मुख्यमंत्री ने किया भोजलधाम का भक्तिभाव से दर्शन
संत श्री भोजलराम के २२८वें प्राकट्य महोत्सव का उद्घाटन
भक्तियुग में संतों ने छेड़ा था समाज सुधार का आंदोलनः श्री मोदी
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विद्वानों से अनुरोध किया है कि वे इतिहास की ओर नजर डालकर दो सौ वर्ष पूर्व के उस कालखंड का संशोधन करें जब अनेक संत प्रकट हुए थे। इससे कई रहस्योद्घाटन होंगे। उन्होंने कहा कि १२०० वर्ष के गुलामी कालखंड में शहीदों के साथ-साथ भक्तियुग के आंदोलन के अंतर्गत सभी संतों ने हिन्दुस्तान के कोने-कोने में समाज-सुधार और विकृतिमुक्ति का अभियान छेड़ा था। इसका अभ्यास समाज के लिए उपकारक साबित होगा।संतकवि भोजलराम की २२८वीं जन्मजयंती के अवसर पर अमरेली जिले के फतेहपुर में भोजलधाम तीर्थ का भक्तिभाव से दर्शन कर श्री नरेन्द्र मोदी ने संतों एवं भक्तों के विशाल समुदाय का अभिवादन किया। सौराष्ट्र के वचनसिद्ध संत श्री भोजलराम बापा के २२८वें प्राकट्य महोत्सव का आज उद्घाटन करते हुए उन्होंने समर्थ संतकवि भोजाभगत के एक-एक शब्द का चिंतन-अध्ययन कर समाज को प्रेरणा देने का हार्दिक अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावाद, दंभ, रुपये का प्रदर्शन तथा परिवार और देश की अर्थव्यवस्था को हिला देने वाली वर्तमान सच्चाई का भोजलराम बापा ने दो सौ वर्ष पहले ही वर्णन कर दिया था, जिसका यथार्थ चिंतन आज भी प्रासंगिक है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत के आजादी के आंदोलन का आधार भक्तियुग के आंदोलन के जरिए समाज का जागरण कर संतों-महंतो और औलियाओं ने दो सौ वर्ष पहले तैयार किया था।उन्होंने कहा कि सवा दौ सौ वर्ष पूर्व जिस ज्ञानज्योति का उदय हुआ उस भोजलराम बापा की जन्मजयंती पर उनके दर्शन के लिए यहां आया हूं। इस अवसर को त्रिवेणी संगम बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज बुद्ध पूर्णिमा, भोजलबापा की जयंती और भक्त कवि नरसिंह मेहता का जन्म दिवस है।
उन्होंने कहा कि हमारी संतशक्ति की परंपरा और ज्ञान-भक्ति की जीवनसाधना की महिमा करने के बजाय हम चमत्कारों के चक्कर में फंस गए। इसे समाज की त्रुटि करार देते हुए श्री मोदी ने कहा कि भोजलराम बापा के समाज जागरण की शब्द-शक्ति और काव्य साधना की महिमा की होती तो आज भोजलपाम बापा जन-जन में जागृत होते।मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजलराम बापा के प्रत्येक शब्द में समाज एवं युग परिवर्तन का सामर्थ्य था, जो जीवन की दिशा बतलाता था। लक्ष्य ऐसा हो जो पहुंच में हो, लेकिन जो समझ से परे हो उसे ढूंढ निकालने की प्रेरणा इस शब्द साधना के उपासक ने दी।श्री मोदी ने अनुरोध किया कि भोजलराम बापा की समाज जागृति की एक-एक शब्द-कटार पर चिंतन के सेमीनार इस नवनिर्मित भव्य भोजलधाम में आयोजित किये जाएं जिससे की यह धाम संतशक्ति की ज्योतिपूंज का प्रकाशधाम बन जाए। इस अवसर पर सांसद पुरुषोत्तमभाई रुपाला ने कहा कि भोजलराम बापा ने दो सौ वर्ष पहले समाज के दंभ के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए जो कुछ लिखा उसने समाज को सुधारने का एक बड़ा काम किया था। अनपढ़ होने के बावजूद उनका दिव्यज्ञान आज भी समाज के उत्कर्ष के लिए उपयोगी है। भोजाबापा ने जलाराम बापा जैसे संत भी दिये हैं।
भोजलधाम के महंत श्री भक्तिराम बापू ने मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि भोजलधाम संस्था की ओर से ११ करोड़ रुपये की लागत से मंदिर का निर्माण हो रहा है। संस्था की ओर से स्वास्थ, शिक्षा, अतिथिगृह और गौशाला जैसे अनेक कार्यों की रूपरेखा भी उन्होंने दी।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भोजाबापा के जीवन पर आधारित सीडी का विमोचन किया। भोजाबापा के जीवन पर पीएचडी कर चुकी सोनलबेन ने मुख्मयंत्री को पुस्तक अर्पित की। श्री मोदी ने दाताओं का सम्मान भी किया। कार्यक्रम की शुरूआत में प्राध्यापक डॉ. मनसुखभआई सावलिया ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में गौसेवा आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया, सांसद नारणभाई काछड़िया, विधायक वीवी वघासिया, नलिनभाई कोटड़िया, पूर्व मंत्री दिलीपभाई संघाणी, अग्रणी वसंतभाई गजेरा, अश्विनभाई सावलिया, बगदाणा स्थानक के महंत श्री मनजीबापा, वीरपुर स्थानक के गादीपति श्री रघुराम बापू, गारियाधार स्थानक के गादीपति श्री व्रजलाल बापू, शास्त्री माधवप्रियदास जी, गिरनार मंडल के श्री शेरनाथ बापू सहित संत-महंत और विशाल संख्या में सेवक-भक्तजन उपस्थित थे।