"Special Kisan Panchayat to be held: Country Seminars from Israel, Netherlands and Denmark to take place along with other Agricultural Seminars"
"Gujarat’s sustained Agriculture growth-rate an inspiration for the other states"
"Last one decade has seen increase of 37 Lakh hectares in sowing area and 86 Lakh Metric Tonnes in Agriculture Produce"

विश्वस्तरीय कृषि ज्ञान से रू-ब-रू होंगे गुजरात के किसान

एक दशक में राज्य के बुवाई क्षेत्र में ३७ लाख हेक्टेयर और खेत उत्पादन में ८६ लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी

गुजरात की कृषि क्रांति की सराहना देश ही नहीं दुनिया भर में हो रही है। वजह यह कि, गुजरात वैश्विक विकास के लिए निष्ठावान प्रयास कर रहा है। इन प्रयासों के परिणाम विकास की नई दिशा के मील के पत्थर समान हैं, जो दूसरों को विकास की मंजिल का न सिर्फ पता बताते हैं बल्कि उन्हें प्रेरणा भी देते हैं। ऐसा ही एक संनिष्ठ प्रयास गुजरात की धरती पर आगामी ९-१० सितंबर को आयोजित “वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक कृषि सम्मेलन-२०१३” के माध्यम से किया जा रहा है। इस सम्मेलन के अंतर्गत देश भर के किसानों की पंचायत आयोजित होगी साथ ही दुनिया का श्रेष्ठतम कृषि ज्ञान गुजरात के किसानों के लिए सुलभ होगा। मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि प्रवृत्ति को राज्य के समग्र विकास की मजबूत बुनियाद माना है। इसलिए ही “लैब टू लैंड” के मंत्र के साथ उन्होंने कृषि ज्ञान को कृषि विश्वविद्यालय की चारदीवारी से निकालकर खेतों तक पहुंचाने की मुहिम कृषि महोत्सव के जरिए शुरू की।

गुजरात ने जमीन की तासीर को पहचानते हुए सॉइल हैल्थ कार्ड की मदद से जमीन के लिए जरूरी पोषक तत्वों का उपयोग करते हुए अनुकूल फसल तैयार करने की शुरूआत की। गुजरात के किसानों ने भी अथक परिश्रम कर दूसरी हरित क्रांति का नेतृत्व किया है।तमाम संकलित प्रयासों की वजह से भूतकाल में राज्य की कृषि विकास दर जो ऋणात्मक यानी शून्य से दो अंक नीचे थी, वह बढ़कर दोहरे अंकों की हो गई। गुजरात के कृषि विकास की इस निरंतरता ने समूची दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया। कृषि मामलों के विशेषज्ञ डॉ. स्वामीनाथन ने भी गुजरात के इन प्रयासों की जमकर सराहना की। मौजूदा वर्ष की शुरुआत में भारत सरकार के कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन पॉलिसी के अध्यक्ष डॉ. अशोक गुलाटी ने गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। गुलाटी ने कृषि क्षेत्र में गुजरात की मुसलसल दस फीसदी की विकास दर को अन्य राज्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत करार दिया।

Agriculture Summit-2013

काबिलेगौर है कि दशक पूर्व राज्य की कृषि आय ९००० करोड़ रुपये थी। राज्य सरकार ने कृषि एवं कृषिकारों के सर्वांगीण विकास के लिए अभियान शुरू किया, फलस्वरूप आज राज्य की वार्षिक कृषि आय ने लंबी छलांग लगाते हुए एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पार कर लिया है। यह उपलब्धि यूं ही हासिल नहीं हुई है।

राज्य सरकार के मार्गदर्शन, कृषि पद्धति में वैज्ञानिक अभिगम और मेहनतकश किसानों की बदौलत यह संभव बना है। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले एक दशक में गुजरात ने कृषि क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वह किसी चमत्कार से कम नहीं। वर्ष १९९१ में राज्य का बुवाई रकबा १०६ लाख हेक्टेयर और खेत उत्पादन १०८ लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष २००१ में मामूली बढ़ोतरी के साथ क्रमशः १०८ लाख हेक्टेयर और १५५ लाख मीट्रिक टन तक ही पहुंच सका। इस तरह दस वर्ष में बुवाई रकबे में महज दो लाख हेक्टेयर और खेत उत्पादन में ४७ लाख मीट्रिक टन की ही वृद्धि दर्ज हुई।

