जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार सत्ता में आई, तब लाखों भारतीयों के पास कोई बैंक खाता नहीं था। बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुए दशकों बीत चुके हैं, लेकिन वित्तीय समावेशन अभी भी हमारे देश में लाखों लोगों के लिए छलावा ही रहा।

जन-धन योजना में सबके लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में लांच किया गया था। दो वर्षों के अल्प-काल में ही 23.93 करोड़ बैंक खाते खोले गए। इससे भी अधिक खुशी की बात यह है कि इन बैंक खातों में 41,789 करोड़ रूपए जमा किए गए। लाखों लोगों का जीवन इन खातों में की गई बचत के कारण स्थिर हो सकेगा। लाखों लोगों के लिए संस्थागत ऋण के दरवाजे खुल चुके हैं, जो उधारदाताओं और उनके उच्च ब्याज दरों के अधीन थे। जन धन बैंक खातों में भी ड्रॉफ्ट, इंश्योरेंस आदि के फीचर्स हैं, जो कि व्यापक तौर पर उपयोग में लाए जा रहे हैं। शुरूआत में जीरो बैलेंस खातों के लिए जनधन खातों की आलोचना की गई, लेकिन आनुपातिक तौर पर ऐसे खातों की संख्या में लागातार कमी आ रही है।

जन धन खातों में तेजी के साथ ही एनडीए सरकार का JAM ट्रिनिटी का विजन साकार होता दिख रहा है। जबकि 30 मई 2014 तक 65 करोड़ आधार नामांकन हो चुके थे। सरकार ने 35 करोड़ और लोगों को भी इसके अंतर्गत किया। वर्तमान में 105 करोड़ भारतीयों के पास आधार कार्ड है। लगभग सभी भारतीयों के पास मोबाइल फोन है। इस प्रकार सरकार कोई भी सब्सिडी अथवा लाभ ट्रांसफर कर सकती है। अब बिना किसी देरी अथवा बिचौलिये के, धन ट्रांसफर करने के लिए सही व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। सरकार ने अब योजनाओं के लिए ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ की शुरूआत कर दी है। इससे बिना किसी लीकेज और विचलन के सीधे खाते में धन पहुंच रहा है, और बचत भी हो रही है। 2 साल में 31 करोड़ लाभार्थियों को 61,822 करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित कर दिए गए हैं। डीबीटी के तहत विभिन्न सुधारों की पहल से, फर्जी लाभार्थियों और लीकेज द्वारा 36,500 करोड़ रूपयों को नष्ट होने से बचा लिया गया है।

सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग हमारे देश में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। ये न केवल लाखों लोगों को काम देते है, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन यह देखा गया है कि इनका एक छोटा सा भाग ही संस्थागत वित्त प्राप्त कर पाता है बाकी अधिकांश कंपनियां साहुकारों से ऋण लेने के लिए मज़बूर रहती हैं।

एनडीए सरकार ने इन उद्यमियों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए और सस्ती व जमानत मुफ्त वित्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से “मुद्रा योजना” का शुभारम्भ किया है। साल 2015-16 में ₹1,22,188 करोड़ लक्ष्य की तुलना में ₹1,32,954.73 करोड़ का धन वितरित किया गया। कुल 3.48 करोड़ उद्यमियों ने इस तरह से धन प्राप्ति की, उनमें से 1.25 करोड़ नए उद्यमी थे, जिन्होंने ₹58,908 करोड़ प्राप्त किए। कुल लाभार्थियों में से 79% महिलाएं थीं, जिन्होंने कि ₹63,190 करोड़ प्राप्त किए। पिछले साल के ₹1,80,000 करोड़ की तुलना में वर्ष 2016-17 में लोन वितरण में 50% की वृद्धि हुई है।

उपरोक्त पहल से भारतीयों के जीवन में बदलाव आया है। बैंक खातों जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ, ब्याज़ मुक्त वित्तीय मदद जैसे बदलाव वर्ष 2014 के बाद गरीबों के जीवन में आए। अब सब्सिडी और लाभ के बीच बिचौलिये नहीं है, बल्कि बार-बार लोग सरकारी कार्यालय आते हैं। DBT और JAM के साथ लाभ के हस्तांतरण को आसान, प्रभावी और पारदर्शी बना दिया है।

 

 

 

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।