प्रधानमंत्री मोदी ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के साथ टाउनहॉल प्रश्नोत्तरी सत्र में भाग लिया
प्रधानमंत्री मोदी ने सिलिकॉन वैली में गूगल (अल्फाबेट) परिसर का दौरा किया
प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक विशेष भारत-अमेरिका स्टार्टअप कनेक्ट कार्यक्रम में भाग लिया
प्रधानमंत्री मोदी ने सैन जोस में एसएपी सेंटर में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया

फेसबुक

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कैलीफोर्निया में फेसबुक मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान प्रधानमंत्री और फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मॉर्क ज़ुकरबर्ग ने टॉउनहॉल में प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने विविध विषयों पर प्रश्नों के उत्तर दिये। उन्होंने भारत को 20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अपने सपने पर लोगों से बात की और इस विषय पर भी अपने विचार रखे कि भारत को लेकर विश्व को क्यों आशान्वित होना चाहिये। मार्क ज़ुकरबर्ग के इस वक्तव्य पर कि स्टीव जॉब्स ने उनको अपनी परिकल्पना को समझाने के लिये भारत में एक मंदिर जाने के लिये कहा था, इस पर टिप्पणी करते हुये प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह अध्यात्म और विज्ञान के बीच एक अनोखी कड़ी की तरह था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 15 महीनों में भारत के प्रति विश्व के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है।

क्या सोशल मीडिया और इंटरनेट सरकार चलाने और नागरिकों से जुड़ने का एक माध्यम बन सकता है, इसका उत्तर देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये सरकार को तुरंत ही अपने कामकाज के बारे में नागरिकों की प्रतिक्रिया मिल जाती है। प्रधानमंत्री ने चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वेबो के उनके प्रयोग के अनुभव के साथ इस बात को भी साझा किया कि कैसे उन्होंने इज़रायल के लोगों को हानुक्काह के अवसर पर ट्विटर के जरिये हिब्रू में बधाई दी और कैसे इज़रायल के प्रधानमंत्री श्री बेंजामिन नेतान्याहू ने हिंदी में इसका उत्तर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनय के क्षेत्र में यह एक नया आयाम था।

अपने माता पिता के बारे में, विशेष कर अपनी मां के बारे में बताते हुए कि उन्होंने कितने संघर्ष के साथ बच्चों का लालन-पालन किया, का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री कई बार भावुक भी हो उठे। उन्होंने कहा कि संघर्ष की यह गाथा केवल उनकी मां की ही नहीं है बल्कि भारत की अनेकानेक माताओं की भी है। उन्होंने सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को मौका देने के अपने संकल्प पर भी चर्चा की।

गूगल

प्रधानमंत्री ने गूगल के मुख्यालय का दौरा किया जहां पर गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुंदर पिचाई ने उनका स्वागत किया। यहां पर प्रधानमंत्री को गूगल के आविष्कारों और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गयी। इस दौरान श्री एरिक श्मिड्ट और श्री लैरी पेज भी उपस्थित थे। गूगल के स्ट्रीट व्यू के प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री ने गूगल अर्थ पर खगौल की ठीक स्थिति जाननी चाही। पटना के निकट खगौल में ही प्राचीनकाल के महान अंतरिक्ष विज्ञानी आर्यभट्ट की वेधशाला थी।

स्टॉर्ट अप कनेक्ट

प्रधानमंत्री ने स्टॉर्ट अप कनेक्ट आयोजन को भी संबोधित किया जो कि भारतीय उद्यमियों के लिये अपने आविष्कारों को दिखाने का एक मंच है।

प्रधानमंत्री ने भारत में स्टॉर्ट अप्स के बारे में अपनी परिकल्पना लोगों के सामने रखी।

"तकनीक का संगम, विविध क्षेत्रों में उसका संयोजन, विभाजित संरचना और एक नये विचार को समर्थन देने की भावना ने नव उद्यम का नया संसार खोल दिया है। इस परिघटना का जन्म सिलिकॉन घाटी में हुआ था। पूरी दुनिया में कोई अन्य समुदाय हमारे विश्व को ऐसे नहीं बदल रहा है जैसे कि कैलीफोर्निया में मौजूद लोग। केवल बड़ी कंपनियां ही नहीं, बल्कि छोटी कंपनियां भी प्रतिदिन नये आविष्कार कर रही हैं जिससे मानव जीवन को एक कलाकार और रचयिता के आनंद से समृद्ध किया जा सके। यह अमेरिकी सफलता को दिखाता है और विश्व के लिये प्रेरणादायक है। इसलिये स्टॉर्ट अप्स, तकनीक और आविष्कार को मैं एक रोमांचकारी, युवाओं को रोजगार मुहैया कराने और भारत की तस्वीर बदल देने वाले एक साधन के तौर पर देखता हूं। हम एक ऐसा देश हैं जो 35 वर्ष से कम आयु के 80 करोड़ युवाओं का घर है। ये युवा बदलाव के इच्छुक है, इनमें वो ऊर्जा, शक्ति और आत्म विश्वास है कि वे इसे पूरा कर सकें। जब भारत के 500 शहरों में से हर एक 10 नये स्टॉर्ट अप्स और 6 लाख गांवों में से हर एक 6 नये लघु व्यापार का नियमित तौर पर सृजन करेगा तो इससे एक विशाल आर्थिक तंत्र की रचना होगी और बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन किया जा सकेगा। भारत का स्टॉर्ट अप का अपना तंत्र बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। भारत के युवाओं की ऊर्जा, उद्यमिता और आविष्कारों से इसका निर्माण हो रहा है।"

