मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी, आदरणीय नितिन गडकरी जी, श्रीमान गोपीनाथ जी मुंडे, श्री राजीव प्रताप रूडी जी, श्रीमान देवेन्द्र जी, श्रीमान एकनाथ खडसे जी, भाई विनोद तावड़े जी, भाई आशीष शेलार जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ नेतागण और छत्रपति शिवराय, डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर, छत्रपति शाहू, महात्मा फूले के महाराष्ट्र को मेरा नमस्कार..!
मुझे विश्वास है कि कांग्रेस मुक्त भारत के स्वप्न को सिद्ध करने के लिए महाराष्ट्र आगे आएगा..! भाईयों-बहनों, शायद मुम्बई के इतिहास में ऐसा विराट दृश्य देखने का सौभाग्य पहले कभी किसी को नहीं मिला होगा..! जहां तक नज़र पहुंच रही है, सिर्फ माथे ही माथे नजर आ रहे हैं..! मैं महाराष्ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी, मुम्बई प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का अनेक-अनेक अभिनंदन करता हूं कि उन्होने इस ऐतिहासिक घटना को साकार करने के लिए जी-जान से कोशिश की और सफलता पाई..! मुझे पूरा विश्वास है कि एक अभूतपूर्व विश्वास के साथ परिर्वतन का संकल्प लेकर यहां से लाखों लोग महाराष्ट्र की गली-गली में पहुंचेगें..!
भाईयों-बहनों, हम गुजरात वालों के लिए मुम्बई दूसरा घर है..! मैं तो हमेशा अनुभव करता हूं कि गुजराती भाषा का लालन-पालन जिस प्रकार मुम्बई में होता है उसे देखकर लगता है कि मुम्बई गुजराती भाषा का मायका है, इतना अच्छा लालन-पालन होता है..! वैसे भी 1960 के पहले हम दोनों एक ही राज्य के तो हिस्से थे, हम बृहद महाराष्ट्र के हिस्से थे। पचास साल पूर्व हम अलग हुए, महाराष्ट्र हमारा बड़ा भाई है और गुजरात छोटा भाई है..! लेकिन जब गुजरात अलग हुआ तो चर्चा होती थी कि ये राज्य कैसे प्रगति कर पाएगा..! वहां पानी नहीं है, प्राकृतिक सम्पदा नहीं है, उद्योग नहीं है, बड़ा सा रेगिस्तान है, एक तरफ पाकिस्तान है, ऐसे में गुजरात प्रगति कैसे करेगा..! भाईयों-बहनों, जब हम अलग हुए थे तब कुछ नहीं था, लेकिन आज गुजरात ने विकास की नई ऊंचाईयों को प्राप्त कर लिया है और सिद्ध करके दिखाया कि सामान्य मानव का भला हो सकता है, सामान्य मानव का कल्याण हो सकता है और परिस्थितियां पलटी जा सकती है..!
भाईयों-बहनों, मैं गुजरात और महाराष्ट्र की ओर नज़र कर रहा हूं, और शायद मीडिया के मित्रों का भी ध्यान उस ओर नहीं गया होगा, मेरा भी नहीं गया था, क्योंकि कल ही यह बात मेरे ध्यान में आई कि गुजरात ने 1 मई 1960 को स्वतंत्र राज्य के रूप में यात्रा शुरू की थी और महाराष्ट्र ने भी 1 मई 1960 को स्वतंत्र राज्य के रूप में यात्रा शुरू की थी। इतने वर्षो में गुजरात में 14 मुख्यमंत्री बनें और महाराष्ट्र में 26 मुख्यमंत्री बनें..! अब बताइए कि यहां की राजनीति कैसी होगी, यहां की राजनीति के तौर-तरीके कैसे होगें कि इतने ही काल में गुजरात में सिर्फ 14 और महाराष्ट्र में 26 मुख्यमंत्री बने..! एक आता है तो दूसरा उसे भगाने में लगा रहता है..! भाईयों-बहनों, जब तक हम कांग्रेस पार्टी का चरित्र नहीं समझेगें, हमें देश की समस्याओं का समाधान नहीं सूझेगा। देश की समस्याओं का कारण देश की जनता नहीं है, हमारी समस्याओं का कारण हमारा भूगोल नहीं है, हमारी समस्याओं का कारण हमारा इतिहास नहीं है, हमारी समस्याओं का कारण प्राकृतिक सम्पदा नहीं है, हमारी समस्याओं का कारण कांग्रेस शासित सरकारें है..! और इसलिए अगर समस्याओं से मुक्ति चाहिए तो उसका एक ही उपाय है - भारत को कांग्रेस से मुक्त करना होगा, कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को हमें साकार करना होगा..!
मित्रों, ये मुम्बई वही धरती है जहां आजादी के आन्दोलन में अगस्त क्रांति मैदान से एक गूंज उठी थी, एक आवाज उठी थी, एक ललकार दी गई थी - क्वीट इंडिया..! पूरे देश में वो ललकार एक मंत्र बन गया था और आखिरकार अंग्रेजों को हिंदुस्तान छोड़ना पड़ा। इस मुम्बई की धरती से उठी आवाज, क्वीट इंडिया का मंत्र भारत को आजादी दिला गया। भाइयों-बहनों, उसी मुम्बई की धरती से फिर एक बार आवाज उठनी चाहिए - कांग्रेस फ्री इंडिया..! जिस धरती ने क्वीट इंडिया का नारा दिया था, वहीं धरती ललकार रही है - कांग्रेस फ्री इंडिया, कांग्रेस मुक्त भारत..!
भाइयों-बहनों, कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति में डुबी हुई है। वोट बैंक की राजनीति के लिए समाज को तोड़ते रहना, डिवाइड एंड रूल करना, कांग्रेस की विशेषता रही है। अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते कांग्रेस ने डिवाइड एंड रूल सीख लिया है..! देश आजाद हुआ तो देश का बंटवारा करके भारत माता के तीन टुकड़े कर दिए। आजाद हिंदुस्तान को एक तरफ सरदार पटेल ने एक किया, चारों तरफ एकता का मंत्र गूंजा, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाषा व प्रान्त रचना के नाम पर देश में भाई से भाई को लड़ाने का बीज बो दिया। गांव को शहर से लड़ाओ, शहर को गांव से लड़ाओ, नदियों के लिए लड़ो, पानी के लिए मरो..! आज भी देश में कोई ऐसा प्रदेश नहीं है जहां पानी के बंटवारे को लेकर 50-50 साल से लड़ाई न होती आ रही हो। दिल्ली और महाराष्ट्र में बैठी कांग्रेस सरकार, भाई को भाई से लड़ाने में, गांव से गांव को लड़ाने में, जाति-बिरादरियों को लड़ाने में, पंथ और सम्प्रदाय के बीच झगड़ा कराने में नहीं चूकती, इससे उनकी वोट बैंक की राजनीति सुरक्षित रहती है, इसीलिए कांग्रेस पार्टी वोट बैंक की राजनीति में डूबी हुई है। भाइयों-बहनों, हम जब तक वोट बैंक की राजनीति से देश को मुक्त नहीं कराएंगे, देश को विकास की राजनीति के रास्ते पर नहीं ले जाएंगे, देश की समस्याओं का समाधान नहीं होगा..!
भाइयों-बहनों, भारतीय जनता पार्टी ने अपनी आर्थिक नीतियों के द्वारा, अपने राजनीतिक दर्शन के द्वारा, अपनी कार्य संस्कृति के द्वारा ये सिद्ध कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी अपने विकास के मंत्र को समर्पित है, विकास की राजनीति को समर्पित है और विकास के बिना देश के गरीबों का, देश के गांव का, देश के दलितों का, पीडि़तों का, शोषितों का कल्याण नहीं होगा..!
