भारत माता की जय..!

भारत माता की जय..! 

मंच पर विराजमान हम सबके मार्गदर्शक श्रद्घेय आडवाणी जी, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी, जिनके परिश्रम के कारण आज मध्य प्रदेश दसों दिशाओं में प्रगति कर रहा है ऐसे भाई शिवराज जी, बहन सुष्मा जी, अरूण जेटली जी, श्री नरेन्द्र तोमर जी, आदरणीय डॉ. जोशी जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव, और इतनी विशाल संख्या में पधारे हुए सभी कार्यकर्ता भाइयों और बहनों..! 

सार्वजनिक जीवन में सभाओं को संबोधित करने का अवसर बहुत बार मिलता है। कार्यकर्ताओं की मीटिंग या कार्यकर्ताओं के सम्मेलनों में भी जाने का अवसर मिलता है। लेकिन भाइयों-बहनों, आज मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने जो करके दिखाया है, वो सहज किसी के बस का रोग नहीं है..! मैं मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जी का, मुख्य मंत्री जी का, उनकी पूरी टीम का और पार्टी के लक्षावधी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करता हूँ, वंदन करता हूँ कि उन्होंने आज संगठन तंत्र का एक नया आयाम सिद्घ कर दिया है और इसलिए आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं, बधाई के अधिकारी हैं..!

भाईयों-बहनों, मैं सोच रहा था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उत्तम से उत्तम श्रद्घांजलि क्या हो सकती है..? वो कौन सा तरीका हो सकता है जिस तरीके से हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को श्रद्घांजलि दें..? मैं मानता हूँ कि मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने, आप सब कार्यकर्ताओं ने सारे देश को एक नई राह दिखाई है, पंडित दीनदयाल जी को इससे उत्तम श्रद्घांजलि नहीं हो सकती है..! क्योंकि उन्होंने जीवन भर संगठन के विस्तार के लिए, कार्यकर्ता के विकास के लिए, पार्टी की प्रगति के लिए अपना पल-पल इस संगठन को समर्पित किया था। ‘चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति..!’, ये उस महापुरूष ने जी कर के सिखाया था। और हिन्दुस्तान के राजनैतिक नक्शे के अंदर हमारा नामोनिशान नहीं था, उस समय हर कार्यकर्ता के दिल में आशा और विश्वास का संचार करने का पवित्र कार्य जिस महापुरूष ने किया था उनकी आज जन्म जयंती पर इतना बड़ा समारंभ, मैं समझता हूँ ये पंडित दीनदयाल जी को मध्य प्रदेश के द्वारा दी गई उत्तम से उत्तम श्रद्घाजंलि है, और इसलिए मैं आपको भी वंदन करता हूँ..!

भाइयों-बहनों, मुझे पंडित दीनदयाल जी के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन कुशाभाऊ जी की उंगली पकड़ कर के चलने का सौभाग्य मिला था और कुशाभाऊ को देख कर के लगता था कि पंडित दीनदयाल जी की संगठन की कार्यशैली क्या होगी..! पंडित दीनदयाल जी ने एक-एक कार्यकर्ता को जोड़ कर के संगठन की इतनी बड़ी ताकत कैसे पैदा की होगी..! भारतीय जनसंघ के जन्मदाता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक बार कहा था कि अगर मेरे पास दो दीनदयाल हो तो मैं हिन्दुस्तान की राजनीति का नक्शा बदल दूंगा..! आप कल्पना कर सकते हैं, वो दीनदयाल जी कितने दीर्घ दृष्टा होंगे, कितने सामर्थ्यवान होंगे कि जिनके लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इन शब्दों की रचना की थी..! भाइयों-बहनों, मैं आज जब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म जंयती पर आपसे बात कर रहा हूँ तब हम कार्यकर्ताओं को स्मरण होना चाहिए कि 2015 और 2016 पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की शताब्दी का वर्ष है। हम आज संकल्प करें कि हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की शताब्दी किस प्रकार से मनाएंगे, पंडित दीनदयाल जी की शताब्दी मनाने का हमारा संकल्प क्या होना चाहिए..! भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के नाते, मैं भी आप ही की तरह एक छोटा सा कार्यकर्ता हूँ, हम सभी कार्यकर्ताओं के दिल में एक सपना होना चाहिए कि 2015-16 में जब देश और दुनिया पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी मनाएगी तब हिन्दुस्तान के शासन पर भारतीय जनता पार्टी का राज होगा, जब देश पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी मनाएगा तब हिन्दुस्तान के अधिकतम राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होगी और हमारी सभी सरकारें पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के काम के मानव दर्शन को लेकर के, दरिद्र नारायण की सेवा का संकल्प लेकर के, हिन्दुस्तान के कल्याण की कामना लेकर के भारत के भाग्य को उज्जवल बनाने के लिए उस शताब्दी से एक नई प्रेरणा लेकर के हिन्दुस्तान के एक नए युग का प्रारंभ करेंगे..! ये श्रद्घाजंलि देने का संकल्प करने का आज दिवस है..!

Shri Narendra Modi speaks at the Karyakarta Mahakumbh in Bhopal, Madhya Pradesh

भाइयों-बहनों, मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विजय के संबंध में मुझे रत्ती भर भी आशंका नहीं है..! मित्रों, मैं शिवराज जी को कई वर्षों से जानता हूँ। मुझे मध्य प्रदेश में संगठन का कार्य करने का सौभाग्य मिला था। मध्य प्रदेश का कोई विधानसभा क्षेत्र ऐसा नहीं होगा जहाँ मुझे जाने का अवसर ना मिला हो। कैलाश जी के मार्गदर्शन में, शिवराज जी के साथ कंधे से कंधा मिला कर के मैं मध्य प्रदेश के गाँवों में घूमता था। भाइयों-बहनों, मुझे पहली बार जब शिवराज जी का भाषण सुनने का अवसर मिला, आज उस बात को करीब बीस साल से अधिक समय हो गया है, मैं शिवराज जी को सुनने के लिए गया था। शायद शिवराज जी को याद होगा कि नहीं, मुझे नहीं मालूम। एकात्म मानव दर्शन पर वे जो व्याख्यान देते थे उस समय, और एकात्म मानव दर्शन पर धारा प्रवाह जब शिवराज जी बोलते थे तो हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को समझने का एक सही रास्ता मिल जाता था। उनके विचारों में स्पष्टता होती थी। लेकिन उससे भी ज्यादा, पंडित दीनदयाल जी के हृदय में अंत्योदय की जो कामना थी, गरीबों के कल्याण की जो कामना थी, जो मैं उनके भाषणों में सुनता था, मैं आज गर्व से कहता हूँ कि शिवराज जी पच्चीस साल पहले जो बोलते थे, सरकार में आने के बाद उस एक-एक शब्द को धरती पर उतार कर के गरीबों के कल्याण का काम किया है..!

