दलितों के मसीहा श्रीमान जीतन राम मांझी जी, एनडीए के सभी घटकों के वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में पधारे हुए मधेपुरा के मेरे भाईयों और बहनों।

चुनाव में सहरसा से भाजपा के उम्मीदवार आलोक रंजन जी, मधेपुरा से भाजपा के उम्मीदवार विजय कुमार विमल, बिहारीगंज से भाजपा के उम्मीदवार रवीन्द्र चरण यादव, सुपौल से भाजपा के उम्मीदवार किशोर कुमार, पीपड़ा से भाजपा के उम्मीदवार विश्व मोहन कुमार, निर्मली से भाजपा के उम्मीदवार राम कुमार राय, छतापुर से भाजपा के उम्मीदवार नीरज कुमार सिंह, महीसिंह से रालोसपा के उम्मीदवार चंदन कुमार जी, सोवरसो से लोजपा के उम्मीदवार श्रीमती सरिता देवी जी, सिंदरी से लोजपा के उम्मीदवार युसुफ़ अलाउद्दीन जी, आलमनगर से लोजपा के उम्मीदवार श्री चंदन सिंह, सिन्देश्वर से हम पार्टी के उम्मीदवार श्रीमती मंजू देवी, त्रिवेणीगंज से लोजपा के उम्मीदवार विजय पासवान जी और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों और बहनों।

मैं कई बार अभियान के लिए आया लेकिन हर बार मैं बिहार आ न सकूँ, आपके दर्शन न कर सकूँ, आपके आशीर्वाद न ले पाऊं, इसके लिए भांति-भांति के अड़ंगे लगाने की कोशिश की गई एक बार जब मुझे आना था तो लालू जी, नीतीश जी चुनाव आयोग के पास पहुँच गए और शिकायत की कि बिहार में पहले चरण का मतदान चल रहा है और अगर मोदी इस समय आयेगा तो हमारा बचा-खुचा भी खा जाएगा इसलिए मोदी को बिहार में मत आने दो। चुनाव आयोग ने सारे नियम-कानून देखे और उनको कहा अगर किसी एक इलाक़े में चुनाव हो रहा है और दूसरे में नहीं है तो आप किसी को भी प्रचार करने से रोक नहीं सकते हैं; मोदी जी आयेंगे और सभा को संबोधित करेंगे। आज भी बिहार के कुछ स्थानों पर मतदान चल रहा है और मुझे आपका आशीर्वाद पाने का सौभाग्य मिला है।

लालू जी, नीतीश जी को पिछले 60 दिन में सभी सभाओं में जितने लोगों ने आशीर्वाद दिया होगा, मुझे अकेले मधेपुरा में उससे भी ज्यादा लोगों ने आकर आशीर्वाद दिया है। ये हिसाब है इस चुनाव का और बिहार की जनता राजनीति को भली-भांति समझती है। बिहार के लोग आधा-अधूरा नहीं बल्कि पूरा विश्वास करते हैं। उनको ख़ुद पर विश्वास है और इसलिए वे दूसरों पर भी विश्वास करते हैं लेकिन जब कोई उनका विश्वास तोड़ देता है तो चुन-चुन करके अपना हिसाब चुकता कर लेते हैं। यही बिहार के लोग है, 35 साल तक लोगों ने आँख बूँद करके कांग्रेस पर भरोसा किया, उनके वादे मानती रही लेकिन जब उन्होंने 35 साल का हिसाब देखा तो लोगों ने जिस कांग्रेस को 35 साल तक छप्पड़ फाड़ के दिया था, 35 साल के बाद ऐसा साफ़ कर दिया कि कांग्रेस नज़र ही नहीं आ रही है। अरे अभी उनको 40 सीट तोहफ़े में मिली है। ये 40 पर लड़ रहे हैं और एक प्रकार से हमारे लिए बिना कांटेस्ट के 40 सीट हो हमारी ज़ेब में वैसे ही आ गई है। उम्मीदवार पैसे लेकर घर पहुँच गए। ये पैसा ही खर्च नहीं कर रहे कि बच्चों को काम आएंगे। दिल्ली से जो थैली आई, उसे खर्च नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें मालूम है कि कुछ बचने वाला नहीं है।

कांग्रेस को साफ करने के बाद लोगों को लगा कि लालू जी चल जाएंगे बड़ी अच्छी बातें बोलते हैं, ख़ुद भी अच्छे इंसान हैं, भैंस पर बैठ जाते हैं, बच्चों के बाल काट देते हैं बिहार के लोगों ने इतना भरोसा किया कि जिनको इन सारे कामों में मज़ा आता था, उन्हें सरकार चलाने का मौका दे दिया और नतीज़ा यह हुआ बिहार में बर्बादी के सिवा कुछ नहीं बचा। उसके बावजूद लोगों ने 15 साल तक उन पर भरोसा किया, उनपर गंभीर आरोप लगे, उन्हें सजा हुई और जब पत्नी को गद्दी पर बिठाया तो लोगों ने उन पर भी भरोसा किया। इसके बाद भी जब बिहार का भला नहीं हुआ तो बिहार की जनता का तीसरा नेत्र खुल गया। बिहार की जो जनता लालू जी को पलकों पर बिठाती थी, उसने हमेशा के लिए लालू जी की विदाई कर दी।

तीसरा जिस पर भरोसा किया, उनका अहंकार ही उनको खा गया जनता के साथ उनको कोई नाता नहीं रहा, जॉर्ज फ़र्नान्डिस के पीठ में छुरा भोंक दिया, जेपी को छोड़ दिया, जिस लोहिया जी ने कांग्रेस के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी थी, उस लोहिया जी के चेले ख़ुद कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए। बिहार की जनता ने धोखाधड़ी देखी है और इसलिए बिहार की जनता का और भी ज्यादा गुस्सा फूट निकला है। बिहार की जनता ने कांग्रेस को 35 साल बाद निकाला, लालू जी को 15 साल बाद निकाला, इनको तो 10 साल के बाद हमेशा-हमेशा के लिए विदाई कर देगी।

भाईयों-बहनों, बिहार के पास पानी है, जवानी है, नौजवानों के पास सपने हैं, बिहार के लोग मेहनत करने को तैयार हैं, फ़िर भी बिहार पीछे है। आपको जानकर आनंद होगा कि 150 साल पहले अंग्रेज़ लोग यहीं के कुछ लोगों को उठाकर मजदूरी के लिए मॉरिशस ले गए। गरीब, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, इसी समाज के लोग थे वो। तब अंग्रेज़ों का ज़ुल्म चलता था, जहाजों में बिठाकर समुद्र के रास्ते मॉरिशस ले गए। आज अगर आप मॉरिशस जाकर देखो तो बिहार के लोगों नें मॉरिशस में स्वर्ग खड़ा कर दिया। ऐसा मॉरिशस बना दिया है कि सीना तन जाता है बिहार के लोगों का पराक्रम देखकर। जो बिहार के लोग मॉरिशस को बना सकते हैं, वो बिहार और मधेपुरा को भी बना सकते हैं। झारखंड बिहार का ही हिस्सा था और झारखंड अलग हुआ, नेता नए आए, भाजपा को सेवा करने का मौका मिला और आज झारखंड भारत के पहले 10 राज्यों में खड़ा हो गया लेकिन बिहार आखिरी नंबर पर है और उसका कारण है – 25 साल लालू जी और नीतीश जी की सरकार, बड़े भाई और छोटे भाई की जुगलबंदी।

बिहार जंगलराज, भ्रष्टाचार, और अहंकार से तबाह हो गया और ये तीनों इकट्ठे हो गए है और इससे पहले से ज्यादा बर्बादी होगी। आप बताएं कि आज पूरे विश्व में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं? अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, चीन, जापान चारों तरफ हिन्दुस्तान की जय-जयकार हो रही है कि नहीं? ये मोदी के कारण नहीं हो रहा है बल्कि ये सवा सौ करोड़ देशवासियों के कारण हो रहा है। आज अगर दिल्ली में आपने हमें पूर्ण बहुमत नहीं दिया होता तो दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका नहीं बज सकता था। ये डंका इसलिए बजता है क्योंकि देशवासियों ने 30 साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई है। दुनिया में कितना ही महान और ताक़तवर देश क्यों न हो, लेकिन उसका नेता जब मोदी से हाथ मिलाता है तो उसे मोदी नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी दिखाई देते हैं और इसलिए दुनिया हिन्दुस्तान का लोहा मानती है।

इसी तरह सभी राज्यों में भी बिहार का डंका बजे और जय-जयकार हो तो बिहार में भी दो-तिहाई बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बनानी होगी। चौथे चरण का चुनाव अभी चल रहा है और आज सुबह से जो मुझे जानकारी मिल रही है, लोगों में काफ़ी उत्साह है और लंबी-लंबी कतारें लगी हैं और भारी मतदान हो रहा है। मधेपुरा सारे बिहार का रिकॉर्ड तोड़ेगा और मुझे विश्वास है कि इस बार मधेपुरा नया इतिहास बनाने वाला है।

भाईयों-बहनों, हमारे मधेपुरा में रेल लोकोमोटिव फैक्ट्री... जो वर्षों से धीरे-धीरे गुजारा कर रही है, न उसमें कोई जान भरता है, न कोई विकास करता है और न कोई रोजगार के अवसर पैदा करता है हमने निर्णय किया है कि हम रेल लोकोमोटिव को नया बनाएंगे, उसका विस्तार करेंगे, नई टेक्नोलॉजी लाएंगे, बिहार में रोजगार की नई संभावनाएं पैदा करेंगे। टेंडर पास हो गया है, जैसे ही आचार संहिता पूरी होगी, टेंडर खुल जाएंगे, और तेज़ गति से ये रेल लोकोमोटिव आगे बढ़ना शुरू हो जाएगा।

