भारत माता की जय..!

भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और हम सबके मार्गदर्शक आदरणीय राजनाथ सिंह जी, राष्‍ट्रीय महासचिव श्री जेपी नड्डा जी, जम्‍मू कश्‍मीर के प्रभारी सांसद श्री अविनाश जी, भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष श्रीमान जुगल किशोर जी, श्री अशोक खजुरिया जी, श्रीमान निर्मल सिंह जी, श्री शमशेर सिंह जी, श्री कविन्‍द्र गुप्‍ता जी, श्री बाली भगत जी, चौधरी सुखनंदन जी, चौधरी श्‍यामलाल जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए जम्‍मू-कश्‍मीर के प्‍यारे भाईयों और बहनों..!

मुझे आज बहुत पुरानी यादें ताजा हो रही हैं। जम्‍मू कश्‍मीर में वर्षो तक मुझे संगठन का कार्य करने का सौभाग्‍य मिला था, यहां के सभी जिलों और तहसीलों में जाने का सौभाग्‍य मुझे प्राप्‍त हुआ था। इस सभा में ऐसे सैकडों पुराने परिवार होगें जिनके घर में मुझे कभी चाय पीने का तो कभी भोजन करने का सौभाग्‍य मिला था। मेरा नाता जम्‍मू-कश्‍मीर से बड़ा निकट का रहा है। आज यहां एक सज्‍जन ने आकर मुझे मेरी 25 साल की तस्‍वीर दी और मेरी पुरानी यादों को ताजा कर दिया। आज मैं विशेष रूप से मेरे गुर्जर भाईयों-बहनों को याद करना चाहता हूं क्‍योंकि जब मैं यहां काम करता था, तो गुर्जर समाज के लोग कहते थे कि हम तो आप वाले हैं, हमारा गुजरात से नाता है इसीलिए हमें गुर्जर कहा जाता है। गुर्जर कहते थे कि हमारे पूर्वज गुजरात से जुड़े हुए थे और आज भी मैं देखता हूं कि गुजरात के कुछ इलाकों के लोगों का पहनावा, उनकी पगड़ी और कपड़े बिल्‍कुल आप गुर्जर भाईयों-बहनों जैसे हैं। मैं जिन गुर्जर परिवारों में भोजन के लिए जाता था, वहां भी मुझे गुजराती खाने का स्‍वाद यानि हल्‍का मीठा सा जायका मिलता था। भाईयों-बहनों, आज भी आप सभी भारी संख्‍या में यहां इक्‍ट्ठे हुए हैं यह देखकर, अपनों से मिलकर मुझे अच्‍छा लग रहा है..!

भाईयों-बहनों, मैनें इस राज्‍य में काफी काम किया है। चुनाव के समय आया, संगठन के कार्यो के लिए भी आता था, लेकिन आज तक जम्‍मू के भाग्‍य में किसी भी राजनीतिक दल या नेता को इतनी भारी संख्‍या में जनता के दर्शन करने को नहीं मिला। यह माता वैष्‍णों देवी की कृपा है कि आज मुझे इतने विशाल जनसागर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्‍त हुआ है..!

भाईयों-बहनों, आज मैं जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर बैठकर महाराजा हरि सिंह जी को नमन करना चाहता हूं। अगर आजादी के बाद, महाराजा हरिसिंह जी जम्‍मू-कश्‍मीर के निर्णय प्रक्रिया की मुख्‍यधारा में होते तो आज जम्‍मू-कश्‍मीर की यह हालत न होती। हरिसिंह जी दिगदृष्‍टा वाले थे, उन्‍होने एक राजा से ज्‍यादा समाज सुधारक का काम किया था। कन्‍या शिक्षा के लिए उनके कानून बेहद कड़े थे, वह कन्‍या शिक्षा के लिए बेहद आग्रही थे। उससे भी ज्‍यादा बड़ी समस्‍या छुआछुत की थी, पूरे देश को छुआछुत ने तबाह कर दिया था, समाज में छुआछुत का कलंक था। उस समय महाराजा हरिसिंह जी ही ऐसे शख्‍स थे, जिन्‍होने जम्‍मू-कश्‍मीर के मंदिरों में दलितों के स्‍वागत का अभियान चलाया था, समाज की एकता का अभियान चलाया था, ऐसे नेक काम किए थे। लेकिन यह इतिहास की बातें, राजनीतिक स्‍वार्थ के कारण भुला दी जाती है..!

भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर आकर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लेते ही हमारी रगों में चेतना आ जाती है। हमारी आंखों में सपने दिखने लग जाते हैं। आज मैं देश के विद्वानों, राजनीतिक पंडितों और समाजशास्‍त्रीयों को आह्वान करता हूं कि आजादी के इतने साल बीत चुके हैं, इस देश में निष्‍पक्षता से अभ्‍यास होने की जरूरत है, चर्चा होने की जरूरत है, शोध निबंध  लिखने की जरूरत है कि क्‍या जम्‍मू कश्‍मीर के बारे में पंडित नेहरूर की सोच सही थी या डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच सही थी..! 60 साल के इतिहास को अगर हम कुरेद कर देखें तो यह साफ नजर आता है कि डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की जम्‍मू-कश्‍मीर के संदर्भ में जो सोच थी, आज इतिहास की कठोर सच्‍चाई बना है कि वह रास्‍ता सही था। लेकिन पंडित नेहरू ने डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की बात को नजरअंदाज किया..!

Full Text of Shri Modi's speech at Lalkaar Rally, Jammu

भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर आज भी प्रेरणा देने वाला नाम पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी का है। पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी प्रजापरिषद के माध्‍यम से जीवनभर जूझते रहे, संघर्ष करते रहे, तीन-तीन पीढि़यों तक हर पीढ़ी को प्रेरित करने का काम पंडित प्रेमनाथ डोगरा जी ने किया था..!

भाईयों-बहनों, हमारे देश का गौरव, परमवीर चक्र प्राप्‍त करने वाले बिग्रेडियर राजेन्‍द्र सिंह भी इसी धरती के है जिनका नाम लेते ही हमारा सीना गर्व से तन जाता है। इसी भूमि के दो महावीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा और कर्नल रीम चंद, भारत माता के लिए लड़ने वाले लोग हैं जिनका स्‍मरण ही हमें प्रेरणा देता है। इसी प्रकार, देश की रक्षा के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करने वाले मकबूल शेरवानी को कैसे भुलाया जा सकता है, अब्‍दुल अज़ीज को कैसे भुलाया जा सकता है..! भाईयों-बहनों, इस देश में आंतकवाद के खिलाफ लड़ते-लड़ते अनेक लोग शहीद हुए हैं, कई नागरिक मरे हैं, सुरक्षा बलों के जवान मरे हैं, बहुत माताओं ने अपने लाल खोएं हैं..! हम जब भी टीका लाल टपलू को याद करते हैं तो साथ में इन सभी लोगों को स्‍मरण होता है। मैं इस जनसागर के साथ, जम्‍मू-कश्‍मीर और देश की रक्षा करने के लिए जान हथेली पर रखकर खेलने वाले सभी सुरक्षा बलों का भी आदरपूर्वक सम्‍मान, गौरव और अभिनंदन करना चाहता हूं..!

भाईयों-बहनों, दिल्‍ली में हमारी सरकार सोई हुई है और मैं नहीं मानता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल की आग उन्‍हे जगा सकती है। वो ऐसी गहरी नींद में सोएं है कि लगता है 2014 में भी सोते ही रहेंगे, अब इनके जगने की संभावना नहीं बची है..!

भाईयों-बहनों, पाकिस्‍तान में दो घटनाएं घटी, जिनमें से एक घटना पर तो देश की मीडिया और लोगों का ध्‍यान गया, लेकिन दूसरी घटना को भूला दिया गया। पाकिस्‍तान की जेल में दो बेगुनाह नौजवान बंद थे, वह 20-25 साल से बंद थे। एक पंजाब के भाई सरबजीत सिंह और दूसरे जम्‍मू के भाई चमेल सिंह थे। पाकिस्‍तान में सरबजीत सिंह को जिस जेल में मारा गया था और जिस तरीके से मारा गया था, ठीक उसी तरह से, उसी जेल में एक हफ्ते पहले चमेल सिंह को मारा गया था। अगर एक हफ्ते पहले ही हिंदुस्‍तान की सरकार जागती, चमेल सिंह की हत्या के विषय में आवाज उठाती तो शायद सरबजीत के मरने की नौबत ही नहीं आती। भाईयों-बहनों, क्‍या किसी देश की सरकार ऐसी होती है कि उसके लाल मारे जाएं और सरकार सोती रहे, ये कैसे हो सकता है..?

