गांधीनगर, शुक्रवारः मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के सातवें कृषि महोत्सवः 2011 का प्रारंभ कराते हुए कहा कि वैज्ञानिक कृषि एवं पशुपालन के जरिए ग्रामविकास के लिए गुजरात के सामर्थ्य की पूरे देश में अनोखी पहचान स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि महोत्सव सर्वांगीण कृषि क्रांति का अभियान बन गया है।
साबरकांठा जिले के अकोदरा गांव में देश के पहले एनिमल हॉस्टल एवं कृषि महोत्सव का विराट किसान शक्ति की उमंग भरी मौजूदगी में उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एवं किसानों की तपस्या ने कृषि क्षेत्र में भी गुजरात को देश में प्रथम स्थान का गौरव दिलाया है।

अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर, खेत मुहूर्त की पूर्व तैयारी के रूप में समग्र गुजरात में लगातार एक महीने तक राज्य सरकार के एक लाख से ज्यादा कर्मयोगी एवं कृषि वैज्ञानिक कृषि महोत्सव के माध्यम से 225 तहसीलों में कृषि रथों के जरिए ग्रामविकास की क्रांति का अभियान शुरू करेंगे। उत्तर गुजरात के साबरकांठा, महेसाणा, बनासकांठा, पाटण और गांधीनगर जिलों के प्रादेशिक कृषि महोत्सव का शुक्रवार को हिम्मतनगर के निकट अकोदरा गांव से मुख्यमंत्री ने प्रारंभ कराया। इसके साथ ही गुजरात के 18 हजार गांवों में एक महीने तक चलने वाले कृषि महोत्सव का शुभारंभ हो गया।

तपती दोपहरी में कृषि महोत्सव में शिरकत करने पहुंची विराट किसान ग्रामशक्ति का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने खेती, पानी, जमीन, पशुपालन एवं किसानों की सभी छोटी-बड़ी समस्याओं की निराकरण इस महोत्सव के जरिए कर दिया है। यही वजह है कि किसानों के परिश्रम और सरकार की मेहनत ने अपना रंग दिखाया है। लिहाजा, गुजरात आज कृषि विकास के क्षेत्र में इतिहास में पहली बार सर्वोच्च पायदान पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि यह समय विश्राम लेने का नहीं है, कृषि आधारित समग्र ग्राम अर्थव्यवस्था को समृद्घि के मार्ग पर प्रशस्त कर गांवों को सुखी एवं सम्पन्न बनाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षय तृतीया यानी किसानों के लिए खेती की पूर्व तैयारियों का पर्व। लेकिन इस सरकार ने प्रशासनिक तंत्र की पूरी ताकत एक महीने तक किसानों की परिश्रमी शक्ति के साथ जोड़कर कृषि महोत्सव के द्वारा कृषि क्रांति का अभियान छेड़ा है। उन्होंने कहा कि गुमराह करने वाले लोगों से प्रभावित हुए बगैर गुजरात के किसानों ने जिस तरीके से सरकार के कृषि महोत्सव का स्वागत किया है, उससे गुजरात ने वैज्ञानिक कृषि एवं पशुपालन की समृद्घि का बीज बोया है।

स्वर्णिम जयंति वर्ष के बड़े पैमाने पर हुए उत्सवों के तुरंत बाद एक महीने के कृषि महोत्सव का अभियान शुरू होने पर उमड़े जनसैलाब का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि, जो मोदी की आलोचना करते हुए कहते हैं कि यह मोदी आराम करते नहीं और आराम करने देते नहीं-किसी को दो घड़ी फुरसत से बैठने नहीं देते- दरअसल वे सच कहते हैं। यदि आज गुजरात फुरसत से बैठेगा तो आने वाले कल के समृद्घ गुजरात के सपने कैसे सफल होंगे? उन्होंने कहा कि, ‘मैं किसी की आलोचना या खुशी-नाखुशी के बारे में सोचे बगैर गुजरात के किसानों के, गांवों के सुख के सपने साकार करने को एक क्षण भी गंवाना नहीं चाहता।'

कृषि रथ के स्वरूप में कृषि विकास की गंगा के गांव में आगमन पर उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे इसका लाभ उठाएं और खेती और गांव को समृद्घ बनाएं।

कृषि विकास एवं जलव्यवस्थापन के जरिए हुए क्रांतिकारी विकास की जानकारी देते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश में जहां भी औद्योगिक विकास हुआ है, वहां खेती के रकबे में कमी दर्ज की गई है। लेकिन गुजरात अकेला ऐसा राज्य है जहां उद्योगों ने तेज गति से विकास किया है, साथ ही साथ खेती के विस्तार में भी बढ़ोतरी हुई है और खेत उत्पादन भी बढ़ा है।

इस सन्दर्भ में आंकड़े पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि गुजरात में पिछले दस वर्षों में 13 लाख हेक्टेयर भूमि ऐसी थी जहां घास भी नहीं उगती थी, उस जमीन पर खेत बुवाई में बढ़ोतरी हुई है और नर्मदा का पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होने से यह विस्तार बढ़कर 20 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा एवं सुजलाम् सुफलाम् परियोजना के कारण खेत उत्पादन में वृद्घि हुई है। किसान साल में तीन बार फसल काट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने खेती तथा पेयजल के लिए जलव्यवस्थापन को अग्रिमता दी एवं गुजरात के विकास को नई दिशा प्रदान की। इस मौके पर श्री मोदी ने सिंचाई जल के इस्तेमाल के लिए किसानों से टपक सिंचाई पद्घति अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे जमीन एवं जल की बर्बादी रुकेगी और सॉइल हैल्थ कार्ड द्वारा जमीन एवं खेती में सुधार आएगा।

श्री मोदी ने कहा कि मौजूदा साल में गुजरात के सभी खातेदार किसानों को सॉइल हैल्थ कार्ड प्रदान कर दिया जाएगा साथ ही जमीन की जांच के लिए राज्य की विज्ञान विषय वाली स्कूलों की प्रयोगशालाओं का उपयोग किया जा सकेगा। इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने खेड़ब्रह्मा तहसील में 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रीप इरिगेशन की सुविधा प्रदान करने के खेतबाजार उत्पन्न समिति, खेड़ब्रह्मा के निर्णय की सराहना की।

मुख्यमंत्री ने किसानों को एग्रोटेक्नोलॉजी एवं वैल्यू एडिशन, खेत उत्पादनों के मूल्यवर्द्घित रूपांतरण के लाभों की रूपरेखा दी। उन्होंेने बताया कि कृषि क्षेत्र में वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में एग्रो बेज इंडस्ट्रीज एवं वैल्यू एडिशन के 37,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट शुरू होने वाले हैं।

श्री मोदी ने कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन कर प्रगतिशील किसानों, सखीमंडल की बहनों तथा किसानों की सफलगाथा को पुरस्कृत करने वाले सम्मानपत्र तथा किसान लाभार्थियों को कृषि-बागवानी-पशुपालन किट का प्रतीक वितरण किया एवं किसानरथ को प्रस्थान कराया।

कृषि मंत्री श्री दिलीपभाई संघाणी ने कृषि क्षेत्र में हासिल दस फीसदी से ज्यादा की विकासदर का उल्लेख करते हुए कहा कि कृषि महोत्सव जैसे बहुआयामी कदम उठाने के कारण गुजरात आज समग्र देश के लिए मॉडल बन चुका है।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रमणलाल वोरा, जिला प्रभारी एवं आदिजाति राज्य मंत्री जशवंतसिंह भाभोर, शिक्षा राज्य मंत्री जयसिंह चौहान ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस मौके पर सरदार पटेल कृषि अनुसंधान पुरस्कार योजना एवं आत्मा प्रोजेक्ट के तहत किसानों को शाल एवं सम्मानपत्र मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों के हाथों प्रदान किए गए। साथ ही दांतीवाड़ा कृषि यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार कृषि फसल संबंधित सीडी तथा जीजीआरसी की ओर से तैयार
पाणीदार परिणाम-टपक सिंचाई पद्घति पुस्तक का विमोचन श्री मोदी ने किया।

कार्यक्रम के अंत में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती हेमलताबेन पटेल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर जिले की विभिन्न संस्थाओं, संगठनों तथा दूध उत्पादक संघों एवं खेतीवाड़ी उत्पादन बाजार समितियों की ओर से मुख्यमंत्री की कन्या केळवणी निधि में कुल 28,68,612 रुपये के चेक अर्पित किए गए।

कार्यक्रम में कानून राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा, गृह राज्य मंत्री प्रफुलभाई पटेल, पशुपालन राज्य मंत्री पुरषोत्तमभाई सोलंकी, सांसद महेन्द्रसिंह चौहान, विधायक दिलीपसिंह परमार, उदेसिंह झाला, मुख्य सचिव ए.के. जोती, कृषि विभाग के प्रधान सचिव आर.के. त्रिपाठी, गुजरात गोपालक विकास बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. संजय देसाई, अन्य पदाधिकारी, जिला कलक्टर जयप्रकाश शिवहरे, अधिकारी तथा बड़ी तादाद में जनसमुदाय उपस्थित था।

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