अगर काम करने का इरादा हो और बिहार के प्रति प्यार हो, तो फ़िर ये काम कभी रुक नहीं सकता है। मैं कहना चाहता हूँ कि मुझे एक ही काम करना है – विकास। विकास के लिए आपके लिए मेरे मन में तीन चीज़ें हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार के गरीब बच्चों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा मिलनी जरुरी है और यहीं पर मिलनी चाहिए क्योंकि तब गरीब माँ-बाप को अपनी जमीन गिरवी रखने और अपनी बहू-बेटियों की अमानत गिरवी रखने की नौबत नहीं आएगी। अच्छी शिक्षा हो, सस्ती शिक्षा हो, गरीब से गरीब व्यक्ति को शिक्षा मिले, ये काम मुझे करना है, मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। दूसरी बात है, कमाई; नौजवान के लिए रोजगार। बिहार में पलायन रूकना चाहिए। पलायन के कारण बूढ़े माँ-बाप को उनकी सेवा करने के उम्र में छोड़कर नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। ये पलायन रूकना चाहिए और बिहार के नौजवान को यहीं पर रोजगार का अवसर मिलना चाहिए। उद्योग नहीं लगेंगे तो रोजगार कैसे मिलेगा।

अभी वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट निकाली थी कि किस राज्य में लोग निवेश करना चाहते हैं, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस कहाँ है। आपको जानकर दुःख होगा कि झारखंड, जो कभी बिहार की हिस्सा था, वो आज चौथे नंबर पर है और ये बिहार 21वें – 22वें नंबर पर खड़ा है। मुझे बताईये कि ऐसी स्थिति में कोई आयेगा क्या? इसका परिणाम देखिये, जब भाजपा के लोग बिहार में सरकार में थे, तो करीब 17,500 रुपये का पूँजी निवेश आया और जैसे ही भाजपा वाले निकल गए, ये आंकड़ा 6000 पर आ गया। ये बिहार का नुकसान हुआ कि नहीं, बिहार में कारखाना आने से अटक गया कि नहीं, नौजवान का रोजगार गया कि नहीं। बिजली नहीं होगी तो कारखाना कैसे लगेगा। आज भी 21वीं सदी में बिहार के 4000 गाँव ऐसे हैं जहाँ बिजली का खंभा भी नहीं है। ये शर्म की बात है। मैंने इन 4000 गांवों में बिजली पहुँचाने का ठान लिया है। घरों, स्कूलों में बिजली होनी चाहिए। नीतीश बाबू कहते हैं कि हम कंप्यूटर देंगे। आप बताईये कि बिना बिजली के कंप्यूटर कैसे चलेगा। ये मूर्ख बना रहे हैं। नीतीश जी, पहले बिजली तो लाओ।

2010 में नीतीश कुमार ने कहा था कि मेरी सरकार बनाईए, मैं घर-घर बिजली पहुंचाऊंगा और अगर मैं बिजली न पहुंचाऊं तो मैं वोट मांगने नहीं आऊंगा। बिजली तो नहीं आई लेकिन वो वोट मांगने जरुर आये। उन्होंने आपसे धोखा किया, अपना वादा तोड़ा तो अब आप उनसे नाता तोड़ोगे? जो अपना बिजली का वादा नहीं निभा सकते, वो आने वाले दिनों में भी आपका कुछ नहीं करेंगे। वो कहेंगे कि जंतर-मंतर करो, बिजली आ जाएगी, पानी आ जाएगा, रोजगार आ जाएगा। जंतर-मंतर वाला जमाना गया। मुझे तो डर है कि यहाँ 15 साल जंगलराज चला, 10 साल जंतर-मंतर का राज चला और ये जंतर-मंतर और जंगलराज एकसाथ आ गया, फ़िर बिहार को कोई नहीं बचा सकता।

हमें न जंतर-मंतर चाहिए और न जंगलराज चाहिए, इसलिए उन्हें विदाई देने का समय आ गया है। तीसरा है – दवाई; बुजुर्गों के लिए सस्ती दवाई, डॉक्टर और दवाखाना होना चाहिए। इंसान अगर बीमार हो तो कहाँ जाएगा। इसलिए आपके लिए मेरे तीन मंत्र हैं - पढ़ाई, कमाई और बुजुर्गों को दवाई। बिहार राज्य की भलाई के लिए तीन सूत्र है, बिजली, पानी एवं सड़क। बिजली आएगी, उद्योग लगेंगे। कोसी की तबाही के कारण यहाँ के किसानों को कितनी परेशानी होती है। एक कोसी परेशान करे तो दूसरी तरफ़ सूखा। पानी का प्रबंध होना चाहिए बिहार के पास दो ताकत है जो बिहार का भविष्य बदल सकती है – बिहार का पानी और बिहार की जवानी। मैं तो हैरान हूँ कि यहाँ इतना पानी है, इतने गरीब लोग हैं लेकिन मछली पालन का भी काम सरकार ने नहीं किया। अगर ये पानी में मछलियाँ तैयार करते तो आज बिहार को खाने के लिए 400 करोड़ रुपये की मछली बाहर से नहीं लानी पड़ती और 400 करोड़ में यहाँ लाखों नौजवान को रोजगार मिल जाता। उनको करना ही नहीं है, पानी बह रहा है और मछली बाहर से आ रही है। यही तो मुसीबत है कि जवानी बाहर जा रही है और पानी समुंदर में जा रहा है। बिहार को आगे बढ़ने के लिए मुझे ये दोनों पूरी ताकत से चाहिए और इसलिए मैं आपसे आशीर्वाद मांगने आया हूँ।

