भारतभर के रेगुलेटरी कमीशनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के एफओआईआर कार्यशिविर का श्री मोदी ने किया उद्घाटन
रेगुलेटरी मिकेनिजम राष्ट्रीय हित का और विकासलक्षी होना चाहिए : मुख्यमंत्री
देश के विभिन्न विकास प्रोजेक्ट्स की टेंडर प्रक्रिया के सर्वग्राही नियम और शर्तें सुनिश्चित की जानी चाहिए
गांधीनगर, गुरुवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फोरम ऑफ इंडियन रेगुलेटर्स (एफओआईआर) के तत्वावधान में अहमदाबाद में आयोजित भारत के विभिन्न रेगुलेटरी कमीशनों के पदाधिकारियों को देश में ढांचागत सुविधाओं और विकास के विविधलक्षी प्रोजेक्टों की टेंडर प्रक्रिया के सर्वग्राही मानदंडों और नियमों को सुनिश्चित करने का प्रेरक सुझाव दिया है।गुजरात विद्युत नियमन आयोग, जीईआरसी के आमंत्रण से फोरम ऑफ इंडियन रेगुलेटर्स का यह कार्यशिविर आज से अहमदाबाद में शुरू हुआ। देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र सरकार के रेगुलेटरी कमीशनों और अथॉरिटी के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ पदाधिकारी इस कार्यशिविर में भाग ले रहे हैं।
देश में विभिन्न विकास कार्यों और प्रोजेक्ट का आयोजन, अमलीकरण होता है इसकी टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुनियोजित स्तर पर नॉम्र्स और रेगुलेशन्स का सर्वग्राही मॉडल तैयार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुजरात ने ढांचागत सुविधा विकास और जनसुविधाओं के प्रोजेक्ट्स में इस प्रकार के नये पैरामीटर्स विकसित किए हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक विकास कार्यों और योजनाओं के प्रोजेक्ट और जेएनएनयूआरएम के अनेक कार्य राज्य में शुरू किए गए हैं लेकिन टेंडर प्रक्रिया के नियम अलग-अलग हैं, जिनकी समीक्षा करके सर्वग्राही मॉडल फ्रेमवर्क खड़ा किया जाना चाहिए।
श्री मोदी ने रेगुलेटरी अथॉरिटरी की कार्यशैली की स्वायत्तता पर कहा कि बिजली की दरें तय करने की प्रक्रिया ईआरसी के लिए काफी लंबी होती है लेकिन नि:शुल्क बिजली देने की घोषणा बिना विलंब चुनाव जीतने की राजनीति के लिए होती है, तब रेगुलेटरी कमीशनों की भूमिका कैसी हो यह सोचना आवश्यक है। पूरा हाथी गुजर जाए और पूंछ अटक जाए, ऐसी स्थिति को बदलने के लिए पूरी व्यवस्था को ज्यादा वैज्ञानिक और सुविचारित बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने गैस और कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग तथा उपयोग की केंद्रीय नियमन नीतियों के सन्दर्भ में कहा कि गुजरात की धरती में से गैस का भंडार मिलता है लेकिन यह गैस राज्य की आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लेने या गुजरात को गैस ग्रिड की पाइपलाइन डालने का अधिकार नहीं है, केंद्रीय नीति नियम के कारण गुजरात को गैस और कोयला महंगी दरों पर खरीदना पड़ता है। इसके लिए रेगुलेटरी नॉम्र्स संबंधी पूरी व्यवस्था पर ही पुनर्विचार होना चाहिए जो राष्ट्र और सार्वजनिक हित में हो।
गुजरात विद्युत बोर्ड, जीईबी जैसी सार्वजनिक सेवा इकाई की कार्यक्षमता में गुणात्मक परिवर्तन लाकर वर्तमान राज्य सरकार ने दस वर्ष पूर्व 2533 करोड़ के भारी घाटे और 900 करोड़ की बिजली सब्सिडी के बोझ में दबे जीईबी का पुनर्गठन कर आज इसे 533 करोड़ की शुद्घ आय वाला सफल सेवा क्षेत्र बनाया है।
गुजरात की नर्मदा मुख्य कैनाल पर सोलर पैनल स्थापित कर तथा कैनाल में बहते पानी में हाईड्रो माइक्रो टर्बाइन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर राज्य सरकार ने एक किलोमीटर कैनाल क्षेत्र में से एक मेगावाट बिजली और एक करोड़ लीटर भाप से वाष्पीकृत होने वाले पानी की बचत करने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसकी भूमिका में श्री मोदी ने कहा कि सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी जैसे गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के लिए सर्वग्राही प्रोत्साहक नीतियां अपनाकर सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से विपुल बिजली उत्पादन की सफल परंपरा गुजरात ने शुरू की है। इतना ही नहीं, ऐसी सौर ऊर्जा की बिजली सस्ती हो, इसके लिए नई पहल और नये आयाम अपनाए गए हैं। क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों का सामना करने के ऐसे उत्तम आयामों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्यों के रेगुलेटरी कमीशनों को भारत के आधुनिक और सातत्यपूर्ण विकास के लिए सुसंगत नियमों और कार्यशैली के लिए सुविचारित मंथन करने की तत्परता का स्वागत किया। एफओआईआर के अध्यक्ष और सीईआरसी के प्रमुख प्रमोद देव ने एफओआईआर के राष्ट्रीय कार्यशिविर की भूमिका देते हुए गुजरात सरकार की सफल उपलब्धियों को मिसाल करार दिया। जीईआरसी के अध्यक्ष डॉ. पीके मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया।