पूना के फर्ग्यूसन कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ श्री मोदी का प्रेरक वार्तालाप
भारत को शक्तिशाली बनाने की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनी मानव संसाधन विकास की उपेक्षा
“राष्ट्र निर्माण में शिक्षा” की भूमिका विषय पर हुआ प्रेरक वार्तालाप
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पूना के फर्ग्यूसन कॉलेज के समारोह में ऐसे राष्ट्रीय मानव संसाधान विकास के आयोजन की हिमायत की जो भारत के युवाओं के सामर्थ्य का विश्व को साक्षात्कार कराए। श्री मोदी ने अपनी प्राचीन शिक्षा की महान विरासत में गुरुकुल से विश्वकुल की यात्रा मंथ निहित मानव संसाधन विकास की महिमा को राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को शिक्षित करने के लिए उजागर करने की जरूरत पर बल दिया।
महाराष्ट्र के पूना में १२८ सोसायटियों द्वारा संचालित फर्ग्यूसन कॉलेज के १५०० विद्यार्थियों के समक्ष “राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की भूमिका” विषय पर प्रेरक वार्तालाप किया। इसी कॉलेज मे आजादी की जंग के सशक्त क्रांतिकारी वीर विनायक दामोदर सावरकर ने भी पढ़ाई की थी। श्री मोदी ने हॉस्टल के उस कमरे का भी जायजा लिया जहां रहकर सावरकर ने पढ़ाई की थी, इसके अलावा उन्होंने कॉलेज परिसर में १०१ वर्ष पुराने एमफी थियेटर के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन भी किया।
श्री मोदी ने वर्तमान शिक्षा पद्धति में धूल-धुसरित हो चुके युवाओं के शक्ति-सामर्थ्य के अरमानों के मद्देनजर इसमें आमूल एवं समयानुकूल परिवर्तन के विविध पहलुओं का विश्लेषण किया। वीर सावरकर जैसे देशभक्त महापुरुषों ने फर्ग्यूसन कॉलेज की १२५ वर्ष पुरानी पवित्र भूमि की विरासत में जीवन निर्माण के लिए जो प्रेरणा दी, उन ऐतिहासिक स्मृतियों से सराबोर मुख्यमंत्री ने वीर सावरकर को श्रद्धासुमन अर्पित किए। फर्ग्यूसन कॉलेज के युवा विद्यार्थियों के साथ इस वार्तालाप के लिए सोशल मीडिया के फेसबुक के जरिए तकरीबन ढाई हजार नौजवानों से प्राप्त सुझावों और राष्ट्र निर्माण के लिए युवा शक्ति के विचारों का गौरवपूर्ण जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत भर के युवाओं में देश के लिए कितने नये विचार और अरमान है उसका साक्षात्कार हुआ है। जिस देश के युवा अपने सामर्थ्य से देश के भविष्य के लिए कुछ कर गुजरने की प्रतिबद्धता जताते हैं, यह इस बात का परिचायक है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व की समस्याओं के हल के लिए यही युवा शक्ति अपना मिजाज बतलाएगी।
उन्होंने कहा कि देश में आज निराशा का वातावरण है, लेकिन यही भारत भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है और निराशा की कोई वजह नहीं है। हमारी युवा पीढ़ी देश के भविष्य के लिए शक्ति-संपन्न है। गुलामी के कालखंड में भी लोकमान्य तिलक ने, स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, का नारा दिया था। आजादी के बाद हम राष्ट्र निर्माण की स्वाभिमान की शिक्षा की दिशा भूल गए और युवा शक्ति के सामर्थ्य को दुनिया के समक्ष पेश करने के लिए मानव संसाधन की महिमा को उजागर नहीं किया।
भारत की वर्तमान शिक्षा पद्धति में आमूल परिवर्तन के लिए भारतीय गुरुकुल परंपरा की महान विरासत के सिद्धांतों को अपनाने की हिमायत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हमारे पास गुरुकुल से विश्वकुल की यात्रा और उपनिषद से उपग्रह तक की शिक्षा यात्रा की महान विरासत है। समूची मानव संस्कृति की विकास यात्रा में २६०० साल की शिक्षा-दीक्षा के क्षेत्र में १८०० वर्ष तक निरंतर हिन्दुस्तान का सम्मानित प्रभाव दुनिया में रहा है। नालंदा, तक्षशिला और पश्चिम में स्थित गुजरात में वल्लभी विश्वविद्यालय का शिक्षा का इतिहास रहा है। लेकिन ८०० वर्ष के गुलामी के कालखंड में हमने यह गौरव खो दिया और आजादी के बाद हमारी शिक्षा मानव संसाधन विकास (मेन मेकिंग) के बजाय मनी मेकिंग मशीन कैसे बन गई? हमारे पास शांति निकेतन, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और गुजरात विद्यापीठ जैसी संस्थाएं मौजूद हैं, जो हमारे महापुरुषों ने आजादी के पहले ही स्थापित की थीं और उसमें शासन व्यवस्था को कोई योगदान नहीं था। लेकिन सवाल यह उठता है कि आजादी के बाद के शासकों ने क्यों हमारे महापुरुषों के शिक्षा के उत्तम माध्यम के सपने को पूरा करने में उपेक्षा बताई।
श्री मोदी ने कहा कि आज केरल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर है। वजह यह कि, नारायण गुरु ने १०० वर्ष पहले समाज को शिक्षा के अभियान के लिए प्रेरित कर उत्तम शिक्षा को महत्व दिया था। उन्होंने कहा कि, “मैं आधुनिकता का पक्षधर हूं, पश्चिमीकरण का नहीं। मॉडर्नाइजेशन विदाउट वेस्टर्नाइजेशन, यही हमारी शिक्षा का सामर्थ्य होना चाहिए।” हमारे युवाओं की बौद्धिक संपदा सूचना-प्रौद्योगिकी-आईटी के प्रभाव से दुनिया को चकित कर रही है, तो फिर निराशा क्यों? २१वीं सदी ज्ञान युग की है, तो फिर भारत इस सदी में ६५ फीसदी युवा शक्ति के सामर्थ्य से विश्व गुरु क्यों नहीं बन सकता।
दक्षिण कोरिया जैसा छोटा देश ओलंपिक खेलों का सफल आयोजन कर दुनिया के शक्ति-संपन्न देशों की कतार में गौरव के साथ खड़ा हुआ, वहीं हमने कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार के जरिए देश की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया। क्या १२० करोड़ की आबादी का देश सिर पर हाथ रख यूं ही बैठा रहेगा? राष्ट्र निर्माण के लिए मानव संसाधन विकास पूर्व आवश्यकता है, लेकिन सरकार क्या कर रही है? राष्ट्र निर्माण की कोई परवाह सरकार को नहीं है। उन्होंने कहा कि २१सदी में चीन और भारत के बीच स्पर्धा है। १९७८ में VISION बनाते हुए शिक्षा व्यवस्था के लिए मानव संसाधन विकास के चार-पांच क्षेत्रों को तय कर वर्ष २००० तक विश्व के शीर्ष ५०० विश्वविद्यालयों में चीन के ४० विश्वविद्यालयों को स्थान दिलाने की योजना बनाई और दस वर्ष में ही चीन ने ३२ विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बना दिया। चीन ने शिक्षा का रोड मैप तैयार किया है। सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी का २० फीसदी बजट शिक्षा के क्षेत्र को आवंटित किया, जबकि भारत आज जीडीपी का महज ४ फीसदी ही शिक्षा के लिए आवंटित करता है। अनुसंधान-पीएचडी के क्षेत्र में दस वर्ष पहले चीन और भारत में समान संख्या थी, वहीं आज चीन के पास भारत से सात-आठ गुना अधिक रिसर्चर स्कॉलर पीएचडी हैं।
श्री मोदी ने कहा कि भारत में रिसर्च-पीएचडी करने वाले तेजस्वी स्कॉलरों का कोई अधिकृत डाटा मौजूद नहीं है, उनके संशोधन दस्तावेज उपेक्षित पड़े हैं। जबकि विदेशों में यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलरों के दस्तावेजों को सरकार की नीति निर्धारण प्रक्रिया में ध्यान में लिया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई देश संशोधन को प्राथमिकता नहीं देगा तो विकास में स्थगितता आ जाएगी। हमें समयानुकूल परिवर्तन के लिए शिक्षा, मानव संसाधन विकास और संशोधन को प्राथमिकता देनी ही होगी।