भाईयों-बहनों, हम बिहार को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज और 40 हज़ार करोड़ पुराना वाला जो कागज़ पर पड़ा था लेकिन जिसे कोई देने का नाम नहीं लेता था, हमने कहा कि लिखा किसी ने भी हो लेकिन बिहार तो मेरा है, सरकार किसी पराये की होगी लेकिन बिहार पराया नहीं है। इसलिए हमने सब मिलाकर 1 लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज दिया जो बिहार का भाग्य बदलने का ताकत रखता है। विकास के लिए, बिहार का भाग्य बदलने के लिए वोट कीजिये।

मैं पूरे बिहार में जा चुका हूँ और जनता-जनार्दन का आशीर्वाद ले चुका हूँ और मैं साफ़ कहता हूँ कि दो-तिहाई बहुमत से एनडीए की सरकार बनने वाली है। बिहार 8 तारीख को दिवाली मनाएगा और पूरा हिन्दुस्तान 8 तारीख को दिवाली मनाएगा। दो-दो दिवाली मनानी है भाईयों। यहाँ आया हुआ हरेक व्यक्ति कम-से-कम दस परिवार को वोट करा देगा? ये प्यार और आशीर्वाद हो तो कोई सरकार बनने से रोक सकता है क्या। मतदान भारी संख्या में हो और पांचवें चरण में सबसे ज्यादा मतदान करके दिखाईये, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। मेरे साथ ज़ोर से बोलिये -   

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!       

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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बड़े राष्ट्र हों या वैश्विक मंच, आज भारत में उनका विश्वास पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है: ET समिट में पीएम
February 15, 2025
बड़े राष्ट्र हों या वैश्विक मंच आज भारत में उनका विश्वास पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है : प्रधानमंत्री
विकसित भारत के विकास की गति उल्लेखनीय है : पीएम
कई आकांक्षी जिले अब देश के प्रेरणादायक जिलों में बदल गए हैं : पीएम
बैंकिंग सुविधा से वंचितों को बैंकों से जोड़ना, असुरक्षितों को सुरक्षित करना और वित्त पोषित लोगों को धन उपलब्ध कराना हमारी रणनीति रही है : प्रधानमंत्री
हमने व्यापार की चिंता को व्यापार करने में आसानी में बदल दिया है : प्रधानमंत्री
भारत पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों से चूक गया, लेकिन चौथी में दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने को तैयार : प्रधानमंत्री
भारत की विकसित भारत बनने की यात्रा में हमारी सरकार निजी क्षेत्र को एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखती है : पीएम
सिर्फ 10 साल में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर आ गए : पीएम

श्री विनीत जैन जी, Industry Leaders, CEOs, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों ! आप सबको नमस्कार…

 Last time जब मैं ET समिट में आया था तो चुनाव होने ही वाले थे। और उस समय मैंने आपके बीच पूरी विनम्रता से कहा था कि हमारे तीसरे टर्म में भारत एक नई स्पीड से काम करेगा। मुझे संतोष है कि ये स्पीड आज दिख भी रही है और देश इसको समर्थन भी दे रहा है। नई सरकार बनने के बाद, देश के अनेक राज्यों में बीजेपी-NDA को जनता का आशीर्वाद लगातार मिल रहा है! जून में ओडिशा के लोगों ने विकसित भारत के संकल्प को गति दी, फिर हरियाणा के लोगों ने समर्थन किया और अब दिल्ली के लोगों ने हमें भरपूर समर्थन दिया है। ये एक एक्नॉलेजमेंट है कि देश की जनता आज किस तरह विकसित भारत के लक्ष्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

जैसा आपने भी उल्लेख किया मैं अभी कल रात ही अमेरिका और फ्रांस की अपनी यात्रा से लौटा हूं। आज दुनिया के बड़े देश हों, दुनिया के बड़े मंच हों, भारत को लेकर जिस विश्वास से भरे हुए हैं, ये पहले कभी नहीं था। ये पेरिस में AI एक्शन समिट के दौरान हुए डिशकशंस में भी रिफ्लेक्ट हुआ है। आज भारत ग्लोबल फ्यूचर से जुड़े विमर्श के सेंटर में है, और कुछ चीजों में उसे लीड भी कर रहा है। मैं कभी-कभी सोचता हूं, अगर 2014 में देशवासियों ने हमें आशीर्वाद नहीं दिए होते, आप भी सोचिये, भारत में reforms की एक नई क्रांति नहीं शुरू हुई होती, यानी मुझे नहीं लगता है कि हो सकता है ये कतई नहीं होता, आप भी इस बात को यानी सिर्फ कहने को नहीं convince होंगे। क्या इतने सारे बदलाव होते क्या? आपमें से जो हिन्दी समझते होंगे उनको मेरी बात तुरंत समझ में आई होगी। देश तो पहले भी चल रहा था। Congress speed of development...और congress speed of corruption,ये दोनों चीज़ें देश देख रहा था। अगर वही जारी रहता, तो क्या होता? देश का एक अहम Time Period बर्बाद हो जाता। 2014 में तो कांग्रेस सरकार ये लक्ष्य लेकर चल रही थी कि 2044, यानी 2014 में वो सोचते थे और उनका डिक्लेयर टारगेट था कि 2044 तक भारत को Eleventh से Third Largest Economy बनाएंगे। 2044, यानी तीस साल का टाइम पीरियड था। ये था...congress का speed of development और विकसित भारत का स्पीड ऑफ डेवलपमेंट क्या होता है, ये भी आप देख रहे हैं। सिर्फ एक दशक में भारत, टॉप फाइव इकॉनॉमी में आ गया। और साथियों मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं अब अगले कुछ सालों में ही, आप भारत को दुनिया की third largest economy बनते देखेंगे। आप हिसाब लगाइए 2044… एक युवा देश को, यही स्पीड चाहिए और आज इसी स्पीड से भारत चल रहा है।

साथियों,

पहले की सरकारें Reforms से बचती रहीं, और ये बात भूलनी नहीं चाहिए ये ईटी वाले भूला देते हैं, ये मैं याद कराता हूं। जिस रिफार्म के गाजे बाजे हो रहे हैं ना वो because of compulsion था conviction से नहीं था। आज हिन्दुस्तान जो रिफार्म कर रहा है वो conviction से कर रहा है। उनमें एक सोच रही, अब कौन इतनी मेहनत करे, रिफार्म की क्या जरूरत है, अब लोगों ने बिठाया है, मौज करो यार, 5 साल निकाल दो, चुनाव आएगा तब देखेंगे। अक्सर, इस बात की चर्चा ही नहीं होती थी कि बड़े reforms से देश में कितना कुछ बदल सकता है। आप व्यापार जगत के लोग हैं सिर्फ हिसाब किताब आंकड़े नहीं लगाते, आप अपनी strategy को रिव्यु करते हैं। पुरानी पद्यतियों को छोड़ते हैं। एक समय में कितनी ही लाभकारक रही हो उसको भी छोड़ते हैं आप, जो कालवाहय हो जाता है उसका बोझ उठाकर कोई उद्योग चलता नहीं है जी, उसे छोड़ता ही है। आमतौर पर भारत में जहां तक सरकारों की बात है, गुलामी के बोझ में जीने की एक आदत पड़ चुकी थी। इसलिए, आज़ादी के बाद भी अंग्रेज़ों के जमाने की चीज़ों को ढोया जाता रहा। अब हम लोग आमतौर पर बोलते भी हैं, सुनते भी हैं और कभी कभी तो लगता है कि जैसे कोई बड़ा महत्वपूर्ण मंत्र है, बड़ा श्रद्धापूर्ण मंत्र है ऐसे बोलते हैं, justice delayed is justice denied, ऐसी बातें हम लंबे समय तक सुनते रहे, लेकिन इसको ठीक कैसे किया जाए, इस पर काम नहीं हुआ। समय के साथ हम इन चीजों के इतने आदी हो गए कि बदलाव को नोटिस ही नहीं कर पाते। और हमारे यहां तो एक ऐसा इकोसिस्टम भी है, कुछ साथी यहां भी बैठे होंगे जो अच्छी चीज़ों के बारे में चर्चा होने ही नहीं देते। वो उसको रोकने में ही ऊर्जा लगाए रखते हैं। जबकि लोकतंत्र में अच्छी चीज़ों पर भी चर्चा होना, मंथन होते रहना, ये भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए उतना ही जरूरी है। लेकिन एक धारणा बना दी गई है कि कुछ नेगेटिव कहो, नेगेटिविटी फैलाओ, वही डेमोक्रेटिक है। अगर पॉजिटिव बातें होती हैं, तो डेमोक्रेसी को कमज़ोर करार कर दिया जाता है। इस मानसिकता से बाहर आना बहुत ज़रूरी है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा।

साथियों,

भारत में कुछ समय पहले तक जो पीनल कोड चल रहे थे, वो 1860 के बने थे। 1860 के, देश आजाद हुआ लेकिन हमें याद नहीं आया, क्योंकि गुलामी की मानसिकता में जीने की आदत हो गई थी। इनका मकसद, 1860 में जो कानून बने, मकसद क्या था, उसका मकसद था भारत में गुलामी को मजबूत करना, भारत के नागरिकों को दंड देना। जिस सिस्टम के मूल में ही दंड है, वहां न्याय कैसे मिल सकता था। इसलिए इस सिस्टम के कारण न्याय मिलने में कई-कई साल लग जाते थे। अब देखिए, हमने परिवर्तन किया बहुत बड़ा, बड़ी मेहनत करनी पड़ी ऐसे नहीं हुआ है, लाखों ह्यूनम आवर्स लगे है इसमें और भारतीय न्याय संहिता को लेकर के हम आए, भारतीय संसद ने इसको मान्यता दी, अब ये न्याय संहिता को लागू हुए अभी 7-8 महीने ही हुए हैं, लेकिन बदलाव साफ-साफ नज़र आ रहा है। अखबार में नहीं, आप लोगों में जाएंगे तो बदलाव नजर आएगा। न्याय संहिता लागू होने के बाद क्या बदलाव आया है, मैं बताता हूं, एक ट्रिपल मर्डर केस में FIR से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 14 दिन लगे, इसमें उम्रकैद की सजा हो गई। एक स्थान पर एक नाबालिग की हत्या के केस को 20 दिन में अंतिम परिणाम तक पहुंचाया गया। गुजरात में गैंगरेप के एक मामले में 9 अक्टूबर को केस दर्ज हुआ, 26 अक्टूबर को चार्जशीट भी दाखिल हो गई। और आज 15 फरवरी को ही कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दे दिया। आंध्र प्रदेश में 5 महीने के एक बच्चे से अपराध के मामले में अदालत ने दोषी को 25 वर्ष की सजा सुनाई है। इस केस में डिजिटल सबूतों ने बड़ी भूमिका निभाई। एक और मामले में रेप और मर्डर के आरोपी की तलाश में e-prison मॉड्यूल से बड़ी मदद मिली। इसी तरह एक राज्य में रेप और मर्डर का केस हुआ और तुरंत ही ये पता चल गया कि संदिग्ध दूसरे राज्य में एक क्राइम में पहले जेल जा चुका है। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी में भी समय नहीं लगा। ऐसे अनेक मामले मैं गिना सकता हूं, जिसमें आज लोगों को तेज़ी से न्याय मिलने लगा है।

साथियों,

ऐसा ही एक बड़ा Reform प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर हुआ है। यूएन की एक स्टडी में किसी देश के लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स का ना होना एक बहुत बड़ा चैलेंज माना गया है। दुनिया के अनेक देशों में करोड़ों लोगों के पास प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। जबकि लोगों के पास प्रॉपर्टी राइट्स होने से गरीबी कम करने में मदद मिलती है। ये बारीकियां पहले की सरकारों को पता भी नहीं था, और कौन इतना सिरदर्द उठाए जी, कौन मेहनत करे, एैसे काम को ईटी की हेडलाइन तो बनने वाली नहीं है, तो करेगा कौन, ऐसी अप्रोच से न देश चला करते हैं, न देश बना करते हैं और इसलिए हमने स्वामित्व योजना की शुरुआत की। स्वामित्व योजना के तहत देश के 3 लाख से ज्यादा गांवों का ड्रोन सर्वे किया गया। सवा 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए। और मैं ET को एक हेडलाइन आज दे रहा हूं, स्वामित्व लिखना जरा ईटी के लिए तकलीफ वाला है, लेकिन फिर भी वो तो आदत से हो जाएगा।

स्वामित्व योजना की वजह से देश के ग्रामीण क्षेत्र में अब तक सौ लाख करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी की वैल्यू अनलॉक हुई है। यानी 100 लाख करोड़ रुपए की ये प्रॉपर्टी पहले भी गांवों में मौजूद थी, गरीब के पास मौजूद थी। लेकिन इसका उपयोग आर्थिक विकास में नहीं हो पाता था। प्रॉपर्टी के राइट्स ना होने से गांव के लोगों को बैंक से लोन नहीं मिल पाता था। अब ये दिक्कत हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गई है। आज पूरे देश से ऐसी खबरें आती हैं कि कैसे स्वामित्व योजना के प्रॉपर्टी कार्ड्स से लोगों का फायदा हो रहा है। अभी कुछ दिन पहले राजस्थान की एक बहन से मेरी बातचीत हुई, उस बहन को स्वामित्व योजना के तहत प्रॉपर्टी कार्ड मिला हुआ है। इनका परिवार 20 साल से एक छोटे से मकान में रह रहा था। जैसे ही प्रॉपर्टी कार्ड मिला, तो उनको बैंक से करीब 8 लाख का लोन मिला, 8 लाख रूपये का लोन मिला, कागज मिलने से। इस पैसे से उस बहन ने एक दुकान शुरु की, अब उससे हुई कमाई से वो परिवार अब अपने बच्चों की हायर एजुकेशन के लिए सपोर्ट कर पा रहा है। यानी देखिए कैसे बदलाव आता है। एक और राज्य में, एक गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड दिखाकर बैंक से साढ़े चार लाख का लोन लिया। उस लोन से उसने एक गाड़ी खरीदी औऱ ट्रांसपोर्टेशन का काम उसने शुरू कर दिया। एक और गांव में एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी कार्ड पर लोन लेकर अपने खेत में मॉडर्न इरिगेशन फेसिलिटीज तैयार करवाईं। ऐसे ही कई उदाहरण हैं, जिनसे गांवों में, गरीबों को कमाई के नए रास्ते बन रहे हैं। ये रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म की असली स्टोरीज़ हैं, जो अखबारों और टीवी चैनल्स की हेडलाइन्स में नहीं आती है।

साथियों,

आजादी के बाद हमारे देश में अनेकों ऐसे जिले थे, जहां सरकारें विकास नहीं पहुंचा पाईं। और ये उनके गवर्नेंस की कमी थी, बजट तो होता था, डिक्लेयर भी होता था, सेंसेक्स के रिपोर्ट भी छपते थे, ऊपर गया की नीचे गया। करना ये चाहिए था कि इन जिलों पर खास फोकस करते। लेकिन इन जिलों को पिछड़े जिले, बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट इसका लेबल लगाकर उन जिलों को अपने हाल पर छोड़ दिया। इन जिलों को कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं होता था। यहां सरकारी अफसर भी अगर ट्रांसफर भी होती थी, तो ये मान लिया जाता था, कि punishment posting पर भेजा गया है।

साथियों,

इतना नेगेटिव एनवायरमेंट उस स्थिति को मैंने एक चुनौती के रूप में लिया और पूरे अप्रोच को ही बदला डाला। हमने ऐसे देश के करीब सौ से ज्यादा जिलों को identify किया, जिसको कभी backward जिला कहते थे मैंने कहा ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स है। ये backward नहीं है। हमने यहां देश के युवा अफसरों को वहां पर ड्यूटी देना शुरू कर दिया। माइक्रो लेवल पर गवर्नेंस को सुधारने का प्रयास शुरू किया। हमने उन इंडीकेटर्स पर काम किया, जिसमें ये सबसे पीछे थे। फिर मिशन मोड पर, कैंप लगाकर, सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को यहां लागू किया। आज इनमें से कई aspirational districts, देश के inspirational districts बन चुके हैं।

साल 2018 में असम के मैं उन जो aspirational districts जिसको मैं कहता हूं, जिसको पहले की सरकार backward कहती थी, मैं उनका ही जिक्र करना चाहता हूं। असम के बारपेटा जिले में सिर्फ 26 परसेंट एलीमेंट्री स्कूलों में ही सही student to teacher ratio था, only 26 परसेंट। आज उस डिस्ट्रिक्ट में 100 पर्सेंट स्कूलों में student to teacher ratio आवश्यकता के अनुसार हो गया। बिहार के बेगुसराय जिले में सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन लेने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या, only 21 परसेंट थी, बजट नहीं था ऐसा नहीं था, बजट तो था, only 21 परसेंट। उसी प्रकार से यूपी के चंदौली जिले में ये 14 परसेंट थी। आज दोनों जिलों में ये 100 परसेंट हो चुकी है। इसी तरह बच्चों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के अभियान में भी कई जिले बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी के श्रावस्ती में 49 परसेंट से बढ़कर 86 परसेंट, तो तमिलनाडु के रामनाथपुरम में 67 परसेंट से बढ़कर 93 परसेंट हम पहुंचे हैं। ऐसी ही सफलताओं को देखते हुए ही अब देश के हम फिर ये प्रयोग बहुत सफल रहा, ग्रास रूट लेवल पर परिवर्तन लाने का ये प्रयास सफल रहा, तो जैसे पहले हमने 100 करीब करीब aspirational districts identify किए, अब हम एक स्टेज नीचे जाकर के 500 ब्लॉक्स उसको हमने aspirational blocks घोषित किया गया है, और वहां हम बिल्कुल फ़ोकस वे में तेजी से काम कर रहे हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं हिन्दुस्तान के 500 ब्लॉक्स उसके बेसिक बदलाव आएगा, मतलब देश के सारे पैरामीटर बदल जाते हैं।

साथियों,

यहां बहुत बड़ी संख्या में इंडस्ट्री लीडर्स बैठे हैं। आपने कई-कई दशक देखे हैं, दशकों से आप बिजनेस में हैं। भारत में बिजनेस का माहौल कैसा होना चाहिए, ये अक्सर आपकी Wish list का हिस्सा हुआ करता था। सोचिए कि हम 10 साल पहले कहां थे और आज कहां है? एक दशक पहले भारत के बैंक भारी संकट से गुजर रहे थे। हमारा बैंकिंग सिस्टम fragile था। करोड़ों भारतीय बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे। और अभी विनीत जी ने जन धन एकाउंट की चर्चा भी की, भारत दुनिया के उन देशों में से एक था जहां, access to credit सबसे मुश्किल था।

साथियों,

हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए अलग-अलग स्तर पर एक साथ काम किया। Banking the unbanked, Securing the unsecured, Funding the unfunded, ये हमारी स्ट्रैटजी रही है। 10 साल पहले ये तर्क दिया जाता था कि देश में बैंक ब्रांच नहीं है, तो कैसे फाइनेंशल इंक्लूजन होगा? आज देश के करीब-करीब हर गांव के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरसपॉन्डेंट मौजूद है। एक्सेस टू क्रेडिट कैसे बढ़ा इसका एक उदाहरण, मुद्रा योजना है। करीब 32 लाख करोड़ रुपए, उन लोगों तक पहुंचे हैं, जिनको बैंकों की पुरानी व्यवस्था के तहत लोन मिल ही नहीं सकता था। ये कितना बड़ा परिवर्तन हुआ है। MSMEs के लिए लोन मिलना आज बहुत आसान हुआ है। आज रेहड़ी-पटरी ठेले वालों तक को हमने आसान लोन से जोड़ा है। किसानों को मिलने वाला लोन भी दोगुने से अधिक किया है। हम बहुत बड़ी संख्या में लोन दे रहे हैं, बड़े अमाउंट में लोन दे रहे हैं औऱ साथ ही हमारे बैंकों का प्रॉफिट भी बढ़ रहा है। 10 साल पहले तक इकोनॉमिक्स टाइम्स ही, बैंकों के रिकॉर्ड घोटाले की खबरें छापता था। रिकॉर्ड NPAs पर चिंता जताने वाले editorials छपते थे। आज आपके अखबार में क्या छप रहा है? अप्रैल से दिसंबर तक सरकारी बैंकों ने सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड प्रॉफिट दर्ज किया है। साथियों, ये सिर्फ हेडलाइन्स नहीं बदली हैं। ये सिस्टम बदला है, जिसके मूल में हमारे बैंकिंग रिफॉर्म्स हैं। ये दिखाता है कि हमारी इकॉनॉमी के पिलर्स कितने मजबूत हो रहे हैं।