जब भी मैं गुजरात की चर्चा करता हूं तो कुछ लोगों के पेट में दर्द होना शुरू हो जाता है, इसलिए मैं गुजरात की चर्चा नहीं करना चाहता, आज मैं मध्यप्रदेश की चर्चा करना चाहता हूं। मध्यप्रदेश बीमारु राज्य माना जाता था, कांग्रेस पार्टी के शासन ने मध्यप्रदेश को बीमार राज्य बना दिया था, लेकिन शिवराज सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने विकास की यात्रा को आगे बढ़ाया, आज मध्यप्रदेश बीमारु राज्य के कलंक से मुक्त हो गया..! पहले मध्यप्रदेश में खेती या कृषि के क्षेत्र में ज्यादा प्रगति नहीं होती थी, लेकिन शिवराज जी की सरकार ने, भाजपा की मध्यप्रदेश सरकार ने सिंचाई के काम को बल दिया, अधिकतम भूमि में इरीगेशन के लिए धन खर्च किया। किसी ज़माने में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को धान की खेती में नम्बर एक माना जाता था, देश के अन्न भंडार इन राज्यों के अनाज से भरे जाते थे लेकिन आज मैं गर्व से कहता हूं कि आज भाजपा की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयत्नों से इन राज्यों में गेंहू और चावल की ऐतिहासिक पैदावार होती है और इनसे देश के अन्न के भंडार भरने का काम वहां की सरकारों ने किया है, वहां की किसानो ने किया है, वहां के नागरिकों ने किया है..! क्या कारण है कि महाराष्ट्र में सिंचाई के सारे प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार के कलंक के साथ खड्डे में जा गिरे हैं, क्या कारण है कि महाराष्ट्र के किसान को बार-बार अकाल झेलना पड़ता है, क्या कारण है कि महाराष्ट्र के किसान को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है..?
भाइयों-बहनों, अगर महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती, विकास का मंत्र होता तो आज यहां के गांवों की जो दुर्दशा है, किसानों की जो दुर्दशा है, किसानों को जिस प्रकार आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ता है, ऐसे दिन कभी भाजपा के राज्य में नहीं आते..! मेरा किसान सुखी और सम्पन्न होता..! लेकिन भाइयों-बहनों, कांग्रेस पार्टी को विकास की राजनीति में विश्वास नहीं है। मैं तो हैरान हूं कि सरकार कांग्रेस चला रही है, दिल्ली में सरकार कांग्रेस की है, कांग्रेस के नेता सरकार में हो न हो, उन्ही के इशारे पर सारे काम होते हैं, लेकिन जब वही लोग जब भाषण देते हैं तो ऐसा लगता है कि वह किसी और सरकार के लिए बोल रहे हैं, किसी और देश के लिए बोल रहे हैं..! मैने कल कांग्रेस के एक बड़े नेता के भाषण को सुना, वह भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण दे रहे थे, इनकी हिम्मत तो देखिए, कोई ऐसी हिम्मत नहीं कर सकता..! ये भ्रष्टाचार में डुबे हुए लोग, इतने बदनाम लोग है उसके बावजूद भी निर्दोष सा चेहरा बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण दे रहे हैं..! और वक्रता देखिए कि भ्रष्टाचार के आदर्श घोटाला की रिपोर्ट आती है जिसमें महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों को जिम्मेदार माना जाता है, और जहां एक तरफ उन सभी मंत्रियों को बचाने का निर्णय महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार करती है वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में उनका एक नेता उपदेश दे रहा है..!
भाइयों-बहनों, कांग्रेस को समझना होगा, वे बोलते एक हैं और करते दूसरा हैं। वे वोट बैंक की राजनीति के सिवाय कुछ नहीं करते। कांग्रेस की पूरी जिन्दगी सम्प्रदायवाद में डूबी हुई है। माइनोरिटीज्म और सम्प्रदायवाद, कांग्रेस की एक परम्परा रही है। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने पूरे देश में ऐसे 90 जिले छांटे हैं जिनमें मुस्लिम अधिक हो और उनकी भलाई के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित की हैं, बड़ा बजट घोषित किया। हिंदुस्तान के मुसलमान भाईयों को लगने लगा कि चलो अब कुछ भला होगा, अखबारों में भी बहुत कुछ लिखा गया, बड़ी वाह-वाही हुई..! अभी पार्लियामेंट में किसी ने सवाल पूछा कि आपने जिन 90 जिलों के लिए योजनाएं घोषित की थी, उन सभी जिलों में पिछले 3 सालों में माइनोरिटी के लिए क्या खर्च हुआ, तो माइनोरिटी के नाम पर वोट का खेल करने वाली सरकार ने पार्लियामेंट में जबाव दिया कि उस योजना में पिछले तीन सालों में एक रूपया भी खर्च नहीं हुआ है। ये लोग कैसे वोट बैंक की राजनीति करते हैं, ये बात इसका जीता-जागता उदाहरण है..!
