प्रिय मित्रों,

२०१२ के गुजरात विधानसभा चुनावों का दूसरा और अंतिम चरण आज पूर्ण हो गया। हमारे यहां ऐतिहासिक प्रमाण में मतदान हुआ, जो बताता है कि अपने लोकतंत्र के प्रति आपमें अडिग श्रद्धा है और आपकी नजर में आपका वोट काफी कीमती है।इन चुनावों में भारी मतदान कर आप ने लोकतंत्र के इस सबसे पवित्र अधिकार का उपयोग करने के लिए भारत के लोगों को अमूल्य प्रेरणा दी है, जिसके लिए मैं आप सभी को अभिनंदन देता हूं। भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति आपने जो विश्वास दिखाया है वह अद्भुत है।

अब छह करोड़ जनता की मर्जी क्या है यह जानने को हम उत्सुक हैं, ऐसे में मैं भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का उनके द्वारा दिए गए निरंतर सहयोग के लिए आभार प्रकट करता हूं। गुजरात में भाजपा का कमल पहले से कहीं भव्य रूप से खिल उठे इसके लिए आपने अविरत मेहनत और रातों को जागकर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मित्रों, किसी भी चुनाव का गणित समझना हो तो बैठकों की संख्या, मतों का विभाजन, मार्जिन इत्यादि आंकड़ों की जानकारी हासिल करनी जरूरी है। लेकिन इन आंकड़ों और जानकारियों से ऊपर उठकर देखें तो २०१२ के गुजरात विधानसभा के चुनाव में हमें दो बातों की झलक दिखलाई पड़ती है। एक, भारत के लोगों की इच्छाशक्ति की प्रचंड ताकत।

दूसरी एक बात जो नजर आती है वह यह कि गुजरात का यह चुनाव भारत के लोगों के चुनावों के प्रति अभिगम को पूर्णतः बदलकर रख देगा, लोग चुनाव को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखना शुरू करेंगे। ऐसा माना जाता था कि यदि आप वोट बैंक की राजनीति करते हैं, जातिवादी समीकरण रचते हैं तो चुनाव में आपकी जीत पक्की! लेकिन गुजरात ने इस समीकरण को बदलकर रख दिया है। गुजरात ने दुनिया को दिखा दिया है कि चुनाव विकास के मुद्दों पर भी जीता जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, गुजरात ने एक ऐसे वातावरण का निर्माण कर दिया है कि अब किसी भी चुनाव में विकास के मुद्दे के सिवाय और कोई बात नहीं चलेगी।

गुजरात का विकास राज्य के सुशासन का ही प्रतिबिंब है। विकास और चुनाव एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं, और इस हकीकत को वास्तविकता में तब्दील करने में गुजरात ने बड़ा योगदान दिया है। गुजरात के चुनावों में इस बार जितना उत्साह नजर आया उतना मैने पहले कभी नहीं देखा। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक हर कोई चुनावों को लेकर उत्साहित था। फिर चाहे वह स्वतंत्र भारत के प्रत्येक चुनावों में मतदान करने वाले देडियापाड़ा के ११७ वर्षीय श्री कथुरिया दादा हों या जूनागढ़ की श्रीमती मणिबेन जादव हों, या फिर कलसारी की श्रीमती रामबेन रामाणी या श्रीमती ऊजीबेन काकड़िया हों, इन सभी शतायु बुजुर्गों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से कोई रोक नहीं सका। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने खून-पसीना बहाया है, बलिदान दिया है और इसके परिणामस्वरूप ही हमें मत देने का यह अधिकार हासिल हुआ है। आपने देखा होगा कि त्योहारों के वक्त पड़ोस के छोटे बच्चे शुभकामनाएं देने के लिए आपके घर दौड़े चले आते हैं। आप चाहे कितने ही थके हुए हों, जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे हुए हों, इन बच्चों का निर्दोष हास्य कुछ ऐसा होता है कि आप सब कुछ भूलकर त्योहार मनाने के मूड में आ जाते हैं। ऐसा ही नजारा उस वक्त दिखाई पड़ा जब स्कूल के कुछ बच्चों ने गुजरातियों को घर से बाहर निकलकर मताधिकार का प्रयोग  करने की अपील की। यह बच्चे अभी स्वयं तो वोट नहीं दे सकते थे, लेकिन लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व को लेकर उनमें जो उत्साह नजर आया उसे देखकर मुझे यकीन हो गया कि गुजरात का भविष्य उज्जवल है। इन बच्चों और उन शतायु बुजुर्गों के बीच यूं तो कई पीढ़ियों का अंतर है पर सच कहें तो यही लोग भारतीय लोकतंत्र और चुनावों के रोल मॉडल एवं समर्थक हैं।

सद्भावना मिशन और विवेकानंद युवा विकास यात्रा के जरिए मुझे पूरे गुजरात के असंख्य लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे समूचे कार्यकाल के दौरान मेरा यह प्रयास रहा कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलता रहूं। मैने गुजरात भर में घूमकर प्रचार भी किया। गुजरात के विकास के लिए हमने अब तक क्या किया और आगामी पांच वर्ष में हमारी अभिलाषा क्या करने की है, इस सन्दर्भ में मैं पहले ही लिख चुका हूं। मुझे यह कहते हुए गर्व की अनुभूति होती है कि लोगों तक पहुंचने के लिए थ्रीडी प्रोजेक्शन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाला गुजरात  समग्र दुनिया का प्रथम राज्य है। एक साथ विभिन्न स्थलों पर थ्रीडी टेक्नोलॉजी से संबोधन करना अपने आपमें ऐतिहासिक बात है। और मुझे खुशी है कि यह सब कुछ गुजरात की धरती पर हुआ। दाहोद में ११ पुलिसकर्मियों के मौत की दुर्भाग्यजनक घटना को छोड़ चुनाव प्रचार कुल मिलाकर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इस दुःखद घटना के प्रति मैं गहरा दुःख और सहानुभूति व्यक्त करता हूं। चुनावों का आयोजन कार्यक्षम और शांतिपूर्ण तरीके से करने के लिए मैं केन्द्रीय और राज्य चुनाव आयोग तथा अन्य सभी अधिकारियों को अभिनंदन देना चाहता हूं। अधिकतम मतदान के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास वास्तव में प्रशंसनीय हैं।

मित्रों, आपने चाहे जिसे वोट दिया हो, भारी मतदान कर आपने जो इतिहास रचा है इसके लिए मैं गौरव और आनंद की अनुभूति कर रहा हूं।  

जय जय गरवी गुजरात

आपका 

नरेन्द्र मोदी

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।