यह एक महत्वपूर्ण अवसर था जब टेम्स नदी के तट पर ग्रेट ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में परम पूजनीय संत भगवान बसवेश्वर की प्रतिमा का अनावरण किया। सामाजिक सुधार आंदोलनों की भारत की समृद्ध परंपरा के प्रतीक कर्नाटक के भगवान बसवेश्वर द्वारा 12वीं शताब्दी में सामाजिक चेतना और महिला सशक्तीकरण के मूल्यों को बनाए रखने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री ने उनकी सराहना की।
यह अतीत से बिल्कुल अलग था, जिसमें केवल एक परिवार के सदस्यों को प्रमुखता दी गई थी, जबकि अन्य नेशनल आइकन को दरकिनार कर दिया गया था और सिस्टेमिक तरीके से राष्ट्रीय चेतना से बाहर कर दिया गया था।
सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्षो से चली आ रही इस उपेक्षा को कम किया है और हमारे दिग्गजों की विरासत को आगे लाया है। यह किसी भी पार्टी, विचारधारा या परिवार पर ’इंडिया फर्स्ट’ रखने के सरकार के आदर्श के अनुरूप है। मोदी सरकार ने इसके लिए इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट सुनिश्चित किया है ताकि यह सरकार में बदलाव के साथ पलट न जाए।
भारत के संविधान के निर्माता डॉ बी आर अम्बेडकर:
डॉ बी.आर. अंबेडकर आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक थे। भारत के राजनीतिक चिंतन में उनका योगदान अद्वितीय रहा है। हालाँकि कांग्रेसी सरकारों द्वारा उनकी विरासत का सम्मान नहीं किया गया। ऐतिहासिक गलतियों को सुधारते हुए मोदी सरकार ने ऐतिहासिक महत्व के स्थानों के विकास का ऐतिहासिक निर्णय लिया, जो 'पंचतीर्थ' के रूप में डॉ अम्बेडकर के जीवन से निकटता से संबंधित थे।
• महू में उनका जन्मस्थान
• लंदन में वह स्थान है जहां इंग्लैंड में पढ़ने के दौरान रहते थे
• नागपुर में दीक्षा भूमि
• दिल्ली में महापरिनिर्वाण स्थल
• मुंबई में चैत्य भूमि
बाबासाहेब की विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रखने के लिए पूरी तरह से समर्पित संस्थाएं बनाने के लिए उठाए गए कई कदमों में से यह पहला था। अप्रैल 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग 2 एकड़ में फैले दिल्ली के महापरिनिर्वाण स्थल पर डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन किया। 19 नवंबर, 2015 को सरकार ने डॉ अंबेडकर के सम्मान में 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में घोषित किया।
नेताजी की विरासत को पुनर्जीवित करना
नेताजी के प्रसिद्ध नारे "तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा" हर भारतीय चेतना में अंतर्निहित है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा 'आजाद हिंद सरकार' के गठन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा फहराया। यह पूरे देश के लिए गौरव का क्षण था जब भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायक की विरासत को आखिरकार स्वतंत्रता के बाद से सम्मानित किया गया। आजाद हिंद फौज के चार सदस्यों ने 2019 में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया।
मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित अधिकांश गोपनीय फाइलों को गुप्त सूची से हटाकर नेताजी के परिवार की लंबे समय से लंबित मांग को भी पूरा किया। अपनी सितंबर 2014 की जापान यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने जापान में नेताजी के सबसे पुराने जीवित सहयोगी साइचिरो मिसुमी से मुलाकात की।
द मैन हू यूनाइटेड इंडिया: सरदार पटेल
भारत को एकीकृत करने वाले महान शख्सियत को एक शानदार श्रद्धांजलि के रूप में प्रधानमंत्री मोदी ने 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभ भाई पटेल को राष्ट्र की श्रद्धांजलि के रूप में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया। 600 फीट ऊंची प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इस प्रतिमा की नींव 2013 में रखी गई थी जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री थे। हालाँकि, कांग्रेस द्वारा उनके योगदान को इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया था। अंतत: उन्हें हमारी मातृभूमि के लिए उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हे उचित सम्मान दिया गया।
वीर सावरकर: द सन ऑफ सोइल
वह शख्स जो अपनी बहादुरी और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी उत्साही लड़ाई के लिए प्रसिद्ध था, कांग्रेस सरकारों द्वारा वीर सावरकर के साथ एक अछूत के रूप में व्यवहार किया गया। यह इस महान शख्स के साथ घोर अन्याय था। उन्होंने अपना युवावस्था अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सेल्युलर जेल में एक छोटी सी सेल में कठोर सजा में बिताया।
वह शख्स जो अपनी बहादुरी और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी उत्साही लड़ाई के लिए प्रसिद्ध था, कांग्रेस सरकारों द्वारा वीर सावरकर के साथ एक अछूत के रूप में व्यवहार किया गया। यह इस महान शख्स के साथ घोर अन्याय था। उन्होंने अपना युवावस्था अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सेल्युलर जेल में एक छोटी सी सेल में कठोर सजा में बिताया।
इसी तरह, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज, बिरसा मुंडा, दीनबंधु सर छोटू राम और कई अन्य महान हस्तियों की विरासत को पुनर्जीवित किया है। मोदी सरकार द्वारा भारतीय नायकों की स्मृतियों को याद करते हुए और संकीर्ण राजनीतिक धारणा से उनकी विरासत को मुक्त करके एक नया नैरेटिव तय किया गया है। इन महान हस्तियों ने राष्ट्र के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया। उनकी विरासत भारतीय विचार प्रक्रिया का बहुत सार है और इसलिए उनकी यादों के साथ अन्याय राष्ट्र की आत्मा के लिए अन्याय है।