भारत माता की जय..!

भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और हम सबके मार्गदर्शक आदरणीय राजनाथ सिंह जी, राष्‍ट्रीय महासचिव श्री जेपी नड्डा जी, जम्‍मू कश्‍मीर के प्रभारी सांसद श्री अविनाश जी, भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष श्रीमान जुगल किशोर जी, श्री अशोक खजुरिया जी, श्रीमान निर्मल सिंह जी, श्री शमशेर सिंह जी, श्री कविन्‍द्र गुप्‍ता जी, श्री बाली भगत जी, चौधरी सुखनंदन जी, चौधरी श्‍यामलाल जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए जम्‍मू-कश्‍मीर के प्‍यारे भाईयों और बहनों..!

मुझे आज बहुत पुरानी यादें ताजा हो रही हैं। जम्‍मू कश्‍मीर में वर्षो तक मुझे संगठन का कार्य करने का सौभाग्‍य मिला था, यहां के सभी जिलों और तहसीलों में जाने का सौभाग्‍य मुझे प्राप्‍त हुआ था। इस सभा में ऐसे सैकडों पुराने परिवार होगें जिनके घर में मुझे कभी चाय पीने का तो कभी भोजन करने का सौभाग्‍य मिला था। मेरा नाता जम्‍मू-कश्‍मीर से बड़ा निकट का रहा है। आज यहां एक सज्‍जन ने आकर मुझे मेरी 25 साल की तस्‍वीर दी और मेरी पुरानी यादों को ताजा कर दिया। आज मैं विशेष रूप से मेरे गुर्जर भाईयों-बहनों को याद करना चाहता हूं क्‍योंकि जब मैं यहां काम करता था, तो गुर्जर समाज के लोग कहते थे कि हम तो आप वाले हैं, हमारा गुजरात से नाता है इसीलिए हमें गुर्जर कहा जाता है। गुर्जर कहते थे कि हमारे पूर्वज गुजरात से जुड़े हुए थे और आज भी मैं देखता हूं कि गुजरात के कुछ इलाकों के लोगों का पहनावा, उनकी पगड़ी और कपड़े बिल्‍कुल आप गुर्जर भाईयों-बहनों जैसे हैं। मैं जिन गुर्जर परिवारों में भोजन के लिए जाता था, वहां भी मुझे गुजराती खाने का स्‍वाद यानि हल्‍का मीठा सा जायका मिलता था। भाईयों-बहनों, आज भी आप सभी भारी संख्‍या में यहां इक्‍ट्ठे हुए हैं यह देखकर, अपनों से मिलकर मुझे अच्‍छा लग रहा है..!

भाईयों-बहनों, मैनें इस राज्‍य में काफी काम किया है। चुनाव के समय आया, संगठन के कार्यो के लिए भी आता था, लेकिन आज तक जम्‍मू के भाग्‍य में किसी भी राजनीतिक दल या नेता को इतनी भारी संख्‍या में जनता के दर्शन करने को नहीं मिला। यह माता वैष्‍णों देवी की कृपा है कि आज मुझे इतने विशाल जनसागर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्‍त हुआ है..!

भाईयों-बहनों, आज मैं जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर बैठकर महाराजा हरि सिंह जी को नमन करना चाहता हूं। अगर आजादी के बाद, महाराजा हरिसिंह जी जम्‍मू-कश्‍मीर के निर्णय प्रक्रिया की मुख्‍यधारा में होते तो आज जम्‍मू-कश्‍मीर की यह हालत न होती। हरिसिंह जी दिगदृष्‍टा वाले थे, उन्‍होने एक राजा से ज्‍यादा समाज सुधारक का काम किया था। कन्‍या शिक्षा के लिए उनके कानून बेहद कड़े थे, वह कन्‍या शिक्षा के लिए बेहद आग्रही थे। उससे भी ज्‍यादा बड़ी समस्‍या छुआछुत की थी, पूरे देश को छुआछुत ने तबाह कर दिया था, समाज में छुआछुत का कलंक था। उस समय महाराजा हरिसिंह जी ही ऐसे शख्‍स थे, जिन्‍होने जम्‍मू-कश्‍मीर के मंदिरों में दलितों के स्‍वागत का अभियान चलाया था, समाज की एकता का अभियान चलाया था, ऐसे नेक काम किए थे। लेकिन यह इतिहास की बातें, राजनीतिक स्‍वार्थ के कारण भुला दी जाती है..!

भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर आकर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लेते ही हमारी रगों में चेतना आ जाती है। हमारी आंखों में सपने दिखने लग जाते हैं। आज मैं देश के विद्वानों, राजनीतिक पंडितों और समाजशास्‍त्रीयों को आह्वान करता हूं कि आजादी के इतने साल बीत चुके हैं, इस देश में निष्‍पक्षता से अभ्‍यास होने की जरूरत है, चर्चा होने की जरूरत है, शोध निबंध  लिखने की जरूरत है कि क्‍या जम्‍मू कश्‍मीर के बारे में पंडित नेहरूर की सोच सही थी या डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच सही थी..! 60 साल के इतिहास को अगर हम कुरेद कर देखें तो यह साफ नजर आता है कि डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की जम्‍मू-कश्‍मीर के संदर्भ में जो सोच थी, आज इतिहास की कठोर सच्‍चाई बना है कि वह रास्‍ता सही था। लेकिन पंडित नेहरू ने डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की बात को नजरअंदाज किया..!

Full Text of Shri Modi's speech at Lalkaar Rally, Jammu

भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर आज भी प्रेरणा देने वाला नाम पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी का है। पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी प्रजापरिषद के माध्‍यम से जीवनभर जूझते रहे, संघर्ष करते रहे, तीन-तीन पीढि़यों तक हर पीढ़ी को प्रेरित करने का काम पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी ने किया था..!

भाईयों-बहनों, हमारे देश का गौरव, परमवीर चक्र प्राप्‍त करने वाले बिग्रेडियर राजेन्‍द्र सिंह भी इसी धरती के है जिनका नाम लेते ही हमारा सीना गर्व से तन जाता है। इसी भूमि के दो महावीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा और कर्नल रीम चंद, भारत माता के लिए लड़ने वाले लोग हैं जिनका स्‍मरण ही हमें प्रेरणा देता है। इसी प्रकार, देश की रक्षा के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करने वाले मकबूल शेरवानी को कैसे भुलाया जा सकता है, अब्‍दुल अज़ीज को कैसे भुलाया जा सकता है..! भाईयों-बहनों, इस देश में आंतकवाद के खिलाफ लड़ते-लड़ते अनेक लोग शहीद हुए हैं, कई नागरिक मरे हैं, सुरक्षा बलों के जवान मरे हैं, बहुत माताओं ने अपने लाल खोएं हैं..! हम जब भी टीका लाल टपलू को याद करते हैं तो साथ में इन सभी लोगों को स्‍मरण होता है। मैं इस जनसागर के साथ, जम्‍मू-कश्‍मीर और देश की रक्षा करने के लिए जान हथेली पर रखकर खेलने वाले सभी सुरक्षा बलों का भी आदरपूर्वक सम्‍मान, गौरव और अभिनंदन करना चाहता हूं..!

भाईयों-बहनों, दिल्‍ली में हमारी सरकार सोई हुई है और मैं नहीं मानता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल की आग उन्‍हे जगा सकती है। वो ऐसी गहरी नींद में सोएं है कि लगता है 2014 में भी सोते ही रहेंगे, अब इनके जगने की संभावना नहीं बची है..!

भाईयों-बहनों, पाकिस्‍तान में दो घटनाएं घटी, जिनमें से एक घटना पर तो देश की मीडिया और लोगों का ध्‍यान गया, लेकिन दूसरी घटना को भूला दिया गया। पाकिस्‍तान की जेल में दो बेगुनाह नौजवान बंद थे, वह 20-25 साल से बंद थे। एक पंजाब के भाई सरबजीत सिंह और दूसरे जम्‍मू के भाई चमेल सिंह थे। पाकिस्‍तान में सरबजीत सिंह को जिस जेल में मारा गया था और जिस तरीके से मारा गया था, ठीक उसी तरह से, उसी जेल में एक हफ्ते पहले चमेल सिंह को मारा गया था। अगर एक हफ्ते पहले ही हिंदुस्‍तान की सरकार जागती, चमेल सिंह की हत्या के विषय में आवाज उठाती तो शायद सरबजीत के मरने की नौबत ही नहीं आती। भाईयों-बहनों, क्‍या किसी देश की सरकार ऐसी होती है कि उसके लाल मारे जाएं और सरकार सोती रहे, ये कैसे हो सकता है..?

भाईयों-बहनों, आदरणीय राजनाथ सिंह जी ने अनेक नीति विषयक बाबतों में आपके समक्ष सारे विषय रखे हैं। भाईयों-बहनों, ऐसा लगता है कि हमारे देश में अगर पापों, कुकर्मो, जिम्‍मेदारियों और जबावदेही से बचना है, तो कुछ लोगों ने ऐसी जड़ी-बूटी खोज ली है कि वो उसके सहारे बच जाते हैं, बचने का रास्‍ता खोज लेते हैं। और वो रास्‍ता है - सेक्‍युलरिज्‍म..! आप सिर्फ सेक्‍युलरिज्‍म पर बोलना शुरू कर दीजिए, आपके सारे पाप माफ हो जाते हैं..! जम्‍मू-कश्‍मीर में इसके साथ एक और तरीके का उपयोग होता है, वो है धारा-370 का..! भाईयों-बहनों, संविधान के तहत राजनीतिक पटल पर धारा-370 रहे या न रहे, उसकी चर्चा चलती है और चलती रहेगी। लेकिन अब समय की मांग है कि जनता जर्नादन के संदर्भ में, यहां के लोगों के हितों के संदर्भ में, जम्‍मू-कश्‍मीर के नागरिकों के अधिकार के संदर्भ में, कम से कम जम्‍मू-कश्‍मीर में और सारे देश में इस विषय पर चर्चा अवश्‍य की जाएं कि क्‍या धारा-370 से यहां के किसी सामान्य मानव का भला हुआ है..? कोई इसकी चर्चा करने को तैयार नहीं है..! अभी डॉ. मनमोहन सिंह जी चुनाव के दिनों में कहते थे कि भाजपा के नेता, बड़े-बड़े नेताओं के नाम लेते हैं, नाम लेने से कुछ नहीं होता, उन्‍होने जो कहा है वह करके दिखाना चाहिए। मैं प्रधानमंत्री जी की बात को मानता हूं, स्‍वीकार करता हूं और उन्‍हे यह बात याद दिलाना चाहता हूं कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने धारा 370 को लेकर संसद में कहा था कि यह धारा समय रहते, घिसते-घिसते घिस जाएगी..! प्रधानमंत्री जी, आप ही कहते है कि महापुरूष जो कहते है उसे करना चाहिए, क्‍या आपकी सरकार वह करने को तैयार है जो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था..? फिर औरों को आप क्‍यों उपदेश देते हैं..?

भाईयों-बहनों, धारा-370 को एक कवच बना लिया गया है और उसका उपयोग भी एक कवच की तरह होता है। उसको साम्‍प्रदायिकता के गहने पहना दिए गए है और इसी कारण, उसकी सही चर्चा नहीं हो रही है। मैं चाहता हूं कि देश के संविधान के जानकार लोग इस विषय पर चर्चा करें।  आप देखिए, जिन कानूनों को लेकर दिल्‍ली की सरकार इन चारों राज्‍यों में वोट मांग रही है, कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया..! जिन कानूनों को लेकर कांग्रेस पार्टी इतना गौरव महसूस कर रही है क्‍या वह सभी कानून जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू हो रहे हैं..? अभी राजनाथ सिंह जी ने कहा कि धारा 370 और 374 का राजीव गांधी के समय में अमेन्ड्मेन्ट हुआ, कांग्रेस पार्टी उसको लेकर जयजयकार करती घूमती है। कांग्रेस पार्टी इस बात का जवाब तो दें कि जिन चीजों को आपने किया, उन्‍हे आप जम्‍मू-कश्‍मीर में क्‍यों नहीं लागू करवा पाते हो..? भाईयों-बहनों, आप ही बताइए, क्‍या पंचायतों को अधिकार मिलने चाहिए या नहीं..? जिन लोगों को श्रीनगर में अपने बंगले और ऑफिस की स्वायत्तता के सारे अधिकार के लिए लड़ना है, उनके स्‍वंय के लिए स्वायत्तता बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन उन्‍हे यहां की नगरपालिका को स्वायत्तता नहीं देनी है, यहां के गांवों को स्वायत्तता नहीं देनी है, उनको उनके अधिकार नहीं देने है और ना ही विकास के अवसर देना है..!

