सैफुल हक की तरह ऐसे लाखों ऐसे लोगों को व्यक्तिगत रूप से भारत के प्रधानमंत्री ने ईमेल भेजा है। इस अनुभुति को सुमित अम्बे ने अपने शब्दों में कुछ इस तरह से वर्णित किया, ‘जब आपको इस तरह से ईमेल मिलें तो इस बात पर गर्व करें कि आपने अपने देश के नागरिकों के लिए कुछ अच्छा काम किया है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, धन्यवाद।’
तो ऐसा क्या हुआ? कौन सा ऐसा मुद्दा है जिस पर लोगों ने सरकार से बातचीत की और प्रधानमंत्री की ओर से सीधी प्रतिक्रिया प्राप्त की? आइये आपको 8 नवम्बर 2016 की ओर लेकर चलते हैं। ये वो दिन था जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की ओर से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों अवैध घोषित कर दिया था। लेकिन देश की जनता इस फैसले के बारे में क्या सोचती थी? क्या वे सरकार से सहमत थे या असहमत थे? क्या उन्होंने अपने विरोध या समर्थन के लिए किसी प्रकार के विचार या सुझाव साझा किये?
प्रधानमंत्री के फैसले को जमीनी हकीकत से दूर और गलत साबित करने के लिए बहुत प्रयास किये गए। लेकिन सच तो कुछ और ही था। विमुद्रीकरण के बाद पूरे भारत में संसदीय, विधानसभा और निकाय के चुनाव कराए गए। बीजेपी ने मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, महाराष्ट्र और ऐसे क्षेत्रों में भारी जीत दर्ज की जहां वह कभी मजबूत नहीं थी। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में बढ़े हुए वोट प्रतिशत के साथ बीजेपी दूसरे स्थान पर पहुंच गया।
सभी विपक्षी दलों का ‘भारत बंद’ का फैसला पूरी तरह से विफल रहा। न केवल प्रमुख विपक्षी दलों ने भारत बंद का विरोध किया बल्कि देश की जनता ने ही इसे सिरे से नकार दिया।
इसके बाद नरेंद्र मोदी ऐप पर कराए गए सर्वे में लोगों ने लाखों की संख्या में अपनी राय दी। यह सर्वे सहभागी शासन में दृढ़ विश्वास की भावना के साथ कराया गया था। इस सर्वे में लोगों से उनके विचार और सुझाव साझा करने का भी आग्रह किया गया था।
सर्वे से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलू:
- सर्वे का सैम्पल आकार 10.24 लाख था। भारत में ऐसा पहली बार था जब किसी पॉलिसी या राजनीतिक मुद्दे पर कराए गए सर्वे का सैम्पल साइज इतना बड़ा था।
- भारत के 687 जिलों में 684 जिलों से प्रतिक्रियाएं आईं। देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। व्यापकता और पैमाने के आधार पर यह बेहद चौंकाने वाली प्रतिक्रिया थी।
- इस सर्वे में कोई भी हिस्सा ले सकता है। इसमें शामिल होने के लिए कोई शर्त नहीं है। आप विमुद्रीकरण के फैसले के पक्ष में हैं? ठीक है, आप ऐप डाउनलोड करिए और अपनी राय दीजिए। आप विरोध करते हैं तो भी आप यही प्रक्रिया अपना सकते हैं।
- ऐप सर्वे की शुरुआत होने के बाद नरेंद्र मोदी ऐप एंड्रायड और आईफोन स्टोर के मोस्ट डाउनलोडेड सेगमेंट में ट्रेंड करने लगा। ऐप डाउनलोड में उछाल को प्ले स्टोर के आंकड़ों में सार्वजनिक तौर पर देखा जा सकता है, और जो प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं उनसे यह स्पष्ट है कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकांश लोगों ने सर्वे की घोषणा के बाद ऐप डाउनलोड किया था।
- सर्वे में इस्तेमाल किए गए डिजाइन काफी आकर्षक, टेक्नोलॉजी सैवी और बेहद गंभीर मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने के लिए था। उदाहरण के तौर पर, 500 और 1000 रुपये के विमुद्रीकरण के प्राथमिक सवाल पर उत्तरदाता अपनी प्रतिक्रिया एक व्हील के माध्यम से दे सकते हैं जिसमें पांच बिंदु वाला मानक है, और उस पर बहुत अच्छा से बहुत खराब तक की स्केलिंग की गई है। इससे उत्तरदाताओं को उनके इच्छानुसार उत्तर देने का विकल्प मिला।.
लोगों की प्रतिक्रियाओं को राज्य वार श्रेणीगत किया गया है। इसमें से कई ऐसे राज्य हैं जहां कभी भी बीजेपी का जन समर्थन नहीं रहा। हालांकि, इस पहल पर लोगों का समर्थन राष्ट्रीय औसत या उससे भी ज्यादा रहा, जैसा की नीचे के ग्राफिक्स में दिखाया गया है।
दो महत्वपूर्ण सवालों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जनता की प्रतिक्रियाओं को नीचे की टेबल में सूचीबद्ध किया गया है:.
लेकिन यह अंतिम नहीं है। सर्वे में आई सभी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया जा गया है, जिन्हें दो टिप्पणियों और सुझावों के आधार पर दो व्यापक श्रेणियों: सुझाव और मुद्दे के अंतर्गत संकलित किया गया है। इन्हें बाद में केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के पास भेजा जाएगा, जो नए नीति निर्माण के दौरान इन सुझावों को इस्तेमाल करेंगे और उनके जवाब भी देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर इनमें से कई सुझावों को पढ़ा। वे इतनी बड़ी संख्या में आए लोगों की प्रतिक्रियाओं से काफी खुश हैं, जिन्होंने न केवल इस फैसले के लिए उन्हें बधाई दी बल्कि कई रचनात्मक विचार भी साझा किये, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने सर्वे में भाग लेने वाले उत्तरदाताओं को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिक्रिया देने का निर्णय लिया। उनके स्पष्ट निर्देश थे, उन्होंने फैसला किया कि जिन लोगों ने इस निर्णय का समर्थन किया उन्हें भी और जिन्होंने इसके खिलाफ वोट किया उन्हें भी व्यक्तिगत तौर पर उत्तर देंगे।
फैसले का समर्थन करने वाले लोगों की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री ने लिखा...
अपनी राय और सूक्ष्य दृष्टि शक्ति का एक बड़ा स्रोत है। मेरे और सरकार के प्रति आपके भरोसे के लिए मैं आपका धन्यवाद देता हूं।
जो लोग फैसले के समर्थन में नहीं है उन लोगों को जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा...
आपने जो व्यावहारिक प्रतिक्रिया साझा ही है वह मेरे लिए महत्वपूर्ण है। यह हमें भारत की जनता की आकाक्षाओं और सपनों को पूरा करने की दिशा में और ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। आपने जो सुझाव दिये हैं इससे हमें सरकार की ओर से बड़े नोटों को बंद करने के लिए उठाए गए कदम को मजबूती से लागू करने में मदद मिलेगी।
सामान्यतः ऐसा नहीं होता है कि भारत के प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से आपको पत्र लिखें। वो भी तब जब आप उनसे असहमत हों, लेकिन यह वो बात है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे अलग करती है। वह प्रत्येक रचनात्मक सुझाव को महत्व देते हैं। खासकर, आलोचना को। यही वो बात है जो उन्हें समाज के हर उस वर्ग और क्षेत्र में लोकप्रिय बनाती है- जिन्होंने उनके लिए इंटरनेट पर वोट किया और जिन्होंने उन्हें और उनकी पार्टी को बैलेट बॉक्स में वोट दिया।