मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी, आदरणीय नितिन गडकरी जी, श्रीमान गोपीनाथ जी मुंडे, श्री राजीव प्रताप रूडी जी, श्रीमान देवेन्‍द्र जी, श्रीमान एकनाथ खडसे जी, भाई विनोद तावड़े जी, भाई आशीष शेलार जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ नेतागण और छत्रपति शिवराय, डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर, छत्रपति शाहू, महात्‍मा फूले के महाराष्‍ट्र को मेरा नमस्‍कार..!

मुझे विश्वास है कि कांग्रेस मुक्‍त भारत के स्वप्न को सिद्ध करने के लिए महाराष्ट्र आगे आएगा..! भाईयों-बहनों, शायद मुम्‍बई के इतिहास में ऐसा विराट दृश्‍य देखने का सौभाग्य पहले कभी किसी को नहीं मिला होगा..! जहां तक नज़र पहुंच रही है, सिर्फ माथे ही माथे नजर आ रहे हैं..! मैं महाराष्‍ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी, मुम्‍बई प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का अनेक-अनेक अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होने इस ऐतिहासिक घटना को साकार करने के लिए जी-जान से कोशिश की और सफलता पाई..! मुझे पूरा विश्‍वास है कि एक अभूतपूर्व विश्‍वास के साथ परिर्वतन का संकल्‍प लेकर यहां से लाखों लोग महाराष्‍ट्र की गली-गली में पहुंचेगें..!

भाईयों-बहनों, हम गुजरात वालों के लिए मुम्‍बई दूसरा घर है..! मैं तो हमेशा अनुभव करता हूं कि गुजराती भाषा का लालन-पालन जिस प्रकार मुम्‍बई में होता है उसे देखकर लगता है कि मुम्‍बई गुजराती भाषा का मायका है, इतना अच्‍छा लालन-पालन होता है..! वैसे भी 1960 के पहले हम दोनों एक ही राज्‍य के तो हिस्‍से थे, हम बृहद महाराष्‍ट्र के हिस्‍से थे। पचास साल पूर्व हम अलग हुए, महाराष्‍ट्र हमारा बड़ा भाई है और गुजरात छोटा भाई है..! लेकिन जब गुजरात अलग हुआ तो चर्चा होती थी कि ये राज्‍य कैसे प्रगति कर पाएगा..! वहां पानी नहीं है, प्राकृतिक सम्पदा नहीं है, उद्योग नहीं है, बड़ा सा रेगिस्‍तान है, एक तरफ पाकिस्‍तान है, ऐसे में गुजरात प्रगति कैसे करेगा..! भाईयों-बहनों, जब हम अलग हुए थे तब कुछ नहीं था, लेकिन आज गुजरात ने विकास की नई ऊंचाईयों को प्राप्‍त कर लिया है और सिद्ध करके दिखाया कि सामान्‍य मानव का भला हो सकता है, सामान्‍य मानव का कल्‍याण हो सकता है और परिस्थितियां पलटी जा सकती है..!

भाईयों-बहनों, मैं गुजरात और महाराष्‍ट्र की ओर नज़र कर रहा हूं, और शायद मीडिया के मित्रों का भी ध्‍यान उस ओर नहीं गया होगा, मेरा भी नहीं गया था, क्‍योंकि कल ही यह बात मेरे ध्‍यान में आई कि गुजरात ने 1 मई 1960 को स्‍वतंत्र राज्‍य के रूप में यात्रा शुरू की थी और महाराष्‍ट्र ने भी 1 मई 1960 को स्‍वतंत्र राज्‍य के रूप में यात्रा शुरू की थी। इतने वर्षो में गुजरात में 14 मुख्‍यमंत्री बनें और महाराष्‍ट्र में 26 मुख्‍यमंत्री बनें..! अब बताइए कि यहां की राजनीति कैसी होगी, यहां की राजनीति के तौर-तरीके कैसे होगें कि इतने ही काल में गुजरात में सिर्फ 14 और महाराष्‍ट्र में 26 मुख्‍यमंत्री बने..! एक आता है तो दूसरा उसे भगाने में लगा रहता है..! भाईयों-बहनों, जब तक हम कांग्रेस पार्टी का चरित्र नहीं समझेगें, हमें देश की समस्‍याओं का समाधान नहीं सूझेगा। देश की समस्‍याओं का कारण देश की जनता नहीं है, हमारी समस्‍याओं का कारण हमारा भूगोल नहीं है, हमारी समस्‍याओं का कारण हमारा इतिहास नहीं है, हमारी समस्‍याओं का कारण प्राकृतिक सम्‍पदा नहीं है, हमारी समस्‍याओं का कारण कांग्रेस शासित सरकारें है..! और इसलिए अगर समस्‍याओं से मुक्ति चाहिए तो उसका एक ही उपाय है - भारत को कांग्रेस से मुक्‍त करना होगा, कांग्रेस मुक्‍त भारत के सपने को हमें साकार करना होगा..!