गुजरात में ऑक्ट्रोई की परम्परा और व्यवस्था थी, क्योंकि हम महाराष्ट्र से अलग हुए थे। हमारे यहां रिफॉर्म की दृष्टि से हमने तय किया कि ऑक्ट्रोई निकाल देगें और हमने गुजरात से इसे खत्म कर दिया और ऐसा किए हुए 6-7 साल हो गए। महाराष्ट्र में क्या किया गया..? ऑक्ट्रोई खत्म करने के नाम पर लोकल बॉडी टैक्स यानि एलबीटी लगाया गया। क्या आप लोग एलबीटी से परेशान हैं या नहीं..? भाईयों-बहनों, ये एलबीटी कुछ नहीं है, सिर्फ लूट बांट टेक्नीक है..!
दिल्ली में नेता काले धन पर भाषण कर रहे थे। अब आप ही बताएं, सरकार उनकी है तो काले धन को रोकने की जिम्मेदारी भी उनकी ही होगी या नहीं..? हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक को किसी भी अन्य विषय पर ज्ञान हो या न हो, लेकिन उसे इस बात का पता होता है कि हिंदुस्तान में जो चोर-लुटेरे लोग हैं, देश को लूटते हैं, वह अपना काला धन कहां रखते हैं..! आप सभी बताइए-वह काला धन कहां रखा जाता है..? हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे को पता है कि भारत को लूटने वाले ये लोग काले धन को स्वीस बैंक में जमा करते हैं। अब आप ही बताइए, वह काला धन वापस लाना चाहिए या नहीं..? वह लूटा हुआ धन गरीबों के काम आना चाहिए या नहीं..? वह धन गरीबों के हित में खर्च करना चाहिए या नहीं..? गांव, गरीब और किसान के लिए वह रूपया लगना चाहिए या नहीं..? भारतीय जनता पार्टी के सभी एमपी ने आडवाणी जी के नेतृत्व में लिखकर दिया कि भाजपा के नेताओं का एक भी पैसा किसी भी विदेशी बैंक में नहीं है। हम कहते हैं कि कांग्रेस वाले लिखकर दें, वो तैयार नहीं हैं..! जो काले धन पर भाषण झाड़ते हैं उनसे मैं उनको कहना चाहता हूं कि हिम्मत है तो पार्लियामेंट में एक कानून बनाएं, एक समिति बनाएं और तीन साल के अंदर दुनिया के कोने-कोने से हिंदुस्तान से लूटा हुआ पैसा वापस लाकर दें और गरीबों में बांटें..! लेकिन उन्हे यह करना नहीं है, क्योंकि उन्हे मालूम है कि अगर ऐसा किया तो पानी उन्ही के पैरों के नीचे आने वाला है, इसलिए भाषण करना सरल है लेकिन निर्णय करने की ताकत नहीं है क्योंकि उन्ही की पार्टी के लोग इस पाप में डूबे हुए हैं..!
भाइयों-बहनों, मैं दो दिन से अखबार में पढ़ रहा था और टीवी में देख रहा था कि इस कार्यक्रम में चाय वालों को स्पेशल वीआईपी पास दिया गया है। ये परिवर्तन की हवा शुरू हो गई है, आने वाले दिनों में सिर्फ चाय वाला ही नहीं, हिंदुस्तान का हर गरीब वीआईपी होने वाला है..! हमारे लिए सिर्फ चाय वाला वीआईपी नहीं है, बल्कि हर गरीब वीआईपी है..! अभी हमारे आशीष जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी का भाषण चल रहा है और सरकार ने यहां के केवल टीवी बंद करवा दिए हैं..! ये सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं होता है, मेरे लिए तो रोज की मुसीबत है। गैर बीजेपी सरकारों वाली जगहों पर जहां-जहां जाता हूं, उनका यही रास्ता बचा है कि लोग मोदी को टीवी पर देख न लें..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, कान खोलकर सुन लो, मोदी टीवी के पर्दे पर हो न हो, लेकिन देश की जनता के दिल में जगह बना चुका है। आप टीवी के परदे पर ताला लगा सकते हो, लेकिन देशवासियों के दिल में ताला नहीं लगा सकते..!
