"Shri Modi addresses Balam Sukham Mahila Sammelan in Dang District "
"Programme part of state level Republic Day Celebrations being held in Dang district "
"CM gives examples of Mission Mangalam and Mission Balam Sukham as concrete steps to enhance economic development among women and eradicate malnutrition "
"Shri Modi shares effort of the state Government to make women equal and active stakeholders in the decision making process and development journey of Gujarat"

डांगः ६४वें गणतंत्र दिवस का राज्यस्तरीय समारोह

आहवा में आदिवासी नारीशक्ति का साक्षात्कारः बलम् सुखम् महिला सम्मेलन आयोजित

माताएं १००० दिन तक बालक की बेहतरीन परवरिश का संकल्प करें- श्री मोदी

गुजरात की नारीशक्ति और मातृशक्ति को विकास की यात्रा में भागीदार बनाने की पहल

मिशन मंगलम् और मिशन बलम् सुखम् महिला सशक्तिकरण के अभियान हैं

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गणतंत्र पर्व के राज्य स्तरीय के कार्यक्रमों के तहत डांग जिले के आहवा में आज बलम् सुखम् महिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुजरात की नारीशक्ति और मातृशक्ति को समाजशक्ति बनाकर विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के मिशन बलम् सुखम् और मिशन मंगलम् के दो अभियानों द्वारा राज्य में कुपोषण का कलंक मिटाने और समाज की महिलाओं को आर्थिक प्रवृत्ति में सशक्त बनाने हेतु देश के लिए दिशादर्शक कदम उठाए हैं।

आहवा में आज समग्र डांग जिले में से आदिवासी महिलाशक्ति के साक्षात्कार का दर्शन करवाता महिला सम्मेलन आयोजित किया गया। डांग जिले में मिशन बलम् सुखम् प्रोजेक्ट के तहत कुपोषण निवारण का अभियान जनभागीदारी से शुरू किया गया है। इसके साथ ही मिशन मंगलम् योजना के तहत आदिवासी सखी मंडलों की महिला कार्यकर्ताओं को आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने के अनोखे प्रयास शुरू किए गए हैं। आज महिला सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने लाभार्थी महिलाओं को सरकारी योजना के लाभ, सहायता और साधन प्रदान किये।

आदिवासी महिला समाज में कुपोषण की समस्या में से निकलने के लिए आ रही जागृति और महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय बनाने के लिए राज्य सरकार के दो महत्वपूर्ण मिशन बलम् सुखम् तथा मिशन मंगलम् की भूमिका मुख्यमंत्री ने समझायी। उन्होंने कहा कि आदिवासी मातृशक्ति चाहे तो बालक के जन्म से लेकर उसके पालन-पोषण के लिए कुपोषण के खिलाफ जागृत हो और अंधविश्वास से दूर रहकर तंदुरुस्त बाल परवरिश की प्रेरणा दे सकती है।

आज भारत में कोई राज्य ऐसा नहीं है जहां बेटी को माता के गर्भ में ही मौत के घाट नहीं उतार दिया जाता। भ्रूण हत्या का पाप करने में पढ़े-लिखे समाज और शिक्षित परिवार भी पीछे नहीं हैं, ऐसे में बेटी बचाने के लिए, समाज का असंतुलन घटाने की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। सामाजिक संसार का चालक बल स्त्री-पुरुष की समानता है, परन्तु भौतिकवाद की विकृत मानसिकता के कारण बेटे के जन्म को ही महत्व देकर बेटी की भ्रूण हत्या की जाती है।

बकि डांग जिले में प्रति एक हजार बेटे के जन्म के समक्ष एक हजार सात बेटियों का जन्म होता है। यह ऐतिहासिक बेटी बचाने का पुण्य कार्य करके डांग जिले ने आदिवासी समाज को यह प्रेरक संदेश दिया है। बेटी बचाव अभियान के इस स्वयं-संस्कार के लिए आदिवासी मातृशक्ति को पूरा गुजरात वंदन करता है। श्री मोदी ने कहा कि वह स्वयं आदिवासी माताओं के समक्ष भिक्षुक बने थे और कन्या केळवणी की यात्रा में बेटी को पढ़ाने का वचन मांगा था, आज यहां बेटियां सौ प्रतिशत पढ़ने के लिए शाला में प्रवेश लेती हैं, इसके लिए श्री मोदी ने आदिवासी मातृशक्ति का ऋण स्वीकार किया।

वर्तमान समाज में ७५ प्रतिशत आबादी महिला और बालकों की है। जबकि ५० प्रतिशत जनसंख्या महिला जनशक्ति की है। इसको विकास में शामिल करने के लिए स्वतंत्र महिला एवं बाल कल्याण विकास विभाग शुरू किया गया है। महिलाओं को निर्णय और विकास में भागीदार बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।

गुजरात सरकार ने महिलाओं के नाम से संपत्ति रजिस्टर्ड कराने वाले को स्टैम्प ड्यूटी की फीस में से मुक्ति दी है। लाखों बहनें संपत्ति की मालकिन बनी हैं। सरकार की आवास योजना की मालिकी प्राथमिकता से लाभार्थी परिवार की महिला की रहे, ऐसी नीति अपनायी गई है। शाला में बालक के नामांकन में उसकी माता का नाम आवश्यक बनाया गया है। अनेक नये नियम और कदमों से गुजरात की मातृशक्ति-नारीशक्ति को समाजशक्ति में परिवर्तित किया गया है। माता-शिशु मृत्यु दर घटाने के लिए स्वास्थ्य की योजनाओं और कौशल्यवर्धन के प्रशिक्षण द्वारा कन्याओं-युवतियों के हुनर-कौशल्य के दायरे को बड़े पैमाने पर विकसित किया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि दो लाख सखी मंडलों की २५ लाख मातृशक्ति के हाथों में आर्थिक क्रांति के रूप में १६०० करोड़ रुपये का कारोबार सौंपा गया है, जो पांच हजार करोड़ रुपये तक पहुंचेगा। उन्होंने अनुरोध किया कि कुपोषण के खिलाफ जंग जीतने के लिए मातृशक्ति गर्भ से लेकर एक हजार दिन तक बालक की बेहतरीन परवरिश का संकल्प ले। इस मौके पर जिला पंचायत प्रमुख श्रीमती बीबीबेन चौधरी ने भी अपने विचार रखे। साथ ही महिला आर्थिक विकास निगम की चेयरपर्सन सीताबेन नायक ने महिला और बालकों के लिए कार्यक्रमों को दिशासूचक बतलाया है।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !