वनवासी क्षेत्र झंखवाव में सर्वजाति सामूहिक विवाहोत्सव

251 नवयुगलों को मुख्यमंत्री ने दी सुखी दांपत्य जीवन की शुभकामना

गांधीनगर, गुरुवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामूहिक विवाह को मिल रही व्यापक समाज स्वीकृति का स्वागत करते हुए कहा कि सामूहिक विवाह के उत्तम आयोजन के लिए वैज्ञानिक शास्त्र विकसित करने की जरूरत है।

सूरत जिले के झंखवाव में सहारा मानवकल्याण ट्रस्ट वाड़ी के तत्वावधान में गुरुवार को आयोजित सर्वजाति सामूहिक विवाहोत्सव में मौजूद रह कर श्री मोदी ने 251 नवयुगलों को सुखी दांपत्य जीवन की शुभकामनाएं दी। वनवासी क्षेत्र में सामूहिक विवाहों को मिल रही व्यापक स्वीकृति का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि सामूहिक विवाह के समग्र आयोजन को लेकर वैज्ञानिक शास्त्र तैयार करने का समय आ गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामूहिक विवाह की समाज व्यवस्था को गुजरात सरकार खूब प्रोत्साहन देती है। सरकार ने प्रत्येक नवदंपती की सौभाग्यकांक्षी कन्या को दी जाने वाली 5000 रुपये की सहायता राशि को दुगुना बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया है।

सामूहिक विवाह में साधन-संपन्न परिवारों की नई पीढ़ी के शामिल होने से इसे नई प्रतिष्ठा मिलने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सामूहिक विवाह की प्रथा ने समाज में आर्थिक खर्च, दव्र्यय और कुरिवाजों की स्थिति में सुधार की मानसिकता खड़ी की है। विशेषकर गरीब परिवारों में विवाह के अवसर पर फिजुल खर्च के लिए कर्ज और ब्याज के चक्कर से बाहर निकलने की दिशा अपनाई गई है।

आदिवासी क्षेत्र में बेटे-बेटी का भेदभाव नहीं होने तथा भ्रूण हत्या के पाप का भागीदार नहीं बनने पर गौरव व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सुखी-संपन्न और सुशिक्षित परिवारों में भी मां के पेट में पल रही बेटी को मार डालने का भ्रूणहत्या का पाप चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि गुजरात के भविष्य निर्माण में वनवासी आदिवासियों की नई पीढ़ी महत्वपूर्ण साबित होगी। उमरगाम से अंबाजी तक के पूर्वी पट्टे पर नई पीढ़ी के बच्चे उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान संकाय की शिक्षा सुविधा का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में गुजरात के गुजरात की सभी 43 आदिवासी तहसीलों में आईटीआई और विज्ञान संकाय की उच्चतर माध्यमिक स्कूलें शुरू की गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव का यह नतीजा है कि आज करीबन 80 आदिवासी युवा सरकारी सहायता से विदेश में अध्ययनरत हैं।

दस वर्ष पहले विकास के टुकड़े फेंक कर आदिवासियों को मोहताज बनाने की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज की सरकार वनबंधु योजना के जरिए आदिवासियों को विकासयात्रा में भागीदार बना रही है। भूतकाल में जहां महज 8 फीसदी आदिवासी युवा ही फौज में शामिल होते थे, वहीं अब सरकार के प्रयासों के चलते 35 से 40 फीसदी युवा भारत माता की सेवा के लिए सेना में शामिल हो रहे हैं।

सामूहिक विवाह के चलते समाज में बेटियों को बोझ मानने का चलन रुकेगा, ऐसा विश्वास व्यक्त करते हुए केवल ज्ञानपीठ, सारसा के आचार्य श्री अविचलदासजी महाराज ने लक्ष्मी स्वरूप बेटियों की भ्रूणहत्या नहीं करने का संकल्प करने का अनुरोध किया।

गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष गणपतभाई वसावा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति मानव संस्कृति का मूल है और संगठन तथा शिक्षा ही समाज को सर्वोच्च विकास की ओर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के विकास की सबसे ज्यादा चिंता मुख्यमंत्री श्री मोदी ने की है। उनके नेतृत्व में गुजरात का आदिवासी विकास देश में एक मिसाल बन गया है।

सांसद भरतसिंह परमार ने आदिवासी समाज के विकास के लिए शिक्षा को अनिवार्य करार दिया। इस मौके पर विविध संत, महंत, संस्थाओं आदि ने कन्या केळवणी निधि के लिए 12 लाख रुपये से अधिक राशि अर्पित की।

इस अवसर पर नवदंपतियों को आशीर्वाद देने के लिए सहारा मानव कल्याण ट्रस्ट के स्थापक अमरसिंहभाई वसावा, संसदीय सचिव हर्षदभाई वसावा, किशोरभाई वांकावाला, भारतीबेन राठोड़ सहित विधायक, सूरत जिला पंचायत अध्यक्ष अश्विनभाई पटेल, अजयभाई चोकसी, पदाधिकारी, नवदंपतियों के परिजन, सहभागी दाता, निगम के अध्यक्ष, पूर्व सांसद, सामाजिक अग्रणी, जिला कलक्टर एजे शाह समेत उच्च अधिकारी और बड़ी संख्या में आम जन उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।