भाइयों-बहनों, आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। देश का नौजवान रोजगार के लिए तरस रहा है, उसे रोजगार चाहिए, वह मेहनत करने के लिए तैयार है, वह अपना गांव, घर, परिवार छोडकर जाने के लिए तैयार है, अब देश का नौजवान निराशा की गर्त में डूब चुका है। हिंदुस्तान की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है। जिस देश के पास इतनी युवा शक्ति हो, जो देश दुनिया में सबसे युवा हो, वो देश दुनिया में क्या कमाल नहीं कर सकता..! आप सभी बताइए, क्या नौजवानों को रोजगार का अवसर मिलना चाहिए या नहीं..? क्या नौजवानों को काम मिलना चाहिए या नहीं..? नौजवान को सम्मान से जीने का अवसर मिलना चाहिए या नहीं..? लेकिन दिल्ली सरकार की योजनाओं में कहीं नजर नहीं आता है कि हमारे देश का नौजवान सम्मान से जिएं, राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनें, उसको अवसर मिलें..!
भाइयों-बहनों, सारा विश्व स्किल डेवलेपमेंट पर बल दे रहा है अकेला हिंदुस्तान ऐसा देश है जो स्किल डेवलेपमेंट के लिए नई-नई कमेटियां बनाता रहता है, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कमेटियां बनती है और तीन-तीन साल तक कमेटियों की मीटिंग तक नहीं होती है..! भाइयों-बहनों, स्किल डेवलेपमेंट पर बल देना चाहिए, हमारे गरीब मजदूर की डिग्निटी के बारे में सोचना चाहिए। भारत में मंत्र होना चाहिए - श्रम एव जयते..! श्रमिक का सम्मान होना चाहिए, ये हमारे देश का मंत्र होना चाहिए और ऐसा हो भी सकता है। मैं आप सभी को गुजरात का एक उदाहरण देना चाहता हूं कि हम सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति की डिग्निटी के लिए क्या कर सकते हैं और इसमें बजट खर्च नहीं होता है। हमने एक छोटा सा निर्णय किया। गरीब परिवार का बच्चा पढा़ई नहीं कर पाता है तो वह आईटीआई में जाता है, टर्नर बनता है, फीटर बनता है, प्लम्बर बनता है, लेथ मशीन चलाता है, वायरमैन बनता है और ऐसे छोटे-छोटे काम सीखने वाले कोर्सेस करता है और इन्हे करने के बाद नौकरी ढूंढता रहता है..! इस बारे में हमने ऐतिहासिक निर्णय लिया कि जो बच्चा 7 वीं, 8वीं, 9वीं पास है और दो साल आईटीआई कर लेता है तो उसे दसवीं के बराबर माना जाएगा। जो दसवीं के बाद आईटीआई करता है उसे 12 वीं के बराबर माना जाएगा और अगर इसके बाद वह आगे डिप्लोमा इंजीनियरिंग करना चाहता है तो उसी के सहारे जा सकता है। डिप्लोमा में अच्छा करके अगर वह डिग्री इंजीनियरिंग में जाना चाहता है तो उसके लिए कभी भी दरवाजे बंद नहीं होंगे..! इस निर्णय से गरीब मां और विधवा मां के बेटों को अच्छा अवसर मिला है। क्या ये पूरे हिंदुस्तान में नहीं हो सकता है..? लेकिन दिल्ली में बैठी कांग्रेस की सरकार को देश के नौजवानों की न ही चिंता है और न ही परवाह..!
भाइयों-बहनों, इस देश में भयंकर भ्रष्टाचार है, क्या इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलनी चाहिए या नहीं..? क्या भ्रष्टाचार जाना चाहिए, क्या भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए, क्या ऐसा हो सकता है..? मैं आप सभी को उदाहरण देता हूं कि ऐसा हो सकता है। भाइयों-बहनों, मैं गुजरात और महाराष्ट्र के संदर्भ में एक बड़ी मजेदार बात बताता हूं। हमारे गुजरात में भिलाड़ में एक चेकपोस्ट है और आपके महाराष्ट्र में एक चेकपोस्ट अछाड में है। एक ही रोड़ पर एक ओर गुजरात का चेकपोस्ट है और दो किलोमीटर दूर महाराष्ट्र का चेकपोस्ट है। दूसरा, गुजरात में सोनगढ़ में चेकपोस्ट है और महाराष्ट्र में नवापुर में चेकपोस्ट है। उस रास्ते पर जो व्हीकल गुजरात के चेकपोस्ट से गुजरते है, वही व्हीकल महाराष्ट्र के चेकपोस्ट से गुजरते हैं, जितना रेट गुजरात के चेकपोस्ट पर होता है उतना ही रेट महाराष्ट्र के चेकपोस्ट पर होता है, लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के चेकपोस्ट पर फर्क ये है कि हमारे चेकपोस्ट पर टेक्नोलॉजी है, इंर्फोमेशन टेक्नोलॉजी का नेटवर्क है, ह्यूमन इंटरवेंशन कम है, सारे काम मशीन से होते है और महाराष्ट्र में चेकपोस्ट पर सारा काम मैनुअल होता है। इसका परिणाम यह है कि पिछले दस साल में महाराष्ट्र के चेकपोस्ट की इनकम 437 करोड़ है वहीं गुजरात के चेकपोस्ट की इनकम 1470 करोड़ है..! महाराष्ट्र से उसी चेकपोस्ट पर गुजरात की इनकम 1033 करोड़ रूपया ज्यादा है। अब आप ही बताइए कि ये महाराष्ट्र के 1033 करोड़ रूपए कहां गए..? इस बात का कांग्रेस को जबाव देना चाहिए या नहीं, हिसाब देना चाहिए या नहीं..?
