लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम, हैदराबाद

11 अगस्त, 2013

मंच पर बिराजमान श्रीमान वैंकया गारू जी, श्री बंगारू लक्ष्मण गारू जी, श्री वी. रामाराव गारू जी, आंध्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान किशन रेड्डी गारू जी, सोदरा-सोदरी, मनोलारा, नमश्कारम्..!

भारत देशा.... (तेलुगू में भाषण) .....

... और आप लोग 17 सितंबर को हैदराबाद लिबरेशन डे मनाते हैं और मेरा सौभाग्य है कि उस दिन मुझे आपकी याद विशेष आती है क्योंकि 17 सितंबर मेरा जन्म दिन भी है..! मैं आंध्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं का हृदय से अभिनदंन करता हूँ कि उन्होंने इस पॉलिटिकल सभा का समाज सेवा के लिए उत्तम तरीके से उपयोग किया और मैं आंध्र प्रदेश के युवकों को भी अभिनंदन देता हूँ कि उन्होंने इस जनसभा में पाँच रूपया रजिस्ट्रेशन फीस देकर के उत्तराखंड के पीड़ितों के दर्द के साथ अपने आपको जोड़ने का उत्तम प्रयास किया है और इसलिए आंध्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी एवं आंध्र के नौजवानों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूँ..!

भाइयों-बहनों, सार्वजनिक जीवन में ऐसी दिल को छू लेने वाली घटनाएं कभी-कभी मनुष्य जीवन के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बन जाती है। एक सिख परिवार जो आंध्र में आकर के बसा, जिसका बेटा केनेडा में रहता है। उनकी अस्सी साल से बड़ी आयु की माँ इस कार्यक्रम में आना चाहती थीं। केनेडा से उसका बेटा ट्विटर पर लिखता है और आज मुझे इस कार्यक्रम में उस माँ के चरण छूने का अवसर मिला, उस माँ का आशीर्वाद पाने का अवसर मिला..! मित्रों, मैं हैरान हूँ..! एक बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी, उन्होंने इस सभा में आने के लिए अपने परिवार के साथ सत्याग्रह किया, तीन दिन अन्न छोड़ दिया और कहा कि मुझे वहाँ ले जाने का प्रबंध करो और तब जा कर के उन्होंने अन्न लिया..! इनकी ये तपस्या, उनका ये आशीर्वाद, उनको भारत की कितनी चिंता है उसका प्रतिबिंब है..! मैं उन दोनों महानुभावों को अंत:करण पूर्वक नमन करता हूँ और ये घटना मेरे जीवन में सदा सर्वदा प्रेरणा देने वाली घटना रहेगी..! क्योंकि देश में जब राजनीति पर से भरोसा उठता चला गया है, राजनेताओं पर से भरोसा उठता चला गया है, दिल्ली की सल्तनत के एक के बाद एक कारनामों ने हिन्दुस्तान के सामान्य मानवी के दिल से एक भरोसा तोड़ा है..!

Navbharat Yuva Bheri at Hyderabad

भाइयों-बहनों, यहाँ इतने सारे नौजवान आए हैं, लेकिन जब मैं रास्ते से आ रहा था तो इससे भी डबल संख्या में नौजवान बाहर हैं, वे अंदर नहीं आ पाएं है..! मैं उन सभी नौजवानों की क्षमा मांगता हूँ और मैं उनको विश्वास दिलाता हूँ कि इस स्टेडियम में जगह हो या ना हो, लेकिन मेरे दिल में आपके लिए बहुत जगह है..! आप तो मुझे वहाँ पर लगे टी.वी. से देख रहे हैं, लेकिन मेरा इतना सौभाग्य नहीं है नौजवान मित्रों, मैं आपको यहाँ से देख नहीं पा रहा हूँ। लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे जब भी मौका मिलेगा, मैं आंध्र में दोबारा आउँगा और जिन नौजवानों के दर्शन आज नहीं कर पाया हूँ, उनके दर्शन मैं दोबारा जरूर करूंगा, ये मैं उनको विश्वास दिलाता हूँ..!

भाइयों-बहनों, गत सप्ताह की जो घटनाएँ हैं, उन घटनाओं ने देश को झकझोर दिया है। भाइयों-बहनों, सवाल ये है कि हम किस पर भरोसा करें..? जब हमारे देश की सेना के पाँच जवानों के सिर काट लिए गए, तब भारत के प्रधानमंत्री ने कहा था कि ऐसी घटना अगर दोबारा होगी तो हम पाकिस्तान से हिसाब चुकता करेंगे..! मैं प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूँ, इसी हफ्ते हमारे देश की रक्षा करने वाले, माँ भारती के लिए जीने-मरने वाले हमारे देश के उन रणबांकुरों को पाकिस्तान की सेना ने भून दिया, उनको मौत के घाट उतार दिया..! दिल्ली की सल्तनत से हिन्दुस्तान पूछ रहा है, जब हमारे देश के जवानों के सिर काट लिए गए थे तब आपने वादा किया था कि आप ऐसी चीजों को सहन नहीं करेंगे, क्या कारण हुआ कि पाकिस्तान एक के बाद एक जुल्म करता चला जा रहा है और सवा सौ करोड़ का देश चुपचाप सारी चीजें झेल रहा है..?

भाइयों-बहनों, पिछले दिनों एक के बाद एक जो घटनाएं घटी हैं। आप देखिए, किश्तवाड़ सुलग रहा है..! ना जाने कितने लोगों को मारा गया है, ना जाने कितने लोगों की दुकानें जलाई गई हैं, ना जाने कितने लोगों के घर जलाए गए हैं..! भाइयों-बहनों, कश्मीर घाटी में तीन दशक से जो खेल चल रहा है, क्या उसका रिहर्सल किश्तवाड़ में करने का नापाक इरादा तो नहीं है..? देश जानना चाहता है। आज भारतीय जनता पार्टी के विपक्ष के नेता श्रीमान अरूण जेटली जी किश्तवाड़ के पीड़ितों का हाल पूछने जाना चाहते थे, किश्तवाड़ का हाल देखना चाहते थे, लेकिन वहाँ की सरकार ने सत्य को छुपाने के लिए, इस जुल्म की कथा को छुपाने के लिए ये हिंसा के दौर पर चुप्पी रहे इसलिए अरूण जेटली जी को जम्मू के एयरपोर्ट पर डिटेन कर दिया गया..! भाइयों-बहनों, जम्मू के पहाड़ी क्षेत्र की इस घटना को छोटी घटना ना मानी जाए। जो संकट कश्मीर घाटी ने झेला उसकी शुरूआत करने के नापाक इरादे की इसमें बू आती है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, सवाल किश्तवाड़ के नागरिकों का नहीं है, सवाल है कि भारत के शांतिप्रिय नागरिकों को सुख चैन की जिंदगी चाहिए, जुल्म से मुक्ति चाहिए और फिर एक बार देश का भरोसा टूट गया..!

ये दिल्ली की सल्तनत हमारे देश को सुरक्षा नहीं दे सकती है। भाइयों-बहनों, आपको जान कर के हैरानी होगी, वोट बैंक की राजनीति में डूबी हुई दिल्ली की सल्तनत हिन्दुस्तान की सुरक्षा को अनदेखा कर रही है। बांग्लादेश की सीमा पर हमारे जो जवान हैं, वे अगर किसी बंगलादेशी घुसपैठिये को रोकना चाहते हैं और अगर वो रूकता नहीं है तो भारत की सेना और बी.एस.एफ. के जवानों पर रोक लगाई गई है कि वे कोई भी शस्त्र का उपयोग नहीं करेंगे..! इतना ही नहीं, यहाँ तक कह दिया गया है कि अगर वो ज्यादा ताकतवर हैं, अगर घुसपैठिए का हमला तेज है तो बांग्लादेश की सीमा पर बैठे हुए बी.एस.एफ. के जवान झगड़ा करने के बजाए उनको अंदर आने की इजाजत दे दें..! भाइयों-बहनों, एक सार्वभौम सरकार का मुखिया, सवा सौ करोड़ के देश की सरकार हिन्दुस्तान के सामान्य मानवी को इस प्रकार के निर्णयों से सुरक्षा कैसे प्रदान कर सकती है..?

Navbharat Yuva Bheri at Hyderabad

भाइयों-बहनों, चाइना ने हमारी सीमा पर आ करके अड़ंगा लगाया, सारी दुनिया ने देखा, गुगल मैप पर सारे नागरिक देख पा रहे थे कि चाइना की मूवमेंट कैसी है, चाइना किस तरह हमारी धरती पर आ रहा है, किस तरह अपनी जगह बना रहा है..! और मैं हैरान हूँ, चाइना तो घुसपैठिया था, उसको तो अपनी धरती पर वापस जाना जरूरी था, लेकिन दिल्ली की सरकार ने ऐसा समझौता किया कि चाइना तो अपनी धरती पर वापिस गया, लेकिन हिन्दुतान की सेना को भी अपनी ही धरती पर से वापस लेने का दूर्भाग्यपूर्ण निर्णय किया..! इतना ही नहीं, बड़ी बयानबाजी करके भारत के विदेश मंत्री चाइना गए और चाइना में जा करके चाइना की इन हरकतों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए थी, लाल आंख करके चाइना को समझाना चाहिए था, उसकी बजाय हिन्दुस्तान के विदेशमंत्री ने चाइना में जा कर के बयान दिया कि ‘बिजिंग इतना बढ़िया शहर है कि मेरा तो यहाँ रहने का दिल कर जाता है’..! डूब मरो, डूब मरो... मेरे देश की सरकार चलाने वालों डूब मरो..! आपको शर्म आनी चाहिए। ये घाव पर नमक छिड़क रहे हैं आप लोग..! हिन्दुस्तान के सवा सौ करोड़ नागरिकों के मन पर लगी चोट पर आप एसिड छिड़क रहे हो..!

इतना ही नहीं, हमारे जवानों के जब सिर काट लिए गए थे और उसके बाद भारत के विदेश मंत्री जयपुर जा करके पाकिस्तान के मेहमानों को बिरयानी खिला रहे थे और कहते क्या हैं, ये प्रोटोकॉल है..! मैं देश के नौजवानों को पूछता हूँ, जो मेरे देश के जवानों के सिर काट ले क्या उनके साथ प्रोटोकॉल होता है..? क्या ये हिन्दुस्तान को उसके घाव पर नमक छिड़कने का काम है कि नहीं..?

भाइयों-बहनों, इटली के लोग आएं और केरल में हमारे मछुआरों को गोली मार दें। कोई गुनाह नहीं था उनका..! वो मछुआरे मछली पकड़ने गए थे, गरीब माँ के बेटे पेट भरना चाहते थे, मेहनत कर रहे थे..! इटली के जवान आए, आकर के मेरे देश के दो मछुआरों को गोली से भून दिया..! उनको अरेस्ट किया जाए और हिन्दुस्तान के अंदर कोई जेल में है तो उसको बेल नहीं मिलती है, लेकिन वो कौन लोगों का इन्फ्ल्यूऐंस था कि इटली के उन जवानों को बेल मिल गया..? वे इटली चले गए और जब वापिस आने की नौबत आई तो इटली सरकार ने आँख दिखाई और कहा कि सैनिक नहीं आएंगे..! ये तो भारत की सुप्रीम कोर्ट ने आँख दिखाई और इटली के हाई कमीश्नर को कह दिया गया कि तुम हिन्दुस्तान छोड़ नहीं सकते हो, तब जा कर के इटली को झुकना पड़ा और हिन्दुस्तान को वो सैनिक देने पड़े..!

भाइयों-बहनों, मैं इन घटनाओं को इसलिए सुना रहा हूँ कि दिल्ली में बैठी हुई सरकार किसी भी विषय पर गंभीर नहीं है, उनको इस देश की समस्याओं की चिंता नहीं है..! मेरे नौजवान मित्रों, आपको हिन्दुस्तान की चिंता हो रही है..? आपको हिन्दुस्तान की चिंता सता रही है..? मेरे नौजवान मित्रों, आपको हिन्दुस्तान की चिंता है, मुझे मेरे देश के नौजवानों की चिंता है..! मन में सवाल उठता है कि इस देश की युवा पीढ़ी का क्या होगा..? रोजी-रोटी पाने के लिए कहाँ जाएंगे..? मित्रों, कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र में भी है, कांग्रेस की सरकार आंध्र में भी है। और हमारे कांग्रेस के मित्रों को जरा बुरा लगेगा लेकिन कान खोल कर सुन लीजिए, आंध्र में भी आप कई वर्षों से राज कर रहे हैं, महाराष्ट्र में भी आप कई वर्षों से राज्य कर रहे हैं और हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएं अगर कहीं होती हैं तो महाराष्ट्र और आंध्र में होती हैं, वहाँ के नौजवानों को आत्महत्या का रास्ता लेना पड़ता है..! भाइयों-बहनों, आज हमारे आंध्र के नौजवानों को पेट भरने के खातिर गल्फ कंट्रीज में जाना पड़ रहा है।

Navbharat Yuva Bheri at Hyderabad

ये कांग्रेस पार्टी की डिवाइड एंड रूल की ही तरकीबें रही हैं। 2004 में कांग्रेस पार्टी ने आंध्र के लोगों को तेलंगाना देने का वादा किया था। पूरे हिन्दुस्तान में किसी एक राज्य से सर्वाधिक एम.पी. अगर कांग्रेस को मिले हैं तो आंध्र से मिले हैं। दिल्ली में कांग्रेस की सरकार टिकी है तो आंध्र से मिले हुए एम.पी.ओं के कारण टिकी हुई है। उस आंध्र को कांग्रेस ने क्या दिया..? आपको वादा किया था, निभाया..? भाइयों-बहनों, छोटे राज्यों की रचना अटल बिहारी वाजपेयी ने भी की थी। छत्तीसगढ़ बना, तो मध्य प्रदेश भी मिठाई बांट रहा था और छत्तीसगढ़ भी मिठाई बांट रहा था। उत्तराखंड बना, तो उत्तर प्रदेश भी मिठाई बांट रहा था और उत्तराखंड भी मिठाई बांट रहा था। झारखंड बना, तो बिहार भी मिठाई बांट रहा था और झारखंड भी मिठाई बांट रहा था..! ये कांग्रेस के वो कौन से कारनामें हैं कि उसने भाई-भाई के बीच दरार पैदा कर दी है। एक भाई दूसरे भाई को मारने जाए, ये हालत पैदा करने का पाप कांग्रेस पार्टी ने किया है..! तेलंगाना के पक्ष में भारतीय जनता पार्टी पहले से है। विद्या सागर राव के चुनाव समय मैं खुद तेलंगाना में एक सभा करने आया था और मैंने सार्वजनिक सभा में कहा था कि अगर हमें सरकार बनाने का मौका मिलेगा तो सौ दिन के भीतर-भीतर हम तेलंगाना का निर्माण कर देंगे, ये हमने वादा किया था..! लेकिन हमने तब भी कहा था कि किसी भी कीमत पर सीमांध्र की अनदेखी नहीं की जा सकती। सीमांध्र का भी विकास सारे हिन्दुस्तान को गौरव हो ऐसा होना चाहिए। सीमांध्र के अंदर जो शहर आए हैं, वो शहर हैदराबाद से भी ज्यादा प्रगतिशील बने इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन दिल्ली की सरकार को ये करने की फुर्सत नहीं है। अगर उनको ये हैदराबाद को दोनों राज्यों की राजधानी बनानी थी और ये कहना था कि दस साल के बाद दूसरी राजधानी बनाएंगे, तो मैं दिल्ली की सरकार को पूछना चाहता हूँ कि ये काम दो 2004 में शुरू क्यों नहीं किया..? क्यों दूसरी राजधानी की तैयारी नहीं की..? आंध्र के लोगों को अन्याय करने का आपको अधिकार नहीं है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, हमारे दिल में तेलंगाना का भी उतना ही महत्व है, सीमांध्र का भी उतना ही महत्व है..!

भाइयों और बहनों, मैं एक छोटा व्यक्ति हूँ लेकिन गुजरात की धरती से आया हूँ, महात्मा गांधी की भूमि से आया हूँ, सरदार पटेल की भूमि से आया हूँ..! मैं मेरे तेलंगाना और आंध्र के भाइयों से प्रार्थना करता हूँ। भाइयों-बहनों, कांग्रेस भले कितने ही खेल क्यों ना खेले, लेकिन आपके बीच टकराव नहीं होना चाहिए..! भाई-भाई के बीच, अपने भाई के प्रति नफरत नहीं होनी चाहिए..! मैं आंध्र के और तेलंगाना के भाइयों से पूछना चाहता हूँ, दर्द के साथ पूछना चाहता हूँ, पीड़ा के साथ पूछना चाहता हूँ, पिछले दिनों कुछ घटनाएं घटी हैं उससे पीड़ित हो कर के पूछना चाहता हूँ। मेरे भाइयों-बहनों, मेरी बात में अगर सच्चाई ना हो तो मेरी बात को ठुकरा देना, लेकिन मेरा सवाल आपके दिल को छू जाए तो मुझे कहना..! भाइयों-बहनों, हमारा रास्ता क्या है..? मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि आंध्र और तेलंगाना... क्या कभी किसी ने सोचा है कि माँ के दूध में भी दरार हो सकती है..? भाइयों-बहनों, माँ के दूध में दरार नहीं होनी चाहिए..! हम भाई हैं, हम साथी हैं..! मेरे गुजरात में, मेरे सूरत में चार लाख तेलगू भाषी भाई-बहन रहते हैं, मेरे अहमदाबाद में छह लाख तेलगू भाई-बहन रहते हैं। हम प्यार से जीते हैं, साथ-साथ जीते हैं, साथ-साथ मेहनत करते हैं, हर एक का पेट भरने का प्रयास करते हैं..! अगर हम गुजरात के लोग तेलगू भाषी लोगों के साथ प्यार से जी सकते हैं, तो तेलंगाना वाला भी आंध्र के साथ प्यार से जी सकता है और आंध्र वाला भी तेलंगाना के साथ प्यार से जी सकता है..!

भाइयों-बहनों, हम सबका लक्ष्य ये होना चाहिए कि आंध्र इतनी प्रगति करे, इतनी प्रगति करे कि गुजरात से भी आगे निकल जाए..! तेलंगाना इतनी प्रगति करे, इतनी प्रगति करे कि वो भी गुजरात से आगे निकल जाए..! हमें ये सपना देखना चाहिए..! और भाइयों-बहनों, विकास एक ही रास्ता है, विकास में ही समस्याओं का समाधान है, हमारी सारी मुसीबतों का समाधान विकास में है..! ये कांग्रेस पार्टी किसी भी हालत में विकास के मार्ग पर जाने को तैयार नहीं है क्योंकि उसको जवाब देना भारी पड़ जाता है..! यहाँ जो लोग मेरी आयु के बैठे हैं उन्होंने कभी, आज से चालीस साल पहले, कभी भी बाजार में घी की दुकान हो तो वहाँ पर ऐसा बोर्ड पढ़ा था, ‘शुद्घ घी की दुकान’, पढ़ा था..? आज से चालीस साल पहले ‘शुद्घ घी की दुकान’ ऐसा बोर्ड नहीं लगाना पड़ता था। घी की दुकान लिखा इसका मतलब कि वहाँ घी शुद्घ ही मिलता होगा। लेकिन आज बोर्ड लगाना पड़ता है, ‘शुद्घ घी की दुकान’, क्योंकि शुद्घ घी नहीं मिलता है..! भाइयों-बहनों, जब वाजपेयी जी की सरकार थी, तब इस देश में गरीब को कभी रोटी की चिंता नहीं थी, गरीब की थाली में रोटी पहुंचती थी और इसलिए कभी फूड सिक्योरिटी पर सोचना नहीं पड़ा था। ये कांग्रेस पार्टी ने गरीब की हालत इतनी खराब कर दी है कि आज जैसे ‘शुद्घ घी की दुकान’, वैसे उनको ‘फूड सिक्योरिटी बिल’ की बात करने की नौबत आई है..! जिन्होंने गरीब की थाली से रोटी छीन ली है उन्होंने पाप किया है..! मैं देश के अर्थशास्त्रियों को कहना चाहता हूँ। इन दिनों हमारे देश में एक शब्द चल रहा है, पिछले कुछ समय से, इन्क्लूसिव ग्रोथ..! ये शब्द पहले क्यों नहीं था..? दस-दस पंचवर्षीय योजनाएं पूरी हुई, ना कभी प्लानिंग कमीशन ने इन्क्लूसिव ग्रोथ शब्द का प्रयोग किया, ना दिल्ली में बैठी हुई किसी सरकार को करना पड़ा और ना ही राज्य में बैठी किसी सरकार को करना पड़ा..! आज क्यों करना पड़ा..? आज इसलिए करना पड़ा है क्योंकि कांग्रेस ने साठ साल तक इन्क्लूजिव कुछ भी नहीं किया है, सब कुछ एक्स्क्लूडेड किया है..! कई लोगों को उन्होंने विकास से वंचित रखा है, कई लोगों को उन्होंने गरीब रखा है और तब जा कर के आज उनके लिए ये नौबत आई है..!

भाइयों-बहनों, कांग्रेस पार्टी इस देश के लिए बोझ बन गई है। लेकिन आज मैं आंध्र में आया हूँ तब एन.टी.आर. को याद करना चाहता हूँ..! इस देश की एन.टी.आर. ने एक बहुत बड़ी सेवा की थी। ना सिर्फ आंध्र के सम्मान की सेवा की थी, ना सिर्फ आंध्र के गौरव के लिए लड़े थे, लेकिन एन.टी.आर. ने कांग्रेस विरोधी राजनीति को बल दिया था। ये एन.टी.आर. के प्रयास थे कि इस देश के अंदर दिल्ली में गैर कांग्रेसी सरकार बनाने का संभव हुआ था। मैं आंध्र में सभी राजनैतिक दलों से अनुरोध करता हूँ कि एन.टी.आर. को उत्तम से उत्तम श्रद्धांजलि क्या हो सकती है..? एन.टी.आर. को उत्तम से उत्तम श्रद्घांजलि कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करके ही दे सकते हैं..! और जो लोग एन.टी.आर. की लेगसी का दावा करते हैं, उनका पहला कर्तव्य बनता है कि हिन्दुस्तान को कांग्रेस को मुक्त बनाने के लिए जो भी करना पड़े, वो करना चाहिए..! मुझे विश्वास है कि आंध्र के राजनैतिक दल आंध्र और तेलंगाना को बचाने के लिए, आंध्र और तेलंगाना के विकास के लिए कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के प्रयासो में कोई कमी नहीं रहने देंगे। कांग्रेस विरोधी शक्तियाँ एक आएंगी और आंध्र की धरती पर से ये जुल्म, ये कुशासन, ये भ्रष्टाचार, ये परिवारवाद, इन सबका खात्मा संभव होगा..! और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों, एन.टी.आर. का सपना पूरा करना तेलुगु देशम्, एन.टी.आर. की लेगसी जिसके पास है, उनका भी दायित्व बनता है..!

भाइयों-बहनों, मैं आपको कहना चाहता हूँ कि कोई चले या ना चले, कोई आज चले या कोई कल चले, कोई चलने से पहले सोचने में लगे, उसके बावजूद भी मैं कहता हूँ कि देश में कांग्रेस मुक्त भारत की हवा बन चुकी है, देश ने कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान का सपना देख लिया है..! उस सपने को पूरा करने के लिए हिन्दुस्तान के नौजवान, हिन्दुस्तान के किसान, हिन्दुस्तान का गरीब आज कृत संकल्प हुआ है। भाइयों-बहनों, भ्रष्टाचार ने आज हमारे देश को तबाह कर दिया है। जल, थल, नभ... पूरे भूमंडल का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ कांग्रेस के मित्रों ने भ्रष्टाचार करने के लिए अपने हाथ-पैर फैलाए ना हों..! कोई मुझे बताए, हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी पूरे हिन्दुस्तान में घूमे, किस बात के लिए..? काला धन वापस लाने के लिए..! कोई हमें समझाए, विदेशों की बैंकों में जो काला धन पड़ा है, वो काला धन वापिस लाने में दिल्ली की सरकार को क्या परेशानी हो रही है..? हिन्दुस्तान के सार्वजनिक जीवन में आडवाणी जी जैसे एक वरिष्ठ व्यक्ति ने भारत की भलाई के लिए काला धन वापिस लाने की माँग की, लेकिन दिल्ली की सल्तनत ने किसकी भलाई के लिए इस माँग को भी ठुकरा दिया..? तब सवाल उठता है कि काला धन किसका है..? ये अरबो-खरबों का काला धन किसका है जो विदेशी बैंकों में पड़ा हुआ है..?

भाइयों-बहनों, आज भारतीय जनता पार्टी और एन.डी.ए. की सरकारों ने देश में सुशासन की मिसाल दिखाई है। यहाँ कितने सारे नौजवान हैं..! सारे विश्व में स्किल डेवलपमेंट का माहात्म्य प्राथमिकता बन गया है, लेकिन आपके आंध्र में स्किल डेवलपमेंट की दिशा में नामोनिशान नहीं है। मैं आंध्र के कांग्रेस के नेताओं से कहना चाहता हूँ कि अगर आपको गुजरात से नफरत है तो गुजरात का नाम मत लो, लेकिन आपके पड़ौस में तमिलनाड़ में डॉ. जयललिता जी की सरकार ने स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में जो काम किया है, जरा उससे तो कुछ सीखो और आंध्र के नौजवानों की भलाई के लिए कुछ तो करो..! आज भी भाइयों-बहनों, दिल्ली की सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि गरीब की थाली में रोटी कैसे पहुंचाए..! मैं दिल्ली की सरकार को कहना चाहता हूँ, कांग्रेस के नेताओं को कहना चाहता हूँ, गरीब की थाली में रोटी पहुंचाने का रास्ता हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने दिखाया है। उन्होंने जिस प्रकार से पी.डी.एस. सिस्टम को आधुनिक बनाया है, और भारत की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सराहा है, लेकिन किसी भी कांग्रेसी सरकार को गरीबों का भला हो उसके लिए ना कुछ सीखने की इच्छा है, ना कुछ समझने की इच्छा है और ना कुछ करने की इच्छा है..! इतना ही नहीं, बेटियों का सम्मान कैसे हो, परिवार में कन्या का गौरव कैसे हो, माँ-बाप को बेटी बोझ ना लगे उसके लिए एक सामाजिक आंदोलन कैसे खड़ा हो..! मैं कांग्रेस के मित्रों को कहता हूँ कि जाइए और मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के हमारे शिवराज सिंह चौहान को देखिए, उन्होंने ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ करके पूरे मध्य प्रदेश की बेटियों के जीवन को गौरव दिया है, सम्मानित किया है, उन्हें जीने के लिए हक दिया है, पढ़ने के लिए व्यवस्था की है..! क्या हमारे देश की बेटियों को शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए..? दिल्ली की सरकार, साठ-साठ साल बीत चुके हैं मित्रों, एक ही परिवार ने दशकों तक राज किया है लेकिन सामान्य मानवी की भलाई के लिए कुछ भी करने में ये सफल नहीं हुए हैं..!

भाइयों-बहनों, मैंने भारत के प्रधान मंत्री को एक बार कहा था। मैंने कहा, आंध्र के पास 900 किलोमीटर से बड़ा समुद्री तट है, गुजरात के पास 1600 किलोमीटर का समुद्री तट है, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, केरल, तमिलनाडु, उड़िसा, पश्चिम बंगाल, इन प्रदेशों को समुद्र तट का सौभाग्य मिला है। मैं भारत सरकार को कहता रहा कि इन समुद्र तट पर जो राज्य बसे हैं, उनकी एक सेपरेट मीटिंग बुलाई जाए, दो दिन उनसे चर्चा की जाए कि समुद्र तट के राज्यों की कठिनाइयाँ क्या हैं, ग्लोबल इकॉनामी के जमाने में इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के युग में हमारे तटवर्ती क्षेत्रों का विकास कैसे करें ताकि भारत का रूपया टूटता हुआ बच जाए..! आप देखिए, हिन्दुस्तान जब आजाद हुआ तब एक डॉलर की कीमत थी एक रूपया..! भाइयों-बहनों और नौजवानों, चीज को समझिए, जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ तब एक रूपया बराबर एक डॉलर हुआ करता था, आज भारत के वित्त मंत्री की उम्र इज इक्वल टू वन डॉलर..! एक डॉलर कभी पैसठ रूपया, कभी चौसठ रूपया... आप कल्पना कर सकते हो कि क्या होता होगा देश का..!

एक जमाना था जब पूरा विश्व हिन्दुस्तान की धरती पर पढ़ने के लिए आता था। दुनिया के देशों के नौजवान भारत में आकर के शिक्षा-दीक्षा लेते थे। मित्रों, भारत सरकार के आंकड़े बोल रहे हैं कि आज अकेले पिछले एक वर्ष में हिन्दुस्तान से जो नौजवान विदेशों में पढ़ाई करने के लिए गए उनकी फीस भरने में एक लाख बीस हजार करोड़ रूपया हिन्दुस्तान के खजाने से खाली हुआ..! क्योंकि उनको चाहिए वैसी पढ़ाई यहाँ नहीं मिल रही थी। वो तो गए, हमारा बुद्घि धन तो गया, साथ-साथ हमारा लक्ष्मी धन भी गया..! क्या दिल्ली की सरकार हिन्दुस्तान में हमारे नौजवानों को अच्छी शिक्षा मिले, उन्हें भटकना ना पड़े, ये व्यवस्था नहीं कर सकती है..? नहीं कर रही है..! भाइयों-बहनों, आज गाँव में डॉक्टर नहीं है, गाँव के गरीब आदमी को दवाई चाहिए तो दवाई की व्यवस्था नहीं है..! ये दिल्ली की सरकार को कितने साल हो गए, हमारे देश की जनता की आवश्कता के अनुसार डॉक्टर तैयार हो, डॉक्टरों को तैयार करने के लिए मेडिकल कॉलेजेस हों, क्या ये नहीं हो सकता है..? मित्रों, आंध्र और गुजरात दो राज्य ऐसे हैं जो दवाई के उत्पादन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम कर रहे हैं। दवाईयों का तो उत्पादन हो रहा है लेकिन दवाई लिखने वाले डॉक्टर नहीं हैं तो गरीब की बीमारी कहाँ से जाएगी..? भाइयों-बहनों, ऐसी-ऐसी समस्याएं... खाने को रोटी नहीं, पहनने को कपड़ा नहीं, रहने को घर नही, पढ़ने का शिक्षा नहीं, बीमार को दवाई नहीं... ये सारी अमानतें कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। ये कांग्रेस की दी हुई विरासत है..!

भाइयों-बहनों, हिन्दुस्तान के आने वाले कल की चिंता करनी है, हिन्दुस्तान के भाग्य को बदलना है तो हमें विकास का रास्ता अपनाना पड़ेगा..! और मैं कहने आया हूँ कि विकास के रास्ते के बिना हम सामान्य मानवी का भला नहीं कर सकते..! पीड़ित, शोषित, दलित, आदिवासी, मछुआरे, इन सबका कल्याण कौन करेगा..? क्या हुआ कि कांग्रेस पार्टी ने इनके कल्याण की दिशा में कुछ नहीं किया..? उनको तो चुनाव आते हैं तब तिजोरी खाली करो और वोट पाने के रास्ते खोजो, उसके सिवाय कोई रास्ता सूझता नहीं है। और इसलिए भाइयों-बहनों, आज मैं आपसे अनुरोध करने आया हूँ, मैं हैदराबाद की धरती से पूरे हिन्दुस्तान को प्रार्थना करने आया हूँ कि इस देश के हर नागरिक को हिन्दुस्तान की चिंता है, देश का हर नागरिक चिंतित है, नौजवान चिंतित है, अगर उनको हम भरोसा नहीं देंगे, अगर उनको हम विश्वास नहीं देंगे, तो हम जो डेमोग्राफिक डिविडेंड की बात करते हैं, जो हमारी 65% जनसंख्या 35 से नीचे की है, उसके पास शक्ति है, सपने हैं, सामर्थ्य है लेकिन उसके पास काम नहीं है, अगर हम हमारे देश के नौजवानों को रोजगार नहीं देंगे तो इस देश की हालत क्या होगी इसका आप अंदाजा कर सकते हैं..!

भाइयों-बहनों, मैं आज जब हैदराबाद की धरती पर आया हूँ तो मेरे मन में सरकार की कल्पना क्या है वो भी आज मैं बताना चाहता हूँ। भाइयों-बहनों, मेरा स्पष्ट मत है कि सरकार का एक ही मजहब होता है और वो मजहब होता है, इंडिया फर्स्ट..! सरकार का एक ही धर्मग्रंथ होता है और वो धर्मग्रंथ है, भारत का संविधान..! सरकार की एक ही भक्ति होती है और वो भक्ति है, भारत भक्ति..! सरकार की एक ही शक्ति होती है और वो शक्ति है, कोटी-कोटी जनशक्ति..! सरकार की पूजा होती है सवा सौ करोड़ बंधु भगिनी की भलाई, सवा सौ करोड़ देशवासियों की भलाई और सरकार की कार्यशैली होती है, ‘सबका साथ, सबका विकास’..! इस मंत्र को लेकर के हमें आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान के भाग्य को बदलने के लिए भारत को कांग्रेस से मुक्त कराने का प्रयास करना है..!

