"Narendra Modi speaks at National Conference on Panchayati Raj & Rural Development in Gandhinagar"
"If we followed Gandhiji’s vision, our villages would lead cities. We still can curb urban migration: Narendra Modi"
"Shri Modi talks about efforts by Guj Govt to strengthen Panchayati Raj and Gujarat’s villages"
"Shri Modi: Govt & society should understand & fulfill the growing aspirations of people in villages"

महात्मा मन्दिर : गांधीनगर

ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण के लिए गुजरात की पहल मुख्यमंत्री ने किया शुभारम्भ

ग्रामशक्ति को विकास में शामिल करें : मुख्यमंत्री

भारतभर के तमाम राज्यों के 5900 पंचायतीराज पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों की मौजूदगी

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पंचायती राज और ग्राम विकास की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद का आज गांधीनगर में शुभारम्भ करते हुए ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण के लिए ग्रामशक्ति को विकास में शामिल करने का आह्वान किया।

पंचायती राज के माध्यम से ग्राम विकास के क्षेत्र में अनेक अनोखी पहल किस प्रकार हो सकती है उसका मार्गदर्शन भी मुख्यमंत्री ने दिया।

पंचायती राज की स्वर्णिम जयंती मना रहे गुजरात में महात्मा मन्दिर, गांधीनगर में आज से दो दिवसीय पंचायती राज और ग्राम विकास की राष्ट्रीय परिषद का शुभारम्भ हुआ। भारत के सभी राज्यों से ग्रामीण विकास क्षेत्र और पंचायत राज के प्रतिनिधि और पदाधिकारियों सहित करीब 5900 से ज्यादा विशेषज्ञ और अग्रणी इसमें भाग ले रहे हैं। पांच टेक्निकल सत्रों और 20 समूह चार्चा बैठकों में 32 जितने विशेषज्ञ विभिन्न विषय पर आधारित थीम पर परामर्श करेंगे और उनके विचार रखेंगे।

परिषद में गुजरात के साथ ही अन्य राज्यों से 3400 से अधिक प्रतिनिधि मंडलों में 1860 महिलाएं भी शामिल हैं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने (1) ग्राम विकास से देश विकास- गुजरात के अनुभव, (2) मिशन मंगलम के अंतर्गत ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की सफलता गाथा- अनोखी पहल और(3) महिला सशक्तिकरण पुस्तकों का विमोचन किया। साथ ही इनकी ई बुक आवृत्तियों का भी विमोचन किया। यह तीनों पुस्तकें गुजरात सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित की गई हैं।

देश में पंचायती राज और ग्राम विकास के क्षेत्र में अनोखी पहल और उत्तम उपलब्धि हासिल करने वाले प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।

इस ग्राम विकास परिषद में लघु ग्रामीण भारत के दर्शन होते हैं। गर्व से इस बात का उल्लेख करके प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पंचायती राज के 50 वर्ष गुजरात में पूर्ण हुए हैं और देश में सभी राज्यों में पंचायती राज की माध्यम से ग्रामीण विकास में नयी ऊंचाइयां किस प्रकार हासिल हो, ग्रामीण भारत में बसनेवाले नागरिकों का जीवन स्तर किस तरह ऊंचा हो इसके लिए गुजरात में आयोजित यह परिषद नयी दिशा दर्शाएगी।

महात्मा गांधीजी के ग्राम स्वराज के सपने की सार्थकता का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत में 80 करोड़ ग्राम शक्ति विकास और निर्णय में भागीदार बनें तो काफी बड़ा गुणात्मक परिवर्तन आ सकता है। भारत के सात लाख गांवों में विकास की आशा और सपने पलते हैं।

महात्मा मंदिर के निर्माण में भारत की सभी नदियों का जलाभिषेक हुआ है और अब लौह पुरुष सरदार पटेल के भव्य स्मारक स्टेचू ऑफ यूनिटी का नर्मदा नदी के सरदार सरोवर डैम के नजदीक निर्माण करने का और भारत की किसान शक्ति का भावनात्मक सहयोग लेने का अभियान गुजरात ने शुरू किया है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल किसान नेता थे और इसीलिए भारत के सात लाख गांवों में से पुराने खेती के औजार सांकेतिक रूप से एकत्र कर स्टेचू ऑफ यूनिटी के निर्माण में काम में लिए जाएंगे। सरदार जयंती से इस अभियान का देश भर में प्रारंभ होगा।

महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज में गांव और ग्रामीण समाज आत्मनिर्भर बने इसके स्पष्ट दर्शन होते हैं। और गुजरात सरकार ने गांवों का सशक्तिकरण करके उसको आर्थिक गतिविधियों के उत्पादन केन्द्र के रूप में विकसित करने की पहल की है। गुजरात के आदिवासी पूर्वी पट्टे में न्यू गुजरात पैटर्न से आदिवासी समाज के हाथ में विकास का आयोजन करने के अधिकार और धन खर्च करने के अधिकार दिए गए हैं। आदिवासी योजना बोर्ड और जिला-तहसील योजना मंडलों ने इस दिशा में अनेक अनोखे परिणाम प्राप्त किये हैं। करीब ४० हजार करोड़ रुपये की वनबंधु कल्याण योजना से आदिवासी गांव में विकास की जनचेतना गतिशील हुई है। एक ओर जीवन स्तर ऊंचा आया है जबकि दूसरी ओर समुद्रीतट के क्षेत्र में स्थित गांवों के कायापलट और ढांचागत सुविधा के लिए २१ हजार करोड़ रुपये की सागरखेड़ु विकास योजना काफी तेज गति से आगे बढ़ रही है।