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में पहली फार्मेसी कॉलेज ५० वर्ष पूर्व गुजरात में दीर्घदृष्टा लोगों ने शुरू की, तो आज गुजरात फार्मेसी उद्योग के क्षेत्र में देश में अग्रसर बन गया है। भारत का कोई पड़ोसी उसका मित्र नहीं है। भारत की युवा शक्ति रक्षा संसाधनों के लिए प्रशिक्षित क्यों नहीं की जाती, ऐसा सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा संसाधनों के निर्माण के लिए भारत के इंजीनियरों को अपना सामर्थ्य दिखाने का अवसर देने की क्या व्यवस्था है। भारत में पर्यटन को आकर्षित करने के लिए सदियों से अनेक वैभव मौजूद हैं लेकिन टूरिज्म विकास के लिए मानव संसाधन विकास का कोई आयोजन ही नहीं किया गया। सरदार सरोवर नर्मदा बांध में सैलानियों पर लगे प्रतिबंध को उठाने से पांच लाख सैलानियों के वहां उमड़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी स्थगित मानसिकता को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रधान भारत की कृषि यूनिवर्सिटियां कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए क्यों नहीं हाई एग्रोटेक एजुकेशन की दिशा में किसानों को प्रेरित करती है।
गुजरात सरकार और केन्द्र सरकार की मानसिकता में अंतर का मार्मिक उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्हें पॉवर (सत्ता) की फिक्र है और हम जनता के एम्पॉवर (सशक्तिकरण) की चिंता करते हैं। सुरक्षा के क्षेत्र में सशक्तिकरण के लिए गुजरात ने रक्षाशक्ति यूनिवर्सिटी की स्थापना के साथ ही साइबर क्राइम डिटेक्शन के लिए दुनिया की पहली फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी स्थापित की है। जबकि देश में हरेक क्षेत्र में मानव संसाधन विकास की उपेक्षा हो रही है।
भारत में जिस गति से शहरीकरण बढ़ रहा है, उसे देखते हुए अर्बन मैनेजमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के मानव संसाधन विकास की प्लानिंग कहां है। देश को कहां ले जाना है? उन्होंने कहा कि देश को विकास की नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए मानव संसाधन विकास की जरूरत है। श्री मोदी ने कहा कि आज नई पीढ़ी के उत्तम नागरिक तैयार करने के लिए उत्तम शिक्षकों की जरूरत है। लेकिन उसके मानव संसाधन विकास की हालत क्या है। भारत विश्वगुरु था क्योंकि उसके पास उत्तम गुरु परंपरा थी। हमारा शिक्षक विश्व में सांस्कृतिक राजदूत बन सकता है, ऐसे उत्तम शिक्षकों के निर्माण के लिए गुजरात ने टीचर्स यूनिवर्सिटी शुरू की है। हम विश्व को उत्तम शिक्षकों की भेंट देने का सपना क्यों नहीं साकार कर सकते।
भारत के दो तिहाई हिस्से में समुद्री तट है, लेकिन विश्व व्यापार के इस युग में पोर्ट मैनेजमेंट, मरीन इंजीनियरिंग जैसे मानव संसाधन विकास का आयोजन कहीं नजर नहीं आता। देश में सबसे कम बेरोजगारी गुजरात में है, क्यों? क्योंकि गुजरात ने स्किल डेवलपमेंट के जरिए हुनरवान प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की महिमा ऐसी होनी चाहिए जो वसुधैव कुटुंबकम और ब्रह्मांड को परिवार मानने वाली शिक्षा-दीक्षा देने का सामर्थ्य रखती हो। समाज शक्ति के आधार पर हमें राष्ट्र निर्माण के लिए सामर्थ्यवान मानव संसाधन विकास को प्राथमिकता देनी होगी। इस अवसर पर फर्ग्यूसन कॉलेज एवं डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के गवर्निंग बोर्ड के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का भावभीना स्वागत किया।