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गांधीनगर, शुक्रवारः मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार के योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेकसिंह आहलूवालिया के बीच आज गुजरात की वर्ष 2011-12 की वार्षिक योजना निर्धारित करने की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में गुजरात सरकार की प्रस्तावित मूल 37,152.68 करोड़ की वार्षिक योजना का कद बढ़ाते हुए योजना आयोग ने 38,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया है। इस प्रकार गत वर्ष राज्य की 30 हजार करोड़ की वार्षिक योजना के मुकाबले इस वर्ष 26.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों ने गुजरात के विकास, अर्थव्यवस्था के व्यवस्थापन, सफल व्यूह रचना, जीडीपी विकास और प्रति व्यक्ति आय सहित उपलब्धियों की सराहना करते हुए इस वर्ष वार्षिक योजना के कद में बढ़ोतरी की है। मुख्यमंत्री ने योजना आयोग के सदस्यों के सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि गुजरात 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए योजना आयोग द्वारा निर्धारित 11.2 प्रतिशत की विकास दर के लक्ष्य को पूर्ण करेगा। उन्होंने कहा कि गुजरात की इस वर्ष की वार्षिक योजना के कद में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, इसलिए राज्य सरकार इस वर्ष कई नई योजनाओं को लागू करेगी। इनमें से कुछ निम्नांकित हैंः आदिवासी क्षेत्रों में वैज्ञानिक पशुपालन विकास के लिए दुधारू पशु सुधार योजना के लिए इस साल योजना आयोग ने विशेष तौर पर 147 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। आदिवासी बालकों के लिए मॉडल डे स्कूल शुरू किए जाएंगे, जो वर्तमान आश्रम शाला की परंपरा से ऊपर उठकर नेक्स्ट जनरेशन आश्रम शाला का नया मॉडल उपलब्ध करवाएंगे। प्रत्येक मॉडल डे स्कूल में एक हजार जितने वनवासी बालकों को आसपास के वनवासी गांवों में लाने-ले जाने के लिए मिनी बस की सुविधा के साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। आदिवासी क्षेत्रों में कृषि विकास का व्यापक दायरा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रिप इरिगेशन की योजनाएं शुरू की जाएंगी। डांग और दाहोद सहित वनवासी क्षेत्रों में मॉडल रोड नेटवर्क और पेयजल आपूर्ति की विशेष योजनाएं लागू की जा सकेंगी। शहरी स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोजेक्ट में राज्य के 159 जितने म्यूनिसिपल शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणात्मक सार्वजनिक सेवाओं का अपग्रेडेशन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने योजना आयोग के समक्ष केन्द्र की यूपीए सरकार की भारतीय संविधान के फेडरल स्ट्रक्चर सिद्घांतों से विपरीत राज्यों की सत्ता-स्वायत्तता और निर्णय के अधिकारों की कटौती कर संविधान में अपेक्षित आर्थिक स्वतंत्रता छिन लेने की नीयत की कड़ी आलोचना की। श्री मोदी ने कहा कि केन्द्रीय कानून बनाकर उसके अमल की जिम्मेदारी और वित्तीय बोझ राज्यों पर थोप दिया जाता है। गुजरात के सन्दर्भ में इस मामले में श्री मोदी ने कहा कि सर्वशिक्षा अभियान का अमल गुजरात ने वर्ष 2003 से ही शुरू कर दिया था। नए 1.45 लाख शिक्षक तथा 19,000 जितने कक्षा के कमरे बढ़ाए गए हैं। जिन पर 16 हजार करोड़ रुपये का भारी खर्च किया गया है। इसके साथ ही राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत आगामी तीन वर्ष में नए 90 हजार शिक्षकों तथा 80 हजार कक्षा के कमरों की पूर्ति करने के लिए 9,000 करोड़ रुपयों का अतिरिक्त बोझ भी डाला गया है। इसके बावजूद भारत सरकार एकमात्र गुजरात के शिक्षकों का वेतन चुकाने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि, एक ओर हम जनभागीदारी को सामाजिक क्षेत्रों में प्रोत्साहित करते हैं तो दूसरी ओर गुजरात में सार्वजनिक-निजी भागीदारी से 90 प्रतिशत निजी शालाएं सरकार की ग्रांट लेती हैं। लेकिन इसके भारत सरकार राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत गुजरात को एक प्रतिशत केन्द्रीय सहायता बमुश्किल आवंटित करती है। श्री मोदी ने योजना आयोग का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि गुजरात ने समुद्र तट के बंदरगाह विकास का उत्तम आयोजन कर मेरिटाइम बोर्ड द्वारा एक ही दशक में देश में नोन मेजर पोर्ट का 73 प्रतिशत कार्गो हैण्डल किया है। आगामी दशक के लिए 1000 मिलियन टन कार्गो कैपेसिटी की योजना बनाई गई है, लेकिन भारत सरकार ने हाल ही में पोर्ट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का ड्राफ्ट बिल बनाकर वेबसाइट पर रख दिया, और गुजरात सरकार के साथ परामर्श करने की जरूरत तक नहीं समझी और रिमोट कंट्रोल से जीएमबी को निष्क्रिय बनाकर गुजरात के बंदरगाहों पर कब्जा करने की नीयत बनाई है। भारत सरकार की किसान विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कपास के निर्यात पर प्रतिबंध और नियंत्रण लगाकर केन्द्र ने गुजरात के किसानों को कंगाल कर दिया है। गुजरात के कपास उत्पादकों को 6,000 करोड़ रुपयों का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। गुजरात के किसानों को परेशान किया जा रहा है। राज्य में खरीफ मौसम के लिए डीएपी फर्टिलाइजर आवंटन में बुवाई की प्रक्रिया शुरू होने तक 1.91 लाख टन की आवश्यकता होने के बावजूद अब तक एक लाख टन फर्टिलाइजर ही गुजरात को मिला है। एक ओर गुजरात के कृषि विकास की सराहना होती है, तो दूसरी ओर केन्द्र सरकार गुजरात के किसानों की परेशानी बढ़ाती है। मुख्यमंत्री ने केन्द्र द्वारा गुजरात को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवंटित किए जाने वाले केरोसिन के कोटे में 33 प्रतिशत कटौती को गरीब विरोधी करार देते हुए कहा कि, केन्द्र सरकार गुजरात में ज्यादा गैस कनेक्शन होने का बहाना कर रही है, जो सरासर भ्रामक है। गुजरात को केजी बेसिन के बी-6 गैस क्षेत्र में से छोटे उद्योगों और घरेलू उपभोक्ताओं को गैस नहीं देने की केन्द्र सरकार की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि, दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में परिवहन के लिए सस्ती दर पर सीएनजी आवंटित की जाती है, जबकि अहमदाबाद सहित गुजरात को महंगी दरों पर सीएनजी और आयातित गैस खरीदने को मजबूर किया जाता है। श्री मोदी ने योजना आयोग के समक्ष गुजरात के आपणो तालुको-वाइब्रेंट तालुको (एटीवीटी) नवीनतम प्रोजेक्ट की भूमिका में कहा कि केन्द्र की यूपीए सरकार सत्ता अधिकारों का केन्द्रीकरण करना चाहती है, जबकि गुजरात सरकार प्रशासनिक व्यवस्था को निचले स्तर तक विकेन्द्रीत कर रही है। उन्होंने मिशन मंगलम योजना द्वारा नारी सशक्तिकरण और आर्थिक प्रवृत्ति में विशाल फलक खड़ा करने की दिशा में दो लाख सखी मंडलों के हाथ में 5,000 करोड़ रुपयों के कारोबार का प्रशासनिक संचालन दो वर्ष में सौंपने पहली बार गुजरात लाइवलीहुड प्रमोशन कंपनी लिमिटेड का गठन कर कार्पोरेट सेक्टर, गैर सरकारी संगठनों, राज्य सरकार और गरीब लाभार्थी को शामिल करते हुए आर्थिक प्रवृत्ति के जनशक्तिकरण का नया मॉडल देश को देने का संकल्प जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि, 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह आहलूवालिया के अध्ययन के अनुसार विशेष तौर पर जलव्यवस्थापन, शहरी विकास व्यवस्थापन और पर्यावरणलक्षी विकास के व्यवस्थापन और मानव विकास सूचकांक में ऊंचे मापदंड हासिल करने के लिए जो सुझाव दिए हैं, उस सम्बंध में गुजरात ने अनेक आयामों को पहले ही अपनाया है। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार समुद्र के पानी के डिसेलिनेशन प्लान्ट बड़े पैमाने पर औद्योगिक जल के उपयोग के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए स्थापित करना चाहती है। आवश्यकता पड़ने पर ऊर्जा उपयोग के ईंधन के लिए प्रोत्साहक नीति बनाकर उद्योगों को डिसेलिनेशन प्लान्ट के लिए योगदान देने की सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रेरित करना चाहती है। मुख्यमंत्री श्री मोदी ने गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा प्रोजेक्ट के कमांड एरिया में डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को भारत सरकार की एआईबीपी योजना के तहत 90 प्रतिशत ग्रांट की योजना में शामिल करने का अनुरोध करते हुए कहा कि योजना आयोग भी इसके लिए सहमत है, लेकिन केन्द्रीय वित्त मंत्रालय इस मामले में अनिर्णय की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि गुजरात में प्री मेट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के 2.25 लाख बालकों को शामिल कर लिया गया है। गुजरात सरकार आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गों तथा अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को स्कॉलरशिप देने में कोई भेदभाव नहीं करती, इतना ही नहीं, गुजरात में अल्पसंख्यकों की आबादी 9.6 प्रतिशत है। जबकि बालकों के नामांकन का प्रतिशत 8.5 प्रतिशत है। इसमें भी मदरसे में अध्ययनरत बालक शामिल नहीं हैं। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों ने गुजरात के विकास की क्षमता और अनेक क्षेत्रों में गुजरात द्वारा देश को नई दिशा दिखलाने के सामर्थ्य की सराहना करते हुए कहा कि मानवशक्ति विकास तथा मानव विकास सूचकांक के सामाजिक क्षेत्रों में गुजरात विशिष्ट शक्ति और उपलब्धियों की प्रतीति करवाएगा। इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री सौरभभाई पटेल, योजना राज्य मंत्री रणजीत गिलीटवाला, मुख्य सचिव ए.के. जोती और राज्य सरकार के वरिष्ठ सचिवों ने भाग लिया। |
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प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।