पीएम मोदी ने अमरेली में एपीएमसी के नवनिर्मित बाजार यार्ड का उद्घाटन किया
ई-नाम से किसानों को लाभ मिल रहा है और बाजार तक उनकी पहुँच आसान बन रही है: प्रधानमंत्री
नीली क्रांति और मीठी क्रांति (स्वीट रिवॉल्यूशन) से सौराष्ट्र के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है: पीएम मोदी

 

बड़ी संख्या में उपस्थित भाइयों और बहनो 

केम छो, बधा ? 

मुझे लगता है कि आज मैदान छोटा पड़ रहा है | बाहर भी कहीं जगह नहीं है | आप को याद है कि यहां आखिरी बार किस प्रधानमंत्री ने मुलाकात की थी? नहीं..., नहीं...., कोई प्रधानमंत्री तो आये होंगे ? चलो, कोई बात नहीं | ये सब मेरे नसीब में ही लिखा है ! 

सबसे पहले मैं अमरेली जिला के सहकारी जगत की प्रशंसा करता हूं | और अब इस में नयी पीढ़ी मैदान में कूद पडी है | एक जमाना था | सहकारी जगत में रतुभाई और सभी महानुभाव सक्रिय थे | सहकारी और राजकीय – दोनों क्षेत्र इन महानुभावो के नियंत्रण में थे | लेकिन पिछले कुछ समय से नयी टीम अमरेली जिला को विकास की नई ऊंचाई पर अग्रसर कर रही है | मैंने अमरेली के एपीएमसी मार्केट की मुलाकात इससे पहले भी ली थी | लेकिन आज हमारे पीपी ने जो कमाल की है और जो मॉडल खड़ा किया है, वो सचमुच काबिलेदाद है | पीपी और उनकी टीम को बहुत बहुत बधाई | 

दिलीपभाई कर्मशील है | कार्य ही उनका जीवन है | वो काम के बिना रह नही सकते | कुछ न कुछ नया करना, कैसे करना ये सब सोचते रहते है | मुझे याद है कि गुजरात में हमारी पूर्व सरकारो ने ऐसे निर्णय लिये थे कि सौराष्ट्र में डेरी उद्योग का कभी विकास ही न हो | कभी आये ही नहीं | कैसी दुर्दशा ! हमने नीतिगत परिवर्तन किये | सबसे पहले दिलीपभाई ने तय किया कि इस स्थिति को बदलेंगे | और आज मुझे संतोष है कि उन्होंने वो काम कर दिखाया | आज पूरे अमरेली पंथक को लाभ हुआ | पूरे अमरेली पंथक के पशुपालको, किसानो, दूध उत्पादन के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष रुप से जुडे हुए लोगो को दूध के लिये उचित बाजार मिला | इतना ही नहीं, उनको दूध के बदले में पर्याप्त और उचित कीमत भी प्राप्त हुई | आज मुझे संतोष इस बात का है कि इतनी सफलता पर काम स्थगित न हुआ, पर एपीएमसी ने आधुनिक टैक्नौलोजी का इस्तमाल किया, सॉइल टेस्टिंग लैब का निर्माण किया, बाजार में आये माल के ग्रेडेशन के लिये लैब बनाई, और भारत सरकार ने जो ई-नाम योजना बनाई है, जिसमें किसान हिन्दुस्तान के कोई भी बाजार में जहां उसको सबसे ज्यादा दाम मिले वह खुदका माल बेच सके उसके लिए भारत सरकार ने एक डिज़िटल प्लेटफॉर्म बनाया है, उस डिज़िटल प्लेटफॉर्म के लिए ग्रेडेशन की लैब अनिवार्य होती है, और वह काम भाई पीपी ने कर दिखाया है। मै 100 प्रतिशत मानता हूँ कि गुजरात के अन्य एपीएमसी के लिए भी अमरेली ने नयी राह दिखाई है, नया मार्ग दिखाया है। मैं उन्हें अभिनन्दन देता हूँ और गुजरात में एपीएमसी की दुनिया में अमरेली सबसे पहला था। और आज छ दशकों के बाद फिर से... अमरेली आधुनिक टेक्नोलॉजी की दुनिया में नयी राह दिखानेवाला पहला बना है, उसके लिए अभिनन्दन के पात्र है। 