मुख्यमंत्री श्री मोदी की दूरदृष्टि की बदौलत राज्य के कृषि क्षेत्र में विकास की नई क्षितिजें खुलीं। नतीजतन वर्ष २०१० में बुवाई रकबा १४५ लाख हेक्टेयर और खेत उत्पादन २४१ लाख मीट्रिक टन के पार पहुंच गया। इस तरह बुवाई रकबे में ३७ लाख हेक्टेयर और खेत उत्पादन में ८६ लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी राज्य सरकार के एक दशक के सुशासन का परिचय देती है। कृषि क्षेत्र में गुजरात शिखर पर है। विभिन्न तरह की कृषि उपज के मामले में गुजरात का प्रदर्शन उसे सर्वोच्च पायदान पर स्थापित करता है। देश के कुल मूंगफली उत्पादन में गुजरात की हिस्सेदारी ३० फीसदी है। इसी तरह देश का ८० फीसदी एरंडा गुजरात में उत्पादित होता है। जीरे के उत्पादन में तो गुजरात समग्र विश्व में अव्वल है। प्याज उत्पादन में भी गुजरात की तूती बोलती है। देश में प्याज की ८० फीसदी डिहाइड्रेशन इकाईयां अकेले गुजरात में है।

कपास की बात करें तो देश के कुल उत्पादन में गुजरात का योगदान ३३ फीसदी है, वहीं कपास निर्यात में गुजरात की हिस्सेदारी ५० फीसदी है। वर्ष २०१२-१३ में गुजरात में ८६ लाख गांठ कपास का रिकार्ड उत्पादन हुआ था। इसी कड़ी में राज्य में गेहूं उत्पादन में पिछले दशक में पांच गुनी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष २०१०-११ में खाद्यान्न उत्पादन १०० लाख मीट्रिक टन तक जा पहुंचा था। ज्यादा उत्पादन हासिल करने के लिए वर्ष २०११-१२ में केन्द्र सरकार ने राज्य को “कृषि कर्मण कमांडेशन पुरस्कार” से नवाजा था। गुजरात ने कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक अभिगम अपनाया है। जल संचय के महत्व को जाना है और इसलिए ही राज्य में ७ लाख हेक्टेयर से भी अधिक इलाके में सूक्ष्म पियत पद्धति से आधुनिक खेती को अंजाम दिया जा रहा है। हालांकि, इन तमाम प्रयासों और उसके चलते हासिल हुई शानदार उपलब्धियों पर ही राज्य सरकार के कदम नहीं थमें हैं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र में हुए अनुसंधान एवं तकनीक, नवीनतम कृषि मशीनरी संबंधी ज्ञान से गुजरात के किसानों को रू-ब-रू कराने के लिए आगामी ९-१२ सितंबर के दौरान ग्लोबल एग्री समिट सह प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

इस मेगा प्रदर्शनी में १५ से अधिक देशों की २०० से ज्यादा कंपनियां कृषि की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करेंगी। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आयोजित किसान पंचायत में गुजरात के ४००० किसानों के अलावा देश भर के तकरीबन ५००० किसान भाग लेंगे और अपना अनुभव बांटेंगे। सम्मेलन में कृषि विषयक सेमीनार के साथ-साथ इजरायल, नीदरलैंड तथा डेनमार्क जैसे देशों के कंट्री सेमीनार का भी आयोजन किया गया है। यह सारा पुरुषार्थ देश के सर्वांगीण कृषि विकास के लिए गुजरात कर रहा है। “इंडिया फर्स्ट” के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विचार के अनुरूप ही यह गुजरात का महायज्ञ है।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !