भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली चुनाव के प्रभारी आदरणीय श्री नितिन गड़करी जी, भाई नवजोत सिद्धू जी, प्रदेश के अध्यक्ष मेरे मित्र विजय गोयल जी, जिनके नेतृत्व में दिल्ली की जनता सरकार बनाने वाली है वह डॉ. हर्षवर्धन जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव, भाईयों और बहनों..!
मैं पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में चुनाव अभियान के लिए दौरा कर रहा हूं। भाईयों-बहनों, ये साफ नजर आ रहा है कि देश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपना विश्वास प्रकट करना शुरू कर दिया है। आने वाले चुनावों में लोग सिर्फ कांग्रेस को हराने के लिए या भाजपा को जीताने के लिए ही वोट नहीं करना चाहते हैं, वह चाहते हैं कि भाजपा जीते और कांग्रेस को बहुत बड़ी सज़ा मिले, ये लोगों का मिज़ाज है..! भाईयों-बहनों, लोकतंत्र में जनता जनार्दन के पास यही एक शस्त्र होता है, आवाज़ उठाने का ताकतवर अवसर होता है। आने वाली 4 तारीख को आप सिर्फ अपने विधायक का भविष्य तय नहीं करेंगे और न ही चांदनी चौक का क्या हो, क्या न हो, इस प्रकार का सीमित निर्णय करेगें। चार तारीख को आप सिर्फ दिल्ली की सरकार बनाने का निर्णय करने वाले नहीं हो, बल्कि आप अपने भविष्य की भाग्यरेखा अंकित करने वाले हो..!
भाईयों-बहनों, दिल्ली में कित कितनी सरकारें हैं, बड़े-बड़े दिग्गज नेता हैं और इनकी नाक के नीचे दिल्ली की इतनी दुर्दशा हो रही है..! भाईयों-बहनों, निर्भया की घटना भले ही दिल्ली में घटी हो, लेकिन उस घटना ने पूरे हिंदुस्तान का दिल तोड़ दिया..! गुडि़या की घटना भले ही दिल्ली में हुई हो, लेकिन उस घटना ने पूरे देश को चौंका दिया है..! भाईयों-बहनों, हमारे देश की राजधानी में एक महिला मुख्यमंत्री हो, एक महिला देश की सरकार को हिलाती-डुलाती हो और उसी दिल्ली में माताओं-बहनों की जिन्दगी सलामत न हों, इससे पूरे विश्व में हमारे देश की इज्ज़त मिट्टी में मिल जाती है..! दिल्ली में माताओं-बहनों के साथ जो घटनाएं घटती है उसके कारण भारत के टूरिज्म को गंभीर प्रकार का नुकसान हुआ है। कॉमनवेल्थ गेम्स के कारण दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश का नाम ऊंचा होना था, लेकिन इन लोगों ने डुबो दिया..! आज दुनिया का कोई भी देश, दिल्ली को गर्व की नज़रों से नहीं देखता है, आखिर यह स्थिति किसने पैदा की..
भाईयों-बहनों, मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं कि पिछले 60 सालों के शासन में जो जिन्दगी आपको गुजारनी पड़ी, क्या आप अपनी संतानों को भी ऐसी ही जिन्दगी गुजारने पर मजबूर करना चाहते हैं..? क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे भी ऐसी ही जिन्दगी जिएं..? क्या आप अपने बच्चों का अच्छा भविष्य चाहते हैं..? क्या आप चाहते है कि आपके बच्चों को शिक्षा मिलें..? क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चों को नौजवान होने पर अच्छा रोजगार मिले..? क्या आप चाहते हैं कि आपके गरीब मां-बाप को दवाई मिलें..? क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चों को दो समय का भरपेट भोजन मिलें..? भाईयों-बहनों, ये छोटे-छोटे सपने 60 सालों से, तीन-तीन पीढि़यों के बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं हुए हैं..! इसका मूल कारण कांग्रेस पार्टी की वोट बैंक की राजनीति है। जब तक इस देश से हम वोट बैंक की राजनीति को खत्म नहीं करेगें, ये देश कभी भी ऊपर नहीं उठ पाएगा। देश को विकास की राजनीति की जरूरत है, देश को तस्वीर और तकदीर बदलने की जरूरत है..!
