गांधीनगर, मंगलवारः मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जलशक्ति को विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि गुजरात के विशाल समुद्री तट पर आर्थिक रूप से सक्षम और सौर ऊर्जा आधारित बड़े पैमाने पर डिसेलिनेशन वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट स्थापित किया जाएगा। समुद्र तट पर औद्योगिक प्रोजेक्ट की व्यापक क्षीतिजें आकार ले रही हैं, ऐसे में उद्योगों के लिए पानी का उपयोग करने के लिए खारे जल में से मीठा जल बनाने के लिए भी आर्थिक रूप से सक्षम प्लान्ट की स्थापना की जाएगी। इस सन्दर्भ में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए जल उपयोग की क्रांतिकारी नीति का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया।
विश्व जल दिवस के अवसर पर आज गांधीनगर के नजदीक स्थित पंडित दीनदयाल यूनिवर्सिटी में सरदार सरोवर नर्मदा निगम के तत्वावधान में सर्वग्राही विकास के लिए जल नियमन विषयक स्वर्णिम सेमीनार का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बरसाती पानी की बूंद-बूंद के सदुपयोग के लिए सार्वत्रिक लोक जागरण अनिवार्य है। जल की बचत विकास को ज्यादा सक्षम बनाएगी।
गुजरात सरकार ने जल संचय से जल सिंचन तक जल व्यवस्थापन में जनशक्ति को जोड़कर क्रांतिकारी उपलब्धियां हासिल की हैं। श्री मोदी ने कहा कि लाखों की संख्या में चेक डेम और खेत-तालाब के बरसाती पानी को रोकने के उपाय जनजागृति से हुए हैं। किसानों ने दो लाख एकड़ जमीन में टपक सिंचाई पद्घति अपनाकर कम पानी में ज्यादा उत्पादन हासिल किया है। उन्होंने बताया कि More crop per drop उक्ति को गुजरात ने चरितार्थ किया है। नर्मदा केनाल की पाइपलाइन द्वारा पीने लायक शुद्घ जल पहुंचाकर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में जल-जनित रोगों पर नियंत्रण स्थापित किया गया है। इतना ही नहीं, पीने के पानी के लिए पढ़ाई छोड़ देने वाली बालिकाओं और दिन भर पानी की चिंता करने वाली गृहिणियों को भी पानी की चिंता से मुक्त कर दिया गया है। दस वर्ष पहले चार हजार गांवों को टैंकर से पानी पहुंचाया जाता था, जबकि आज गुजरात टैंकर मुक्त राज्य बन चुका है।
श्री मोदी ने कहा कि गुजरात ने दस वर्ष में जल समस्या का विकास की जल शक्ति में परिवर्तन कर देश को सच्चा मार्ग दिखलाया है। भारत की अन्न उत्पादन की समस्या का निवारण करने और पानी की संकटरूपी कमी का निवारण करने में गुजरात का जनभागीदारी से जलव्यवस्थापन अनुकरणीय बना है। जल को प्राकृतिक पंच तत्वों के एक संसाधन के रूप में मानने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि, पुरातन भारतीय संस्कृति में अपने पूर्वजों ने पानी के सामर्थ्य और महत्व को जीवनशैली में बुन दिया था। बरसाती पानी के संग्रह और वृक्ष संवर्द्घन से प्राकृतिक पर्यावरण के लिए अपने पूर्वजों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले घरेलु उपाय आज भी उपलब्ध हैं।
नर्मदा योजना में पर्यावरण के मामले पर उठे विवाद के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने नदी के पानी को रोकने और बरसाती पानी को समुद्र में बह जाने से रोकने के लिए सरदार सरोवर योजना बनाई है। तब वृक्षारोपण के नाम पर इसका विरोध हुआ था। जल उपलब्ध होगा तो ही वृक्ष बचेंगे। राज्य में 1100 जितनी प्राचीन बावडि़यों का जीर्णोद्घार करके उन्हें जल-मंदिर के रूप में पुनर्जीवित करने में अनोखा जनसहयोग हासिल होने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात ने नर्मदा का पानी साबरमती की सूखी नदी सहित अनेक नदियों में बहाकर भूगर्भीय जलस्तर को ऊंचा उठाया है, और पानी खिंचने में उपयोग की जाने वाली बिजली की बचत की है। अहमदाबाद महानगरपालिका द्वारा वर्ष में 15 करोड़ रुपये की बिजली की बचत साबरमती में नर्मदा का पानी बहने से हुई है।
मुख्यमंत्री ने पानी के रिसायक्लिंग और वाटर ट्रीटमेंट पर बल देते हुए कहा कि, उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष भारत के 500 शहरों में एन्वायर्नमेंट क्लीन सिटी, प्रोजेक्ट जेएनएनयूआरएम के तहत शुरु कर इसमें सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट तथा वाटर ट्रीटमेंट मैनेजमेंट के दो पहलुओं को केंद्रित करके रेवेन्यू मॉडल का प्रस्ताव रखा था। जिसका स्वागत भी हुआ था, मगर इस वर्ष के केन्द्रीय बजट में अधकचरे के रूप में इसका उल्लेख हुआ है। जबकि गुजरात अपने स्वर्णिम जयंति वर्ष में राज्य के 50 शहरों में यह प्रोजेक्ट सर्वांगीण स्तर पर शुरु करने के लिए प्रतिबद्घ है।
गुजरात सरकार की इकाई सरदार निगम प्रायोजित एवं सर्वश्री आर.पार्थसारथी-पंडित रवीन्द्र ढोलकिया द्वारा संपादित सरदार सरोवर प्रोजेक्ट के तीन अभ्यास ग्रंथों का विमोचन मुख्यमंत्री ने किया। गुजरात सरकार के जल संपत्ति सलाहकार बी.एन. नवलावाला ने नर्मदा प्रोजेक्ट और कल्पसर प्रोजेक्ट के अमल की प्रतिबद्घता का श्रेय श्री मोदी को देते हुए कहा कि, गुजरात कोे जलशक्ति के क्षेत्र में स्वनिर्भर राज्य 2013 तक बनाने के संकल्प के साथ गुजरात सरकार ने समयबद्घ योजना बनाई है।
निगम के अध्यक्ष डी.राजगोपालन ने स्वागत भाषण में जलशक्ति सेमीनार के उद्देश्य प्रस्तुत किए। इस मौके पर मुख्य सचिव ए.के. जोती, निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री जगदीशन एवं जल संपत्ति क्षेत्र के विभिन्न विशेषज्ञ मौजूद थे।