भाईयों-बहनों, आदरणीय राजनाथ सिंह जी ने अनेक नीति विषयक बाबतों में आपके समक्ष सारे विषय रखे हैं। भाईयों-बहनों, ऐसा लगता है कि हमारे देश में अगर पापों, कुकर्मो, जिम्‍मेदारियों और जबावदेही से बचना है, तो कुछ लोगों ने ऐसी जड़ी-बूटी खोज ली है कि वो उसके सहारे बच जाते हैं, बचने का रास्‍ता खोज लेते हैं। और वो रास्‍ता है - सेक्‍युलरिज्‍म..! आप सिर्फ सेक्‍युलरिज्‍म पर बोलना शुरू कर दीजिए, आपके सारे पाप माफ हो जाते हैं..! जम्‍मू-कश्‍मीर में इसके साथ एक और तरीके का उपयोग होता है, वो है धारा-370 का..! भाईयों-बहनों, संविधान के तहत राजनीतिक पटल पर धारा-370 रहे या न रहे, उसकी चर्चा चलती है और चलती रहेगी। लेकिन अब समय की मांग है कि जनता जर्नादन के संदर्भ में, यहां के लोगों के हितों के संदर्भ में, जम्‍मू-कश्‍मीर के नागरिकों के अधिकार के संदर्भ में, कम से कम जम्‍मू-कश्‍मीर में और सारे देश में इस विषय पर चर्चा अवश्‍य की जाएं कि क्‍या धारा-370 से यहां के किसी सामान्य मानव का भला हुआ है..? कोई इसकी चर्चा करने को तैयार नहीं है..! अभी डॉ. मनमोहन सिंह जी चुनाव के दिनों में कहते थे कि भाजपा के नेता, बड़े-बड़े नेताओं के नाम लेते हैं, नाम लेने से कुछ नहीं होता, उन्‍होने जो कहा है वह करके दिखाना चाहिए। मैं प्रधानमंत्री जी की बात को मानता हूं, स्‍वीकार करता हूं और उन्‍हे यह बात याद दिलाना चाहता हूं कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने धारा 370 को लेकर संसद में कहा था कि यह धारा समय रहते, घिसते-घिसते घिस जाएगी..! प्रधानमंत्री जी, आप ही कहते है कि महापुरूष जो कहते है उसे करना चाहिए, क्‍या आपकी सरकार वह करने को तैयार है जो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था..? फिर औरों को आप क्‍यों उपदेश देते हैं..?

भाईयों-बहनों, धारा-370 को एक कवच बना लिया गया है और उसका उपयोग भी एक कवच की तरह होता है। उसको साम्‍प्रदायिकता के गहने पहना दिए गए है और इसी कारण, उसकी सही चर्चा नहीं हो रही है। मैं चाहता हूं कि देश के संविधान के जानकार लोग इस विषय पर चर्चा करें।  आप देखिए, जिन कानूनों को लेकर दिल्‍ली की सरकार इन चारों राज्‍यों में वोट मांग रही है, कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया..! जिन कानूनों को लेकर कांग्रेस पार्टी इतना गौरव महसूस कर रही है क्‍या वह सभी कानून जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू हो रहे हैं..? अभी राजनाथ सिंह जी ने कहा कि धारा 370 और 374 का राजीव गांधी के समय में अमेन्ड्मेन्ट हुआ, कांग्रेस पार्टी उसको लेकर जयजयकार करती घूमती है। कांग्रेस पार्टी इस बात का जवाब तो दें कि जिन चीजों को आपने किया, उन्‍हे आप जम्‍मू-कश्‍मीर में क्‍यों नहीं लागू करवा पाते हो..? भाईयों-बहनों, आप ही बताइए, क्‍या पंचायतों को अधिकार मिलने चाहिए या नहीं..? जिन लोगों को श्रीनगर में अपने बंगले और ऑफिस की स्वायत्तता के सारे अधिकार के लिए लड़ना है, उनके स्‍वंय के लिए स्वायत्तता बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन उन्‍हे यहां की नगरपालिका को स्वायत्तता नहीं देनी है, यहां के गांवों को स्वायत्तता नहीं देनी है, उनको उनके अधिकार नहीं देने है और ना ही विकास के अवसर देना है..!

भाईयों-बहनों, ये दोगुली नीति कब तक चलेगी..! क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर के सामान्‍य मानवी को वह सभी अधिकार नहीं मिलने चाहिए, जो हिंदुस्तान के अन्‍य सारे नागरिकों को मिलते हैं..? हिंदुस्तान में एससी, एसटी और ओबीसी को जो विशेष अधिकार मिलते हैं, दलितों को जो अधिकार मिलते हैं, आदिवासियों को जो अधिकार मिलते हैं, सामाजिक और शौक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को जो अधिकार शिक्षा, नौकरी और चुनाव के प्रतिनिधित्‍व में मिलते हैं, क्‍या वह सभी अधिकार जम्‍मू-कश्‍मीर के नागरिकों को मिलना चाहिए या नहीं..? आखिर उन्‍हे यह अधिकार मिलने से क्‍यों रोका जा रहा है..? इतना ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में करप्‍शन की चर्चा चल रही है, पूरा देश करप्‍शन के लिए आक्रोश व्‍य‍क्‍त कर रहा है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भरपूर करप्‍शन है कि नहीं..? क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकारें भष्‍ट्राचार में लिप्‍त हैं..? क्‍या राजनेता भष्‍ट्राचार में लिप्‍त हैं..? तो आप मुझे बताइए, करप्‍शन प्रीवेंशन का कानून जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू होना चाहिए या नहीं..? लेकिन यहां उसे लागू नहीं किया जा रहा है। क्‍योंकि वह लोग न कोई जबाव देना चाहते हैं, न ही उनकी कोई जिम्‍मेदारी है और न ही उत्तरदायित्व..!

भाईयों, आप जरा ध्‍यान दीजिए, ये सेपरेटिस्ट, सेपरेट का गुण गाते घूम रहे है, इससे फायदा किसको हुआ है..? अभी तक कितने लोगों को फायदा हुआ है..? पिछले 60 साल का इतिहास देख लीजिए, गिनकर सिर्फ 50 परिवारों ने इसका फायदा उठाया है और पूरे जम्‍मू-कश्‍मीर को अंधेरे में रखा गया है। क्‍या आप सभी गुर्जर भाईयों को आदिवासियों के नाते सभी अधिकार मिलने चाहिए या नहीं..? उनको अपने हक का अधिकार मिलना चाहिए या नहीं..? आखिर इन सभी लोगों को यह क्‍यों नहीं दिया जा रहा है..? मेरे कारगिल के शिया भाईयों के भलाई के लिए कोई काम होना चाहिए या नहीं होना चाहिए..? पूरे हिंदुस्‍तान में स्‍त्री और पुरूष को समान अधिकार प्राप्‍त है, जो हक पुरूष को प्राप्‍त है, वही हक महिला को मिलते हैं..! क्‍या जम्‍मू-कश्मीर में महिलाओं के साथ अन्याय होना चाहिए..? क्‍या यहां की महिलाओं को भी पुरूषों जितने अधिकार मिलने चाहिए..? क्‍या महिलाओं के साथ हो रहा अन्‍याय बंद होना चाहिए..? आज जम्‍मू-कश्‍मीर के कानून की स्थिति यह है कि यहां पर स्‍त्री और पुरूष के बीच भेद हो रहा है। मैं यहां हिंदु या मुसलमान की बात करने नहीं आया हूं, मैं सिर्फ अपने सवा करोड़ जम्‍मू वासियों की बात करता हूं..! ये अलगाव की राजनीति, ये बांटने की राजनीति, इसने देश को तबाह किया है। अगर विकास करना है जो जोड़ने की राजनीति काम आएगी और उसी से विकास संभव होगा..!

भाईयों-बहनों, एक गंभीर सवाल मैं उठा रहा हूं। कोई मुझे बताएं कि जो अधिकार यहां के मुख्‍यमंत्री श्रीमान उमर अब्‍दुल्‍ला को मिलें हैं, क्‍या वही अधिकार उनकी बहन सारा को भी मिले हैं..? नहीं मिले हैं..! इस राज्‍य में मुख्‍यमंत्री को जो अधिकार मिलें हैं वो उनकी बहन को भी नहीं मिले हैं, क्‍योंकि उसने कश्‍मीर के बाहर शादी की और उसके सारे अधिकार छीन लिए गए..! जो अधिकार उमर अब्‍दुल्‍ला को मिलते हैं, वह उनकी बहन सारा को भी मिलने चाहिए..! ये लड़ाई हिंदु-मुसलमान की नहीं है। माताओं-बहनों का सम्‍मान होना चाहिए। सारा विश्व जेंडर इक्‍वीलिटी की बात करता है। मैं मानवतावादी लोगों और मुझ पर शब्‍दों के बाण चलाने वाले लोगों से पूछना चाहता हूं कि आपके मुंह पर ताला क्‍यों लग गया है..? जम्‍मू-कश्‍मीर की बहनों को अधिकार मिले, इस सम्‍बंध में आप क्‍यों चूप हैं..?

भाईयों-बहनों, अब समय की मांग है कि हम गम्‍भीरता से सोचें कि 60 साल से सेपरेट स्‍टेट, सेपरेट स्‍टेट का गीत गुनगुनाया जा रहा है, हम सभी ने सुना और इससे क्‍या मिला..? किसी को कुछ मिला क्‍या, बर्बादी हुई कि नहीं..? ऊपर दिल्‍ली से जो खजाना आता है, उसे लूटने के बाद कोई हिसाब तक नहीं दिया जाता है, यही चल रहा है, भाईयों..! ये सेपरेट-सेपरेट के नाम पर सेपरेटिज्‍म को बढ़ावा दिया गया है, अलगाववाद को बढ़ावा दिया है, अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दिया गया है। भाईयों-बहनों, कितना अच्‍छा होता अगर सेपरेट स्‍टेट बनाने के बजाय सुपर स्‍टेट बनाने के सपने देखे होते..! आप लोग ही बताएं कि आपको सेपरेट स्‍टेट चाहिए या सुपर स्‍टेट चाहिए..? भाईयों-बहनों, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमें सपना दिखाया है, एक रास्‍ता दिखाया है कि जम्‍मू-कश्‍मीर को सुपर स्‍टेट बनाना है..!

भाईयों-बहनों, यहां शासन में बैठे लोगों को दिल्‍ली जाकर कुछ न कुछ मांगने की आदत हो गई है, क्योंकि उन्‍हे लगता है यहां कुछ भी आएगा, उसका हिसाब लेने वाला तो कोई नहीं है..! यहां के ज्‍यादातर नेता तो विदेशों में रहते हैं, न ही उनको यहां की सर्दी पसंद है और न उनको यहां की गर्मी पसंद है। मौका मिलते ही वह विदेश चले जाते हैं..! भाईयों-बहनों, जम्‍मू-कश्‍मीर की ऐसी छवि बना दी गई है कि जम्‍मू-कश्‍मीर अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है, जम्‍मू-कश्‍मीर को तो भीख का कटोरा लेकर दिल्‍ली के दरबार में जाना ही पड़ेगा। और दिल्‍ली दे तो गाली, न दे तो भी गाली, ये सारा राजनीतिक खेल चलता रहता है। ये लोग जम्‍मू-कश्‍मीर को बेगर बताते रहते हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर भिखारी राज्‍य नहीं है, यहां सम्‍मान से जीने वाले लोगों की जमात है, ये देश के लिए मर-मिटने वाले लोगों की जमात है..! भाईयो-बहनों, आप सभी को ये बेगर-बेगर का कलंक मिटाना है या नहीं मिटाना है..? इसीलिए मैं आज आपके पास आया हूं कि हमें इस जम्‍मू-कश्‍मीर को बेगर से बेटर जम्‍मू-कश्‍मीर बनाना है..! बेगर वाले दिन बहुत हो गए, अब बेटर वाले रास्‍ते पर चलना है और आगे बढ़ना है..!

भाईयों-बहनों, कारगिल जहां शिया समाज के भाई-बहन रहते हैं, मैं वहां भी कुछ समय रहा था और उनके दुख-दर्द को जानने की कोशिश की थी। जम्‍मू-कश्‍मीर में विकास हो, श्रीनगर वैली में विकास की बातें हो, लेकिन क्‍या कारण है कि कारगिल के शिया समाज को विकास की धारा से अछूता रखा जाता है और उसके साथ यह अन्‍याय क्‍यों किया जा रहा है..? गुर्जरों, बकरवाल और शिया समाज के साथ अन्‍याय... हर एक को अलग करते जाना, इन्‍हे पीछे करते जाना, ये कब तक चलता रहेगा..? इस जम्‍मू-कश्‍मीर में भेदभाव की जो राजनीति चलती रहती है, कभी लद्दाख के साथ अन्‍याय, कभी जम्‍मू क्षेत्र के साथ अन्‍याय, कभी शिया के साथ अन्‍याय, कभी बकरवाल से अन्‍याय, कभी गुर्जर से अन्‍याय... ये अन्‍याय कब तक करते रहोगे..? जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों, अगर आप सभी एक बनकर आवाज उठाओगे तो श्रीनगर या दिल्‍ली में बैठी सरकार में दम नहीं है कि आपके भविष्‍य को बदलने से रोक सके..!

भाईयों-बहनों, मैं आपको बताना चाहता हूं कि इन्‍हे विकास में कोई रूचि नहीं है। हम रामायण के काल से सुनते आ रहे हैं कि हिमालय में जड़ी-बूटियां होती है। हमने सुना है कि जब लक्ष्‍मण जी बेहोश हो गए थे तो हनुमान जी हिमालय से जड़ी-बूटी ले गए थे। हम सभी मानते हैं कि हिमालय की जड़ी-बूटियां औषधों के लिए बहुत उपयुक्‍त हैं। जम्‍मू-कश्‍मीर जड़ी-बूटियों के खजाने से भरा पड़ा है..! हमारा पड़ोसी देश चीन, हर्बल मेडीसीन का एक्‍सपोर्ट पूरी दुनिया में सबसे ज्‍यादा करता है। आज पूरे विश्‍व में हर्बल मेडीसीन का एक आकर्षण है। पूरा विश्‍व हर्बल मेडीसीन के रास्‍ते पर जा रहा है। होलिस्टिक हेल्‍थकेयर इस समाज के जीवन में परिवर्तन लाया है। आज जब सारी दुनिया में हर्बल मेडीसीन की मांग हो, अच्‍छे से अच्‍छी जड़ी-बूटीयां हिमालय में होती हो, और हिमालय मेरे जम्‍मू-कश्‍मीर में भरा पड़ा हो, तो क्‍या हमारे देश की सरकार, हमारे जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार, यहां की यूनीवर्सिटी हर्बल मेडीसीन पर रिसर्च करके, आर्युवेद संस्‍थानों का उपयोग करके हर्बल मेडीसीन का एक्‍सपोर्ट कर सकते हैं या नहीं..? ठीक वैसे ही जैसे हमारे यहां से बाहर गलीचे एक्‍सपोर्ट होते हैं। क्‍या हम हर्बल मेडीसीन एक्‍सपोर्ट करके हमारे जम्‍मू-कश्‍मीर के नौजवानों को रोजगार दे सकते है या नहीं..? जम्‍मू-कश्‍मीर के नौजवानों को रोजगार मिलना चाहिए या नहीं..?

भाईयों-बहनों, दिनों-दिन टूरिज्‍म खत्‍म होता जा रहा है। सारा टूरिज्‍म जम्‍मू-कश्‍मीर से शिफ्ट होकर हिमाचल की तरफ चला गया..! यह राज्‍य सौंदर्य और श्रद्धा, दोनों के लिए अच्‍छा टूरिस्‍ट स्‍थल है। यहां अमरनाथ व वैष्‍णों देवी की यात्रा और घूमने फिरने के लिए एक स्‍थान पर सभी कुछ मिलता है, टूरिज्‍म के लिए यहां से बड़ा कोई अवसर नहीं है..! लेकिन हमारा टूरिज्‍म खत्‍म हो गया, रोजगार चला गया, लोग मुसीबतों से गुजारा कर रहे हैं। क्‍या भारत सरकार टूरिज्‍म के विकास के लिए बल नहीं दे सकती है..?

अभी हमारे हिंदुस्‍तान की फिल्‍म इंडस्‍ट्री ने सौ साल मनाए। इस देश की कई फिल्‍में, जिनका फिल्‍मांकन प्राकृतिक सौंदर्य के बीच किया जाता था, उन सभी को जम्‍मू-कश्‍मीर में फिल्‍मांकित किया जाता था, शूटिंग के लिए कश्‍मीर को अच्‍छी से अच्‍छी जगहों में से एक माना जाता था। मुम्‍बई का पूरा फिल्‍म उद्योग यहां शूटिंग के लिए आया करता था।  यहां के छोटे-मोटे हर व्‍यक्ति को रोजगार मिलता था। लेकिन आज फिल्म इंडस्‍ट्री यहां आना बंद हो गई, क्‍योंकि सरकार ने इस ओर ध्‍यान नहीं दिया। जब पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री 100 वीं सालगिरह मना रही थी तो भारत सरकार को जम्‍मू-कश्‍मीर और लेह-लद्दाख में एक कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए था ता‍कि वह यहां के लोगों को पुराने दिनों के बारे में बताकर उन्‍हे आगे बढ़ाने का रास्‍ता दिखाते..! आज हिंदुस्‍तान में फिल्‍म इंडस्‍ट्री एक बहुत बड़ा उद्योग है, अगर जम्‍मू-कश्‍मीर में एक फिल्‍म इंस्‍टीट्यूट खड़ा कर देते, टेक्‍नोलॉजिकल एडवासंमेंट की दिशा में जाते ताकि लोग यहां के प्राकृतिक दृश्‍यों के लिए आते और यहां के लोगों को रोजगार मिलता, कितनी तरक्‍की होती..! लेकिन भाईयों-बहनों, इन लोगों को तरक्‍की में विश्‍वास नहीं है। आप देखिए, लोगों के बीच कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आकर्षण बढ़ रहा है, हजारों की तादाद में लोग जा रहे हैं, अब सभी नेपाल के रास्‍ते से जाते हैं और सारी इनकम नेपाल को हो रही है। अगर यही काम लेह से मानसरोवर जाने के रास्‍ते पर हो जाए तो यह पूरा इलाका अमीर हो जाएगा..! कौन कहता है रास्‍ते नहीं है, कौन कहता है विकास के लिए अवसर नहीं है, लेकिन कश्‍मीर के नौजवानों को तबाह कर दिया जा रहा है..!

अभी राजनाथ सिंह जी डेमचौक की घटनाएं सुना रहे थे। मैं उन डेमचौक के नागरिकों का अभिनंदन करता हूं कि चीन की दादागिरि और दिल्‍ली सरकार की उदासीनता के बावजूद भी उन्‍होने 15 अगस्‍त को तिरंगा फहराया और हिंदुस्तान की आन, बान और शान की रक्षा की। मैं डेमचौक के सभी भाईयों का पूरे भारतवासियों की तरफ से अंत:करण से अभिनन्‍दन करता हूं और विश्‍वास से कहता हूं कि दिल्‍ली के लाल किले से फहराए झंडे से ज्‍यादा प्रेरणा डेमचौक पर फहराएं झंडे से मिलेगी..!

भाईयों-बहनों, चीन हमारे देश के सरहदी गांवों के लोगों को मुफ्त में मोबाइल और सिमकार्ड दे रहा है और चाइना के नेटवर्क से उनको जोड़ देता है। धीरे-धीरे उनको अपने लपेटे में ले रहा है। ये भारत सरकार की टेलीकॉम मिनिस्‍टरी कर क्या रही है..? ये कैसे हो सकता है कि किसी देश का टेलीकॉम सिस्‍टम हमारे देश के लोगों को सिमकार्ड देकर आश्रित बना दें..? इससे देश की सुरक्षा को कितना बड़ा खतरा पैदा हो सकता है, लेकिन इसकी चिंता इन लोगों को नहीं है..!

भाईयों-बहनों, आज भी जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों के दिलों में अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए एक श्रद्धा का भाव है। इस देश में 14 साल तक किसी प्रधानमंत्री ने जम्‍मू-कश्‍मीर की धरती पर पैर नहीं रखा था..! अटल बिहारी वाजपेयी पहले प्रधानमंत्री थे, जो 14 साल बाद, इतने संकटो के बीच भी जम्‍मू-कश्‍मीर में आए थे। अटल जी ने जो तीन मंत्र हम लोगों को दिए हैं, वह तीनों मंत्र हम सभी के लिए आगे के दिशादर्शक है। आदरणीय अटल जी ने कहा था कि कश्‍मीर को हम तीन मूल आधार पर रखते हैं। वह हर समस्‍या का समाधान उन तीन मूल आधारों पर करना चाहते थे। यह तीन मूल मंत्र थे : पहला - इंसानियत, दूसरा - जम्‍मूरियत और तीसरा - कश्‍मीरियत..! भाईयों-बहनों, ये तीनों चीजें, जिसमें उन्‍होने इंसानियत की बात कही, जम्‍मूरियत लोकतंत्र की बात कही और कश्‍मीरियत में यहां की सदियों पुरानी चली आ रही परम्‍परा और संस्‍कृति को जोड़कर बात कही और उसी रास्‍ते पर चलने को कहा..!

भाईयों-बहनों, हमारे मन में विचार आता है कि अगर हिमाचल और असम में आईआईटी और आईआईएम के प्रयास हो सकते हैं, तो क्‍या मेरे जम्‍मू में आईआईएम या आईआईटी नहीं होना चाहिए..? क्‍या यहां के नौजवान पढ़कर हिंदुस्‍तान में अपना नाम रोशन नहीं कर सकते..? लेकिन शैक्षिक संस्‍थान के विकास को करने में जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार को न भरोसा है और न ही दिल्‍ली सरकार को विश्‍वास..! अगर हम सभी को आगे बढ़ना है तो एक-दूसरे के साथ संघर्ष करके आगे नहीं बढ़ सकते। आज देश का लोकतंत्र उन लोगों के कब्‍जे में है जो या तो अहंकारवादी है या अवसरवादी, या तो विघटनवादी है या वंशवादी हैं, या फिर वह सुखवादी है जो सिवाय अपने सुख के कुछ भी नहीं देख सकते, ऐसे ही लोगों के कारण आज देश तबाह हो रहा है..!

हमारा देश वि‍विधता में एकता से भरा हुआ है, विविधता में एकता ही हमारे देश की विशेषता है। कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक, अटक से कटक तक ये भारत माता एक है, उसी भाव को लेकर के, एकता के स्‍वर को लेकर के हमें आगे बढ़ना होगा। हमारी भाषाएं भले ही अनेक हों, लेकिन भाव एक है, राज्‍य अनेक हों, लेकिन राष्‍ट्र एक है, पंथ अनेक हो पर लक्ष्‍य एक है, बोली अनेक हों पर स्‍वर एक है, रंग अनेक हों लेकिन तिरंगा एक है, समाज अनेक हों पर भारत एक है, रिवाज अनेक हों पर संस्‍कार एक है, कार्य अनेक हों पर संकल्‍प एक है, राहें अनेक हों लेकिन मंजिल एक है, चेहरा अनेक हो लेकिन मुस्‍कान एक है, हमें इस मंत्र को लेकर चलना है..!

भाईयों-बहनों, जो लोग हमेशा वोट बैंक की राजनीति करते रहे हैं, जो लोग सत्ता सुख पाने के लिए समाज को बांटते रहे हैं, मैं आज इस ललकार रैली से उनको ललकारना चाहता हूं। और मेरी हर बात को सेक्‍युलरिज्‍म के तराजु पर तौलकर देखा जाए, अगर उनमें हिम्‍मत है तो मेरी ललकार को स्‍वीकार करें। भाईयों-बहनों, हमारी सोच क्‍या है..? हमारा मंत्र है कि सरकार का कोई धर्म नहीं होता, सरकार का सिर्फ एक ही धर्म होता है - इंडिया फर्स्‍ट, नेशन फर्स्‍ट, हिंदुस्‍तान सबसे पहले। सरकार का एक ही धर्म ग्रन्‍थ होता है - भारत का संविधान, सरकार की एक ही भक्ति होती है - भारत भक्ति, सरकार की एक ही शक्ति होती है - सवा सौ करोड़ देशवासियों की शक्ति, सरकार की एक ही पूजा होती है - सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्‍याण, सरकार की एक ही कार्यशैली होती है - सबका साथ, सबका विकास और इसी मंत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी आगे बढ़ रही है..!

मैं जम्‍मू-कश्‍मीर के कार्यकर्ताओं और जनता को अंत:करणपूर्वक बधाई देता हूं कि आज आप सभी ने रंग ला दिया है। ये घटना स्‍टेडियम की घटना नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्‍तान के नाज़ की घटना है, देश की एकता में विश्‍वास करने वालों को ताकत देने वाली घटना है, शांति, एकता और भाईचारे में विश्‍वास करने वाले लोगों के हौसले बुंलद करने वाली घटना है, इसलिए आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए,

भारत माता की जय..! भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

वंदे मातरम् ..!  वंदे मातरम्...!  वंदे मातरम्.....!

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पिछले वर्ष भारत की प्रेसीडेंसी में G20 ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा: पीएम मोदी
November 21, 2024

उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं आप सभी के बहुमूल्य सुझावों और व्यक्त किए गए सकारात्मक विचारों का स्वागत करता हूं। भारत के प्रस्तावों के संबंध में मेरी टीम आपके साथ सभी विवरण साझा करेगी और हम सभी विषयों पर समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ेंगे।

भारत और कैरिकॉम देशों के बीच संबंध हमारे अतीत के साझा अनुभवों, वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य के लिए हमारी साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं।

भारत इन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हमने अपने सभी प्रयासों में ग्लोबल साउथ की चिंताओं और उसकी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया है।

पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में उभरा। कल ब्राजील में भी मैंने वैश्विक समुदाय से ग्लोबल साउथ के देशों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।

मुझे खुशी है कि भारत और हमारे सभी कैरिकॉम मित्र इस बात पर सहमत हैं कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार आवश्यक हैं।

उन्हें आज की दुनिया और आज के समाज के हिसाब से खुद को ढालने की जरूरत है। यह समय की मांग है। इसे साकार करने के लिए कैरिकॉम के साथ घनिष्ठ सहयोग और कैरिकॉम का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है।

आज हमारी बैठक में लिए गए निर्णय, हर क्षेत्र में हमारे सहयोग को नए आयाम देंगे। इनके क्रियान्वयन में भारत-कैरिकॉम संयुक्त आयोग और संयुक्त कार्य समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

हमारे सकारात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, मैं प्रस्ताव करता हूं कि तीसरा कैरिकॉम शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाए।

मैं एक बार फिर राष्ट्रपति इरफान अली, प्रधानमंत्री डिकॉन मिशेल, कैरिकॉम सचिवालय और आप सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।