जब हम कहते हैं कि वोट बैंक की राजनीति ने देश को बर्बाद कर दिया है तो कुछ लोगों को लगता है कि हम मुसलमानों के वोट की बात कर रहे हैं..! ये रामलीला होने वाला मैदान है, जहां सत्य और ईमान का मंचन होता है, मैं इस जगह से पवित्र भाव के साथ कहना चाहता हूं कि वोट बैंक की राजनीति को समझने की जरूरत है। वोट बैंक की राजनीति हिंदु-मुसलमान का मसला नहीं है, ये देश की दुर्दशा करने का सबसे बड़ा कारण बन गया है..! मैं आपको बताता हूं कि ये कैसे होता है, औसतन हमारे देश में 60-65 प्रतिशत वोटिंग होती है, जिसमें 5 से 15 प्रतिशत इधर-उधर के लोग जो खड़े हो जाते हैं वो खा जाते हैं, तो बाद में बचते हैं 50 प्रतिशत, जिनमें दो मुख्य दलों या प्रतिस्पर्धियों के बीच खींचतान होती है और जिसको 26 प्रतिशत मिल जाता है, वही जीत जाता है..! 74 प्रतिशत लोगों की सुनवाई नहीं होती है, इसलिए ये चतुर राजनेता क्या करते हैं, वे तडजोड की राजनीति करते हैं और हिसाब लगाते हैं कि ये दो चाल पकड़ लो, अपना 26% हो जाएगा, ये दो मोहल्ले पकड़ लो, अपना 26% हो जाएगा, ये दो वॉर्ड पकड़ लो, अपना 26% हो जाएगा, ये दो बिरादरी पकड़ लो, अपना 26% हो जाएगा, ये दो धार्मिक लोगों को जोड़ दो, अपना 26% हो जाएगा... और इसलिए वह हमेशा इस फिराक में रहते है कि मुझे चुनाव जीतना है तो सिर्फ 26 प्रतिशत की चिंता करनी है, बाकी के 74 प्रतिशत की परवाह करने की जरूरत नहीं है..! ऐसे में वो रोड़ भी बनवाएंगे तो सिर्फ 26 प्रतिशत वालों के लिए, नौकरी भी दिलवाएगा तो सिर्फ 26 प्रतिशत वालों को, बिजली का खंभा लगवाएंगे तो सिर्फ 26 प्रतिशत वालों के लिए, नल लगवाएंगे तो सिर्फ 26 प्रतिशत वालों के लिए, और इस तरह 74 प्रतिशत लोग पूरी तरह से विकास की यात्रा से वंचित रह जाते हैं..! भाईयों-बहनों, गुजरात में हमने अनुभव किया है कि वोट बैंक की राजनीति को खत्म करो। सबका साथ, सबका विकास, इस मंत्र को हमने उठाया है और इसका परिणाम यह आया कि हर किसी को जाति-पाति, बिरादरी के भेदभाव के बिना फायदा मिल रहा है..!
भाईयों-बहनों, मैं तो ऐसे परिवार में पैदा हुआ हूं कि कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि मैं यहां तक पहुंच सकता हूं, मैं इतने सामान्य से परिवार का हूं..! और मेरी कोई ऐसी जाति-बिरादरी भी नहीं है, लेकिन मैने मन में ठानकर रखा कि गरीब का भला करना है, स्थितियां बदलने के लिए प्रयास करना है और आज आप हिंदुस्तान के किसी भी कोने में जाइए, जब विकास की चर्चा होती है तो गुजरात का नाम लेना पड़ता है..! मजे की बात देखिए, जिन लोगों को गुजरात अच्छा लगता है वह कहते हैं कि हम भी गुजरात जैसा करेगें और जिन लोगों को अच्छा नहीं लगता है वह कहते हैं कि हम इस विषय में गुजरात से भी आगे हैं..! मतलब, गुजरात विकास का मापदंड बन गया है। आप अच्छा करना चाहते है तो गुजरात जैसा करना है और अच्छा किया है तो गुजरात से आगे निकले हैं, ये गौरव का मापदंड बन गया है। भाईयों-बहनों, क्या ये दिल्ली मापदंड नहीं बन सकता है..? लेकिन नहीं बनेगा, क्योंकि आपने ऐसे लोगों के हाथ में दिल्ली को देकर रखा है। एक बार उनके हाथ से दिल्ली निकाल दीजिए, मैं वादा करता हूं कि देखते ही देखते दिल्ली में परिवर्तन दिखाई देगा..!
