कृषि मंत्री शरद पवार के नेतृत्व में गुजरात पहुंची भारत सरकार की समिति ने की गुजरात में अकाल की स्थिति की समीक्षा

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गुजरात सरकार की केन्द्रीय सहायता के लिए असरदार मांग

खेतीबाड़ी, पेयजल, घासचारे, रोजगार सहित अकाल राहत के आयोजन के लिए गुजरात सरकार ने की 14673 करोड़ की मांग

गुजरात में अकाल की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए केन्द्रीय सहायता

के मापदंडों पर वास्तविक पुनर्विचार होना चाहिए : मुख्यमंत्री

7-8 अगस्त को आयोजित केन्द्रीय समिति की बैठक में गुजरात सरकार केन्द्रीय सहायता के लिए देगी ज्ञापन

गांधीनगर, शुक्रवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार की अध्यक्षता में गुजरात की वर्तमान अकाल की परिस्थिति की समीक्षा करने आई भारत सरकार की केन्द्रीय समिति के समक्ष राज्य में अपर्याप्त बरसात और मानसून की अनिश्चितता के मद्देनजर अकाल की गंभीर चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्घता के साथ खेतीबाड़ी, पीने का पानी, घासचारा, ग्रामीण-रोजगारी के राहत कार्यों और संबंधित जरूरतों के सन्दर्भ में तत्काल केन्द्रीय सहायता के लिए असरदार तरीके से अपनी मांग रखी।

केन्द्रीय कृषि मंत्री के साथ भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश और विविध केन्द्रीय सचिवों तथा गुजरात के वित्त मंत्री वजूभाई वाळा, राजस्व मंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल, जल संपदा मंत्री नितिनभाई पटेल, कृषि मंत्री दिलीप संघाणी, ऊर्जा राज्य मंत्री सौरभभाई पटेल, मुख्य सचिव ए.के. जोती, जल संपदा सलाहकार बी.एन. नवलावाला और तमाम सचिवों ने भाग लिया

राज्य सरकार ने वर्तमान अकाल की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए 26 जिलों का मानसून कन्टीन्जेंसी प्लान अमलीकृत किया है और बरसात के अभाव में खेतीबाड़ी को हो रहे नुकसान, पीने के पानी का संकट, पशुधन के लिए घासचारे की आपूर्ति तथा ग्रामीण रोजगारी सहित संलग्न अकाल राहत की कार्ययोजना के तत्काल अल्पकालीन और दीर्घकालीन आयोजन की प्राथमिक जरूरत के लिए 14,673 करोड़ रुपये की मांग रखी।

इस सन्दर्भ में केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आगामी 7 अगस्त को केन्द्रीय समिति की गुजरात में अकाल से निपटने लिए केन्द्रीय सहायता के विचार के लिए बैठक आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इससे पूर्व ही केन्द्रीय सहायता के लिए सर्वांगीण पहलूओं का समावेश करते हुए आवेदन पत्र देगी।

मुख्यमंत्री ने श्री शरद पवार और जयराम रमेश सहित केन्द्रीय समिति के समक्ष जोर देकर कहा कि गुजरात में पिछले एक दशक के दौरान अच्छे मानसून के कारण खेती, पेयजल, घासचारा और ग्रामीण विकास सहित राज्य के आर्थिक-सामाजिक जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आया है। और उत्पादकीय परिसंपत्तियों को बनाए रखने के लिए और अकाल की चुनौतियों का असर दीर्घकालिक होने से केन्द्र के स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड (एसडीआरएफ) और नेचुरल कैलेमिटी रिलीफ फंड की केन्द्रीय सहायता के मापदंडों के विषय में पुन:विचार की जरूरत है।

