पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड की स्थापना के लिए 15,000 करोड़ रुपये
कुशीनगर हवाई अड्डे को ‘अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा’ घोषित किए जाने से इस इलाके में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी
म्यांमार में श्वे तेल और गैस परियोजना के विकास के लिए अतिरिक्त निवेश को मंजूरी से पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा सेतु को मजबूत करने में सहायता मिलेगी
  1. पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड की स्थापना

पृष्ठभूमिः

हाल ही में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के अनुरूप मंत्रिमंडल ने आज पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) की स्थापना के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दे दी है।

सरकार ने पूर्व में डेयरी प्रसंस्करण एवं बुनियादी ढांचागत विकास कोष (डीआईडीएफ) को डेयरी के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहकारी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। हालांकि, पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए एमएसएमई और निजी कंपनियों को बढ़ावा देने और इसमें उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है।

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) डेयरी एवं मीट प्रसंस्करण और पशु आहार संयंत्रों में बुनियादी ढांचे के निवेश को प्रोत्साहित करेगा। एएचआईडीएफ योजना के तहत योग्य लाभार्थी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, सेक्शन 8 कंपनियां, निजी कंपनियां और निजी उद्यमी होंगे जिन्हें 10 प्रतिशत की मार्जिन राशि का योगदान करना होगा। शेष 90 प्रतिशत की राशि अनुसूचित बैंक द्वारा कर्ज के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।

सरकार योग्य लाभार्थी को ब्याज पर 3 प्रतिशत की आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी। योग्य लाभार्थियों को मूल कर्ज के लिए दो वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा और कर्ज की पुनर्भुगतान अवधि 6 साल होगी। भारत सरकार 750 करोड़ रुपये के क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना भी करेगी जिसका प्रबंधन नाबार्ड करेगा। क्रेडिट गारंटी उन स्वीकृत परियोजनाओं के लिए दी जाएगी, जो एमएसएमई के तहत परिभाषित होंगी। कर्जदार की क्रेडिट सुविधा की 25 प्रतिशत तक गारंटी कवरेज दी जाएगी।

लाभः

पशुपालन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के जरिए निवेश से संभावनाओं के कई रास्ते खुलेंगे। एएचआईडीएफ निजी निवेशकों के लिए ब्याज में आर्थिक सहायता की योजना से इन परियोजनाओं के लिए जरूरी निवेश को पूरा करने में पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा और इससे निवेशकों को अपना रिटर्न बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। लाभार्थियों द्वारा प्रसंस्करण और मूल्य वर्धित बुनियादी ढांचे में निवेश से भी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

चूंकि भारत में डेयरी उत्पादों के अंतिम मूल्य की लगभग 50-60 प्रतिशत राशि किसानों के पास ही आती है। इसका मतलब इस क्षेत्र में वृद्धि का किसानों की आय पर अहम और सीधा असर पड़ सकता है। डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों को होने वाली आय का इसमें निजी व सहकारी क्षेत्र के विकास से सीधा और नजदीकी संबंध है। इस प्रकार, एएचआईडीएफ के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रोत्साहन से न सिर्फ कई गुना अधिक निजी निवेश का रास्ता खुलेगा, बल्कि यह किसानों को भी इसमें निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहित करेगा ताकि उनका उत्पादन बढ़ सके जिससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो। आज एएचआईडीएफ के रूप में कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग 35 लाख लोगों को आजीविका का साधन मिल सकेगा।

2. यूपी का कुशीनगर हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में घोषित

पृष्ठभूमिः

कुशीनगर एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहां गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इसे एक बहुत ही पवित्र बौद्ध तीर्थस्थल माना जाता है, जहां दुनिया भर से बौद्ध तीर्थयात्री तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। कुशीनगर आसपास के परिवेश में कई अन्य बौद्ध स्थलों जैसे श्रावस्ती (238 किमी), कपिलवस्तु (190 किमी) और लुम्बिनी (195 किमी) से जुड़ा है जो इसे अनुयायियों और आगंतुकों दोनों के लिए समान रूप से आर्कषण का केन्द्र बनाता है। कुशीनगर पहले से ही भारत और नेपाल में फैले बौद्ध सर्किट तीर्थयात्रा के लिए प्रतीक स्थल के रूप में कार्य करता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

लाभः

बौद्ध सर्किट दुनिया भर में 530 मिलियन सक्रिय बौद्धों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। इसलिए कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में घोषित किए जाने से हवाई यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी, प्रतिस्पर्धात्मक लागत पर सेवाओं का व्यापक विकल्प चुनने का मौका मिलेगा जिसके परिणामस्वरूप इलाके के घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

किसी भी दिन, थाईलैंड, कंबोडिया, जापान, बर्मा आदि से लगभग 200-300 श्रद्धालु कुशीनगर में आकर अपनी प्रार्थना करते हैं। हालांकि, इस अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल की कोई सीधी कनेक्टिविटी नहीं थी, जोकि आगंतुकों की लंबे समय से यह मांग रही है।

कुशीनगर से सीधी अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी से कुशीनगर आने वाले विदेशी और घरेलू पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि होगी, जो इलाके के आर्थिक विकास को भी गति प्रदान करेगा। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से देश में पहले से ही बढ़ रहे पर्यटन और आतिथ्य पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

3. म्यांमार में श्वे तेल एवं गैस परियोजना के आगे के विकास के लिए ओवीएल द्वारा अतिरिक्त निवेश को मंजूरी

पृष्ठभूमि

ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) दक्षिण कोरिया, भारत तथा म्यांमार की कंपनियों के एक संकाय के हिस्से के रूप में 2002 से ही म्यांमार में श्वे परियोजना के उत्खनन एवं विकास से जुड़ी हुई है। भारतीय पीएसयू गेल भी इस परियोजना में एक निवेशक है। ओवीएल ने 31 मार्च, 2019 तक इस परियोजना में 722 मिलियन डॉलर (औसत वार्षिक विनिमय दर के अनुसार लगभग 3949 करोड़ रुपये) का निवेश किया है। श्वे परियोजना से गैस की पहली प्राप्ति जुलाई 2013 में हुई तथा स्थिरांक उत्पादन दिसंबर 2014 में पहुंचा। परियोजना वित्त वर्ष 2014-15 से ही सकारात्मक नकदी प्रवाह सृजित कर रही है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने आज ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) द्वारा म्यांमार में श्वे तेल और गैस परियोजना के विकास के लिए 121.27 मिलियन डॉलर (लगभग 909 करोड़ रुपये; 1 यूएस डॉलर = 75 रुपये) के अतिरिक्त निवेश को मंजूरी दे दी है।

लाभः

पड़ोसी देशों में तेल एवं गैस उत्खनन तथा विकास परियोजनाओं में भारतीय पीएसयू की भागीदारी भारत की पूर्व की ओर देखो नीति के साथ जुड़ने तथा निकटतम पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा सेतुओं का विकास करने की भारत की कोशिशों का एक हिस्सा है।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.