भाईयों-बहनों, आप लोग ही बताएं कि इस चुनाव में क्या विजय गोयल जी आज भी चांदनी चौक को अपने काम का हिसाब देते है या नहीं..? हर गली मोहल्ले के क्या हाल हैं पूछते है या नहीं..? उनको आपकी चिंता रहती है या नहीं..? डॉ. हर्षवर्धन जी ने पिछले दिनों दिल्ली में क्या हुआ, क्या नहीं इसका हिसाब दिया या नहीं..? लेकिन कांग्रेस का अंहकार सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है और वे जनता को अपनी जेब में मानते हैं और उसे जबाव देने के लिए तैयार नहीं है..! भाईयों-बहनों, आप सभी मंहगाई से परेशान या नहीं, मंहगाई ने सभी को परेशान करके रखा है या नहीं..? गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार परेशान है या नहीं..? क्या केंद्र या राज्य की दिल्ली सरकार ने मंहगाई के लिए कोई जबाव दिया है..? नहीं दिया, और ये अंहकार है..! अगर कोई काम नहीं हो पाता है तो जाकर बोलना चाहिए या नहीं..? भाईयों-बहनों, आज मंहगाई का हाल ये है कि गरीब के घर शाम को चुल्हा नहीं जलता है, गरीब का बेटा रात-रात भर रोता है, आंसू पीकर सोता है लेकिन कांग्रेस पार्टी को इस पर दो शब्द बोलने की फुर्सत नहीं है..! मैडम सोनिया जी, आप तो मां है मां, कभी तो मंहगाई पर दो शब्द बोलिए..! शीला जी, आप तो दादी मां हो गई, आप तो कभी भूखे बच्चों के लिए दो शब्द बोलिए..! कांग्रेस के दिग्गज नेता इस चुनाव में सामने आएं लेकिन कोई मंहगाई पर नहीं बोल रहा है..!
आप चांदनी चौक के लोगों ने जाने क्या कर दिया, लोकसभा में एक ऐसे महाशय को भेज दिया, आप सभी को उस दिन क्या हो गया था, ऐसी गलती कैसे हो गई..! देखिए मैं नहीं मान सकता कि चांदनी चौक के लोग ऐसी गलती कर दें, उस दिन कुछ हो गया होगा..! आप लोगों को पता है कि आपने कैसे इंसान को भेजा है..? वो खुद को बहुत बड़ा बुद्धिमान मानते हैं, अगर गूगल के बाद सबसे ज्यादा जानकारी किसी के पास है तो इन्ही सज्ज़न के पास है, ये खुद को गूगल का पक्का शिष्य मानते हैं और उन्हे ऐसा लगता है कि जब भगवान बुद्धि बांट रहे थे तो कतार में सबसे आगे वह ही खड़े थे..! लेकिन इन्होने ऐसी बात कही कि ऐसी बात कहने वाले इंसान को सार्वजनिक जीवन में कभी चुनाव जीतना नहीं चाहिए..! उन्होने मंहगाई पर बोलते हुए कहा कि मंहगाई इसलिए बढ़ रही है कि गरीब पहले सूखी रोटी खाता था, अब गरीब दो-दो सब्जी खाता है..! डूब मरो, डूब मरो, मेरे कांग्रेस के मित्रों, डूब मरो और गरीब की बेज्ज़ती करना बंद करो..! आप ही बताएं क्या इस देश की मंहगाई के लिए गरीब जिम्मेवार है..? क्या इस देश की मंहगाई के लिए गरीब का सब्जी खाना ही कारण है..? क्या गरीब को सब्जी खाने का अधिकार नहीं है..? आपने ऐसे महाशय को एमपी बनाया है जो केंद्र में मंत्री बनकर गरीब का सब्जी खाना गुनाह बता रहा है। क्या आप ऐसे लोगों को माफ़ करेगें..? भाईयों-बहनों, क्या भाषा बोली जा रही है..! और वो शहजादे क्या कह रहे हैं..? मैं हैरान हूं इन लोगों को सुनकर..! देखिए, अगर कुछ मीडिया वाले लोग इनकी मदद न करते तो पता नहीं आज वे कहां जाते, मीडिया वालों की मदद से ये लोग बचे हुए हैं..!
