दिल्ली : मुख्यमंत्री और योजना आयोग उपाध्यक्ष के बीच बैठक ..
50599 करोड़ की वार्षिक योजना का कद, 51 हजार करोड़ की राशि भारत सरकार ने की मंजूर .
दो नये प्रोजेक्ट मंजूर : कोस्टल टूरिज्म प्रोजेक्ट और नंदघर योजना
गुजरात जैसे प्रगतिशील राज्य के विकास में केन्द्रीय सहायता में अन्याय और भेदभाव के मामले में गहन बातचीत
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार के योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेक सिंह आहलूवालिया के बीच आयोजित फलदायी बैठक के अंत में आज नई दिल्ली में गुजरात की वर्ष 2012-13 की वार्षिक योजना का कद 51 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किया गया। राज्य सरकार ने विधानसभा में 50,599 करोड़ की वार्षिक योजना पेश की थी। इस सन्दर्भ में केन्द्रीय योजना आयोग और गुजरात सरकार के बीच हुई बैठक में योजना आयोग ने गुजरात के आयोजित विकास की सफलता और उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए दो नये प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। केन्द्रीय योजना आयोग ने इस वर्ष समुद्रीतट क्षेत्रों में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए कोस्टल टूरिज्म का 120 करोड़ का प्रोजेक्ट और आंगनवाड़ी के दायरे को विस्तृत बनाने के लिए नंदघर योजना के प्रोजेक्ट को मंजूर कर लिया। गुजरात अकालग्रस्त है, इसके बावजूद दस वर्ष में यहां कृषि क्रांति का चमत्कार हुआ है।कृषि क्षेत्र में केन्द्र सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों के कारण गुजरात के किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है। श्री मोदी ने इसका उल्लेख करते हुए सुझाव दिया कि गुजरात के किसानों के सामथ्र्य को प्रोत्साहन देने के लिए योजना आयोग स्वयं अपनी शक्तियों का प्रयोग करे। गुजरात हाईटेक एग्रीकल्चर एवं नेटहाउस-पॉलीहाउस, ड्रिप इरिगेशन के ऊंचे लक्ष्यांक हासिल कर रहा है। गुजरात में अब सिंग तेल से कपासिया तेल की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। कपास उत्पादन के लिए गुजरात की शक्ति को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की किसान विरोधी पॉलिसी ने कपास उत्पादकों को 15 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। कॉटन एक्सपोर्ट की गलत नीति के कारण विश्व के बाजारों में भारत सरकार की विश्वसनीयता कम हुई है।
सरदार सरोवर योजना के लिए एआईबीपी के तौर पर नर्मदा योजना को 90 प्रतिशत केन्द्रीय ग्रांट मिलनी चाहिए। इसका अकालग्रस्त क्षेत्रों में बड़ा भाग है। योजना आयोग ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, फिर भी दो वर्ष से गुजरात को शेष 1700 करोड़ रुपये नहीं दिये जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि सेन्ट्रल सेल्स टैक्स के गुजरात राज्य के हिस्से के रूप में 3000 करोड़ रुपये बाकी हैं, अन्य राज्यों को 6000 करोड़ रुपये दिये गए हैं, लेकिन गुजरात को एक रुपया भी नहीं दिया गया है। क्रूड ऑयल रॉयल्टी असम और गुजरात दोनों को समान स्तर पर मिलनी चाहिए। लेकिन गुजरात को 5400 करोड़ रुपये कम रॉयल्टी मिलती है। पेज 2 पर जारी... दिल्ली : मुख्यमंत्री और... पेज 2 मुख्यमंत्री ने नेशनल फ्यूल पॉलिसी को सुविचारित और न्यायिक बनाने का आग्रह किया।
गुजरात को नागपुर कोल लिंकेज नहीं मिलने के कारण कोयला खरीदने 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है। कोयले की खानों में से महाराष्ट्र को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं होने के बावजूद उसके तीन बिजली प्रोजेक्ट के लिए कोयला मंजूर होता है, लेकिन गुजरात को इसी खान में से पर्यावरणीय मंजूरी नहीं होने का बहाना बताकर राज्य के बिजली केन्द्र के लिए कोयला मंजूर नहीं किया जाता। ऐसा भेदभाव क्यों? यह सवाल उठाते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुजरात को गैस आवंटन में भी अन्याय होता है। सीएनजी गैस जिस भाव पर दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों को मिलती है उसकी तुलना में गुजरात को 40 प्रतिशत महंगी दर पर सीएनजी दी जाती है। गुजरात और आंध्रप्रदेश को गैस आवंटन के मामले में अलग-अलग नजरिये से देखा जाता है। आंध्र को उसकी आवश्यकता का 80 प्रतिशत जबकि गुजरात को मात्र 5 प्रतिशत दिया जाता है। केरोसिन आपूर्ति में गुजरात के बीपीएल और मछुआरों के लिए 33 प्रतिशत कटौती की जाती है। इसके पीछे क्या कारण हैं और ऐसा अन्याय क्यों हो रहा है? गुजरात पावर सरप्लस स्टेट है, इसके बावजूद बिजली की कमी वाले राज्यों को ट्रांसमिशन लाइनें जर्जरित होने के कारण बिजली नहीं दी जा सकती और ऐसे पावर कट वाले राज्य बिजली की कमी का सामना करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार के बिजली उत्पादन पावर स्टेशन चलाने वाली सभी कंपनियों का पावर पुलिंग बनाया जाना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि गुजरात को जेएनएनयूआरएम में गांधीनगर-राजधानी और सरदार पटेल की जन्मभूमि करमसद को अलग रखा गया है। दस वर्ष में रेलवे ट्रैक की नई लाइन का एक किलोमीटर भी काम नहीं हुआ। भारत सरकार पॉलिसी पैरेलिसिस से पीडि़त है। प्रधानमंत्रीजी ने स्वयं मुख्यमंत्रियों की दो कोर कमेटियां नियुक्त की थी, जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में दो रिपोर्टें केन्द्र को सौंपी गई हैं, इस संबंध में कोई विचार नहीं किया गया है। गुजरात में से राष्ट्रीयकृत बैंकों को जो धन मिलता है, उसमें से मात्र 68 प्रतिशत ही गुजरात को सीडी रेश्यो के रूप में मिलता है। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात की मिशन मंगलम योजना के तहत सखी मंडलों को बैंकों का ऋण सबसे ज्यादा मिलना चाहिए। 12वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत का यह प्रथम वर्ष है। गुजरात की स्थापना से अब तक की पचास वर्ष की सभी पंचवर्षीय योजनाओं का योग 2,30,256 करोड़ होता है। इसकी तुलना में गुजरात की 12वीं योजना ही 2,51,000 करोड़ की आंकी गई है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों ने गुजरात के आर्थिक अनुशासन और आयोजित विकास की उपलब्धियों को प्रभावी करार देते हुए कहा कि गुजरात ने डबल डिजीट ग्रोथ रेट बरकरार रखा है।
राज्य सरकार की वनबंधु कल्याण योजना, सागरखेड़ु विकास योजना और शहरी गरीब समृद्घि योजना-इन तीनों योजनाओं में कुल बजट की 34 प्रतिशत व्यवस्था और कार्यक्रमों को भी केन्द्रीय योजना आयोग के सदस्यों ने सराहनीय बतलाया। पर्यावरण के साथ विकास का गुजरात का विजन अच्छी पहल है, इसे भी ध्यान में लिया गया। गुजरात ने युवाओं के हुनर कौशल्य के लिए स्किल डेवलपमेंट व्यूह अपनाया है, जिसकी सदस्यों ने प्रशंसा की। राज्यों और केन्द्र के बीच प्रगति के डेटा कलेक्शन में भिन्नता है, इसके उपाय खोजने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इसकी वजह से विकास के मूल्यांकन पर विपरीत असर पड़ता है।
गुजरात ने मानव विकास सूचकांक ऊपर लाने में काफी पहल की है। स्त्री-पुरुष रेश्यो में काफी सुधार हुआ है। दलितों और आदिवासियों के विकास में सबसे ज्यादा सफलता गुजरात ने हासिल की है। प्राथमिक शालाओं में छात्राओं के अलग टॉयलेट सेनीटेशन सभी 34 हजार शालाओं में उपलब्ध करवाए गए हैं, जिससे कन्याओं की ड्रॉप आउट दर में सुधार आया है। केन्द्रीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेकसिंह आहलूवालिया ने गुजरात की वार्षिक योजना के सन्दर्भ में कहा कि, 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं का यह पहला वर्ष है और मात्र गुजरात ही नहीं, राष्ट्रीय आयोजन को भी ज्यादा गहन बनाने के लिए गुजरात की उपलब्धियों और केन्द्र सरकार को आयोजन में क्या परिवर्तन करना चाहिए, इसके लिए सुझाव दिये जाने चाहिएं।
इस बैठक में गुजरात के वित्त मंत्री वजूभाई वाळा, वित्त एवं ऊर्जा राज्य मंत्री सौरभभाई पटेल, योजना राज्य मंत्री रणजीतभाई गिलीटवाला, गुजरात योजना आयोग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा, मुख्य सचिव एके जोती और कई वरिष्ठ सचिव मौजूद थे।