प्रिय मित्रों,

कुछ सप्ताह पहले मैं अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के शुभारम्भ पर गया था। अद्भुत साबरमती नदी के किनारे हमने सांस्कृतिक वैविध्यता का अनुभव किया और विभिन्न देशों के प्रतियोगियों को आमंत्रित किया था। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व यह नजारा कुछ अलग ही था। रिवरफ्रंट के दौरे से मैं पुरानी यादों में खो गया। उस समय साबरमती नदी के तट में पानी के सिवाय सबकुछ था। यहां युवा क्रिकेट खेला करते थे और सर्कस लगते थे।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान साबरमती नदी और उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी बदलाव आया है। आज नदी पूरे साल पानी से भरी रहती है और इसके आसपास सृजित होने वाले मनोरंजक और जीवंत माहौल के कारण लोग इस क्षेत्र की ओर खिंचे चले आते हैं।

आज, रिवरफ्रंट के निर्माण की वजह से यहां जल का स्तर बढ़ा है और बरसात की वजह से होने वाले रोगों का प्रमाण उल्लेखनीय स्तर पर घटा है। जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से बिजली की खपत घटी है। रिवरफ्रंट के श्रेष्ठ कामकाज के लिए कई अंतराष्ट्रीय पर्यटकों ने गुजरात सरकार को शुभकामनाएं देते पत्र मुझे लिखे हैं। उल्लेखनीय है कि रिवरफ्रंट को सबसे नवीनतम प्रोजेक्ट्स में स्थान मिला है।

शहरों में वैश्विक स्तर की सुविधाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में अपना गुजरात

रिवरफ्रंट गुजरात के शहरों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध करवाने की हमारी प्रतिबद्धता की एक पहचान है। हकीकत यह है कि बेहतर ढांचागत सुविधाओं के कारण शहरीकरण बढ़ा है और लोग यहां स्थायी हो रहे हैं। भारी संख्या में लोग अहमदाबाद की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भारत में गुजरात सबसे ज्यादा अर्बनाइज्ड राज्य है। राज्य की 42 प्रतिशत जनता नगर और शहरों में बसती है और हमारी शहरी आबादी की एक दशक की वृद्धि दर 35.8 प्रतिशत रही है।

हमें पता है कि तीव्र शहरीकरण के साथ- साथ कई चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नगर और शहरों के ढांचों की भारी परीक्षा हो रही है। जनसंख्या और यातायात की समस्याओं सहित कई बड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। हालांकि अगर हम शहरीकरण को समस्या के रूप में देखेंगे तो हम कभी इन चुनौतियों का सामना नहीं कर सकेंगे। हमें शहरीकरण की चुनौती का हल करना है, ना कि उसके खिलाफ लड़ना है। ऐसा करने से ही हम चुनौतियों का सामना कर सकेंगे।

गुजरात ने जो किया है यह विस्तारपूर्वक आपको बतलाते हुए मुझे खुशी हो रही है। शहरीकरण की समस्या का हल करने के लिए गुजरात के प्रयासों के बारे में मैं विश्वास और गर्व से कह सकूंगा कि सिर्फ थोड़े से लोगों को ही विकास का फल नहीं मिलेगा बल्कि प्रत्येक व्यक्ति तक विकास के फल पहुंचेंगे। नवीनीकरण और ढांचागत तथा संस्थागत प्रणालियां अपनाकर हमने शहरीकरण की विशाल चुनौतियों को लोगों के लिए अर्थपूर्ण अवसर में तब्दील कर दिया है। मुझे याद है कि जब मैने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी तब शहरी विकास के लिए सिर्फ 200 करोड़ से भी कम रकम खर्च की जाती थी।

आज बजट आयोजन में शहरी विकास के लिए 5670 करोड़ की व्यवस्था की गई है जो 25 गुना ज्यादा है। संकलित अभिगम के साथ राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में स्वर्णिम जयंति मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना (SJMMSVY) पेश की थी। उल्लेखनीय है कि यह पहल गुजरात के 8 शहरों और 159 नगरपालिकाओं के विकास की आवश्यकताएं पूर्ण करती हैं और बड़े शहरों में उपलब्ध सेवाओं को उनके घर पर उपलब्ध करवाती हैं। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए सम्पूर्ण बजट उपलब्ध करवाया जाता है। प्रारम्भ में 7000 करोड़ के बजट के साथ प्रारम्भ की गई इस योजना के लिए धन की व्यवस्था उल्लेखनीय तौर पर बढ़ाकर 15,000 करोड़ की गई है।

परिवहन और शहरी गतिविधियों के तमाम पहलुओं का मजबूतीकरण

शहरी जीवन में हम रोजाना सड़क का उपयोग करते हैं। कई बार हमारे मन में शहर की पहली छवि उसकी सड़क की गुणवत्ता और यातायात जैसे परिबलों से उभर आती है। आबादी और वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही रोड काफी बेहतर गुणवत्तापूर्ण तैयार किए गए हैं। ट्राफिक जाम होने की समस्या के बारे में शिकायत करना बहुत ही आसान है परंतु इस समस्या का हल करने के बारे में हम में से कितने लोगों ने सोचा है ? आर्थिक विकास के लिए शहरी परिवहन काफी महत्वपूर्ण माध्यम है और सरकार ने शहरी आबादी में निरंतर बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए अच्छी सड़कों को प्राथमिकता दी है।

गुजरात में हमने कई फ्लाईओवर्स का निर्माण किया है, जिनके कारण हमारे शहरों के भीड़भरे क्षेत्रों में यातायात आसान हुआ है। सूरत ने फ्लाईओवर सिटी ऑफ गुजरात के तौर पर पहचान अंकित की है क्योंकि यहां की ट्राफिक समस्या वाले क्षेत्रों में फ्लाईओवर के निर्माण से समस्या का हल हुआ है। अहमदाबाद में कई फ्लाईओवर और अन्डरपास की वजह से ट्राफिक समस्या की स्थिति में हम काफी सुधार ला सके हैं।

उपरोक्त प्रयासों के साथ ही शहरी परिवहन ढांचे को मजबूत बनाने में हमने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। जब आप अहमदाबाद में सफर करेंगे तो काफी प्रशंसा हासिल करने वाले जनमार्ग- बीआरटीएस को आप अवश्य सराहेंगे।सूरत और राजकोट में वर्तमान में यह प्रोजेक्ट कार्यरत हैं। हमने मल्टी मॉडल अफोर्डेबल ट्रांसपोर्ट अथोरिटी (एमएटीए) का गठन किया है ताकि सुरक्षित, मितव्ययी, सुविधापूर्ण और विश्वसनीय शहरी परिवहन को प्रोत्साहन देने के लिए रोडमेप तैयार किया जा सके।

गुजरात के शहरों में नवीन रिक्षा सेवा !

बड़े शहरों में आपने रेडियो टेक्सी, कॉल अ केब के बारे में सुना होगा परंतु कभी आपने इसकी टाई रिक्षा सर्विस के बारे में सुना है ? गुजरात में एक फाउंडेशन की पहल पर रिक्षा ड्राइवर्स का एक समूह एक छत के नीचे आया है और जी- ऑटो का गठन किया गया है जो 24 घंटे विश्वसनीय रिक्षा सेवा उपलब्ध करवाता है।यह जी- ऑटो की सेवा काफी अद्भुत है। जब आप रिक्षा में बैठेंगे तब ड्राइवर आपको पानी की बोतल और समाचार पत्र ऑफर करेगा। वर्तमान में यह सेवा अहमदाबाद, वडोदरा और गांधीनगर में उपलब्ध है और आगामी वर्षों में इसे राज्य के अन्य हिस्सों में विस्तृत किया जाएगा। इस प्रकार की पहल सुविधायुक्त सेवाएं उपलब्ध करवाने के साथ ही मैत्रिपूर्ण परिवहन का विकल्प उपलब्ध करवाती है।

पर्याप्त शहरी आवास की चुनौतियों का मुकाबला करना

भारी संख्या में लोग शहरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं ऐसे में आवास की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करवाना और एक चुनौती है। सरकार के तौर पर हमारा यह दायित्व है कि लोगों के सिर पर छ्त हो। घर सिर्फ दीवारों से नहीं बनता बल्कि यह ऐसा स्थल हो जहां रहा जा सके। राज्यभर में शहरी आवास की सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं।

गुजरात को झोंपड़पट्टी मुक्त बनाने के लिए हमने 25 लाख जितने कच्चे मकानों को पक्का बनाने के लिए सर्वे पहले से ही पूर्ण कर लिया है। पूर्व की सरकारों ने 40 साल में 10 लाख मकानों का निर्माण किया था और उसकी तुलना में हमने सिर्फ एक ही दशक में 22 लाख मकानों का निर्माण किया है , गुजरात में गरीबों को इसका लाभ मिला है। आगामी वर्षों में हम शहरी आवास की चुनौतियों का सामना करने की प्रतिबद्धता तय करेंगे।

1+1 ट्वीन सिटी मॉडल को प्रोत्साहन देने के लिए गुजरात के प्रयास

हम अहमदाबाद को चमकता देखना चाहते हैं परंतु अहमदाबाद के साथ ही गांधीनगर भी चमके यह भी हमारी इच्छा है। एकदूजे के नजदीक स्थित दो शहरों को विकास का समान अवसर क्यों ना मिले ? इसलिए हमने ट्वीन सिटी मॉडल पेश किया है। गुजरात सक्रिय रूप से अहमदाबाद-गांधीनगर, सुरेन्द्रनगर- वढवाण, सूरत- नवसारी, वडोदरा- हालोल, भरूच- अंकलेश्वर और मोरबी-वांकानेर ट्वीन सिटी पर काम कर रहा है।श्रेष्ठ शहरों का निर्माण करने की दिशा में गुजरात की पहल को ट्वीन सिटी से अवश्य लाभ मिलेगा।

ट्वीन सिटी के साथ ही हम सेटेलाइट टाउन भी विकसित करने जा रहे हैं और वैश्विक स्तर के शहरों का निर्माण गुजरात को वाइब्रेंट भविष्य की ओर ले जाएगा। दिल्ली जैसे शहरों को विकास करने में काफी लम्बा समय लगा। मगर धोलेरा दिल्ली से दो गुना और शंघाई से 6 गुना बड़ा होगा और आधुनिक ढांचागत सुविधाओं के मामले में काफी आगे होगा। कांकरिया लेक डवलपमेंट प्रोजेक्ट और सूरत में साइंस सेंटर जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स से शहरी जनता को लाभ मिलेगा।

आपको जानकर आनन्द होगा कि शहरी विकास के विभिन्न प्रयासों के चलते गुजरात ने पिछले कई वर्षों के दौरान 50 से ज्यादा अवार्ड जीते हैं। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक जवाहरलाल नेहरु नेशनल अर्बन रिन्युअल मिशन (JNURM) प्रोजेक्ट को पूर्ण करने में गुजरात प्रथम क्रम पर है।

रुर्बनाइजेशन- आत्मा गांव की, सुविधाएं शहर की

हमने शहरों पर ध्यान केन्द्रित किया है परंतु यहां रुकेंगे नहीं। छोटे नगरों और गांवों में बेहतर ढांचागत सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता खड़ी हुई है। रुर्बनाइजेशन के हमारे मंत्र से गांवों की अनोखी सांस्कृतिक पहचान बरकरार रहेगी।इसके साथ ही शहर जैसी सुविधाएं भी उन्हें उपलब्ध होंगी (आत्मा गांव की, सुविधा शहर की)। इस साल की वाइब्रेंट समिट में शहरीकरण केन्द्रस्थान पर रहा। समिट के दौरान मैं रुर्बनाइजेशन की चर्चा में मौजूद था।

समिट पूर्ण होने के बाद मैं प्रोफेसर पॉल रोमर से मिला जो युएसए में एनयु के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनस में शहरीकरण के प्रोजेक्ट में मार्गदर्शन देते हैं। प्रोफेसर रोमर ने शहरी विकासकी दिशा में गुजरात के कदमों की सराहना की थी। राजनैतिक इछाशक्ति, अधिकारियों की श्रेष्ठ टीम और लोगों के सहयोग से गुजरात सरकार अर्बन रिजनरेशन के लिए तैयार है, जो नये वैश्विक स्तर के शहरों का निर्माण करेगी और गांवों में श्रेष्ठ सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्र भव्य और दिव्य गुजरात के हमारे प्रयासों में असरदार रूप से योगदान दे सकें।

नरेन्द्र मोदी

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।