मैं एक चीज आपसे बुलावाना चाहता हूँ। बोलेंगे..? पूरी ताकत से बोलेंगे..? दोनों हाथ ऊपर करके बोलेंगे..? मैं जो बोलूं वो आपको बोलना है। मैं बोलता हूँ फिर बोलिए,

यस, वी कैन... यस, वी कैन..! यस, वी विल डू... यस, वी विल डू..!

मेरे साथ बोलिए, जय तेलंगाना...! जय सीमांध्र..!

भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्..! वंदे मातरम्..! वंदे मातरम्..!

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हमारे देश में एनसीसी को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं: पीएम मोदी
विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग एक लाख नए युवाओं को राजनीति से जोड़ने का प्रयास है: पीएम मोदी
यह देखकर खुशी हुई कि युवा वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनने में मदद कर रहे हैं: पीएम मोदी
बच्चों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चेन्नई, हैदराबाद और बिहार में अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं: पीएम मोदी
प्रवासी भारतीयों ने विभिन्न देशों में अपनी पहचान बनाई है: पीएम मोदी
लोथल में एक संग्रहालय विकसित किया जा रहा है, जो भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए समर्पित है: पीएम मोदी
#EkPedMaaKeNaam अभियान ने केवल 5 महीनों में 100 करोड़ पेड़ लगाने का मील का पत्थर पार कर लिया है: पीएम
गौरैया को पुनर्जीवित करने के लिए अद्वितीय प्रयास किए जा रहे हैं: पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 'मन की बात', यानि देश के सामूहिक प्रयासों की बात, देश की उपलब्धियों की बात, जन-जन के सामर्थ्य की बात, ‘मन की बात' यानि देश के युवा सपनों, देश के नागरिकों की आकांक्षाओं की बात | मैं पूरे महीने, 'मन की बात' का इंतजार करता रहता हूँ, ताकि, आपसे सीधा संवाद कर सकूँ । कितने ही सारे संदेश, कितने ही messages ! मेरा पूरा प्रयास रहता है कि ज्यादा- से-ज्यादा संदेश को पढूँ, आपके सुझावों पर मंथन करूँ ।

साथियो, आज बड़ा ही खास दिन है - आज NCC दिवस है | NCC का नाम सामने आते ही हमें स्कूल-कॉलेज के दिन याद आ जाते हैं | मैं स्वयं भी NCC Cadet रहा हूँ, इसलिए, पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इससे मिला अनुभव मेरे लिए अनमोल है | 'NCC' युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है । आपने अपने आस-पास देखा होगा, जब भी कहीं कोई आपदा होती है, चाहे बाढ़ की स्थिति हो, कहीं भूकंप आया हो, कोई हादसा हुआ हो, वहाँ, मदद करने के लिए NCC के cadets जरूर मौजूद हो जाते हैं । आज देश में NCC को मजबूत करने के लिए लगातार काम हो रहा है । 2014 में करीब 14 लाख युवा NCC से जुड़े थे | अब 2024 में, 20 लाख से ज्यादा युवा NCC से जुड़े हैं | पहले के मुकाबले पाँच हजार और नए स्कूल-कॉलेजों में अब NCC की सुविधा हो गई है, और सबसे बड़ी बात, पहले NCC में girls cadets की संख्या करीब 25% (percent) के आस-पास ही होती थी | अब NCC में girls cadets की संख्या करीब-करीब 40% (percent) हो गई है | बॉर्डर किनारे रहने वाले युवाओं को ज्यादा से ज्यादा NCC से जोड़ने का अभियान भी लगातार जारी है । मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में NCC से जुड़ें | आप देखिएगा आप किसी भी career में जाएं, NCC से आपके व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी मदद मिलेगी |

साथियो, विकसित भारत के निर्माण में युवाओं का रोल बहुत बड़ा है | युवा मन जब एकजुट होकर देश की आगे की यात्रा के लिए मंथन करते हैं, चिंतन करते हैं, तो निश्चित रूप से इसके ठोस रास्ते निकलते हैं । आप जानते हैं 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश 'युवा दिवस' मनाता है । अगले साल स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती है | इस बार इसे बहुत खास तरीके से मनाया जाएगा | इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue’ | भारत-भर से करोड़ों युवा इसमें भाग लेंगे | गाँव, block, जिले, राज्य और वहाँ से निकलकर चुने हुए ऐसे दो हजार युवा भारत मंडपम में 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue' के लिए जुटेंगे | आपको याद होगा, मैंने लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने का आहवान किया है, जिनके परिवार का कोई भी व्यक्ति और पूरे परिवार का political background नहीं है, ऐसे एक लाख युवाओं को, नए युवाओं को, राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई तरह के विशेष अभियान चलेंगे | ‘विकसित भारत Young Leaders Dialogue' भी ऐसा ही एक प्रयास है । इसमें देश और विदेश से experts आएंगे | अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी रहेंगी | मैं भी इसमें ज्यादा-से-ज्यादा समय उपस्थित रहूँगा | युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने ideas को रखने का अवसर मिलेगा | देश इन ideas को कैसे आगे लेकर जा सकता है? कैसे एक ठोस roadmap बन सकता है? इसका एक blueprint तैयार किया जाएगा, तो आप भी तैयार हो जाइए, जो भारत के भविष्य का निर्माण करने वाले हैं, जो देश की भावी पीढ़ी हैं, उनके लिए ये बहुत बड़ा मौका आ रहा है | आइए, मिलकर देश बनाएं, देश को विकसित बनाएं ।

मेरे प्यारे देशवासियों, ‘मन की बात’ में, हम अक्सर ऐसे युवाओं की चर्चा करते हैं | जो निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रहे हैं ऐसे कितने ही युवा हैं जो लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं | हम अपने आस-पास देखें तो कितने ही लोग दिख जाते है, जिन्हें, किसी ना किसी तरह की मदद चाहिए,कोई जानकारी चाहिए I मुझे ये जानकर अच्छा लगा कुछ युवाओं ने समूह बनाकर इस तरह की बात को भी address किया है जैसे लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र हैं, वो बुजुर्गों को Digital life certificate के काम में मदद करते हैं I आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी Pensioners को साल में एक बार Life Certificate जमा कराना होता है I 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी I अब ये व्यवस्था बदल चुकी है I अब Digital Life Certificate देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता I बुजुर्गों को Technology की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है I वो, अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं I इतना ही नहीं वो बुजुर्गों को tech savvy भी बना रहे हैं ऐसे ही प्रयासों से आज Digital Life certificate पाने वालों की संख्या 80 लाख के आँकड़े को पार कर गई है I इनमें से दो लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है I

साथियो, कई शहरों में ‘युवा’ बुजुर्गों को Digital क्रांति में भागीदार बनाने के लिए भी आगे आ रहे हैं I भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को Mobile के माध्यम से Payment करना सिखाया है I इन बुजुर्गों के पास smart phone तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था I बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं I अहमदाबाद के राजीव, लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं I मैंने ‘मन की बात’ के पिछले episode में Digital Arrest की चर्चा की थी I इस तरह के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं I ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और cyber fraud से बचने में मदद करें I हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है - ये सरासर झूठ, लोगों को फ़साने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं I

मेरे प्यारे देशवासियो, आजकल बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं | कोशिश यही है कि हमारे बच्चों में creativity और बढ़े, किताबों के लिए उनमें प्रेम और बढ़े - कहते भी हैं ‘किताबें’ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए, Library से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी | मैं चेन्नई का एक उदाहरण आपसे share करना चाहता हूं | यहां बच्चों के लिए एक ऐसी library तैयार की गई है, जो, creativity और learning का Hub बन चुकी है | इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है | इस library का idea, technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी की देन है | विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे | लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे | भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया | इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है | किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं | Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है |

साथियो, हैदराबाद में ‘Food for Thought’ Foundation ने भी कई शानदार libraries बनाई हैं | इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें | बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है | इस library से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, library पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है | कुछ libraries तो ऐसी हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में students के बहुत काम आ रही हैं | ये देखना वाकई बहुत सुखद है कि समाज को सशक्त बनाने में आज library का बेहतरीन उपयोग हो रहा है | आप भी किताबों से दोस्ती बढ़ाइए, और देखिए, कैसे आपके जीवन में बदलाव आता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, परसों रात ही मैं दक्षिण अमेरिका के देश गयाना से लौटा हूं | भारत से हजारों किलोमीटर दूर, गयाना में भी, एक ‘Mini भारत’ बसता है | आज से लगभग 180 वर्ष पहले, गयाना में भारत के लोगों को, खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए, ले जाया गया था | आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं | गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो, अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं | जब मैं गयाना में था, तभी, मेरे मन में एक विचार आया था - जो मैं ‘मन की बात’ में आपसे share कर रहा हूं | गयाना की तरह ही दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों की संख्या में भारतीय हैं | दशकों पहले की 200-300 साल पहले की उनके पूर्वजों की अपनी कहानियां हैं | क्या आप ऐसी कहानियों को खोज सकते हैं कि किस तरह भारतीय प्रवासियों ने अलग-अलग देशों में अपनी पहचान बनाई! कैसे उन्होंने वहाँ की आजादी की लड़ाई के अंदर हिस्सा लिया! कैसे उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को जीवित रखा? मैं चाहता हूं कि आप ऐसी सच्ची कहानियों को खोजें, और मेरे साथ share करें | आप इन कहानियों को NaMo App पर या MyGov पर #IndianDiasporaStories के साथ भी share कर सकते हैं |

साथियो, आपको ओमान में चल रहा एक extraordinary project भी बहुत दिलचस्प लगेगा | अनेकों भारतीय परिवार कई शताब्दियों से ओमान में रह रहे हैं | इनमें से ज्यादातर गुजरात के कच्छ से जाकर बसे हैं | इन लोगों ने व्यापार के महत्वपूर्ण link तैयार किए थे | आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनकी रग-रग में बसी है | ओमान में भारतीय दूतावास और National Archives of India के सहयोग से एक team ने इन परिवारों की history को preserve करने का काम शुरू किया है | इस अभियान के तहत अब तक हजारों documents जुटाए जा चुके हैं | इनमें diary, account book, ledgers, letters और telegram शामिल हैं | इनमें से कुछ दस्तावेज तो सन् 1838 के भी हैं | ये दस्तावेज, भावनाओं से भरे हुए हैं | बरसों पहले जब वो ओमान पहुंचे, तो उन्होंने किस प्रकार का जीवन जिया, किस तरह के सुख-दुख का सामना किया, और, ओमान के लोगों के साथ उनके संबंध कैसे आगे बढ़े - ये सब कुछ इन दस्तावेजों का हिस्सा है | ‘Oral History Project’ ये भी इस mission का एक महत्वपूर्ण आधार है | इस mission में वहां के वरिष्ठ लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं | लोगों ने वहाँ अपने रहन-सहन से जुड़ी बातों को विस्तार से बताया है |

साथियो ऐसा ही एक ‘Oral History Project’ भारत में भी हो रहा है | इस project के तहत इतिहास प्रेमी देश के विभाजन के कालखंड में पीड़ितों के अनुभवों का संग्रह कर रहें हैं | अब देश में ऐसे लोगों की संख्या कम ही बची है, जिन्होंने, विभाजन की विभीषिका को देखा है | ऐसे में यह प्रयास और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है |

साथियो, जो देश, जो स्थान, अपने इतिहास को संजोकर रखता है, उसका भविष्य भी सुरक्षित रहता है | इसी सोच के साथ एक प्रयास हुआ है जिसमें गांवों के इतिहास को संजोने वाली एक Directory बनाई है | समुद्री यात्रा के भारत के पुरातन सामर्थ्य से जुड़े साक्ष्यों को सहेजने का भी अभियान देश में चल रहा है | इसी कड़ी में, लोथल में, एक बहुत बड़ा Museum भी बनाया जा रहा है, इसके अलावा, आपके संज्ञान में कोई manuscript हो, कोई ऐतिहासिक दस्तावेज हो, कोई हस्तलिखित प्रति हो तो उसे भी आप, National Archives of India की मदद से सहेज सकते हैं |

साथियो, मुझे Slovakia में हो रहे ऐसे ही एक और प्रयास के बारे में पता चला है जो हमारी संस्कृति को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने से जुड़ा है | यहां पहली बार Slovak language में हमारे उपनिषदों का अनुवाद किया गया है | इन प्रयासों से भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी पता चलता है | हम सभी के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया-भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके हृदय में, भारत बसता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी उपलब्धि साझा करना चाहता हूं जिसे सुनकर आपको खुशी भी होगी और गौरव भी होगा, और अगर आपने नहीं किया है, तो शायद पछतावा भी होगा | कुछ महीने पहले हमने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया था | इस अभियान में देश-भर के लोगों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लिया | मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि इस अभियान ने सौ करोड़ पेड़ लगाने का अहम पड़ाव पार कर लिया है | सौ करोड़ पेड़, वो भी, सिर्फ पाँच महीनों में - ये हमारे देशवासियों के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है | इससे जुड़ी एक और बात जानकर आपको गर्व होगा | ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है | जब मैं गयाना में था, तो वहां भी, इस अभियान का साक्षी बना | वहां मेरे साथ गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, उनकी पत्नी की माता जी, और परिवार के बाकी सदस्य, ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में शामिल हुए |

साथियो, देश के अलग-अलग हिस्सों में ये अभियान लगातार चल रहा है | मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत, पेड़ लगाने का record बना है - यहां 24 घंटे में 12 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए | इस अभियान की वजह से इंदौर की Revati Hills के बंजर इलाके, अब, green zone में बदल जाएंगे | राजस्थान के जैसलमेर में इस अभियान के द्वारा एक अनोखा record बना - यहां महिलाओं की एक टीम ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए | माताओं ने मां के नाम पेड़ लगाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। यहां एक ही जगह पर पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों ने मिलकर पेड़ लगाए - ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है । ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत कई सामाजिक संस्थाएँ स्थानीय जरूरतों के हिसाब से पेड़ लगा रही हैं । उनका प्रयास है कि जहां पेड़ लगाए जाएँ वहाँ पर्यावरण के अनुकूल पूरा Eco System Develop हो । इसलिए ये संस्थाएँ कहीं औषधीय पौधे लगा रहीं हैं, तो कहीं, चिड़ियों का बसेरा बनाने के लिए पेड़ लगा रहीं हैं । बिहार में ‘JEEViKA Self Help Group’ की महिलाओं ने 75 लाख पेड़ लगाने का अभियान चला रहीं हैं । इन महिलाओं का focus फल वाले पेड़ों पर है, जिससे आने वाले समय में आय भी की जा सके ।

साथियो, इस अभियान से जुड़कर कोई भी व्यक्ति अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगा सकता है । अगर माँ साथ है तो उन्हें साथ लेकर आप पेड़ लगा सकते हैं, नहीं तो उनकी तस्वीर साथ में लेकर आप इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं । पेड़ के साथ आप अपनी Selfie भी mygov.in पर पोस्ट कर सकते हैं । माँ, हम सबके लिए जो करती है हम उनका ऋण कभी नहीं चुका सकते, लेकिन, एक पेड़ माँ के नाम लगाकर हम उनकी उपस्थिति को हमेशा के लिए जीवंत बना सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी लोगों ने बचपन में गौरेया या Sparrow को अपने घर की छत पर, पेड़ों पर चहकते हुए ज़रूर देखा होगा । गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है । हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं । हमारे आसपास Biodiversity को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है । बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है । आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है । ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं । चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है । संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है । ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की training देते है । इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया । इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया । ये ऐसे घर होते हैं जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है । बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया । पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे दस हज़ार घोंसले तैयार किए हैं । कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी ।

साथियो, कर्नाटका के मैसुरू की एक संस्था ने बच्चों के लिए ‘Early Bird’ नाम का अभियान शुरू किया है । ये संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की library चलाती है । इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए ‘Nature Education Kit’ तैयार किया है। इस Kit में बच्चों के लिए Story Book, Games, Activity Sheets और jig-saw puzzles हैं । ये संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है । इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं । ‘मन की बात’ के श्रोता भी इस तरह के प्रयास से बच्चों में अपने आसपास को देखने, समझने का अलग नज़रिया विकसित कर सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने देखा होगा, जैसे ही कोई कहता है ‘सरकारी दफ्तर’ तो आपके मन में फाइलों के ढ़ेर की तस्वीर बन जाती है | आपने फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ देखा होगा | सरकारी दफ्तरों में इन फाइलों के ढ़ेर पर कितने ही मजाक बनते रहते हैं, कितनी ही कहानियां लिखी जा चुकी हैं | बरसों-बरस तक ये फाइलें Office में पड़े-पड़े धूल से भर जाती थीं, वहां, गंदगी होने लगती थी - ऐसी दशकों पुरानी फाइलों और Scrap को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया | आपको ये जानकर खुशी होगी कि सरकारी विभागों में इस अभियान के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं | साफ-सफाई से दफ्तरों में काफी जगह खाली हो गई है | इससे दफ्तर में काम करने वालों में एक Ownership का भाव भी आया है | अपने काम करने की जगह को स्वच्छ रखने की गंभीरता भी उनमें आई है |

सथियो, आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा, कि जहां स्वच्छता होती है, वहां, लक्ष्मी जी का वास होता है | हमारे यहाँ ‘कचरे से कंचन’ का विचार बहुत पुराना है | देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं | तरह-तरह के innovation कर रहे हैं | इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं | ये युवा अपने प्रयासों से sustainable lifestyle को भी बढ़ावा दे रहे हैं | मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास, वाकई बहुत प्रेरक है | अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियाँ, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं | आप भी जानते हैं कपड़ों की कटाई-सिलाई के दौरान जो कतरन निकलती है, इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है | अक्षरा और प्रकृति की Team उन्हीं कपड़ों के कचरे को Fashion Product में बदलती है | कतरन से बनी टोपियां, Bag हाथों-हाथ बिक भी रही है |

साथियो, साफ-सफाई को लेकर UP के कानपुर में भी अच्छी पहल हो रही है | यहाँ कुछ लोग रोज सुबह Morning Walk पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले Plastic और अन्य कचरे को उठा लेते हैं | इस समूह को ‘Kanpur Ploggers Group’ नाम दिया गया है | इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी | धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया | शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं | इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं | इस कचरे से Recycle Plant में tree guard तैयार किए जाते हैं, यानि, इस Group के लोग कचरे से बने tree guard से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं|

साथियो, छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है | इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है | इतिशा corporate दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं | पर्यटकों की वजह से वहां काफी plastic waste जमा होने लगा था | वहां की नदी जो कभी साफ थी वो plastic waste की वजह से प्रदूषित हो गई थी | इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है | उनके group के लोग वहां आने वाले tourist को जागरूक करते हैं और plastic waste को collect करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं |

साथियो, ऐसे प्रयासों से भारत के स्वच्छता अभियान को गति मिलती है | ये निरंतर चलते रहने वाला अभियान है | आपके आस-पास भी ऐसा जरूर होता ही होगा | आप मुझे ऐसे प्रयासों के बारे में जरूर लिखते रहिए |

साथियो, ‘मन की बात’ के इस episode में फिलहाल इतना ही | मुझे तो पूरे महीने, आपकी प्रतिक्रियाओं, पत्रों और सुझावों का खूब इंतजार रहता है | हर महीने आने वाले आपके संदेश मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं | अगले महीने हम फिर मिलेंगे, ‘मन की बात’ के एक और अंक में - देश और देशवासियों की नई उपलब्धियों के साथ, तब तक के लिए, आप सभी देशवासियों को, मेरी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं |

बहुत-बहुत धन्यवाद |