भाइयों-बहनों, कांग्रेस पार्टी ने साठ साल तक इस देश में शासन किया, लेकिन पहले हमने कांग्रेस के किसी नेता के मुंह से या दिल्ली में बैठी सरकार के द्वारा ‘इन्क्लूसिव ग्रोथ’ शब्द को कभी सुना नहीं था..! इन दिनों उनको उछल-उछल कर के इन्क्लूसिव ग्रोथ, इन्क्लूसिव ग्रोथ शब्द प्रयोग करना पड़ रहा है। कांग्रेस को ये शब्द इसलिए स्वीकार करना पड़ा है क्योंकि जहाँ जहाँ भारतीय जनता पार्टी को जनता ने सेवा करने का अवसर दिया, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सर्वांगीण विकास पर बल दिया, इन्क्लूसिव विकास पर दिया..! गाँव हो, गरीब हो, किसान हो, पीड़ित हो, शोषित हो, अनपढ़ हो, पुरूष हो या महिला हो, बूढ़ा हो या नौजवान हो... हर एक के कल्याण का काम इन सरकारों ने किया और उसका परिणाम ये आया है कि आज दिल्ली की सल्तनत को आए दिन इन्क्लूसिव ग्रोथ की बात करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और उसका सबसे बड़ा श्रेय किसी को जाता है तो श्रीमान् शिवराज जी को जाता है..!

भाइयों-बहनों, आपको मालूम है, आपातकाल में श्रीमती इंदिरा गांधी ने गरीबों के कल्याण के लिए एक बीस सूत्रीय कार्यक्रम बनाया था। और भारत सरकार से लेकर देश की हर सरकारें, राज्य सरकारें उसको इम्पलीमेंट करती हैं। इंदिरा गांधी के समय से ये योजना शुरू हुई है। मोरारजी भाई की सरकार बनी, उन्होंने भी इसको कन्टीन्यू किया था, चालू रखा था। उसके बाद जितनी सरकारें आईं सबने उस योजना को आगे बढ़ाया, किसी ने उस योजना को रोका नहीं। हर तीन महीने उसका लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है, किस राज्य ने कैसा परफोरमेंस किया इसका जब लेखा-जोखा बाहर आता है। लेकिन पिछले सात-आठ साल से लगातार जब इसका लेखा-जोखा बाहर आता है, सबसे अच्छा काम करने वाली, गरीबों की भलाई के लिए बीस सूत्री कामों का सही ढंग से इम्पलीमेंटेशन करने वाली पहली पाँच जो सरकारों के नाम आए हैं वो हमेशा या तो बी.जे.पी. की सरकारें आई हैं, या फिर एन.डी.ए. के साथी दलों की सरकारों ने गरीबों की भलाई का काम किया है। कांग्रेस की एक भी सरकार ने पिछले नौ साल में हिन्दुस्तान के अंदर गरीबों की भलाई का एक भी काम अच्छे से नहीं किया है..! एक बार मेरे से एक गलती हो गई, मैंने ये बात हमारी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में बता दी, ये बात वहाँ पर बैठे कांग्रेस के नेताओं ने सुनी तो वे चौंक गए..! उन्होंने जानकारियाँ इक्कठी की, तो मेरी बात सही निकली कि सारी बी.जे.पी. की सरकारें ही गरीबों के कल्याण के कामों में सबसे आगे हैं..! तो कांग्रेस ने क्या किया..? आप कल्पना नहीं कर सकते दोस्तों, दिल्ली में बैठी हुई सरकार ने अपने राज्यों को कुछ अच्छा कर दिखाने के लिए नहीं कहा, उन्होंने क्या किया कि हर तीन महीने जो लेखा-जोखा लेते थे, जो सार्वजनिक किया जाता था, वो करना बंद कर दिया, ताकि कांग्रेस की बेइज्जती बंद हो जाए..! आपके मन में इन्क्लूजिस ग्रोथ की बात शोभा नहीं देती है..!

भाइयों-बहनों, आप देखिए, यहाँ पटवा जी के बाद दस साल कांग्रेस की सरकार रही और पटवा जी ने और कैलाश जी ने जिस प्रकार से मध्य प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रयास किये थे, जो सफल योजनाएं बनाई थी..! मध्य प्रदेश बीमारू राज्य से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था, पटवा जी की सरकार कुछ ना कुछ करके प्रयास कर रही थी, लेकिन अचानक उस सरकार को जाना पड़ा और बाद में कांग्रेस की सरकार दस साल रही। जो काम पटवा जी करके गए थे, वे सारे कामों को मिट्टी में मिला दिया। मध्य प्रदेश को फिर से एक बीमारू राज्य बना कर छोड़ा। लूट करी, दोस्तों..! मैं मध्य प्रदेश की जनता से कहना चाहता हूँ, आग्रह करना चाहता हूँ, पटवा जी की सरकार के बाद आपसे एक चूक हो गई और आपने ये मध्य प्रदेश कांग्रेस के हवाले किया। दस साल में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश को तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया..! आज शिवराज जी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश फिर से खड़ा हो गया है, अब फिर से दौड़ने के लिए तैयार हो गया है, आज मध्य प्रदेश हिन्दुस्तान के समृद्घ राज्यों की स्पर्धा में आगे निकलने के लिए कटिबद्घ हो गया है। ऐसे समय अगर कोई चूक हो गई, कोई कमी रह गई, तो भाइयों-बहनों, ये कांग्रेस पार्टी दस साल से भूखी पार्टी है, मध्य प्रदेश का हाल कैसा बेहाल कर देगी इसका आप अंदाज कर सकते हो..! और इसलिए भाइयों-बहनों, मध्य प्रदेश के एक-एक कार्यकर्ता का ये दायित्व बनता है कि मध्य प्रदेश जिस समय विकास की ऊंचाइयों को छूने जा रहा है, हम उसमें कोई रूकावट आने नहीं देंगे..!

ध्य प्रदेश को शिवराज जी तो पूरी ताकत से खींच रहे हैं, आगे बढ़ा रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता विकास के फल गरीब के घर पहुंचाने के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगा रहा है, लेकिन मुसीबत ये है कि दिल्ली की सरकार शिवराज जी को चैन से बैठने नहीं देती, आए दिन कोई ना कोई अडंगा डाल देती है। कोई अच्छी योजना ले कर के जाएं, तो दिल्ली की सरकार उस योजना को ना होने देने के लिए हर प्रकार के कारनामें करती है..! भाइयों-बहनों, दिल्ली में अटल बिहारी बाजपेयी जी की भी सरकार थी, लेकिन कभी हिन्दुस्तान की किसी पार्टी की सरकार ने अटल जी, आडवाणी जी के बर्ताव के लिए शिकायत नहीं की..! यहाँ बैठे हुए अनेक लोग दिल्ली में एन.डी.ए. की सरकार में मंत्री थे। हिन्दुस्तान की विरोधी दल की सरकारों ने भी कभी एक बार भी शिकायत नहीं की थी कि एन.डी.ए. के कारण हमारे राज्य को परेशानी हो रही है..! भाइयों-बहनों, आज दिल्ली की सल्तनत हिन्दुस्तान के जिन राज्यों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया है, उस राज्य की जनता को जितनी परेशान कर सकती है, उसे करने में कभी पीछे नहीं रहती है..! आज मध्य प्रदेश में अगर कोई कठिनाइयाँ हैं, तो उस कठिनाइयों का कारण ये दिल्ली की सल्तनत है, उनके कारनामें हैं..!

Shri Narendra Modi speaks at the Karyakarta Mahakumbh in Bhopal, Madhya Pradesh

मैं उदारण देता हूँ, मित्रों..! जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश ने बीमारू बनाया तब मध्य प्रदेश में तीन हजार मेगावॉट बिजली का भी उत्पादन नहीं होता था। सोचिए मित्रों, इस देश के पॉलिटिकल पंडित सोचिए, बाकी सरकारें क्या काम कर सकती है, शिवराज जी क्या काम कर सकते हैं, जरा सोचिए..! जब बीमारू राज्य का नेतृत्व कांग्रेस ने किया था, तब इस राज्य में तीन हजार मेगावॉट बिजली नहीं होती थी..! पचास साल में कांग्रेस जो नहीं कर पाई, उससे तीन गुना काम शिवराज जी ने दस साल में कर दिया, आज दस हजार से ज्यादा मेगावॉट बिजली आज वो उत्पादन कर रहे हैं..! लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता हूँ..! भाइयों-बहनों, सरदार सरोवर डैम गुजरात में बना है। माँ नर्मदा के पानी के भरोसे गुजरात जी रहा है, जो हमारा जीवन है, वो मध्य प्रदेश से आता है। और गुजरात में नर्मदा योजना तेजी से आगे बढ़े इसके लिए शिवराज जी ने जितनी मेहनत की, विस्थापितों को बसाने का जो काम किया, वो अभूतपूर्व था..! अगर कांग्रेस की सरकारों ने वो काम पहले किया होता तो आज वो सरदार सरोवर डैम का काम कबका पूरा हो गया होता..! लेकिन भाइयों-बहनों, मुझे एक बात कहनी है। अब उस सरदार सरोवर डैम पर गेट लगाने बाकी हैं। अगर गेट लग जाते हैं तो जो बिजली का उत्पादन बढ़ेगा उसमें से अकेले मध्य प्रदेश को... भाइयों-बहनों, जरा समझ कर के सुनिए... अगर गुजरात में सरदार सरोवर डैम पर गेट लग जाते हैं तो जो बिजली उत्पादन होगी उसमें से अकेले मध्य प्रदेश को आठ सौ मेगावॉट बिजली मुफ्त में मिलेगी..! लेकिन चूंकि ये बिजली मध्य प्रदेश को मिलने वाली है इसलिए दिल्ली में बैठी हुई सल्तनत गेट लगाने की परमिशन नहीं दे रही है..! मैं पूछना चाहता हूँ दिल्ली की सल्तनत को, क्या मध्य प्रदेश की जनता ने आपको चुनाव में हरा दिया इसकी सजा आप मध्य प्रदेश की जनता को देर रहे हो..? अरे, दिल्ली की सल्तनत में ताकत हो और लड़ना है तो हम नेताओं से लड़े, हम कार्यकर्ताओं से लड़े, मध्य प्रदेश की जनता को दु:खी ना करे, उनके अधिकारों को छीन ना ले..!

पुरानी सड़क का काम मध्य प्रदेश में हो नहीं रहा है, क्यों..? कांग्रेस की सरकार कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों को जितने पैसे देती है उसके आधे पैसे भी भा.ज.पा. शासित राज्यों को देने को तैयार नहीं है..! क्यों..? अगर सड़कें कल अच्छी बन गई, तो वाहवाही शिवराज जी की हो जाएगी और इस डर से मध्य प्रदेश की जनता को पीड़ित करने का काम ये दिल्ली के कांग्रेसी नेता कर रहे हैं, कांग्रेस की सरकार कर रही है..! गरीबों को इंदिरा आवास..! क्या मध्य प्रदेश के गरीबों को आवास मिलने चाहिए..? मुझे पूरी ताकत से जवाब दो, क्या मध्य प्रदेश के गरीबों को आवास मिलना चाहिए..? गरीब से गरीब को भी घर मिलना चाहिए..? दिल्ली सरकार केवल केरल के गरीबों को तो पैसा देने को तैयार है, क्योंकि वहाँ पर कांग्रेस की सरकार है, मध्य प्रदेश की सरकार को पैसे देने को तैयार नहीं, क्योंकि वो शिवराज जी की सरकार है, भा.ज.पा. की सरकार है..! मैं दिल्ली के शहंशाहों को पूछना चाहता हूँ, अरे सरकार भा.ज.पा. की है लेकिन ये नागरिक तो हिन्दुस्तान के हैं, ये गरीब भारत माँ के बेटे हैं, उनको दु:खी क्यों कर रहे हो..? लेकिन भाइयों-बहनों, कांग्रेस पार्टी सिवाय राजनीति के कुछ नहीं सेाच सकती..!

भाइयो-बहनों, आप लोग चुनाव की तैयारी कर रहे हो ना..? जोरों से कर रहे हो ना..? लेकिन आप मेरी एक बात भी सुनिए, इस बार मध्य प्रदेश में, छत्तीसगढ़ में, राजस्थान में, दिल्ली में और आने वाले लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार खड़े करने वाली नहीं है..! अगला चुनाव कांग्रेस नहीं लड़ेगी, अगला चुनाव सी.बी.आई. लड़ने वाली है, सी.बी.आई...! कांग्रेस में भा.ज.पा. से भिड़ने का दम नहीं रहा दोस्तों, उन्होंने सी.बी.आई. को मैदान में उतारा है..! और कांग्रेस के नेता कान खोल कर के सुन लें, आपातकाल के दमन चक्र को याद कर लें, आपातकाल के दमन चक्र का इस देश की जनता ने चुन-चुन कर हिसाब चुकता किया था। अगर आज वो आपकी सी.बी.आई. हिन्दुस्तान के निर्दोषों पर जुल्म करने के काम आने वाली है, तो दिल्ली के तख्त पर बैठे हुए शहंशाह लिख कर के रखे, हिन्दुस्तान आपको माफ नहीं करेगा, चुन-चुन कर ये देश आपका हिसाब चुकता करेगा..!

भाइयों-बहनों, अभी शिवराज जी घोटालों की ए.बी.सी.डी. सुना रहे थे, ‘ए’ टू ‘जेड’ कैसे-कैसे घोटाले हुए उसका नाम सुना रहे थे। लेकिन अगर आंकड़ों में ये कितने पैसे होते हैं, कितने रूपये हड़प कर दिये गए हैं, ये यदि हम भोपाल से लिखना शुरू करें और अगर हम भोपाल में एक लिखें और फिर जीरो करते-करते आगे बढ़ें तो फिर दिल्ली जनपथ पर आखिरी जीरो पहुंचेगा, इतने अरबों-खरबों रूपयों का, इतने अरबों-खरबों का माल खा गए हैं ये लोग..!

भाइयों-बहनों, चुनाव पहले भी आए, जय-पराजय पहले भी हुए, लेकिन मेरे कार्यकर्ता भाइयों-बहनों, इस चुनाव में आपको तय करना है। शायद आपको गरीबी में पैदा हुए होंगे, आपको शिक्षा पाने में कठिनाई आई होगी, आपको बीमारी में दवाई प्राप्त करना कठिन हुआ होगा, लेकिन क्या आप अपने संतानों को गरीबी में रहने के लिए मजबूर करना चाहते हो..? क्या आप अपने बच्चों को अशिक्षित रहने के लिए मजबूर करना चाहते हो..? क्या आप अपने बच्चों को बीमारी में दवाई ना मिले एसा चाहते हो..? क्या आप चाहते हो कि गरीब को घर ना मिले..? अगर आप ये नहीं चाहते हो तो इन सारी कठिनाइयों से मुक्ति के लिए चुनाव में मतदान करना, आपकी भलाई के लिए मतदान करना..!

भाइयों-बहनों, अब जितने सर्वे आते हैं, सारे सर्वे भा.ज.पा. के पक्ष में आते हैं..! आज जितने सर्वे आ रहे हैं, शिवराज जी की वाहवाही हो रही है, रमण सिंह जी की वाहवाही हो रही है, वसुंधरा जी की वाहवाही हो रही है, हमारे एक-एक राज्य के नेताओं की वाहवाही हो रही है..! चारों तरफ भा.ज.पा. का जयकारा चल रहा है। लोग कहते हैं कि इस बार कश्मीर से कन्यकुमारी, अटक से कटक तक पूरे हिन्दुस्तान में भा.ज.पा. की आंधी है। कार्यकर्ता भाइयों-बहनों, ये बात सुन कर हमें भी आनंद आता है। हम लोग भी गली मौहल्ले में, गाँव में, गरीब के घर जाते हैं और भा.ज.पा. की वाहवाहीं सुनते हैं, तो हमारा भी सीना चौड़ा हो जाता है। लेकिन भाइयों-बहनों, हम बूथ के कार्यकर्ता हैं और मैं संगठन से जुड़ा कार्यकर्ता हूँ, इसलिए मैं कुछ संगठन की बातें भी सार्वजनिक रूप से आपसे कहना चाहता हूँ। आप मुझे कहिए भाइयों-बहनों, आंधी कितनी ही तेज क्यों ना हो, 150-200 किलोमीटर की स्पीड से आंधी चल रही हो, और अगर आप चौराहे पर साइकिल का ट्यूब लेकर खड़े हो जाएं, तो कितनी भी स्पीड से आंधी चलती होगी तो भी साइकिल की हवा भरेगी..? हवा भरने के लिए पंप लगता है कि नहीं लगता है..? भाइयों-बहनों, पोलिंग बूथ में भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता का इस आंधी को मतपेटी तक ले जाना सबसे प्रमुख काम है। मतपेटी भरेगी कार्यकर्ताओं के पुरूषार्थ से, मतपेटी भरेगी कार्यकर्ताओं के संपर्क से, मतपेटी भरेगी कार्यकर्ताओं के प्रति सामान्य मानवी के विश्वास से..!

भाइयों-बहनों, इस देश में महात्मा गांधी की चर्चा सबने की। आए दिन महात्मा गांधी के नाम की चर्चा हर ओर होती है। लेकिन महात्मा गांधी का एक सपना अधूरा रह गया है। महात्मा गांधी की एक इच्छा को अभी पूरा कर बाकी है। करेंगे भइया..? दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बताइए, क्या महात्मा गांधी की इच्छा पूरी करेंगे..? महात्मा गांधी का सपना पूरा करेंगे..? महात्मा गांधी की इच्छा परिपूर्ण करेंगे..? आपने पूछा तो नहीं कि क्या इच्छा थी भाई, ऐसे ही हाँ कह दिया..? भाइयो-बहनों, महात्मा गांधी की जीवन के अंतकाल में एक इच्छा थी कि इस देश में से कांग्रेस को बिखेर दिया जाए..! महात्मा गांधी की इच्छा थी कि हिन्दुस्तान से कांग्रेस को खत्म कर दिया जाए..! लेकिन कांग्रेस के लोगों ने महात्मा गांधी की ये इच्छा पूरी नहीं की। महात्मा गांधी की इच्छा पूरी करने का जिम्मा ये लाखों कार्यकर्ताओं, हमारे सिर पर है..! करेंगे..? भाइयों-बहनों, आज महात्मा गांधी का सपना पूरा करने का मतलब होता है, कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान..! इस देश को कांग्रेस से मुक्त करना है, कांग्रेस के वर्क कल्चर से मुक्त करना है, कांग्रेस के कारनामों से मुक्त करना है, कांग्रेसी करप्शन से मुक्त करना है, भाई-भतीजेवाद से मुक्त करना है..! लोकतंत्र को सही रूप मे प्रतिस्थापित करने के लिए महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने का काम करना है। और अगर हिन्दुस्तान को कांग्रेस से मुक्त बनाना है, तो भाइयों-बहनों, हमारा काम है हमारे पोलिंग बूथ को कांग्रेस मुक्त पोलिंग बूथ बनाना..! यहाँ पचास हजार से अधिक पोलिंग बूथ के कार्यकर्ता मेरे सामने बैठे हैं, जहाँ जहाँ मेरी नजर पहुंच रही है मुंड ही मुंड नजर आ रहे हैं..! भाइयों-बहनों, यहाँ से संकल्प करिए कि हम हमारे पोलिंग बूथ को, हम हमारे गाँव को, हम हमारे नगर को, हम हमारे तहसील को, हम हमारे जिले को, हम हमारे राष्ट्र को, हम सब मिल कर के हिन्दुस्तान को कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान बनाएंगे और उसका प्रारंभ हम हमारे पेालिंग बूथ से करेंगे, हर पोलिंग बूथ को कांग्रेस से मुक्त करवाएंगे, इस संकल्प को लेकर के जाएं..!

भाइयों-बहनों, दो मुट्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके मैं एक नारा बुलवाता हूँ, आप उसको जरूर बोलें..! मैं कहूंगा, पंडित दीनदयाल उपाध्याय..., आप सब बोलिए, अमर रहे, अमर रहे..! आवाज पूरे हिन्दुस्तान में पहुंचनी चाहिए, दोस्तों..!

पंडित दीनदयाल उपाध्याय... अमर रहे, अमर रहे..!

पंडित दीनदयाल उपाध्याय... अमर रहे, अमर रहे..!

पंडित दीनदयाल उपाध्याय... अमर रहे, अमर रहे..!

भारत माता की जय..!  भारत माता की जय..!  भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!

वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!

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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 'मन की बात', यानि देश के सामूहिक प्रयासों की बात, देश की उपलब्धियों की बात, जन-जन के सामर्थ्य की बात, ‘मन की बात' यानि देश के युवा सपनों, देश के नागरिकों की आकांक्षाओं की बात | मैं पूरे महीने, 'मन की बात' का इंतजार करता रहता हूँ, ताकि, आपसे सीधा संवाद कर सकूँ । कितने ही सारे संदेश, कितने ही messages ! मेरा पूरा प्रयास रहता है कि ज्यादा- से-ज्यादा संदेश को पढूँ, आपके सुझावों पर मंथन करूँ ।

साथियो, आज बड़ा ही खास दिन है - आज NCC दिवस है | NCC का नाम सामने आते ही हमें स्कूल-कॉलेज के दिन याद आ जाते हैं | मैं स्वयं भी NCC Cadet रहा हूँ, इसलिए, पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि इससे मिला अनुभव मेरे लिए अनमोल है | 'NCC' युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है । आपने अपने आस-पास देखा होगा, जब भी कहीं कोई आपदा होती है, चाहे बाढ़ की स्थिति हो, कहीं भूकंप आया हो, कोई हादसा हुआ हो, वहाँ, मदद करने के लिए NCC के cadets जरूर मौजूद हो जाते हैं । आज देश में NCC को मजबूत करने के लिए लगातार काम हो रहा है । 2014 में करीब 14 लाख युवा NCC से जुड़े थे | अब 2024 में, 20 लाख से ज्यादा युवा NCC से जुड़े हैं | पहले के मुकाबले पाँच हजार और नए स्कूल-कॉलेजों में अब NCC की सुविधा हो गई है, और सबसे बड़ी बात, पहले NCC में girls cadets की संख्या करीब 25% (percent) के आस-पास ही होती थी | अब NCC में girls cadets की संख्या करीब-करीब 40% (percent) हो गई है | बॉर्डर किनारे रहने वाले युवाओं को ज्यादा से ज्यादा NCC से जोड़ने का अभियान भी लगातार जारी है । मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में NCC से जुड़ें | आप देखिएगा आप किसी भी career में जाएं, NCC से आपके व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी मदद मिलेगी |

साथियो, विकसित भारत के निर्माण में युवाओं का रोल बहुत बड़ा है | युवा मन जब एकजुट होकर देश की आगे की यात्रा के लिए मंथन करते हैं, चिंतन करते हैं, तो निश्चित रूप से इसके ठोस रास्ते निकलते हैं । आप जानते हैं 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश 'युवा दिवस' मनाता है । अगले साल स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती है | इस बार इसे बहुत खास तरीके से मनाया जाएगा | इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है, और इस पहल का नाम है 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue’ | भारत-भर से करोड़ों युवा इसमें भाग लेंगे | गाँव, block, जिले, राज्य और वहाँ से निकलकर चुने हुए ऐसे दो हजार युवा भारत मंडपम में 'विकसित भारत Young Leaders Dialogue' के लिए जुटेंगे | आपको याद होगा, मैंने लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने का आहवान किया है, जिनके परिवार का कोई भी व्यक्ति और पूरे परिवार का political background नहीं है, ऐसे एक लाख युवाओं को, नए युवाओं को, राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई तरह के विशेष अभियान चलेंगे | ‘विकसित भारत Young Leaders Dialogue' भी ऐसा ही एक प्रयास है । इसमें देश और विदेश से experts आएंगे | अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी रहेंगी | मैं भी इसमें ज्यादा-से-ज्यादा समय उपस्थित रहूँगा | युवाओं को सीधे हमारे सामने अपने ideas को रखने का अवसर मिलेगा | देश इन ideas को कैसे आगे लेकर जा सकता है? कैसे एक ठोस roadmap बन सकता है? इसका एक blueprint तैयार किया जाएगा, तो आप भी तैयार हो जाइए, जो भारत के भविष्य का निर्माण करने वाले हैं, जो देश की भावी पीढ़ी हैं, उनके लिए ये बहुत बड़ा मौका आ रहा है | आइए, मिलकर देश बनाएं, देश को विकसित बनाएं ।

मेरे प्यारे देशवासियों, ‘मन की बात’ में, हम अक्सर ऐसे युवाओं की चर्चा करते हैं | जो निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रहे हैं ऐसे कितने ही युवा हैं जो लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं | हम अपने आस-पास देखें तो कितने ही लोग दिख जाते है, जिन्हें, किसी ना किसी तरह की मदद चाहिए,कोई जानकारी चाहिए I मुझे ये जानकर अच्छा लगा कुछ युवाओं ने समूह बनाकर इस तरह की बात को भी address किया है जैसे लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र हैं, वो बुजुर्गों को Digital life certificate के काम में मदद करते हैं I आप जानते हैं कि नियमों के मुताबिक सभी Pensioners को साल में एक बार Life Certificate जमा कराना होता है I 2014 तक इसकी प्रक्रिया यह थी इसे बैंकों में जाकर बुजुर्ग को खुद जमा करना पड़ता था आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे हमारे बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती थी I अब ये व्यवस्था बदल चुकी है I अब Digital Life Certificate देने से चीजें बहुत ही सरल हो गई हैं, बुजुर्गों को बैंक नहीं जाना पड़ता I बुजुर्गों को Technology की वजह से कोई दिक्कत ना आए, इसमें, वीरेंद्र जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है I वो, अपने क्षेत्र के बुजुर्गों को इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं I इतना ही नहीं वो बुजुर्गों को tech savvy भी बना रहे हैं ऐसे ही प्रयासों से आज Digital Life certificate पाने वालों की संख्या 80 लाख के आँकड़े को पार कर गई है I इनमें से दो लाख से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु 80 के भी पार हो गई है I

साथियो, कई शहरों में ‘युवा’ बुजुर्गों को Digital क्रांति में भागीदार बनाने के लिए भी आगे आ रहे हैं I भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को Mobile के माध्यम से Payment करना सिखाया है I इन बुजुर्गों के पास smart phone तो था, लेकिन, उसका सही उपयोग बताने वाला कोई नहीं था I बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं I अहमदाबाद के राजीव, लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं I मैंने ‘मन की बात’ के पिछले episode में Digital Arrest की चर्चा की थी I इस तरह के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं I ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और cyber fraud से बचने में मदद करें I हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है - ये सरासर झूठ, लोगों को फ़साने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं I

मेरे प्यारे देशवासियो, आजकल बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं | कोशिश यही है कि हमारे बच्चों में creativity और बढ़े, किताबों के लिए उनमें प्रेम और बढ़े - कहते भी हैं ‘किताबें’ इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं, और अब इस दोस्ती को मजबूत करने के लिए, Library से ज्यादा अच्छी जगह और क्या होगी | मैं चेन्नई का एक उदाहरण आपसे share करना चाहता हूं | यहां बच्चों के लिए एक ऐसी library तैयार की गई है, जो, creativity और learning का Hub बन चुकी है | इसे प्रकृत् अरिवगम् के नाम से जाना जाता है | इस library का idea, technology की दुनिया से जुड़े श्रीराम गोपालन जी की देन है | विदेश में अपने काम के दौरान वे latest technology की दुनिया से जुड़े रहे | लेकिन, वो, बच्चों में पढ़ने और सीखने की आदत विकसित करने के बारे में भी सोचते रहे | भारत लौटकर उन्होंने प्रकृत् अरिवगम् को तैयार किया | इसमें तीन हजार से अधिक किताबें हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए बच्चों में होड़ लगी रहती है | किताबों के अलावा इस library में होने वाली कई तरह की activities भी बच्चों को लुभाती हैं | Story Telling session हो, Art Workshops हो, Memory Training Classes, Robotics Lesson या फिर Public Speaking, यहां, हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ जरूर है, जो उन्हें पसंद आता है |

साथियो, हैदराबाद में ‘Food for Thought’ Foundation ने भी कई शानदार libraries बनाई हैं | इनका भी प्रयास यही है कि बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा विषयों पर ठोस जानकारी के साथ पढ़ने के लिए किताबें मिलें | बिहार में गोपालगंज के ‘Prayog Library’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है | इस library से करीब 12 गांवों के युवाओं को किताबें पढ़ने की सुविधा मिलने लगी है, साथ ही ये, library पढ़ाई में मदद करने वाली दूसरी जरूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध करा रही है | कुछ libraries तो ऐसी हैं, जो, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में students के बहुत काम आ रही हैं | ये देखना वाकई बहुत सुखद है कि समाज को सशक्त बनाने में आज library का बेहतरीन उपयोग हो रहा है | आप भी किताबों से दोस्ती बढ़ाइए, और देखिए, कैसे आपके जीवन में बदलाव आता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, परसों रात ही मैं दक्षिण अमेरिका के देश गयाना से लौटा हूं | भारत से हजारों किलोमीटर दूर, गयाना में भी, एक ‘Mini भारत’ बसता है | आज से लगभग 180 वर्ष पहले, गयाना में भारत के लोगों को, खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए, ले जाया गया था | आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं | गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो, अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं | जब मैं गयाना में था, तभी, मेरे मन में एक विचार आया था - जो मैं ‘मन की बात’ में आपसे share कर रहा हूं | गयाना की तरह ही दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों की संख्या में भारतीय हैं | दशकों पहले की 200-300 साल पहले की उनके पूर्वजों की अपनी कहानियां हैं | क्या आप ऐसी कहानियों को खोज सकते हैं कि किस तरह भारतीय प्रवासियों ने अलग-अलग देशों में अपनी पहचान बनाई! कैसे उन्होंने वहाँ की आजादी की लड़ाई के अंदर हिस्सा लिया! कैसे उन्होंने अपनी भारतीय विरासत को जीवित रखा? मैं चाहता हूं कि आप ऐसी सच्ची कहानियों को खोजें, और मेरे साथ share करें | आप इन कहानियों को NaMo App पर या MyGov पर #IndianDiasporaStories के साथ भी share कर सकते हैं |

साथियो, आपको ओमान में चल रहा एक extraordinary project भी बहुत दिलचस्प लगेगा | अनेकों भारतीय परिवार कई शताब्दियों से ओमान में रह रहे हैं | इनमें से ज्यादातर गुजरात के कच्छ से जाकर बसे हैं | इन लोगों ने व्यापार के महत्वपूर्ण link तैयार किए थे | आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनकी रग-रग में बसी है | ओमान में भारतीय दूतावास और National Archives of India के सहयोग से एक team ने इन परिवारों की history को preserve करने का काम शुरू किया है | इस अभियान के तहत अब तक हजारों documents जुटाए जा चुके हैं | इनमें diary, account book, ledgers, letters और telegram शामिल हैं | इनमें से कुछ दस्तावेज तो सन् 1838 के भी हैं | ये दस्तावेज, भावनाओं से भरे हुए हैं | बरसों पहले जब वो ओमान पहुंचे, तो उन्होंने किस प्रकार का जीवन जिया, किस तरह के सुख-दुख का सामना किया, और, ओमान के लोगों के साथ उनके संबंध कैसे आगे बढ़े - ये सब कुछ इन दस्तावेजों का हिस्सा है | ‘Oral History Project’ ये भी इस mission का एक महत्वपूर्ण आधार है | इस mission में वहां के वरिष्ठ लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं | लोगों ने वहाँ अपने रहन-सहन से जुड़ी बातों को विस्तार से बताया है |

साथियो ऐसा ही एक ‘Oral History Project’ भारत में भी हो रहा है | इस project के तहत इतिहास प्रेमी देश के विभाजन के कालखंड में पीड़ितों के अनुभवों का संग्रह कर रहें हैं | अब देश में ऐसे लोगों की संख्या कम ही बची है, जिन्होंने, विभाजन की विभीषिका को देखा है | ऐसे में यह प्रयास और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है |

साथियो, जो देश, जो स्थान, अपने इतिहास को संजोकर रखता है, उसका भविष्य भी सुरक्षित रहता है | इसी सोच के साथ एक प्रयास हुआ है जिसमें गांवों के इतिहास को संजोने वाली एक Directory बनाई है | समुद्री यात्रा के भारत के पुरातन सामर्थ्य से जुड़े साक्ष्यों को सहेजने का भी अभियान देश में चल रहा है | इसी कड़ी में, लोथल में, एक बहुत बड़ा Museum भी बनाया जा रहा है, इसके अलावा, आपके संज्ञान में कोई manuscript हो, कोई ऐतिहासिक दस्तावेज हो, कोई हस्तलिखित प्रति हो तो उसे भी आप, National Archives of India की मदद से सहेज सकते हैं |

साथियो, मुझे Slovakia में हो रहे ऐसे ही एक और प्रयास के बारे में पता चला है जो हमारी संस्कृति को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने से जुड़ा है | यहां पहली बार Slovak language में हमारे उपनिषदों का अनुवाद किया गया है | इन प्रयासों से भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी पता चलता है | हम सभी के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया-भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके हृदय में, भारत बसता है |

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी उपलब्धि साझा करना चाहता हूं जिसे सुनकर आपको खुशी भी होगी और गौरव भी होगा, और अगर आपने नहीं किया है, तो शायद पछतावा भी होगा | कुछ महीने पहले हमने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया था | इस अभियान में देश-भर के लोगों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लिया | मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि इस अभियान ने सौ करोड़ पेड़ लगाने का अहम पड़ाव पार कर लिया है | सौ करोड़ पेड़, वो भी, सिर्फ पाँच महीनों में - ये हमारे देशवासियों के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है | इससे जुड़ी एक और बात जानकर आपको गर्व होगा | ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है | जब मैं गयाना में था, तो वहां भी, इस अभियान का साक्षी बना | वहां मेरे साथ गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, उनकी पत्नी की माता जी, और परिवार के बाकी सदस्य, ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में शामिल हुए |

साथियो, देश के अलग-अलग हिस्सों में ये अभियान लगातार चल रहा है | मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत, पेड़ लगाने का record बना है - यहां 24 घंटे में 12 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए | इस अभियान की वजह से इंदौर की Revati Hills के बंजर इलाके, अब, green zone में बदल जाएंगे | राजस्थान के जैसलमेर में इस अभियान के द्वारा एक अनोखा record बना - यहां महिलाओं की एक टीम ने एक घंटे में 25 हजार पेड़ लगाए | माताओं ने मां के नाम पेड़ लगाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। यहां एक ही जगह पर पाँच हज़ार से ज़्यादा लोगों ने मिलकर पेड़ लगाए - ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है । ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत कई सामाजिक संस्थाएँ स्थानीय जरूरतों के हिसाब से पेड़ लगा रही हैं । उनका प्रयास है कि जहां पेड़ लगाए जाएँ वहाँ पर्यावरण के अनुकूल पूरा Eco System Develop हो । इसलिए ये संस्थाएँ कहीं औषधीय पौधे लगा रहीं हैं, तो कहीं, चिड़ियों का बसेरा बनाने के लिए पेड़ लगा रहीं हैं । बिहार में ‘JEEViKA Self Help Group’ की महिलाओं ने 75 लाख पेड़ लगाने का अभियान चला रहीं हैं । इन महिलाओं का focus फल वाले पेड़ों पर है, जिससे आने वाले समय में आय भी की जा सके ।

साथियो, इस अभियान से जुड़कर कोई भी व्यक्ति अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगा सकता है । अगर माँ साथ है तो उन्हें साथ लेकर आप पेड़ लगा सकते हैं, नहीं तो उनकी तस्वीर साथ में लेकर आप इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं । पेड़ के साथ आप अपनी Selfie भी mygov.in पर पोस्ट कर सकते हैं । माँ, हम सबके लिए जो करती है हम उनका ऋण कभी नहीं चुका सकते, लेकिन, एक पेड़ माँ के नाम लगाकर हम उनकी उपस्थिति को हमेशा के लिए जीवंत बना सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी लोगों ने बचपन में गौरेया या Sparrow को अपने घर की छत पर, पेड़ों पर चहकते हुए ज़रूर देखा होगा । गौरेया को तमिल और मलयालम में कुरुवी, तेलुगु में पिच्चुका और कन्नड़ा में गुब्बी के नाम से जाना जाता है । हर भाषा, संस्कृति में, गौरेया को लेकर किस्से-कहानी सुनाए जाते हैं । हमारे आसपास Biodiversity को बनाए रखने में गौरेया का एक बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन, आज शहरों में बड़ी मुश्किल से गौरेया दिखती है । बढ़ते शहरीकरण की वजह से गौरेया हमसे दूर चली गई है । आज की पीढ़ी के ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिन्होंने गौरेया को सिर्फ तस्वीरों या वीडियो में देखा है । ऐसे बच्चों के जीवन में इस प्यारी पक्षी की वापसी के लिए कुछ अनोखे प्रयास हो रहे हैं । चेन्नई के कूडुगल ट्रस्ट ने गौरेया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है । संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरेया रोज़मर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है । ये संस्थान बच्चों को गौरेया का घोंसला बनाने की training देते है । इसके लिए संस्थान के लोगों ने बच्चों को लकड़ी का एक छोटा सा घर बनाना सिखाया । इसमें गौरेया के रहने, खाने का इंतजाम किया । ये ऐसे घर होते हैं जिन्हें किसी भी इमारत की बाहरी दीवार पर या पेड़ पर लगाया जा सकता है । बच्चों ने इस अभियान में उत्साह के साथ हिस्सा लिया और गौरेया के लिए बड़ी संख्या में घोंसला बनाना शुरू कर दिया । पिछले चार वर्षों में संस्था ने गौरेया के लिए ऐसे दस हज़ार घोंसले तैयार किए हैं । कूडुगल ट्रस्ट की इस पहल से आसपास के इलाकों में गौरेया की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। आप भी अपने आसपास ऐसे प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर गौरेया फिर से हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगी ।

साथियो, कर्नाटका के मैसुरू की एक संस्था ने बच्चों के लिए ‘Early Bird’ नाम का अभियान शुरू किया है । ये संस्था बच्चों को पक्षियों के बारे में बताने के लिए खास तरह की library चलाती है । इतना ही नहीं, बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के लिए ‘Nature Education Kit’ तैयार किया है। इस Kit में बच्चों के लिए Story Book, Games, Activity Sheets और jig-saw puzzles हैं । ये संस्था शहर के बच्चों को गांवों में लेकर जाती है और उन्हें पक्षियों के बारे में बताती है । इस संस्था के प्रयासों की वजह से बच्चे पक्षियों की अनेक प्रजातियों को पहचानने लगे हैं । ‘मन की बात’ के श्रोता भी इस तरह के प्रयास से बच्चों में अपने आसपास को देखने, समझने का अलग नज़रिया विकसित कर सकते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने देखा होगा, जैसे ही कोई कहता है ‘सरकारी दफ्तर’ तो आपके मन में फाइलों के ढ़ेर की तस्वीर बन जाती है | आपने फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ देखा होगा | सरकारी दफ्तरों में इन फाइलों के ढ़ेर पर कितने ही मजाक बनते रहते हैं, कितनी ही कहानियां लिखी जा चुकी हैं | बरसों-बरस तक ये फाइलें Office में पड़े-पड़े धूल से भर जाती थीं, वहां, गंदगी होने लगती थी - ऐसी दशकों पुरानी फाइलों और Scrap को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया | आपको ये जानकर खुशी होगी कि सरकारी विभागों में इस अभियान के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं | साफ-सफाई से दफ्तरों में काफी जगह खाली हो गई है | इससे दफ्तर में काम करने वालों में एक Ownership का भाव भी आया है | अपने काम करने की जगह को स्वच्छ रखने की गंभीरता भी उनमें आई है |

सथियो, आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा, कि जहां स्वच्छता होती है, वहां, लक्ष्मी जी का वास होता है | हमारे यहाँ ‘कचरे से कंचन’ का विचार बहुत पुराना है | देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं | तरह-तरह के innovation कर रहे हैं | इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं | ये युवा अपने प्रयासों से sustainable lifestyle को भी बढ़ावा दे रहे हैं | मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास, वाकई बहुत प्रेरक है | अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियाँ, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं | आप भी जानते हैं कपड़ों की कटाई-सिलाई के दौरान जो कतरन निकलती है, इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है | अक्षरा और प्रकृति की Team उन्हीं कपड़ों के कचरे को Fashion Product में बदलती है | कतरन से बनी टोपियां, Bag हाथों-हाथ बिक भी रही है |

साथियो, साफ-सफाई को लेकर UP के कानपुर में भी अच्छी पहल हो रही है | यहाँ कुछ लोग रोज सुबह Morning Walk पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले Plastic और अन्य कचरे को उठा लेते हैं | इस समूह को ‘Kanpur Ploggers Group’ नाम दिया गया है | इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी | धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया | शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं | इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं | इस कचरे से Recycle Plant में tree guard तैयार किए जाते हैं, यानि, इस Group के लोग कचरे से बने tree guard से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं|

साथियो, छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है | इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है | इतिशा corporate दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं | पर्यटकों की वजह से वहां काफी plastic waste जमा होने लगा था | वहां की नदी जो कभी साफ थी वो plastic waste की वजह से प्रदूषित हो गई थी | इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है | उनके group के लोग वहां आने वाले tourist को जागरूक करते हैं और plastic waste को collect करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं |

साथियो, ऐसे प्रयासों से भारत के स्वच्छता अभियान को गति मिलती है | ये निरंतर चलते रहने वाला अभियान है | आपके आस-पास भी ऐसा जरूर होता ही होगा | आप मुझे ऐसे प्रयासों के बारे में जरूर लिखते रहिए |

साथियो, ‘मन की बात’ के इस episode में फिलहाल इतना ही | मुझे तो पूरे महीने, आपकी प्रतिक्रियाओं, पत्रों और सुझावों का खूब इंतजार रहता है | हर महीने आने वाले आपके संदेश मुझे और बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं | अगले महीने हम फिर मिलेंगे, ‘मन की बात’ के एक और अंक में - देश और देशवासियों की नई उपलब्धियों के साथ, तब तक के लिए, आप सभी देशवासियों को, मेरी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं |

बहुत-बहुत धन्यवाद |