एशिया की प्रमुख ब्रोकरेज फर्म सी.एल.एस.ए. ने गुजरात के विकास को एक बार फिर सराहा..! 

‘गुजरात : स्थायित्व के लिए विकास’ नामक एक रिपोर्ट में लेखक लिखते हैं कि गुजरात केवल सबसे तेज विकसित राज्यों में से एक नहीं है बल्कि विकास का अपना एक अद्वितीय मॉडल भी है। 

उद्योग सहयोगी नीतियों के कारण औद्योगिक विकास, वर्तमान सरकार की पहल जिसने उद्योग तथा उद्योगपतियों को आकर्षित किया है : सी.एल.एस.ए. 

सी.एल.एस.ए. रिपोर्ट कहता है कि अनाज, गेहूँ तथा कपास उत्पादन के साथ साथ राष्ट्रीय कृषि जी.डी.पी. में भी इसका योगदान सहित गुजरात का कृषि क्षेत्र चमक रहा है 

गुजरात के विकास की विशेषता है केन्द्रीय अनुदान पर कम निर्भरता : सी.एल.एस.ए.

गुजरात की विकास यात्रा ने विभिन्न प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विचारकों तथा नीति संस्थाओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। हाल ही में गुजरात के विकास के लिए प्रशंसा के जो शब्द सी.एल.एस.ए. के एशिया-पैसिफिक बाजार से आए हैं, जो कि एशिया का प्रमुख स्वतंत्र ब्रोकरेज और निवेश ग्रूप है।

अनिरुद्ध दत्ता तथा भावेश प्रवीण शाह द्वारा ‘गुजरात : स्थायित्व के लिए विकास’ नामक रिपोर्ट में यह विवेचन दिया गया है कि भारत के एक सबसे तेज विकसित राज्य होने के साथ साथ गुजरात विकास का एक सबसे अनोखा मॉडल भी प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट गुजरात की कृषि में सफलता दर्शाता है और कहता है कि राज्य का विकास मॉडल इसकी केन्द्रीय अनुदान पर कम निर्भरता के कारण और अधिक लचीला है।

विकास का एक स्थायी मॉडल 

विकास के लिए यह आवश्यक है कि वह स्थाई हो ताकि ज्यादा से ज्यादा संभव लोगों को इसका लाभ मिल सके। सी.एल.एस.ए. की रिपोर्ट में श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात की विकास गाथा के इस स्थायीत्व की नोंध ली गई है, जिसको भारत के अन्य राज्यों के परिप्रेक्ष्य में देखा गया है।

भारत के आर्थिक दिशा की बातों पर लिखते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का एक अलग ढंग से विकास हुआ है तथा ‘उत्पादन के वर्चस्व वाले चरण से गुजरे बिना, एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से सेवाओं की महाशक्ति तक’ का संक्रमण किया और इसके कारण कृषि पर निर्भरता आने के साथ साथ रोजगार का बड़े पैमाने पर कोई निर्माण नहीं हो सका है।

हालांकि, गुजरात के मामले में रिपोर्ट ने निम्नलिखित अवलोकन किए हैं :

  • गुजरात ने इस पूरे चलन को ठुकरा दिया है। जी.एस.डी.पी. के 40% उद्योग से आते हैं जबकि 27% भारत के बाकी हिस्सों से आता है।
  • अन्य औद्योगिक राज्य जैसे महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु, कि जहाँ पर कुल जी.एस.डी.पी. में उद्योगों के हिस्से में गिरावट आ रही है, उसकी तुलना में राज्य का प्रदर्शन अच्छा है।
  • राष्ट्रीय उद्योग के जी.डी.पी. के प्रति गुजरात के उद्योग के जी.डी.पी. का योगदान वित्तीय वर्ष ’01 में 8-8.5% से बढ़ कर वित्तीय वर्ष ’11 में 11-11.5% हो गया है।
 

राज्य सरकार की भूमिका पर रिपोर्ट में कहा गया है कि :

  • अन्य दूसरी चीजों के साथ, उद्योग के अनुकूल नीतियों के कारण औद्योगिक विकास संभव हुआ है।
  • वर्तमान सरकार की पहलों ने कई उद्योगों तथा उद्योगपतियों को आकर्षित किया है।
 

जय किसान - सी.एल.एस.ए. रिपोर्ट ने गुजरात की कृषि सफलता को ध्यान में लिया 

कृषि हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। आज भी, ज्यादातर लोग अपनी आजीविका इसी प्राथमिक क्षेत्र से कमाते हैं। कोई भी विकास हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन दिए बिना पूरा नहीं माना जा सकता।

जब श्री नरेन्द्र मोदी ने 2001 में कार्यभार संभाला, तब गुजरात अपने कृषि विकास के लिए कभी नहीं जाना जाता था। लगातार पडऩे वाला सूखा और बारहमासी नदियों के अभाव के साथ दूसरी समस्याओं के होने से किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि गुजरात कृषि क्षेत्र में कामयाब हो सकता है। यह तब संभव हुआ जब श्री मोदी ने शासन करने के दृष्टिकोण में बदलाव के साथ कृषि को भारी बढ़ावा देने की शुरुआत की। कृषि महोत्सव जैसी पहलों के कारण किसानों के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया और आज परिणाम सभी के सामने है - जहाँ पूरे देश की कृषि 3% से अधिक बढऩे में नाकाम रही है, वहीं गुजरात ने लगातार 11% से कृषि विकास दर को कायम रखा है..!