भाईयों-बहनों, ये दोगुली नीति कब तक चलेगी..! क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर के सामान्‍य मानवी को वह सभी अधिकार नहीं मिलने चाहिए, जो हिंदुस्तान के अन्‍य सारे नागरिकों को मिलते हैं..? हिंदुस्तान में एससी, एसटी और ओबीसी को जो विशेष अधिकार मिलते हैं, दलितों को जो अधिकार मिलते हैं, आदिवासियों को जो अधिकार मिलते हैं, सामाजिक और शौक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को जो अधिकार शिक्षा, नौकरी और चुनाव के प्रतिनिधित्‍व में मिलते हैं, क्‍या वह सभी अधिकार जम्‍मू-कश्‍मीर के नागरिकों को मिलना चाहिए या नहीं..? आखिर उन्‍हे यह अधिकार मिलने से क्‍यों रोका जा रहा है..? इतना ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में करप्‍शन की चर्चा चल रही है, पूरा देश करप्‍शन के लिए आक्रोश व्‍य‍क्‍त कर रहा है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भरपूर करप्‍शन है कि नहीं..? क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकारें भष्‍ट्राचार में लिप्‍त हैं..? क्‍या राजनेता भष्‍ट्राचार में लिप्‍त हैं..? तो आप मुझे बताइए, करप्‍शन प्रीवेंशन का कानून जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू होना चाहिए या नहीं..? लेकिन यहां उसे लागू नहीं किया जा रहा है। क्‍योंकि वह लोग न कोई जबाव देना चाहते हैं, न ही उनकी कोई जिम्‍मेदारी है और न ही उत्तरदायित्व..!

भाईयों, आप जरा ध्‍यान दीजिए, ये सेपरेटिस्ट, सेपरेट का गुण गाते घूम रहे है, इससे फायदा किसको हुआ है..? अभी तक कितने लोगों को फायदा हुआ है..? पिछले 60 साल का इतिहास देख लीजिए, गिनकर सिर्फ 50 परिवारों ने इसका फायदा उठाया है और पूरे जम्‍मू-कश्‍मीर को अंधेरे में रखा गया है। क्‍या आप सभी गुर्जर भाईयों को आदिवासियों के नाते सभी अधिकार मिलने चाहिए या नहीं..? उनको अपने हक का अधिकार मिलना चाहिए या नहीं..? आखिर इन सभी लोगों को यह क्‍यों नहीं दिया जा रहा है..? मेरे कारगिल के शिया भाईयों के भलाई के लिए कोई काम होना चाहिए या नहीं होना चाहिए..? पूरे हिंदुस्‍तान में स्‍त्री और पुरूष को समान अधिकार प्राप्‍त है, जो हक पुरूष को प्राप्‍त है, वही हक महिला को मिलते हैं..! क्‍या जम्‍मू-कश्मीर में महिलाओं के साथ अन्याय होना चाहिए..? क्‍या यहां की महिलाओं को भी पुरूषों जितने अधिकार मिलने चाहिए..? क्‍या महिलाओं के साथ हो रहा अन्‍याय बंद होना चाहिए..? आज जम्‍मू-कश्‍मीर के कानून की स्थिति यह है कि यहां पर स्‍त्री और पुरूष के बीच भेद हो रहा है। मैं यहां हिंदु या मुसलमान की बात करने नहीं आया हूं, मैं सिर्फ अपने सवा करोड़ जम्‍मू वासियों की बात करता हूं..! ये अलगाव की राजनीति, ये बांटने की राजनीति, इसने देश को तबाह किया है। अगर विकास करना है जो जोड़ने की राजनीति काम आएगी और उसी से विकास संभव होगा..!

भाईयों-बहनों, एक गंभीर सवाल मैं उठा रहा हूं। कोई मुझे बताएं कि जो अधिकार यहां के मुख्‍यमंत्री श्रीमान उमर अब्‍दुल्‍ला को मिलें हैं, क्‍या वही अधिकार उनकी बहन सारा को भी मिले हैं..? नहीं मिले हैं..! इस राज्‍य में मुख्‍यमंत्री को जो अधिकार मिलें हैं वो उनकी बहन को भी नहीं मिले हैं, क्‍योंकि उसने कश्‍मीर के बाहर शादी की और उसके सारे अधिकार छीन लिए गए..! जो अधिकार उमर अब्‍दुल्‍ला को मिलते हैं, वह उनकी बहन सारा को भी मिलने चाहिए..! ये लड़ाई हिंदु-मुसलमान की नहीं है। माताओं-बहनों का सम्‍मान होना चाहिए। सारा विश्व जेंडर इक्‍वीलिटी की बात करता है। मैं मानवतावादी लोगों और मुझ पर शब्‍दों के बाण चलाने वाले लोगों से पूछना चाहता हूं कि आपके मुंह पर ताला क्‍यों लग गया है..? जम्‍मू-कश्‍मीर की बहनों को अधिकार मिले, इस सम्‍बंध में आप क्‍यों चूप हैं..?

भाईयों-बहनों, अब समय की मांग है कि हम गम्‍भीरता से सोचें कि 60 साल से सेपरेट स्‍टेट, सेपरेट स्‍टेट का गीत गुनगुनाया जा रहा है, हम सभी ने सुना और इससे क्‍या मिला..? किसी को कुछ मिला क्‍या, बर्बादी हुई कि नहीं..? ऊपर दिल्‍ली से जो खजाना आता है, उसे लूटने के बाद कोई हिसाब तक नहीं दिया जाता है, यही चल रहा है, भाईयों..! ये सेपरेट-सेपरेट के नाम पर सेपरेटिज्‍म को बढ़ावा दिया गया है, अलगाववाद को बढ़ावा दिया है, अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दिया गया है। भाईयों-बहनों, कितना अच्‍छा होता अगर सेपरेट स्‍टेट बनाने के बजाय सुपर स्‍टेट बनाने के सपने देखे होते..! आप लोग ही बताएं कि आपको सेपरेट स्‍टेट चाहिए या सुपर स्‍टेट चाहिए..? भाईयों-बहनों, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमें सपना दिखाया है, एक रास्‍ता दिखाया है कि जम्‍मू-कश्‍मीर को सुपर स्‍टेट बनाना है..!

भाईयों-बहनों, यहां शासन में बैठे लोगों को दिल्‍ली जाकर कुछ न कुछ मांगने की आदत हो गई है, क्योंकि उन्‍हे लगता है यहां कुछ भी आएगा, उसका हिसाब लेने वाला तो कोई नहीं है..! यहां के ज्‍यादातर नेता तो विदेशों में रहते हैं, न ही उनको यहां की सर्दी पसंद है और न उनको यहां की गर्मी पसंद है। मौका मिलते ही वह विदेश चले जाते हैं..! भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की ऐसी छवि बना दी गई है कि जम्‍मू-कश्‍मीर अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है, जम्‍मू-कश्‍मीर को तो भीख का कटोरा लेकर दिल्‍ली के दरबार में जाना ही पड़ेगा। और दिल्‍ली दे तो गाली, न दे तो भी गाली, ये सारा राजनीतिक खेल चलता रहता है। ये लोग जम्‍मू-कश्‍मीर को बेगर बताते रहते हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर भिखारी राज्‍य नहीं है, यहां सम्‍मान से जीने वाले लोगों की जमात है, ये देश के लिए मर-मिटने वाले लोगों की जमात है..! भाईयो-बहनों, आप सभी को ये बेगर-बेगर का कलंक मिटाना है या नहीं मिटाना है..? इसीलिए मैं आज आपके पास आया हूं कि हमें इस जम्‍मू-कश्‍मीर को बेगर से बेटर जम्‍मू-कश्‍मीर बनाना है..! बेगर वाले दिन बहुत हो गए, अब बेटर वाले रास्‍ते पर चलना है और आगे बढ़ना है..!

भाईयों-बहनों, कारगिल जहां शिया समाज के भाई-बहन रहते हैं, मैं वहां भी कुछ समय रहा था और उनके दुख-दर्द को जानने की कोशिश की थी। जम्‍मू-कश्‍मीर में विकास हो, श्रीनगर वैली में विकास की बातें हो, लेकिन क्‍या कारण है कि कारगिल के शिया समाज को विकास की धारा से अछूता रखा जाता है और उसके साथ यह अन्‍याय क्‍यों किया जा रहा है..? गुर्जरों, बकरवाल और शिया समाज के साथ अन्‍याय... हर एक को अलग करते जाना, इन्‍हे पीछे करते जाना, ये कब तक चलता रहेगा..? इस जम्‍मू-कश्‍मीर में भेदभाव की जो राजनीति चलती रहती है, कभी लद्दाख के साथ अन्‍याय, कभी जम्‍मू क्षेत्र के साथ अन्‍याय, कभी शिया के साथ अन्‍याय, कभी बकरवाल से अन्‍याय, कभी गुर्जर से अन्‍याय... ये अन्‍याय कब तक करते रहोगे..? जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों, अगर आप सभी एक बनकर आवाज उठाओगे तो श्रीनगर या दिल्‍ली में बैठी सरकार में दम नहीं है कि आपके भविष्‍य को बदलने से रोक सके..!

भाईयों-बहनों, मैं आपको बताना चाहता हूं कि इन्‍हे विकास में कोई रूचि नहीं है। हम रामायण के काल से सुनते आ रहे हैं कि हिमालय में जड़ी-बूटियां होती है। हमने सुना है कि जब लक्ष्‍मण जी बेहोश हो गए थे तो हनुमान जी हिमालय से जड़ी-बूटी ले गए थे। हम सभी मानते हैं कि हिमालय की जड़ी-बूटियां औषधों के लिए बहुत उपयुक्‍त हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर जड़ी-बूटियों के खजाने से भरा पड़ा है..! हमारा पड़ोसी देश चीन, हर्बल मेडीसीन का एक्‍सपोर्ट पूरी दुनिया में सबसे ज्‍यादा करता है। आज पूरे विश्‍व में हर्बल मेडीसीन का एक आकर्षण है। पूरा विश्‍व हर्बल मेडीसीन के रास्‍ते पर जा रहा है। होलिस्टिक हेल्‍थकेयर इस समाज के जीवन में परिवर्तन लाया है। आज जब सारी दुनिया में हर्बल मेडीसीन की मांग हो, अच्‍छे से अच्‍छी जड़ी-बूटीयां हिमालय में होती हो, और हिमालय मेरे जम्‍मू-कश्‍मीर में भरा पड़ा हो, तो क्‍या हमारे देश की सरकार, हमारे जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार, यहां की यूनीवर्सिटी हर्बल मेडीसीन पर रिसर्च करके, आर्युवेद संस्‍थानों का उपयोग करके हर्बल मेडीसीन का एक्‍सपोर्ट कर सकते हैं या नहीं..? ठीक वैसे ही जैसे हमारे यहां से बाहर गलीचे एक्‍सपोर्ट होते हैं। क्‍या हम हर्बल मेडीसीन एक्‍सपोर्ट करके हमारे जम्‍मू-कश्‍मीर के नौजवानों को रोजगार दे सकते है या नहीं..? जम्‍मू-कश्‍मीर के नौजवानों को रोजगार मिलना चाहिए या नहीं..?

भाईयों-बहनों, दिनों-दिन टूरिज्‍म खत्‍म होता जा रहा है। सारा टूरिज्‍म जम्‍मू-कश्‍मीर से शिफ्ट होकर हिमाचल की तरफ चला गया..! यह राज्‍य सौंदर्य और श्रद्धा, दोनों के लिए अच्‍छा टूरिस्‍ट स्‍थल है। यहां अमरनाथ व वैष्‍णों देवी की यात्रा और घूमने फिरने के लिए एक स्‍थान पर सभी कुछ मिलता है, टूरिज्‍म के लिए यहां से बड़ा कोई अवसर नहीं है..! लेकिन हमारा टूरिज्‍म खत्‍म हो गया, रोजगार चला गया, लोग मुसीबतों से गुजारा कर रहे हैं। क्‍या भारत सरकार टूरिज्‍म के विकास के लिए बल नहीं दे सकती है..?

अभी हमारे हिंदुस्‍तान की फिल्‍म इंडस्‍ट्री ने सौ साल मनाए। इस देश की कई फिल्‍में, जिनका फिल्‍मांकन प्राकृतिक सौंदर्य के बीच किया जाता था, उन सभी को जम्‍मू-कश्‍मीर में फिल्‍मांकित किया जाता था, शूटिंग के लिए कश्‍मीर को अच्‍छी से अच्‍छी जगहों में से एक माना जाता था। मुम्‍बई का पूरा फिल्‍म उद्योग यहां शूटिंग के लिए आया करता था।  यहां के छोटे-मोटे हर व्‍यक्ति को रोजगार मिलता था। लेकिन आज फिल्म इंडस्‍ट्री यहां आना बंद हो गई, क्‍योंकि सरकार ने इस ओर ध्‍यान नहीं दिया। जब पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री 100 वीं सालगिरह मना रही थी तो भारत सरकार को जम्‍मू-कश्‍मीर और लेह-लद्दाख में एक कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए था ता‍कि वह यहां के लोगों को पुराने दिनों के बारे में बताकर उन्‍हे आगे बढ़ाने का रास्‍ता दिखाते..! आज हिंदुस्‍तान में फिल्‍म इंडस्‍ट्री एक बहुत बड़ा उद्योग है, अगर जम्‍मू-कश्‍मीर में एक फिल्‍म इंस्‍टीट्यूट खड़ा कर देते, टेक्‍नोलॉजिकल एडवासंमेंट की दिशा में जाते ताकि लोग यहां के प्राकृतिक दृश्‍यों के लिए आते और यहां के लोगों को रोजगार मिलता, कितनी तरक्‍की होती..! लेकिन भाईयों-बहनों, इन लोगों को तरक्‍की में विश्‍वास नहीं है। आप देखिए, लोगों के बीच कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आकर्षण बढ़ रहा है, हजारों की तादाद में लोग जा रहे हैं, अब सभी नेपाल के रास्‍ते से जाते हैं और सारी इनकम नेपाल को हो रही है। अगर यही काम लेह से मानसरोवर जाने के रास्‍ते पर हो जाए तो यह पूरा इलाका अमीर हो जाएगा..! कौन कहता है रास्‍ते नहीं है, कौन कहता है विकास के लिए अवसर नहीं है, लेकिन कश्‍मीर के नौजवानों को तबाह कर दिया जा रहा है..!

