मुम्बई में भारत की सर्वप्रथम इंडिया इंटरनेशनल बुलियन समिट
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया वीडियो कांफ्रेंस से शुभारम्भ
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी:• 1968 के गोल्ड एक्ट के कारण ही सोने की स्मगलिंग के गिरोहों और देशविरोधी संकटों से अर्थव्यवस्था तबाह हुई • सोने के बारे में केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के चलते सोना देश की अर्थव्यवस्था का विलन बन गया • भारत सरकार स्वर्णकारों के कौशल्यवर्धन, मूल्यवर्धन ज्वैलरी के निर्यात को प्रोत्साहन दे • राज्यों को एक्स्पोर्ट प्रमोशन काउंसिल कार्यरत करनी चाहिए
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुम्बई में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल बुलियन समिट का गांधीनगर से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से शुभारम्भ करते हुए केन्द्र की कांग्रेस शासित युपीए सरकार की स्वर्ण से सम्बन्धित नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय परम्परा में ही स्वर्न की महिमा है जिससे विमुख होकर सोने को देश की अर्थव्यवस्था में विलन बना दिया गया है।
बॉम्बे बुलियंस एसोसिएशन के तत्वावधान में भारत की इस प्रथम इंटरनेशनल बुलियन समिट को सम्बोधित करते हुए श्री मोदी ने युपीए सरकार को चेतावनी दी कि अगर सोने के आयात पर नियंत्रणों का प्रतिकूल असर हुआ तो भूतकाल के 1968 की स्वर्ण अंकुश धारा ने भारत में सोने की स्मगलिंग के गिरोह, माफिया, नार्कोटिक्स, ड्रग्स, हथियार, गोला- बारूद, नकली नोट और आतंकवाद के खतरों से देश को तबाह करने वाले हाथों से देश की अर्थव्यवस्था फिर से संकट में आ जाएगी।
श्री मोदी ने बुलियन एसोसिएशन से भी अनुरोध किया कि वह भी भारत सरकार की स्वर्ण सम्बन्धित नीति के खिलाफ आवाज उठाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि सोने के ज्वैलरी बनाने का जो कौशल्य भारत के जौहरियों में है उसका स्कील अपग्रेडेशन करने के योजना को व्यापक दायरे में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे दुनिया में जिस हेंडमेड गोल्ड ज्वैलरी की लोकप्रिय मांग है उसके बाजारों पर भारत के ज्वैलर्स का प्रभुत्व स्थापित हो सकेगा।
भारत में हर राज्य को अपनी एक्स्पोर्ट प्रमोशन काउंसिल जैसे निर्यात को प्रोत्साहन देने का समय आ गया है। श्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार को ऐसी नीति अपनानी चाहिए कि जो राज्य सबसे ज्यादा निर्यात करे उसे विशेष प्रोत्साहन दिया जाए।
भारत में सदियों से सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में सोना मात्र आर्थिक साधन ही नहीं रहा बल्कि किसी भी अच्छे कार्य के इए सोना गौरव समान बना है। आयुर्वेद में स्वर्णभस्म और स्वर्णप्राश जैसी चिकित्सा की महिमा को चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। मुसीबत के वक्त या बेटियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए छोटे से छोटा परिवार भी सोने की वजह से सुरक्षा का अहसास कर सकता है जबकि सरकार पर जनता को अब भरोसा नहीं रहा है। शेयर बाजारों की उथल पुथल और रुपए की कीमत में गिरावट के कारण सोना परिवार की संकट की घड़ी का सुरक्षा साधन है।
उन्होंने कहा कि 1968 में स्वर्ण अंकुश धारा का अमल उसका मकसद पूरा ना कर सका और उसके बाद 1991 तक तो सोने की स्मगलिंग और देश के लिए संकट समान गिरोहों ने सिर उठाया था, मगर युपीए की सरकार में तो सोना दवा की जगह दर्द बन गया है। यह केन्द्र की गलत नीतियों के चलते हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि स्वर्ण नियंत्रण धारा ने देश के लाखों जौहरियों की रोजीरोटी छीनकर कई लोगों को आत्महत्या के रास्ते पर ला दिया था। कांग्रेस की इन नीतियों ने जौहरियों की दो पीढ़ियों का जीवन तबाह कर दिया। वर्तमान युपीए सरकार के मंत्री देश के संकटों के समाधान के लिए विचित्र व्यवहार करते हैं और इसी वजह से समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। भारत का इतिहास गवाह है कि अगर सरकारें जनमानस की परम्परा से विमुख हो जाती हैं तो सही निर्णय नहीं ले पाती हैं।
मुख्यमंत्री ने भारत के सोने, चांदी के गहने बनाने का कौशल्य रखने वाले जौहरियों की पीढ़ी के लिए कौशल्यवर्धन कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने और सोने के मूल्यवर्धित गहनों के बाजार पर प्रभाव स्थापित करने के लिए कुशल मानव संसाधन विकास पर बल दिया।
श्री मोदी ने रिजर्व बैंक के अभ्यास समूह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लोगों में सोने की मांग के साथ भावों का सम्बन्ध नहीं है इसलिए सोने पर आयात ड्यूटी लगाने से सोना महंगा होगा मगर उसकी खरीद पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। हमारा लक्ष्य सोने के गहनों और मूल्यवर्धित गहनों का निर्यात ज्यादा से ज्यादा कैसे हो, उसके लिए क्या प्रोत्साहन हो सकते हैं और किस तरह सुनारों का सशक्तिकरण हो सकता है, यह होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने हाउस होल्ड गोल्ड लोगों के घर में मौजूद सोने को देश की आर्थिक गतिविधियों में रुपांतरित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों का आयात सबसे ज्यादा है मगर कोयला, आयरन जैसी देश की सम्पत्तियों का अधिकतम उपयोग करने की नीति अपनाने की जरूरत है। क्यों हमें इसका इतना ज्यादा आयात करना पड़ता है? इसका हल हमारे पास है मगर केन्द्र सरकार अनिर्णयात्मक बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की सिर्फ 6 प्रतिशत शाखाएं हैं जबकि ग्रामीण जनता के लिए बचत का सबसे उत्तम साधन सोने में निवेश है। केन्द्र सरकार की नीतियों पर अब किसी को भरोसा नहीं रहा है। श्री मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में वैचारिक विरोध लोकतंत्र की सच्ची ताकत है मगर केन्द्र सरकार सोने की चिड़िया जैसे देश के प्राचीन वैभव के लिए सही रास्ता अपनाने के बजाए जो संवेदनशील हैं उन्हीं को झूठ फैलाकर परेशान करती है। उन्होंने कहा कि बुलियन एसोसिएशन की समस्याओं के लिए वह स्वयं (मुख्यमंत्री) संवेदनशील हैं।