आज दो चीजो की तरफ मुझे आप का ध्यान आकर्षित करना है | 

एक तो आज यहां पर sweet revolution मधु क्रांति, यह मधु क्रांति का शुभारंभ हो रहा है और दूसरा गुजरात का 1600 किलोमीटर का समुद्री तट जो Blue revolution को लीड कर सकता है। हमारे मछुआरे भाई-बहन, हमारी सामुद्रिक संपदा वो एक नई क्रांति की मिसाल ले करके आगे बढ़ सकती है और यह दोनों चीजें गुजरात के ग्रामीण और समुद्री तट को एक नया आयाम देने का आरंभ इस योजनाओं से हो रहा है। भारत सरकार की कल्‍पना है कि जैसे white revolution हुआ, green revolution हुआ वैसे sweet revolution यानी मधु क्रांति की भी हमने तेज गति से प्रगति करनी चाहिए और अमरेली जिले ने.. मैंने आपसे करीब आपसे एक-आध साल पहले दिलीप भाई और सबके साथ बात की थी कि जब हम दूध लेने के लिए जाते हैं तो किसानों के यहां से दूध लाते हैं वैसे ही मधु भी collect कर सकते हैं। और अगर कोई अपने यहाँ 50 Bee लगा दे तो साल में कम से कम दो लाख रुपयों का मधु वो बेच सकता है, शहद बेच सकता है। यह अतिरिक्‍त income है और मधुमक्‍खी के होने के कारण खेत की पैदावर में भी बढ़ोत्‍तरी होती है, क्‍योंकि मधु एक प्रकार से पूरक व्‍यवस्‍था मधुमक्‍खी करती है। 

आज मुझे उसका शिलान्‍यास करने का अवसर मिला और दूसरा हिंदुस्‍तान के किसी भी कोने में जाइये तो शुभ काम के अंदर मिठाई खिलाते हैं, गुजरात अकेला है जो शुभ काम में आइसक्रीम खिलाता है और आज अमरेली डेयरी आइसक्रीम का भी प्‍लांट लगा रहा है। दोनों नई योजनाओं के लिए मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं और करीब चार सौ लाख रुपये इन दो योजनाओं के लिए भारत सरकार की तरफ से मिलेंगे, ताकि यह काम आगे बढ़े। 

मैं किसान भाईयों से आग्रह करूंगा कि मधु क्रांति, शहद, मधु मक्‍खी का पालन खेत में कोई अतिरिक्‍त मेहनत के बिना स्‍वाभाविक रूप से किया जा सकता है और स्‍वाभाविक रूप से हम उसकी अगर व्‍यवस्‍था करें, मार्केटिंग की तो बहुत बड़ी कमाई हो सकती है। और इतना ही नहीं मानो मार्केटिंग नहीं भी हुआ अरे घर में बच्‍चे खाएंगे तो भी शहद सेहत के लिए अच्‍छा होता है। और इसलिए एक मधु क्रांति के लिए पूरे गुजरात में जहां डेयरी का नेटवर्क है उसके साथ यह मधु क्रांति जोड़ करके नये revolution की ओर जाना है। 

भारत का समुद्री तट विशाल है, लेकिन गुजरात का समुद्री तट Blue revolution में बहुत बड़ा contribution करता है। हम water way की तरफ बढ रहे हैं। घोघा दहेज फेरी सर्विस की तरफ बढ़ रहे हैं। हम port development में काम कर रहे हैं, हम port led development में काम कर रहे हैं, हम सामुद्रिक तटीय रास्‍ते से अगर उधर आंध्र के अंदर विशाखा पट्टनम के अंदर सामान भेजना है, तो हमारे मोर्बी के टाइल समुद्री मार्ग से हम पूर्व में कलकत्‍ते तक कम से कम खर्चे से पहुंचा सकते हैं। यानी एक प्रकार से Blue revolution सामुद्रिक शक्ति की ओर बल देने की दिशा में सरकार काम कर रही है, जिसके कारण गुजरात के समुद्री तट पर रहने वाले लोगों की आजीविका में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा। गुजरात के समुद्री तट के जो नौजवान हैं उनको नेवी में जाने के लिए प्रोत्‍साहित करना, उनको train करना, उनको guide करना और उसके कारण हमारे समुद्री तट का जो नौजवान है वो भारत माता की सेवा के लिए नेवी में भी जाये, उसके प्रोत्‍साहन के लिए योजनाओं को भी आज भारत सरकार बल दे रही है। 


हमारे रूपाला जी मुझे बता रहे थे कि युवराज मेहता के जाने के बाद यहां एक भी कॉलेज में नई नहीं आई थी। यह सिर्फ हम लोग आए तो यह युवराज भाई मेहता के बाद यहां पर शिक्षा क्षेत्र में revolution का काम हुआ है। Broad gauge railway, National Highway अमरेली के लोगों ने आशा छोड़ दी थी कि कभी मौका आएगा कि नहीं आएगा। दिल्‍ली में आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया आपकी दोनों मांगे आज तेजी गति से आगे बढ़ रही है। 

भाईयो-बहनो, 2022 हमारी आज़ादी के 75 साल हो रहे हैं | अमरेली जिला आज़ादी के आंदोलन में आगे रहनेवाले ज़िलो में, अमरेली जिला रहा है और 2022, आज़ादी के 75 साल कैसे मनायें, आज़ादी के लिए लडाई लडनेवालों को कैसा भारत दें, उनके सपनों का भारत कैसे दें, मुझे लगता है कि यह जो समय है, अपना अमरेली ज़िला, अमरेली की नगरपालिकाएं, अमरेली ज़िले की तहसील पंचायत, अमरेली की ज़िला पंचायत, ग्राम-पंचायतें, सहकारी संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थाएं, सामाजिक संस्थाएं संकल्प करें कि 2022, पांच साल के अंदर हमारे द्वारा हम इतना करके, देश को हम इतना दे कर ही रहेंगे, यह संकल्प करें और पांच साल में रोज़ का कौनसा कार्यक्रम होगा, वह करके परिपूर्ण करें, संकल्प से सिद्धी की यात्रा हम परिपूर्ण करें | हमारा सपना है कि 2022 में हमारे देश के किसान की आय दुगनी हो जाये | 

भाईयो-बहनो, अगर योजनाबद्ध तरीके से हम आगे बढें, सुनिश्चितता से आगे बढें, तो हिन्दुस्तान के किसान में ताक़त है कि सरकार, समाज, किसान साथ मिलकर यह सिद्धी को प्राप्त कर सकें | पर उसके लिए परंपरागत जो पद्धतियां है उनसे हटकर आधुनिकता की ओर जाना पडेगा | नई चीजों का स्वीकार करना पडेगा | आज नर्मदा योजना परिपूर्ण हुई, वह गौरवपूर्ण दिन है गुजरात के जीवन का | अत्यंत गौरवपूर्ण दिन है यह, पर नर्मदा का पानी अगर टपक सिंचाई से उपयोग करने की आदत रखें, हमारी खेती का प्रकार टपक सिंचाई से जोडकर करें, तो सिर्फ हमारा ही नहीं, आनेवाले 100 साल तक हमारी पीढ़ियों का हम भला कर सकेंगे और इसलिए हमने नर्मदा के पानी का उस तरह से उपयोग करने का हमने सुनिश्चित किया है | गुजरात ने बडा कदम उठाया है | देश में टपक सिंचाई का जो काम चल रहा है, उसमें से 25 प्रतिशत सिर्फ गुजरातने करके दिखाया है वह गुजरात के किसान अभिनंदन के पात्र है | पर बात वहीं से नहीं अटकती | अभी भी बहुत कुछ करने का अवकाश है और उस दिशा में हम प्रयास करें | कृषि के साथ दूसरी दो चीज़े | अनेक किसान सोलर पम्प की दिशा में गये है | एक रूपया बिजली का बिल आयेगा ही नहीं | खुद के खेत में सोलर पेनल लगाना, उसी से पम्प चलाना, पानी उसी से निकालना, किसान का बिजली का बिल बच जाये और किसान को हज़ारो रूपये का खर्चा बच जायेगा | अनेक किसान बडे पैमाने पर अब सूर्यशक्ति से चलनेवाले पम्प की ओर बढ रहे है | टपक सिंचाई हो, सोलर पम्प हो, सूर्यशक्ति से चल सके ऐसी बिजली की व्यवस्था हो, आप ही मुझे बताइये कि खर्चा कम होगा या नहीं होगा ? आय बढेगी कि नहीं बढेगी ? और हमारी ज़मीन का सद उपयोग हो और इसलिए मेरी किसानो से विनती है कि इस दिशा में भी वह आगे आये | और सहकारी आंदोलन करने वाले मित्र इसमें भी आगे बढ सकें | सभी किसान इकट्ठा होकर खेत के करीब सोलर पेनल लगाकर, साथ मिलकर बिजली का उत्पादन करें और इसके कारण किसानो का जो प्रमुख खर्च है पानी और बिजली, उसमें से किसान बाहर आ जायेगा | आप सोचो कि किसान के जीवन में कितना बदलाव आयेगा और एक बात मै आग्रहपूर्वक कहूंगा कि हम बाहर की ओर तार लगाकर हमारी दो-तीन मीटर ज़मीन बरबाद करते हैं | वहां पर अगर हम टिम्बर की खेती करें, लकड़ी की खेती करें और ईमारती लकड़ी का उत्पादन करें तो भारत सरकार नया कानून लाने की दिशा में विचार कर रही है कि जो किसान अपने खेत के छोर पर इस तरह के इमारती लकड़ी का उत्पादन करेगा, उस खेत में वह बडे होकर उसको बेचने का हक उसको मिले , सरकार का जंगल खाता किसी भी प्रकार से उसे परेशान न करे और किसान की ताक़त बढें ऐसा कानून लाने की दिशा में यह सरकार काम कर रही है | ज़मीन जो बरबाद हो रही है और आज देश ईमारती लकड़ी विदेश से आयात करता है | हमारे देश का किसान चाहे तो ईमारती लकड़ी की खेती करके दुनिया में से लानेवाला लकडा बंध हो जाये तो किसान की आय बढेगी या नहीं बढेगी ? उसके साथ पशुपालन |

 
हमारे यहां दुनिया में प्रति पशु जितना दूध उत्पादन है, हमारे यहां बहुत कम है | उनका पालन जिस तरह से होना चाहिये, उनको बीमारियों से बचाने की व्यवस्था होनी चाहिये | जिस तरह का उसे घांस खिलाना चाहिये, वह हमारी पुरानी रीत के मुताबिक जो खायें वह खाये, उसके कारण हमारे पशु उनकी शक्ति के मुकाबले कम दूध दे रहे है| आज किसान क्या करता है ज़्यादा दूध उत्पादन करना हो तो दो के बजाये चार पशु करता है, चार के बदले आठ पशु पाले और उसके कारण खर्चा बढता जाता है | उसके बजाये दो पशु कैसे ज़्यादा दूध दें उसके तरफ ध्यान केन्द्रित करें तो किसान की आय बढ जायेगी और किसान के ऊपर का बोझ कम हो जायेगा और उसके कारण खास करके पशुपालन का काम हमारी बहने करती है उनकी उत्तम ट्रेनिंग हो उस दिशा में काम करने की दिशा में हम आगे बढ रहे है | 

एक प्रकार से किसान सुरक्षित बने, पहली बार देश मे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि बीमा योजना पहली बार ऐसी योजना आयी है कि कुदरत रुठ गई हो और फसल न मिली हो, तो भी बीमा की पैसे मिलें | पकने के बाद अगर खेत में माल पडा हो और अगर पंद्रह दिन में बारिश आये तो भी फसल के पैसे मिले इस प्रकार का फसल बीमा पहली बार हिन्दुस्तान में भारत सरकार लायी है | और एक रूपये में किसान को सिर्फ दो पैसे ही देने है | 98 पैसे की ज़िम्मेदारी केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर उठाती है, किसान को सिर्फ दो पैसे की ही ज़िम्मेदारी उठानी है | एक रूपये के सामने दो पैसा, इतना बडा काम दिल्ली में आपने किसानो को प्रेम करती सरकार बिठायी है, उसके कारण मुमकिन हुआ है | और आज किसान उसका लाभ भी ले रहा है | 

किसान फसल बीमा की ओर बढ रहे है | जिसको गलत करने की आदत होती है उसको टाईम लगेगा पर मुझे पता है कि उनको लगेगा कि गलत करने के बावजूद भी हमें फायदा मिल रहा है , अच्छी तरह से जी सकते है, तो गलत करनेवाले आदमी दूसरी ओर हो जायेगा और सही करनेवालों को भरपूर लाभ होगा ऐसी यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है | 

हमारे देश में कृषि तो होती है पर उसके बावजूद लाखों-करोडो के फ़ल-फ्रूट बर्बाद हो जाता है | हमने एक प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना बनाई है | यह प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत उत्पादित हुए माल का वेल्यू एडिशन, उसकी मूल्य वृद्धि, कच्चा आम बेचो तो कम रूपये मिलेंगे, पक्के आम बेचो तो ज़्यादा पैसे मिलेंगे यह मूल्य वृद्धि हुई | कच्चे आम का अचार बनाकर बेचो तो और पैसे मिलेंगे और अचार भी अच्छी तरह से पैक करके और एडवर्टाइज करके बेचो तो ज्यादा पैसे मिलेंगे यह उसकी मूल्य वृद्धि हुई | हरी मिर्च बेचो तो सस्ती मिलेंगी, लाल हो तो महंगी हो और पाउडर बनाओ तो और भाव बढेंगे | जैसे मूल्यवृद्धि होती है तो किसानो को लाभ होता है | दूध बेचे तो कम पैसे मिलेंगे, खोया बनाकर बेचो तो ज्यादा पैसे मिलेंगे उसमें भी पेढे बनाकर बेचो तो ओर ज़्यादा पैसे मिलेंगे | सरकार ने किसानो को मूल्यवृद्धि के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना बनाई है | बड़े पैमाने पर फूड पार्क बनाने की योजना बनाई है | इस नवम्बर महीने में पूरी दुनिया की कंपनियों को बुलाकर फूड प्रोसेसिंग के लिए किसान जो उत्पादन करते हैं उसके मूल्यवृद्धि के लिए दुनिया की कम्पनियां उनका हाथ पकडे, उनकी उंगलियाँ पकडकर आगे ले जाये और उसके लिए भारत सरकार हिन्दुस्तान के किसान आगे आये, उनको प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, जिसमें हज़ारो करोड का बजट देने का इस सरकार ने तय किया है | 

भाईयो-बहनो गुजरात का गांव समृद्ध बने, गुजरात का किसान समृद्ध बने, देश के किसानो को इस योजना का लाभ मिले, देश का किसान समृद्ध हो और देश के ग्रामीण जीवन में एक आर्थिक क्रांति का वातावरण करने की दिशा में अनेक कामों को लेकर आज जब भारत सरकार आगे बढ रही है तब अमरेली ज़िले ने सहकारी क्षेत्र के तहत श्वेत क्रांति, मधुक्रांति, ब्लु रिवोल्यूशन, एपीएमसी, डेरी इंजीनियरिंग अनेक प्रकल्पो को हाथ में जब लिया है तब भारत सरकार हमेशा आपके साथ रहेगी, आप आगे बढेंगे तो भारत सरकार को हमेशा आपके साथ देखोगे ऐसी इस भारत सरकार की नीति है और उसका लाभ हिन्दुस्तान का कोई भी ज़िला उठा सकता है | कोई भी सहकारी ज़िला उठा सकता है | अमरेली उसका भरपूर लाभ उठाये, गुजरात के ज़िले भरपूर लाभ उठाये, मेरी आप सभी को बहुत शुभकामनायें है | 



बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।