भाईयों-बहनों, जितनी हम पर बीतती है, अगर उसका सौवां हिस्सा भी इन लोगों पर बीतें तो ये लोग सार्वजनिक जीवन छोड़कर भाग जाएं..! सत्य और ईमान से जनता की सेवा करने का प्रण लेकर जब हम निकलते हैं तो घाव झेलने की ताकत भी आती है, जनता के आर्शीवाद मिलते हैं..! लेकिन शहजादे कहते है कि जब तक हम राजनीति में गरीब की बात नहीं करते, तब तक हमें मज़ा नहीं आता..! क्या गरीब मज़ा करने का विषय है..? भाईयों-बहनों, हम लोगों में फर्क यही है कि वो गरीब की राजनीति नहीं करते तो उन्हे मज़ा नहीं आता और हम गरीब के दुख-दर्द देखते हैं तो नींद नहीं आती है..! वो कहते है कि गरीबी-बरीबी कुछ नहीं होता, जो सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए, जिन्होने गरीबी देखी ही नहीं, उन्हे गरीबी के बारे में क्या पता चले..! दुख क्या होता है, दर्द क्या होता है, ठंडों में रात कैसे गुजरती है, जब पेट न भरा हो, तो भूख कैसे लगती है, जिन्हे ये सब पता ही नहीं है, वह गरीबी के बारे में क्या जानें..! वो कहते हैं, गरीबी कुछ नहीं होती है ये सिर्फ स्टेट ऑफ माइंड होता है, मन की अवस्था होती है..! जब दिल्ली में ठंड पड़ती है और फुटपाथ पर रहने वाला गरीब मौत का शिकार हो जाता है तो समझ में आता है कि गरीबी क्या होती है..! जब भयानक धूप होती है और एक गरीब पानी के अभाव में मर जाता है तब पता चलता है गरीबी क्या होती है..! गरीबों के घर में तस्वीरें खिंचवाने से गरीबी का पता नहीं चलता है..! भाईयों-बहनों, जब आपके बच्चे बड़े होते है तो आपका मन होता है कि उन्हे शेर दिखाएं। आप बच्चों को शेर दिखाने के लिए ज़ू में ले जाते है क्योंकि आपके बच्चों ने शेर देखा नहीं है, वैसे ही शहजादे को गरीबी क्या होती है यह देखने के लिए साल में एक बार गरीब की झोपड़ी में जाना पड़ता है..! एक बार जाकर भूल जाते हैं तो दूसरे साल लोग दुबारा ले जाते हैं कि चलो भाई, देखो चलकर गरीबी ऐसी होती है..! इन लोगों ने गरीबी को प्रदर्शन का विषय बना दिया है..!
भाईयों-बहनों, इस प्रकार की बातें करने वाले लोग कभी भी देश का भला नहीं कर सकते हैं। मैं यहां उपस्थित सभी लोगों से आह्वान करता हूं कि जहां-जहां भाजपा और कांग्रेस की सरकार है, लोग कांग्रेस के काम करने की पद्धति और भारतीय जनता पार्टी के काम करने की पद्धति, कांग्रेसियों के काम करने की पद्धति और प्रादेशिक पक्षों के काम करने की पद्धति, इतने समय में किसने गरीबों के लिए क्या और कितना काम किया, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सभी सरकारें नम्बर एक पर खड़ी होगी..!
भाईयों-बहनों, कल राजस्थान में मतदान होने वाला है। राजस्थान में 40 दंगे हुए और वहां की सरकार पर शहज़ादे को भरोसा नहीं है। राजस्थान में अपनी ही सरकार को बिना बताए वह एक दिन भरतपुर पहुंच गए, वहां नजदीक के एक स्थान पर दंगे हुए थे, उस स्थान पर वह चुपचाप गए। देखिए, उन्हे अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं। वो एक मोटरसाईकिल पर सवार होकर गए और जो चला रहा था, वो हिस्ट्रीशीटर था, और जिस मोटरसाईकिल पर गए थे, वह चोरी की थी, ये कमाल देखिए..! और ये सारी बातें राजस्थान के अखबार में बराबर छपी। इन शहज़ादे को अपनी सरकार की गाड़ी में बैठना मंजूर न होकर चोरी की मोटरसाईकिल पर बैठना मंजूर था, उनको अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री के साथ बैठना पसंद न होकर एक हिस्ट्रीशीटर की सीट पर बैठना पसंद था..! भाईयों-बहनों, जिन्हे अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं, वो देश का भला क्या कर सकते हैं..!
भाईयों-बहनों, आज गुजरात विकास की इतनी ऊंचाईयों पर पहुंचा है, इतना आगे बढ़ा है, उसका कारण क्या है..? उसका कारण मोदी नहीं है, गुजरात के विकास का कारण वहां की जनता की एकता, भाईचारा, सद्भावना है, वहां हर कोई एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है और विकास के मंत्र को लेकर काम कर रहा है और यही गुजरात के विकास का कारण है..! भाईयों-बहनों, पहले गुजरात का हाल भी खराब था, क्रिकेट के बॉल पर दंगे हो जाते थे, पतंग पर दंगे हो जाते थे, साईकिल टकराने से दंगे हो जाते थे, आज दस साल हो गया और गुजरात से दंगो का नामोंनिशान मिट गया..! अब वहां शांति, एकता और भाईचारा है। वोट बैंक की राजनीति करने वालों की यही परेशानी है कि मोदी के राज में दंगे होते क्यूं नहीं हैं..! राजस्थान में दंगे होते है, उत्तर प्रदेश में नौजवान मुख्यमंत्री है लेकिन 100 से ज्यादा दंगे एक-डेढ़ साल में हो गए, निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं, क्योंकि इन लोगों की राजनीति बांटो और राज करो की है। कांग्रेस पार्टी ने सत्ता के लिए देश को तोड़ना, समाज को तोड़ना, भाई से भाई को लड़ाना, जाति से जाति को लड़ाना, बिरादरी से बिरादरी को लड़ाना, सम्प्रदाय से सम्प्रदाय को लड़ाना, यहीं खेल खेला है और इसी के कारण देश तबाह हो गया है..!
वहीं भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति क्या है..? हमने उत्तरप्रदेश में से उत्तराखंड बनाया, उत्तराखंड ने भी मिठाई बांटी और उत्तर प्रदेश ने भी मिठाई बांटी..! अटल जी ने छत्तीसगढ़ बनाया, छत्तीसगढ़ ने भी मिठाई बांटी और मध्यप्रदेश ने भी मिठाई बांटी..! बिहार में से झारखंड बनाया गया, झारखंड ने भी मिठाई बांटी और बिहार ने भी मिठाई बांटी..! लेकिन कांग्रेस की तोड़ो-तोड़ो वाली राजनीति का परिणाम क्या आया कि आंध्र प्रदेश में तेलंगाना बनाने गए, आंध्र भी रो रहा है, तेलंगाना भी रो रहा है और दोनो जगह पर कर्फ्यू लग रहा है, दोनो जगह गोलियां चल रही हैं, क्योंकि कांग्रेस के तौर-तरीके ऐसे हैं..! आप मुझे बताइए, ये दिल्ली हिंदुस्तान का है या नहीं..? ये हरियाणा हिंदुस्तान का है या नहीं..? दिल्ली में हिंदुस्तान की सरकार है या नहीं..? तो हरियाणा के रहते हुए दिल्ली प्यासा रहे, ये कौन सा तरीका है..? क्या ये कोई राजनीति है..? ये सिर्फ बांटने की राजनीति है जिसके कारण ये दुर्दशा हुई है। इसलिए, हमारा मंत्र है देश को जोड़ो और विकास करो, जबकि उनकी राजनीति है देश को तोड़ो और सत्ता बनाओ..! भाईयों-बहनों, हम जोड़ने की राजनीति करना चाहते हैं, विकास की राजनीति करना चाहते हैं ताकि नौजवान को रोजगार मिले..!
भाईयों-बहनों, दिल्ली में तकरीबन पौने दो लाख बेरोजगार लोगों का नाम एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज में दर्ज है, उसमें से सिर्फ 200 लोगों को शीला जी ने नौकरी दी..! पूरे हिंदुस्तान में अगर कोई राज्य ऐसा है जो एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज में दर्ज लोगों को सबसे ज्यादा नौकरी देता है तो वह राज्य का नाम है, गुजरात..! वहां 57% लोगों को रोजगार देने का काम किया गया है। मित्रों, विकास ही एक ऐसा मंत्र है जो सारी समस्याओं का समाधान कर देता है। जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां विकास की स्पर्धा होती है। अगर शिवराज सिंह जी ने कुछ काम किया तो रमन सिंह जी सोचतें हैं कि मैं इससे ज्यादा करूंगा, रमन जी ने कुछ काम किया तो मोदी जी को लगता है कि मैं गुजरात में करूंगा, गुजरात ने कुछ किया तो मनोहर पार्रिकर को लगता है कि वह गोआ में करके दिखाएंगे, इस प्रकार भाजपा के सभी मुख्यमंत्री अच्छा करने की स्पर्धा करते हैं। लेकिन कांग्रेस में भ्रष्टाचार करने की स्पर्धा करते हैं, सभी एक से बढ़कर एक हैं, एक, एक हजार करोड़ का करता है तो दूसरा दो हजार करोड़ का करता है, अगला पांच हजार करोड़ का करता है..! इस तरह लूटने की स्पर्धा ने देश को तबाह करके रख दिया है..!
भाईयों-बहनों, जब राजीव गांधी की सरकार थी, उस समय भाजपा की कोई पहचान नहीं थी, हम कहीं नजर भी नहीं आते थे, पंचायत से पार्लियामेंट तक कांग्रेस का ही झंडा फहरता था, उस समय राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रूपया निकलता है, तो लोगों तक पहुंचते-पहुंचते 15 पैसे हो जाता है..! नई दिल्ली से चांदनी चौक आते-आते एक रूपए का 15 पैसा हो जाता था..! ऐसा राजीव गांधी ने कहा था, जबकि उस समय सत्ता में हर जगह सिर्फ कांग्रेस बैठी थी। भाईयों-बहनों, देश जानना चाहता है कि ये कौन सा पंजा था जो एक रूपए का 15 पैसा कर देता था..! इसलिए मुझे डॉ. हर्षवर्धन जी पर भरोसा है, अगर आप उन्हे कारोबार देगें तो वह दिल्ली की तिजोरी पर चौकीदार की तरह बैठेगें और किसी पंजे को पड़ने नहीं देगें, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं..!
भाईयों-बहनों, ये कांग्रेस पार्टी को समझना बहुत जरूरी है, वे बहुत चतुर लोग हैं, तभी तो पिछले 60 सालों से हमें मूर्ख बनाकर बैठे हैं..! ये बड़े कमाल के लोग हैं, पहले आते हैं हाथ जोड़ते हैं, फिर आते हैं हाथ मिलाते हैं, फिर थोड़ा समय हो जाएं तो हाथ दिखाते हैं, फिर थोड़ी ताकत आ जाएं तो हाथ आजमाते हैं और बराबर सेट होते ही हाथ की सफाई शुरू कर देते हैं..! भाईयों-बहनों, ये हाथ की सफाई का खेल है। इनकी ताकत देखिए, ये दिखाते एक हाथ हैं और लूटते दोनों हाथों से हैं..! अभी-अभी मैदान में कुछ नए लोग आएं हैं, जब अन्ना हजारे जी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मैदान में उतरें तो लग रहा था कि जय प्रकाश नारायण के बाद ईश्वर ने हमें अन्ना जी दिए हैं..! ऐसी एक आशा बंधी थी कि अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा हो जाएगा, भ्रष्टाचार के पाप से देश को बचाने की आशा बंधी थी, लेकिन कुछ लोगों के राजनीतिक स्वार्थ और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण, इस देश की भलाई के लिए एक पवित्र व्यक्ति के द्वारा चला हुआ आन्दोलन खड्डे में डाल दिया, मुट्ठी भर लोगों ने पीठ में छुरा भोंककर भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को खड्डे में डाल दिया। उन लोगों ने अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक आकांक्षाओं के कारण ऐसा किया और उस पवित्र व्यक्ति को जितना पीडि़त कर सकते हैं किया और अब सत्ता पाने के लिए निकल पड़े हैं। भाईयों-बहनों, ये कांग्रेस वाले तो हाथ से उठाते थे, ये लोग तो झाडू मारकर ले जाएंगे..!