प्रधानमंत्री ने भारत (BHARAT) कोष को भी जनता को सौंपा जिसका अभिप्राय है - बेहतर स्वास्थ्य, कृषि, अक्षय ऊर्जा और तकनीक। इस अवसर पर 7 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये गये।

Unbelievable vibrancy & enthusiasm at India-US start-up Konnect. Start-ups are natural engines of growth & are key to...

Posted by Narendra Modi on Sunday, September 27, 2015

अक्षय ऊर्जा पर गोलमेज सम्मेलन

रधानमंत्री ने अमेरिका के ऊर्जा विभाग के सचिव श्री अर्नेस्ट मोनिज़ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अक्षय ऊर्जा पर एक सम्मेलन की अध्यक्षता की।

इस गोलमेज सम्मेलन में अमेरिका के ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अर्नेस्ट मोनिज के साथ-साथ विभाग के पूर्व सचिव प्रोफेसर स्टीवन चू भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में कई अग्रणी सीईओ और निवेशक भी मौजूद थे। जिनमें सन एडिसन के सीईओ अहमद चाटिला, सॉफ्टबैंक के अध्यक्ष और सीओओ निकेश अरोड़ा, ब्लूम एनर्जी के सीईओ के. आर. श्रीधर, सोलाजॉइम के सीईओ जोनाथन वोल्फसन, वेंचर कैपिटलिस्ट जॉन डोयर और डीबीएल पॉर्टनर्स के एरा एहरेनप्रेस शामिल थे।

इनके साथ स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुण मजूमदार, प्रोफेसर रोजर नोल, डॉ. अंजनी कोचर और प्रोफेसर सैली बेनसन भी गोलमेज सम्मेलन में उपस्थित थे।

इस गोलमेज सम्मेलन में इस बात पर स्पष्ट सहमति थी कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व की राजधानी बनने की ओर अग्रसर है।

सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि विद्युत के भण्डारण के सस्ता होने के साथ स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा बहुत शीघ्र ही ऊर्जा के सस्ते स्रोत के रूप में उभरेगा। भागीदारों ने कहा कि भारत के राज्यों और शहरों को स्वच्छ ऊर्जा के कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर मिलना चाहिये। इस बात पर भी चर्चा हुई की भारत की मौजूदा ग्रिड प्रणाली 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के पारेषण के लिये डिजाइन नहीं की गयी है जैसा कि भारत का लक्ष्य है इसलिये इस दिशा में भी आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिये। नवीकरणीय ऊर्जा के जरिये 175 गीगावाट विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिये निजी निवेश के महत्व पर भी चर्चा हुई, साथ ही इस बात का भी उदाहरण दिया गया कि कैसे इज़रायल ने निजी निवेश का प्रयोग कर जल भण्डारण की समस्या का समाधान किया।

प्रधानमंत्री ने वक्ताओं को उनके विचारों के लिये धन्यवाद दिया और अक्षय ऊर्जा के जरिये 175 गीगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के भारत के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनायें हैं उदाहरण के तौर पर रेलवे के जरिये ऐसा किया जा सकता है जहां शत प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। उन्होंने कहा कि सरकार नियमन से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और विद्युत वितरण कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर भी काम कर रही है।

श्री मोदी ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत द्वारा पहले ही की जा चुकी पहल के बारे में भी जानकारी दी जैसे कि कोच्चि एयरपोर्ट को सौर ऊर्जा के जरिये विद्युत आपूर्ति और गुजरात में एक नहर के ऊपर सौर ऊर्जा पैनलों की स्थापना। उन्होंने कहा कि अगले महीने की शुरुआत में झारखण्ड के आदिवासी इलाके में एक न्यायालय पूरी तरह से सौर ऊर्जा से ही अपनी ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयले का गैसीकरण शोध का एक अहम क्षेत्र है। अगले एक दशक में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति होने के विचार पर प्रधानमंत्री ने अपना विश्वास प्रकट किया।

स्टॉर्ट अप कनेक्ट

एसएपी (SAP) के परिसर में प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी का आधार लोकतंत्र और नये आविष्कार हैं। उन्होंने पिछले 15 महीनों में अपनी सरकार के कामकाज पर भी विस्‍तृत चर्चा की। सिलिकान वैली में मौजूद भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को बधाई देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी उपलब्धियों से विश्व में भारत की छवि बेहतर हुई है।

A memorable programme in San Jose. Gratitude to all those who joined. https://pmindia.gov.in/en/news_updates/text-of-pms-address-to-the-indian-community-at-sap-centre-san-jose/?comment=disable

Posted by Narendra Modi on Monday, September 28, 2015

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.