अभी राजनाथ सिंह जी डेमचौक की घटनाएं सुना रहे थे। मैं उन डेमचौक के नागरिकों का अभिनंदन करता हूं कि चीन की दादागिरि और दिल्‍ली सरकार की उदासीनता के बावजूद भी उन्‍होने 15 अगस्‍त को तिरंगा फहराया और हिंदुस्तान की आन, बान और शान की रक्षा की। मैं डेमचौक के सभी भाईयों का पूरे भारतवासियों की तरफ से अंत:करण से अभिनन्‍दन करता हूं और विश्‍वास से कहता हूं कि दिल्‍ली के लाल किले से फहराए झंडे से ज्‍यादा प्रेरणा डेमचौक पर फहराएं झंडे से मिलेगी..!

भाईयों-बहनों, चीन हमारे देश के सरहदी गांवों के लोगों को मुफ्त में मोबाइल और सिमकार्ड दे रहा है और चाइना के नेटवर्क से उनको जोड़ देता है। धीरे-धीरे उनको अपने लपेटे में ले रहा है। ये भारत सरकार की टेलीकॉम मिनिस्‍टरी कर क्या रही है..? ये कैसे हो सकता है कि किसी देश का टेलीकॉम सिस्‍टम हमारे देश के लोगों को सिमकार्ड देकर आश्रित बना दें..? इससे देश की सुरक्षा को कितना बड़ा खतरा पैदा हो सकता है, लेकिन इसकी चिंता इन लोगों को नहीं है..!

भाईयों-बहनों, आज भी जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों के दिलों में अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए एक श्रद्धा का भाव है। इस देश में 14 साल तक किसी प्रधानमंत्री ने जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर पैर नहीं रखा था..! अटल बिहारी वाजपेयी पहले प्रधानमंत्री थे, जो 14 साल बाद, इतने संकटो के बीच भी जम्‍मू-कश्‍मीर में आए थे। अटल जी ने जो तीन मंत्र हम लोगों को दिए हैं, वह तीनों मंत्र हम सभी के लिए आगे के दिशादर्शक है। आदरणीय अटल जी ने कहा था कि कश्‍मीर को हम तीन मूल आधार पर रखते हैं। वह हर समस्‍या का समाधान उन तीन मूल आधारों पर करना चाहते थे। यह तीन मूल मंत्र थे : पहला - इंसानियत, दूसरा - जम्‍मूरियत और तीसरा - कश्‍मीरियत..! भाईयों-बहनों, ये तीनों चीजें, जिसमें उन्‍होने इंसानियत की बात कही, जम्‍मूरियत लोकतंत्र की बात कही और कश्‍मीरियत में यहां की सदियों पुरानी चली आ रही परम्‍परा और संस्‍कृति को जोड़कर बात कही और उसी रास्‍ते पर चलने को कहा..!

भाईयों-बहनों, हमारे मन में विचार आता है कि अगर हिमाचल और असम में आईआईटी और आईआईएम के प्रयास हो सकते हैं, तो क्‍या मेरे जम्‍मू में आईआईएम या आईआईटी नहीं होना चाहिए..? क्‍या यहां के नौजवान पढ़कर हिंदुस्‍तान में अपना नाम रोशन नहीं कर सकते..? लेकिन शैक्षिक संस्‍थान के विकास को करने में जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार को न भरोसा है और न ही दिल्‍ली सरकार को विश्‍वास..! अगर हम सभी को आगे बढ़ना है तो एक-दूसरे के साथ संघर्ष करके आगे नहीं बढ़ सकते। आज देश का लोकतंत्र उन लोगों के कब्‍जे में है जो या तो अहंकारवादी है या अवसरवादी, या तो विघटनवादी है या वंशवादी हैं, या फिर वह सुखवादी है जो सिवाय अपने सुख के कुछ भी नहीं देख सकते, ऐसे ही लोगों के कारण आज देश तबाह हो रहा है..!