मित्रों, ये मुम्‍बई वही धरती है जहां आजादी के आन्‍दोलन में अगस्‍त क्रांति मैदान से एक गूंज उठी थी, एक आवाज उठी थी, एक ललकार दी गई थी - क्‍वीट इंडिया..! पूरे देश में वो ललकार एक मंत्र बन गया था और आखिरकार अंग्रेजों को हिंदुस्‍तान छोड़ना पड़ा। इस मुम्‍बई की धरती से उठी आवाज, क्वीट इंडिया का मंत्र भारत को आजादी दिला गया। भाइयों-बहनों, उसी मुम्‍बई की धरती से फिर एक बार आवाज उठनी चाहिए - कांग्रेस फ्री इंडिया..! जिस धरती ने क्‍वीट इंडिया का नारा दिया था, वहीं धरती ललकार रही है - कांग्रेस फ्री इंडिया, कांग्रेस मुक्‍त भारत..!

भाइयों-बहनों, कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति में डुबी हुई है। वोट बैंक की राजनीति के लिए समाज को तोड़ते रहना, डिवाइड एंड रूल करना, कांग्रेस की विशेषता रही है। अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते कांग्रेस ने डिवाइड एंड रूल सीख लिया है..! देश आजाद हुआ तो देश का बंटवारा करके भारत माता के तीन टुकड़े कर दिए। आजाद हिंदुस्‍तान को एक तरफ सरदार पटेल ने एक किया, चारों तरफ एकता का मंत्र गूंजा, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाषा व प्रान्‍त रचना के नाम पर देश में भाई से भाई को लड़ाने का बीज बो दिया। गांव को शहर से लड़ाओ, शहर को गांव से लड़ाओ, नदियों के लिए लड़ो, पानी के लिए मरो..! आज भी देश में कोई ऐसा प्रदेश नहीं है जहां पानी के बंटवारे को लेकर 50-50 साल से लड़ाई न होती आ रही हो। दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में बैठी कांग्रेस सरकार, भाई को भाई से लड़ाने में, गांव से गांव को लड़ाने में, जाति-बिरादरियों को लड़ाने में, पंथ और सम्‍प्रदाय के बीच झगड़ा कराने में नहीं चूकती, इससे उनकी वोट बैंक की राजनीति सुरक्षित रहती है, इसीलिए कांग्रेस पार्टी वोट बैंक की राजनीति में डूबी हुई है। भाइयों-बहनों, हम जब तक वोट बैंक की राजनीति से देश को मुक्‍त नहीं कराएंगे, देश को विकास की राजनीति के रास्‍ते पर नहीं ले जाएंगे, देश की समस्‍याओं का समाधान नहीं होगा..!

भाइयों-बहनों, भारतीय जनता पार्टी ने अपनी आर्थिक नीतियों के द्वारा, अपने राजनीतिक दर्शन के द्वारा, अपनी कार्य संस्‍कृति के द्वारा ये सिद्ध कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी अपने विकास के मंत्र को समर्पित है, विकास की राजनीति को समर्पित है और विकास के बिना देश के गरीबों का, देश के गांव का, देश के दलितों का, पीडि़तों का, शोषितों का कल्‍याण नहीं होगा..!

जब भी मैं गुजरात की चर्चा करता हूं तो कुछ लोगों के पेट में दर्द होना शुरू हो जाता है, इसलिए मैं गुजरात की चर्चा नहीं करना चाहता, आज मैं मध्‍यप्रदेश की चर्चा करना चाहता हूं। मध्‍यप्रदेश बीमारु राज्‍य माना जाता था, कांग्रेस पार्टी के शासन ने मध्‍यप्रदेश को बीमार राज्‍य बना दिया था, लेकिन शिवराज सिंह के नेतृत्‍व में भारतीय जनता पार्टी ने विकास की यात्रा को आगे बढ़ाया, आज मध्‍यप्रदेश बीमारु राज्‍य के कलंक से मुक्‍त हो गया..! पहले मध्‍यप्रदेश में खेती या कृषि के क्षेत्र में ज्‍यादा प्रगति नहीं होती थी, लेकिन शिवराज जी की सरकार ने, भाजपा की मध्‍यप्रदेश सरकार ने सिंचाई के काम को बल दिया, अधिकतम भूमि में इरीगेशन के लिए धन खर्च किया। किसी ज़माने में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश को धान की खेती में नम्‍बर एक माना जाता था, देश के अन्‍न भंडार इन राज्‍यों के अनाज से भरे जाते थे लेकिन आज मैं गर्व से कहता हूं कि आज भाजपा की मध्‍यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयत्‍नों से इन राज्‍यों में गेंहू और चावल की ऐतिहासिक पैदावार होती है और इनसे देश के अन्‍न के भंडार भरने का काम वहां की सरकारों ने किया है, वहां की किसानो ने किया है, वहां के नागरिकों ने किया है..! क्‍या कारण है कि महाराष्‍ट्र में सिंचाई के सारे प्रोजेक्‍ट भ्रष्‍टाचार के कलंक के साथ खड्डे में जा गिरे हैं, क्‍या कारण है कि महाराष्‍ट्र के किसान को बार-बार अकाल झेलना पड़ता है, क्‍या कारण है कि महाराष्‍ट्र के किसान को आत्‍महत्‍या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है..?

भाइयों-बहनों, अगर महाराष्‍ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती, विकास का मंत्र होता तो आज यहां के गांवों की जो दुर्दशा है, किसानों की जो दुर्दशा है, किसानों को जिस प्रकार आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर होना पड़ता है, ऐसे दिन कभी भाजपा के राज्‍य में नहीं आते..! मेरा किसान सुखी और सम्‍पन्‍न होता..! लेकिन भाइयों-बहनों, कांग्रेस पार्टी को विकास की राजनीति में विश्‍वास नहीं है। मैं तो हैरान हूं कि सरकार कांग्रेस चला रही है, दिल्‍ली में सरकार कांग्रेस की है, कांग्रेस के नेता सरकार में हो न हो, उन्‍ही के इशारे पर सारे काम होते हैं, लेकिन जब वही लोग जब भाषण देते हैं तो ऐसा लगता है कि वह किसी और सरकार के लिए बोल रहे हैं, किसी और देश के लिए बोल रहे हैं..! मैने कल कांग्रेस के एक बड़े नेता के भाषण को सुना, वह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ भाषण दे रहे थे, इनकी हिम्‍मत तो देखिए, कोई ऐसी हिम्‍मत नहीं कर सकता..! ये भ्रष्‍टाचार में डुबे हुए लोग, इतने बदनाम लोग है उसके बावजूद भी निर्दोष सा चेहरा बनाकर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ भाषण दे रहे हैं..! और वक्रता देखिए कि भ्रष्‍टाचार के आदर्श घोटाला की रिपोर्ट आती है जिसमें महाराष्‍ट्र सरकार के मंत्रियों को जिम्‍मेदार माना जाता है, और जहां एक तरफ उन सभी मंत्रियों को बचाने का निर्णय महाराष्‍ट्र की कांग्रेस सरकार करती है वहीं दूसरी तरफ दिल्‍ली में उनका एक नेता उपदेश दे रहा है..!

भाइयों-बहनों, कांग्रेस को समझना होगा, वे बोलते एक हैं और करते दूसरा हैं। वे वोट बैंक की राजनीति के सिवाय कुछ नहीं करते। कांग्रेस की पूरी जिन्‍दगी सम्‍प्रदायवाद में डूबी हुई है। माइनोरिटीज्‍म और सम्‍प्रदायवाद, कांग्रेस की एक परम्‍परा रही है। डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने पूरे देश में ऐसे 90 जिले छांटे हैं जिनमें मुस्लिम अधिक हो और उनकी भलाई के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित की हैं, बड़ा बजट घोषित किया। हिंदुस्‍तान के मुसलमान भाईयों को लगने लगा कि चलो अब कुछ भला होगा, अखबारों में भी बहुत कुछ लिखा गया, बड़ी वाह-वाही हुई..! अभी पार्लियामेंट में किसी ने सवाल पूछा कि आपने जिन 90 जिलों के लिए योजनाएं घोषित की थी, उन सभी जिलों में पिछले 3 सालों में माइनोरिटी के लिए क्‍या खर्च हुआ, तो माइनोरिटी के नाम पर वोट का खेल करने वाली सरकार ने पार्लियामेंट में जबाव दिया कि उस योजना में पिछले तीन सालों में एक रूपया भी खर्च नहीं हुआ है। ये लोग कैसे वोट बैंक की राजनीति करते हैं, ये बात इसका जीता-जागता उदाहरण है..!

गुजरात में ऑक्ट्रोई की परम्‍परा और व्‍यवस्‍था थी, क्‍योंकि हम महाराष्‍ट्र से अलग हुए थे। हमारे यहां रिफॉर्म की दृष्टि से हमने तय किया कि ऑक्ट्रोई निकाल देगें और हमने गुजरात से इसे खत्‍म कर दिया और ऐसा किए हुए 6-7 साल हो गए। महाराष्‍ट्र में क्‍या किया गया..? ऑक्ट्रोई खत्‍म करने के नाम पर लोकल बॉडी टैक्‍स यानि एलबीटी लगाया गया। क्‍या आप लोग एलबीटी से परेशान हैं या नहीं..? भाईयों-बहनों, ये एलबीटी कुछ नहीं है, सिर्फ लूट बांट टेक्‍नीक है..!

दिल्‍ली में नेता काले धन पर भाषण कर रहे थे। अब आप ही बताएं, सरकार उनकी है तो काले धन को रोकने की जिम्‍मेदारी भी उनकी ही होगी या नहीं..? हिंदुस्‍तान के किसी भी नागरिक को किसी भी अन्‍य विषय पर ज्ञान हो या न हो, लेकिन उसे इस बात का पता होता है कि हिंदुस्‍तान में जो चोर-लुटेरे लोग हैं, देश को लूटते हैं, वह अपना काला धन कहां रखते हैं..! आप सभी बताइए-वह काला धन कहां रखा जाता है..? हिंदुस्‍तान के बच्‍चे-बच्‍चे को पता है कि भारत को लूटने वाले ये लोग काले धन को स्‍वीस बैंक में जमा करते हैं। अब आप ही बताइए, वह काला धन वापस लाना चाहिए या नहीं..? वह लूटा हुआ धन गरीबों के काम आना चाहिए या नहीं..? वह धन गरीबों के हित में खर्च करना चाहिए या नहीं..? गांव, गरीब और किसान के लिए वह रूपया लगना चाहिए या नहीं..? भारतीय जनता पार्टी के सभी एमपी ने आडवाणी जी के नेतृत्‍व में लिखकर दिया कि भाजपा के नेताओं का एक भी पैसा किसी भी विदेशी बैंक में नहीं है। हम कहते हैं कि कांग्रेस वाले लिखकर दें, वो तैयार नहीं हैं..! जो काले धन पर भाषण झाड़ते हैं उनसे मैं उनको कहना चाहता हूं कि हिम्‍मत है तो पार्लियामेंट में एक कानून बनाएं, एक समिति बनाएं और तीन साल के अंदर दुनिया के कोने-कोने से हिंदुस्‍तान से लूटा हुआ पैसा वापस लाकर दें और गरीबों में बांटें..! लेकिन उन्‍हे यह करना नहीं है, क्‍योंकि उन्‍हे मालूम है कि अगर ऐसा किया तो पानी उन्‍ही के पैरों के नीचे आने वाला है, इसलिए भाषण करना सरल है लेकिन निर्णय करने की ताकत नहीं है क्‍योंकि उन्‍ही की पार्टी के लोग इस पाप में डूबे हुए हैं..!

भाइयों-बहनों, मैं दो दिन से अखबार में पढ़ रहा था और टीवी में देख रहा था कि इस कार्यक्रम में चाय वालों को स्‍पेशल वीआईपी पास दिया गया है। ये परिवर्तन की हवा शुरू हो गई है, आने वाले दिनों में सिर्फ चाय वाला ही नहीं, हिंदुस्तान का हर गरीब वीआईपी होने वाला है..! हमारे लिए सिर्फ चाय वाला वीआईपी नहीं है, बल्कि हर गरीब वीआईपी है..! अभी हमारे आशीष जी शिकायत कर रहे थे कि मोदी जी का भाषण चल रहा है और सरकार ने यहां के केवल टीवी बंद करवा दिए हैं..! ये सिर्फ महाराष्‍ट्र में नहीं होता है, मेरे लिए तो रोज की मुसीबत है। गैर बीजेपी सरकारों वाली जगहों पर जहां-जहां जाता हूं, उनका यही रास्‍ता बचा है कि लोग मोदी को टीवी पर देख न लें..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, कान खोलकर सुन लो, मोदी टीवी के पर्दे पर हो न हो, लेकिन देश की जनता के दिल में जगह बना चुका है। आप टीवी के परदे पर ताला लगा सकते हो, लेकिन देशवासियों के दिल में ताला नहीं लगा सकते..!

भाइयों-बहनों, आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्‍या बेरोजगारी है। देश का नौजवान रोजगार के लिए तरस रहा है, उसे रोजगार चाहिए, वह मेहनत करने के लिए तैयार है, वह अपना गांव, घर, परिवार छोडकर जाने के लिए तैयार है, अब देश का नौजवान निराशा की गर्त में डूब चुका है। हिंदुस्‍तान की 65% जनसंख्‍या 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है। जिस देश के पास इतनी युवा शक्ति हो, जो देश दुनिया में सबसे युवा हो, वो देश दुनिया में क्‍या कमाल नहीं कर सकता..! आप सभी बताइए, क्‍या नौजवानों को रोजगार का अवसर मिलना चाहिए या नहीं..? क्‍या नौजवानों को काम मिलना चाहिए या नहीं..? नौजवान को सम्‍मान से जीने का अवसर मिलना चाहिए या नहीं..? लेकिन दिल्‍ली सरकार की योजनाओं में कहीं नजर नहीं आता है कि हमारे देश का नौजवान सम्‍मान से जिएं, राष्‍ट्र के निर्माण में भागीदार बनें, उसको अवसर मिलें..!

भाइयों-बहनों, सारा विश्‍व स्किल डेवलेपमेंट पर बल दे रहा है अकेला हिंदुस्‍तान ऐसा देश है जो स्किल डेवलेपमेंट के लिए नई-नई कमेटियां बनाता रहता है, प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में कमेटियां बनती है और तीन-तीन साल तक कमेटियों की मीटिंग तक नहीं होती है..! भाइयों-बहनों, स्किल डेवलेपमेंट पर बल देना चाहिए, हमारे गरीब मजदूर की डिग्‍निटी के बारे में सोचना चाहिए। भारत में मंत्र होना चाहिए - श्रम एव जयते..! श्रमिक का सम्‍मान होना चाहिए, ये हमारे देश का मंत्र होना चाहिए और ऐसा हो भी सकता है। मैं आप सभी को गुजरात का एक उदाहरण देना चाहता हूं कि हम सामान्‍य जीवन जीने वाले व्‍यक्ति की डिग्‍निटी के लिए क्‍या कर सकते हैं और इसमें बजट खर्च नहीं होता है। हमने एक छोटा सा निर्णय किया। गरीब परिवार का बच्‍चा पढा़ई नहीं कर पाता है तो वह आईटीआई में जाता है, टर्नर बनता है, फीटर बनता है, प्‍लम्‍बर बनता है, लेथ मशीन चलाता है, वायरमैन बनता है और ऐसे छोटे-छोटे काम सीखने वाले कोर्सेस करता है और इन्‍हे करने के बाद नौकरी ढूंढता रहता है..! इस बारे में हमने ऐतिहासिक निर्णय लिया कि जो बच्‍चा 7 वीं, 8वीं, 9वीं पास है और दो साल आईटीआई कर लेता है तो उसे दसवीं के बराबर माना जाएगा। जो दसवीं के बाद आईटीआई करता है उसे 12 वीं के बराबर माना जाएगा और अगर इसके बाद वह आगे डिप्‍लोमा इंजीनियरिंग करना चाहता है तो उसी के सहारे जा सकता है। डिप्‍लोमा में अच्‍छा करके अगर वह डिग्री इंजीनियरिंग में जाना चाहता है तो उसके लिए कभी भी दरवाजे बंद नहीं होंगे..! इस निर्णय से गरीब मां और विधवा मां के बेटों को अच्‍छा अवसर मिला है। क्या ये पूरे हिंदुस्तान में नहीं हो सकता है..? लेकिन दिल्‍ली में बैठी कांग्रेस की सरकार को देश के नौजवानों की न ही चिंता है और न ही परवाह..!

भाइयों-बहनों, इस देश में भयंकर भ्रष्‍टाचार है, क्या इस देश को भ्रष्‍टाचार से मुक्ति मिलनी चाहिए या नहीं..? क्‍या भ्रष्‍टाचार जाना चाहिए, क्‍या भ्रष्‍टाचार खत्‍म होना चाहिए, क्‍या ऐसा हो सकता है..? मैं आप सभी को उदाहरण देता हूं कि ऐसा हो सकता है। भाइयों-बहनों, मैं गुजरात और महाराष्‍ट्र के संदर्भ में एक बड़ी मजेदार बात बताता हूं। हमारे गुजरात में भिलाड़ में एक चेकपोस्‍ट है और आपके महाराष्‍ट्र में एक चेकपोस्‍ट अछाड में है। एक ही रोड़ पर एक ओर गुजरात का चेकपोस्‍ट है और दो किलोमीटर दूर महाराष्‍ट्र का चेकपोस्‍ट है। दूसरा, गुजरात में सोनगढ़ में चेकपोस्‍ट है और महाराष्‍ट्र में नवापुर में चेकपोस्‍ट है। उस रास्‍ते पर जो व्‍हीकल गुजरात के चेकपोस्‍ट से गुजरते है, वही व्‍हीकल महाराष्‍ट्र के चेकपोस्‍ट से गुजरते हैं, जितना रेट गुजरात के चेकपोस्‍ट पर होता है उतना ही रेट महाराष्‍ट्र के चेकपोस्‍ट पर होता है, लेकिन गुजरात और महाराष्‍ट्र के चेकपोस्‍ट पर फर्क ये है कि हमारे चेकपोस्‍ट पर टेक्‍नोलॉजी है, इंर्फोमेशन टेक्‍नोलॉजी का नेटवर्क है, ह्यूमन इंटरवेंशन कम है, सारे काम मशीन से होते है और महाराष्‍ट्र में चेकपोस्‍ट पर सारा काम मैनुअल होता है। इसका परिणाम यह है कि पिछले दस साल में महाराष्‍ट्र के चेकपोस्‍ट की इनकम 437 करोड़ है वहीं गुजरात के चेकपोस्‍ट की इनकम 1470 करोड़ है..! महाराष्‍ट्र से उसी चेकपोस्‍ट पर गुजरात की इनकम 1033 करोड़ रूपया ज्‍यादा है। अब आप ही बताइए कि ये महाराष्‍ट्र के 1033 करोड़ रूपए कहां गए..? इस बात का कांग्रेस को जबाव देना चाहिए या नहीं, हिसाब देना चाहिए या नहीं..?

भाइयों-बहनों, ऐसा नहीं है कि समस्‍याओं का समाधान नहीं है। आज कोई भी नौजवान कितनी भी डिग्री वाला क्‍यूं न हो, हर जगह नौकरी के लिए एप्‍लाई करता रहता है। मेरे नौजवानों, आप एप्‍लाई करते हैं, एक्‍जाम देते हैं, लेकिन क्‍या नौकरी मिलने का भरोसा है..? मार्क्‍स अच्‍छे हैं, एक्‍जाम दिया है, पेपर अच्‍छा गया है लेकिन इंटरव्यू से पहले किसी पहचान वाले को ढूंढना पड़ता है, किसी सिफारिश करने वाले को ढूंढना पड़ता है क्‍योंकि सिफारिश के बिना अच्‍छे नम्‍बरों के बावजूद भी नौकरी नहीं मिलनी और सिफारिश के लिए महात्‍मा गांधी वाले नोटों का बंडल चाहिए, अगर बंडल नहीं तो इंटरव्यू में कुछ नहीं होता..! आप ही बताएं, ऐसी हालत है या नहीं..? गरीब मां का बेटा सिफारिश कहां से लाएगा, विधवा मां का बेटा गांधी छाप नोट कहां से लाएगा, क्‍या वो ऐसी ही जिन्‍दगी जिएगा..? भाइयों-बहनों, इसका भी एक उपाय है..! हमने गुजरात में एक प्रयोग किया। हमें 13,000 टीचर्स की भर्ती करनी थी, तो हमने तय किया कि हम कोई इंटरव्यू नहीं लेगें, सभी को कह दिया कि इतनी-इतनी जानकारी कम्‍प्‍यूटर में डाल दीजिए, सारे आवेदन करने वाले लाखों नौजवानों ने अपनी जानकारी कम्‍प्‍यूटर में डाल दी, बाद में कम्‍प्‍यूटर से सबसे अच्‍छे मार्क्‍स वाले 13,000 लोगों की लिस्‍ट निकाल ली गई, उन सभी के घर नौकरी का आर्डर चला गया और आज वह सभी टीचर बनकर काम कर रहे हैं..! कौन कहता है कि भ्रष्‍टाचार नहीं जा सकता है..? भाइयों-बहनों, अगर एक बार देश तय कर लें कि हमें इन परिस्थितियों को पलटना है तो स्थितियां बदली जा सकती हैं..!

भाइयों-बहनों, क्‍या आपको महाराष्‍ट्र में 24 घंटे बिजली मिलती है..? क्‍या यहां के गांवों में बिजली आती है..? नहीं आती है ना..! आपके पड़ोस में गुजरात है जहां 365 दिन और 24 घंटे बिजली मिलती है..! मैं कभी-कभी सापुतारा से बाय रोड़ शिरड़ी गया, नासिक गया, तो देखा कि रास्‍ते में गांवों के सारे बोर्ड एक जैसे हैं। मैने वहां पूछा कि ये गांव महाराष्‍ट्र का है या गुजरात का इसका पता कैसे चलता है, तो लोगों ने कहा कि इसके लिए बोर्ड देखने की जरूरत नहीं है, जिस गांव में अंधेरा है वह महाराष्‍ट्र का है और जिस गांव में उजाला है वह गुजरात का है..! ऐसा क्‍यूं है..? इसका कारण है, सरकार की नीतियां जिम्‍मेवार है..!

भाइयों-बहनों, आपको पता होगा कि गुजरात में नर्मदा नदी के ऊपर सरदार सरोवर डैम बना है, उस डैम में बिजली भी पैदा हो रही है और उस बिजली के कुछ हिस्‍से पर महाराष्‍ट्र का भी अधिकार है। जितनी ज्‍यादा बिजली पैदा होगी, उतनी ज्‍यादा बिजली महाराष्‍ट्र को मिलेगी। लेकिन बिजली पैदा करने के लिए पानी चाहिए, अब सरदार सरोवर डैम पर सारा कंस्‍ट्रक्‍शन हो चुका है, सिर्फ गेट लगाना बाकी है, लेकिन पिछले 5 सालों से दिल्‍ली की सरकार राजनीतिक कारणों से गेट खड़े करने की परमिशन नहीं देती है..! मैने प्रधानमंत्री से कहा कि गेट लगाने दीजिए, अगर आपको लगता है कि इसके लगने से किसी गांव में पानी भरने की समस्‍या होगी तो गेट बंद नहीं करेगें, पानी को निकलने देगें लेकिन गेट लगाने दीजिए, क्‍योंकि वह गेट इतने बड़े है कि लगाने में भी तीन साल लग जाएंगे..! सारे गेट तैयार पड़े हैं, लेकिन 6 साल से परमिशन नहीं मिल रही है। अगर मुझे दिल्‍ली की सरकार गेट लगाने की परमि‍शन दे दें, और आप यहां के महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री और दिल्‍ली सरकार पर दबाव डालें और अगर सरदार सरोवर पर सारे गेट लग जाएं तो महाराष्‍ट्र की सरकार को हर वर्ष मुफ्त में 400 करोड़ रूपए की बिजली मिल सकती है। भाइयों-बहनों, हम देने को तैयार हैं और इनको लेने की फुर्सत नहीं है..!

भाइयों-बहनों, अगर हम चाहें कि विकास करना है तो विकास हो सकता है। इन दिनों देश के सामने सबसे बड़ी समस्‍या गुड गवर्नेंस की है। स्‍वराज मिला लेकिन सुराज्य नहीं मिला, सुशासन नहीं मिला..! इसी महाराष्‍ट्र की धरती से लोकमान्‍य तिलक ने एक मंत्र दिया था - स्‍वराज मेरा जन्‍म सिद्ध अधिकार है। इस मंत्र को लेकर देश लड़ता रहा और स्‍वराज मिला। आज समय की मांग है कि हम सभी ललकार करें कि - सुराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है..! आजादी के पहले स्‍वराज हमारा जन्‍मसिद्ध अधिकार था, आजादी के बाद सुराज हमारा जन्‍मसिद्ध अधिकार है। आज सारी समस्‍या की जड़ हमारा बैड गवर्नेंस है..!

भाइयों-बहनों, शरीर कितना ही स्‍वस्‍थ क्‍यूं न हो, कितना ही मजबूत दिखता हो, वजन अच्‍छा हो, ऊंचाई अच्‍छी हो, नींद बढि़या आती हो, सांस सही चलती हो, सब कुछ ठीक हो, लेकिन अगर एक बार डायबटीज हो जाए तो दिखने में कोई फर्क नहीं पड़ता, परन्‍तु शरीर बारी-बारी से सैकड़ों बीमारियों का घर बन जाता है, शरीर में सैकड़ों बीमारियां घुस जाती हैं, धीरे-धीरे सारा शरीर नष्‍ट हो जाता है, ये बैड गवर्नेंस भी डायबटीज जैसा है..! राज्‍य के अंदर बैड गर्वेनेंस भी डायबटीज की तरह हर प्रकार की बीमारियों का कारण बन जाता है। और इसलिए मित्रों, जब तक हम सुशासन की राजनीति को नहीं करेंगे, सुशासन को लेकर नहीं चलेगें, तब तक देश का भला नहीं कर पाएंगे। इसलिए आज जब मैं आपके पास आया हूं तो गुड गवर्नेंस पर बल देने की बात करता हूं..!

भाइयों-बहनों, आप देखिए कि दो विजन में क्‍या फर्क होता है..! आप देखिए, एक तरफ भारत की आन-बान-शान आईएनएस विक्रान्‍त, जिस पर पूरे हिंदुस्‍तान की सेना गर्व करती है, युद्ध के मैदान में भारत को गौरव दिलाने वाले आईएनएस विक्रान्‍त को, ऐसी ऐतिहासिक धरोहर को दिल्‍ली की सरकार टुकड़े-टुकड़े करने पर तुली हुई है, उसके टुकड़े करके बेचने की योजना बना रही है। वहीं दूसरी तरफ गुजरात की सोच देखिए कि हम हिंदुस्‍तान के कोने-कोने से लोहे का टुकड़ा-टुकड़ा इक्‍ट्ठा करके एक भव्‍य इमारत का निर्माण करने का सपना देख रहे हैं, इतिहास की धरोहर पैदा करने का सपना देख रहे हैं..! हम टुकड़े लाकर एकता का स्‍वप्‍न साकार करना चाहते हैं, इतिहास की विरासत को जिंदा करना चाहते हैं और ये लोग इतिहास की विरासत के टुकड़े-टुकड़े करके बांटने की योजना कर रहे हैं, ये विजन का फर्क होता है..!

भाइयों-बहनों, आज जब मैं मुम्‍बई की धरती पर आया हूं तो बॉलीवुड को याद करना चाहता हूं, फिल्‍म इंड्रस्‍ट्री को याद करना चाहता हूं। भाइयों-बहनों, ये फिल्‍म इंडस्‍ट्री का शताब्‍दी वर्ष है। दुनिया में ऐसा कहीं नहीं होता कि इतनी भाषाओं और इतनी मात्रा में फिल्‍में बनती हों। हमारे पास एक अनमोल खजाना है, एक अनमोल ताकत है। अगर विजन होता, समझदारी होती और दिल्‍ली व महाराष्‍ट्र की सरकार ने शताब्‍दी वर्ष पर फिल्‍म इंडस्‍ट्री को नई ऊंचाईओं पर ले जाने का एक महत्‍वपूर्ण मुकाम़ बनाया होता, सेमिनार हुए होते, टेक्‍नोलॉजी के संदर्भ में बातें हुई होती, भारत के निर्माण में उनके योगदान पर बातें हुई होती, नए सपने देखे गए होते..! भाइयों-बहनों, इतनी फिल्में बनती हैं उसके हिसाब से एक फिल्‍म यूनीवर्सिटी होनी चाहिए या नहीं..? फिल्‍म इंडस्‍ट्री के लिए एक फुल फ्लेज्ड यूनीवर्सिटी, ह्यूमन रिसोर्स डेवलेपमेंट के लिए, टेक्‍नोलॉजिकल रिसर्च के लिए, हिस्‍ट्री की रिसर्च के लिए एक यूनीवर्सिटी होनी चाहिए या नहीं..? लेकिन भाइयों-बहनों, वोटबैंक की राजनीति में डूबे हुए लोगों ने इतने महत्‍वपूर्ण अवसर को भी खो दिया..!

भाइयों-बहनों, आज मैं आप सभी को एक नारा बुलवाना चाहता हूं, बोलिएगा और पूरी ताकत से बोलिएगा..! देखिए, चुनाव में दल के लिए वोट मांगे जाते हैं, देश में इतने सारे चुनाव हुए और सभी में दल के लिए वोट मांगे गए, लेकिन मैं चाहता हूं कि 2014 के चुनाव में में दल के लिए वोट न मांगा जाएं, बल्कि देश के लिए वोट मांगा जाएं..! दल से बड़ा देश होता है, इसलिए हम एक मंत्र देना चाहते हैं, मुम्‍बई से उठी हुई आवाज को हिंदुस्‍तान तक पहुंचाना चाहते हैं कि 2014 के चुनाव में दल के लिए नहीं, देश के लिए वोट करिए..! वोट फॉर इंडिया..! भाइयों-बहनों, मैं आगे-आगे बोलूंगा और आप पीछे से बोलिएगा - वोट फॉर इंडिया..! वंशवाद से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भाई-भतीजेवाद से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भ्रष्‍टाचार से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, महंगाई से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, कुशासन से मुक्ति के लिए - वोट फॉर इंडिया, भारत की एकता के लिए - वोट फॉर इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, सुराज की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, सुशासन की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, विकास की राजनीति के लिए - वोट फॉर इंडिया, देश की रक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया, जन-जन की सुरक्षा के लिए - वोट फॉर इंडिया, रहने को मकाने के लिए - वोट फॉर इंडिया, खाने के अन्‍न के लिए - वोट फॉर इंडिया, बीमार की दवाई के लिए - वोट फॉर इंडिया, दरिद्र नारायण की भलाई के लिए - वोट फॉर इंडिया, शिक्षा में सुधार के लिए - वोट फॉर इंडिया, युवाओं को रोजगार के लिए - वोट फॉर इंडिया, नारी के सम्‍मान के लिए - वोट फॉर इंडिया, किसानों के कल्‍याण के लिए - वोट फॉर इंडिया, स्‍वावलंबी भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, शक्तिशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, समृद्धशाली भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया, प्रगतिशील भारत के लिए - वोट फॉर इंडिया..! भाइयों-बहनों, ‘वोट फॉर इंडिया’, इस मंत्र के साथ हम देश के कोने-कोने में पहुंचेगें..!

भाइयों-बहनों, आप सभी पूरी ताकत से दोनों मुठ्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय..!  भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्...!  वंदे मातरम्...!  वंदे मातरम्...!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!