साथियों,

बीते दशक में हमने Fear of business को ease of doing businessमें बदला है। GST के कारण, देश में जो Single Large Market की व्यवस्था बनी है उससे भी इंडस्ट्री को बहुत फायदा मिल रहा है। बीते दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर में भी अभूतपूर्व विकास हुआ है। इससे देश में Logistics Cost घट रही है, Efficiency बढ़ रही है। हमने सैकड़ों Compliances खत्म किए और अब जन विश्वास 2.0 से और भी Compliances को कम कर रहे हैं। समाज में, और ये मेरा conviction है, सरकार का दखल और कम हो, इसके लिए सरकार एक Deregulation Commission भी बनाने जा रही है।

Friends,

आज के भारत में एक और बहुत बड़ा परिवर्तन हम देख रहे हैं। ये परिवर्तन, फ्यूचर की तैयारी से जुड़ा है। जब दुनिया में पहली औद्योगिक क्रांति शुरु हुई, तो भारत में गुलामी की जकड़न मज़बूत होती जा रही थी। दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान जहां दुनिया में नए-नए इन्वेंशन्स, नई फैक्ट्रियां लग रही थीं, तब भारत में लोकल इंडस्ट्री को नष्ट किया जा रहा था। भारत से रॉ मटीरियल बाहर ले जाया जा रहा था। आजादी के बाद भी स्थितियां ज्यादा नहीं बदलीं। जब दुनिया, कंप्यूटर क्रांति की तरफ बढ़ रही थी, तब भारत में कंप्यूटर खरीदने के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था। पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का उतना लाभ भले ही भारत नहीं ले पाया, लेकिन चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए तैयार है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा में हमारी सरकार, प्राइवेट सेक्टर को बहुत अहम सहभागी मानती है। सरकार ने बहुत सारे नए सेक्टर्स को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया है, जैसे स्पेस सेक्टर। आज बहुत सारे नौजवान, बहुत सारे स्टार्टअप्स इस स्पेस सेक्टर में बड़ा योगदान दे रहे हैं। ऐसे ही ड्रोन सेक्टर कुछ समय पहले तक, लोगों के लिए closed था। आज इस सेक्टर में यूथ के लिए बहुत सारा स्कोप दिख रहा है। प्राइवेट फर्म्स के लिए Commercial Coal Mining का क्षेत्र खोला गया है। Auctions को प्राइवेट कंपनियों के लिए Liberalised किया गया है। देश के Renewable Energy Achievements में, हमारे Private Sector की बहुत बड़ी भूमिका है। और अब Power Distribution Sector में भी हम Private Sector को आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि इसमें और Efficiency आए। हमारे इस बार के बजट में भी, एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। हमने, यानी पहले कोई ये बोलने की हिम्मत नहीं करता था। हमने न्यूक्लियर सेक्टर को भी private participation के लिए खोल दिया है।

साथियों,

आज हमारी पॉलिटिक्स भी परफॉर्मेंस oriented हो चुकी है। अब भारत की जनता ने दो टूक कह दिया है- टिकेगा वही, जो जमीन से जुड़ा रहेगा, जमीन पर रिजल्ट लाकर दिखाएगा। सरकार को लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना बहुत ज़रूरी है, उसकी पहली आवश्यकता है। हमसे पहले जिन पर पॉलिसी मेकिंग का ज़िम्मा था, उनमें संवेदनशीलता शायद बहुत आखिर में नजर आती थी। इच्छाशक्ति भी बहुत आखिर में नजर आती थी। हमारी सरकार ने संवेदनशीलता के साथ लोगों की समस्याओं को समझा, जोश और जुनून के साथ उन्हें सुलझाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए। आज दुनिया की तमाम स्टडीज़ बताती हैं कि बीते दशक में जो बेसिक सुविधाएं देशवासियों को मिली हैं, जिस तरह वो Empower हुए हैं, उसके कारण ही, सिर्फ 10 साल में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकलकर के आए हैं। इतना बड़ा वर्ग निओ-मिडिल क्लास का हिस्सा बन गया। ये निओ-मिडिल क्लास अब अपनी पहला टू-व्हीलर, अपनी पहली कार, अपना पहला घर खरीदने का सपना देख रहा है। मिडिल क्लास को सपोर्ट करने के लिए इस वर्ष के बजट में भी हमने ज़ीरो टैक्स की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख किया है। इस फैसले से पूरा मिडिल क्लास मजबूत होगा, देश में इकॉनॉमिक एक्टीविटी भी और बढ़ेगी। ये pro-active सरकार के साथ ही एक Sensitive सरकार की वजह से ही संभव हो पाया।

साथियों,

विकसित भारत की असली नींव विश्वास है, ट्रस्ट है। हर देशवासी, हर सरकार, हर बिजनेस लीडर में ये element होना बहुत ज़रूरी है। सरकार अपनी तरफ से देशवासियों में विश्वास बढ़ाने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रही है। हम इनोवेटर्स को भी एक ऐसे माहौल का विश्वास दे रहे हैं, जिस पर वो अपने ideas को incubate कर सकते हैं। हम बिजनेस को भी पॉलिसीज़ के स्टेबल और सपोर्टिव रहने का विश्वास दे रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ET की ये समिट, इस विश्वास को और मज़बूती देगी। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, एक बार फिर आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।