हमारा देश वि‍विधता में एकता से भरा हुआ है, विविधता में एकता ही हमारे देश की विशेषता है। कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक, अटक से कटक तक ये भारत माता एक है, उसी भाव को लेकर के, एकता के स्‍वर को लेकर के हमें आगे बढ़ना होगा। हमारी भाषाएं भले ही अनेक हों, लेकिन भाव एक है, राज्‍य अनेक हों, लेकिन राष्‍ट्र एक है, पंथ अनेक हो पर लक्ष्‍य एक है, बोली अनेक हों पर स्‍वर एक है, रंग अनेक हों लेकिन तिरंगा एक है, समाज अनेक हों पर भारत एक है, रिवाज अनेक हों पर संस्‍कार एक है, कार्य अनेक हों पर संकल्‍प एक है, राहें अनेक हों लेकिन मंजिल एक है, चेहरा अनेक हो लेकिन मुस्‍कान एक है, हमें इस मंत्र को लेकर चलना है..!

भाईयों-बहनों, जो लोग हमेशा वोट बैंक की राजनीति करते रहे हैं, जो लोग सत्ता सुख पाने के लिए समाज को बांटते रहे हैं, मैं आज इस ललकार रैली से उनको ललकारना चाहता हूं। और मेरी हर बात को सेक्‍युलरिज्‍म के तराजु पर तौलकर देखा जाए, अगर उनमें हिम्‍मत है तो मेरी ललकार को स्‍वीकार करें। भाईयों-बहनों, हमारी सोच क्‍या है..? हमारा मंत्र है कि सरकार का कोई धर्म नहीं होता, सरकार का सिर्फ एक ही धर्म होता है - इंडिया फर्स्‍ट, नेशन फर्स्‍ट, हिंदुस्‍तान सबसे पहले। सरकार का एक ही धर्म ग्रन्‍थ होता है - भारत का संविधान, सरकार की एक ही भक्ति होती है - भारत भक्ति, सरकार की एक ही शक्ति होती है - सवा सौ करोड़ देशवासियों की शक्ति, सरकार की एक ही पूजा होती है - सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्‍याण, सरकार की एक ही कार्यशैली होती है - सबका साथ, सबका विकास और इसी मंत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी आगे बढ़ रही है..!

मैं जम्‍मू-कश्‍मीर के कार्यकर्ताओं और जनता को अंत:करणपूर्वक बधाई देता हूं कि आज आप सभी ने रंग ला दिया है। ये घटना स्‍टेडियम की घटना नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्‍तान के नाज़ की घटना है, देश की एकता में विश्‍वास करने वालों को ताकत देने वाली घटना है, शांति, एकता और भाईचारे में विश्‍वास करने वाले लोगों के हौसले बुंलद करने वाली घटना है, इसलिए आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए,

भारत माता की जय..! भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

वंदे मातरम् ..!  वंदे मातरम्...!  वंदे मातरम्.....!

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
How India’s ‘Digital Lifeline’ UPI Is Transforming Payments At Home & Abroad

Media Coverage

How India’s ‘Digital Lifeline’ UPI Is Transforming Payments At Home & Abroad
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
हमारी सरकार, women-led development के विजन को विकास की धुरी बना रही है: भोपाल, मध्य प्रदेश में पीएम मोदी
May 31, 2025
Quoteप्रधानमंत्री ने भोपाल में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
Quoteलोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का नाम हमें श्रद्धा से भर देता है, उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं: प्रधानमंत्री
Quoteदेवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की एक महान संरक्षिका थीं: प्रधानमंत्री
Quoteमाता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार महिला-नेतृत्व वाले विकास की परिकल्पना को विकास की धुरी बना रही है: प्रधानमंत्री
Quoteनमो ड्रोन दीदी अभियान ग्रामीण महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहा है, उनकी आय बढ़ा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteआज हमारे सभी प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों में बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं: प्रधानमंत्री
Quoteऑपरेशन सिंदूर भी हमारी नारी शक्ति की ताकत का प्रतीक बन गया है: प्रधानमंत्री

मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

|

साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

|

साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

|

साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

|

साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

|

साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

|

साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

|

साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

|

साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!