तत्काल अकाल राहत के वर्तमान केन्द्रीय मापदंडों के आधार पर केन्द्र सरकार की राहत पैकेज पद्घति में भी आमूलचूल बदलाव अनिवार्य बन गया है। गुजरात दस वर्ष पश्चात, विनाशक भूकंप की आफत को अवसर में पलटकर सातत्यपूर्ण विकास कर सका है और दस वर्ष बाद आज खड़े हुए अकाल के संकट की आपत्ति को भी अवसर में तब्दील करने को प्रतिबद्घ है। ऐसे में, उसकी क्षमता को बलवान बनाए ऐसे केन्द्रीय सहायता के मापदंडों से गुजरात की मदद करनी चाहिए, जो अंतत: भारत के लिए लाभदायी होगा। इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने सरदार सरोवर नर्मदा बांध के दरवाजे लगाने के निर्णय में केन्द्रीय मंजूरी में हो रहे असह्य विलंब से नर्मदा का पानी और बिजली का समूचा लाभ गुजरात सहित चारों भागीदार राज्यों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया कि इसके चलते नर्मदा का पानी बिना उपयोग के यूं ही बहकर सागर में समा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात विद्युत क्षेत्र में देश का एकमात्र पावर सरप्लस स्टेट है। यदि भारत सरकार गैस आधारित विद्युत केन्द्रों के ईंधन के लिए गैस की पर्याप्त आपूर्ति अकाल के इस एक वर्ष के दौरान करे तो 2000 मेगावाट बिजली देश के बिजली की कमी वाले राज्यों और इलाकों को मिल सकती है। राष्ट्रीय हित में केन्द्र सरकार को इसका निर्णय करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि गुजरात में दूध का उत्पादन 98 लाख मीट्रिक टन होता रहा है। मुक पशुधन के लिए अकाल में घासचारे की जरूरत के मुताबिक यदि पर्याप्त जत्था मिले तो ही देश को दूध की आपूर्ति करने वाला गुजरात केन्द्रीय सहायता द्वारा दूध की निरंतर आपूर्ति कर सकता है। घासचारे के लिए केन्द्रीय सहायता के मापदंड में इस दृष्टिकोण को केन्द्र में रखने का मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया

गुजरात में अपर्याप्त बारिश से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार ने जून-2012 से ही सजग बनकर तथा समयोजित कदम उठाते हुए मंत्रियों की उच्च-अधिकार प्राप्त समिति कार्यरत की थी। इसकी भूमिका में श्री मोदी ने कहा कि कच्छ-सौराष्ट्र में तथा उत्तर गुजरात में हालात अत्यन्त गंभीर हैं। लिहाजा, राज्य में औसत कम बरसात की गणना की पद्घति कारगर साबित नहीं होगी। 11 जिले तो तीव्र असरग्रस्त हैं ही, लेकिन शेष 15 जिले भी अकाल के व्यापक असर से मुक्त नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने नरेगा द्वारा उत्पादकीय राहत कार्यों द्वारा रोजगार के लिए वर्तमान 100 दिन की रोजगार गारंटी सहित गुणात्मक सुधार कर नरेगा द्वारा अकालग्रस्त क्षेत्रों में रोजगार की वास्तविक जरूरतों को ध्यान मंग लेने का अनुरोध किया। पशुपालन और दूध उत्पादन को गुजरात में खेतीबाड़ी जितना ही महत्व दिया जाता है। इस तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अकाल में टिकाए रखने की शक्ति का अहसास केन्द्रीय सहायता में कराने की मांग उन्होंने की।

गत दस वर्षों की गुजरात की बरसात की तुलना को देखते हुए कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र में 79 फीसदी और उत्तर गुजरात में 58 फीसदी बरसात की कमी है। गुजरात सरकार ने किसानों की बुआई की खड़ी फसल को बचाने और खरीफ-रवि फसल के लिए कृषि विषयक 1 लाख विद्युत कनेक्शन युद्घस्तर पर देने और पीने के पानी के लिए नर्मदा कैनाल आधारित पाइपलाइन नेटवर्क के बाकी बचे काम को शीघ्र पूर्ण करने का अभियान चलाया है। साथ ही घासचारे की बुआई के लिए गोशाला-पांजरापोळों को सरकारी बंजर पड़ी जमीन अकाल के समय में देने की योजना शुरू की है। इतना ही नहीं, व्यापक स्तर पर घासाचारा उत्पादन करने की योजना भी शुरू की है। इसकी रूपरेखा पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अकाल के संकट को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री के समक्ष विशाल ग्रासलैण्ड विकसित करने की जरूरत बताई थी। इसके लिए जरूरी सरकारी खुली जमीन, घास के बीज, आर्थिक सहायता, घास के परिवहन आदि की केन्द्रीय सहायता की प्रोत्साहक नीतियां बनाई जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि घासचारे के लिए रेलवे परिवहन भाड़े में माफी दी जानी चाहिए।

केन्द्रीय सहायता की अकाल राहत पैकेज की नीतियों में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने मानसून की असफलता के बाद अकाल का असर दीर्घकालिक होने से एसडीआरएफ में पीने के पानी, केटलकैम्प, खेती के लिए रेन फेड एरिया में प्रति हेक्टेयर 3000 रुपये की सहायता जैसे पुराने मापदंडों को नए सिरे से गढऩे की जरूरत बतलाई। उन्होंने मांग की कि एसडीआरएफ में से 30 फीसदी रकम केन्द्र सरकार को राज्यों को उनके विवेकाधीन स्तर पर खर्च करने की छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अकाल राहत पैकेज की तत्काल सहायता की केन्द्रीय घोषणाओं में मूलभूत रूप से केन्द्र सरकार रेग्युलर बजट के प्रावधान का आवंटन करती है और राज्यों को मिलने योग्य हक की, किस्त की रकम एडवांस देती है जो पर्याप्त नहीं है। इतना ही नहीं, केन्द्र सरकार के मापदंड ऐसे होते हैं कि रकम उपलब्ध होने के बावजूद खर्च करने का कोई मार्ग नहीं होता। अत: ऐसे केन्द्रीय अकाल सहायता पैकेज में बजट की मूल योजना के बदले अलग अकाल राहत का आवंटन हो और राज्यों को उनकी स्थानीय जरूरत के मुताबिक खर्च करने की मंजूरी मिले, यह जरूरी है।

खाद्य तेल के आयात के लिए राज्य सरकार की एजेंसी को भी छूट देने की मांग मुख्यमंत्री ने की। गुजरात ने जलव्यवस्थापन के लिए अंतरढांचागत सुविधाओं का जनभागीदारी से जो नेटवर्क विकसित किया है और अकाल के समय में उसकी उपयोगिता को देखते हुए केन्द्रीय सहायता देने साथ ही आज कृषि विषयक बिजली आपूर्ति 18 मिलियन यूनिट से बढक़र 59 मिलियन यूनिट पर पहुंची है, ऐसे में अकाल राहत के लिए केन्द्रीय सहायता के स्तर में गुजरात की अकाल की चुनौतियों का मुकाबला करने की क्षमता को ध्यान में लेना चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री शरद पवार और जयराम रमेश ने गुजरात सरकार के अकाल की चुनौतियों का मुकाबला करने के प्रबंधन का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्रीय समिति को भारत सरकार ने जो मेंडेट दिया है उसमें तत्काल जरूरतों की पूर्ति के लिए केन्द्रीय मदद के संबंध में विचार किया जाएगा। उन्होंने गुजरात सरकार को सुझाव दिया कि वह आगामी 7-8 अगस्त को आयोजित केन्द्रीय समिति की बैठक में सहायता को लेकर अपना ज्ञापन प्रदान करे, जिसका मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया।

केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने रूरल ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई के लिए 425 करोड़ फौरन देने का भरोसा दिलाया और नरेगा में 100 दिन की रोजगार गारंटी प्रतिव्यक्ति नहीं बल्कि परिवार के हिसाब से देने जिसमें तथा 100 दिन के बदले 150 दिन करने पर विचार करने की बात कही

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