ग्रामीण शक्ति को ग्राम विकास में शामिल करने का अभियान शुरू करने का आह्वान करते हुए श्री मोदी ने कहा कि गांव के विकास में ग्रामीण शक्ति को निर्णय में भागीदार बनाने के लिए ग्राम सभा लोकतंत्र का आधारभूत माध्यम है लेकिन संविधान में ग्रामीण सभा का महत्व दर्शाया था, किंतु शायद ही इसे महत्व दिया गया था। गुजरात सरकार ने अक्टूबर, २००१ से ग्राम सभा के अभिगम को प्राणवान बना दिया है। आज ग्राम विकास के निर्णय और समस्या के निराकरण में गुजरात की ग्राम सभा निर्णायक बनी है।

गांव के विकास में चुनावी दुर्भावना से जो प्रतिकूल असर पड़ते हैं इसका निराकरण करने के लिए समरस गांव योजना शुरू की गई है। इतना ही नहीं, ३६२ गांव तो ऐसे हैं जहां पूरी ग्राम पंचायत ही महिला सरपंच द्वारा संचालित हो रही है। इसकी गौरवगाथा प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समरस गांवों से ग्राम विकास में सबके साथ से सबकी भागीदारी संभव हुई है। ग्रामीण महिलाएं पंचायती राज में सशक्त नेतृत्व कर रही हैं। महिला सरपंचों ने गांव में गरीबी दूर करने का संकल्प किया है, निरक्षरता दूर करने का संकल्प किया है, गांव में शौचालय की पूर्ति करने के अभियान चलाए हैं, गांव की सुविधा के लिए कौन सी जरूरत प्राथमिकता है यह ग्रामीण महिला की सच्ची समझ को दर्शाता है।

ग्राम विकास के लिए कितना ही भारी बजट क्यों न हो, लेकिन विकास के लिए जनभागीदारी या जननेतृत्व सक्षम नहीं होगा तो मनचाहे परिणाम हासिल नहीं किए जा सकते। उन्होंने कहा कि गांव में पशुपालन की उत्तम वैकल्पिक और वैज्ञानिक व्यवस्था का पथ गुजरात ने पशु छात्रालय के मॉडल से खड़ा किया है। राज्य में एनीमल हॉस्टल का संचालन यही महिला शक्ति करती है और पशुपालन की आर्थिक प्रवृत्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की उपलब्धि हासिल की है।

ज्योतिग्राम से हर गांव में २४ घंटे बिना अवरोध बिजली आपूर्ति ने गुजरात के गांवों में आर्थिक और शैक्षणिक, सामाजिक परिवर्तन तथा कृषि विकास में काफी बदलाव आया है।

राजस्व सुधार का परिणाम दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने प्राचीन पुराने राजस्व-जमीन के कानून में समयानुकूल परिवर्तन के सुधार करके ग्रामीण विकास और किसानों की जमीन के राजस्व अधिकार और हितों की रक्षा के लिए टेक्नोलॉजी का सार्वत्रिक उपयोग किया है। किसानों और ग्राम समुदाय की अनेक परेशानियों का निराकरण ई-ग्राम, ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी, ई-धरा सहित अनेक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कई सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गोकुल ग्राम से गांवों का ढांचागत विकास गुजरात का पथप्रदर्शक बना है।

गांव और शहर दोनों ही विकास के मॉडल किस तरह बनें, गांव को शहर जैसी सुविधा मिले तो गांव निष्प्राण बनने से बच सकते हैं। गांवों से स्थानांतरण करके शहरों में आने वाली आबादी के कारण शहरीकरण बोझ न बनें इसके लिए टेक्नोलॉजी से ई-ग्राम विश्व ग्राम द्वारा सभी ग्राम पंचायतों को २४ घंटे ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी दी गई है। इसकी वजह से गांवों में नये प्राण आए हैं।

गुजरात सरकार ने ग्रामीण जनता के लिए ग्राम स्वागत ऑनलाइन जनशिकायत निवारण योजना का सफलतापूर्वक अमल करके लोकतंत्र में आम ग्रामीणों की शिकायत को प्रशासन मं सुनकर इसका संतोषजनक निराकरण लाया जा सकता है, ऐसा विश्वास पैदा किया है।

भारत में सात लाख गांवों और ८० लाख ग्रामीण आबादी की विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज का सशक्तिकरण करने की अनेक पहल गुजरात सरकार ने इन दस वर्षों में की है। श्री मोदी ने आह्वान किया कि गांवो आर्थिक प्रवृत्ति के उत्पादन केन्द्र बनें और ग्रामीण विकास के लिए सक्षम नेतृत्व करें, तभी विकास चहूंमुखी होगा।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!