भाईयों-बहनों, भारतीय जनता पार्टी, जो जनता को जबावदेह है, वह विकास के मंत्र को लेकर चल रही है। मैं गुजरात के अनुभव से कहता हूं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा भी जा सकता है और लड़ाई जीती भी जा सकती है। इसका उदाहरण भी मैं दे सकता हूं। यहां के जिन महाशय को आपने एमपी बनाकर भेजा है जो खुद को बहुत गुरू ज्ञानी मानते हैं और दिल्ली सरकार में बैठे हैं, उन्होने एक घोषणा की थी कि देश के नौजवानों को 3000 रूपए में टैबलेट मिलेगा, आकाश टैबलेट मिलेगा..! याद है..? उसके लिए उन्होने बड़ी जर्बदस्त प्रेस कांफ्रेंस की थी, ढ़ेर सारे इंटरव्यू दिए थे, चारों तरफ जय-जयकार किया था, आपको कहीं आकाश टैबलेट नजर आया, भाई..? आकाश में से धरती पर आया..? मुझसे एक बार गलती हो गई, मैने गुजरात में बयान दे दिया कि भारत सरकार जबाव दें, वह नौजवानों को आकाश टैबलेट देने वाले थे, उसका क्या हुआ, योजना कहां गई..? इतना पूछने पर इनका पारा चढ़ गया कि ये मोदी समझता क्या है, मेरी आलोचना करता है..? और उस समय से वो मेरे पीछे पड़ गए हैं, ऐसा लगता है कि उन्होने तय कर लिया है कि जब तक मोदी को जेल नहीं भिजवा दूंगा, चुप नहीं बैठूंगा..! उन्होने गुस्से में आकर मुझे ही एक आकाश टैबलेट गिफ्ट में भेज दिया..! उनको लगा कि रिश्वत दूंगा तो मोदी मान जाएगा, लेकिन उन्हे मालूम नहीं मोदी दूसरी मिट्टी से पैदा हुआ है। मैने उन्हे सलाह दी कि टैबलेट मोदी को मिले ये सवाल नहीं है, सवाल ये है कि आपने बजट में योजना रखी, हिंदुस्तान की जनता को विश्वास दिया और फिर विफल गए। आप जनता के सामने स्वीकार करिए कि आप विफल हुए हैं, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है..!
भाईयों-बहनों, देश के रूपए बर्बाद हो रहे हैं, कोई जबावदेह नहीं है। 2जी स्कैम हुआ, सारे देश में लोग बोल रहे थे कि इन लोगों ने तरंगें बेच दीं। सीएजी कह रहा था कि 1,74,000 करोड़ रूपए का घपला हुआ है और ये कह रहे हैं जीरो लॉस..! ये मिस्टर जीरो ने कह दिया जीरो लॉस..! पार्लियामेंट कह रही है, सुप्रीम कोर्ट कह रहा है, सारे देश की जनता कह रही है, लेकिन ये अपने ही अहंकार में हैं..! इतना ही नहीं, ये महाशय टेलीकॉम के मिनिस्टर हैं, इन्होने टेलीकॉम का भट्टा बैठाया यानि नौजवानों के रोजगार को छीना है, हिंदुस्तान के अर्थतंत्र पर प्रभाव पड़ा है। बीएसएनएल इन्ही के अंर्तगत आता है, आज मोबाइल फोन का कितना बड़ा व्यवसाय है, कितना मंहगा काम चलता है और लोग इस पर कितना ज्यादा खर्च करते हैं, हम सभी जानते हैं। इसके बावजूद भी 2010 में बीएसएनएल को 1823 करोड़ का घाटा हुआ, और जब ये विद्वान इस सरकार को चला रहे हैं तो 2013 में बीएसएनएल का घाटा बढ़कर 8200 करोड़ रूपए का हो गया..! आप की बताइए, ये देश की जनता का पैसा गया कि नहीं गया..? ऐसा करने वाले गुनहगार हैं या नहीं..? टेलीकॉम मिनिस्टर होने के नाते इनके पास एमटीएलएन है। जिसका 2010 में 2611 करोड़ का घाटा था, और 2013 में घाटा 5300 करोड़ हो गया..! ये सारे पैसे किसके हैं..? देश की जनता के हैं कि नहीं..? गरीब के हैं कि नहीं..? भाईयों-बहनों, ये लोग लूट रहे हैं..!