भाइयों-बहनों, ऐसा नहीं है कि समस्याओं का समाधान नहीं है। आज कोई भी नौजवान कितनी भी डिग्री वाला क्यूं न हो, हर जगह नौकरी के लिए एप्लाई करता रहता है। मेरे नौजवानों, आप एप्लाई करते हैं, एक्जाम देते हैं, लेकिन क्या नौकरी मिलने का भरोसा है..? मार्क्स अच्छे हैं, एक्जाम दिया है, पेपर अच्छा गया है लेकिन इंटरव्यू से पहले किसी पहचान वाले को ढूंढना पड़ता है, किसी सिफारिश करने वाले को ढूंढना पड़ता है क्योंकि सिफारिश के बिना अच्छे नम्बरों के बावजूद भी नौकरी नहीं मिलनी और सिफारिश के लिए महात्मा गांधी वाले नोटों का बंडल चाहिए, अगर बंडल नहीं तो इंटरव्यू में कुछ नहीं होता..! आप ही बताएं, ऐसी हालत है या नहीं..? गरीब मां का बेटा सिफारिश कहां से लाएगा, विधवा मां का बेटा गांधी छाप नोट कहां से लाएगा, क्या वो ऐसी ही जिन्दगी जिएगा..? भाइयों-बहनों, इसका भी एक उपाय है..! हमने गुजरात में एक प्रयोग किया। हमें 13,000 टीचर्स की भर्ती करनी थी, तो हमने तय किया कि हम कोई इंटरव्यू नहीं लेगें, सभी को कह दिया कि इतनी-इतनी जानकारी कम्प्यूटर में डाल दीजिए, सारे आवेदन करने वाले लाखों नौजवानों ने अपनी जानकारी कम्प्यूटर में डाल दी, बाद में कम्प्यूटर से सबसे अच्छे मार्क्स वाले 13,000 लोगों की लिस्ट निकाल ली गई, उन सभी के घर नौकरी का आर्डर चला गया और आज वह सभी टीचर बनकर काम कर रहे हैं..! कौन कहता है कि भ्रष्टाचार नहीं जा सकता है..? भाइयों-बहनों, अगर एक बार देश तय कर लें कि हमें इन परिस्थितियों को पलटना है तो स्थितियां बदली जा सकती हैं..!
भाइयों-बहनों, क्या आपको महाराष्ट्र में 24 घंटे बिजली मिलती है..? क्या यहां के गांवों में बिजली आती है..? नहीं आती है ना..! आपके पड़ोस में गुजरात है जहां 365 दिन और 24 घंटे बिजली मिलती है..! मैं कभी-कभी सापुतारा से बाय रोड़ शिरड़ी गया, नासिक गया, तो देखा कि रास्ते में गांवों के सारे बोर्ड एक जैसे हैं। मैने वहां पूछा कि ये गांव महाराष्ट्र का है या गुजरात का इसका पता कैसे चलता है, तो लोगों ने कहा कि इसके लिए बोर्ड देखने की जरूरत नहीं है, जिस गांव में अंधेरा है वह महाराष्ट्र का है और जिस गांव में उजाला है वह गुजरात का है..! ऐसा क्यूं है..? इसका कारण है, सरकार की नीतियां जिम्मेवार है..!
भाइयों-बहनों, आपको पता होगा कि गुजरात में नर्मदा नदी के ऊपर सरदार सरोवर डैम बना है, उस डैम में बिजली भी पैदा हो रही है और उस बिजली के कुछ हिस्से पर महाराष्ट्र का भी अधिकार है। जितनी ज्यादा बिजली पैदा होगी, उतनी ज्यादा बिजली महाराष्ट्र को मिलेगी। लेकिन बिजली पैदा करने के लिए पानी चाहिए, अब सरदार सरोवर डैम पर सारा कंस्ट्रक्शन हो चुका है, सिर्फ गेट लगाना बाकी है, लेकिन पिछले 5 सालों से दिल्ली की सरकार राजनीतिक कारणों से गेट खड़े करने की परमिशन नहीं देती है..! मैने प्रधानमंत्री से कहा कि गेट लगाने दीजिए, अगर आपको लगता है कि इसके लगने से किसी गांव में पानी भरने की समस्या होगी तो गेट बंद नहीं करेगें, पानी को निकलने देगें लेकिन गेट लगाने दीजिए, क्योंकि वह गेट इतने बड़े है कि लगाने में भी तीन साल लग जाएंगे..! सारे गेट तैयार पड़े हैं, लेकिन 6 साल से परमिशन नहीं मिल रही है। अगर मुझे दिल्ली की सरकार गेट लगाने की परमिशन दे दें, और आप यहां के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार पर दबाव डालें और अगर सरदार सरोवर पर सारे गेट लग जाएं तो महाराष्ट्र की सरकार को हर वर्ष मुफ्त में 400 करोड़ रूपए की बिजली मिल सकती है। भाइयों-बहनों, हम देने को तैयार हैं और इनको लेने की फुर्सत नहीं है..!
भाइयों-बहनों, अगर हम चाहें कि विकास करना है तो विकास हो सकता है। इन दिनों देश के सामने सबसे बड़ी समस्या गुड गवर्नेंस की है। स्वराज मिला लेकिन सुराज्य नहीं मिला, सुशासन नहीं मिला..! इसी महाराष्ट्र की धरती से लोकमान्य तिलक ने एक मंत्र दिया था - स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। इस मंत्र को लेकर देश लड़ता रहा और स्वराज मिला। आज समय की मांग है कि हम सभी ललकार करें कि - सुराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है..! आजादी के पहले स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार था, आजादी के बाद सुराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। आज सारी समस्या की जड़ हमारा बैड गवर्नेंस है..!
भाइयों-बहनों, शरीर कितना ही स्वस्थ क्यूं न हो, कितना ही मजबूत दिखता हो, वजन अच्छा हो, ऊंचाई अच्छी हो, नींद बढि़या आती हो, सांस सही चलती हो, सब कुछ ठीक हो, लेकिन अगर एक बार डायबटीज हो जाए तो दिखने में कोई फर्क नहीं पड़ता, परन्तु शरीर बारी-बारी से सैकड़ों बीमारियों का घर बन जाता है, शरीर में सैकड़ों बीमारियां घुस जाती हैं, धीरे-धीरे सारा शरीर नष्ट हो जाता है, ये बैड गवर्नेंस भी डायबटीज जैसा है..! राज्य के अंदर बैड गर्वेनेंस भी डायबटीज की तरह हर प्रकार की बीमारियों का कारण बन जाता है। और इसलिए मित्रों, जब तक हम सुशासन की राजनीति को नहीं करेंगे, सुशासन को लेकर नहीं चलेगें, तब तक देश का भला नहीं कर पाएंगे। इसलिए आज जब मैं आपके पास आया हूं तो गुड गवर्नेंस पर बल देने की बात करता हूं..!
भाइयों-बहनों, आप देखिए कि दो विजन में क्या फर्क होता है..! आप देखिए, एक तरफ भारत की आन-बान-शान आईएनएस विक्रान्त, जिस पर पूरे हिंदुस्तान की सेना गर्व करती है, युद्ध के मैदान में भारत को गौरव दिलाने वाले आईएनएस विक्रान्त को, ऐसी ऐतिहासिक धरोहर को दिल्ली की सरकार टुकड़े-टुकड़े करने पर तुली हुई है, उसके टुकड़े करके बेचने की योजना बना रही है। वहीं दूसरी तरफ गुजरात की सोच देखिए कि हम हिंदुस्तान के कोने-कोने से लोहे का टुकड़ा-टुकड़ा इक्ट्ठा करके एक भव्य इमारत का निर्माण करने का सपना देख रहे हैं, इतिहास की धरोहर पैदा करने का सपना देख रहे हैं..! हम टुकड़े लाकर एकता का स्वप्न साकार करना चाहते हैं, इतिहास की विरासत को जिंदा करना चाहते हैं और ये लोग इतिहास की विरासत के टुकड़े-टुकड़े करके बांटने की योजना कर रहे हैं, ये विजन का फर्क होता है..!
भाइयों-बहनों, आज जब मैं मुम्बई की धरती पर आया हूं तो बॉलीवुड को याद करना चाहता हूं, फिल्म इंड्रस्ट्री को याद करना चाहता हूं। भाइयों-बहनों, ये फिल्म इंडस्ट्री का शताब्दी वर्ष है। दुनिया में ऐसा कहीं नहीं होता कि इतनी भाषाओं और इतनी मात्रा में फिल्में बनती हों। हमारे पास एक अनमोल खजाना है, एक अनमोल ताकत है। अगर विजन होता, समझदारी होती और दिल्ली व महाराष्ट्र की सरकार ने शताब्दी वर्ष पर फिल्म इंडस्ट्री को नई ऊंचाईओं पर ले जाने का एक महत्वपूर्ण मुकाम़ बनाया होता, सेमिनार हुए होते, टेक्नोलॉजी के संदर्भ में बातें हुई होती, भारत के निर्माण में उनके योगदान पर बातें हुई होती, नए सपने देखे गए होते..! भाइयों-बहनों, इतनी फिल्में बनती हैं उसके हिसाब से एक फिल्म यूनीवर्सिटी होनी चाहिए या नहीं..? फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक फुल फ्लेज्ड यूनीवर्सिटी, ह्यूमन रिसोर्स डेवलेपमेंट के लिए, टेक्नोलॉजिकल रिसर्च के लिए, हिस्ट्री की रिसर्च के लिए एक यूनीवर्सिटी होनी चाहिए या नहीं..? लेकिन भाइयों-बहनों, वोटबैंक की राजनीति में डूबे हुए लोगों ने इतने महत्वपूर्ण अवसर को भी खो दिया..!
भाइयों-बहनों, आज मैं आप सभी को एक नारा बुलवाना चाहता हूं, बोलिएगा और पूरी ताकत से बोलिएगा..! देखिए, चुनाव में दल के लिए वोट मांगे जाते हैं, देश में इतने सारे चुनाव हुए और सभी में दल के लिए वोट मांगे गए, लेकिन मैं चाहता हूं कि 2014 के चुनाव में में दल के लिए वोट न मांगा जाएं, बल्कि देश के लिए वोट मांगा जाएं..! दल से बड़ा देश होता है, इसलिए हम एक मंत्र देना चाहते हैं, मुम्बई से उठी हुई आवाज को हिंदुस्तान तक पहुंचाना चाहते हैं कि 2014 के चुनाव में दल के लिए नहीं, देश के लिए वोट करिए..! वोट फॉर इंडिया..! भाइयों-बहनों, मैं आगे-आगे बोलूंगा और आप पीछे से बोलिएगा - वोट फॉर इंडिया..! वंशवाद से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भाई-भतीजेवाद से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, महंगाई से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, कुशासन से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भारत की एकता के लिए - वोट फॉर इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, सुराज की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, सुशासन की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, विकास की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, देश की रक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया, जन-जन की सुरक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया, रहने को मकाने के लिए - वोट फॉर इंडिया, खाने के अन्न के लिए - वोट फॉर इंडिया, बीमार की दवाई के लिए - वोट फॉर इंडिया, दरिद्र नारायण की भलाई के लिए - वोट फॉर इंडिया, शिक्षा में सुधार के लिए - वोट फॉर इंडिया, युवाओं को रोजगार के लिए - वोट फॉर इंडिया, नारी के सम्मान के लिए - वोट फॉर इंडिया, किसानों के कल्याण के लिए - वोट फॉर इंडिया, स्वावलंबी भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, शक्तिशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, समृद्धशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, प्रगतिशील भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया..! भाइयों-बहनों, ‘वोट फॉर इंडिया’, इस मंत्र के साथ हम देश के कोने-कोने में पहुंचेगें..!
भाइयों-बहनों, आप सभी पूरी ताकत से दोनों मुठ्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए,भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!
वंदे मातरम्...! वंदे मातरम्...! वंदे मातरम्...!