केन्द्रीय योजना आयोग ने की गुजरात की वार्षिक योजना के कद में बढ़ोतरी
राज्य सरकार की मूल ५८५०० करोड़ की योजना में ५०० करोड़ की बढ़ोतरी के साथ योजना का कद ५९ हजार करोड़ तय किया गया
सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में सर्वाधिक ४२ फीसदी आवंटन
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं भारत सरकार के योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बीच आज नई दिल्ली में केन्द्रीय योजना आयोग की बैठक में गुजरात की वर्ष २०१३-१४ की योजना का कद ५९ हजार करोड़ रुपये तय किया गया।गुजरात सरकार ने योजना का कद ५८,५०० करोड़ रुपये तय कर केन्द्रीय योजना आयोग के समक्ष प्रस्ताव रखा था। गुजरात सरकार और केन्द्रीय योजना आयोग के बीच आज आयोजित बैठक में हुई चर्चा के अंत में वार्षिक योजना का कद ५०० करोड़ रुपये बढ़ाकर ५९ हजार करोड़ रुपये तय किया गया है, जो राज्य सरकार की सुदृढ़ वित्तीय स्थिति एवं वायब्रेंट विकास की गतिशीलता का परिचायक है।
योजना आयोग के साथ बैठक संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात की विकासयात्रा सुनिश्चित आयोजन के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है। राज्य की प्रस्तावित योजना के कद में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती रही है और गुजरात राष्ट्रीय विकास में बड़ा योगदान देने में अग्रसर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात सरकार ने मानव विकास सूचकांक को ऊंचा ले जाने के लिए विशेष तौर पर ध्यान केन्द्रित किया है। इस उद्देश्य के साथ गुजरात की योजना में सामाजिक सेवाओं के क्षेत्रों में कुल मिलाकर ४२ फीसदी का सर्वाधिक आवंटन किया गया है, जो २४,५८६ करोड़ रुपये जितना होता है।
राज्य सरकार गरीब, पीड़ित, शोषित और वंचित जनसमुदायों के विकास और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए खास तौर पर प्रयास कर रही है।
बैठक में चर्चा के दौरान इस बात का जिक्र हुआ कि भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में गुजरात ने जो ख्याति अर्जित की है उसके तहत पिछले एक दशक में वर्ष २००२ से २०१२ के दौरान १०.२४ फीसदी की औसत विकास दर हासिल कर गुजरात ने विकास के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भरी है, जो भारत के अन्य बड़े राज्यों की तुलना में एक अनन्य उपलब्धि कही जा सकती है। इतना ही नहीं, प्रति व्यक्ति आय के क्षेत्र में भी वर्तमान कीमतों के आधार पर वर्ष २०१०-११ की अनुमानित ७८,८०२ रुपये के मुकाबले वर्ष २०११-१२ में १३.०८ फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ८९,६६८ रुपये प्रति व्यक्ति आय दर्ज हुई। अनेक चुनौतियों के बावजूद गुजरात में कृषि विकास दर वर्ष २००१-०२ से २०११-१२ के दशक दौरान ११.११ फीसदी जितनी ऊंची रही है।गुजरात सरकार की विकास व्यूहरचना को मानव विकास सूचकांक के सुधारों पर ध्यान केन्द्रित कर बनाया गया है। विकास एवं मानव विकास दोनों समानान्तर रूप से वृद्धि करें, इसके लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता इस विकास व्यूह में झलकती है। गुजरात की वार्षिक योजना में सामाजिक सेवा के क्षेत्रों के लिए २४,५६८ करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव रखा गया है, जो योजना के ४२ फीसदी से भी ज्यादा है। सामाजिक सेवाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, पिछड़े वर्गों के लिए आवास निर्माण एवं समाज कल्याण के साथ ही महिला एवं बच्चों के सशक्तिकरण का समावेश किया गया है।
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मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयोग के उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ आयोजित इस बैठक में विकास को जनजीवन के साथ जोड़ने के लिए गुजरात ने जो नये अभिनव आयाम एवं टेक्नोलॉजी ड्रिवन इनिशियेटिव अपनाए हैं उसकी भूमिका पेश की। उन्होंने कहा कि आयोजित विकास के समझदारी से तथा संबंधित क्षेत्रों में तेज एवं संकलित विकास व्यूह के क्रियान्वयन के लिए गुजरात सरकार प्रतिबद्ध है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार मानव विकास सूचकांक और सर्वसमावेशक विकास, सुशासन, युवा सशक्तिकरण और महिलाओं की शासन में भागीदारी को बहुधा प्रोत्साहित करती है।उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष २०१३-१४ की इस योजना में प्रस्तावित ३,८५० करोड़ रुपये की राशि पिछले वर्ष इस क्षेत्र में आवंटित रकम के मुकाबले ४२.५९ फीसदी जितनी अभूतपूर्व बढो़तरी को दर्शाती है। राज्य सरकार के कन्या केळवणी (शिक्षा) एवं शाला प्रवेशोत्सव जैसे नवोन्मेषी आयामों के जरिए पिछले एक दशक में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जो उत्साहप्रेरक माहौल सृजित हुआ है, उसके परिणामस्वरूप स्कूलों में नामांकन वृद्धि एवं प्राथमिक शिक्षा में ड्रॉप आउट की दर २.०६ फीसदी तक ले जाने में गुजरात ने सफलता हासिल की है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य सरकार के सर्वसमावेशक एवं हॉलिस्टिक हैल्थ केयर कार्यक्रम के व्यापक फलक में राज्य के १८,६०० गांवों के डेढ़ करोड़ बच्चों का समावेश किया गया है। इस वर्ष की योजना में स्वास्थ्य कल्याण के क्षेत्र में २५ फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ३,८०० करोड़ रुपये सुनिश्चित किये गए हैं। माता मृत्यु दर एवं बाल मृत्यु दर में पिछले पांच वर्ष के दौरान उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। संस्थागत प्रसूति की सुविधा के फलस्वरूप माता मृत्यु दर में भी सुधार स्पष्ट नजर आ रहा है जो पूर्व के ९५ प्रति हजार की तुलना में घटकर ५८ तक जा पहुंचा है।लिंगानुपात के सन्दर्भ में समग्र भारत में वर्ष १९९१-२००१ और २००१-२०११ की जनगणना के मुताबिक स्त्री जन्म दर ९४५ से घटकर ९१४ तक पहुंची है। लेकिन गुजरात में स्थिति इसके उलट नजर आती है। वर्ष २००१ से २०११ के दशक के दौरान इसमें वृद्धि के साथ स्त्री जन्म दर ८८३ से ८९० पर पहुंच गई है। गुजरात सरकार ने बेटी बचाओ अभियान तथा ई-ममता, चिरंजीवी योजना, सिकलसेल प्रोग्राम जैसे स्वास्थ्य अभियानों को जनशक्ति के सहयोग से जो गति दी है वह गुजरात में स्त्री जन्म दर में हुई वृद्धि की बुनियाद साबित हुई है।
गुजरात में कौशल निर्माण और कौशल वर्द्धन के लिए नये परिणामकारी अभिगम के तहत जो आयोजन किये गए हैं उस सन्दर्भ में राज्य में पिछले दो वर्षों में तकरीबन ३३५ कौशल्य वर्द्धन केन्द्र शुरू कर ८ लाख तालीमार्थियों को कौशल्य वर्द्धन एवं स्किल अपग्रेडेशन का लाभ दिया गया है। इतना ही नहीं, इन ८ लाख प्रशिक्षणार्थियों में से ५९ फीसदी तो बहनें हैं। एम्पावर योजना के जरिए कंप्यूटर एवं इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी का दायरा तहसील स्तर तक पहुंचाकर अल्पकाल में ही ३.३२ लाख व्यक्तियों को इस ज्ञान से संवर्द्धित किया गया है और अब दो लाख और भी प्रशिक्षणार्थियों को इस फलक में शामिल करने की योजना है। गुजरात में लगातार रोजगार के नये अवसर प्रदान किये जाते हैं।
औसतन ११ फीसदी से भी ज्यादा रोजगार के अवसर गुजरात ने प्रदान किये हैं इसके लिए योजना में ८४१ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।गुजरात की कुल आबादी का ४२ फीसदी शहरों एवं नगरों में निवास करता है और गुजरात देश के बड़े राज्यों में सर्वाधिक शहरीकरण वाला राज्य है। ऐसे में, स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के तहत बारहवीं पंचवर्षीय योजना में १५,००० करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। वर्ष २०१३-१४ की वार्षिक योजना में शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित कर ६,६५० करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सुविधा शहरों की और आत्मा गांव की, ऐसे रूर्बन कॉन्सेप्ट के साथ गुजरात ने जो सुविधाएं बड़े गांवों में मुहैया करायी है, उसकी वजह से गांव से शहरों की ओर स्थानांतरण को काफी हद तक रोका जा सकता है।
गुजरात में शहरी एवं ग्रामीण गरीबों को आवास सुविधा प्रदान करने के कार्य को अभियान के तौर पर शुरू कर इंदिरा आवास योजना से आगे बढ़कर ग्रामीण इलाकों के १७ से २० स्कोर में समावेशित बीपीएल परिवारों को मकान सहायता प्रदान की गई है। और अब वर्ष २०१३-१४ में ४,४०० करोड़ रुपये के आयोजन के साथ मुख्यमंत्री आवास समृद्धि योजना शुरू कर गरीब एवं निम्न मध्यम वर्ग के ग्रामीण एवं शहरी लोगों को अफोर्डेबल हाउसिंग प्रदान करने को राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
गुजरात में ११,२३५ गांव एवं १३१ नगरों के ३.८५ करोड़ लोगों का समावेश करते हुए राज्यव्यापी गैस ग्रिड का निर्माण किया गया है। इस क्षेत्र के लिए २,७०० करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
उद्योग क्षेत्र में अग्रणी गुजरात राज्य ५०,००० हेक्टेयर से भी ज्यादा इलाके में धोलेरा एसआईआर का निर्माण करने जा रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक इलाका होगा।
योजना आयोग ने १,२८,५०० करोड़ रुपये की ११वीं पंचवर्षीय योजना के मुकाबले १२वीं पंचवर्षीय योजना का कद २,८३,६२३ करोड़ रुपये रखने की सिफारिश की है।
बैठक के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री ने केन्द्र के विभिन्न मंत्रालयों के समक्ष लंबित गुजरात के विभिन्न मुद्दों को भी उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से लगातार इस सन्दर्भ में आवाज उठाने के बावजूद केन्द्र सरकार इसका कोई जवाब नहीं देती, नतीजतन राज्य का विकास प्रभावित हो रहा है। लंबित मांगों पर निर्णय लेने के केन्द्र सरकार के अभिगम के चलते आम आदमी पर वित्तीय बोझ बढ़ने की भूमिका भी उन्होंने प्रस्तुत की। इसके अलावा उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने के सन्दर्भ में भी ध्यान आकृष्ट किया।
बैठक में गुजरात के मंत्री नितिनभाई पटेल, सौरभभाई पटेल और मुख्य सचिव वरेश सिन्हा सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।