मैं आपको बताता हूं कि अगर अच्छी सरकार चलती है तो काम कैसे होता है। मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री बना तो कई लोग मुझसे मिलने आते थे, माला लेकर आते थे और कहते थे, मोदी जी कम से कम एक काम तो कीजिए, रात के भोजन के समय तो बिजली दे दीजिए..! पहले गुजरात में ऐसे दिन थे कि रात के भोजन के समय बिजली नहीं मिलती थी। हमारे यहां की गुजरात इलेक्ट्रिकसिटी बोर्ड यानि जीईबी को प्रतिवर्ष 2500 करोड़ रूपए का घाटा होता था, ऐसा सुनकर कोई भी आदमी बैठ जाएं..! क्या ऐसी स्थिति को सुधार सकने की हिम्मत किसी में आएगी..? लेकिन हमने बीड़ा उठाया। भाईयों-बहनों, आज गुजरात में 2500 करोड़ रूपए के घाटे वाला जीईबी 400 करोड़ रूपए का प्रॉफिट करता है..! हमने चोरी के पैसे बचा लिए और उसी का ये परिणाम आया। हमारे यहां सरकार का फर्टिलाइजर पैदा करने वाला सरकारी कारखाना है, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन और दूसरा है जीएनएफसी, गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन। जब मैं मुख्यमंत्री बना उस समय दोनों डूबने के कगार पर थे। अगर वो दोनों फर्टिलाइजर के कारखाने बंद हो जाते तो मेरे देश का किसान बर्बाद हो जाता, मेरे देश के किसान को नुकसान होता, हिंदुस्तान की फसल को नुकसान होता, हिंदुस्तान की कृषि को नुकसान होता और इस देश के अर्थतंत्र को नुकसान होता। हमने ध्यान केंद्रित किया और आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारी दोनो कम्पनियां जो मरने की कगार पर थी, आज सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली कम्पनियां बन गई हैं..!
भाईयों-बहनों, अगर भ्रष्टाचार पर रोक लगाएं, सुशासन पर ध्यान दें तो डूबती हुई नैय्या को भी पार किया जा सकता है, लेकिन आपने ऐसे महाशय को भेजा है जो अपनी बुद्धि के गुरूर के कारण देश को घाटे में डालते चले जा रहे हैं, देश को तबाह करते चले जा रहे हैं..! इसीलिए मैं आप सभी से प्रार्थना करने आया हूं, देश को गरीबी से मुक्ति चाहिए, देश के नौजवान को रोजगार चाहिए, देश के गरीब को दो वक्त भरपेट खाना मिलना चाहिए, बूढ़े मां-बाप को दवाई चाहिए, माताओं-बहनों को सम्मान के साथ जीने के लिए अच्छा माहौल चाहिए, सुरक्षा चाहिए..! भाईयों-बहनों, अगर हम इतना भी काम कर लेते हैं तो देश के हर व्यक्ति में देश को आगे बढ़ाने की ताकत है और इस काम को करने के लिए भारतीय जनता पार्टी आपके पास आई है। मैं आप सभी से आग्रह करने आया हूं कि हमें अवसर दीजिए..!
भाईयों-बहनों, 200 दिन के बाद पार्लियामेंट का चुनाव भी होने वाला है। देश ने तय कर लिया है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने वाली है। अगर दिल्ली प्रदेश में हर्षवर्धन जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार हो, केंद्र में भाजपा की सरकार हो, तो आपके दोनों हाथों में लड्डू हो जाएंगे..! दोनों सरकारें मिलकर ऐसा काम करके दिखाएंगी कि दिल्ली का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो जाएगा, इसलिए मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि चार तारीख को भारी मात्रा में मतदान करके भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाएं..!
भारत माता की जय..!