सी.एल.एस.ए. ने इन परिवर्तनों को अपनी रिपोर्ट में शामिल करते हुए कहा है :

  • गुजरात की कृषि क्षेत्र से जी.एस.डी.पी. 13% है, जो की महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे औद्योगिक राज्यों से काफी अधिक है।
  • पिछले दशक में, गुजरात का कृषि जी.डी.पी. का योगदान राष्ट्रीय कृषि जी.डी.ओ.पी. में दोगुना हो गया है।
  • गुजरात का गेहूँ तथा कपास उत्पादन में हिस्सा पिछले कुछ सालों में बढ़ा है।
  • खाद्यान्नों की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

केन्द्रीय अनुदान पर कम निर्भरता 

श्री नरेन्द्र मोदी ने यह बार-बार कहा है कि गुजरात का विकास छह करोड़ गुजरातियों के प्रयासों के कारण हुआ है। यह सामूहिक प्रयास तथा टीमवर्क है जो राज्य के विकास के इंजन को आगे बढ़ा रहा है। अपने रिपोर्ट में सी.एल.एस.ए. कहता है कि गुजरात की केन्द्रीय अनुदान पर निर्भरता कम रही है। कुल कर राजस्व की प्रतिशतता में राज्य का कर राजस्व देश में सर्वाधिक 84% है।

इसके अलावा, गुजरात का केन्द्रीय हस्तांतरण में हिस्सा 3.4% पर अपरिवर्तित रहा है, जो महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से कम है।

यह रिपोर्ट उन गुजरात विरोधी तत्वों के लिए उपयुक्त जवाब हो सकती है जो कथाकथित रूप से पिछले एक दशक में राज्य के विकास में अपना हाथ होने की बात चिल्ला रहे हैं, जबकि आंकड़े एक बिल्कुल अलग ही कहानी बता रहे हैं..!

अन्य प्रमुख विशेषताएं

सी.एल.एस.ए. की गुजरात पर दी गई रिपोर्ट राज्य के विकास के वाईब्रेंट माहौल पर अन्य कई पहलुओं को जाहिर करता है। रिपोर्ट में दिए गए कुछ बिंदु हैं :
  • पिछले दशक में विकसित राज्यों में सुशासन के मामले में गुजरात बेहतरीन राज्यों में से एक है।
  • साक्षरता, पी.सी.आई., पीने के पानी की सुविधाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में परिणाम दिखाई दे रहें हैं।
  • बेहतर शासन से गुजरात को अपने सामाजिक क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
 

यह पहली बार नहीं है कि सी.एल.एस.ए. ने गुजरात के विकास की सराहना की हो। उसके 31 मई, 2012 की आवृत्ति ‘ग्रीड ऐन्ड फीयर’ (लालच और डर) में प्रसिद्घ रणनीतिज्ञ श्री क्रिस्टोफर वुड ने गुजरात के विकास की कथा की सराहना की थी तथा इसके विपरीत नई दिल्ली की नीति गतिहीनता के कारण आए निराशावाद का उल्लेख किया था।

अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जिन्होंने श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरक नेतृत्व में गुजरात के विकास की सराहना की है उनमें दुनिया के सबसे पुरानी और अग्रणी विचारक संस्था ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन, प्रमुख व्यापार दैनिक द फाइनेंशियल टाइम्स तथा द इंडिपेंडेंट यू.एस.ए. काँग्रेशनल थिंक टैंक शामिल है, जिन्होंने श्री मोदी को ‘किंग ऑफ गवर्नेन्स’ (शासन का राजा) कहा है। इस वर्ष मार्च में वे टाइम मैगज़ीन के कवर पेज पर नजर आए जिसमें ‘मोदी यानि कारोबार’ नामक एक लेख लिखा गया था।

श्री मोदी ने कई बार कहा है कि वे केवल एक ही चीज़ के बारे में सोचते हैं और वह है गुजरात का विकास और यह उनका सपना तथा प्रेरणापूर्ण प्रतिनिधित्व है जिसने गुजरात को दुनिया के विकास के नक्शे पर अंकित कर दिया है। आज, जब हम इस तरह की रिपोर्ट पढते हैं, तब हमें पता चलता है कि कैसे उनके सपने हकीकत में बदल गए हैं, जिसने गुजरात के लोगों को विकास का एक सुनहरा दशक दिया है।

 

संदर्भों का उल्लेख :

https://www.business-standard.com/india/news/five-reasonsgujarat-is-differentother-states-clsa/191500/on 

https://blog.offstumped.in/2012/10/11/gujarat-polls-2012-clsas-state-of-states-report-on-gujarat/ 

https://www.narendramodi.in/leading-international-brokerage-house-clsa-applauds-development-in-gujarat/

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
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यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

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कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।